विषयसूची:
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प्रधानमंत्री ने सी-295 परिवहन विमान निर्माण संयंत्र का शिलान्यास किया:
सामान्य अध्ययन: 3
प्रोधोगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: सी-295 परिवहन विमान से संबंधित तथ्य।
प्रसंग:
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प्रधानमंत्री ने 30 अक्टूबर, 2022 को गुजरात के वडोदरा में सी-295 परिवहन विमान निर्माण संयंत्र- निजी क्षेत्र में देश का पहला- का शिलान्यास किया।
उद्देश्य:
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यह संयंत्र टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस एस.ए, स्पेन के बीच सहयोग के माध्यम से भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए सी-295 विमान का निर्माण करेगा।
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40 विमान टाटा कंसोर्टियम एवं एयरबस डिफेंस द्वारा भारत में बनाए जाएंगे; बहु-भूमिका वाले सी-295 विमान सभी मौसमों में दिन के साथ-साथ रात में भी उड़ान भर सकते हैं; त्वरित प्रतिक्रिया देने और सैनिकों/कार्गों को उतारने की सुविधा से सुसज्जित है।
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यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में एक सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा।
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इस परियोजना की कुल लागत 21,935 करोड़ रुपये है। इस विमान का इस्तेमाल नागरिक उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है।
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इस परियोजना से 100 से अधिक एमएसएमई भी जुड़े हुए हैं।
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‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द ग्लोब’ के वादे को इस जमीन से नई गति मिलेगी, क्योंकि यह परियोजना भविष्य में अन्य देशों से निर्यात के लिए ऑर्डर लेने में सक्षम होगी।
विवरण:
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इस विनिर्माण संयंत्र में देश के रक्षा और परिवहन क्षेत्र को बदलने की ताकत है।
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यह पहली बार है कि भारतीय रक्षा क्षेत्र में इतना बड़ा निवेश हो रहा है।
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यहां बनने वाले ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट हमारी सेना को तो ताकत देंगे ही, इससे एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक नए इकोसिस्टम का भी विकास होगा।
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वडोदरा जो एक सांस्कृतिक और शिक्षा के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है, अब एक विमानन क्षेत्र के हब के रूप में एक नई पहचान विकसित करेगा।
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भारत के तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र के बारे में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया का सबसे तेजी से विकसित होता विमानन क्षेत्र आज भारत में है।
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एयर ट्रैफिक के मामले में हम दुनिया के शीर्ष तीन देशों में पहुंचने वाले हैं।
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‘उड़ान’ योजना कई यात्रियों को हवाई यात्रियों में बदलने में मदद कर रही है।
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यात्री और मालवाहक विमानों की बढ़ती मांग भारत को अगले 15 वर्षों में 2000 से अधिक विमानों की आवश्यकता होगी।
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पिछले आठ वर्षों में, 160 से अधिक देशों की कंपनियों ने भारत में निवेश किया है। इस तरह के विदेशी निवेश कुछ उद्योगों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था के 61 क्षेत्रों में फैले हुए हैं और भारत के 31 राज्यों को कवर करते हैं।
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अकेले एयरोस्पेस क्षेत्र में 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया गया है।
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इस क्षेत्र में निवेश वर्ष 2000 से 2014 के दौरान किए गए निवेश से 5 गुना बढ़ गया।
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आने वाले वर्षों में, रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र आत्मनिर्भर भारत अभियान के महत्वपूर्ण स्तंभ बनने जा रहे हैं।
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सरकार का लक्ष्य 2025 तक अपने रक्षा निर्माण को 25 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक करना है। हमारा रक्षा निर्यात भी 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगा।
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उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में विकसित किए जा रहे रक्षा गलियारों से इस क्षेत्र को बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।
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रक्षा मंत्री ने सी-295 को बेहतर क्षमताओं और वैश्विक मानकों से लैस एक अत्याधुनिक विमान बताया, जो भारतीय वायुसेना की सैन्य क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि करेगा।
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“यह अत्यंत महत्वपूर्ण और बड़े गर्व की बात है कि ये सभी 56 विमानों भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस होंगे।
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देश भर के सैकड़ों एमएसएमई इस परियोजना का हिस्सा होंगे।
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यह निजी क्षेत्र और डीपीएसयू के सहयोगात्मक प्रयासों के साथ सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं को पूरा करने का एक शानदार उदाहरण है।
