Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 02 June, 2022 UPSC CNA in Hindi - Download PDF

02 जून 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया:
  2. सिंधु संधि पर हस्ताक्षर कैसे हुए:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

स्वास्थ्य:

  1. समुदाय उन्मुख स्वास्थ्य सेवाओं का मामला:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. मौत की सजा में सुधार:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. मई में GST संग्रह 44% बढ़कर लगभग ₹1.41 लाख करोड़ हो गया:
  2. वैक्सीन कवरेज को बढ़ावा देने के लिए अभियान जारी:
  3. HAL यात्री विमानों को हवा में ईंधन भरने वाले विमान में बदलेगा:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियां एवं राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: यूरोपीय संघ द्वारा रूस के तेल पर आयात प्रतिबंध का महत्व और विभिन्न हितधारकों पर इसका प्रभाव।

संदर्भ:

  • यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण उस पर लगाए गए प्रतिबंधों के एक हिस्से के रूप में यूरोपीय संघ के सदस्य वर्ष 2022 के अंत तक 90% रूसी कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगाने पर सहमत हुए हैं।

विवरण:

  • रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव मूल रूप से यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष द्वारा लाया गया था।
  • रूस से आयात होने वाले, समुद्री एवं पाइपलाइन के जरिये आने वाले कच्चे और परिष्कृत तेल पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को पारित करने के लिए सभी 27 सदस्य देशों की सहमति जरुरी हैं।
  • एक “कोम्प्रोमाईज़ डील” (compromise deal) पर भी सहमति बनी है, जो यूरोप के कुछ देशों को पाइपलाइन के जरिये तेल के आयात पर छूट प्रदान करता है।

 Image Source: The Hindu

Image Source: The Hindu

“कोम्प्रोमाईज़ डील” (compromise deal):

  • यूरोपीय संघ उन देशों को जो देश पाइपलाइन के माध्यम से रूस से कच्चे तेल का आयात करते हैं उन्हें इन प्रतिबंधों से “अस्थायी छूट” प्रदान करेगा, हालांकि यूरोपीय संघ के देशों ने रूसी कच्चे तेल के सभी समुद्री आयात पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति व्यक्त की है, जो रूस से यूरोपीय संघ को होने वाला तेल आयात का लगभग 66% है, जर्मनी और पोलैंड जैसे देशों ने भी वर्ष 2022 के अंत तक रूस से अपने पाइपलाइन आयात को समाप्त करने का वादा किया है।
    • इस कदम से 90% रूसी तेल आयात कम हो जाएगा।
  • हालाँकि, हंगरी, चेक गणराज्य, और स्लोवाकिया के साथ-साथ बुल्गारिया (जो लैंडलॉक देश नहीं है) जैसे लैंडलॉक देशों को ड्रूज़बा पाइपलाइन जो दुनिया का सबसे बड़ा तेल पाइपलाइन नेटवर्क है,के माध्यम से अपना आयात जारी रखने की अनुमति है।
    • (एक लैंडलॉक देश वह होता है जिसकी सीमा किसी महासागर या सागर को स्पर्श नहीं करती है।)
  • ये देश रूस तेल पर बहुत अधिक निर्भर हैं यदि इन पर प्रतिबंध लगा दिया जाता हैं तो इसकी भरपाई के लिए फिलहाल कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है।
  • हंगरी अपने तेल का 65% रूस से पाइपलाइन के माध्यम से आयात करता है, तथा चेक गणराज्य रूस से अपने कुल तेल आयात का 50% आयात करता है, जबकि स्लोवाकिया रूस से अपने तेल जरुरत का 100% आयात करता है और बुल्गारिया,रूस से 60% तेल आयात करता है।
  • इसके अलावा यदि हंगरी की तेल पाइपलाइन आपूर्ति में व्यवधान पैदा होता तो उसे रूस से समुद्र के रास्ते तेल का आयात करने की छूट होगी।
  • इसे एक न्यायसंगत छूट के रूप में देखा जा रहा हैं,क्योंकि यह पाइपलाइन यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र से होकर गुजरती हैं।

रूसी तेल के आयात पर प्रतिबंध के कारण:

  • रूसी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से अपने ऊर्जा निर्यात पर निर्भर है, विशेष रूप से यूरोपीय संघ पर क्योंकि वे कच्चे और परिष्कृत उत्पादों के लिए रूस को हर महीने अरबों डॉलर का भुगतान करते हैं।
  • यूक्रेनी राष्ट्रपति ने दावा किया हैं कि यूरोपीय संघ द्वारा रूस से तेल आयात करना रूस के युद्ध का समर्थन करने के जैसा है, हालाँकि यूरोपीय संघ युद्ध की शुरुआत के बाद से ही इसे रोकने, बड़े पैमाने पर राजस्व प्रवाह को अवरुद्ध करने के लिए तेल आयत पर प्रतिबन्ध लगाने का प्रयास कर रहा है ताकि रूसी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो और वह युद्ध विराम के लिए राजी हो।
  • यूरोपीय संघ के सदस्य दो उद्देश्यों के आधार पर रूसी तेल के आयात पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए सहमत हुए हैं:
  1. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना और उन्हें नवीकरणीय ऊर्जा से बदलना।
  2. अधिक सामरिक स्वायत्तता,ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने और अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भरता को कम करना।

प्रतिबंधों में शामिल अन्य तत्व:

  • इन प्रतिबंधों में Sberbank को अलग करना शामिल है,जो रूस का सबसे बड़ा बैंक है,और जिसके पास SWIFT मैसेजिंग सिस्टम से रूसी बैंकिंग संपत्ति का 33.33% हिस्सा है।
  • यूरोपीय संघ द्वारा तीन रूसी-स्वामित्व वाले प्रसारण नेटवर्क पर प्रतिबंध।
  • यूक्रेन में युद्ध अपराधों में शामिल लोगों पर प्रतिबंध।
  • यूरोपीय संघ ने अपनी उन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का एलान किया है,जो रूसी जहाजों को तेल के परिवहन से संबंधित बीमा, वित्तपोषण और अन्य सेवाएं प्रदान करती हैं।इस कदम से गैर-यूरोपीय संघ के देशों को तेल की आपूर्ति करने की रूस की क्षमता प्रभावित होने की उम्मीद है।

रूस पर प्रभाव:

  • विशेषज्ञों का अनुमान है कि यूरोपीय आयात में 66% की गिरावट के परिणामस्वरूप तेल में 1.2से 1.5 मिलियन बैरल प्रतिदिन और परिष्कृत उत्पादों में एक मिलियन बैरल का नुकसान होगा, जिसके परिणामस्वरूप रूस को लगभग 10 बिलियन डॉलर का वार्षिक नुकसान हो सकता है।
  • रूस के सीमित भंडारण बुनियादी ढांचे को ध्यान में रखते हुए, मांग में गिरावट रूस को अन्य बाजारों को खोजने के लिए मजबूर करेगी क्योंकि इतने कम समय में अन्य खरीदारों को ढूंढना मुश्किल है और युद्ध के समय रूस को अपने उत्पादन में लगभग 20-30% की कटौती करनी पड़ सकती है।
  • यूरोपीय संघ-आधारित उन फर्मों पर प्रतिबंध लगाया गया हैं,जो रूसी तेल निर्यात का समर्थन करने वाली बीमा और अन्य सेवाओं की पेशकश करते हैं।
  • लेकिन अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि नए प्रतिबंधों का यूक्रेन में रूसी सैन्य अभियानों पर कोई प्रभाव पड़ेगा या नहीं।

यूरोपीय देशों पर प्रभाव:

  • विशेषज्ञों द्वारा यूरोप में मुद्रास्फीति में वृद्धि की भविष्यवाणी की गई हैं,जबकि ये देश पहले से ही जीवन-यापन के संकट का सामना कर रहे हैं।
  • यूरोपीय लोगों को सस्ती रूसी ऊर्जा को राशन की तरह दिया गया है, अब यदि मुद्रास्फीति और बढ़ती है, तो इन यूरोपीय देशों को इन कठोर प्रतिबंधों के चलते जनता का समर्थन खोने का खतरा हो सकता है।
  • यूरोपीय संघ के नेता अपने नागरिकों की जीवन शैली को प्रभावित किए बिना रूस की सैन्य आक्रामकता के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के दबाव को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।

रूसी गैस के आयात पर प्रतिबंधों का प्रभाव:

  • रूसी तेल की तुलना में रूसी गैस पर यूरोप की निर्भरता बहुत अधिक है।
  • रूसी गैस यूरोप के कुल प्राकृतिक गैस आयात का लगभग 40% है।
  • इस प्रकार, यूरोपीय संघ के देशों ने रूस से गैस के आयात को प्रतिबंध से मुक्त कर दिया है, अर्थात यूरोपीय देश रूस से गैस आयात करना जारी रखेंगे।
  • लेकिन, यूरोपीय देशों ने रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि कच्चा तेल प्राकृतिक गैस की तुलना में अधिक महंगा है।

