विषयसूची:
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1.यूरोपीय संघ-भारत मिलकर स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी के तहत सहयोग को मजबूत करने के लिए सहमत हुए
सामान्य अध्ययन-3
ऊर्जा:
विषय: स्वच्छ ऊर्जा
प्रारंभिक परीक्षा: नवीकरणीय ऊर्जा और यूरोपीय ग्रीन डील पहल के बारे में
संदर्भ:
- केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने नई दिल्ली में यूरोपीय संघ और भारत के बीच स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु भागीदारी के लिए सहयोग पर चर्चा करने हेतु आयोजित बैठक में भाग लिया।
विवरण:
- चर्चा में ऊर्जा दक्षता; अक्षय ऊर्जा, सौर और ऑफशोर विंड, ग्रीन हाइड्रोजन सहित; ऊर्जा भंडारण, ऊर्जा क्षेत्र के लिए वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, जी20 में भारत की अध्यक्षता और क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन पर भारत और यूरोपीय संघ एक दूसरे को कैसे आपस में भागीदार बना सकते हैं, आदि विषय अहम बिंदु रहे।
- बैठक में दुनिया भर के 800 मिलियन लोगों द्वारा ऊर्जा तक पहुंच की कमी की समस्या पर चर्चा की गई।
- विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने स्मरण कराया कि भले ही भारत और यूरोपीय संघ इस सहयोग के माध्यम से प्रगति कर रहे हैं, लेकिन दुनिया की जनसंख्या का एक बड़ा भाग, विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप में, कम ऊर्जा पहुंच से प्रभावित है।
- दोनों पक्षों ने ऊर्जा तक पहुंच के बिना अफ्रीका में लाखों लोगों के लिए सौर ऊर्जा लाने में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की भूमिका पर चर्चा की।
यूरोपीय ग्रीन डील के बारे में:
- यूरोपीय संघ के अनुसार, यूरोपीय ग्रीन डील यूरोपीय संघ को एक आधुनिक, संसाधन-कुशल और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में बदलने का प्रयास करती है, यह सुनिश्चित करती है कि-
- 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों का कोई शुद्ध उत्सर्जन न हो।
- कोई व्यक्ति और कोई जगह पीछे नहीं छूटनी चाहिए।
- अगली पीढ़ी के यूरोपीय संघ रिकवरी प्लान से 1.8 ट्रिलियन यूरो निवेश का एक तिहाई, और यूरोपीय संघ का सात साल का बजट यूरोपीय ग्रीन डील को फंडिंग प्रदान करेगा।
यूरोपीय ग्रीन डील के प्रमुख चरण:
- दिसंबर 2019
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- आयोग ने 2050 तक जलवायु तटस्थता के लिए प्रतिबद्ध यूरोपीय ग्रीन डील प्रस्तुत की।
- मार्च 2020
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- आयोग ने 2050 जलवायु तटस्थता लक्ष्य को बाध्यकारी कानून बनाने के लिए यूरोपीय जलवायु कानून का प्रस्ताव रखा।
- सितंबर 2020
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- आयोग ने 2030 तक शुद्ध उत्सर्जन को कम से कम 55% तक कम करने के लिए नया लक्ष्य निर्धारित किया और इसे यूरोपीय जलवायु कानून में जोड़ने का प्रस्ताव दिया।
- दिसंबर 2020
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- यूरोपीय नेताओं ने 2030 तक शुद्ध उत्सर्जन को कम से कम 55% तक कम करने के आयोग के प्रस्तावित लक्ष्य का समर्थन किया।
- अप्रैल 2021
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- यूरोपीय संसद और सदस्य देशों द्वारा यूरोपीय जलवायु कानून पर राजनीतिक समझौता किया गया।
- जून 2021
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- यूरोपीय जलवायु कानून लागू हुआ।
- जुलाई 2021
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- आयोग ने 2030 के जलवायु लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए अर्थव्यवस्था को बदलने हेतु प्रस्तावों का एक पैकेज प्रस्तुत किया। यूरोपीय संसद और सदस्य देश 2030 के जलवायु लक्ष्य तक पहुंचने के लिए बातचीत करेंगे और कानून के पैकेज को अपनाएंगे।
- सितंबर 2021
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- न्यू यूरोपियन बॉहॉस: न्यू एक्शन एंड फंडिंग की शरुआत की गई।
- अक्टूबर 2022
