19 मई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था एवं शासन:
राजव्यवस्था:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आपदा प्रबंधन:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: राजव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
असम NRC पर असमंजस:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां,हस्तक्षेप और उनके डिजाइन एवं कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) और अपडेट करने की प्रक्रिया से जुड़े विवादों की व्याख्या।
प्रसंग:
- असम में कार्यरत विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (Assam Foreigners Tribunal) के एक सदस्य ने ट्रिब्यूनल के कामकाज में उनके हस्तक्षेप को सीमित करने के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के राज्य समन्वयक (State Coordinator) से आग्रह किया हैं।
- NRC के राज्य समन्वयक ने एक पत्र के जवाब में विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (Assam Foreigners Tribunal) के सदस्यों को कहा की गैर-नागरिक होने के संदेह वाले व्यक्ति की राष्ट्रीयता को देखते हुए NRC को “अंतिम” नहीं माना जाए ।
नागरिक राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC):
- NRC 1951 में हुई जनगणना के एक भाग के रूप में शुरू हुआ जो स्वतंत्र भारत की पहली जनगणना थी।
- NRC प्रत्येक गाँव के संबंध में तैयार किया गया एक रजिस्टर है, जिसमें घरों या जोतों को क्रमानुसार दिखाया और प्रत्येक घर एवं उसमें रहने वाले व्यक्तियों की संख्या और नाम का विवरण लिखा जाता है।
- हालाँकि NRC को पूरे देश के सभी राज्यों में संकलित किया जाना था, लेकिन यह केवल असम में ही किया गया।
- असम में NRC के संकलन का उद्देश्य असम में अवैध अप्रवासियों की पहचान करना था, जो 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान बांग्लादेश से असम आ गए थे, क्योंकि इस बात की आशंका थी कि “अवैध अप्रवासियों” की संख्या स्वदेशी लोगों से अधिक हो गई है।
- गौतरतलब हैं कि 1979 से 1985 के बीच हुए आंदोलन में असम से इन अवैध अप्रवासियों को निकालने के लिए 1951 के NRC को अद्यतन करने की मांग उठाई गई थी।
- असम समझौते पर अगस्त 1985 में हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें 24 मार्च, 1971, बांग्लादेश युद्ध की पूर्व संध्या पर विदेशियों का पता लगाने, हिरासत में लेने और निर्वासित करने की कट-ऑफ तारीख निर्धारित की गई थी।
- इस तिथि का उपयोग NRC के उन्नयन में किया गया था जो 2014 में सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण में शुरू हुआ था।
- 1951 में NRC में सूचीबद्ध लोगों और उनके वंशजों को अगस्त 2019 में प्रकाशित NRC ड्राफ्ट में शामिल किया गया था, जबकि मसौदे में शामिल होने के लिए आवेदन करने वाले 3.3 करोड़ लोगों में से 19.06 लाख को बाहर रखा गया था।
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:National Register of Citizens (NRC)
NRC की स्थिति:
- इस प्रक्रिया में अगला कदम उन सभी 19.06 लाख व्यक्तियों को अस्वीकृति पर्ची जारी करना है, जिन्हें एनआरसी के मसौदे से बाहर रखा गया है।
- ध्यान नहीं दिए जाने वाले मुद्दों को नियत किया जाना, जिसमें NRCकी अस्वीकृति का औचित्य शामिल है, व्यक्ति को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए 120 दिनों के भीतर दस्तावेजों के साथ विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (FTs) से संपर्क करना होगा।
- इसमें विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (FTs) इन मामलों में फैसला करेगा और NRC में शामिल करने या न करने के लिए किसी व्यक्ति को ‘नागरिक’ या ‘विदेशी’ घोषित करेगा।
NRC को लेकर विवाद:
- वर्ष 2021 में NRC के राज्य समन्वयक (State Coordinator) ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया,जिसमें कहा गया था कि अगस्त 2019 NRC अभ्यास सिर्फ एक “पूरक सूची” थी और यह इसका अंतिम मसौदा नहीं है, अतः इसका पुन: सत्यापन किया जाय।