इन प्रतिबंधों पर भारत की प्रतिक्रिया:

  • भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद रियायती कीमतों पर की है।
  • यूरोपीय संघ के प्रतिबंध की घोषणा के परिणामस्वरूप तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है चूँकि यूरोप अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहा है। ऐसी स्थिति में कीमतों के उच्च रहने की उम्मीद है, भारत द्वारा रूस से रियायती तेल खरीदने की अपनी नीति जारी रखने की उम्मीद है।
  • रूस द्वारा $30-35 प्रति बैरल की छूट की पेशकश के कारण भारत को रूस से सबसे सस्ता तेल मिलने की उम्मीद है।

सारांश:

  • यूरोपीय संघ द्वारा रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस कदम को रूसी ऊर्जा पर यूरोपीय देशों की उच्च निर्भरता को देखते हुए अकल्पनीय माना गया है ।हालांकि अब यह देखना होगा कि इस प्रतिबंध का यूक्रेन में रूसी सैन्य अभियान पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

सिंधु संधि पर हस्ताक्षर कैसे हुए:

विषय: भारत और उसके पड़ोसी देशो के साथ संबंध।

प्रारंभिक परीक्षा: सिंधु जल संधि से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: सिंधु जल संधि का विस्तृत इतिहास और उसका महत्व।

संदर्भ:

  • कराची में भारत के पूर्व उच्चायुक्त द्वारा लिखे गए इस लेख में चर्चा की गई है कि सिंधु जल संधि पर बातचीत कैसे शरू हुई थी।

सिंधु जल संधि:

  • सन् 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे और विश्व बैंक द्वारा इसकी मध्यस्थता की गई थी।
  • इस संधि के अनुसार सिंधु बेसिन की पूर्व की ओर बहने वाली तीन नदियों रावी, ब्यास और सतलुज पर भारत का और पश्चिम की तीन नदियों अर्थात् सिंधु, चिनाब और झेलम पर पाकिस्तान नियंत्रण होगा।
  • सिंधु जल संधि के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Indus Water Treaty

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:

  • सिंधु जल विवाद विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों को प्रभावित करने वाली प्रमुख चुनौतियों में से एक था,क्योंकि सदियों से विकसित सिंधु नहर प्रणाली दो देशों को विभाजित करने वाली रेखा के रूप में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती थी।
  • विश्व बैंक ने इसमें हस्तक्षेप किया और दोनों देशों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य कर इस गतिरोध को ख़त्म किया।

सीमाओं के सीमांकन की चुनौतियाँ:

  • चूंकि जल बंटवारे के संबंध में बातचीत चल रही थी, और दोनों देशों के अधिकारियों को सीमाओं के निर्धारण की चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि रेडक्लिफ रेखा (Radcliffe line) का निर्धारण एक विवाद का विषय था।
  • सन 1959 में, इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारत द्वारा दो टीमों को नियुक्त किया गया था।
  • भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच हुई चर्चा ने दोस्ती और सौहार्द की भावना को उजागर किया।
  • भारतीय दल का नेतृत्व सरदार स्वर्ण सिंह ने किया और जनरल खालिद शेख ने पाकिस्तानी टीम का नेतृत्व किया।
  • भारतीय पक्ष में प्रमुख सलाहकार एम जे देसाई थे, और पाकिस्तानी पक्ष में सिकंदर अली बेग थे।
  • इस का मुख्य लक्ष्य किसी भी देश को बिना किसी अनुचित लाभ प्रदान किये,इस समस्या का समाधान खोजना था हालाँकि यह अपेक्षाकृत आसान हो गया था क्योंकि दोनों देशों की टीमों ने एक-दूसरे के दावों को स्वीकार कर लिया और आपसी सहमति से कई समस्याओं का समाधान निकाला।
  • हालाँकि, कुछ मुद्दे अनसुलझे ही रह गए थे-जैसे कच्छ के रण का विवाद।
  • चूंकि दोनों पक्षों ने इसे देना स्वीकार नहीं किया, इसलिए इसे नियमित राजनयिक चैनलों के माध्यम से आगे की बातचीत पर छोड़ने का निर्णय लिया गया।
  • बाद में पाकिस्तान ने उस क्षेत्र में एक छापेमारी बल भेजा जिसे भारतीय सेना ने रोक दिया था और आगे जाकर यह विवाद अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता से समाप्त हो गया क्योंकि भारत इस विवादित क्षेत्र का एक हिस्सा पाकिस्तान को देने पर सहमत हो गया।
  • इस बीच, सितंबर 1959 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने ढाका की अपनी एक यात्रा के दौरान नई दिल्ली में रुकने और भारतीय प्रधान मंत्री से मिलने का साहसिक निर्णय लिया था।
  • इसी क्रम में दोनों नेताओं ने एक बयान जारी किया जिसमें उन्होंने तर्कसंगत और योजनाबद्ध तरीके से संबंधों को संचालित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
  • जिसमे यह भी कहा गया कि समसामयिक मुद्दों को न्याय और निष्पक्षता के अनुसार, मित्रता और सहयोग की भावना से सुलझाया जाना चाहिए।

