16 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
म्यांमार और श्रीलंका में चीन की दोहरे उपयोग वाली सुविधाएँ
विषय: भारत और उसके पड़ोस-संबंध
मुख्य परीक्षा: भारत के हितों पर चीन की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
संदर्भ:
- म्यांमार और श्रीलंका में चीन की दोहरे उपयोग वाली सुविधाओं को लेकर सुरक्षा चिंताएं।
भूमिका:
- चीन की सहायता से म्यांमार कोको द्वीप समूह पर एक सैन्य प्रतिष्ठान का निर्माण कर रहा है और श्रीलंका में रिमोट सैटेलाइट रिसीविंग ग्राउंड स्टेशन स्थापित करने की तैयारी चल रही है।
- इसने संपूर्ण क्षेत्र की संभावित निगरानी के बारे में आशंका को जन्म दिया है।
सुरक्षा चिंताएं:
म्यांमार:
- म्यांमार में, चीन ने बंदरगाहों, रेलवे और पाइपलाइनों सहित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारी निवेश किया है।
- इन परियोजनाओं को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के हिस्से के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य चीन के आर्थिक और सामरिक हितों को बढ़ाने के लिए संपूर्ण एशिया और उससे आगे बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है।
- सबसे विवादास्पद परियोजनाओं में से एक रखाइन राज्य में क्यौकप्यू गहरे समुद्री बंदरगाह का निर्माण है, जो रणनीतिक रूप से बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर के पास स्थित है।
- कई लोगों ने परियोजना के संभावित सैन्य उपयोगों और इस तथ्य के बारे में चिंता जताई है कि यह चीन को इस क्षेत्र में एक रणनीतिक आधार प्रदान कर सकता है।
- हाल के उपग्रह चित्रों में कोको द्वीप समूह पर एक सैन्य सुविधा के निर्माण को देखा गया है, जो अंडमान और निकोबार द्वीप श्रृंखला के बहुत करीब स्थित है।
- द्वीप को एक नए पुल का उपयोग करके दक्षिणी भूभाग से जोड़ा जा रहा है जो 175 मीटर लंबा और लगभग 8 मीटर चौड़ा है।
श्रीलंका:
- चीन ने श्रीलंका को रिमोट सैटेलाइट रिसीविंग ग्राउंड स्टेशन सिस्टम स्थापित करने का भी प्रस्ताव दिया है।
- सैटेलाइट ट्रैकिंग सुविधाएं दोहरे उपयोग (dual use) की प्रकृति वाली होती हैं, और यह सर्वविदित है कि चीनी नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम चीनी सेना के साथ मिलकर काम करता है।
- इस सिस्टम की महत्वपूर्ण अवस्थिति को देखते हुए, इसका उपयोग भारतीय संपत्तियों की जासूसी करने तथा संवेदनशील सूचनाओं को इंटरसेप्ट करने के लिए किया जा सकता है। साथ ही, इसका उपयोग पूरे क्षेत्र में भी किया जा सकता है।
- श्रीहरिकोटा स्थित भारत की उपग्रह प्रक्षेपण सुविधाएं और ओडिशा स्थित एकीकृत मिसाइल परीक्षण रेंज इस ग्राउंड स्टेशन के दायरे में आ सकते हैं, और इसकी मदद से संवेदनशील डेटा प्राप्त करने के लिए इन क्षेत्रों से किये जाने वाले प्रक्षेपणों को ट्रैक किया जा सकता है।
- यह प्रस्तावित स्टेशन भविष्य में चीनी अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाजों के साथ सहयोग कर सकता है, जैसा हाल ही में श्रीलंका के हंबनटोटा में क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण डेटा एकत्र करने के लिए किया गया था।
- उदाहरण के लिए, अंतरिक्ष ट्रैकिंग और निगरानी जहाज गतिशीलता के अतिरिक्त लाभ के साथ ग्राउंड स्टेशनों के समान कई कार्य कर सकते हैं।
