विषयसूची:
|
1. भारत- अफ्रीका संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘ऐफइंडेक्स -23’ पुणे स्थित औंध के विदेशी प्रशिक्षण नोड में संपन्न
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘ऐफइंडेक्स -23’
प्रसंग:
- अफ्रीका- भारत का संयुक्त सैन्य अभ्यास प्रक्षेत्र प्रशिक्षण अभ्यास (ऐफइंडेक्स-23) का दूसरा संस्करण पुणे स्थित औंध के विदेशी प्रशिक्षण नोड में संपन्न हुआ।
उद्देश्य:
- अभ्यास का उद्देश्य सकारात्मक सैन्य संबंधों का निर्माण करना, एक-दूसरे की सर्वश्रेष्ठ कार्य योजनाओं को आत्मसात करना और संयक्त राष्ट्रसंघ के अधिदेश के तहत मानवतावादी माइन कार्रवाई और शांति वाहिनी प्रचालनों का निष्पादन करना था।
विवरण:
- ऐफइंडेक्स-23 का आयोजन 16 मार्च से 29 मार्च 2023 तक किया गया था।
- 124 प्रतिभागियों के साथ अफ्रीकी महाद्वीप के कुल 25 देशों तथा भारत की सिख, मराठा और महार रेजीमेंटों के सैनिकों ने बहुराष्ट्रीय अभ्यास में सहभागिता की।
- यह संयुक्त सैन्य अभ्यास ,सेनाओं के इस प्रकार के अभियानों का संचालन करते समय कार्यप्रणाली और रणनीति सीखने तथा उन्हें अपनाने में सेनाओं को सक्षम बनाएगा।
- इसके अतिरिक्त, यह सैन्य अभ्यास शांति वाहिनी अभियानों को आरंभ करते समय सहयोग के नियमों की सही व्याख्या करने में सैन्य बलों की सहायता करेगा।
- अभ्यास के दौरान सृजित सौजन्यता, भावना और सद्भावना एक दूसरे के संगठन और विभिन्न अभियानों को संचालन की कार्यप्रणाली को समझने में सक्षम बनाने के द्वारा सेनाओं के बीच के संबंध को और सुदृढ़ बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाएगी।
- यह अभ्यास भविष्य में भारतीय और अफ्रीकी सेनाओं के बीच और अधिक सहयोग बढ़ाने के लिए एक अग्रदूत है।
- अभ्यास के दौरान एक ‘इक्विपमेंट डिस्प्ले’ का आयोजन किया गया जिसमें ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 32 उद्योगों के विनिर्मित्त 75 स्वदेशी उत्पादों को प्रदर्शित किया गया।
2. रक्षा मंत्रालय ने बीईएल के साथ 2,400 करोड़ रुपये के दो अनुबंध किए:
सामान्य अध्ययन: 3
रक्षा:
विषय: रक्षा प्रौद्योगिकी मिशन।
प्रारंभिक परीक्षा:’प्रोजेक्ट आकाशतीर’,सारंग प्रणाली।
प्रसंग:
- आत्मनिर्भर भारत: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली ‘प्रोजेक्ट आकाशतीर’ और भारतीय नौसेना के लिए सारंग इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर प्रणाली की खरीद के लिए बीईएल के साथ 2,400 करोड़ रुपये के दो अनुबंध किए हैं।
उद्देश्य:
- इन अनुबंधों का उद्देश्य देश की रक्षा क्षमता को बढ़ाना है।
विवरण:
- रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने के क्रम में 29 मार्च, 2023 को लगभग 5,400 करोड़ रुपये के तीन अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए।
- इनमें दो अनुबंध गाजियाबाद स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और एक न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ किए गए हैं।
- बीईएल के साथ पहला अनुबंध भारतीय सेना के लिए 1,982 करोड़ रुपये की लागत से स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली ‘प्रोजेक्ट आकाशतीर’ की खरीद से संबंधित है।
- वहीं, बीईएल के साथ दूसरा अनुबंध भारतीय नौसेना के लिए 412 करोड़ रुपये की कुल लागत पर हैदराबाद स्थित बीईएल से संबंधित इंजीनियरिंग सपोर्ट पैकेज के साथ सारंग इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर (ESM) सिस्टम के अधिग्रहण से संबंधित है।
- इसके अलावा अंतरिक्ष विभाग के तहत बेंगलुरू स्थित एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम- एनएसआईएल के साथ अनुबंध 2,963 करोड़ रुपये की कुल लागत से एक उन्नत संचार उपग्रह- जीसैट- 7बी की खरीद से संबंधित है।