भारतीय प्रधानमंत्री की पाकिस्तान यात्रा:

  • भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दिल्ली में अयूब खान के रुकने का स्वागत और दोनों देशों के बीच विकसित हो रहे मैत्रीपूर्ण संबंधों का प्रदर्शन किया।
  • भारतीय प्रधान मंत्री की कराची यात्रा के दौरान सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसमे भारत की ओर से नेहरू,पाकिस्तान की ओर से अयूब खान और विश्व बैंक के उपाध्यक्ष विलियम इलिफ ने हस्ताक्षर किए थे।
  • हालाँकि, इसके बाद की चर्चाएँ विफल हुईं क्योंकि कोई भी पक्ष व्यापार और आर्थिक मोर्चों पर बड़ी रियायतों के लिए तैयार नहीं था।
  • पाकिस्तान ने सिंधु नदी के पानी को राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में नदी के निचले इलाकों में एक बैराज स्थापित करने और बलूचिस्तान से बंबई क्षेत्र में सुई प्राकृतिक गैस की आपूर्ति करने की भी पेशकश की।
  • भारतीय पक्ष उस प्रस्ताव पर विचार करने के लिए सहमत हुआ जिसने पाकिस्तान को पूरे भारत में लाहौर और ढाका (बांग्लादेश) को जोड़ने वाली ट्रेन चलाने में सक्षम बनाया।
  • सैन्य क्षेत्रों में सहयोग पर भी चर्चा की गई।
  • इस क्रमिक घटनाक्रम के तहत भारत ने कश्मीर की उत्तरी सीमा पर चीनी गतिविधियों को लेकर अपनी चिंता को उजागर किया और पाकिस्तान ने अपने सैन्य सलाहकारों के साथ इसकी जाँच न करने का वादा किया।
  • बाद में पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर पर कब्जा जमाने के लिए हुए संघर्ष में चीन के सहयोग के बदले कश्मीर के उत्तरी हिस्से का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उसे सौंप दिया।

सारांश:

  • सिंधु जल संधि को दोनों देशों के बीच अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता है,क्योंकि यह दोनों देशों के बीच मित्रता और सौहार्द की भावना को उजागर करती है। हालांकि, कश्मीर पर पाकिस्तान की महत्वपूर्ण रियायतों की मांगों के कारण दोनों देशों के बीच अन्य द्विपक्षीय चर्चाओं को सीमित सफलता मिली है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

समुदाय उन्मुख स्वास्थ्य सेवाओं का मामला:

विषय: सामाजिक क्षेत्र एवं स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: आशा द्वारा निभाई गई भूमिका तथा उनकी प्रभावशीलता में सुधार संबंधित चुनौतियां और सिफारिशें।

संदर्भ:

  • भारत के मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (ASHA) को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा ग्लोबल हेल्थ लीडर्स अवार्ड 2022 प्राप्त हुआ हैं।

पृष्टभूमि:

  • भारत ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत केवल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2005-06 में ASHA कार्यक्रम शुरू किया था। इसके बाद 2013 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत के साथ-साथ इसे शहरी क्षेत्रों में भी शुरू किया गया।
  • वर्तमान में, भारत में लगभग दस लाख आशा कार्यकर्ता हैं।

आशा कार्यकर्ताओं का योगदान:

  • आशा कार्यकर्ताओं ने प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने में अर्थात् मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण और शहरी आबादी, साथ ही विशेष रूप से दुर्गम बस्तियों और भारत में गरीबों और वंचितों पर विशेष ध्यान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • उन्होंने नियमित टीकाकरण कवरेज बढ़ाने, मातृ मृत्यु दर में कमी, बाल मृत्यु दर में सुधार और सामान्य बीमारियों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • आशा, लगभग हर स्वास्थ्य पहल के समुदायिक स्तर पर क्रियान्वयन हेतु महत्वपूर्ण बन गई हैं और भारत में मांग पक्ष की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच का अभिन्न अंग हैं।
  • आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (AWW) और सहायक नर्स मिडवाइफ (ANM) के साथ काम करते हुए, वे समुदाय को स्वास्थ्य और पोषण सेवा वितरण की सुविधा प्रदान करने में सक्षम हैं।
  • वे समन्वय और सेवा वितरण के लिए ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण समितियों जैसे प्लेटफार्मों में सक्रिय भागीदार रहे हैं।

आशा कार्यक्रम की ताकत:

  • आशा के चयन में प्रमुख ग्राम हितधारकों की भागीदारी के परिणामस्वरूप पहल के लिए सामुदायिक स्वामित्व सुनिश्चित हुआ है। इससे लोगों की भागीदारी बढ़ी है और आशा की जवाबदेही में भी सुधार हुआ है।
  • यह देखते हुए कि आशा कार्यकर्ताएं उसी गांव की होती हैं जहां वे काम करती हैं, उन्हें बेहतर रूप से सामुदायिक जुड़ाव और स्वीकृति प्राप्त होती हैं। इससे उनकी प्रभावशीलता वृद्धि होती है।
  • आशा कार्यकर्ताओं को प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन देना इनके बीच बेहतर जवाबदेही सुनिश्चित कर सकता हैं।

चुनौतियां/चिंताएं:

  • आशा कार्यकर्ताओं का कोई निश्चित वेतन नहीं है, उन्हें केवल प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन का ही भुगतान किया जाता है। केवल कुछ भारतीय राज्य आशा कार्यकर्ताओं को एक निश्चित वेतन देते हैं।
  • आशा कार्यकर्ताओं का भुगतान कम है और अक्सर देरी से मिलता है।
  • इसके परिणामस्वरूप भारत के कई राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नियमित आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किए जाते हैं।

सुझाव:

  • हाल ही में भारत की आशा कार्यकर्ताओं को मिली वैश्विक मान्यता को, स्वास्थ्य कार्यक्रम की चुनौतियों को दूर करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए और इस दिशा में लेखक के निम्नलिखित सुझाव है।

ज्यादा वेतन:

  • आशा के लिए उच्च पारिश्रमिक सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहनों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

क्षमता निर्माण और कैरियर प्रगति:

  • आशा के लिए क्षमता निर्माण और कैरियर की प्रगति हेतु पर्याप्त अवसर पैदा करने के लिए संस्थागत तंत्र का निर्माण किया जाना चाहिए। आशा को ANM, सार्वजनिक स्वास्थ्य नर्स और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों जैसे संवर्गों में विलय किया जाना चाहिए। यह आशा कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रमुख प्रोत्साहन के रूप में कार्य करेगा।

सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना:

  • आशा और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य बीमा एवं ऐसी अन्य सामाजिक कल्याण योजनाएं तैयार की जानी चाहिए।

पदों का नियमितीकरण:

  • आशा को स्थायी सरकारी कर्मचारी बनाने की मांग पर विचार किया जाना चाहिए।
  • आशा कार्यकर्ता प्रोत्साहन के लिए कार्य करने के अलावा भारत में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में स्वास्थ्य कार्यबल में कर्मचारियों की व्यापक कमी को पूरा कर सकते है।

सारांश:

  • जन-केंद्रित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवा में आशा कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसलिए आशा कार्यकर्ताओं को और सशक्त बनाने के लिए सभी आवश्यक नीतिगत उपाय किए जाने चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

मौत की सजा में सुधार:

विषय: सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण फैसले।

प्रारंभिक परीक्षा: बचन सिंह केस।

संदर्भ:

  • मनोज और अन्य बनाम मध्य प्रदेश राज्य वाद में सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला।

पृष्टभूमि:

  • भारत में मृत्युदंड के मामलें में प्रशासन की निष्पक्षता पर चिंताएँ बढ़ रही हैं, जिसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों, पूर्व न्यायाधीशों, वकीलों, शोधकर्ताओं आदि द्वारा भी स्वीकारा गया है।
  • निचली अदालतों द्वारा मौत की सजा की प्रक्रिया में मनमानी प्रमुख चिंता का विषय बना हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के बचन सिंह जैसे ऐतिहासिक फैसलों में दिए गए दिशा-निर्देशों की अक्सर अनदेखी की गई है।
    • 1980 में बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य में मृत्युदंड की संवैधानिकता को बरकरार रखा गया था। फैसले ने ‘व्यक्तिगत सजा’ पर बल दिया और अदालतों से ‘अपराध’ और सजा के लिए आरोपी की परिस्थितियों पर विचार करने का आह्वान किया।

विवरण:

  • “मनोज” मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी के बारे में बहुत कम प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध है और यह टिप्पणी की कि यह जानकारी निष्पक्ष सजा प्रक्रिया के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि प्रारंभिक पारिवारिक पृष्ठभूमि जैसी जानकारियां जो हिंसा या उपेक्षा से संबंधित किसी भी पुरानी घटनाओं को सामने लाती है (जिसे दूरस्थ कारक या अनुभव भी कहा जाता है) एक प्रासंगिक शमन कारक हो सकती है।

फैसले का महत्व:

  • आरोपी के पिछली सामाजिक स्थिति, व्यवहार और जीवन परिस्थितियों पर विचार करने से आरोपी की व्यापक पृष्ठभूमि के संबंध में समझ विकसित होगी। इस प्रकार, बचन सिंह मामले में परिकल्पित ‘व्यक्तिगत सजा जांच’ को साकार करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
  • निर्णय एक साक्ष्य-आधारित जांच की बात करता है जिसमे विशेषज्ञ राय और विषयों की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करना है और यह प्रक्रिया सिर्फ सजा सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
  • अपराध पूर्व-विवरण जैसे कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा, पारिवारिक पृष्ठभूमि तथा अपराध उपरांत विवरण जैसे जेल में कैदी के आचरण आदि पर विचार करके निर्णय को कम करने वाले कारकों के दायरे का विस्तार करता है। यह मृत्युदंड की सजा को कम करने के लिए पर्याप्त गुंजाइश प्रदान करता है।

सुझाव:

  • ‘मनोज’ मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने हेतु निचली अदालतों को प्रतिबद्ध करना चाहिए।
  • निचली अदालतों को पर्याप्त रूप से सक्षम होना चाहिए ताकि उन्हें उपलब्ध कराई जाने वाली सभी जानकारीयों को समझ सकें। वे आवश्यकता पड़ने पड़ गैर-कानूनी विशेषज्ञता की मदद ले सकती हों।

सारांश:

  • मनोज के मामले में निर्णय वास्तव में एक अधिक सार्थक और प्रभावी जांच (मौत की सजा के संबंध में) की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. मई में GST संग्रह 44% बढ़कर लगभग ₹1.41 लाख करोड़ हो गया:

  • मई 2022 में सकल माल और सेवा कर (GST) राजस्व एक साल पहले (2021) की तुलना में 44% बढ़कर ₹1,40,885 करोड़ हो गया है।
  • माल के आयात पर 43% अधिक कर प्राप्त हुआ हैं,जबकि घरेलू लेनदेन और सेवाओं के आयात से प्राप्तियों में भी समान गति से वृद्धि हुई हैं।
  • GST की शुरुआत के बाद से यह केवल चौथी बार है जब मासिक जीएसटी संग्रह ने ₹1.4 लाख करोड़ का आंकड़ा पार किया है और मार्च 2022 के बाद से यह लगातार तीसरा महीना है।
  • अप्रैल माह में GST संग्रह मई से ज्यादा था,क्योंकि इस माह में करदाता अपने त्रैमासिक-आधारित करों को दाखिल करते हैं, जबकि घरेलू लेनदेन से राजस्व वृद्धि, सेवाओं के आयात सहित, मई में कई महीनों के बाद माल आयात से राजस्व में वृद्धि हुई है।
  • कर्नाटक (60%), महाराष्ट्र (50%) और गुजरात (46%) जैसे कई राज्यों में 44% राष्ट्रीय औसत की तुलना में तेजी से राजस्व में वृद्धि हुई और एक और COVID ब्रेकआउट और बड़े व्यवधानों के अभाव में गतिविधि की निरंतर गति देखी गई, केंद्र का GST का प्रवाह बजट अनुमानों से 1.15 लाख करोड़ रुपये अधिक होने की उम्मीद है, जिससे केंद्र के उच्च सब्सिडी बिल का एक हिस्सा अवशोषित हो जाएगा।

