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सद्भावना दिवस (20 अगस्त)

भारत में हर साल 20 अगस्त को सद्भावना दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की स्मृति में मनाया जाता है। राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त 1944 को भारत के बंबई  (अब मुंबई) में हुआ था। उनकी जन्म जयंती को हर साल सद्भावना दिवसऔर अक्षय ऊर्जा दिवसके रूप में मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन सभी धर्मों के बीच सामुदायिक समरसता, राष्ट्रीय एकता, शांति, प्यार और लगाव को लोगों में बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।

सद्भावना दिवस सामान्य ज्ञान की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण विषय है, इस लेख में हम आपको IAS परीक्षा के संदर्भ में सद्भावना दिवस, उसका महत्व, प्रतिज्ञा और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे।

 

राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार की स्थापना 

तमिलनाड़ु के पेरंबदूर में 21 मई 1991 को एक आत्मघाती हमले में पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। उनकी हत्या के एक साल बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने साल 1992 में राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार (Rajiv Gandhi Sadbhavana Award) की स्थापना की थी। राजीव गांधी 40 साल की उम्र में भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री थे। 

राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार से जुड़े तथ्य 

देश में शान्ति एवं सद्भावना बढ़ाने में योगदान देने के लिए हर साल राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार (Rajiv Gandhi National Sadbhavana Award) प्रदान किया जाता है। यह अवार्ड राजीव गांधी के जन्म दिवस 20 अगस्त को प्रदान किया जाता है। 

यह अवार्ड ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है जिसने देश में एकता और आपसी सौहार्द्र स्थापित करने और हिंसा तथा आतंकवाद को रोकने के लिए उल्लेखनीय कार्य किया हो। इस पुरूस्कार में 10 लाख रुपए की राशी तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। भारत का सबसे पहला राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार मदर टेरेसा को दिया गया था।

राष्ट्रीय सद्भावना पुरूस्कार विजेताओं की सूची
वर्ष विजेता का नाम समाज के लिए महत्व/योगदान
1992 मदर टेरेसा समाज सेवा
1993 उस्ताद बिस्मिल्लाह खान संगीत एव समाज सेवा
1994 मोहम्मद यूनुस समाज उत्थान
1995

 

जगन नाथ कौली

 

समाज कल्याण प्रशासक, भारत के SOS चिल्ड्रन विलेज के संस्थापक

 

1996

 

लता मंगेशकर

 

भारतीय पार्श्व गायक

 

1998

 

सुनील दत्त अभिनेता, राजनीतिज्ञ, शांति कार्यकर्ता
2000 कपिला वात्स्यायन कला और इतिहास के विद्वान
2003 एस एन सुब्बा राव राष्ट्रीय युवा परियोजना के संस्थापक
2004 स्वामी अग्निवेश बंधुआ मजदूरी के खिलाफ काम किया आर्य सभा के संस्थापक
2006 निर्मला देशपांडे सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाओं, आदिवासियों और समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए काम किया
2007 हेम दत्ता असम से सांप्रदायिक सद्भाव कार्यकर्ता
2008 एन राधाकृष्णन सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और प्रोफेसर

 

2009 गौतम भाई सामाजिक कार्यकर्ता, पौनार आश्रम के सदस्य
2010 वहीदुद्दीन खान इस्लामी विद्वान, शांति कार्यकर्ता
2011 स्पिक मैके युवाओं के बीच भारतीय शास्त्रीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देता है
2012 डी. आर. मेहता भगवान महावीर विकलांग सहायता समिति (जयपुर) के संस्थापक, विकलांगों के लिए मुफ्त अंग प्रदान करते हैं
2013

 

अमजद अली खान संगीतकार
2014 मुजफ्फर अली फिल्म निर्माता
2016 शुभा मुदगली गायक
2017 मोहम्मद अजहरुद्दीन

एम गोपाल कृष्ण

पूर्व क्रिकेटर

सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी

2018 गोपालकृष्ण गांधी सांप्रदायिक सद्भाव, शांति और सद्भावना
2019
2020
2021
2022

सद्भावना दिवस का महत्व

सद्भावना दिवस, भारत में रहने वाले सभी धर्मों के लोगों के बीच राष्ट्रीय एकता, शांति, सहानुभूति और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।

इस दिवस का मुख्य उद्देश्य विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के लोगों में राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भावना को प्रोत्साहित करना है।

सद्भावना दिवस के अवसर पर देश के कई राज्यों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं।

इस दिन हरियाली के रखरखाव, प्रकृति की सुंदरता, पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण को लेकर भी कई कार्य किए जाते हैं।

सद्भावना दिवस पर किए गए इन आयोजनों का मुख्य लक्ष्य, पर्यावरणीय चुनौतियों के बारे में नागरिकों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना है।

सद्भावना दिवस पर देशभर में पौधरोपण समेत कई अन्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते है।

इस अवसर पर पूर्व पीएम राजीव गांधी के करीबी, मित्र, परिवार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता उन्हें वीर भूमि पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