- यह भारतीय सेना को तीव्र गति के साथ सेवाएं प्रदान करेगा।
- ये सभी परियोजनाएं खरीद {भारतीय-आईडीएमएम (स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित)} श्रेणी के तहत हैं।
प्रोजेक्ट आकाशतीर:
-
- स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली ‘प्रोजेक्ट आकाशतीर’ भारतीय सेना की वायु रक्षा इकाइयों को एकीकृत तौर पर प्रभावी ढंग से परिचालित करने के लिए एक स्वदेशी और अत्याधुनिक क्षमता के साथ सशक्त बनाएगी।
- आकाशतीर, भारतीय सेना के युद्ध क्षेत्रों में कम ऊंचाई पर स्थित हवाई क्षेत्र की निगरानी करने में सक्षम होगा और जमीन आधारित वायु रक्षा हथियार प्रणालियों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करेगा।
सारंग प्रणाली:
- सारंग भारतीय नौसेना के हेलीकाप्टरों के लिए एक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर प्रणाली है।
-
- हैदराबाद स्थित रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला ने समुद्रिका कार्यक्रम के तहत स्वदेशी रूप से डिजाइन करने के साथ इसे विकसित किया है।
- यह योजना तीन वर्षों की अवधि में लगभग दो लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित करेगी।
- दोनों परियोजनाएं एमएसएमई सहित भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स और संबद्ध उद्योगों, जो बीईएल के उप विक्रेता हैं, की भागीदारी को प्रोत्साहित करेंगी।
उन्नत संचार उपग्रह:
- यह उपग्रह सैनिकों व संरचनाओं के साथ-साथ हथियार और हवाई प्लेटफार्मों को दृष्टिरेखीय संचार से आगे पहुंच प्रदान करके भारतीय सेना की संचार क्षमता में काफी बढ़ोतरी करेगा।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) इस भू-स्थानिक उपग्रह को, जो कि पांच टन की श्रेणी में अपनी तरह का पहला उपग्रह है, स्वदेशी रूप से विकसित करेगा।
- प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ की सोच के अनुरूप निजी भारतीय अंतरिक्ष उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई पुर्जे व उप-संयोजन (सब-असेंबली) और प्रणालियां स्वदेशी निर्माताओं, जिनमें एमएसएमई और स्टार्ट-अप शामिल हैं, से खरीदी जाएंगी।
- यह परियोजना 3.5 साल की अवधि में लगभग तीन लाख मानव-दिवस का रोजगार सृजित करेगी।
3. भारतीय तटरक्षक ने आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में क्षेत्रीय खोज और बचाव (एसएआर) अभ्यास का आयोजन किया:
सामान्य अध्ययन: 3
सुरक्षा:
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियां और उनका जनादेश।
प्रारंभिक परीक्षा: कृष्णा गोदावरी बेसिन,क्षेत्रीय खोज और बचाव (एसएआर) अभ्यास।
प्रसंग:
- भारतीय तट रक्षक ने 28 से 29 मार्च 2023 के दौरान आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में क्षेत्रीय स्तर पर खोज और बचाव अभ्यास का संचालन किया।
उद्देश्य:
- इस अभ्यास को आयोजित करने का उद्देश्य एक वास्तविक समकालीन समुद्री आपदा जैसी कृत्रिम स्थिति तैयार करना और बड़े पैमाने पर बचाव अभियान संचालित करने के उद्देश्य से खोज एवं बचाव (SAR) संगठन की कार्य पद्धतियों को उजागर करना था।
विवरण:
- इस अभ्यास में किसी भी एम-एसएआर (समुद्री खोज एवं बचाव) आकस्मिक घटना से निपटने के लिए उपलब्ध संसाधनों के कुशलतापूर्वक इस्तेमाल के साथ-साथ सभी हितधारकों को प्रभावी ढंग से शामिल किया गया।
- इस अभ्यास के दौरान सैकड़ों यात्रियों को ले जाने वाले एक अपतटीय सहायता जहाज (ओएसवी) के माध्यम कृत्रिम परिस्थितियों का अनुकरण किया गया, जिसने काकीनाडा के जहाज पर एक बड़ी आग लगने की जानकारी दी।