- चीन ने कोलंबो इंटरनेशनल कंटेनर टर्मिनल (CICT) में भी निवेश किया है, जो चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स और श्रीलंका पोर्ट्स अथॉरिटी के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
- CICT को चीन द्वारा “रणनीतिक संपत्ति” के रूप में वर्णित किया गया है, और ऐसी चिंताएं हैं कि भविष्य में सैन्य उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
सूडान संकट
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते
मुख्य परीक्षा: भारत पर सूडान संकट का प्रभाव
संदर्भ:
- सूडान में अशांति।
भूमिका:
- 15 अप्रैल 2023 को सूडानी सेना और देश के मुख्य अर्धसैनिक समूह के बीच लड़ाई छिड़ गई।
- अर्धसैनिक बलों ने खार्तूम में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के साथ-साथ मेरो (Meroe) में एक अन्य हवाई अड्डे पर नियंत्रण करने का दावा किया है।
- पैरामिलिट्री रैपिड सपोर्ट फोर्स ने भी राष्ट्रपति महल और सेना प्रमुख जनरल बुरहान के आवास पर कब्जा करने का दावा किया है।
- सोशल मीडिया पर कई वीडियो देखे गए हैं जिनमें सशस्त्र लड़ाकों को शहर के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के रनवे पर गाड़ी चलाते हुए, महत्वपूर्ण यातायात चौराहों पर चौकियों का संचालन करते हुए और रिहायशी इलाकों से गुजरते हुए दिखाया गया है।
पृष्ठभूमि:
- सूडान में हाल के वर्षों में बड़े स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक अशांति देखी गई है। वर्ष 2019 में, पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर के 30 साल के शासन को समाप्त करने के लिए देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन प्रारंभ हुए थे।
- ये विरोध प्रदर्शन बढ़ती खाद्य कीमतों और अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण प्रारंभ हुए थे, लेकिन भ्रष्टाचार, दमन और राजनीतिक स्वतंत्रता की कमी के साथ व्यापक निराशा भी प्रमुख कारण थे।
- अप्रैल 2019 में, तख्तापलट में अल-बशीर को सेना द्वारा सत्ता से हटा दिया गया था।
- महीनों की बातचीत के बाद, अगस्त 2019 में सैन्य और विरोधी नागरिक समूहों के बीच एक शक्ति-साझाकरण समझौता हुआ।
- हालांकि, सैन्य और नागरिक नेताओं के बीच जारी तनाव और राजनीतिक तथा आर्थिक सुधारों पर और अधिक प्रगति के लिए जारी विरोध प्रदर्शनों के साथ, नागरिक शासन में संक्रमण चुनौतीपूर्ण रहा है।
- राजनीतिक अशांति के अलावा, सूडान महत्वपूर्ण सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का भी सामना कर रहा है, जिसमें एक गंभीर आर्थिक संकट, देश के कुछ क्षेत्रों में जारी संघर्ष और पड़ोसी देशों से शरणार्थियों का अन्तर्वाह शामिल है।
सूडान संकट पर और पढ़ें: Sudan Crisis
भारत पर प्रभाव:
- सूडान में अशांति के भारत पर कई अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकते हैं, विशेष रूप से व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा के क्षेत्रों में।
- सूडान भारत के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। 2020 में दोनों देशों के बीच कुल $1.5 बिलियन का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। सूडान में अस्थिरता व्यापार प्रवाह को बाधित कर सकती है और देश में परिचालनरत भारतीय व्यवसायों को प्रभावित कर सकती है।
- सूडान भारत के लिए कच्चे तेल का एक प्रमुख स्रोत भी है। सूडान से तेल की आपूर्ति में कोई भी व्यवधान भारत की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप ईंधन की कीमतें बढ़ सकती हैं।
