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वैश्विक लैंगिक असमानता रिपोर्ट -2021

हाल ही में विश्व आर्थिक मंच के द्वारा वैश्विक लैंगिक असमानता रिपोर्ट (Global Gender Gap Report)- 2021 जारी की गई | यह सूचकांक विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) प्रतिवर्ष जारी करता है जिसमे विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सामाजिक स्थिति का अध्ययन किया जाता है  | इसे पहली बार वर्ष 2006 में  प्रकाशित किया गया था। इस वर्ष इस सूचकांक में शामिल 156 देशों की सूचि में से   भारत को 140वां स्थान दिया गया है और यह दक्षिण एशिया में तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश  है। इस लेख में  इस रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दुओं की जानकारी दी गई है | हिंदी माध्यम में यूपीएससी से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज  आईएएस हिंदी |

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वैश्विक लैंगिक असमानता सूचकांक के मानक : 

इस सूचकांक में निम्नलिखित 4 मापदंडों के आधार पर लैंगिक असमानता का  मूल्यांकन किया जाता है: 

  1. आर्थिक भागीदारी का  अवसर।
  2. शिक्षा का अवसर।
  3. स्वास्थ्य एवं उत्तरजीविता।
  4. राजनीतिक भागीदारी।

यह सूचकांक इसलिए  इतना महत्व रखता  है क्योंकि लैंगिक समानता संयुक्त राष्ट्रसंघ के सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals)  के अंतर्गत निर्धारित किये गए 17 लक्ष्यों में से एक लक्ष्य है | उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम जैसे बेटी बचाओ -बेटी पढाओ, उज्ज्वला योजना ,सुकन्या समृद्धि योजना,समेकित बाल विकास योजना (integrated child development scheme) तथा महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था जैसे कार्यक्रम  इस लैंगिक असमानता को कम करने  में सहायक हो सकते हैं | साथ ही स्त्री -शिक्षा के क्षेत्र में भी विशेष कार्य किये जाने की जरूरत है |

वैश्विक लैंगिक असमानता रिपोर्ट- 2021 मुख्य बिंदु 

  • इस सूचकांक में शामिल 156 देशों की सूचि में  भारत को 140वां स्थान दिया गया है और यह दक्षिण एशिया में तीसरा सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश बन गया है। इसे केवल 0.625 अंक मिले |
  • 2020 की रिपोर्ट में भारत 112वें स्थान पर था  | अर्थात 2021 में इसके रैंक में 28 इकाई की गिरावट आई है |
  • भारत के पड़ोसी देशों  में से नेपाल , बांग्लादेश , श्रीलंका  और भूटान की स्थिति भारत से बेहतर बताई गई है ।
  • केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान का प्रदर्शन भारत से ख़राब रहा  है |
  • यह गिरावट आर्थिक भागीदारी और राजनैतिक – अवसर  पर विशेष रूप से देखी गई ।
  • इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल भारत की  लैंगिक असमानता 3% की दर से बढ़ी  है।
  • अधिकांश कमी राजनीतिक सशक्तीकरण उप-सूचकांक पर देखी गई , जहां भारत को 5 % अंक का नुकसान हुआ ।
  • महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर में भी कमी आई है, जो 8% से घटकर 22.3% हो गई है।
  • पेशेवर और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी घटकर 2% रह गई।
  • वरिष्ठ और प्रबंधकीय पदों पर भी महिलाओं की हिस्सेदारी कम है। इनमें से केवल 6% पद महिलाओं के पास हैं और केवल 8.9% फर्म महिला शीर्ष प्रबंधकों के पास हैं।
  • भारत में महिलाओं द्वारा अर्जित आय पुरुषों द्वारा अर्जित की गई आय का केवल 1/5वां हिस्सा  है। 
  • विश्व में जिस स्तर की लैंगिक असमानता है उसे दूर करने में 135 वर्ष लगेंगे |
  •  इस रिपोर्ट ने भारत को वैश्विक स्तर पर बॉटम 10 में रखा है जो कि अत्यंत चिंताजनक है ।
  • महिलाओं के प्रति असमानता  स्वास्थ्य और उत्तरजीविता के क्षेत्र  में भी देखी जा सकती  है। इस उप-क्षेत्र में भारत को निचले पांच देशों में स्थान दिया गया है।
  • कोरोना वैश्विक महामारी के कारण यह असमानता और तीव्र गति से बढ़ी है |
  • भारत ,पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अलावा सीरिया,इराक व ईरान सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले देशों की सूचि में हैं |
  • रिपोर्ट में इस असमानता के निम्नलिखित कारण बताए गए हैं:- महिलाओं के विरुद्ध हिंसा ,साक्षरता दर में कमी, सामाजिक कुरीतियाँ इत्यादि |

विश्व के श्रेष्ठ 10 प्रदर्शनकर्ता देश  एवं उनके अंक : 

देश  प्राप्त अंक 
1.आइसलैंड 0.892
2.फ़िनलैंड  0.861
3.नॉर्वे  0.849
4.न्यू ज़ीलैण्ड  0.840
5.स्वीडन  0.823
6.नामीबिया  0.809
7.रवांडा  0.805
8.लिथुआनिया  0.804
9.आयरलैंड  0.800
10.स्विट्ज़रलैंड 0.798

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