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- परिषद और यूरोपीय संसद नई कारों और वैन के लिए कड़े CO2 उत्सर्जन प्रदर्शन मानकों पर एक अनंतिम राजनीतिक समझौते पर पहुँचे।
- वर्ष 2030
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- यूरोपीय संघ ने 1990 के स्तर की तुलना में वर्ष 2030 तक उत्सर्जन में कम से कम 55% की कमी लाने पर सहमति जताई है।
- वर्ष 2050
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- यूरोपीय संघ ने वर्ष 2050 तक जलवायु तटस्थ बनने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.भारत-सऊदी अरब द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास अल मोहेद अल हिंदी- 2023:
- भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फोर्स के बीच द्विपक्षीय अभ्यास ‘अल मोहेद अल हिंदी- 2023’ के दूसरे संस्करण का समुद्री चरण 23-25 मई, 2023 को सऊदी अरब के अल जुबैल में आयोजित किया गया।
- भारत की ओर से इस अभ्यास में INS तरकश, INS सुभद्रा और डोर्नियर मैरीटाइम पेट्रोल एयरक्राफ्ट ने हिस्सा लिया। वहीं, रॉयल सऊदी नेवल फोर्स का प्रतिनिधित्व HMS बद्र व अब्दुल अजीज, MH60R हेलो और UAV द्वारा किया गया।
- समुद्र में आयोजित इस तीन दिवसीय अभ्यास में समुद्री परिचालनों की एक व्यापक पहुंच देखी गई।
- इस अभ्यास का समापन समुद्र में डीब्रीफ (अभ्यास पूरा होने पर सवाल-जवाब) के साथ हुआ और उसके बाद पारंपरिक स्टीम पास्ट हुआ।
- ‘अल मोहेद अल हिंदी- 2023’ के सफल आयोजन ने दोनों नौसेनाओं के बीच उच्च स्तर की पेशेवरता, अंतरपरिचालनीयता और सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों के आदान-प्रदान को प्रदर्शित किया।
- इस द्विपक्षीय अभ्यास ने अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया है। दोनों पक्ष इसके अगले संस्करण में इसे और अधिक उन्नत स्तर पर ले जाने की सोच रखते हैं।
2.रिवॉर्ड कार्यक्रम:
- भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग के सचिव ने नवोन्मेषी विकास कार्यक्रम के माध्यम से कृषि अनुकूलता के लिए विश्व बैंक से सहायता प्राप्त कायाकल्प जल-संभर (रिवार्ड) के कार्यान्वयन सहायता मिशन की समीक्षा की।
- रिवार्ड विश्व बैंक से सहायता प्राप्त एक जल-संभर विकास कार्यक्रम है, जिसे 2021 से 2026 तक कार्यान्वित किया जा रहा है।
- रिवार्ड कार्यक्रम का विकास उद्देश्य “किसानों की अनुकूलता बढ़ाने और सहभागी राज्यों के चयनित जल-संभरों में मूल्य श्रृंखलाओं की सहायता करने हेतु उन्नत जल-संभर प्रबंधन को अपनाने के लिए राष्ट्रीय और राज्य संस्थानों की क्षमताओं को सुदृढ़ बनाना है।”
- इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग और कर्नाटक तथा ओडिशा राज्यों में आधुनिक जल-संभर प्रथाओं को लागू करने के लिए किया जा रहा है।
- रिवार्ड कार्यक्रम का कुल बजट परिव्यय 4.5 वर्ष की कार्यक्रम अवधि में 167.71 मिलियन डॉलर है। इसमें विश्व बैंक से 115 मिलियन डॉलर [कर्नाटक (60 मिलियन डॉलर), ओडिशा (49 मिलियन डॉलर) और भूमि संसाधन विभाग (6 मिलियन डॉलर)], दो भाग लेने वाले राज्यों [कर्नाटक (25.71 डॉलर) और ओडिशा (21.0 मिलियन डॉलर) से 46.71 मिलियन डॉलर और भूमि संसाधन विभाग से 6 मिलियन डॉलर)] शामिल हैं।
- विश्व बैंक और राज्यों के बीच वित्तपोषण पैटर्न का अनुपात 70:30 है, जबकि विश्व बैंक और भूमि संसाधन विभाग के बीच यह 50:50 है।
- केंद्रीय स्तर पर, रिवार्ड कार्यक्रम के दायरे में भूमि संसाधन विभाग द्वारा प्रबंधन, निगरानी, संचार और ज्ञान साझा करने के कार्य शामिल हैं।
- राज्य स्तर पर रिवार्ड कार्यक्रम WDC-PMKSY 2.0 के दायरे में सन्निहित होगा और प्रमुख विज्ञान-आधारित कार्यकलापों और प्रदर्शनों के कार्यान्वयन की सहायता करेगा, जिसका उद्देश्य अंततोगत्वा भारत के अन्य राज्यों में WDC-PMKSY 2.0 के व्यापक परिप्रेक्ष्य को समन्वित करना है।
27 May PIB :- Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 26 May 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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