- सूडान में अस्थिरता का क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ सकता है। सूडान पूर्वी अफ्रीका में कई देशों के साथ सीमा साझा करता है, जिनमें से कुछ संघर्षों और विद्रोहों से प्रभावित हुए हैं।
- भारत ने एक लोकतांत्रिक और स्थिर देश के लिए सूडान के लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान करने वाले समाधान को खोजने के लिए सूडान में सभी पक्षों के बीच बातचीत की आवश्यकता पर लगातार जोर दिया है।
- भारत ने सूडान में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अफ्रीकी संघ और संयुक्त राष्ट्र के प्रयासों का समर्थन किया है।
- अगस्त 2019 में, भारत ने सूडान में सैन्य और विरोधी नागरिक समूहों के बीच शक्ति-साझाकरण समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया था।
- भारत ने सूडान को विशेष रूप से स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा के क्षेत्र में मानवीय सहायता भी प्रदान की है। 2020 में, भारत ने COVID-19 महामारी के प्रति सूडान की प्रतिक्रिया का समर्थन करने के लिए उसे चिकित्सा आपूर्ति और उपकरण प्रदान किए थे।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतरराष्ट्रीय संबंध:
भारत, पाकिस्तान की जेल में बंद मछुआरों के परिवार ने लगाई मदद की गुहार; 749 पीड़ित वर्षों से जेलों में हैं
विषय: भारत और उसके पड़ोसी संबंध
मुख्य परीक्षा: भारत-पाकिस्तान संबंध
विवरण:
- भारत और पाकिस्तान दोनों के कई मछुआरा समुदाय संगठनों ने राजनीतिक नेतृत्व से वर्षों से जेलों में बंद लगभग 750 मछुआरों को तुरंत रिहा करने का आग्रह किया है।
- उन्होंने मानवीय आधार पर उनकी रिहाई की मांग की है।
- मछुआरा समुदाय के एक नेता द्वारा इस बात पर प्रकाश डाला गया कि मछुआरों के परिवार बिना किसी आजीविका के अत्यधिक गरीबी में रहते हैं।
- पाकिस्तान के मछुआरा समुदायों ने गिरफ्तार मछुआरों की रिहाई और कैदियों पर संयुक्त न्यायिक समिति के पुनर्गठन की भी मांग की है।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि मछुआरों की रिहाई में उतनी तत्परता नहीं दिखाई जाती है जितनी की उनकी गिरफ्तारी में दिखाई जाती है।
पृष्ठभूमि विवरण:
- दोनों पक्षों के मछुआरों को जल सीमाओं का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है। उन पर पासपोर्ट अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया जाता है और कुछ महीनों (तीन से छह महीने) के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा कैद की सजा सुनाई जाती है।
- 17 अक्टूबर 2018 के बाद, पाकिस्तान द्वारा लगभग 666 भारतीय मछुआरे पकड़े गए हैं। इनमें से 631 की सजा पूरी हो चुकी है।
- इसी तरह 83 पाकिस्तानी मछुआरे भारतीय जेलों में बंद हैं। और 50 ने अपनी सजा पूरी कर ली है।
साथ ही, इसे भी पढ़िए: India – Pakistan Relations – BYJU’S
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
T सेल इम्युनिटी से बचने के क्रम में ओमिक्रॉन वैरिएंट में बदलाव देखा गया है
विषय: जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में जागरूकता
प्रारंभिक परीक्षा: ओमिक्रॉन
मुख्य परीक्षा: ओमिक्रॉन वैरिएंट का अनुसंधान विश्लेषण
विवरण:
- SARS-CoV-2 वायरस ने CD8 T कोशिकाओं से बचने की क्षमता विकसित कर ली है।