- जबकि असम के फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (FTs) के सदस्य ने करीमगंज जिले में एक संदिग्ध प्रवासी को यह स्वीकार करते हुए भारतीय घोषित किया कि इस व्यक्ति के परिवार को अगस्त 2019 की सूची में “अंतिम एनआरसी” में संदर्भित किया गया था।
- कई अन्य मामलों में सूची को अंतिम भी कहा गया है।
- हाल ही में NRC के राज्य समन्वयक (State Coordinator) ने FTs से नागरिकता के मामलों के निर्णय के लिए NRC पर भरोसा नहीं करने का आग्रह किया क्योंकि अंतिम NRC अभी तक नागरिक पंजीकरण के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी नहीं किया गया है।
- उन्होंने यह भी दावा किया कि गलत डेटा प्रविष्टि के कारण यह NRC गलत थी और अद्यतन प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया में भी कई खामियां थीं।
- राज्य समन्वयक (State Coordinator) के अनुसार, केवल भारत के महापंजीयक के कार्यालय को ही अंतिम NRC जारी करने का अधिकार है और इस संबंध में अभी तक कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
- हालांकि, असम के विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (FTs) के सदस्य NRC में स्वतंत्र रूप से विदेशी घोषित किए गए व्यक्तियों के मामलों पर निर्णय लेने के बजाय, NRC को अंतिम मानकर निर्णय ले रहे हैं।
- असम के विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण (FTs) के एक सदस्य ने कहा कि NRC 2003 के नागरिकता नियमों के प्रासंगिक खंडों के अनुसार तैयार किया गया था और यह अंतिम था।
- उन्होंने यह भी दोहराया कि NRC की आधिकारिक वेबसाइट में इसे अंतिम बताया गया है।
- उन्होंने आगे कहा कि राज्य समन्वयक को NRC की अंतिमता के बारे में कानून, नियमों, अधिसूचनाओं और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर FTs के वैध कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जो उसके अधिकार क्षेत्र और सीमा से परे है।
इस मुद्दे पर असम सरकार का रुख:
- असम सरकार का मानना है कि NRC त्रुटिपूर्ण थी।
- सरकार का दावा है कि बांग्लादेश की सीमा से लगे जिलों में सूचीबद्ध नामों में से कम से कम 20% और अन्य जिलों में 10% नामों के पुन: सत्यापन की आवश्यकता है।
- सरकार ने इस सूची को अंतिम रूप से स्वीकार नहीं किया है और इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया है।
- सरकार ने अद्यतन प्रक्रिया के दौरान एकत्र किए गए 21 लाख व्यक्तियों को बायोमेट्रिक्स से नियंत्रण मुक्त करने का आग्रह किया है, ताकि उन्हें अपने आधार कार्ड प्राप्त करने में मदद मिल सके।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आपदा प्रबंधन:
सूखे के प्रति भारत की संवेदनशीलता:
विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।
प्रारंभिक परीक्षा:UNCCD के बारे में, UNCCD के COP15 और ‘आंकड़ों में सूखा, 2022 रिपोर्ट’ (Drought in Numbers, 2022 Report)।
मुख्य परीक्षा: ‘आंकड़ों में सूखा, 2022 रिपोर्ट’ की रिपोर्ट के निष्कर्ष और पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं पर सूखे का प्रभाव।
प्रसंग:
- हाल ही में 11 मई को ‘संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय’ ( United Nations Convention to Combat Desertification (UNCCD) के सदस्यों के 15वें ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ (CoP15) में ‘आंकड़ों में सूखा, 2022 रिपोर्ट’ (Drought in Numbers, 2022 Report) जारी की गई थी।
आंकड़ों में सूखा, 2022 रिपोर्ट’ (Drought in Numbers, 2022 Report):
- आंकड़ों में सूखा, 2022 रिपोर्ट हमारे पारिस्थितिकी तंत्र पर सूखे के प्रभावों और भविष्य के लिए कुशल योजना के माध्यम से इसके प्रभावों को कम करने के तरीकों पर डेटा का एक संग्रह है।
- इस 15वें सम्मेलन (COP15) में UNCCD के 197 सदस्यों द्वारा अगले 122 वर्षों में सूखे की स्थिति और जीवन तथा आजीविका पर पड़ने वाले इसके प्रभावों व इससे सम्बंधित महत्वपूर्ण निर्णयों के बारे में जानकारी तथा विश्लेषण किया गया है।
UNCCD का COP15:
- मई 2022 में कोटे डी आइवर के आबिदजान में UNCCD को पार्टियों के सम्मेलन (COP15) का 15 वां सत्र संपन्न हुआ।
