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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 13 September, 2022 UPSC CNA in Hindi

13 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. खाद्य कीमतों में वृद्धि से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7% हो गई:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. महान G20 शक्ति, महान जिम्मेदारी:
  2. अंतरराष्ट्रीय कानून के इस्तेमाल में भारत अपना रास्ता खो चुका है:
  3. भारत-बांग्लादेश संबंध, द्विपक्षीय सहयोग का एक मॉडल

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. रक्तदान अमृत महोत्सव:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया श्रीलंकाई तमिल मुद्दा:
  2. जयपुर में उतरेंगे आठ अफ्रीकी चीते:
  3. राज्यों से गोद लेने के नियम लागू करने को कहा:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

खाद्य कीमतों में वृद्धि से खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7% हो गई:

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था एवं योजना तथा संसाधन संग्रहण, संवृद्धि एवं विकास से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: मुद्रास्फीति से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: बढ़ती खुदरा मुद्रास्फीति से जुड़ी चिंताओं के कारण और सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपाय।

संदर्भ:

  • भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जो जुलाई में 6.71% थी, अगस्त 2022 में बढ़कर 7% हो गई है।

विवरण:

Image Source: The Hindu

  • मुद्रास्फीति की दर में वृद्धि का मुख्य कारण खाद्य कीमतों में 7.62% की वृद्धि है।
  • खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि अनाज, दालों, दूध, फलों, सब्जियों,तैयार भोजन और स्नैकस (नाश्ता/हल्का भोजन) की उच्च कीमतों के कारण हुई है।
  • यह लगातार आठवां महीना है,जिसमें खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की 6% की ऊपरी सहिष्णु (tolerance) सीमा से अधिक दर्ज की गई है।
  • विशेषज्ञों का मानना है कि विभिन्न घरेलू कारण, जिसमे विशेष रूप से असमान मानसून और खाद्य कीमतों पर इसके नकारात्मक प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति बढ़ी है।
  • मुद्रास्फीति के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Inflation

चिंता के कारण:

  • उच्च खुदरा मुद्रास्फीति की दर देश के गरीब वर्गों की खर्च करने के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि खाद्य और संबंधित वस्तुओं की खपत में उनकी कमाई का एक बड़ा भाग खर्च हो जाता है।
  • उच्च मुद्रास्फीति के साथ-साथ एक स्थिर (not-so-steady) औद्योगिक सुधार आरबीआई के काम को कठिन बना रहा है,और यदि उच्च मुद्रास्फीति बनी रहती है तो ब्याज दरों में वृद्धि हो सकती है।
  • इसके अलावा, ग्रामीण मुद्रास्फीति जो जुलाई में 6.8% थी, में अगस्त में शहरी मुद्रास्फीति की तुलना में तेज वृद्धि देखी गई हैं।
  • अगस्त में ग्रामीण मुद्रास्फीति 7.15 प्रतिशत पर पहुंच गई हैं,जबकि शहरी मुद्रास्फीति जुलाई के 6.49% से बढ़कर अगस्त में 6.72% हो गई हैं।
  • उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक द्वारा मापी गई मुद्रास्फीति ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़कर 7.6% और शहरी क्षेत्रों में 7.55% हो गई, जो जुलाई में लगभग 6.7% थी।
  • उपभोक्ता गैर-टिकाऊ उत्पादन जून में 2.96% से कम हो कर जुलाई में 2% हो गया है साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति ग्रामीण परिवारों पर लगातार इसके पड़ने वाले दवाब या नकारात्मक प्रभाव को दर्शाती है, जिसने मांग को प्रभावित किया है।
  • 22 प्रमुख राज्यों में से 10 राज्यों में मुद्रास्फीति 7% से अधिक है।
    • पश्चिम बंगाल में अगस्त में मुद्रा स्फीति की दर सबसे अधिक 8.94% रही हैं।
    • अगस्त माह में गुजरात की महंगाई दर भी 8.22% पर पहुंच गयी हैं।
    • जबकि, तेलंगाना में कीमतों में वृद्धि जुलाई के 8.58% से थोड़ा कम होकर अगस्त में 8.11% तक आ गई है।

सरकार की प्रतिक्रिया:

  • वित्त मंत्रालय ने अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि को “मध्यम” (moderate) माना है और कहा कि यह प्रतिकूल आधार प्रभाव एवं खाद्य और ईंधन की कीमतों में वृद्धि के कारण हुआ है।
  • मंत्रालय ने इन कारकों को उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति का “क्षणिक घटक” करार दिया हैं।
  • कोर मुद्रास्फीति, जिसमें ईंधन और कम मुद्रास्फीति के साथ खाद्य और पेय पदार्थों के इन “क्षणिक घटकों” को शामिल नहीं किया गया है, अगस्त में 5.9% थी, जो कि 6% की सहनशीलता सीमा (tolerance limit) से नीचे है।
  • आगे, मंत्रालय ने बताया है कि अनिश्चित मानसून और नकारात्मक मौसमी तत्व के कारण सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के बावजूद खाद्य मुद्रास्फीति अप्रैल 2022 की तुलना में कम है।
  • मंत्रालय ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि खाद्य तेलों और दालों की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए, आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को समय-समय पर युक्तिसंगत बनाया गया है,और जमाखोरी से बचने के लिए खाद्य तेलों पर स्टॉक सीमा लगाई गई है।
  • केंद्र ने मूल्य वृद्धि को कम करने और घरेलू आपूर्ति स्थिर रखने के लिए गेहूं का आटा, चावल, मैदा जैसे खाद्य पदार्थों के निर्यात पर भी रोक लगा दी है।
  • मंत्रालय ने यह भी कहा कि वैश्विक बाजारों में लौह अयस्क और स्टील जैसे प्रमुख आदानों की लागत में कमी आई है।
  • इसने,सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों के साथ-साथ उपभोक्ता वस्तुओं की लागत वृद्धि ने मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखने में मदद की है।

सारांश:

  • चूंकि देश में खुदरा मुद्रास्फीति लगातार आठ महीनों तक 6% की ऊपरी सहनशीलता सीमा से अधिक है,अतः मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक नीति के साथ-साथ राज्यों और राजकोषीय नीति के माध्यम से सहयोगात्मक प्रयास किये जाने की आवश्यकता है और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आर्थिक विकास प्रभावित न हो।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

महान G20 शक्ति, महान जिम्मेदारी

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय, वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

प्रारंभिक परीक्षा: G20- सदस्यता, संरचना और कार्यप्रणाली

मुख्य परीक्षा:भारत के G20 प्रेसीडेंसी का महत्व; चुनौतियां और सिफारिशें।

संदर्भ:

  • भारत बाली में होने वाले आगामी G20 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में G20 की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
    • भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक G20 का अध्यक्ष रहेगा।
    • G20 की इस अध्यक्षता के हिस्से के रूप में, भारत 2023 में मंत्रिस्तरीय बैठकों, कार्य समूहों, कार्यक्रमों और G20 राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

भारत के लिए G20 प्रेसीडेंसी का महत्व:

  • G20 दुनिया के सबसे प्रभावशाली आर्थिक बहुपक्षीय मंचों में से एक है। यह देखते हुए कि इसके सदस्य विश्व के सकल घरेलू उत्पाद के 80% से अधिक और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 75% का प्रतिनिधित्व करते हैं, G20 विशेष रूप से वैश्विक आर्थिक चुनौती जैसे मुद्रास्फीति जनित मंदी में वैश्विक आर्थिक विकास और समृद्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण हो सकता है
  • G20 की अध्यक्षता भारत को वैश्विक एजेंडा और बातचीत को प्रस्तावित करने और स्थापित करने में केन्द्रीय भूमिका ग्रहण करने का अवसर देगी। यह भारत को अन्य विकासशील और कम विकसित देशों का समर्थन करते हुए वैश्विक एजेंडा पर अपनी प्राथमिकताओं और आख्यानों को रखने की अनुमति देगा। इसमें प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, हरित अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण में सहायता, विकासशील देशों के लिए व्यापार तक अधिक पहुंच, स्थायी सहायता और ऋण कार्यक्रमों के माध्यम से देशों के ऋण संकट को दूर करना, कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए खाद्य और ऊर्जा की कीमतों/सुरक्षा जैसे अन्य पहलुओं को शामिल किया जा सकता है।
  • 2023 में जी20 राष्ट्राध्यक्ष शिखर सम्मेलन, यकीनन भारत द्वारा आयोजित अब तक का सबसे हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम होगा। यह इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनसे भारत को राजनयिक लाभ मिलेगा।
  • G20 एक अद्वितीय वैश्विक संस्था है जिसमे विकसित और विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व है। G20 की अध्यक्षता भारत को वैश्विक मंच पर अपने राजनीतिक, आर्थिक और बौद्धिक नेतृत्व का दावा करने की अनुमति देगी और इसलिए भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेगी। वैश्विक महाशक्ति बनने की भारत की आकांक्षाओं को देखते हुए यह और भी महत्वपूर्ण है।

