उत्तराखंड लोक सेवा आयोग संयुक्त राज्य सिविल /प्रवर अधीनस्थ सेवा प्रतियोगी परीक्षा – 2023 शीघ्र आयोजित होने की संभावना है । यह राज्य की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा है । इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर आप उच्च प्रशासनिक व पुलिस पदों पर नियुक्त हो सकते हैं । सभी अन्य राज्य सेवा आयोग परीक्षाओं की तरह यह परीक्षा भी कुल 3 चरणों में आयोजित की जाती है :-1.प्रारंभिक परीक्षा, 2.मुख्य परीक्षा एवं 3.साक्षात्कार ।
इस लेख में हम UKPSC परीक्षा के लिए सभी आवश्यक योग्यता शर्तों की विस्तृत जानकारी आपको उपलब्ध करा रहे हैं ।
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नोट : किसी भी राज्य की सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे संबंधित परीक्षा के पाठ्यक्रम का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें, और इसके बाद ही अपनी तैयारी की योजना बनाएं ।
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शैक्षणिक योग्यता
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग संयुक्त राज्य सिविल /प्रवर अधीनस्थ सेवा प्रतियोगी परीक्षा की पात्रता के लिए सबसे पहली शर्त तो यह है कि ऑनलाईन आवेदन भरने की अंतिम तिथि तक आवेदक को केन्द्र अथवा राज्य सरकार द्वारा स्थापित संस्था / मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी संकाय में कम से कम स्नातक अथवा समकक्ष परीक्षाओं में उत्तीर्ण होना अनिवार्य है ।
शारीरिक योग्यता मापदंड
- पुलिस उपाधीक्षक के लिए –
(क) ऊँचाई:-
वर्ग | पुरुष | महिला |
1.सामान्य वर्ग एवं अन्य वर्ग | 167.7 से.मी | 152 से.मी |
2.अनुसूचित जनजाति | 160 से.मी | 147 से.मी |
3.पर्वतीय क्षेत्र | 162.6 से.मी | 147 से.मी |
(ख) सीने की माप (केवल पुरुषों के लिए):-
वर्ग | बिना फुलाए | फुलाने पर |
1.अनुसूचित जनजाति व पर्वतीय क्षेत्र | 76.5 से.मी | 81.5 से.मी |
2.सामान्य वर्ग एवं अन्य वर्ग | 78.8 से.मी | 83.8 से.मी |
ग) शारीरिक वज़न (केवल महिला अभ्यर्थियों के लिए) :- न्यूनतम 45 किग्रा0
उत्तराखण्ड पुलिस सेवा में नियुक्ति हेतु अभ्यर्थी की एक आँख 6/6 व दूसरी आँख 6 / 9 से कम दृष्टि नहीं होनी चाहिए । अतः बिना चश्मे के दाहिने हाथ से काम करने वाले अभ्यर्थियों के लिए दायीं आँख 6/6 और बाँयें हाथ से काम करने वाले अभ्यर्थियों की बायी आँख 6/6 होनी चाहिए और वर्णाधता / भेंगापन से पूर्ण रूप से मुक्त होना चाहिए ।
अभ्यर्थी का सटा घुटना, सपाट पैर, बो लेग, वैरिकोस वेन, हकलाना, विकलांगता और अन्य विकृतियों व अन्य समस्याएं जो पुलिस अधिकारी की डयूटी में किसी प्रकार की बाधा पैदा करें को अयोग्य माना जाएगा । उक्त के सम्बन्ध में चिकित्सा परिषद् द्वारा निर्धारित प्रतिवेदन में अभ्यर्थी के उपयुक्त होने का प्रमाण दिये जाने पर अभ्यर्थी के अन्तिम रूप से उत्तराखण्ड पुलिस सेवा में नियुक्ति प्रदान की जाएगी ।