- इसकी थीम: “भूमि। जीवन। विरासत: अभाव से समृद्धि की ओर” ( “Land. Life. Legacy: From scarcity to prosperity.” )थी।
- यह सम्मेलन सरकारी प्रतिनिधियों, निजी क्षेत्र के सदस्यों और नागरिक समाज के हितधारकों को एक साथ लाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भूमि वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों को लाभ पहुंचाती रहे।
- UNCCD का COP15 का सम्मेलन मुख्य रूप से मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे पर केंद्रित था।
- COP15 में भूमि की बहाली और इससे संबंधित पहलू जैसे भूमि अधिकार, लैंगिक समानता और युवा सशक्तिकरण अन्य शीर्ष विचारणीय बिंदु थे।
- इस सम्मेलन में वैश्विक भूमि दृष्टिकोण (Global Land Outlook) के निष्कर्षों पर विचार किया गया है और पारिस्थितिक तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र के दशक में दुनिया द्वारा उठाये जा रहे कदम के रूप में भूमि क्षरण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता हानि की परस्पर चुनौतियों का उत्तर देने का प्रयास किया गया।
“आंकड़ों में सूखा, 2022 रिपोर्ट” के मुख्य निष्कर्ष:
- इस रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2000 के बाद से दुनिया भर में सूखे की आवृत्ति और अवधि में 29% की वृद्धि हुई है।
- “आंकड़ों में सूखा, 2022 रिपोर्ट” से पता चलता है कि भारत के कई स्थान विश्व स्तर पर सूखे की चपेट में आने वाले क्षेत्रों की सूची में आ जायेंगे।
- इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 1998 और 2017 के बीच गंभीर सूखे के कारण लगभग 2 से 5% तक प्रभावित हुआ था।
- साथ ही, 1998 से 2017 के बीच पड़े सूखे के कारण दुनिया भर में लगभग 124 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।
सूखे का प्रभाव:
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( World Meteorological Organisation) के आंकड़े बताते हैं कि मौसम, जलवायु और पानी के खतरे 1970 के बाद से सभी आपदाओं का लगभग 50% और सभी रिपोर्ट की गई मौतों में से 45% के लिए जिम्मेदार है और इनमें से दस में से नौ मौतें विकासशील देशों में हुई हैं।
- वर्ष 2020 से 2022 के बीच, लगभग 23 देश सूखे की आपात स्थिति के कारण प्रभावित हुए हैं जिनमें अफगानिस्तान, ब्राजील, इथियोपिया, इराक, ईरान, कजाकिस्तान, मेडागास्कर, मोजाम्बिक, नाइजर, सोमालिया और पाकिस्तान, यू.एस. और जाम्बिया शामिल हैं।
- वर्ष 2022 में, 2.3 बिलियन से अधिक लोग पानी के संकट का सामना कर रहे हैं और लगभग 160 मिलियन बच्चे गंभीर और लंबे समय तक सूखे की चपेट में हैं।
- वर्ष 2000 से 2019 तक दुनिया भर में एक अरब से अधिक लोग सूखे से प्रभावित हुए हैं, जिससे यह बाढ़ के बाद दूसरी सबसे बड़ी आपदा बन गई है।
- 134 सूखे की स्थिति के साथ अफ्रीका इससे सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिनमें से 70 पूर्वी अफ्रीका में पड़े हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पाया है कि दुनिया भर में लगभग 55 मिलियन लोग सालाना सूखे से सीधे प्रभावित होते हैं, जिससे यह पशुधन और फसलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन जाता है।
- सूखे का प्रभाव भी सभी लिंगों में एक समान नहीं होता है।
- अध्ययनों से पता चलता है कि विकासशील देशों में महिलाएं और लड़कियां सूखे के कारण शिक्षा के स्तर, पोषण, स्वास्थ्य, स्वच्छता और सुरक्षा के मामले में अधिक प्रभावित होती हैं।जल संग्रहण का भार भी सीधे महिलाओं और लड़कियों पर पड़ता है।
- वर्ष 2019-2020 में ऑस्ट्रेलिया में पड़े भयंकर सूखे ने “मेगाफायर” भूमिका निभाते हुए, खतरे में पड़ी प्रजातियों के अधिकांश आवास को नष्ट कर दिया।
- जंगल की आग के कारण करीब तीन अरब जानवर मारे गए या विस्थापित हुए।
- साथ ही, 84% स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र जंगल की भीषण आग के कारण संकटग्रस्त हैं।
- खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organisation) की 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले चार दशकों में सूखे के कारण प्रभावित पौधों की हिस्सेदारी में दो गुना से अधिक की वृद्धि हुई है और सूखे तथा मरुस्थलीकरण के कारण सालाना लगभग 12 मिलियन हेक्टेयर भूमि नष्ट हो रही है।