 Image Source: The Hindu

Image Source: The Hindu

2. वैक्सीन कवरेज को बढ़ावा देने के लिए अभियान जारी:

  • डोर-टू-डोर (दरवाजे से दरवाजे तक) अभियानों के माध्यम से सभी पात्र लाभार्थियों को शामिल करके COVID-19 टीकाकरण कवरेज में तेजी लाने के लिए दो महीने का हर घर दस्तक 2.0 अभियान शुरू किया गया है।
  • इस अभियान के तहत वृद्धाश्रमों, स्कूलों,कॉलेजों, जेलों और ईंट भट्टों में व्यक्तियों पर टीका लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय COVID-19 टीकाकरण अभियान के तहत देश भर में 193.57 करोड़ खुराकें दी गई हैं और 15 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों में से लगभग 96.3% को कम से कम एक टीका लगाया गया है।

3. HAL यात्री विमानों को हवा में ईंधन भरने वाले विमान में बदलेगा:

  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, (HAL) ने भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए छह बोइंग -767 नागरिक विमानों को उड़न के दौरान हवा में ईंधन भरने वाले विमानों में बदलने के लिए इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • IAF उड़ान के दौरान हवा में ईंधन भरने वाले विमानों की खरीद पर विचार कर रहा है, बोइंग-767 को नागरिक से सैन्य प्रमाणन विमानों में परिवर्तित किया जाएगा और HAL द्वारा ही जल्दी सेकेंड-हैंड B-767s खरीदने के लिए एक वैश्विक निविदा जारी करने की उम्मीद है।
  • हवा में ईंधन भरने से लड़ाकू जेट की सीमा और पेलोड में उल्लेखनीय सुधार होता है और विमान अपनी सामान्य सीमा से बहुत अधिक हवा में उड़ता है। जिससे प्लेटफॉर्म की क्षमताओं का बेहतर उपयोग होता है।
  • इसके अलावा, HAL एयर इंडिया के बोइंग-747 को एक समर्पित कार्गो भूमिका में परिवर्तित करने के तरीकों पर विचार कर रहा है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. अंतरराष्ट्रीय ट्रेनों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-सरल)

  1. समझौता एक्सप्रेस भारत और पाकिस्तान के बीच चलती हैं।
  2. थार एक्सप्रेस शिमला समझौते के आधार पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा संपर्क बनाती हैं।
  3. मैत्री एक्सप्रेस भारत को नेपाल से जोड़ती है।

सही कूट का चयन कीजिए

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: a

व्याख्या:

  • समझौता एक्सप्रेस एक द्वि-साप्ताहिक ट्रेन है जो दिल्ली से अटारी होते हुए पाकिस्तान के लाहौर तक चलती है।
    • समझौता शब्द का अर्थ हिंदी और उर्दू दोनों में “समझौता”, “संधि” और “सुलह” है।
  • कथन 2 सही है: थार एक्सप्रेस एक अंतरराष्ट्रीय यात्री ट्रेन हैं, जो राजस्थान के जोधपुर और पाकिस्तान के कराची (कराची छावनी) के बीच चलती हैं।
  • कथन 3 सही नहीं है: मैत्री एक्सप्रेस भारत को बांग्लादेश से जोड़ती है।

प्रश्न 2. प्रश्न 2. ‘हर घर दस्तक’ अभियान निम्नलिखित में से किससे संबंधित है? (स्तर-मध्यम)

(a) जनगणना

(b) मिशन इन्द्रधनुष

(c) पोलियो टीकाकरण

(d) कोविड-19 टीकाकरण

उत्तर: d

व्याख्या:

  • ‘हर घर दस्तक’ एक राष्ट्रव्यापी COVID-19 टीकाकरण अभियान है।

प्रश्न 3. आईएमएफ (IMF) की विस्तारित फंड सुविधा (EFF) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. EFF की स्थापना संरचनात्मक बाधाओं या धीमी वृद्धि तथा स्वाभाविक रूप से कमजोर भुगतान संतुलन स्थिति के कारण उत्पन्न गंभीर भुगतान असंतुलन का सामना करने वाले देशों को सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी।
  2. EFF के तहत आहरित राशि को साढ़े चार से दस वर्षों में 12 समान अर्धवार्षिक किश्तों में चुकाना होता है।
  3. विस्तारित व्यवस्थाओं को आम तौर पर तीन साल की अवधि के लिए अनुमोदित किया जाता है, लेकिन गहन और निरंतर संरचनात्मक सुधारों के लिए 4 साल तक की अवधि के लिए अनुमोदित किया जा सकता है।