आयु : आयु गणना की विनिश्चायक तिथि 01 जुलाई (परीक्षा वर्ष) है । अभ्यर्थी की आयु 01 जुलाई, को न्यूनतम 21 वर्ष होनी चाहिए तथा अधिकतम 42 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए । उदाहरण के लिए, वर्ष 2021 में आयोजित परीक्षा के लिए, अभ्यर्थी का जन्म 02 जुलाई 1979 से पूर्व तथा 1 जुलाई, 2000 के बाद का नहीं होना चाहिए ।
अधिकतम आयु सीमा में छूट: विभिन्न श्रेणियों / उपश्रेणियों के अभ्यर्थियों हेतु उत्तराखण्ड शासन द्वारा समय-समय पर निर्गत एवं वर्तमान में प्रचलित शासनादेशों के अनुसार उच्चतम आयु सीमा में उनके आरक्षण की श्रेणी तथा उप श्रेणी के अनुसार छूट प्रदान की जायेगी ।
(i) उत्तराखण्ड अनुसूचित जाति / उत्तराखण्ड अनुसूचित जनजाति / उत्तराखण्ड अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को अधिकतम आयु सीमा में 05 वर्ष की छूट अनुमन्य है ।
(ii) उत्तराखण्ड के दिव्यांग अभ्यर्थियों को समूह “क” तथा “ख” के पदों के लिए अधिकतम आयु सीमा में 05 वर्ष की छूट अनुमन्य है ।
(iii) उत्तराखण्ड के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम आयु सीमा में 05 वर्ष की छूट अनुमन्य है ।
(iv) उत्तराखण्ड के पूर्व सैनिकों को जिन्होंने सेना के आपातकालीन कमीशन प्राप्त अधिकारियों / अल्पकालीन सेवा कमीशन प्राप्त अधिकारियों सहित पूर्व सैनिकों तथा कमीशन प्राप्त उन अधिकारियों को जिन्होंने सेना में कम से कम पांच वर्ष की सेवा कर ली हो, निर्धारित अधिकतम आयु सीमा से अधिकतम पांच वर्ष तक की छूट सेवाकाल को आधार मानकर दी जायेगी । यह छूट उन सैनिकों / अधिकारियों को भी अनुमन्य होगी जो छः माह की अवधि में कार्यमुक्त होने वाले हों परन्तु निम्नलिखित अनुमन्य नहीं होगी- (1) जो कदाचार अथवा अकुशलता के कारण बर्खास्त हुए हों
(2) जो सेना की सेवा में अवगुण समझी जाने वाली शारीरिक अयोग्यता अथवा अशक्तता के कारण सेवामुक्त हुए हो ।
आरक्षण : उर्ध्व / क्षैतिज आरक्षण शासन द्वारा निर्गत तथा अद्यतन प्रचलित शासनादेश के आधार पर केवल उत्तराखण्ड के अधिवासी अभ्यर्थियों को ही अनुमन्य होगा । ऑनलाईन आवेदन पत्र के संबंधित कॉलम में उर्ध्व / क्षैतिज आरक्षण श्रेणी / उप श्रेणी का दावा करने पर ही आरक्षण अनुमन्य किया जायेगा ।
(क) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग, पूर्व सैनिक, निःशक्त (दिव्यांग), स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित तथा महिला श्रेणी के ऐसे अभ्यर्थी, जो उत्तराखण्ड राज्य के अधिवासी नहीं हैं, को आरक्षण का लाभ अनुमन्य नहीं होगा । ऐसे अभ्यर्थी केवल अनारक्षित (सामान्य) श्रेणी के अन्तर्गत ही आवेदन कर सकेंगे ।
(ख) दिव्यांगजनों के लिए पद चिन्हित किये गये हैं । दिव्यांगजनों के आरक्षण के लाभ हेतु दिव्यांगता की विभिन्न श्रेणियों में से किसी एक श्रेणी में कम से कम 40 प्रतिशत की विकलांगता होना अनिवार्य है ।