भावी कदम:
- एक रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप आने वाले वर्षों में 129 देशों में सूखे के जोखिम में वृद्धि होगी।
- यदि ग्लोबल वार्मिंग 2100 तक 3 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाती है, तो सूखे के कारण होने वाले नुकसान में पांच गुना वृद्धि हो सकती है।
- सूखे के नुकसान में सबसे बड़ी वृद्धि यूरोप के भूमध्यसागरीय और अटलांटिक क्षेत्रों में होने की उम्मीद है।
- विश्व बैंक के अनुसार, सूखे की स्थिति के परिणामस्वरूप वर्ष 2050 तक लगभग 216 मिलियन लोगों का प्रवास हो सकता है।
- सूखे के साथ अन्य प्रमुख कारक पानी की कमी, फसल उत्पादकता में गिरावट, समुद्र के स्तर में वृद्धि और अधिक जनसंख्या हो सकते हैं।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
सुप्रीम कोर्ट ने पेरारीवलन को रिहा किया:
विषय: भारत का संविधान – विकास, विशेषताएं, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
प्रारंभिक परीक्षा: संविधान के अनुच्छेद 142, 72 और 161
मुख्य परीक्षा: अनुच्छेद 142 का महत्व और पेरारिवलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला।
प्रसंग:
- सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण शक्तियों का इस्तेमाल किया और राजीव गांधी की हत्या के मामले में AG पेरारिवलन को रिहा करने का निर्देश दिया।
पृष्ठ्भूमि:
Image source: The Hindu
- इस मुद्दे की विस्तृत पृष्ठभूमि के लिए 5 मई 2022 का UPSC परीक्षा व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।
विवरण:
- सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने अपने फैसले में पेरारीवलन की रिहाई का आदेश देते हुए इस बात को स्वीकार किया हैं की 30 साल से अधिक समय तक लंबी कैद में रखे जाने के बाद इसे रिहा कर दिया जाए।
- इससे पहले, अदालत ने 2014 में हत्या के लिए उसकी मौत की सजा को उम्रकैद की सजा में बदल दिया था और कहा था कि राष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे शीर्ष संवैधानिक अधिकारियों को क्रमशः अनुच्छेद 72 और 161 के तहत “संवैधानिक अनुशासन की सीमा के भीतर” और “शीघ्र तरीके से “अपनी क्षमादान शक्तियों का प्रयोग करना चाहिए।
- यह कहते हुए कि संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की शक्ति का प्रयोग न्यायिक समीक्षा से परे नहीं था, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने माना कि पेरारिवलन के क्षमा निर्णय में राज्यपाल की देरी ने अदालत को अनुच्छेद 142 के तहत अपनी असाधारण संवैधानिक शक्तियों का उपयोग करने के लिए मजबूर किया है।
संविधान का अनुच्छेद 142:
- न्याय के हितों को बनाए रखने के लिए अनुच्छेद 142 पेश किया गया था।
- अनुच्छेद 142 सर्वोच्च न्यायालय को “पूर्ण न्याय” करने के लिए एक असाधारण अधिकार प्रदान करता है, जब कानून या क़ानूनी उपाय प्रदान करने में विफल रहता है।
- ऐसी स्थितियों में, न्यायालय किसी विवाद को इस तरीके से समाप्त कर सकता है जो मामले के तथ्यों के अनुकूल हो।
- अनुच्छेद 142 के अनुसार,”सर्वोच्च न्यायालय अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए उसे पारित कर सकता हैं,जो उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक है,और इस प्रकार पारित कोई भी डिक्री या इस प्रकार किए गए आदेश भारत के पूरे क्षेत्र में इस तरह से लागू करने योग्य होंगे जो संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून द्वारा या उसके तहत निर्धारित किए जा सकते हैं और जब तक कि इस संबंध में प्रावधान इस तरह से नहीं किया जाता है, जैसा कि राष्ट्रपति आदेश द्वारा निर्धारित कर सकते हैं”।
- यह भी प्रावधान करता है कि “सुप्रीम कोर्ट के पास किसी भी व्यक्ति की उपस्थिति, किसी भी दस्तावेज की खोज या उत्पादन, या खुद की किसी भी अवमानना की जांच या सजा को सुरक्षित करने के उद्देश्य से कोई भी आदेश देने की पूरी शक्ति होगी”।
- अनुच्छेद 142 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को पहले से प्रदत शक्तियों को और अधिक समर्थन प्रदान करता हैं ,तथा यह भी सुनिश्चित करता हैं की कोर्ट द्वारा प्रदान किये गए न्याय में कानूनों की कमी या कोर्ट के अधिकारों में कमी के कारण न्याय में बाधा न आये।