- अभ्यास के एक भाग के रूप में समुद्री बचाव उप केंद्र (एमआरएससी) काकीनाडा ने संकट में फंसे लोगों का जीवन बचाने के लिए सभी संसाधन एजेंसियों के साथ समन्वय किया।
- समुद्र में अभ्यास संचालन में सहयोग करने के लिए राज्य आपदा आकस्मिक व्यवस्था भी लागू की गई।
- इस अभ्यास के दौरान संकटग्रस्त पोत के बाहरी हिस्से में लगी आग से निपटान, जहाज खाली करने का अभ्यास, बचाव नौका को तैनात करना, जेसन क्रैडल को नीचे उतारना, आपातकाल में बड़े जाल का इस्तेमाल, लाइफ राफ्ट की सहायता, लाइफ बॉय की मदद, ड्रोन द्वारा निगरानी, हेलीकॉप्टर द्वारा हताहतों का बचाव तथा अन्य चिकित्सा प्रबंधन कार्यक्रम आयोजित किए गए।
- तटीय तैयारियों में आकस्मिक कमांड पोस्ट की स्थापना, हताहतों के इलाज के लिए आपातकाल में कार्यवाही की प्राथमिकता का निर्धारण और गंभीर हताहतों के प्रबंधन के लिए आवश्यक सुविधाएं शामिल की गई थीं।
- कृष्णा गोदावरी बेसिन में बड़े पैमाने पर अन्वेषण एवं कामकाजी गतिविधियों को ध्यान में रखते हुए अभ्यास करने के लिए काकीनाडा के समुद्री क्षेत्र को अभ्यास स्थल के रूप में चुना गया था।
- यह इलाका बड़े पैमाने पर खोज एवं बचाव प्रतिक्रिया की आवश्यकता वाले आपात स्थिति के क्षेत्र का संभावित स्थान है।
- दो दिन तक चलने वाली इस अभ्यास गतिविधि और बड़े पैमाने पर सामूहिक बचाव अभियान (एमआरओ) में सदस्य एजेंसियों के बीच सहयोग एवं समन्वय को बढ़ावा देने, ज्ञान व समझ को विस्तार देने का अभ्यास किया गया, क्योंकि यह महत्वपूर्ण है कि किसी भी अभियान में केवल एक एजेंसी के प्रयास पर्याप्त नहीं हो सकते हैं।
4. पारंपरिक चिकित्सा को प्रोत्साहित करने के लिए 25 देश एक साथ आए:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: SCO
मुख्य परीक्षा:भारत की एससीओ अध्यक्षता के दौरान भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- भारत की एससीओ अध्यक्षता में आयुष मंत्रालय के तत्वावधान में हाल में गुवाहाटी में राष्ट्रीय आरोग्य शिखर सम्मेलन के साथ-साथ बी2बी सम्मेलन तथा एक्सपो का आयोजन किया गया।
उद्देश्य:
- इस आयोजन से पारंपरिक चिकित्सा को प्रोत्साहित करने के लिए 25 देश सफलतापूर्वक एक साथ आए, ताकि वह आर्थिक विकास, पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकें तथा एससीओ देशों के बीच स्वास्थ्य सुरक्षा के लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।
विवरण:
- एससीओ बी2बी सम्मेलन से अलग आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद तथा पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग पर म्यांमार के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की।
- इसके लिए आयुष मंत्रालय और म्यांमार के स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच 29 अगस्त 2016 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- यह समझौता ज्ञापन स्वत: 28 अगस्त, 2026 तक बढ़ गया है और मान्य है।
- बी2बी सम्मेलन का आयोजन “सुरक्षित” एससीओ की विषय के अनुरूप किया गया था, जहां ‘एस’ का अर्थ नागरिकों के लिए सुरक्षा, ‘ई’ का अर्थ आर्थिक विकास, ‘सी’ का अर्थ कनेक्टिविटी, ‘यू’ का अर्थ एकता, ‘आर’ का अर्थ संप्रभुता और प्रादेशिक एकता तथा ‘ई’ पर्यावरण संरक्षण है।
इन विषयों को भारत में एससीओ कार्यक्रमों के दौरान निम्न तरीके से कवर किया गया था :
- एससीओ देशों ने पारंपरिक चिकित्सा, एससीओ देशों के अंदर पारंपरिक चिकित्सा के लिए व्यापार को आसान बनाने तथा पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने से संबंधित विषयों पर एक साथ विचार किया।
- एससीओ देशों के बीच स्वास्थ्य सुरक्षा लक्ष्य प्राप्ति के लिए इन विषयों पर चर्चा की गई, जो एससीओ की सुरक्षा (स्वास्थ्य) विषय से संबंधित है।
- आर्थिक विकास के विषय को ध्यान में रखते हुए, कार्यक्रम के दौरान 590 करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष व्यापार हित के साथ 10 एलओआई प्राप्त हुए।
- इसी तरह अन्य एससीओ देशों के लिए भी अवसर उपलब्ध होंगे।
पारंपरिक चिकित्सा के विकास के प्रमुख एजेंडे पर विचार के लिए 16 एससीओ देशों को एक छतरी के नीचे लाया गया और इसके सक्रिय प्रोत्साहन ने एससीओ के कनेक्टिविटी विषय को उजागर किया।
- एससीओ के सदस्य देशों के विशेषज्ञों के बीच एससीओ के अंतर्गत टीएम पर ईडब्ल्यूजी के विनियमों पर आम सहमति विकसित की गई थी जो एससीओ की एकता विषय से संबंधित है।
- आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम न केवल भारत की अध्यक्षता में एससीओ विचार-विमर्श तथा सहयोग प्रयासों में एक मुकुटमणि था, बल्कि इसने वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र में एससीओ देशों के बीच विकास और तालमेल की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला।
पृष्ठ्भूमि
- भारत को 2017 में एससीओ की पूर्ण सदस्यता मिली।
- 17 सितंबर 2022 को उज्बेकिस्तान के समरकंद में वर्ष 2023 के लिए एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद की अध्यक्षता ग्रहण करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि भारत पारंपरिक चिकित्सा पर नए एससीओ विशेषज्ञ कार्य समूह के लिए पहल करेगा।
- इसी के अनुरूप, आयुष मंत्रालय ने भारत की एससीओ अध्यक्षता के दौरान पारंपरिक चिकित्सा पर अनेक पहल की हैं।
- इनमें पारंपरिक चिकित्सा के विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों के वर्चुअल सम्मेलन का आयोजन, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा पर प्रारूप विनियमों को विशेषज्ञ स्तर पर स्वीकृत किया गया तथा आगे अन्य संबंधित देश प्रशासनिक प्रक्रियाओं के अधीन होंगे और अंतत: राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में अपनाया जाएगा।
- इस कारण गुवाहाटी एससीओ बी2बी सम्मेलन तथा एक्सपो का महत्व बढ़ गया है और यह सफलतापूर्वक गति पकड़ सकता है।
5. दूसरी जी-20 शेरपा बैठक केरल के कुमारकोम में होगी:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: जी-20
मुख्य परीक्षा: शेरपा बैठक के महत्व ।
प्रसंग:
- भारत के जी-20 शेरपा श्री अमिताभ कांत की अध्यक्षता में भारत की जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत दूसरी जी-20 शेरपा बैठक 30 मार्च से 2 अप्रैल, 2023 तक केरल के कुमारकोम के सुरम्य गांव में होने जा रही है।
उद्देश्य:
- चार दिवसीय बैठक में जी-20 के सदस्य, 9 आमंत्रित देश, और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठन के 120 से अधिक प्रतिनिधि, जी- 20 की आर्थिक और विकासात्मक प्राथमिकताओं के साथ-साथ समकालीन वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने पर बहुपक्षीय विचार विमर्श करेंगे।
- यह चर्चा नीतिगत दृष्टिकोण और ठोस कार्यान्वयन दोनों पर केंद्रित होगी।
विवरण:
- दूसरी शेरपा बैठक वैश्विक चिंता के कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करेगी और शेरपा ट्रैक के भीतर 13 कार्यकारी समूहों के तहत किए जा रहे कार्यों को शामिल करेगी।
- शेरपा बैठक के विचार-विमर्श के दौरान विभिन्न शेरपा ट्रैक और वित्त ट्रैक बैठकों के परिणामों को आगे बढाया जाएगा और सितंबर 2023 में नई दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में अपनाए जाने वाले नेताओं की घोषणा का आधार तैयार करेंगे।
