प्रति वर्ष 4 जनवरी को “विश्व ब्रेल दिवस” मनाया जाता है। ब्रेल दिवस लुई ब्रेल नाम के व्यक्ति के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है जो “ब्रेल लिपि” (Braille script) के आविष्कारक थे । ब्रेल लिपि एक ऐसी तकनीक है, जिसका उपयोग दृष्टिबाधित लोग लिखने और पढ़ने के लिए करते हैं। लुई ब्रेल फ्रांस के निवासी थे। बचपन में हुई दुर्घटना में एक बार उनकी आँख क्षतिग्रस्त हो गई थी और 8 वर्ष की उम्र से उन्हें दिखाई देना बंद हो गया था । आर्थिक तंगी के कारण उनका समुचित इलाज नही हो सका ,और यह पीड़ा सब दिन उनके मन में रही । आगे चल कर 1821 में उन्होंने दुनिया भर के दृष्टिबाधितों के लिए ब्रेल लिपि का आविष्कार किया जिससे वे भी लिख और पढ़ सकें । यही कारण है की आज भी लुई ब्रेल दुनिया भर में दृष्टिबाधितों के मसीहा के रूप में याद किये जाते हैं । उनके सम्मान में ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 नवंबर 2018 को ये प्रस्ताव पारित किया कि लुई ब्रेल के जन्मदिन के अवसर पर प्रति वर्ष 4 जनवरी को “विश्व ब्रेल दिवस” मनाया जाये । 6 जनवरी 1852 को 43 वर्ष की उम्र में जब लुई का निधन हुआ उसके 16 वर्ष के बाद 1868 में “रॉयल इंस्टीट्यूट फॉर ब्लाइंड यूथ” ने इस लिपि को मान्यता दी । भारत सरकार ने भी 2009 में लुई ब्रेल के सम्मान में डाक टिकिट जारी किया । इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए देखें हमारा अंग्रेजी लेख World Braille Day
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ब्रेल लिपि क्या है ?
जब लुई ब्रेल नेत्रहीनों के लिए चलने वाले एक स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तब उन्हें सेना की एक ऐसी कूट -लिपि (code script) के बारे में पता चला जो अंधेरे में भी संदेशों को पढ़ने में सेना की मदद करेगी। तभी ब्रेल के मन में नेत्रहीनों के लिए भी ऐसी ही एक लिपि का विचार आया और इस तरह उन्होंने ब्रेल लिपि का आविष्कार किया। ब्रेल लिपि नेत्रहीनों के पढ़ने और लिखने का एक ऐसा कोड है जो स्पर्श के माध्यम से समझा जा सकता है । इस लिपि में एक विशेष प्रकार के कागज का इस्तेमाल होता है, जिस पर उभरे हुए अक्षरों को छू -कर पढ़ा जा सकता है। किसी टाइपराइटर की तरह ही ब्रेल लिपि को भी एक मशीन जिसे ‘ब्रेलराइटर’ कहते हैं , के माध्यम से लिखा जा सकता है। इसमें 6 बिंदुओं के उपयोग से कुल 64 अक्षर और चिह्न होते हैं । हालाँकि लुई ने सेना की लिपि से यह विचार ग्रहण किया ,लेकिन उन्होंने अपनी लिपि को अधिक व्यापक बनाया । सेना की लिपि भी कागज पर अक्षरों को उभारकर बनाई जाती थी जिसमें 12 बिंदुओं को 6-6 की दो पंक्तियों में रखा जाता था, पर इसमें विराम चिह्न, संख्या, गणितीय चिह्न आदि नहीं होते थे। यही कारण है की लुई की बनाई हुई लिपि आज दुनिया भर में सार्वभौमिक रूप से प्रयोग में लाई जाती है । लुई ने जब यह लिपि बनाई तब वे केवल 15 वर्ष के थे। यह प्रत्येक अक्षर और संख्या, व यहां तक कि संगीत, गणितीय और वैज्ञानिक प्रतीकों का भी प्रतिनिधित्व करने के लिए इन 6 बिंदुओं का उपयोग करके वर्णमाला और संख्यात्मक प्रतीकों की एक तकनीक है। “सेल” की बांई पंक्ति में उपर से नीचे 1,2,3 अंकित होते हैं जबकि दांईं ओर 4,5,6 अंकित होते हैं। एक बिंदु की ऊंचाई सामान्यतः 0.02 इंच होती है। हालाँकि विश्व भर में इसको पढ़ने का कोई मानक तरीका निश्चित नहीं हैं और लुई ब्रेल के बाद इसमें कई बार आवश्यकतानुसार सुधार भी किये गये । आधुनिक ब्रेल लिपि को 8 बिन्दुओं के सेल में विकसित कर दिया गया है,जिसमें अब 64 की जगह 256 अक्षर, संख्या और विराम चिह्न होते हैं । विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुमान के अनुसार, दुनिया भर में लगभग एक अरब लोग, निकट या दूर दृष्टि दोष के साथ जी रहे हैं । उनके लिए ब्रेल लिपि का अविष्कार एक क्रांतिकारी घटना है।
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