सुप्रीम कोर्ट के विचार:
- अदालत ने फैसला सुनाया कि पेरारिवलन को क्षमा करने के लिए 2018 में दी गई तमिलनाडु मंत्रिपरिषद की सलाह राज्यपाल के लिए संविधान के अनुच्छेद 161 ( Article 161 ) के तहत बाध्यकारी थी और राज्यपाल के पास क्षमा याचिका को वर्षों तक अपने पास रखने के बाद राष्ट्रपति को अग्रेषित करने का अधिकार नहीं था।
- SC ने केंद्र के इस तर्क को खारिज कर दिया कि केवल राष्ट्रपति के पास IPC की धारा 302 (हत्या) के तहत एक मामले में क्षमादान देने की शक्ति है, न कि राज्यपाल के पास।
- अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति को इस तरह की विशेष शक्तियां अनुच्छेद 161 को एक “मृत पत्र” बना देंगी और एक असाधारण स्थिति पैदा कर देंगी जिससे पिछले 70 वर्षों से हत्या के मामलों में राज्यपालों द्वारा दी गई क्षमा को अमान्य कर दिया जाएगा।
- भारत संघ बनाम श्रीहरन 2015 मामले में फैसले का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि जब एक कानून के तहत मामले की सुनवाई की गई तब आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Cr.PC) की धारा 432 (7) (ए) ने संघ को प्राथमिकता दी, न कि राज्यों को,जिससे संघ की कार्यकारी शक्ति का विस्तार हुआ और यह “कार्यकारी क्षमादान का अभ्यास” “राष्ट्रपति या राज्यपाल में निहित” था।
- राष्ट्रपति की क्षमादान शक्तियों के बारे में (अनुच्छेद 72) अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Pardoning Powers of the President (Article 72)
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
परिसीमन के नतीजों को किसी राजनीतिक पूर्वानुमान की आवश्यकता नहीं है:
विषय: संसद की संरचना।
प्रारंभिक परीक्षा-परिसीमन से संबंधित संवैधानिक प्रावधान और उल्लेखनीय संशोधन।
मुख्य परीक्षा: 2026 में निर्धारित परिसीमन प्रक्रिया का महत्व, संबंधित चिंताएं एवं सुझाव।
संदर्भ:
- 2026 में, लोकसभा चुनाव हेतु निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन 2021 की दशकीय जनगणना के जनसंख्या अनुमानों के आधार पर किया जाएगा।
पृष्टभूमि:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 में समय-समय पर जनसंख्या के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों का अंकन या पुनर्व्यवस्था करने का प्रावधान है। इसमें लोक सभा में राज्यों तथा प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित आवंटित सीटों के पुनर्समायोजन का प्रावधान करता है।
- 1976 में संविधान के 42वें संशोधन के माध्यम से परिसीमन पर रोक लगा दी गई थी। इसे 84वें संशोधन के माध्यम से बढ़ाया गया था। यह विस्तार 2026 में समाप्त होना है।
महत्व:
चुनावी लोकतंत्र के सिद्धांतों को कायम रखना:
- परिसीमन चुनावी लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाए रखने में सहायक है।
- परिसीमन से वर्तमान परिदृश्य में मतदाताओं के असमान प्रतिनिधित्व में सुधार किया जा सकता है।
चिंताए:
- परिसीमन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप एक ऐसा परिदृश्य होगा जिसमें जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी आबादी को बढ़ने दिया है, उन राज्यों की तुलना में अधिक सांसद होंगे जो अपनी जनसंख्या के आंकड़ों को विनियमित करने में सफल रहे हैं। यह जनसंख्या नियंत्रण और जनसंख्या स्थिरीकरण में राज्यों के सराहनीय कार्य के लिए उन्हें दंडित करने के समान होगा।
- परिसीमन प्रक्रिया अधिक आबादी वाले उत्तरी राज्यों को सशक्त करेगा जबकि यह दक्षिणी राज्यों की प्रतिनिधित्व को कम करेगा। लेखक का दावा है कि इससे उत्तर-दक्षिण तनाव बढ़ सकता है।
इस मुद्दे पर अधिक संबंधित जानकारी के लिए निम्न लेख पढ़े:
https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-july14-2021/
सुझाव:
- लेखक का यह भी तर्क है कि परिसीमन किसी विशेष अवधि के लिए नहीं बल्कि तब तक के लिए होना चाहिए जब तक कि सभी राज्य जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त नहीं कर लेते हैं।