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घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदम न केवल सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करेंगे, बल्कि भारत को रक्षा उपकरणों/प्लेटफॉर्मों का पूर्ण रूप से निर्यातक बनाने में भी मदद करेंगे।
समय-सीमा:
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सोलह (16) विमानों की डिलीवरी फ्लाईअवे कंडीशन में की जाएगी।
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इनके सितंबर 2023 और अगस्त 2025 के बीच प्राप्त होने का समय निर्धारित है। शेष चालीस (40) का निर्माण वडोदरा विनिर्माण संयंत्र में किया जाएगा। पहला मेड इन इंडिया विमान सितंबर 2026 में आने की उम्मीद है।
विमान की क्षमता:
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सी-295 आधुनिक तकनीक के साथ 5-10 टन क्षमता वाला एक परिवहन विमान है जो भारतीय वायुसेना के पुराने एवरो विमान की जगह लेगा।
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मजबूत और भरोसेमंद, यह एक बहुपयोगी और कुशल सामरिक परिवहन विमान है जो कई अलग-अलग मिशनों को पूरा कर सकता है।
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यह विमान, 11 घंटे तक उड़ान भर सकने की क्षमता के साथ, सभी मौसमों में बहु-भूमिका का संचालन कर सकता है।
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यह नियमित रूप से रेगिस्तान से समुद्री वातावरण तक में दिन के साथ-साथ रात के युद्ध अभियानों को संचालित कर सकता है।
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इसमें त्वरित प्रतिक्रिया और सैनिकों व कार्गो को उतारने के लिए एक रियर रैंप दरवाजा है।
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अर्ध-निर्मित सतहों से कम जगह में ही उड़ान भर सकना/उतर सकना इसकी एक और विशेषता है।
आत्मनिर्भरता:
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यह परियोजना भारतीय निजी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी व्यापक और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
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यह घरेलू विमानन निर्माण में वृद्धि करेगी जिसके परिणामस्वरूप आयात पर निर्भरता कम होगी और निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी।
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सी-295 विमान निर्माण संयंत्र देश में निजी क्षेत्र में पहला विमान निर्माण संयंत्र होगा।
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इस संयंत्र का उपयोग टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड और एयरबस डिफेंस एंड स्पेस, स्पेन के बीच सहयोग के माध्यम से भारतीय वायु सेना के लिए 40 सी-295 विमानों के निर्माण के लिए किया जाएगा।
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यह संयंत्र रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, और इस क्षेत्र में निजी उद्यमियों की क्षमता को विस्तारित करने में भी मदद करेगा।
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साथ ही, एयरबस द्वारा स्पेन स्थित अपने विनिर्माण संयंत्र में नियोजित किए जाने वाले प्रति विमान कार्य के कुल घंटों का 96 प्रतिशत भारत में टाटा कंसोर्टियम द्वारा किया जाएगा।
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टूल, जिग्स और टेस्टर के साथ 13,400 से अधिक डिटेल पार्ट्स, 4,600 सब-असेंबली और सभी सात मेजर कंपोनेंट असेंबलियों का निर्माण भारत में किया जाएगा।
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विभिन्न प्रणालियां जैसे इंजन, लैंडिंग गियर, एवियोनिक्स, ईडब्ल्यू सूट आदि एयरबस डिफेंस एंड स्पेस द्वारा प्रदान की जाएंगी और टाटा कंसोर्टियम द्वारा विमान को समेकित किया जाएगा।
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टाटा कंसोर्टियम द्वारा विमान का एक एकीकृत प्रणाली के रूप में परीक्षण किया जाएगा। विमान का उड़ान परीक्षण किया जाएगा और टाटा कंसोर्टियम सुविधा में एक वितरण केंद्र के माध्यम से वितरित किया जाएगा।
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सभी 56 विमान भारतीय डीपीएसयू- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट से लैस होंगे।
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भारतीय वायुसेना को 56 विमानों की डिलीवरी पूरी होने के बाद, एयरबस डिफेंस एंड स्पेस को भारत में निर्मित विमानों को सिविल ऑपरेटरों को बेचने और उन देशों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी, जिन्हें भारत सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है।
रोजगार का सृजन:
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टाटा कंसोर्टियम ने सात राज्यों में फैले 125 से अधिक इन-कंट्री एमएसएमई आपूर्तिकर्ताओं की पहचान की है।
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यह देश के एयरोस्पेस इकोसिस्टम में रोजगार सृजन में प्रेरक के रूप में कार्य करेगा और उम्मीद है कि भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में 600 उच्च कुशल रोजगार सीधे, 3,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार और 42.5 लाख से अधिक कार्य दिवसों के साथ अतिरिक्त 3,000 मध्यम कौशल वाले रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
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लगभग 240 इंजीनियरों को स्पेन में एयरबस सुविधा में प्रशिक्षित किया जाएगा।
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प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
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30 अक्टूबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 26 अक्टूबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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