भारत के लिए चुनौतियां:

  • विश्व व्यवस्था में विभाजन प्रकट हो रहा है जो अनिवार्य रूप से G20 में भी प्रकट होगा। उत्तर अटलांटिक संधि संगठन और G7 जैसे संगठनों सहित पश्चिम चीन और रूस के बीच बनते गठजोड़ के विरोध में खड़ा है। भारत बीच में फंसा रहता है क्योंकि वह दोनों पक्षों से जुड़ने की कोशिश करता है।
  • G20 विभिन्न मुद्दों पर गहराई से विभाजित है।अक्सर विरोधी विचारों के कारण किसी भी पहलू पर आम सहमति आधारित निर्णय करना बेहद मुश्किल है।

भारत के लिए सिफारिशें:

  • भारत को अपनी अध्यक्षता में G20 के लिए एक साझा आधार खोजने और एक व्यापक एजेंडा बनाने के लिए विरोधी सदस्य देशों के बीचसंतुलन बनाना होगा। यह एजेंडा वैश्विक चिंता के मुद्दों को संबोधित करने में सक्षम होना चाहिए।
  • भारत के G20 प्रेसीडेंसी के दौरान स्वास्थ्य, टिकाऊ ऊर्जा और डिजिटल परिवर्तन जैसे क्षेत्र शीर्ष फोकस वाले क्षेत्र होने चाहिए। इसके अलावा आर्थिक सुधार, मजबूत व्यापार और निवेश प्रवाह, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने जैसे पहलुओं पर भी ध्यान देना चाहिए। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए एक सतत और समावेशी विकास सुनिश्चित करेगा।
  • भारत को अपने G20 प्रेसीडेंसी द्वारा प्रदान किए गए अवसर का उपयोग यूरोपीय संघ, यूके और कनाडा जैसे G20 सदस्यों के साथ अधिक सहयोग करने के लिए करना चाहिए ताकि उनके साथ मुक्त व्यापार समझौतों को साकार करने में तेजी लाई जा सके।
  • भारत को अपनी जी20 अध्यक्षता के अवसर का उपयोग अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों के साथ अपने सम्बन्ध मजबूत बनाने के लिए करना चाहिए। भारत को G20 में इन देशों के लिए बेहतर और अधिक संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का प्रयास करना चाहिए।

अतिरिक्त जानकारी:

उज्बेकिस्तान के समरकंद में SCO के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की आगामी बैठक के अंत में भारत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता ग्रहण करेगा। भारत सितंबर 2023 तक एक साल के लिए राष्ट्रपति रहेगा और अपनी अध्यक्षता के हिस्से के रूप में, यह 2023 में SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा।

भारत दिसंबर 2022 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में अध्यक्षता करेगा।

सारांश:

  • G20 की अध्यक्षता के लिए भारत अपनी प्राथमिकताओं के साथ-साथ वैश्विक मंच पर अपने राजनीतिक, आर्थिक और बौद्धिक नेतृत्व का दावा करने के लिए वैश्विक एजेंडा का प्रयोग कर सकता है एवं यह वैश्विक एजेंडे को प्रस्तावित करने और स्थापित करने में केंद्रीय मंच ग्रहण करना एक मूल्यवान अवसर प्रदान करती है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

अंतरराष्ट्रीय कानून के इस्तेमाल में भारत अपना रास्ता खो चुका है

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51; CCIT और ISA

मुख्य परीक्षा: अंतरराष्ट्रीय कानून के उपयोग में भारत की विफलता

पृष्टभूमि:

भारत और अंतरराष्ट्रीय कानून:

  • अंतरराष्ट्रीय कानून शासक का कानून होने और इसके यूरो-केंद्रित चरित्र के बावजूद, भारत ने अपनी स्वतंत्रता के समय अंतरराष्ट्रीय कानून ढांचे का समर्थन किया।
  • वास्तव में भारत उन कुछ देशों में से एक है जो अपने संविधान में भी अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन पर जोर देता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51 राज्य से अंतरराष्ट्रीय कानून और संधि दायित्वों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने का आह्वान करता है।
  • भारत संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध रहा है। भारत लगातार कई क्षेत्रों जैसे मानवाधिकार, व्यापार, निवेश, पर्यावरण, महासागर, अंतरिक्ष, आदि में अंतरराष्ट्रीय कानून के मानदंडों के साथ जुड़ा हुआ है।
  • भारत ने हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक व्यापक सम्मेलन के प्रस्ताव के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कानून को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाई है।

चिंता:

अंतरराष्ट्रीय कानून शब्दावली के उपयोग की कमी:

  • पश्चिमी देशों के राजनयिकों के विपरीत, भारत के राजनयिक और नीति-निर्माता शायद ही कभी अंतरराष्ट्रीय कानून शब्दावली का व्यापक रूप से उपयोग करते हों।
  • अपने पश्चिमी समकक्षों के विपरीत, जो अपने कार्यों के लिए वैधता हासिल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून को अंतरराष्ट्रीय संबंधों के संचालन के लिए उचित ठहराते हैं, वहीं भारत के राजनयिक और नीति-निर्माता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के राष्ट्रीय हितों को स्पष्ट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून शब्दावली का प्रभावी ढंग से उपयोग करने में विफल रहे हैं।
    • भारत की संप्रभुता के चीन के घोर उल्लंघन और भारत के खिलाफ पाकिस्तान की नापाक गतिविधियों को विफल करने की विफलता इस विफलता का सबसे स्पष्ट उदाहरण हैं।
  • इसके परिणामस्वरूप भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुकूल नए अंतरराष्ट्रीय कानून सिद्धांतों, व्याख्याओं और सिद्धांतों को विकसित करने और योगदान करने में विफल रहा है।

अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों के उल्लंघन के लिए देशों को जवाबदेह ठहराने में विफलता:

  • भारत अक्सर अंतरराष्ट्रीय संधि और प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन को उजागर करने में विफल रहा है। उदाहरण विश्व व्यापार संगठन में भारत को सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र का दर्जा देने से पाकिस्तान के इनकार को कानूनी रूप से चुनौती देने में भारत की विफलता है।
  • कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पाकिस्तान पर मुकदमा चलाने के मामले को छोड़कर, भारत अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के लिए पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराने के लिए अंतरराष्ट्रीय अदालतों का उपयोग करने में सक्षम नहीं है।

इस परिदृश्य के लिए जिम्मेदार कारक:

संस्थागत बाधाएं:

  • भारत की विदेश सेवा में सामान्यवादी राजनयिकों की भारी आबादी है। उनके पास अंतरराष्ट्रीय कानून शब्दावली में अपने विचारों को संप्रेषित करने के कौशल की कमी है।
  • विदेश मंत्रालय में केवल एक ही खंड है- कानूनी और संधियाँ (L&T) प्रभाग, जो अंतर्राष्ट्रीय कानून को देखता है। इस विभाग में कर्मचारियों की भारी कमी है। साथ ही विभाग में शामिल होने के लिए पर्याप्त प्रोत्साहन की कमी को देखते हुए कर्मचारियों की गुणवत्ता पर भी संदेह है।
  • कई मंत्रालयों की भागीदारी के साथ अंतरराष्ट्रीय कानून में निर्णय लेने का मुद्दा बना हुआ है। कानून मंत्रालय के तहत अंतरराष्ट्रीय कानून का एक विभाग बनाने के लिए एक संसदीय समिति की विशिष्ट सिफारिश के बावजूद, इस पहलू पर कोई प्रगति नहीं हुई है।

खराब राज्य क्षमता:

  • सरकार ने अंतरराष्ट्रीय कानून में अनुसंधान के लिए पर्याप्त धन सुनिश्चित नहीं किया है। इसके परिणामस्वरूप अंतरराष्ट्रीय कानून के क्षेत्र में राज्य-क्षमता खराब हुई है।

अंतरराष्ट्रीय कानून की अकादमिक उपेक्षा:

  • अकादमिक रूप से, भारत में स्वतंत्रता के समय से ही अंतरराष्ट्रीय कानून काफी हद तक उपेक्षित रहा है। उच्च शिक्षा विश्वविद्यालयों ने इस विषय के विकास के लिए ज्यादा निवेश नहीं किया है और भारत में संबंधित प्रोफेसरों की की संख्या भी कम है।
  • चीन जैसे देशों की तुलना में, जिसने अंतरराष्ट्रीय कानून में अपने विश्वविद्यालयों की क्षमता का निर्माण करने के लिए बड़े पैमाने पर संसाधनों का इस्तेमाल किया है लेकिन भारत ऐसा करने में विफल रहा है।
  • 1959 में स्थापित इंडियन सोसाइटी ऑफ इंटरनेशनल लॉ (ISIL) और अंतरराष्ट्रीय कानून में अनुसंधान के उत्कृष्टता का केंद्र बनने के अपने उद्देश्य में काफी हद तक विफल रही है। यह अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई सार्थक शोध करने में विफल रहा है।

सारांश:

  • भारतीय राजनयिक और नीति निर्माता राजनयिक टूलकिट में अंतरराष्ट्रीय कानून के शब्दकोष को मुख्यधारा में लाने में विफल रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप भारत अपने राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नए अंतरराष्ट्रीय कानून सिद्धांतों, व्याख्याओं को विकसित नहीं कर पाया है। यह अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत के ऊपर किसी भी दबाव डालने की महत्वाकांक्षा को कमजोर करेगा।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

भारत-बांग्लादेश संबंध, द्विपक्षीय सहयोग का एक मॉडल

विषय:द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।

मुख्य परीक्षा: भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध और पाकिस्तान कारक

संदर्भ:

  • हाल ही में, यू.एस. रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने पाकिस्तान के F-16 लड़ाकू बेड़े के लिए इंजन, इलेक्ट्रॉनिक और अन्य हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर अपग्रेड व पुर्जों के लिए $450 मिलियन की सहायता दी हैं।
  • हालांकि इसमें कोई नया हथियार या युद्ध सामग्री शामिल नहीं है, लेकिन यह कदम पाकिस्तान के प्रति अमेरिका के रवैये मे नरमी का प्रतीक है।

भारत के लिए चिंता:

  • भारत निम्नलिखित कारकों के आधार पर अमेरिका के इस कदम से खफा है।
    • अमेरिका का उद्देश्य आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए पाकिस्तान को हथियारदेना है , लेकिन पाकिस्तान भारत के खिलाफ अमेरिकी सहायता का इस्तेमाल कर सकता है। F-16 लड़ाकू बेड़ा 1980 के दशक की शुरुआत से पाकिस्तान वायु सेना की रीढ़ रहा है और भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट हवाई हमले के बाद हुई झड़पों के दौरान नियंत्रण रेखा के करीब भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
    • भारत ने अपने क्षेत्र से सक्रिय आतंकवादी समूहों के प्रति अपने दोहरे रवैये के लिए पाकिस्तान की बार-बार आलोचना की है। पाकिस्तान दशकों से भारत के खिलाफ राष्ट्र नीति के रूप में आतंकवाद का इस्तेमाल करता रहा है।
    • भारत इस साझेदारी को भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक अड़चन के रूप में देखता है। यह भारत-यू.एस. के राजनयिक और सैन्य जुड़ाव को कमजोर कर सकता है।

इस मुद्दे पर यू.एस. का रुख:

  • अमेरिका का तर्क है कि पाकिस्तान के साथ उसकी रक्षा साझेदारी है जिसे एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी माना जाता है और आतंकवाद के खिलाफ उसके वैश्विक युद्ध के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर अफगानिस्तान में उसके हितों के लिए।

सिफारिशें:

  • भारत और अमेरिका को पाकिस्तान के मुद्दे पर अपने मतभेदों को दूर करना चाहिए। पाकिस्तान की वजहः से अमेरिका के साथ भारत के घनिष्ठ रक्षा और सुरक्षा संबंध कमजोर नहीं होने चाहिए इसलिए दोनों देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि द्विपक्षीय संबंधों में लिये गए प्रभावशाली फैसलों को संरक्षित और पोषित किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • शीत युद्ध के दौर में भारत-अमेरिका संबंधों में पाकिस्तान अत्यंत महत्वपूर्ण कारक बना रहा। हाल के दिनों में अमेरिका-भारत संबंधों में पाक के प्रभाव में कुछ कमी के बावजूद, पाकिस्तानी एफ -16 लड़ाकू बेड़े को नवीनीकृत करने का यू.एस. का निर्णय भारत के साथ अमेरिका के बढ़ते संबंधों के लिए अच्छा नहीं हो सकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.रक्तदान अमृत महोत्सव:

स्वास्थ्य:

विषय: सामाजिक स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं का विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: रक्तदान अमृत महोत्सव और रक्तदान से सम्बंधित तथ्य।

रक्तदान अमृत महोत्सव:

  • केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय 17 सितंबर, 2022 से एक राष्ट्रव्यापी मेगा स्वैच्छिक रक्तदान अभियान का आयोजन कर रहा है, जिसे रक्तदान अमृत महोत्सव कहा गया है, यह 1 अक्टूबर तक जारी रहेगा।
  • राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस 1 अक्टूबर को मनाया जाता है।
  • इस कार्यक्रम के जरिए स्वास्थ्य मंत्रालय का लक्ष्य लगभग एक लाख यूनिट रक्त एकत्र करना है।
  • मानकों के अनुसार एक यूनिट रक्त 350 मिली के बराबर होता है।
  • आमतौर पर एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में 5 से 6 लीटर रक्त होता है।
  • नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति हर तीन महीने में एक बार रक्तदान कर सकता है।
  • मंत्रालय ने रक्तदान अभियान के लिए पंजीकरण की सुविधा के लिए ई-रक्त कोष पोर्टल नामक एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है।
  • रक्तदान हेतु पंजीकरण आरोग्य सेतु पोर्टल के माध्यम से भी किया जा सकता है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य स्वैच्छिक रक्त दाताओं का एक भंडार तैयार करना है, जिनसे आपात स्थिति के दौरान संपर्क किया जा सकता है ताकि प्रतिस्थापन रक्तदान की आवश्यकता को कम किया जा सकें।
  • रक्त दान के बाद, पूरे रक्त का शेल्फ जीवन (shelf life) लगभग 35-42 दिनों का होता है।
  • रक्त को प्लाज्मा (एक वर्ष का शेल्फ जीवन), लाल रक्त कोशिकाओं (35-42 दिन) और प्लेटलेट्स (पांच दिन) जैसे घटकों में भी संसाधित किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में उठाया श्रीलंकाई तमिल मुद्दा:

  • भारत ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (United Nations Human Rights Council) के 51वें सत्र में दिए गए अपने बयान में संविधान के 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन, प्रांतीय परिषदों को शक्तियों के प्रत्यायोजन और प्रांतीय परिषद चुनावों के आयोजन के माध्यम से तमिलों के जातीय मुद्दे के राजनीतिक समाधान में देरी पर चिंता व्यक्त की हैं।
  • भारत ने कहा हैं कि वह हमेशा मानवाधिकारों को बढ़ावा देने,उनके संरक्षण और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय संवाद एवं सहयोग के लिए देशों की जिम्मेदारी में विश्वास करता है।
  • भारत ने हमेशा इस द्वीपीय देश में तमिलों के न्याय, शांति, समानता और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए श्रीलंका के ढांचे के भीतर एक राजनीतिक समाधान की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है।
  • श्रीलंका में गृहयुद्ध (Civil War in Sri Lanka) जिसमें कई नागरिक मारे गए थे, की समाप्ति के 13 साल बाद भी बचे हुए लोग युद्ध के दौरान हुए अपराधों के लिए न्याय और जवाबदेही की मांग आज भी कर रहे हैं।
  • देश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तमिल-बहुसंख्यक उत्तर और पूर्वी क्षेत्रों में जारी सैन्यीकरण पर चिंता जताई है, जो इन लोगों के कई के प्रकार बुनियादी मानवाधिकारों के दमन और उल्लंघन का गवाह है।

2. जयपुर में उतरेंगे आठ अफ्रीकी चीते:

  • नामीबिया के आठ चीतों को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से एक चार्टर्ड फ्लाइट/प्लेन से रवाना होने की उम्मीद है, उन्हें यहाँ एक हेलीकॉप्टर के माध्यम से मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क ले जाया जाएगा।
  • प्रधानमंत्री की निगरानी में कुनो राष्ट्रीय उद्यान के समर्पित बाड़ों में इन चीतों को एक महीने से अधिक समय तक संगरोध (quarantine) में रखा जाएगा।
  • इन चीतों को संगरोध (quarantine) में रखने के बाद इन्हे “शिकारी-सबूत” (predator-proof-एक जानवर जो स्वाभाविक रूप से दूसरों का शिकार करता है) जैसा वातावरण मुहैया करवाया जायगा,और इन्हे जंगल में छोड़ने से पहले यहाँ जीवित शिकार भी उपलब्ध करवाएगा। इससे जानवरों को भारतीय परिस्थितियों में अभ्यस्त होने में मदद मिलेगी।
  • सभी चीतों को रेडियो कॉलर से लैस किया जाएगा और जीपीएस के जरिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी।
  • भारत ने चीतों को लाने के लिए दक्षिण अफ्रीका के साथ एक समझौता किया है, लेकिन समझौते पर हस्ताक्षर होना बाकी है।
  • भारत में चीतों का पुनरुत्पादन से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Reintroduction of Cheetahs in India

3.राज्यों से गोद लेने के नियम लागू करने को कहा:

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने राज्य सरकारों को गोद लेने के संशोधित नियमों को तुरंत लागू करने के निर्देश दिए है,जिसमें 1 सितंबर से अदालतों के बजाय जिला मजिस्ट्रेटों (District Magistrates (DMs)) द्वारा गोद लेने के आदेश पारित करने के निर्देश दिए गए हैं।
  • संसद ने मामलों के त्वरित निपटान और जवाबदेही बढ़ाने के लिए किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act (JJ Act), 2015), 2015 में संशोधन करने के लिए किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021 ( Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Amendment Bill, 2021) को अधिनियमित किया हैं।
  • किए गए इन संशोधनों में जिला मजिस्ट्रेटों और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटों को जेजे अधिनियम की धारा 61 के तहत गोद लेने के आदेश जारी करने के लिए अधिकृत किया हैं।
  • इसके अलावा, किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) मॉडल नियम, 2016 में संशोधन सितंबर 2021 में अधिसूचित किए गए थे, जिसमे सभी गोद लेने के मामलों को तत्काल प्रभाव से डीएम को हस्तांतरित करने का आदेश दिया गया है।
  • वारिसी और उत्तराधिकार जैसे नागरिक मामलों में डीएम के अधिकार क्षेत्र के साथ-साथ संशोधित नियमों के कार्यान्वयन के कारण होने वाली देरी के बारे में चिंताएं जताई जा रही हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत सरकार द्वारा चीता पुनरुत्पादन परियोजना के लिए निम्नलिखित में से किस राष्ट्रीय उद्यान की पहचान की गई है? (स्तर-मध्यम)

  1. सिमलीपाल राष्ट्रीय उद्यान
  2. कुनो राष्ट्रीय उद्यान
  3. पन्ना राष्ट्रीय उद्यान
  4. रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान

विकल्प:

(a) केवल 1 और 4

(b) केवल 2

(c) केवल 2, 3 और 4

(d) केवल 1 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • भारत सरकार द्वारा चीता पुनरुत्पादन परियोजना के लिए मध्य प्रदेश में कुनो राष्ट्रीय उद्यान को चुना गया है।
  • भारत में चीतों का पुनरुत्पादन के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Reintroduction of Cheetahs in India

प्रश्न 2. संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-मध्यम)

  1. इसे 1945 में खाद्य और कृषि संगठन (FAO) द्वारा शुरू किया गया था।
  2. FAO और WFP दोनों संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समूह के सदस्य हैं।
  3. इसे भूख से निपटने और ‘भूख को युद्ध और संघर्ष के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से रोकने तथा शांति के लिए वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार मिला था।

इनमें से कौनसा/से कथन सही हैं/हैं?

