विषयसूची:
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1.चेन्नई में तीन राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रमों का शुभारंभ और उद्घाटन:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय:पशु-पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय सफेद झींगा (पेनियस इंडिकस),मछली रोगों पर राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम, जलीय कृषि बीमा उत्पाद का शुभारंभ।
प्रसंग:
- केंद्रीय मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री ने तीन राष्ट्रीय प्रमुख कार्यक्रमों का उद्घाटन और शुभारंभ किया।
उद्देश्य:
- जिनमें सीआईबीए कैंपस, राजा अन्नामलाईपुरम, चेन्नई में भारतीय सफेद झींगा (पेनियस इंडिकस) का आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम, मछली रोगों पर राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम, जलीय कृषि बीमा उत्पाद का शुभारंभ और आईसीएआर में आनुवंशिक सुधार सुविधा के लिए आधारशिला रखना शामिल है।
विवरण:
- भारत 14.73 मिलियन मीट्रिक टन मछली उत्पादन के साथ तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है और लगभग 7 लाख टन झींगे के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक देश है।
- हालांकि बीमारियों के कारण देश को सालाना करीब 7200 करोड़ का नुकसान होता है। इसलिए, बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए शुरुआती पहचान और रोगों के प्रसार को प्रबंधित करना महत्वपूर्ण माना जाता है।
- इसके महत्व को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने 2013 से जलीय पशु रोगों के लिए राष्ट्रीय निगरानी कार्यक्रम (एनएसपीएएडी) को लागू किया है, जिसमें किसान आधारित रोग निगरानी प्रणाली को मजबूत करने पर जोर दिया गया है ताकि किसानों को रोग के मामलों की एक बार रिपोर्ट की जा सके, जांच की जा सके और उन्हें वैज्ञानिक सहायता उपलब्ध हो सके।
- प्रथम चरण के परिणामों ने यह सिद्ध किया है कि रोगों के कारण होने वाले राजस्व नुकसान में कमी आई है और किसानों की आय और निर्यात में वृद्धि हुई है।
- तीव्रता के साथ किए जा रहे इन प्रयासों को जारी रखने के लिए, मत्स्य पालन विभाग, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार ने एनएसपीएएडी: चरण- II को सरकार की प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना कार्यक्रम के तहत मंजूरी दी है।
- द्वितीय चरण को पूरे भारत में लागू किया जाएगा, और समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एमपीईडीए) के साथ-साथ सभी राज्य मत्स्य विभागों से इस राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की आशा है।
- झींगा पालक भारत के समुद्री खाद्य निर्यात में लगभग 70 प्रतिशत का योगदान करते हैं। यह निर्यात 42000 करोड़ रुपये मूल्य का है।
- हालांकि, झींगा पालन क्षेत्र ज्यादातर प्रशांत सफेद झींगा (पेनियस वन्नामेई) प्रजातियों के एक विदेशी विशिष्ट रोगजनक मुक्त स्टॉक पर निर्भर करता है।
- खेती के बुनियादी ढांचे पर भारी निवेश के साथ 10 लाख टन के उत्पादन के लिए एक प्रजाति पर निर्भर रहना और प्रत्यक्ष रूप से दो लाख किसान परिवारों की आजीविका और सहायक क्षेत्रों में अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लगभग दस लाख परिवारों पर निर्भर रहना अत्यधिक जोखिम भरा है।