- CD8 T कोशिकाएं वायरल लोड को कम करती हैं और संक्रमित कोशिकाओं का पता लगाकर और उन्हें मारकर संक्रमण को खत्म करती हैं।
- ये संक्रमण को रोक नहीं सकती। एंटीबॉडी को बेअसर करके संक्रमण को रोका जा सकता है।
- एक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि SARS-CoV-2 वायरस कई वायरल कारकों जिससे मेजबान कोशिकाओं में प्रमुख हिस्टोकम्पैटिबिलिटी कॉम्प्लेक्स क्लास I (MHC I) एक्सप्रेशन संशोधित होते हैं, को कूटबद्ध करता है।
- MHC I के अणु सभी संक्रमित कोशिकाओं की सतह पर मौजूद होते हैं।
- ये वायरल से संक्रमित कोशिकाओं के बारे में प्रतिरक्षा प्रणाली को सचेत करते हैं।
स्रोत: The Hindu
साथ ही, इसे भी पढ़िए: Difference between between COVID-19 (Coronavirus Disease 2019) and SARS (Severe Acute Respiratory Syndrome)
अध्ययन के निष्कर्ष:
- MHC-I की मौजूदगी को दबाने के लिए यह वायरस कई अनावश्यक प्रक्रियाओं का उपयोग करता है।
- MHC-I डाउनरेगुलेशन T कोशिकाओं की प्राइमिंग को बाधित करता है। यह साइटोटॉक्सिक T लिम्फोसाइट्स (CTL) की पहचान को भी बाधित करता है।
- यह इन विट्रो और इन विवो हालत दोनों में SARS-CoV-2-संक्रमित कोशिकाओं में MHC I अपरेगुलेशन के निषेध को भी साबित करता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
चुंबकीय-प्रतिरोध: एक और चीज जो ग्राफीन अलग तरह से करती है
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास और उनके अनुप्रयोग
प्रारंभिक परीक्षा: चुंबकीय-प्रतिरोध
मुख्य परीक्षा: चुंबकीय-प्रतिरोध
विवरण:
- ग्राफीन मधुकोश प्रारूप (honeycomb pattern) में बंधित कार्बन परमाणुओं की एकल-परमाणु-मोटी परत होती है।
- यू.के. में शोधकर्ताओं द्वारा यह पाया गया है कि ग्राफीन कमरे के तापमान पर एक विषम बड़े स्तर का चुंबकीय-प्रतिरोध (GMR) प्रदर्शित करता है।
बड़े स्तर का चुंबकीय-प्रतिरोध (GMR):
- GMR निकटवर्ती सामग्रियों के चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित सुचालक के विद्युत प्रतिरोध का परिणाम है।
- GMR का उपयोग कंप्यूटर, सेंसर और मेडिकल इमेजर्स में हार्ड डिस्क ड्राइव और चुंबकीय-प्रतिरोधी रैम में किया जाता है।
- ग्राफीन आधारित उपकरणों को इन क्षेत्रों के संवेदन के लिए बहुत कम तापमान पर ठंडा करने की आवश्यकता नहीं होगी और इसका उपयोग चुंबकीय क्षेत्र को महसूस करने के लिए किया जा सकता है।
- विशेष रूप से, एक सुचालक दो फेरोमैग्नेटिक सामग्रियों के बीच सैंडविच के जैसे व्यवस्थित होता है।
- यदि सामग्री को एक ही दिशा में चुम्बकित किया जाता है, तो सुचालक में विद्युत प्रतिरोध कम होता है।
- वहीं, अगर दिशाएं विपरीत हों तो प्रतिरोध बढ़ जाता है। इसे तब GMR कहा जाता है।
- ऐसा देखा गया है कि ग्राफीन-आधारित उपकरणों में चुंबकीय-प्रतिरोध समान चुंबकीय रेंज वाले अर्द्धधात्विक उपकरणों के चुंबकीय-प्रतिरोध की तुलना में 100 गुना अधिक होता है
ग्राफीन पर अध्ययन का विवरण:
- प्रयोग में प्लाज्मा का उपयोग किया गया था जिसमें तापीय रूप से संदीप्त इलेक्ट्रॉनों और छिद्रों की समान संख्या शामिल थी।
- “बेहद साफ सेटअप” और बिना किसी दोष वाले ग्राफीन का इस्तेमाल किया गया। उदासीन प्लाज्मा में इलेक्ट्रॉन कंपन से प्रकीर्णित नहीं हुए थे और कमरे के तापमान पर उच्च गतिशीलता देखी गई थी।
- ऐसा पाया गया कि बोरॉन नाइट्राइड की दो परतों के बीच एकल परतीय ग्राफीन (27 डिग्री सेल्सियस पर) में चुंबकीय-प्रतिरोध 0.1 टेस्ला के एक क्षेत्र में 110% बढ़ गया। ऐसा ‘उदासीन’ प्लाज्मा और इलेक्ट्रॉनों की गतिशीलता की उपस्थिति के कारण हो सकता है।
निष्कर्ष:
- ग्राफीन-आधारित उपकरण मौजूदा उपकरणों को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता, क्योंकि उनमें कई अन्य गुण हैं जो ग्राफीन उपकरणों में नहीं होते हैं।
- इन उपकरणों का उपयोग अन्य अनुप्रयोगों में किया जा सकता है जिनके लिए चरम स्थितियों में चुंबकीय क्षेत्र संवेदन की आवश्यकता होती है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
प्रीलिम्स तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- “महत्वाकांक्षी शौचालय”
- केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अनुसार, सभी राज्य सरकारों को एक निर्देश जारी किया गया है कि जिसमें कहा गया है कि उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि किसी भी शहर या शहरी इकाई में नवनिर्मित सार्वजनिक शौचालय सीटों की 25% सीटें “महत्वाकांक्षी शौचालय” हो।
- इनमें शानदार बाथ क्यूबिकल्स, टचलेस फ्लशिंग, ब्रेस्ट-फीडिंग रूम और ऑटोमैटिक सैनिटरी नैपकिन इंसीनरेटर जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी।
- इन्हें गूगल मानचित्र पर “महत्वाकांक्षी शौचालय” के रूप में दर्शाया जाएगा।
- इन विशिष्ट टॉयलेट का निर्माण पर्यटन और धार्मिक स्थलों के साथ-साथ अधिक भीड़ भाड़ वाले प्रतिष्ठित शहरों में किया जाएगा।
- मंत्रालय ने ऐसे स्टार्ट-अप्स को शामिल करने का फैसला किया है जो देश भर में ऐसे शौचालयों का निर्माण कर सकते हैं।
- इन शौचालयों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मंत्रालय इन्हें अन्य सार्वजनिक सेवाओं जैसे रेस्तरां, शॉपिंग सेंटर, पुस्तकालय, मूवी थिएटर या दवा की दुकानों से जोड़ने की योजना बना रहा है।
योजना के बारे में:
- शहरों को खुले में शौच मुक्त बनाने में मदद करने के उद्देश्य से स्वच्छ भारत मिशन (SBM) 2.0 के हिस्से के रूप में महत्वाकांक्षी शौचालय योजना सितंबर 2022 में शुरू की गई थी।
- केंद्र ने स्वच्छ भारत मिशन 2.0 को 1,41,600 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो 2014 में मिशन के पहले चरण के लिए आवंटित राशि से 2.5 गुना अधिक है।
- राज्यों के साथ लागत साझा करने का प्रारूप उनके शहरों की जनसंख्या के आधार पर अलग-अलग होता है।
- अब तक, स्वच्छ भारत मिशन-शहरी के तहत 5,07,587 के लक्ष्य के मुकाबले 6,36,826 सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। 4,355 शहरी स्थानीय निकायों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है।
- मुंबई में पहुंचने लगे राजहंस (फ्लेमिंगो):
- प्रत्येक वर्ष सर्दी के मौसम में, हजारों बड़े और छोटे राजहंस गुजरात के कच्छ और राजस्थान की सांभर झील से मुंबई में प्रवास करते हैं, लेकिन लंबे समय तक बारिश और अन्य जलवायु कारकों के कारण उनके आगमन में देरी हो सकती है।
- ये जून के मध्य में मानसून की शुरुआत से पहले तक मुंबई में रहते हैं।
- बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) ने 2022 में एक सर्वेक्षण किया था और ठाणे क्रीक फ्लेमिंगो अभयारण्य, सेवरी, न्हावा और आस-पास के क्षेत्रों में लगभग 1,33,000 राजहंसों की गणना की थी।
- ये राजहंस नवी मुंबई, ऐरोली और ठाणे क्रीक में उगने वाले शैवाल को खाते हैं।
राजहंस (फ्लेमिंगो) के बारे में:
- राजहंस की छह प्रजातियां पायी जाती हैं। चार प्रजातियां संपूर्ण अमेरिका में वितरित हैं और दो प्रजातियां अफ्रीका, एशिया और यूरोप की मूल निवासी हैं।
- इनमें ग्रेटर फ्लेमिंगो, चिली फ्लेमिंगो, लेसर फ्लेमिंगो, कैरेबियन फ्लेमिंगो, एंडियन फ्लेमिंगो और पुना फ्लेमिंगो शामिल हैं।
- राजहंस जन्म के समय गुलाबी रंग के नहीं होते हैं। राजहंस के पंखों का चमकीला रंग शैवाल और क्रस्टेशियंस में पाए जाने वाले कैरोटीनॉयड वर्णक की उपस्थिति के कारण होता है जो राजहंसों का प्रमुख आहार है।
- सबसे भारी और सबसे लंबा राजहंस ग्रेटर फ्लेमिंगो होता है। सबसे छोटा और सबसे हल्का राजहंस लेसर फ्लेमिंगो है।
- पूर्वी अफ्रीका और दक्षिण अफ्रीका के कुछ हिस्सों, मेडागास्कर और भारत में पाया जाने वाला लेसर फ्लेमिंगो सबसे अधिक संख्या में पाया जाता है। यह सबसे छोटा और सबसे गहरे रंग का होता है।
- ग्रेटर फ्लेमिंगो गुजरात का राजकीय पक्षी है।
- राजहंस बहुत ही सामाजिक पक्षी होते हैं। ये समूहों में रहते हैं जिन्हें कॉलोनियां या फ्लम्बॉयस (flamboyance) कहते हैं।
- ये स्वरों के उच्चारण और प्रदर्शन के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं।
- IUCN की लाल सूची के अनुसार, लेसर फ्लेमिंगो, चिली फ्लेमिंगो और पुना फ्लेमिंगो को “संकटासन्न” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। एंडियन फ्लेमिंगो को “सुभेद्य” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। ग्रेटर फ्लेमिंगो को “खतरे से बाहर” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- इस प्रजाति को अफ्रीकी-यूरेशियन प्रवासी जलपक्षियों के संरक्षण पर समझौता (AEWA) कार्य योजना, बॉन सम्मेलन (CMS) के परिशिष्ट II और CITES सम्मेलन के परिशिष्ट II में भी सूचीबद्ध किया गया है।
चित्र स्रोत: Discover wildlife
- राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण:
- राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण (NFRA) ने 2017-18 में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कार्पोरेशन लिमिटेड (DHFL) की शाखाओं के लेखा परीक्षण के संबंध में कथित पेशेवर कदाचार के लिए चार लेखा परीक्षकों पर जुर्माना और एक साल का प्रतिबंध लगाया है।
- NFRA ने चार अलग-अलग आदेशों में लेखा परीक्षकों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
- NFRA के अनुसार, लेखा परीक्षक लेखा परीक्षण पर निर्धारित मानकों के तहत कानूनों का पालन करने में विफल रहे, और उन्होंने उचित लेखा परीक्षा प्रलेखन को बनाए नहीं रखा और कानून तथा मानकों में विभिन्न शर्तों की त्रुटिपूर्ण समझ और व्याख्याओं को अव्यवसायिक तरीके से प्रदर्शित किया, जो इस मामले में उनके पेशेवर कदाचार को सिद्ध करता है।
- लगभग 31,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन के दुरुपयोग के आरोपों के बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने अप्रैल 2020 में DHFL के प्रमोटरों/निदेशकों द्वारा लगभग 3,700 करोड़ रुपये की कथित बैंक धोखाधड़ी के खिलाफ कार्रवाई की सूचना दी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)
- यह पलासदारी और खंडाला के बीच अवस्थित एक पहाड़ी दर्रा है
- यह कोंकण तट पर चौल, रेवदंडा, पनवेल आदि बंदरगाहों को जोड़ने के लिए सातवाहन द्वारा विकसित प्राचीन व्यापार मार्ग था।
उपर्युक्त कथनों में निम्नलिखित में से किसका सर्वोत्तम वर्णन है ?