- यदि परिसीमन की प्रक्रिया तय नहीं है, लेखक के अनुसार संसद सदस्यों की संख्या में वृद्धि होनी चाहिए। साथ ही, इस तरह का परिसीमन सभी राज्यों के हितों को ध्यान में रखते हुए अधिक न्यायसंगत तरीके से होना चाहिए।
- लेखक का तर्क है कि सदस्य-राज्यों के बीच सीटों का विभाजन यूरोपीय संसद कि तरह ‘कैम्ब्रिज समझौता’ की तर्ज पर एक गणितीय मॉडल के आधार पर होना चाहिए। इसे भारतीय परिदृश्य के अनुकूल बनाया जाना चाहिए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
‘रो(Roe)’ मसौदा निर्णय अन्य नागरिक अधिकारों को प्रभावित कर सकता है:
विषय: अन्य देशों के साथ भारतीय संवैधानिक योजना की तुलना।
मुख्य परीक्षा: भारत और अमेरिक के संविधान के बीच तुलना।
पृष्टभूमि:
- दिसंबर 2021 में, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 15 सप्ताह के बाद गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून के खिलाफ मामला उठाया। मामले के तहत अदालत के बहुमत के आधार पर तैयार एक लीक ड्राफ्ट ने गर्भपात के अधिकारों के खिलाफ प्रतिकूल फैसले का संकेत दिया हैं।
- इस विचार का प्रमुख तर्क यह हो सकता है कि संविधान में गर्भपात का कोई उल्लेख नहीं है तथा गर्भपात का अधिकार, निजता के अधिकार का हिस्सा माना जाता है,परन्तु इसका भी उल्लेख नहीं है। अदालत यह भी संदर्भित करती है कि गर्भपात का अधिकार कभी भी देश के इतिहास और परंपरा का हिस्सा नहीं था तथा आदेशित स्वतंत्रता के तहत अनिवार्य नहीं था।
- यह अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक बड़े बदलाव का प्रतीक है, जिसने पहले 1973 में इसे असंवैधानिक ठहराया था और 1992 के एक अन्य मामले में इस दृष्टिकोण की पुष्टि की थी।
चिंताए:
- यदि संवैधानिक रूप से संरक्षित महिलाओं के अधिकारों को निरस्त किया जा सकता है, तो समलैंगिक और समलैंगिक लोगों के अधिकार भी अमान्य हो जायेंगे।
- यह तर्क दिया जा सकता है कि समलैंगिक और समलैंगिक लोगों को न तो निजता का मौलिक अधिकार है और न ही स्वतंत्रता के संरक्षण का क्योंकि उनके अधिकारों का देश के इतिहास और परंपरा में कोई स्थान नहीं है।
- विशेष रूप से, अमेरिकी संविधान में “गोपनीयता”, “यौन अभिविन्यास”, “समलैंगिक”, “लेस्बियन” या “समलैंगिक अधिकार” का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. P-8I समुद्री विमान:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय:विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियां और उनका जनादेश।
प्रारंभिक परीक्षा: नौसेना का P-8I समुद्री गश्ती विमान।
प्रसंग:
- रक्षा मंत्री ने नौसेना के पी-8आई समुद्री गश्ती विमान पर उड़ान भरी।
P-8I समुद्री विमान:
- विमान बोइंग द्वारा निर्मित है।
- इस विमान को लंबी दूरी की पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW), सतह-विरोधी युद्ध (ASuW), और खुफिया, निगरानी और टोही (ISR) मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- इसका उपयोग कम ऊंचाई, मानवीय और खोज और बचाव मिशन के लिए भी किया जाता है।
- विमान के दो प्रकार हैं – P-8I, जिसे भारतीय नौसेना के लिए विकसित किया गया है, और P-8A Poseidon, जिसे अमेरिकी नौसेना, यूनाइटेड किंगडम की रॉयल एयर फोर्स, रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना और रॉयल नॉर्वेजियन वायु सेना द्वारा तैनात किया गया है।
- P-8I 41,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है, और इसका संक्रमन काल कम है,जो पनडुब्बियों या खोज और बचाव हेतु खोज करते समय संभाव्यता के क्षेत्र को कम कर देता है”।
- विमान में दो इंजन लगे हुए हैं, और यह लगभग 40 मीटर लंबा है, जिसमें 37.64 मीटर लम्बे पंख है।
- विमान का वजन लगभग 85,000 किलोग्राम है और इसकी उच्चतम गति 789 किमी/घंटा है।
- इसके लिए चालक दल के नौ सदस्यों की आवश्यकता होती है, और इसकी सीमा 1,200+ समुद्री मील है, इसे प्रत्येक 4 घंटे के बाद एक स्टेशन पर उतरना होता हैं, जिसका अर्थ है लगभग 2,222 किमी की उड़ान यह एक साथ भर सकता हैं।
- 2013 में P-8I विमान के शामिल होने से हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारतीय नौसेना की निगरानी क्षमता में काफी वृद्धि हुई है।