नोट – राजीव गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के वीर भूमि पर उनका अंतिम संस्कार किया गया था।

सद्भावना दिवस 2022 

पूर्व पीएम राजीव गांधी को श्रद्धांजलि देने और सद्भावना के भाव का विस्तार करने के लिए इस साल 20 अगस्त 2022 को देश उनकी 78वीं जयंती मना रहा है।

भारत हर साल 20 अगस्त को सद्भावना दिवस मनाता है। 1992 में, राजीव गांधी की मृत्यु के एक साल बाद, कांग्रेस ने इस दिवस को सद्भावना दिवस घोषित किया था।

इस अवसर पर दिवंगत पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी के सम्मान में राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार की घोषणा की गई।

राजीव गांधी- जीवन परिचय

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को मुंबई में हुआ था। वहीं, साल 1991 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में लिट्टे आतंकियों द्वारा किए गए आत्मघाती बम हमले में  उनकी मृत्यु हो गई थी।

राजीव गांधी, भारत के नौवें प्रधानमंत्री थे। वो पूर्व पीएम इन्दिरा गांधी और फिरोज गाँधी के पुत्र थे। राजीव के नाना, भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू थे। साल 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद उनके पुत्र राजीव गांधी भारी बहुमत के साथ भारत के प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि 5 साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद साल 1989 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था और पार्टी 1989 से 1991 तक विपक्ष में रही। साल 1991 में राजीव गांती लोकसभा चुनाव के प्रचार के लिए तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर गए थे, जहां लिट्टे समर्थक आतंकियों द्वारा किए गए भयंकर बम विस्फोट में उनकी मौत हो गई थी।

नोट: UPSC 203 परीक्षा करीब आ रही है, इसिलए आप खुद को नवीनतम UPSC Current Affairs in Hindi से अपडेट रखने के लिए BYJU’S के साझ जुड़ें, यहां हम महत्वपूर्ण जानकारियों को सरल तरीके से समझाते हैं।

लिट्टे का संक्षिप्त परिचय (What Is LTTE)

लिबरेशन टाईगर्स ऑफ तमिल ईलम (Liberation Tigers of Tamil Eelam) या लिट्टे एक प्रमुख आतंकवादी और उग्रवादी संगठन था। यह दो दशकों से भी अधिक समय तक श्रीलंका के उत्तरी और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में सक्रिय रहा। लिट्टे का संस्थापक और वेलुपिल्लई प्रभाकरण था, जिसे 18 मई 2009 को श्रीलंका की सेना द्वारा मारे जाने का दावा किया जाता है।

लिट्टे एक समय दुनिया के सबसे ताकतवर गुरिल्ला लड़ाको में गिना जाता था। इस पर साल 1991 में एक आत्मघाती हमले में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का आरोप है। लिट्टे पर साल 1993 में श्रीलंका के राष्ट्रपति प्रेमदासा रनसिंघे सहित कई लोगों की हत्या का आरोप है। लिट्टे भारत सहित दुनिया के कई देशों में एक प्रतिबंधित संगठन है। 

लिट्टे की स्थापना 

लिट्टे की स्थापना 1975 में वेलुपिल्लई प्रभाकरण ने की थी। इससे जुड़े तमिल युवा श्रीलंका सरकार की नीतियों से क्षुब्ध थे। वो उस समय छोटे अधिकारियों पर हमला करते थे। लिट्टे ने जाफना के मेयर (महापौर) अल्फ्रेड डुरैयप्पा की हत्या कर पहली बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। इसके बाद यह संगठन हिंसक होता गया। बाद में श्रीलंका के छोटे-बड़े 20 उग्रवादी संगठन लिट्टे के साथ मिल गए और जाफना लिट्टे के दबदबे वाला शहर बन गया। 

मुक्तिवाहिनी – भारत का हस्तक्षेप

इस संघर्ष से परेशान होकर तमिळ लोग  भारत में शरणार्थियों के रूप में आने लगे। 1987 में भारत ने श्रीलंका की तमिल समस्या को सुलझाने का प्रयास किया। भारत और श्रीलंका की सरकार ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। लेकिन चरमपंथी संगठनों ने इसे मानने से इनकार कर दिया। लेकिन लिट्टे (LTTE) को मुक्तिवाहिनी का हस्तक्षेप पसंद नहीं आया। 

राजीव गांधी की हत्या

इसके परिणामस्वरूप भारतीय सेना और लिट्टे के बीच संघर्ष शुरू हो गया। वहीं, भारतीय सेना ने ऑपरेशन पवन आरंभ कर दिया। उस वक्त करीब 50,000 भारतीय सैनिक श्रीलंका में थे। बाद में साल 1990 में श्रीलंका के आग्रह पर भारतीय सेना श्रीलंका से बेनतीजा लौट आई। श्रीलंका में भारतीय सेना के हस्तक्षेप से नाराज लिट्टे ने एक चुनावी सभा के लिए तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर गए राजीव गांधी की आत्मघाती हमले में हत्या कर दी।

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