(ग) पूर्व सैनिक आरक्षण का लाभ सेना से सेवानिवृत्त / विनियोजित सैन्यकर्मियों को ही अनुमन्य होगा । पूर्व सैनिकों को राज्याधीन सेवाओं में “यह निर्णय लिया गया कि एक बार एक भूतपूर्व सैनिक ने अपने पुनर्नियोजन के लिए भूतपूर्व सैनिक के रूप में दिए गए लाभों का लाभ उठाने के बाद, सरकार में पुनर्रोजगार के उद्देश्य के लिए पूर्व सैनिक का दर्जा प्राप्त करने के बाद सिविल क्षेत्र में सरकारी नौकरी में शामिल हो गए बंद हो जाएगा” प्राविधान राज्य सरकार द्वारा अंगीकृत किया गया है । अतएव राज्याधीन सेवाओं में सेवायोजन हेतु भारत सरकार की नीति के अनुसार राज्याधीन सेवाओं में भी क्षैतिज आरक्षण की गणना की जायेगी । पूर्व सैनिक आरक्षण का दावा किए जाने की स्थिति में अभ्यर्थी को पूर्व सैनिक आरक्षण का लाभ लेकर पहले कभी भी सरकारी सेवा में नियोजित नहीं होने संबंधी शपथ पत्र (Affidavit) अपने अन्य अभिलेखों के साथ मुख्य / लिखित परीक्षा से पूर्व आयोग कार्यालय में उपलब्ध कराना होगा ।
(घ) यदि अभ्यर्थी क्षैतिज आरक्षण के अन्तर्गत एक से अधिक उपश्रेणी में आरक्षण का दावा करता है तो वह केवल एक उप श्रेणी जो उसके लिए अधिक लाभदायक होगी, का लाभ पाने का पात्र होगा ।
(ड़) ऑनलाइन आवेदन पत्र में आरक्षण के लाभ का दावा करने वाले अभ्यर्थियों के पास अपनी श्रेणी / उपश्रेणी के समर्थन में विज्ञापन के परिशिष्ट-3 में उल्लिखित प्रारूप / उत्तराखण्ड सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप पर सक्षम अधिकारी द्वारा निर्गत प्रमाण पत्र होना आवश्यक है, जिसे उन्हें ऑनलाइन आवेदन पत्र की छायाप्रति के साथ मुख्य / लिखित परीक्षा से पूर्व अन्य सभी शैक्षणिक अभिलेखों के साथ संलग्न कर प्रस्तुत करना होगा । आरक्षण के सम्बन्ध में जिस श्रेणी से सम्बन्धित निर्धारित प्रारूप का उल्लेख ‘परिशिष्ट-3’ में नहीं है, उससे सम्बन्धित प्रमाण पत्र, जो सम्बन्धित विभाग के सक्षम अधिकारी द्वारा निर्धारित प्रारूप पर जारी किया गया हो, संलग्न करें । जहां शपथ पत्र प्रस्तुत करना आवश्यक हो वहां वांछित शपथ पत्र मजिस्ट्रेट अथवा नोटरी द्वारा विधिवत प्रमाणित कराकर मुख्य / लिखित परीक्षा से पूर्व ऑनलाइन आवेदन पत्र के साथ अवश्य संलग्न कर प्रस्तुत करें ।
(च) उत्तराखण्ड राज्य में महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के अन्तर्गत संचालित स्वैच्छिक / राजकीय गृहों में निवासरत अनाथ बच्चों को क्षैतिज आरक्षण अनुमन्य किया गया है । उक्त आरक्षण के दावे के समर्थन में सम्बन्धित प्रमाण पत्र जनपद के जिला प्रोबेशन अधिकारी की संस्तुति पर उप जिलाधिकारी से अन्यून अधिकारी द्वारा निर्गत किया गया हो ।
राष्ट्रीयता : सेवा में किसी पद पर सीधी भर्ती के लिए यह आवश्यक है कि अभ्यर्थी-
(क) भारत का नागरिक हो; या
(ख) तिब्बती शरणार्थी हो, जो भारत में स्थायी निवास करने के अभिप्राय से 01 जनवरी, 1962 के पूर्व भारत आया हो, या
(ग) भारतीय उद्भव का ऐसा व्यक्ति हो, जिसने भारत में स्थायी निवास करने के अभिप्राय से पाकिस्तान, बर्मा, श्रीलंका या किसी पूर्वी अफ्रीकी देश – केन्या, युगांडा या यूनाइटेड रिपब्लिक ऑफ तन्जानिया (पूर्ववर्ती तांगानिका और जंजीबार) से प्रव्रजन किया हो ।