- इसलिए, इस एकल प्रजाति की निर्भरता को समाप्त के लिए और विदेशी झींगा प्रजातियों की तुलना में स्वदेशी प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए आईसीएआर-सीआईबीए ने मेक इन इंडिया फ्लैगशिप के तहत राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में भारतीय सफेद झींगा, पी. इंडिकस के कार्यक्रम के आनुवंशिक सुधार के लिए कदम उठाए हैं।
- सीआईबीए ने स्वदेशी फ़ीड, इंडिकस प्लस (35 प्रतिशत प्रोटीन) का उपयोग करके तटीय राज्यों में विभिन्न भौगोलिक स्थानों में प्रजनन प्रोटोकॉल को सफलतापूर्वक अनुकूलित किया है और संस्कृति क्षमता का प्रदर्शन किया है।
- इस पहल के महत्व को स्वीकार करते हुए, मत्स्य विभाग, भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के तहत 25 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ “पेनियस इंडिकस (भारतीय सफेद झींगा) -फेज- I” के आनुवंशिक सुधार कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है।
- इस कार्यक्रम से झींगा ब्रूड स्टॉक के लिए “आत्मनिर्भरता” को बढ़ावा मिलेगा, जो वर्तमान में अन्य देशों से आयात किया जाता है।
- इसी तरह, झींगा पालन को “जोखिम भरा उद्यम” कहा जाता है और इस वजह से बैंकिंग और बीमा संस्थान झींगा क्षेत्र में कारोबार करने के लिए बहुत सतर्क हैं।
- इस विश्वास के विपरीत, भारत ने पिछले एक दशक के दौरान झींगा उत्पादन में लगभग 430 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है, जो अकेले झींगा पालन क्षेत्र की समग्र लाभप्रदता, वृद्धि और स्थिरता को बयान करता है।
- वैज्ञानिक तकनीक में हुई प्रगति के साथ जलीय कृषि पर लगाए गए कड़े नियमों ने इस व्यापक उपलब्धि को संभव बना दिया है।
- अधिकांश जलीय कृषि किसान छोटे किसान हैं, जिनके पास 2-3 तालाब हैं और उनकी संस्थागत ऋण और बीमा तक पहुंच की कमी के कारण फसल के लिए कार्यशील पूंजी जुटाने में उन्हें भारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
- प्राकृतिक आपदाओं या वायरल रोगों के कारण एक फसल का नुकसान होने से किसान गहरे कर्ज में डूब जाते हैं क्योंकि उन्हें फसल के लिए लिए गए कर्ज को चुकाना पड़ता है और अगली फसल के मौसम के लिए धन भी जुटाना होता है।
- इसलिए, एक बीमा योजना द्वारा किसानों की बीमा और संस्थागत ऋण तक पहुंच स्थापित करना बहुत महत्वपूर्ण है जो बहुत कम समय सीमा में किसानों की आय को दोगुना करने में मदद करेगा।
- किसान को कुल फसल नुकसान की स्थिति में इनपुट लागत के 80 प्रतिशत नुकसान की भरपाई की जाएगी जो 70 प्रतिशत के फसल नुकसान से अधिक है।
2.मौसम पूर्वानुमान में भारत और ब्रिटेन के बीच सहयोग की बड़ी संभावना:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: अंकीय मौसम पूर्वानुमान (न्यूमेरिकल वेदर प्रेडिक्शन–एनडब्ल्यूपी)।
प्रसंग:
- नई दिल्ली में चौथी मौसम एवं जलवायु विज्ञान सेवा हेतु सहभागिता – भारत (वैदर एंड क्लाइमेट साइंस फॉर सर्विस पार्टनरशिप-डब्ल्यूसीएसएसपी-इंडिया) की वार्षिक विज्ञान कार्यशाला (एनुअल साइंस वर्कशॉप) – 2023 का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री ने कहा कि मौसम पूर्वानुमान में भारत और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के बीच सहयोग की बड़ी संभवना है, क्योंकि दोनों देश न केवल एक ही गोलार्ध में स्थित हैं बल्कि ब्रिटेन के साथ काम करना इसलिए भी आसान है क्योंकि हमारे संबंधों में सहजता का स्तर ऊंचा है।
उद्देश्य:
- इस परियोजना के माध्यम से उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की गई है, जिसमें अंकीय मौसम पूर्वानुमान (न्यूमेरिकल वेदर प्रेडिक्शन–एनडब्ल्यूपी) की वैश्विक प्रणाली के कार्यान्वयन और उसके सफल परीक्षण के साथ ही राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केन्द्र (नेशनल सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट–एनसीएमआरडब्ल्यूएफ) के परिचालनीय रिज़ॉल्यूशन फॉग फोरकास्ट के मॉडल में सुधार करना शामिल है।
- मॉडलों में व्यापक अंतरतुलना से संबंधित नए ज्ञान तथा बाढ़ जोखिम प्रभाव मॉडलिंग के लिए मानसून जोखिम प्रक्रियाएं और प्रोटोटाइप उपकरणों के परस्पर सह-विकास का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है।
- दोनों ही देशों के नागरिक ऐसी समान स्थितियों का सामना करते हैं, जो हमें मौसम की भविष्यवाणी सहित विभिन्न विषयों को एक सामान्य दृष्टिकोण से देखने पर विवश करते हैं।
विवरण:
- मौसम की भविष्यवाणी सटीक मॉडलिंग का विज्ञान बन गया है और इसमें महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी और डेटा समावेशन शामिल है। मौसम पूर्वानुमान सामान्य नागरिक के जीवन का एक अनिवार्य अंग बन चुका है।
- यह कार्यशाला दोनों देशों को प्रभावित करने वाली गंभीर और प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के लिए सही प्रकार की प्रतिक्रिया तैयार करने में सहायक बनेगी।
- दोनों देश आपदा के अनुरूप लचीले बुनियादी ढांचे के निर्माण पर भी मिलकर काम कर रहे हैं।
- यह कार्यशाला कोविड महामारी के कारण दो वर्ष के अंतराल के बाद आयोजित की जा रही है। इसमें मौसम पूर्वानुमान के लिए डेटा की समझ, मॉडलिंग और आकलन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
- इस कार्यशाला का आयोजन 7 फरवरी 2019 को हस्ताक्षरित “वेदर एंड क्लाइमेट साइंस फॉर सर्विस पार्टनरशिप इंडिया (डब्ल्यूसीएसएसपी-इंडिया)” परियोजना से संबंधित कार्यान्वयन समझौते के एक हिस्से के रूप में किया जा रहा है।
- इसने भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के पृथ्वी विज्ञान विभाग और ब्रिटेन के मौसम कार्यालय के बीच मौसम और जलवायु विज्ञान में सहयोग पर 28 जनवरी 2019 को हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का पालन किया।
- 50 से अधिक ऑनलाइन प्रतिभागियों के अलावा ब्रिटेन के लगभग 25 वैज्ञानिक और लगभग 70 भारतीय वैज्ञानिक / शोधकर्ता इस कार्यशाला में व्यक्तिगत रूप से भाग लेंगे।
- बैठक के दौरान विचार-विमर्श और परस्पर चर्चा से मौसम और जलवायु पूर्वानुमान क्षमताओं – विशेष रूप से भारतीय क्षेत्र पर उच्च प्रभाव वाले मौसम के बारे में सुधार, के इस सहयोगी प्रयास के लिए नए विचार और दिशा मिलने की संभवना है।
- भारत- ब्रिटेन सहयोग के माध्यम से डब्ल्यूसीपीएसएस-इंडिया प्रोजेक्ट के प्रमुख विज्ञान उद्देश्यों में दक्षिण एशियाई मानसून प्रणाली में प्राकृतिक खतरों पर अनुसंधान और भविष्यवाणी की समय- सीमा के संबंध में प्राकृतिक खतरों के जोखिम आधारित पूर्वानुमान के लिए उपकरणों और तकनीकों में सुधार करना शामिल है।
3. यूआईडीएआई ने आधार प्रमाणीकरण के लिए मजबूत फिंगरप्रिंट आधारित नया सुरक्षा तंत्र शुरू किया:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: प्रौद्योगिकी से संबंधित विषयों के संबंध में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई)।
प्रसंग:
- इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने आधार आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण और धोखाधड़ी के प्रयासों का तेजी से पता लगाने के लिए एक नया सुरक्षा तंत्र सफलतापूर्वक शुरू किया है।
विवरण:
- इन-हाउस विकसित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एआई/एमएल) आधारित सुरक्षा तंत्र अब कैप्चर किए गए फिंगर प्रिंट की जांच करने के लिए फिंगर मिन्यूशिया और फिंगर इमेज दोनों के संयोजन का उपयोग कर रहा है।
- यह आधार प्रमाणीकरण लेनदेन को और भी मजबूत और सुरक्षित बना रहा है।
- इसमें नया टू फैक्टर/लेयर ऑथेंटिकेशन ऐड-ऑन चेक जोड़ रहा है ताकि फिंगरप्रिंट की प्रामाणिकता (लाइवनेस) को सत्यापित किया जा सके ताकि धोखाधड़ी के प्रयासों की संभावना को और कम किया जा सके।
- यह कदम बैंकिंग और वित्तीय, दूरसंचार और सरकारी क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोगी होगा।
- यह समाज के अंतिम तबके को भी लाभान्वित करेगा क्योंकि यह आधार सक्षम भुगतान प्रणाली को और मजबूत करेगा और असामाजिक तत्वों द्वारा दुर्भावनापूर्ण प्रयासों पर अंकुश लगाएगा।
- आधार आधारित फिंगरप्रिंट प्रमाणीकरण का नया सुरक्षा तंत्र अब पूरी तरह से संचालित हो गया है।
- यूआईडीएआई द्वारा अपने भागीदारों और उपयोगकर्ता एजेंसियों के साथ कई महीनों की चर्चा और सहयोग के बाद यह शुरु किया गया है।
- नए तौर-तरीकों के लाभ के बारे में एयूए/सब एयूए प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसियों (एयूए) के साथ यूआईडीएआई की निरंतर सहभागिता और उचित परिश्रम किया गया।
- एयूए एक इकाई है जो प्रमाणीकरण सेवा एजेंसी द्वारा सुविधा के अनुसार प्रमाणीकरण का उपयोग करके आधार धारकों को आधार सक्षम सेवाएं प्रदान करने के काम में लगी हुई हैं।
- सब एयूए वे एजेंसियां हैं जो मौजूदा अनुरोधकर्ता इकाई के माध्यम से अपनी सेवाओं को सक्षम करने के लिए आधार प्रमाणीकरण का उपयोग करती हैं।
- यूआईडीएआई का मुख्य कार्यालय और इसके क्षेत्रीय कार्यालय किसी भी उपयोगकर्ता एजेंसी (जो अभी तक माइग्रेट नहीं हुए हैं) को जल्द से जल्द नए सुरक्षित प्रमाणीकरण मोड में बदलने की सुविधा के लिए सभी संस्थाओं के संपर्क में हैं।
- आधार आधारित प्रमाणीकरण लेन-देन को अपनाने में वृद्धि देखी जा रही है। यह समाज में कई कल्याणकारी लाभों और सेवाओं का लाभ उठाने में मददगार साबित हुआ है।
- दिसंबर 2022 के अंत तक, आधार प्रमाणीकरण लेनदेन की कुल संख्या 88.29 बिलियन को पार कर गई थी और औसतन प्रति दिन 70 मिलियन का लेनदेन हो रहा था।
- उनमें से अधिकांश फिंगरप्रिंट-आधारित प्रमाणीकरण हैं, जो दैनिक जीवन में इसके उपयोग और उपयोगिता का संकेत देते हैं।
4.सरकार ने जनवरी 2024 तक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को 5जी टेस्ट बेड सुविधा मुफ्त प्रदान की:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: सुचना प्रौद्योगिकी से संबंधित विषयों के संबंध में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: 5जी टेस्ट बेड सुविधा।
प्रसंग:
- संचार मंत्रालय के अंतर्गत दूरसंचार विभाग ने जनवरी 2024 तक भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को 5जी टेस्ट बेड सुविधा के मुफ्त उपयोग की पेशकश की है।
उद्देश्य:
- 5जी के सभी हितधारक यानी उद्योग, शिक्षा, सेवा प्रदाता, अनुसंधान एवं विकास संस्थान, सरकारी निकाय, उपकरण निर्माता आदि अब बहुत मामूली दर पर इस सुविधा का उपयोग कर सकते हैं।
- टेस्ट बेड के उपयोग को प्रोत्साहित करने और ‘आत्मनिर्भर भारत’ विजन के अनुरूप स्वदेशी प्रौद्योगिकियों/उत्पादों के विकास को बढ़ावा देने के लिए इसकी घोषणा की जा रही है।
- कई स्टार्ट-अप और कंपनियां पहले ही अपने उत्पादों और सेवाओं के परीक्षण के लिए टेस्ट बेड सुविधा का उपयोग कर रही हैं।
विवरण:
- मार्च, 2018 में भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए और 5जी लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए दूरसंचार विभाग ने बहु-संस्थान सहयोगी परियोजना के लिए वित्तीय अनुदान को मंजूरी दी है ताकि 224 करोड़ रुपये की कुल लागत से भारत में ‘स्वदेशी 5जी टेस्ट बेड’ स्थापित किया जा सके।
- इस परियोजना में सहयोग करने वाले आठ संस्थान हैं – आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान) मद्रास, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी कानपुर, आईआईएससी बैंगलोर, सोसाइटी फॉर एप्लाइड माइक्रोवेव इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग एंड रिसर्च (समीर) और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन वायरलेस टेक्नोलॉजी (सीईडब्ल्यूआईटी)।
- इस स्वदेशी 5जी टेस्ट बेड को 17 मई 2022 को प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। एक वेब आधारित पोर्टल भी डिजाइन किया गया है ताकि टेस्ट बेड तक पहुंचकर उसका उपयोग किया जा सके।
- 5जी टेस्ट बेड पांच स्थानों पर उपलब्ध है, जैसे सीईडब्ल्यूआईटी/आईआईटी मद्रास में इंटीग्रेटेड टेस्ट बेड और बाकी टेस्ट बेड आईआईटी दिल्ली, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी कानपुर और आईआईएससी बैंगलोर में हैं।
- सीईडब्ल्यूआईटी/आईआईटी मद्रास आरएएन लेवल, पीएचवाई लेवल आदि और अन्य टेस्ट उपकरणों के लिए विभिन्न परीक्षण सेवाओं के साथ एंड टू एंड टेस्ट बेड प्रदान करता है।
- आईआईटी हैदराबाद में जीएनबी टेस्टिंग, यूई टेस्टिंग, एंड टू एंड इंटरऑपरेबिलिटी टेस्टिंग और एनबी-आईओटी टेस्टिंग की सुविधाएं हैं।
- जहां आईआईएससी बैंगलोर वी2एक्स और 5जी ओपन-सोर्स टेस्ट बेड की मेजबानी करता है, वहीं आईआईटी कानपुर बेस-बैंड टेस्ट बेड की मेजबानी करता है और आईआईटी दिल्ली एनबी-आईओटी और वीएलसी टेस्ट बेड की मेजबानी करता है।
- ये एंड-टू-एंड टेस्ट बेड वैश्विक स्तर के 3जीपीपी मानक और ओआरएएन मानक के अनुरूप है।
- स्वदेशी 5जी टेस्ट बेड एक खुला 5जी टेस्ट बेड प्रदान करता है जो भारतीय शिक्षा जगत और उद्योग की आरएंडडी टीमों को उनके उत्पादों, प्रोटोटाइप, एल्गोरिदम को मान्य करने और विभिन्न सेवाओं को प्रदर्शित करने में सक्षम बनाता है।
- इसके अलावा, ये भारत में और वैश्विक स्तर पर मानकीकरण की क्षमता रखने वाली नई अवधारणाओं/विचारों पर काम करने के लिए शोध टीमों को पूरी पहुंच प्रदान करता है।
- ये ग्रामीण ब्रॉडबैंड, स्मार्ट सिटी एप्लीकेशंस और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आईटीएस) जैसे भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण एप्लीकेशंस/यूज़ केस में प्रयोग और प्रदर्शन करने के लिए 5जी नेटवर्क की सुविधाएं प्रदान करता है और ये भारतीय ऑपरेटरों को 5जी तकनीकों के काम करने के तरीके को समझने और उनके भविष्य के नेटवर्कों की योजना बनाने में मदद करेगा।
- इस स्वदेशी टेस्ट बेड का विकास भारत के 5जी प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने और अब 5जी आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर होने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- ये टेस्ट बेड भारतीय स्टार्ट-अप्स, एमएसएमई, आरएंडडी, एकेडेमिया और उद्योग के उपयोगकर्ताओं द्वारा विकसित और निर्मित किए जा रहे 5जी उत्पादों के परीक्षण और सत्यापन के लिए स्वदेशी क्षमता प्रदान कर रहा है।
- इसके परिणामस्वरूप भारी लागत दक्षता आई है और डिजाइन में लगने वाला समय कम हो गया है जिसके कारण भारतीय 5जी उत्पादों के वैश्विक स्तर पर बाजार में प्रतिस्पर्धी बनने की संभावना है।
- इस टेस्ट बेड के विकास के नतीजतन कई 5जी प्रौद्योगिकियों/आईपी का विकास हुआ है जो कि इस उद्योग की कंपनियों को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए उपलब्ध हैं
- ये भारत में 5जी की सुचारू और त्वरित तैनाती के लिए इस उद्योग की कंपनियों को सुविधा प्रदान करेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.भारत के लिए जापान की आधिकारिक विकास सहायता (ओडीए):
- आर्थिक कार्य विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार, और भारत में जापान के राजदूत श्री सुजुकी हिरोशी, के बीच 30.755 अरब जापानी येन (लगभग 1,728 करोड़ रुपये) के मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक प्रोजेक्ट (III) और 9.918 अरब जापानी येन (लगभग 560 करोड़ रुपये) के मिजोरम राज्य सुपर-स्पेशियलिटी कैंसर एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना करने की परियोजना के लिए संबंधित नोट्स का आदान-प्रदान किया गया।
- मुंबई ट्रांस-हार्बर लिंक प्रोजेक्ट का उद्देश्य मुंबई को नवी मुंबई से कनेक्ट करके मुंबई महानगर क्षेत्र में कनेक्टिविटी बेहतर करना है, ताकि यातायात की भीड़ को कम किया जा सके और इसके साथ ही क्षेत्रीय आर्थिक विकास को काफी बढ़ावा देना संभव हो सके। यह इस परियोजना के लिए ऋण की तीसरी किस्त है।
- मिजोरम राज्य सुपर-स्पेशियलिटी कैंसर और अनुसंधान केंद्र की स्थापना करने की परियोजना का उद्देश्य कैंसर की रोकथाम, पहचान एवं उपचार के साथ-साथ मानव संसाधन विकास और कैंसर नियंत्रण प्रणाली में आवश्यक सहयोग देने वाले अनुसंधान को बेहतर करना है, ताकि इस राज्य में कैंसर से संबंधित स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को मजबूत करके ‘सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज’ सुनिश्चित करने में व्यापक योगदान दिया जा सके।
- वर्ष 1958 से ही भारत एवं जापान के बीच द्विपक्षीय विकास सहयोग का एक लंबा और सार्थक इतिहास रहा है।
- पिछले कुछ वर्षों में भारत और जापान के बीच आर्थिक सहयोग निरंतर आगे बढ़ा है। इससे भारत और जापान के बीच रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी और ज्यादा समेकित व सुदृढ़ हुई है।
2.प्रधानमंत्री ने कर्नाटक में शिवमोग्गा हवाई अड्डे का उद्घाटन किया:
- प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के शिवमोग्गा में 3,600 करोड़ रुपये से अधिक लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं के साथ नवनिर्मित शिवमोग्गा हवाई अड्डे का उद्घाटन किया।
- यह नया हवाई अड्डा लगभग 450 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है।
- इस हवाई अड्डे का यात्री टर्मिनल भवन 4340 वर्ग मीटर में फैला हुआ है और यह प्रति घंटे 300 यात्रियों को संभाल सकने में सक्षम है।