- भोर घाट
- पाल घाट
- शेनकोट्टा दर्रा
- थाल घाट
उत्तर: a
व्याख्या: भोर घाट पर्वत दर्रा पश्चिमी घाट में स्थित है। यह पर्वत मार्ग पलासदारी और खंडाला के बीच स्थित है। यह घाट सातवाहन द्वारा कोंकण तट पर चौल, रेवदंडा पनवेल आदि बंदरगाहों और दक्कन के पठार पर मौजूद आसपास के क्षेत्रों को जोड़ने के लिए विकसित किया गया प्राचीन मार्ग था।
प्रश्न 2. ‘मोरुंग (युवा गृह)’, युवा लड़कों के लिए वह स्थान है जहाँ वे अपने बड़ों से सामाजिक प्रथाओं और मान्यताओं के बारे में सीखते हैं। निम्नलिखित में से किस राज्य में यह प्रथा देखी जाती है? (स्तर-कठिन)
- छत्तीसगढ
- नागालैंड
- ओडिशा
- उत्तराखंड
उत्तर: b
व्याख्या: मोरुंग नागालैंड में नागाओं की एक प्रमुख संस्था है, और समाज के सभी अविवाहित पुरुष सदस्यों के सामाजिक जीवन का केंद्र भी है। यह युवा लड़कों के लिए वह स्थान है जहाँ वे अपने बड़ों से सामाजिक प्रथाओं और विश्वासों के बारे में सीखते हैं।
प्रश्न 3. ‘कोष आधारित उधार दर की सीमांत लागत’ (MCLR) के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)
- यह कोष उधार देने की सबसे कम दर है। इससे नीचे की दर पर किसी भी बैंक को उधार देने की अनुमति नहीं है।
- इसका निर्धारण ऋण चुकौती समय के आधार पर बैंकों द्वारा आंतरिक रूप से किया जाता है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- ‘कोष आधारित उधार दर की सीमांत लागत’ (MCLR) वह न्यूनतम उधार दर है, जिससे कम पर बैंक को उधार देने की अनुमति नहीं है।
- यह एक टेनर-लिंक्ड आंतरिक बेंचमार्क है, जिसका अर्थ है कि दर बैंक द्वारा आंतरिक रूप से निर्धारित की जाती है, जो ऋण की अदायगी के लिए शेष अवधि पर निर्भर करता है।
- MCLR ने वाणिज्यिक बैंकों के लिए उधार दरों को निर्धारित करने के लिए पूर्ववर्ती आधार दर प्रणाली को प्रतिस्थापित कर दिया है।
- RBI ने 1 अप्रैल 2016 को MCLR लागू किया था।
प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन)
- निज़ाम-उल-मुल्क हैदराबाद का पहला निज़ाम था।
- 1798 में सहायक संधि को स्वीकार करने वाले हैदराबाद के निजाम ऐसा करने वाले पहले शासक थे।
- पालखेड़ की लड़ाई मराठा साम्राज्य और हैदराबाद के निजाम-उल-मुल्क, आसफ जाह I के बीच हुई थी, जिसमें निजाम ने मराठों को हराया था।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 01 सही है, निज़ाम-उल-मुल्क, जिसे चिन क़िलिच कमरुद्दीन ख़ान, मीर क़मर-उद-दीन ख़ान सिद्दीक़ी बयाफ़ंदी, आसफ जाह और निज़ाम प्रथम के नाम से भी जाना जाता है, हैदराबाद का पहला निज़ाम और मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब का एक वफादार रईस और सेनापति था।
- कथन 02 सही है, लॉर्ड वेलेस्ली ने 1798 में हैदराबाद के निज़ाम के साथ पहली सहायक संधि पर हस्ताक्षर किए।
- कथन 03 गलत है, पालखेड़ की लड़ाई पेशवा बालाजी राव प्रथम के नेतृत्व वाली मराठा सेना और निजाम आसफ जाह प्रथम के नेतृत्व वाली हैदराबाद की सेना के बीच लड़ी गई थी। 28 फरवरी, 1728 को लड़ी गई लड़ाई मराठा सेना की निर्णायक जीत में समाप्त हुई।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से किसने मैडम क्यूरी की आत्मकथा का हिंदी में अनुवाद किया? (स्तर-कठिन) (PYQ-CSE-2008)
- अटल बिहारी वाजपेयी
- लाल बहादुर शास्त्री
- चौधरी चरण सिंह
- गोविंद बल्लभ पंत
उत्तर: b
व्याख्या: लाल बहादुर शास्त्री ने रेडियम की खोज करने वाली फ्रांसीसी वैज्ञानिक मैडम क्यूरी की आत्मकथा का हिंदी में अनुवाद किया।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. हिंद महासागर में, विशेष रूप से म्यांमार और श्रीलंका में चीन की सैन्य गतिविधियों ने भारत के लिए रणनीतिक जोखिम को बढ़ा दिया है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GSII-अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. भारत और पाकिस्तान के बीच मछुआरों के मुद्दे और सर क्रीक विवाद का विस्तार से परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GSII-अंतर्राष्ट्रीय संबंध)