- P-8I के उन्नत सेंसर जैसे मल्टी-मोड रडार, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस सिस्टम, सोनोबॉय, इलेक्ट्रो-ऑप्टिक, इंफ्रारेड कैमरा और उन्नत हथियार भारतीय नौसेना को एक बहुत ही शक्तिशाली प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं।
- विमान को अंतरराष्ट्रीय सीमा, नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. स्वदेशी एंटी-शिप मिसाइल का परीक्षण:
- ओडिशा तट से दूर चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से एक नौसेना हेलीकॉप्टर से पहली बार स्वदेशी रूप से विकसित नौसैनिक एंटी-शिप मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
- यह भारतीय नौसेना के लिए पहली स्वदेशी एयर-लॉन्च एंटी-शिप मिसाइल सिस्टम है।
- यह परीक्षण सीकिंग-42बी हेलीकॉप्टर से किया गया।
2. SC ने मध्य प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव के लिए OBC कोटे की अनुमति दी:
- सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया हैं।
- न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग को परिसीमन अधिसूचना और पिछड़ा वर्ग आयोग द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मद्देनजर स्थानीय निकायों के लिए कार्यक्रम को अधिसूचित करने की अनुमति दी हैं।
- अदालत ने अपने पिछले आदेश को संशोधित करते हुए चुनाव से पहले ‘ट्रिपल टेस्ट’ अभ्यास और आगे के परिसीमन के पूरा होने की प्रतीक्षा किए बिना राज्य चुनाव आयोग को राज्य में 20,000 से अधिक शहरी और पंचायत स्थानीय निकायों के चुनाव कार्यक्रम को दो सप्ताह के भीतर अधिसूचित करने का निर्देश दिया।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन सा कथन सृजन (SRIJAN) पोर्टल का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (स्तर-कठिन)
(a)एक ऑनलाइन पोर्टल जो उन रक्षा मदों तक पहुंच प्रदान करता है जिनका स्वदेशीकरण किया जा सकता हैं।
(b)केंद्र सरकार द्वारा विकसित वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक ऑनलाइन जॉब पोर्टल।
(c)आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को छात्र वित्त सेवाएं प्रदान करने हेतु एक केंद्रीय IT आधारित शिक्षा ऋण पोर्टल।
(d)सशस्त्र बलों के लिए पेंशन स्वीकृति और संवितरण आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु एक ऑनलाइन पोर्टल।
उत्तर: a
व्याख्या:
- सृजन रक्षा मंत्रालय का पोर्टल है जो वन-स्टॉप-शॉप ऑनलाइन पोर्टल के रूप में कार्य करता है जो विक्रेताओं को उन वस्तुओं तक पहुँच प्रदान करता है,जिनका स्वदेशीकरण किया जा सकता हैं।
- इस पोर्टल पर, डीपीएसयू/ओएफबी/एसएचक्यू अपनी उन वस्तुओं को प्रदर्शित कर सकते हैं जिनका वे आयात कर रहे हैं या आयात करने जा रहे हैं जिन्हें भारतीय उद्योग अपनी क्षमता के अनुसार या ओईएम के साथ संयुक्त उद्यम के माध्यम से डिजाइन, विकसित और निर्माण कर सकता है।
- संबंधित डीपीएसयू (रक्षा पीएसयू)/ओएफबी (आयुध निर्माणी बोर्ड)/एसएचक्यू (सेवा मुख्यालय), वस्तुओं की उनकी आवश्यकता और उनके दिशानिर्देशों और प्रक्रियाओं के आधार पर स्वदेशीकरण के लिए भारतीय उद्योग के साथ बातचीत करेंगे।
प्रश्न 2. भारत में असमानता की स्थिति के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- रिपोर्ट प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा अधिकृत तथा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय द्वारा तैयार की गई थी।
- रिपोर्ट आय वितरण, श्रम बाजार की गतिशीलता, स्वास्थ्य, शिक्षा और घरेलू विशेषताओं को प्रमुख क्षेत्रों के रूप में देखती है जो असमानता की प्रकृति और अनुभव को प्रभावित करते हैं।
- इसमें आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS), राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (UDISE+) के विभिन्न दौरों से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग किया गया है।
विकल्प:
(a)केवल 1
(b)1, 2 और 3
(c)केवल 2 और 3