- प्रधानमंत्री ने कहा, “नया हवाई अड्डा प्रकृति, संस्कृति एवं कृषि की भूमि शिवमोग्गा के लिए विकास के द्वार खोलने जा रहा है।” प्रधानमंत्री ने हवाई चप्पल पहनने वाले आम नागरिकों को हवाई जहाज में यात्रा करने में समर्थ बनाने के अपने सपने को साकार करने के लिए सस्ती हवाई यात्रा वाली उड़ान योजना का भी उल्लेख किया।
- 2014 तक देश में मात्र 74 हवाई अड्डे थे, वहीं शिवमोग्गा एयरपोर्ट के उद्घाटन के उपरांत हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गई है।
- अब कुल संख्या 148 है, यानि पिछले 9 वर्षों में हवाई अड्डों की संख्या में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
- शिवमोग्गा हवाई अड्डे को कमल के फूल की तरह तैयार किया गया है और इसे 450 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित किया गया है।
- यह ए-320 टाइप के विमानों के लिए उपयुक्त है।
- इस हवाई अड्डे पर नाइट लैंडिंग की सुविधा भी उपलब्ध है जो कुछ समय बाद शुरू हो जाएगी।
- प्रधानमंत्री ने दो रेल परियोजनाओं, शिवमोग्गा-शिकारीपुरा-रानेबेन्नूर नई रेलवे लाइन और कोटेगंगरु रेलवे कोचिंग डिपो और 215 करोड़ रुपये से अधिक लागत की कई सड़क विकास परियोजना की आधारशिला भी रखी।
3.नारियल उत्पादों के व्यापार और विपणन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन हैदराबाद में शुरू हुआ:
- नारियल विकास बोर्ड, (कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार) अंतर्राष्ट्रीय नारियल समुदाय (आईसीसी) के सहयोग से, हैदराबाद में नारियल उत्पादों के व्यापार और विपणन पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन कर रहा है।
- आईसीसी के 2020 के आंकड़ों के अनुसार, वैश्विक उत्पादन में 30.93% हिस्सेदारी के साथ भारत दुनिया का सबसे बड़ा नारियल उत्पादक देश है, इसके बाद इंडोनेशिया और फिलीपींस का स्थान आता है।
- भारत उत्पादकता के मामले में वियतनाम के बाद (10,547 नट प्रति हेक्टेयर) दूसरे स्थान पर है – 9,346 नट प्रति हेक्टेयर।
- नारियल की फसल देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 307,956 मिलियन रुपये का योगदान करती है और लगभग 75,768.80 मिलियन रुपये का निर्यात राजस्व अर्जित करती है।
- बोर्ड देश में नारियल क्षेत्र के विकास के लिए बाजार संवर्धन गतिविधियां चलाता है।
- इसकी प्रमुख गतिविधियों में बाजार संवर्धन, बाजार आसूचना, बाजार अनुसंधान, बाजार विकास, किसानों के समूह को सुविधा प्रदान करना और निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसी) की जिम्मेदारियों को निभाना और अन्य समर्थकारी नीतियां शामिल हैं।
- 2021-22 के दौरान नारियल उत्पादों का निर्यात 2020-21 में 2294.81 करोड़ रुपये के मुकाबले 3236.83 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 40.09% की सकारात्मक वृद्धि दर्ज करता है।
- अब तक देश में 9787 सीपीएस (नारियल उत्पादक समितियां ), 747 सीपीएफ (नारियल उत्पादक संघ) और 68 सीपीसी (नारियल उत्पादक कंपनी) का गठन किया जा चुका है।
- दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में नारियल उत्पादों के लिए अंतर्राष्ट्रीय आउटलुक पर 4 सत्र शामिल होंगे; टिकाऊ नारियल सोर्सिंग की ओर बढ़ना; नारियल उत्पादों के लिए वैश्विक बाजार संभावनाएँ और विकास संभावनाएँ; और नारियल क्षेत्र में नवीन उद्योग पद्धतियां और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग।
27 February PIB :- Download PDF Here
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