खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत सभी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिच्श्चित करने के लिए भारत सरकार ने 2019 में एक राष्ट्र- एक राशन कार्ड योजना (‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’) की शुरुआत की | इस योजना के तहत लाभार्थी देश के किसी भी राज्य से अपने कोटे का आर्थिक सहायता प्राप्त -अनाज (subsidized) प्राप्त कर सकते हैं ,चाहे उनका राशन कार्ड कहीं से भी पंजीकृत हो | यह योजना मुख्य रूप से प्रवासी मजदूरों के हितों को ध्यान में रख कर बनाई गई है ताकि उन्हें स्थान परिवर्तन के साथ हर बार नए राशन कार्ड की आवश्यकता न हो | एक प्रकार से यह योजना मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (MNP) की तरह है जिसमें लाभार्थी को एक राशन कार्ड नम्बर आबंटित कर दिया जाता है जो कि उसके स्थानान्तरण के साथ नहीं बदलता | यह योजना एक “पायलट प्रोजेक्ट” के तौर पर केवल 4 राज्यों में शुरू की गई थी और वर्तमान में असम को छोड़कर अन्य सभी राज्यों ने इस योजना को अपना लिया है | असम ने भी इस योजना को अपनाने की तकनिकी प्रक्रिया शुरू कर दी है | फरवरी 2022 में छत्तीसगढ़ इस योजना को अपनाने वाला अंतिम राज्य है | इस लेख में इस योजना की विस्तृत चर्चा की गई है |
हिंदी माध्यम में यूपीएससी से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज आईएएस हिंदी |
एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना निम्नलिखित बिन्दुओं को ध्यान में रख कर शुरू की गई है :
1.चूँकि एक राष्ट्र- एक राशन कार्ड योजना के तहत मिलने वाला राशन कार्ड आधार कार्ड से लिंक होगा अतः राशन कार्ड फर्जीवाड़ा (जैसे किसी और व्यक्ति के नाम पर राशन कार्ड रखना ) या एक से अधिक राशन कार्ड रखने की समस्या समाप्त हो जाएगी। कई बार आर्थिक रूप से सक्षम लोग भी गैर कानूनी तरीके से राशन कार्ड का लाभ लेते हैं | इस प्रकार से ऐसे लोगों को भी पहचान कर उनके कार्ड को निरस्त किया जा सकेगा |
2 .एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना के लागू हो जाने से यदि एक राज्य का व्यक्ति दूसरे राज्य में जाकर भी राशन लेना चाहता है तो उसे किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी। इस योजना के तहत सबसे ज्यादा लाभ प्रवासी मजदूरों को होगा क्योंकि वे मौसम व मांग के अनुसार एक से दूसरे राज्य में प्रवास करते हैं और उन्हें हर बार नए कागजी कार्यवाही की जटिल प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है । एक अध्ययन के अनुसार देश की जनसंख्या का लगभग एक- तिहाई प्रवासी मजदूरों का है | अतः इस योजना को ऐसे प्रवासी मजदूरों का पूर्ण समर्थन है |
3.खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना : खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत ऐसे 81 करोड़ लाभुकों की पहचान की गई थी जिन्हें आर्थिक सहायता प्राप्त -अनाज का आबंटन किया जाना था | एक सर्वेक्षण में यह सामने आया कि देश में जितने प्रवासी परिवार हैं उनमे से कम आय वाले लगभग 77% परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं था। अतः इस योजना में ऐसे परिवारों को चिन्हित कर उन्हें योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है ताकि उन्हें मुफ्त या कम कीमत पर अनाज उपलब्ध हो सके |
सार्वजनिक वितरण प्रणाली या जन वितरण प्रणाली (Public Distribution System) कैसे काम करती है ?
सार्वजनिक वितरण प्रणाली या जन वितरण प्रणाली (PDS) कम कीमत पर वांछित लोगों को अनाज के वितरण और आपातकालीन स्थितियों में प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये बनाई गई एक प्रणाली है। इसकी शुरुआत वर्ष 1947 भारत सरकार के उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा की गई थी | भारतीय खाद्य निगम (‘फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’-FCI) इस के लिये अनाजों की खरीद और रख-रखाव का कार्य करता है जबकि राज्य सरकारों को राशन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण सुनिश्चित करना होता है। प्रतिवर्ष फसल कटाई के बाद केंद्र सरकार एक न्यूनतम समर्थन मूल्य- MSP (minimum support price) घोषित करती है | यदि किसानों को बाज़ार में इस न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक कीमत न मिले तो वे सीधे सरकार को अपने अनाजों की बिक्री कर सकते हैं | सरकारें इन अनाजों को FCI में एकत्रीत करती हैं जहाँ से ये आवश्यकतानुसार जन वितरण प्रणाली के तहत लोगों को आबंटित की जाती हैं | FCI में खाद्यानों को रखने का एक लाभ यह भी है की आकस्मिक परिस्थितियों में (जैसे अकाल इत्यादि ) इन खाद्यान्नों का वितरण लाभुकों के बीच किया जाए | सशक्त और सुव्यवस्थित करने के साथ-साथ सुदूर क्षेत्रों में भी खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 1992 में जन वितरण प्रणाली को नवीकृत/संशोधित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (RPDS) में परिवर्तित किया गया | 1997 के बाद से PDS