Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

बक्सर का युद्ध, 1764

बंगाल में अपने हितों की अधिकारी पूर्ति करने के लिए अंग्रेज बंगाल की सत्ता पर अपने मनमाफिक नवाबों को बिठा रखे थे। इसी कड़ी में उन्होंने पहले प्लासी का युद्ध में सिराजुद्दौला को परास्त किया और उसके स्थान पर मीर जाफर को नवाब बनाया।

मीर जाफर अंग्रेजों का एक कठपुतली नवाब था, लेकिन जब मीर जाफर उनके हितों की पूर्ति नहीं कर पा रहा था, तो उन्होंने मीर जाफर को अपदस्थ करके मीर कासिम को नवाब बनाया।

मीर कासिम एक योग्य नवाब था। उसने एक समय बाद अपनी स्थिति को मजबूत करना आरंभ कर दिया था। इस बात से अंग्रेज मीर कासिम से खफा हो गए थे और उन्होंने 1763 ईस्वी में मीर कासिम के स्थान पर पुनः मीर जाफर को नवाब बनाया।

इसके बाद मीर कासिम और अंग्रेजों के बीच अनेक स्थानों पर मुठभेड़ होती रही। 1763 ईस्वी में ही पटना में हुए एक हत्याकांड में मीर कासिम ने अनेक अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन अंततः मीर कासिम ने अवध में जाकर शरण ली। उस समय अवध का नवाब शुजाउद्दौला था और तत्कालीन मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय भी उस समय अवध में ही शरण पाए हुए था।

IAS हिंदी से जुड़े हर अपडेट के बारे में लिंक किए गए लेख में जानें।

Explore The Ultimate Guide to IAS Exam Preparation

Download The E-Book Now!

Download Now! Download Now

बक्सर युद्ध का घटनाक्रम

  • मीर कासिम ने अवध पहुंचकर अवध के नवाब शुजाउद्दौला और मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के साथ मिलकर एक सैन्य संगठन का निर्माण किया और उन्हें इस बात के लिए तैयार किया कि उन तीनों की संयुक्त सेना मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध करेगी।
  • इन तीनों पक्षों की संयुक्त सेना 22 अक्टूबर, 1764 को बिहार के आरा जिले में स्थित बक्सर के मैदान में आ पहुंची। इस संयुक्त सेना का मुकाबला करने के लिए अंग्रेजों की तरफ से भी हेक्टर मुनरो के नेतृत्व में एक सेना पहुंच गई। बक्सर के युद्ध के दौरान बंगाल का गवर्नर वेंसिटार्ट था।
  • प्लासी का युद्ध तो मात्र एक दिखावा था। उसमें किसी भी प्रकार का सैन्य शक्ति परीक्षण नहीं हुआ था, लेकिन इसके विपरीत, बक्सर के युद्ध में दोनों पक्षों की सेनाओं ने अपना सैन्य कौशल दिखाया और एक विधिवत युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में अंग्रेजों ने मीर कासिम के नेतृत्व वाली संयुक्त सेना को पराजित किया था।
  • इससे पहले अंग्रेज 1760 ईस्वी में वांडीवाश की लड़ाई में फ्रांसीसी को पराजित कर चुके थे और वेदरा के युद्ध में डचों को पराजित कर चुके थे। इस प्रकार, इस समय तक आते-आते अंग्रेज न सिर्फ अपने यूरोपीय प्रतिद्वंद्वियों पर विजय प्राप्त कर चुके थे, बल्कि बंगाल में भी उन्होंने भारतीय शासकों को भी कुचल दिया था। अतः बक्सर के युद्ध के बाद अब अंग्रेज बंगाल के निर्विरोध शासक बनने की राह पर आगे बढ़ चुके थे।

बक्सर के युद्ध का परिणाम

  • बक्सर के युद्ध में विजय हासिल करने के बाद में अंग्रेजों ने रॉबर्ट क्लाइव को पुनः बंगाल का गवर्नर बनाकर भेजा क्योंकि रॉबर्ट क्लाइव अपने पहले कार्यकाल के दौरान बंगाल का अनुभव प्राप्त कर चुका था और उसे वहां की परिस्थितियों की समझ थी। इस कदम का उद्देश्य यह था कि बक्सर के युद्ध के बाद होने वाली इलाहाबाद की संधि में अंग्रेजों के लिए अधिक से अधिक लाभ सुनिश्चित किया जा सके।
  • बक्सर के युद्ध के दौरान बंगाल का नवाब मीर जाफर था, लेकिन फरवरी 1765 में मीर जाफर की मृत्यु हो गई थी। इसके बाद अंग्रेजों ने मीर जाफर के पुत्र नजमुद्दौला को बंगाल का नवाब बना दिया था। नजमुद्दौला एक अल्पवयस्क नवाब था, इसीलिए उसकी सुरक्षा के लिए अंग्रेजों ने बंगाल में एक सेना नियुक्त की और उसके खर्च के लिए नजमुद्दौला ने प्रतिवर्ष 5 लाख रुपए अंग्रेजों को देना स्वीकार किया।
  • बक्सर के युद्ध के बाद अंग्रेजों की तरफ से रॉबर्ट क्लाइव ने पराजित पक्ष से इलाहाबाद की दो संधियाँ की थीं। इलाहाबाद की पहली संधि तत्कालीन मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय के साथ की गई थी, जबकि इलाहाबाद की दूसरी संधि अवध के पराजित नवाब शुजाउद्दौला के साथ की गई थी।

इलाहाबाद की पहली संधि (12 अगस्त, 1765)

  • इस संधि के माध्यम से अंग्रेजों ने मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय से बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त कर ली थी। यानी अब इन तीनों क्षेत्रों में राजस्व वसूल करने का कार्य ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंप दिया गया था।
  • बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी प्राप्त करने के बदले कंपनी ने यह स्वीकार किया कि वह इसके बदले मुगल बादशाह को प्रतिवर्ष 26 लाख रुपए देगी।
  • कंपनी ने अवध के नवाब से इलाहाबाद व कड़ा का क्षेत्र छीन कर मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय को सौंप दिया था।
  • इसके अलावा, मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय ने नजमुद्दौला को बंगाल का नया नवाब स्वीकार कर लिया था।

इलाहाबाद की दूसरी संधि (16 अगस्त, 1765)

  • इस संधि के तहत अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने इलाहाबाद और कड़ा के क्षेत्र मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय को दे दिए थे।
  • अंग्रेजों को इस संधि के तहत अवध के क्षेत्र में मुक्त व्यापार करने की अनुमति भी अवध के नवाब की ओर से दे दी गई थी।
  • इस संधि के तहत अवध के नवाब शुजाउद्दौला को युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में कंपनी को 50 लाख रुपए देने थे। यह राशि अवध के नवाब को दो किस्तों में चुकानी थी।
  • इसके तहत अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने बनारस के जागीरदार बलवंत सिंह को उसकी जागीर वापस लौटा दी थी।

इलाहाबाद की संधियों के परिणाम

  • इलाहाबाद की संधि के परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को बंगाल, बिहार और उड़ीसा में राजस्व वसूल करने के कानूनी अधिकार प्राप्त हो गए थे। इसके बाद अंग्रेजों को अब भारत में अपना व्यापार करने के लिए ब्रिटेन से राशि या अन्य कीमती धातुएं लाने की आवश्यकता नहीं रह गई थी
  • अब अंग्रेज बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी से वसूली गई राशि के माध्यम से ही भारत से सस्ती दरों पर वस्तुएं खरीदते थे और उन्हें ब्रिटेन के बाजार में महंगे दाम पर बेच देते थे। इससे कंपनी को भारी मुनाफा होता था।
  • इसके अलावा, अब इन क्षेत्रों के दीवानी अधिकारों से प्राप्त हुए राजस्व के माध्यम से कंपनी भारत में कच्चा माल खरीदी थी और ब्रिटेन की कंपनियों को उसकी आपूर्ति करती थी। और फिर ब्रिटिश कंपनियों में निर्मित हुए माल को भारतीय बाजार में लाकर बेच देती थी। इसके परिणाम स्वरूप भारत में ना सिर्फ हस्तशिल्प उद्योग का पतन होता चला गया, बल्कि भारतीय संसाधनों का ब्रिटेन की ओर प्रवाह भी तेज हो गया।

इस प्रकार, बक्सर के युद्ध ने ना सिर्फ भारत में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन की स्थापना कर दी, बल्कि भारत की शाश्वत लूट का दौर भी प्रारंभ कर दिया। इस ऐतिहासिक युद्ध के बाद भारत अनवरत गरीबी की ओर बढ़ता

चला गया। बक्सर के युद्ध का ही परिणाम हुआ कि भारत की गरीबी की कीमत पर ब्रिटेन की समृद्धि साकार हुई।

सम्बंधित लिंक्स:

42nd Amendment Act in Hindi

Abraham Accords in Hindi

Ayushman Bharat Diwas in Hindi

Calling Attention Motion in Hindi

IAS Interview Questions with Answers in Hindi

CSAT Book for UPSC in Hindi