(a) केवल एक कथन

(b) केवल दो कथन

(c) तीनों कथन

(d) इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) की स्थापना वर्ष 1961 में की गयी थी।
  • कथन 2 सही है: FAO और WFP दोनों संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समूह के सदस्य हैं।
  • कथन 3 सही है: विश्व खाद्य कार्यक्रम (World Food Programme (WFP)) को भूख से निपटने और ‘भूख को युद्ध और संघर्ष के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से रोकने तथा शांति के लिए वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार मिला था।

प्रश्न 3. हाइड्रोजन ईंधन सेल में निम्नलिखित में से किसे लगातार बदला जाता है/हैं? (स्तर-मध्यम)

(a) आक्सीकारक

(b) हाइड्रोजन

(c) न तो a, न ही b

(d) दोनों

उत्तर: d

व्याख्या:

  • हाइड्रोजन ईंधन सेल में ईंधन (हाइड्रोजन) और ऑक्सीडाइज़र दोनों को लगातार बदल दिया जाता है।
  • फ्यूल सेल के बारे में अधिक जानकरी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Fuel Cell

प्रश्न 4. भैंस की इस नस्ल को आमतौर पर कच्छ में पाए जाने वाले एक स्थानीय समुदाय द्वारा पाला और संरक्षित किया जाता है, जिसे ‘मालधारी’ कहा जाता है। यह भैंस पानी की कमी, बार-बार सूखा, कम आर्द्रता और उच्च तापमान जैसी चरम मौसम की स्थिति से भी प्रभावित नहीं होती है।

उपरोक्त कथन में भैंस की किस नस्ल के बारे में बात की जा रही है? (स्तर-कठिन )

(a) कंगायाम

(b) मुर्राह

(c) बन्नी

(d) मांडा

उत्तर: c

व्याख्या:

  • बन्नी भैंस रेगिस्तान की परिस्थितियों के अनुकूल है,और कच्छ क्षेत्र में पाए जाने वाले “मालधारी” नामक एक स्थानीय समुदाय द्वारा इस नस्ल को पाला और संरक्षित किया जाता है।
  • बन्नी भैंस को “कच्छी” या “कुंडी” (Kutchi” or “Kundi”) के नाम से भी जाना जाता है।
  • बन्नी भैंसों को रात में बन्नी घास के मैदान में चरने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है क्योंकि वहां के दिन बहुत गर्म और धूप वाले होते हैं,तथा इन्हे सुबह दूध निकालने के लिए गांवों में लाया जाता हैं।
  • बन्नी भैंसों में अनुकूलन के अद्वितीय गुण प्राकृतिक तौर पर पाए जाते हैं, जैसे कि पानी की कमी की स्थिति में जीवित रहने और सूखे और रोग प्रतिरोध की अवधि के दौरान लंबी दूरी तय करने की क्षमता।

प्रश्न 5. सेवा क्षेत्र उपागम किस के कार्यक्षेत्र के अधीन कार्यान्वित किया गया था ? PYQ-2019 (स्तर-कठिन)

(a) एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम

(b) अग्रणी बैंक योजना (लीड बैंक स्कीम)

(c) महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना

(d) राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन

उत्तर: b

व्याख्या:

  • अप्रैल 1989 में शुरू किया गया सेवा क्षेत्र उपागम (Service area approach (SAA)) अग्रणी बैंक योजना के ‘क्षेत्र दृष्टिकोण’ संरचना का एक विकसित संस्करण है।
  • सेवा क्षेत्र उपागम (SAA) का उद्देश्य देश के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों का व्यवस्थित और नियोजित तरीके से विकास करना है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. देश में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मौद्रिक नीति समिति की क्या भूमिका है? इस संबंध में एमपीसी (MPC) के प्रदर्शन का आकलन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)

प्रश्न 2. G20 की अध्यक्षता भारत के लिए विकसित और विकासशील दुनिया को एक साथ लाने के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है। विस्तार से समझाए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)