को TDPS (लक्षित जन वितरण प्रणाली) के नाम से जाना जाने लगा है क्योंकि इसमें वास्तविक लाभुकों को चिन्हित कर उनतक योजना का लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया प्रारम्भ की गई | भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में वितरित की जाने वाली वस्तुओं में सबसे महत्वपूर्ण वस्तुएं चावल, गेहूं, चीनी और मिट्टी का तेल है। भारतीय खाद्य निगम (‘फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया’-FCI) : सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराने वाली संस्था भारतीय खाद्य निगम (FCI) की स्थापना 1965 में खाद्य निगम अधिनियम, 1964 के तहत हुई थी। निगम का प्राथमिक कार्य अनाजों और अन्य खाद्य पदार्थों की खरीद, ब्रिकी, भंडारण,परिवहन, आपूर्ति व वितरण करना है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चत कराना है कि एक तरफ किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिल सके है और दूसरी तरफ उपभोक्ताओं को भारत सरकार द्वारा तय कीमतों पर खाद्यान्न मिल सके। यही वह संस्था है जो सरकार द्वारा निर्धारित MSP पर किसानों से अनाजों की खरीद करती है | निगम की स्थापना निम्नलिखित उद्देश्यों को पूरा करने के लिए की गई :
|
राशन कार्ड
लाभार्थी कम कीमत पर आर्थिक सहायता प्राप्त खद्यान्न प्राप्त कर सकें इसके लिए सरकार द्वारा 4 प्रकार के राशन कार्ड जारी किये जाते हैं । इनकी पहचान चार अलग-अलग रंग से होती है। इनमें नीला (blue), गुलाबी (Pink), सफेद (white) और पीला (yellow) राशन कार्ड शामिल हैं। हर रंग के राशन कार्ड पर मिलने वाली सुविधाएं अलग हैं और इन्हें अलग-अलग आय वर्ग के लाभार्थियों के लिए जारी किया जाता है।
नीला/हरा राशन कार्ड : यह राशन कार्ड गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को जारी किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में सालाना 6400 रुपये तक की आमदनी वाले परिवार को यह राशन कार्ड जारी किया जाता है। शहरी क्षेत्रों में अधिकतम 11,850 रुपये सालाना आमदनी वाला परिवार को यह राशन कार्ड जारी किया जाता है। इस राशन कार्ड पर आर्थिक सहायता प्राप्त अनाज के साथ ही केरोसिन भी दिया जाता है। इसके तहत प्रति व्यक्ति , प्रति- माह 2 रूपए प्रति किलो के दर से 2 किलो चावल दिया जाता है (इस कार्ड पर गेंहू नहीं दिया जाता ) | हर राज्य में अनाज आबंटन की मात्रा अलग-अलग हो सकती है।
गुलाबी राशन कार्ड : यह राशन कार्ड उन परिवारों को दिया जाता है, जिनकी कुल सालाना आय गरीबी रेखा की सीमा से ज्यादा होती है। इस कार्ड पर प्रति-व्यक्ति ,प्रति – माह 5 किलो अनाज मुफ्त मिलता है जिसके तहत 4 किलो चावल और 1 किलो गेंहू दिए जाते हैं
पीला कार्ड /अंत्योदय अन्न योजना कार्ड : यह राशन कार्ड सबसे गरीब परिवारों को जारी किया जाता है। ऐसे परिवारों की आय का कोई नियमित स्रोत नहीं होता है । इस श्रेणी में मजदूर, बुजुर्ग और बेरोजगार आते हैं। इस कार्ड पर प्रति माह 35 किलो अनाज मुफ्त मिलता है जिसके तहत 28 किलो चावल और 7 किलो गेंहू दिए जाते हैं (हलांकि राज्यवार अनाज की यह मात्रा अलग-अलग हो सकती है ) |
सफेद राशन कार्ड : यह कार्ड उन परिवारों को जारी किया जाता है, जो आर्थिक रूप से अपेक्षाकृत समृद्ध होते हैं। ऐसे परिवारों को 8.90 रूपए प्रति किलो की दर से चावल और 6.70 रूपए प्रति किलो की दर से गेंहू दिए जाते हैं |
खाद्य सुरक्षा कानून -2013 क्या है ?
देश के 81 करोड़ नागरिकों को भोजन का अधिकार उपलब्ध कराने के लिए 2013 में केंद्र सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून पारित किया | वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता के खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराने के साथ -साथ इस कानून का उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को उन्हें मानव जीवन-चक्र दृष्टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा प्रदान करना भी है। इस अधिनियम में,लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TDPS) के अंतर्गत आर्थिक सहायता प्राप्त खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए 75%ग्रामीण आबादी और 50%शहरी आबादी को शामिल करने का प्रावधान है | इस प्रकार देश की लगभग दो-तिहाई जनता इस कानून से लाभान्वित हो सकेगी । लाभार्थी चावल , गेहूं व मोटे अनाज क्रमश: 3, 2 व 1 रूपए प्रति किलोग्राम के दर पर 5 किलोग्राम खाद्यान्न प्रति व्यक्ति प्रति माह प्राप्त करने का हकदार है। इस अधिनियम में महिलाओं और बच्चों के पोषण व स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं गर्भावस्था के दौरान तथा बच्चे के जन्म के 6 माह बाद भोजन के अलावा न्यूनतम 6000 रूपए का मातृत्व लाभ प्राप्त करने की भी हकदार हैं। 14 वर्ष तक की आयु के बच्चे भी निर्धारित पोषण मानकों के अनुसार भोजन प्राप्त करने के हकदार हैं। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए भी इस अधिनियम में अलग से प्रावधान किए गए हैं।
अन्य सम्बंधित लिंक: