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“Women in STEM” का अर्थ है S.T.E.M अर्थात SCIENCE , TECHNOLOGY, ENGINEERING एवं MATHEMATICS (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी ! S.T.E.M की अवधारणा ‘U.S नेशनल साइंस फाउंडेशन’ -N.S.F द्वारा वर्ष 2001 में प्रस्तुत की गई थी। आमतौर पर  विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम देखी जाती है और पुरुषों की ही प्रधानता देखी जाती है जो कि चिंता का विषय है । इसलिए, विशेषज्ञों  ने इस क्षेत्र में महिलाओं की कम भागीदारी और लैंगिक असमानता पर शोध किया और  संभावित कारणों का पता लगाया है। अंग्रेजी माध्यम में इस विषय पर जानकारी के लिए देखें हमारा लेख Women in STEM

पाठक  लिंक किए गए लेख में आईएएस हिंदी के बारे में जानकारी पा सकते हैं।

STEM में महिलाओं की हिस्सेदारी

भारत की यदि बात की जाये तो भारत में लगभग 43% महिलाएं विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में स्नातक हैं, जो कि दुनिया में सबसे अधिक है। यह अमेरिका और कनाडा जैसे कुछ प्रथम विश्व देशों की तुलना में भी काफी अधिक प्रतिशत है। STEM से स्नातक करने वाली भारतीय महिलाओं का प्रतिशत अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों के मुकाबले अधिक है। 2018-2019 में स्टेम स्नातक महिलाओं की संख्या 10.56 लाख पाई  गई थी। फिर भी “स्टेम” क्षेत्र में भारतीय महिलाओं के रोजगार का प्रतिशत केवल 14% है। देश के सबसे बड़े शोध संस्थानों जैसे डीआरडीओ, सीएसआईआर और आईसीएआर में करीब 6900, 4600 और 2400 वैज्ञानिक हैं जिसमें से महिला वैज्ञानिकों का प्रतिशत केवल 14 प्रतिशत, 16 प्रतिशत और 14 प्रतिशत क्रमशः है। और यह केवल भारत की बात नहीं, बल्कि एक वैश्विक समस्या है। सन् 1901 से 2019 के बीच भौतिकी, रसायन व चिकित्सा  के क्षेत्र में कुल 616 लोगों को 334 नोबेल पुरस्कार दिए गए। इन 616 लोगों में सिर्फ 20 महिलाएं शामिल हैं। पिछले 118 सालों में अब तक केवल तीन महिलाओं को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला है, रसायन शास्त्र के क्षेत्र में केवल पांच और चिकित्सा के क्षेत्र में 12 महिलाओं को ही यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है। गणित के क्षेत्र में दिया जाने वाला “एबेल पुरस्कार” जिसे गणित का नोबेल पुरस्कार भी कहा जाता है, 2019 में पहली बार किसी महिला गणितज्ञ (अमेरिका की कैरेन उहलेनबेक) को दिया गया। इसके कई कारण हैं। 

एसटीईएम में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की कम भागीदारी के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

  • जेंडर भूमिकाओं और कौशलों का रूढ़िबद्ध मानकीकरण।
  • पितृसत्तात्मक मानसिकता तथा  समाज और अवसरों पर पितृसत्तात्मक प्रभुत्व।
  • महिलाओं के उपर गृहस्थी के बोझ और घरेलू जिम्मेदारियाँ भी एक कारण जिससे वे कई बार नौकरीपेशा जीवन जीने में स्वयं को समर्थ नहीं पातीं। 
  • कार्यस्थल पर और यात्रा के दौरान शारीरिक सुरक्षा की कमी और उत्पीड़न की संभावना।

एसटीईएम क्षेत्रों में महिलाओं की हिस्सेदारी के लाभ

एसटीईएम में अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी और इसकी पहल समाज में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। भारत में एसटीईएम में अधिक महिलाओं के लाभ इस प्रकार हैं:

एसटीईएम में अधिक से अधिक महिला भागीदारी इन क्षेत्रों की प्रतिभा, नवाचार, कार्यबल और विविधता  को दोगुना कर देगी। यह महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ समान कार्य के लिए समान वेतन के अधिकार को भी सुनिश्चित करता है। यह सामाजिक ‘रोल मॉडल’ को जन्म देगा और देश की असंख्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करेगा जिसके आभाव में अभी ज्यादातर महिलाऐं इन क्षेत्रों में नहीं जा पातीं ।

एसटीईएम में महिला भागीदारी बढ़ाने के लिए  की गई पहल 

विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में महिलाओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण  सरकारी पहल की जानकारी नीचे दी गई हैं:

क्यूरी : इसका अर्थ है ‘कंसोलिडेशन ऑफ यूनिवर्सिटी रिसर्च थ्रू इनोवेशन एंड एक्सीलेंस इन वूमेन यूनिवर्सिटीज (CURIE)। यह योजना महिला विश्वविद्यालयों को अनुसंधान अवसंरचना विकसित करने और अत्याधुनिक अनुसंधान प्रयोगशालाओं के निर्माण में सहायता करती है।

विज्ञान ज्योति योजना : विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डी.एस.टी) ने इसे एसटीईएम में इच्छुक छात्राओं के हाई स्कूलों की बराबर भागीदारी को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किया था। इसके अतिरिक्त, यह गांवों की छात्राओं को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में उनके करियर की योजना बनाने में सहायता करता है। इस योजना के अंतर्गत छात्राओं के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में विज्ञान शिविर का आयोजन किया जाएगा, साथ ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, कॉर्पोरेट, विश्वविद्यालयों तथा डीआरडीओ जैसे शीर्ष संस्थानों में कार्यरत सफल महिलाओं से शिविर के माध्यम से संपर्क स्थापित करवाया जाएगा।

किरण योजना : इस योजना की शुरुआत 2014- 2015 में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा की गई,जिससे महिला वैज्ञानिकों के लिए शैक्षणिक और प्रशासनिक उन्नति संभव हुई। KIRAN का अर्थ ‘शिक्षण द्वारा अनुसंधान विकास में ज्ञान की भागीदारी’ (Knowledge Involvement in Research Advancement through Nurturing) है। इसके विभिन्न कार्यक्रमों में से एक, ‘महिला वैज्ञानिक योजना’ बेरोजगार महिला वैज्ञानिकों और तकनीशियनों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है। इसके अतिरिक्त, इसने स्पष्ट रूप से उन लोगों की मदद की जिन्हें किसी कारणवश अपने रोजगार से विराम  लेना पड़ा। KIRAN योजना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लैंगिक समानता से संबंधित चुनौतियों के समाधान हेतु प्रयासरत है।

गति योजना : “जेंडर एडवांसमेंट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंस्टीट्यूशंस -GATI ;  एस.टी.ई.एम के क्षेत्र में लैंगिक समानता का मूल्यांकन करने के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करता है।

इन सबके अतिरिक्त हाल ही में भारत ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक भारत-इजराइल सम्मेलन भी आयोजित किया। इस सम्मेलन का प्राथमिक उद्देश्य एसटीईएम में महिलाओं की भागीदारी के मामले को देखना था। भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) के कार्यालय ने ‘Women in Engineering, Science, and Technology (WEST)’ नामक एक पहल भी शुरू की है। यह एक नई I-STEM (Indian Science Technology and Engineering facilities Map) पहल है। इसका उद्देश्य STEM पृष्ठभूमि वाली महिलाओं को सेवाएं प्रदान करना और उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान करने के लिए सशक्त बनाना है। I-STEM अनुसंधान उपकरण और सुविधाओं को साझा करने के लिए एक राष्ट्रीय वेब पोर्टल है। इन सब पहलों का परिणाम यह हुआ कि इससे देश में इस दिशा में कई सकारत्मक कार्य हुए हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के अनुसार, भारत में एसटीईएम क्षेत्रों में अध्ययन करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। पिछले 3 वर्षों में यह संख्या (2017-18 में) 10,02,707 से बढ़कर (2019-20 में) 10,56,095 हो गई। (नोट : जॉर्जिया में 2021 में एसटीईएम के क्षेत्र में सबसे अधिक महिला कर्मचारी थीं)

 

आई-एसटीईएम पोर्टल क्या है?

देश में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और भारत में अनुसंधान और विकास तंत्र को मजबूत करने की दृष्टि से संसाधनों को शोधकर्ताओं के साथ जोड़ने के प्रयास में, आई-एसटीईएम पोर्टल लॉन्च किया गया है। इस लेख में, आप UPSC परीक्षा के लिए I-STEM पोर्टल के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

बहु-आयामी I-STEM वेब पोर्टल को प्रधान मंत्री द्वारा जनवरी 2020 में बेंगलुरु में 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान लॉन्च किया गया था। I-STEM राष्ट्रीय पहल भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (OPSA) के कार्यालय द्वारा प्रायोजित और वित्त पोषित है। यह भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के नैनोसाइंस सेंटर द्वारा विकसित और प्रबंधित किया जाता है। पोर्टल को शोधकर्ताओं और संसाधनों को जोड़ने के लिए एक पहल के रूप में लॉन्च किया गया था। यह भारत में विभिन्न संस्थानों में अनुसंधान और विकास संसाधनों के डेटाबेस के निर्माण के माध्यम से सुगम है। कॉलेजों और संस्थानों के शोधकर्ता देश में कहीं भी अनुसंधान सुविधाओं और उपकरणों तक आसानी से पहुंच सकते हैं। यह देश में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार के लिए एक नया और भविष्योन्मुखी प्रतिमान है। वर्तमान में, I-STEM पोर्टल देश भर के 850 से अधिक संस्थानों में लगभग 20,000 उपकरणों की एक सूची का संग्रह करता है। यह शोधकर्ताओं को भारत में उनके अनुसंधान एवं विकास कार्य के लिए उन्हें निकटतम उपलब्ध-विशिष्ट सुविधा का पता लगाने में सहायता करेगा। मेजबान संस्थान के परामर्श से बनाई गई एक ऑनलाइन आरक्षण प्रणाली के माध्यम से शोधकर्ताओं द्वारा उपयोग के लिए संसाधन उपलब्ध हैं और एक सुरक्षित भुगतान गेटवे के माध्यम से इसकी प्राप्ति के लिए भुगतान किया जा सकता है। पोर्टल एक सार्वजानिक मंच भी प्रदान करता है जो सामान्य विषयों पर चर्चा की सुविधा प्रदान करता है। पोर्टल विशेषज्ञों के एक पैनल के साथ परामर्श की भी अनुमति देता है। 

आई-एसटीईएम पोर्टल के लाभ : I-STEM पोर्टल को भारत सरकार द्वारा परिवर्तनकारी विचारों में से एक के रूप में चुना गया है। शोधकर्ताओं को संसाधनों से जोड़कर देश में “R&D” तंत्र को मजबूत किया गया है। संसाधन पूरे देश में शोधकर्ताओं और नवप्रवर्तनकर्ताओं को सशक्त बनाने के लिए हैं। शोधकर्ता सार्वजनिक धन का उपयोग करके प्राप्त सुविधाओं के साथ-साथ उपकरणों का सर्वोत्तम उपयोग कर सकते हैं। उपकरण साझा करने से देश में अनुसंधान और विकास की लागत में भारी कमी आ सकती है। यह उपलब्ध संसाधनों के बेहतर दोहन की सुविधा प्रदान करेगा। यह अकादमिक शोधकर्ताओं को अनुसंधान के लिए आवश्यक उपकरणों का पता लगाने और/या खरीदने की लंबी प्रक्रिया से बचने में भी मदद करेगा। यह सार्वजनिक डोमेन में वित्त पोषित परियोजनाओं के परिणामों को उपलब्ध कराकर अनुसंधान प्रयासों के दोहराव से बचाता है। 