परन्तु उपर्युक्त श्रेणी (ख) और (ग) के अभ्यर्थी को ऐसा व्यक्ति होना चाहिये जिसके पक्ष में राज्य सरकार द्वारा पात्रता का प्रमाण-पत्र जारी किया गया हो । परन्तु यह और कि श्रेणी (ख) के अभ्यर्थी से यह भी अपेक्षा की जायेगी कि वह उप महानिरीक्षक, अभिसूचना शाखा, उत्तराखण्ड से पात्रता प्रमाण-पत्र प्राप्त कर ले । परन्तु यह भी कि यदि कोई अभ्यर्थी उपर्युक्त श्रेणी (ग) का हो तो पात्रता का प्रमाण-पत्र एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए जारी नहीं किया जायेगा और ऐसे अभ्यर्थी को एक वर्ष की अवधि के आगे सेवा में इस शर्त पर रहने दिया जायेगा कि वह भारत की नागरिकता प्राप्त कर ले ।
टिप्पणी : ऐसे अभ्यर्थी को जिसके मामले में पात्रता का प्रमाण-पत्र आवश्यक हो, किन्तु न तो वह जारी किया गया हो और न देने से इंकार किया गया हो, किसी परीक्षा या साक्षात्कार में सम्मिलित किया जा सकता है और उसे इस शर्त पर अनन्तिम रूप से नियुक्त भी किया जा सकता है कि आवश्यक प्रमाण-पत्र उसके द्वारा प्राप्त कर लिया जाय या उसके पक्ष में जारी कर दिया जाय ।
चरित्र: सेवा में किसी पद पर सीधी भर्ती के लिए अभ्यर्थी का चरित्र ऐसा होना चाहिए कि वह सरकारी सेवा में सेवायोजन के लिए सभी प्रकार से उपयुक्त हो सके। नियुक्ति प्राधिकारी स्वयं इस संबंध में अपना समाधान कर लेगा ।
टिप्पणी :- संघ सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी राज्य सरकार के किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा या संघ सरकार या किसी राज्य सरकार के स्वामित्व में या नियन्त्रणाधीन किसी निगम या निकाय द्वारा पदच्युत व्यक्ति सेवा में किसी पद पर नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगे । नैतिक अधमता के किसी अपराध के लिये दोषसिद्ध व्यक्ति भी नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे ।
वैवाहिक प्रास्थिति : सेवा में किसी पद पर नियुक्ति के लिए ऐसा पुरुष अभ्यर्थी पात्र नहीं होगा जिसकी एक से अधिक पत्नियां जीवित हों और न ऐसी महिला अभ्यर्थी पात्र होगी जिसने ऐसे पुरुष से विवाह किया हो, जिसकी पहले से ही जीवित पत्नी हो ।
परन्तु राज्यपाल किसी व्यक्ति को इस नियम के प्रवर्तन से छूट दे सकते हैं यदि उनका यह समाधान हो जाए कि ऐसा करने के लिए विशेष कारण विद्यमान है ।
शारीरिक स्वस्थता: किसी भी ऐसे अभ्यर्थी को सेवा में किसी पद पर नियुक्त नहीं किया जायेगा, यदि वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है और किसी ऐसे शारीरिक दोष से मुक्त नहीं है, जिसके कारण उसे अपने कर्तव्यों के दक्षतापूर्वक निर्वहन में हस्तक्षेप की सम्भावना हो । किसी अभ्यर्थी को नियुक्ति के लिए अनुमोदित करने से पूर्व-
(क) राजपत्रित पद या सेवा के मामले में चिकित्सा परिषद की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी ।
(ख) सेवा में अन्य पदों के मामले में वित्तीय हस्त-पुस्तिका खण्ड-II भाग III के अध्याय – III में समाविष्ट मूल
नियम 10 के अधीन बनाये गये नियमों के अनुसार स्वस्थता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अपेक्षित होगा ।
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