- भारत ने आज की विविध वैश्विक चुनौतियों, विकासशील देशों की चिंताओं के साथ-साथ साझा अंतरराष्ट्रीय एजेंडा, विशेष रूप से विकास और पर्यावरण एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए सामूहिक कार्रवाई के लिए तेज़ गति से काम करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए अपनी जी-20 प्राथमिकताओं का चयन किया है।
- इस संदर्भ में, भारत का जी-20 विषय “वसुधैव कुटुम्बकम” – “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” जी20 के व्यापक समर्थन को प्रेरित करने और निर्णायक, महत्वाकांक्षी, समावेशी और कार्रवाई-उन्मुख परिणामों पर पहुंचने के लिए साझा दृष्टिकोण को उपयुक्त रूप से समाहित करता है।
- इस तरह के परिणामों के लिए जी-20 को एक साथ आने और आशा जगाने के लिए एक परिवार के रूप में कार्य करने की आवश्यकता होती है।
- भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान चल रहे विचार-विमर्श में हरित विकास, जलवायु वित्त और पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली (एलआईएफई); त्वरित, समावेशी और सुलभ विकास; सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर त्वरित प्रगति; तकनीकी परिवर्तन और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना; 21वीं सदी के लिए बहुपक्षीय संस्थान और महिलाओं के नेतृत्व में विकास पर चर्चा की जाएगी।
- यह बैठक 30 मार्च 2023 को दो उच्च स्तरीय सह-आयोजनों (i) डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई); और (ii) हरित विकास के साथ शुरू होगी।
- नैस्कॉम, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और डिजिटल इम्पैक्ट एलायंस (डीआईएएल) के साथ साझेदारी में आयोजित होने वाला डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर सह-आयोजन, सभी जी-20 प्रतिनिधियों के लिए एक व्यापक डिजिटल अनुभव के साथ शुरू होगा।
- भारत के जी-20 शेरपा श्री अमिताभ कांत जी-20 के तीन देशों के समूह, जिसमें भारत, इंडोनेशिया और ब्राजील शामिल हैं, के साथ भी चर्चा का नेतृत्व करेंगे।
- श्री अमिताभ कांत जी-20 शेरपाओं और जी-20 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों, आमंत्रितों और उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं (ईएमई) सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ ग्लोबल साउथ के साथ-साथ उन्नत अर्थव्यवस्थाओं (एई) से संबंधित मुद्दों और पारस्परिक रूप से लाभप्रद तरीके पर साझा प्राथमिकताओं के बारे में विचार-विमर्श करेंगे।
6. अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए योजना:
सामान्य अध्ययन: 2
सामाजिक न्याय:
विषय:केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन।
मुख्य परीक्षा:छह (6) अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए देश भर में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं का विवरण दीजिए।
प्रसंग:
- सरकार कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास और ग्रामीण विकास मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से समाज के आर्थिक रूप से कमजोर और कम विशेषाधिकार प्राप्त वर्गों सहित हर तबके के कल्याण और उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू करती है।
विवरण:
- अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय केंद्रीय रूप से अधिसूचित छह (6) अल्पसंख्यक समुदायों के सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए विशेष रूप से देश भर में विभिन्न योजनाओं को लागू करता है।
मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजनाएं/कार्यक्रम निम्नानुसार हैं:
(ए) शैक्षिक अधिकारिता योजनाएं:
(1) प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना
(2) पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना
(3) योग्यता-सह-साधन आधारित छात्रवृत्ति योजना
(बी) रोजगार और आर्थिक अधिकारिता योजनाएं:
(4) प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (PMVIKAS)
(5) अल्पसंख्यकों को रियायती ऋण प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास और वित्त निगम (एनएमडीएफसी) को इक्विटी।
(सी) विशेष योजनाएं:
(6) जियो पारसी: भारत में पारसियों की जनसंख्या में गिरावट को उलटने की योजना।
(7) कौमी वक्फ बोर्ड तारक़क़ियाती स्कीम (QWBTS) और शहरी वक़्फ़ संपत्ति विकास योजना (SWSVY)।
(डी) बुनियादी ढांचा विकास योजनाएं
(8) प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके)
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.‘एस्ट्रो नाइट स्काई टूरिज्म’:
- प्रधानमंत्री ने गोवा विज्ञान केंद्र और तारामंडल द्वारा ‘एस्ट्रो नाइट स्काई टूरिज्म’ को बढ़ावा देने के प्रयासों की सराहना की है।
- उल्लेखनीय है कि टेलीस्कोप के माध्यम से रात्रि के समय आकाश का अवलोकन करने का अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करने के लिए बड़ी संख्या में लोग मीरामार बीच पर आया करते हैं।
- कुछ साल पहले प्रधानमंत्री ने‘मन की बात’ कार्यक्रम के एक एपिसोड के दौरान खगोलशास्त्र में भारत की समृद्ध विरासत के बारे में भी चर्चा की थी।
2. सहकारी समितियों के लिए राष्ट्रीय डेटाबेस:
- सहकारिता मंत्रालय ने विभिन्न क्षेत्रों की सहकारी समितियों के बारे में सूचना तक एकल बिंदु पहुंच प्रदान करने के लिए भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (NCUI) के साथ एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस बनाने की प्रक्रिया शुरू की है।
- राज्य सरकारों, राष्ट्रीय सहकारी संघों, संबंधित संस्थानों और अन्य हितधारकों के साथ कई दौर के परामर्श के बाद, क्षेत्र-विशिष्ट डेटा फ़ील्ड्स को मैप किया गया है।
- डेटाबेस के सत्यापन, रखरखाव, विस्तार और नियमित अद्यतन के लिए भी प्रावधान किया गया है।
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस को चरणबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
- चरण-I के तहत, तीन क्षेत्रों यानी प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS), डेयरी और मत्स्य पालन में कार्यरत लगभग 2.63 लाख प्राथमिक सहकारी समितियों की मैपिंग पूरी कर ली गई है।
- डेटाबेस को जुलाई, 2023 तक अन्य सभी क्षेत्रों की सहकारी समितियों तक विस्तारित किए जाने की उम्मीद है।
- डेटाबेस सहकारी क्षेत्र के लिए उपयुक्त नीतियों की योजना, निर्माण और कार्यान्वयन में हितधारकों की सुविधा प्रदान करेगा।
इसके साथ ही बजट घोषणा 2023-24 के अनुसार, सहकारी समितियों के लिए निम्नलिखित आयकर संबंधी लाभ प्रस्तावित किए जा रहे हैं:
- 01.04.2023 को या उसके बाद गठित नई सहकारी समिति, जो 31.03.2024 तक निर्माण या उत्पादन शुरू करती है और किसी भी निर्दिष्ट प्रोत्साहन या कटौती का लाभ नहीं उठाती है,को 15 की रियायती दर पर कर का भुगतान करने के विकल्प की अनुमति देने का प्रस्ताव है।
- इस घोषणा से निर्माण/उत्पादन गतिविधियों में लगी नई सहकारी समितियों को लाभ होगा।
3. न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम:
- सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों के दौरान कार्यान्वयन के लिए “न्यू इंडिया लिटरेसी प्रोग्राम” (NILP) नाम से एक नई केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की है।
- इसका उदेशय 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के 5.00 करोड़ निरक्षरों को कवर करना हैं।
- कुल 1037.90 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय के साथ, जिसमें से 700.00 करोड़ रुपये केंद्रीय हिस्सा है और 337.90 करोड़ रुपये राज्य का हिस्सा है।
- इस योजना का लक्ष्य 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के 5.00 करोड़ निरक्षरों को कवर करना है।
योजना के पांच घटक हैं: (i) मूलभूत साक्षरता और अंकज्ञान, (ii) महत्वपूर्ण जीवन कौशल, (iii) व्यावसायिक कौशल विकास, (iv) बुनियादी शिक्षा और (v) सतत शिक्षा।
- इस योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा मोबाइल ऐप पर घर-घर जाकर सर्वेक्षण के माध्यम से की जाती है।
- अशिक्षित भी मोबाइल एप के माध्यम से किसी भी स्थान से सीधे पंजीकरण कराकर योजना का लाभ उठा सकता है।
- यह योजना मुख्य रूप से शिक्षण और सीखने के लिए स्वयंसेवा पर आधारित है।
- इस योजना के तहत लाभार्थियों की पहचान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा मोबाइल ऐप पर घर-घर जाकर सर्वेक्षण के माध्यम से की जाती है।
- यह योजना प्रौद्योगिकी पर आधारित है और मुख्य रूप से ऑनलाइन मोड के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है।
- शिक्षण अधिगम सामग्री और संसाधन एनसीईआरटी के दीक्षा मंच (DIKSHA platform) पर उपलब्ध कराए गए हैं और मोबाइल-एप्स के माध्यम से इसका उपयोग किया जा सकता है।
- बुनियादी साक्षरता और अंक ज्ञान के प्रसार के लिए टीवी, रेडियो, सामाजिक चेतना केंद्र आदि जैसे अन्य साधनों का भी उपयोग किया जाना है।
- 15 वर्ष से अधिक आयु के सभी असाक्षर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
4. वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही के लिए सरकार की उधार योजना:
- भारत सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के परामर्श से वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही (H1) के लिए अपने उधार कार्यक्रम को अंतिम रूप दे दिया है।
- केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित 15.43 लाख करोड़ रुपये की सकल बाजार उधारी में से पहली छमाही (H1) में 8.88 लाख करोड़ रुपये (57.55%) उधार लेने की योजना है।
- उधारी को 31,000-39,000 करोड़ रुपये के 26 साप्ताहिक चरणों में पूरा किया जाना निर्धारित है।
- वित्त वर्ष 2023-24 की दूसरी छमाही (H2) में सॉवरेन ग्रीन बॉन्ड जारी करने की घोषणा की जाएगी।
- सरकार रिडेम्पशन प्रोफाइल को आसान बनाने के लिए स्विच ऑपरेशन जारी रखेगी।
- सरकारी खाते में अस्थायी बेमेल का ध्यान रखने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही के लिए वेज एंड मीन एडवांस (WMA) की सीमा 1,50,000 करोड़ रुपये तय की है।
5. राष्ट्रीय जांच एजेंसी National Investigation Agency (NIA):
- आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार नियमित रूप से राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की प्रशासनिक और कानूनी आवश्यकताओं की समीक्षा करती है और इसे अधिक प्रभावी और पेशेवर तरीके से अपने जनादेश का निर्वहन करने में सक्षम बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाती है।
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने एनआईए की क्षमता बढ़ाने की दिशा में 2019 से कई उपाय किए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नानुसार शामिल हैं:
- NIA, जिसका मुख्यालय (मुख्यालय) नई दिल्ली में है, के देश में 18 शाखा कार्यालय हैं।
- उनमें से, चंडीगढ़, रांची, इंफाल, चेन्नई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, पटना, जयपुर, भोपाल और भुवनेश्वर में 10 शाखा कार्यालय, अतिरिक्त 481 पदों के साथ जुलाई, 2019 से सृजित किए गए हैं।
- एनआईए मुख्यालय में दो डिवीजनों की स्थापना के लिए 142 अतिरिक्त पद स्वीकृत किए गए हैं। जिसमे एक मानव तस्करी के मामलों की जांच और निगरानी के लिए और दूसरा साइबर आतंकवाद, विस्फोटक और प्रतिबंधित हथियारों के अपराधों की जांच के लिए हैं ।
- मानव तस्करी, निषिद्ध हथियारों के निर्माण/बिक्री, साइबर आतंकवाद और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908 के तहत अपराधों से संबंधित अपराधों को शामिल करके एनआईए अधिनियम को वर्ष 2019 में संशोधित किया गया था और भारत से बाहर इसके अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया गया था।
- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 को वर्ष 2019 में संशोधित किया गया था ताकि एनआईए द्वारा जांच किए जा रहे मामलों में आतंकवाद की आय से संबंधित संपत्तियों को जब्त/अटैच करने के लिए महानिदेशक (डीजी), एनआईए को सशक्त बनाया जा सके।
- उपकरण और कौशल के मामले में वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता के लिए शीघ्र अनुमोदन प्रदान करके एनआईए की क्षमता वृद्धि सुनिश्चित की गई है।
- एनआईए को अधिक स्वायत्तता और स्वतंत्रता देने के लिए, सलाहकारों/विशेषज्ञों/पेशेवरों को नियुक्त करने के लिए डीजी, एनआईए को सौंपी गई वित्तीय शक्तियों में काफी वृद्धि की गई है।
6. साइबर क्राइम के खिलाफ लड़ाई:
- भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘पुलिस’ और ‘लोक व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं।
- राज्य/केंद्र शासित प्रदेश साइबर अपराध के खतरे से निपटने के लिए पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं की तैनाती, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी गैजेट्स, जनशक्ति और पुलिस कर्मियों के प्रशिक्षण के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
- केंद्र सरकार राज्य सरकारों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों (Law Enforcement Agencies (LEAs)) की क्षमता निर्माण के लिए सलाह और योजनाओं के माध्यम से उनकी पहल को पूरा करती है।
- व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए तंत्र को मजबूत करने के लिए, केंद्र सरकार ने साइबर अपराधों के बारे में जागरूकता फैलाने, अलर्ट/परामर्श जारी करने, क्षमता निर्माण/कानून प्रवर्तन कर्मियों/अभियोजकों/न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण, साइबर फोरेंसिक सुविधाएं एवं सुधार के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
- सरकार ने व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए एलईए के लिए एक ढांचा और पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करने के लिए ‘भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र’ (‘Indian Cyber Crime Coordination Centre’ (I4C)) की स्थापना की है।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के एलईए के बीच समन्वय ढांचे को बढ़ाने के लिए बोर्डिंग राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा साइबर क्राइम हॉटस्पॉट्स/बहु-न्यायिक मुद्दों वाले क्षेत्रों के आधार पर पूरे देश को कवर करते हुए I4C के तहत सात संयुक्त साइबर समन्वय टीमों का गठन किया गया है।
- कानून प्रवर्तन एजेंसियां साइबर अपराधों से निपटने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के प्रावधानों का उपयोग करती हैं।
लिंक किए गए लेख में 28 मार्च 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
सम्बंधित लिंक्स:
Comments