 

भारत की कुछ प्रसिद्ध महिला वैज्ञानिक 

1.दर्शन रंगनाथन : दर्शन रंगनाथन भारत की प्रसिद्ध रसायन वैज्ञानिक थीं। उनका जन्म 1941 में  दिल्ली में हुआ था। उन्‍होंने  यूरिया चक्र और प्रोटीन संरचना पर कई महत्वपूर्ण खोज की।

2.आसिमा चटर्जी : आसिमा चटर्जी भारत की प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्री थीं । उनका जन्म 1917 में  कलकत्ता में हुआ था। उन्हें  मलेरिया की रोक-थाम  वाली दवाओं पर शोध के लिए जाना जाता है ।

3.कादम्बिनी गांगुली : कादम्बिनी गांगुली भारत की पहली महिला स्नातक (ग्रेजुएट) और ‘फिजीशियन’ थीं। उन्हें  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-INC के अधिवेशन में सबसे पहले भाषण देने वाली महिला होने का गौरव भी प्राप्त है। वह पहली दक्षिण एशियाई महिला भी थीं, जिन्होंने यूरोपियन मेडिसिन में प्रशिक्षण लिया था। (उल्लेखनीय है कि आनंदीबाई गोपालराव जोशी भी कादम्बिनी गांगुली के साथ भारत की पहली महिला फिजीशयन थीं।)

4.जानकी अम्माल : जानकी अम्माल वनस्पति विज्ञान (बॉटनी) में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला थीं। उनका जन्म 1897 में  केरल  में हुआ था। उन्होंने आनुवांशिकी, उद्विकास, वानस्पतिक भूगोल और नृजातीय वानस्पतिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया तथा गन्नों की हाइब्रिड प्रजाति की खोज की और क्रॉस ब्रीडिंग पर शोध किया। पद्मश्री सम्मान पाने वालीं वो देश की पहली महिला वैज्ञानिक थीं। 1977 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।

5.अन्ना मणि : अन्ना मणि देश की प्रसिद्ध मौसम वैज्ञानिक थीं। उनका का जन्म 1918 में केरल के त्रावणकोर में हुआ था। आगे चलकर उन्होंने सी. वी. रमन के साथ काम किया, जहाँ उन्होंंने हीरे और माणिक के प्रकाशीय गुणों के विषय में अनुसन्धान किया और सौर विकिरण, ओजोन परत और वायु ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया।

6.कमला सोहोनी : कमला सोहोनी डॉ. सी वी रमन की पहली महिला छात्र थीं और पहली भारतीय महिला वैज्ञानिकभी थीं जिन्होंने PhD की डिग्री हासिल की थी। कमला सोहोनी ने पादप उतक (प्लांट टिशू) में ‘cytochrome C’ नामक एन्जाइम की खोज की थी।

7.रमन परिमाला : रमन परिमाला देश की विख्यात गणितज्ञ हुईं ; उनका जन्म 1948 में तमिल नाडु में हुआ था। उन्होंने बीजगणित के क्षेत्र में कार्य किया है।

8.राजेश्वरी चटर्जी  : कर्नाटक की पहली महिला इंजीनियर राजेश्वरी चटर्जी ने माइक्रोवेव तकनीक के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया।

9.बिभा चौधरी : बिभा चौधरी, कलकत्ता विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर (एम.एस.सी.) करने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया। उन्होंने देवेन्द्र मोहन बोस के साथ मिल कर बोसोन कण की खोज की। उनका जन्म सन् 1913 में कलकत्ता में हुआ था। 

 

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