(d)उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: भारत में असमानता की स्थिति रिपोर्ट को प्रधान मंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद द्वारा जारी किया गया था और रिपोर्ट को प्रतिस्पर्धात्मकता संस्थान (Institute for Competitiveness) द्वारा संकलित किया गया है।
- कथन 2 सही है: इस रिपोर्ट में स्वास्थ्य, शिक्षा, घरेलू विशेषताओं और श्रम बाजार जैसे क्षेत्रों में असमानताओं पर जानकारी संकलित की गई है ।
- कथन 3 सही है: आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस), राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण और यूडीआईएसई+ द्वारा दिए गए डेटा का उपयोग रिपोर्ट में किया गया है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सुमेलित नहीं है/हैं? (स्तर – मध्यम)
सुरंग स्थान
1. अटल रोड टनल हिमाचल प्रदेश
2. सेला सुरंग सिक्किम
3. श्यामा सुरंग महाराष्ट्र
विकल्प:
(a)केवल 1
(b)केवल 2 और 3
(c)केवल 1 और 3
(d)उपर्युक्त सभी
उत्तर: b
व्याख्या:
- अटल सुरंग हिमाचल प्रदेश में लेह-मनाली राजमार्ग पर हिमालय के पूर्वी पीर पंजाल श्रेणी में रोहतांग दर्रे के नीचे बनी है।
- सेला सुरंग का निर्माण किया जा रहा है जो असम में गुवाहाटी और अरुणाचल प्रदेश में तवांग के बीच हर मौसम में संपर्क प्रदान करेगी।
- श्यामा सुरंग जिसे चेनानी-नाशरी सुरंग या पटनीटॉप सुरंग के रूप में भी जाना जाता है, अप्रैल 2017 में यातायात के लिए खोले जाने पर भारत में सबसे लंबी सड़क सुरंग परियोजना बन गई हैं।सुरंग जम्मू-कश्मीर के उधमपुर में स्थित है।
प्रश्न 4. डेनिसोवन्स (Denisovans) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- ये विलुप्त प्रजाति या होमो जीन में पुरातन मनुष्यों की उप-प्रजाति हैं।
- ये कुछ क्षेत्रों में निएंडरथल के साथ सह-अस्तित्व के लिए जाने जाते हैं।
- ये अब तक पाए जाने वाले सबसे छोटे पूर्ण विकसित डायनासोर हैं।
निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 1
(c)केवल 3
(d)उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: डेनिसोवन्स एक विलुप्त प्रजाति या जीनस होमो में पुरातन मनुष्यों की उप-प्रजातियां हैं जो निम्न और मध्य पुरापाषाण काल के दौरान पूरे एशिया में फैली हुई थीं।
- कथन 2 सही है: नाभिकीय डीएनए निएंडरथल के साथ डेनिसोवन्स के साथ घनिष्ठ संबंधों को इंगित करता है और कुछ क्षेत्रों में सह-अस्तित्व के लिए जाना जाता है।
- कथन 3 सही नहीं है: डेनिसोवन्स डायनासोर से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित जीवों में से कौन सा अन्य तीन के वर्ग से संबंधित नहीं है? PYQ (2014) (स्तर – मध्यम)
(a)केकड़ा
(b)घुन
(c)बिच्छू
(d)मकड़ी
उत्तर: a
व्याख्या:
- घुन, बिच्छू और मकड़ियाँ अरैक्निड (Arachnids) वर्ग के हैं।
- अरैक्निड (Arachnids) संयुक्त पैर वाले अकशेरूकीय जानवरों का एक वर्ग है।
- कीड़ों के विपरीत,सभी अरैक्निड के आठ पैर होते हैं, और उनके पास एंटेना (antennae-कीड़ों के स्पर्श-सूत्र) नहीं होता है।
- जबकि, केकड़ा क्रस्टेशियन वर्ग का हैं।
- क्रस्टेशियंस आम तौर पर जलीय होते हैं और मुंह के सामने दो जोड़ी उपांग (एंटीन्यूल्स और एंटेना) होने में अन्य आर्थ्रोपोड से भिन्न होते हैं और मुंह के पास युग्मित उपांग होते हैं जो जबड़े के रूप में कार्य करते हैं।
- (सन्धिपाद (अर्थोपोडा) प्राणी जगत का सबसे बड़ा संघ है। पृथ्वी पर सन्धिपाद की लगभग दो तिहाई जातियाँ हैं, इसमें कीट भी सम्मिलित हैं। इनका शरीर सिर, वक्ष और उदर में बँटा रहता है। शरीर के चारों ओर एक खोल जैसी रचना मिलती है।)
- केकड़े, झींगा मछली, झींगा और लकड़ी की जूँ सबसे प्रसिद्ध क्रस्टेशियंस में से हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. केंद्र की क्रमिक सरकारों ने भारत में लोकसभा सीटों के परिसीमन में आधे दशक से अधिक की देरी क्यों की है? इस देरी के कारण क्या-क्या समस्याएं उत्पन्न हुई हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – राजनीति)
प्रश्न 2. दुनिया भर के देशों के सामने आ रही मरुस्थलीकरण की समस्या का आकलन कीजिए। भारत में इस समस्या से निपटने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – पर्यावरण)
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