सही कूट का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: IMF की विस्तारित निधि सुविधा (EFF) की स्थापना उन देशों को सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी, जो संरचनात्मक बाधाओं या धीमी वृद्धि और स्वाभाविक रूप से कमजोर भुगतान संतुलन स्थिति के कारण गंभीर भुगतान असंतुलन का सामना कर रहे हैं।
  • EFF एक विस्तारित अवधि में संरचनात्मक असंतुलन को ठीक करने के लिए आवश्यक नीतियों सहित व्यापक कार्यक्रमों के लिए सहायता प्रदान करता है।
  • कथन 2 सही है: EFF के तहत आहरित राशि को साढ़े चार से दस वर्षों में 12 समान अर्धवार्षिक किश्तों में चुकाना होता है।
  • कथन 3 सही है: विस्तारित व्यवस्थाओं को आम तौर पर तीन साल की अवधि के लिए अनुमोदित किया जाता है, लेकिन गहरे और निरंतर संरचनात्मक सुधारों को लागू करने के लिए 4 साल तक की अवधि के लिए अनुमोदित किया जा सकता है।

प्रश्न 4. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-सरल)

  1. NGT के सदस्य पांच साल की अवधि के लिए पद पर बने रहेंगे लेकिन वे पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होंगे।
  2. ट्रिब्यूनल सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 की निर्धारित प्रक्रिया के तहत बाध्य नहीं है, लेकिन ‘प्राकृतिक न्याय’ के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होगी ।
  3. NGT के समक्ष आये आवेदनों या अपीलों को दाखिल करने के 6 महीने के अन्दर निपटाना अनिवार्य है।

सही कूट का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: NGT के सदस्य पांच साल की अवधि के लिए पद धारण करते हैं लेकिन वे पुनर्नियुक्ति के पात्र नहीं होते हैं।
  • कथन 2 सही है: NGT नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया के तहत बाध्य नहीं है, लेकिन “प्राकृतिक न्याय” के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है।
  • कथन 3 सही है: NGT के समक्ष आये आवेदनों या अपीलों को दाखिल करने के 6 महीने के भीतर निपटाना अनिवार्य है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: PYQ (2021) (स्तर – कठिन)

  1. भारत में ऐसा कोई कानून नहीं हैं जो लोकसभा उम्मीदवारों को 1 चुनाव में तीन निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करता हैं।
  2. 1991 के लोकसभा चुनाव में, श्री देवी लाल ने तीन लोकसभा क्षेत्रों से चुनाव लड़ा था।
  3. मौजूदा नियमों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार लोकसभा चुनाव में कई निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ता है, तो उसकी पार्टी को उसके जीतने की स्थिति में, उसके द्वारा खाली किए गए सभी निर्वाचन क्षेत्रों में उप-चुनावों का खर्च वहन करना होगा।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 3

(d) 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33 (7) के अनुसार, एक उम्मीदवार अधिकतम दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है (1996 तक अधिक निर्वाचन क्षेत्रों की अनुमति थी लेकिन बाद में अधिकतम दो निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा निर्धारित करने के लिए RPA में संशोधन किया गया था।)
  • कथन 2 सही है: 1991 में, हरियाणा के उपमुख्यमंत्री देवीलाल ने तीन लोकसभा सीटों सीकर, रोहतक और फिरोजपुर के आलावा 1 विधानसभा सीट घिराई से चुनाव लड़ा था।
  • कथन 3 सही नहीं है: ऐसे मामलों में उप-चुनावों का खर्च भारत निर्वाचन आयोग द्वारा वहन किया जाता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. मृत्युदंड की सजा में कमियों की चुनौतियों का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजनीति)

प्रश्न 2. सिंधु जल संधि के महत्व का विश्लेषण कीजिए। क्या भारत को इसे पाकिस्तान के खिलाफ उसके द्वारा प्रयोजित आतंकवाद के विरुद्ध एक शक्ति के रूप में इस्तेमाल करने पर विचार करना चाहिए? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*