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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 23 June, 2022 UPSC CNA in Hindi

23 जून 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. पक्षियों का टकराना और विमानन सुरक्षा को समझना:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे:

  1. आर्थिक परिवर्तन में जाति की भूमिका:

अर्थव्यवस्था:

  1. सिंगल लो टैक्स सिस्टम की ओर:
  2. क्रिप्टो टम्बलिंग के बाद आया:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारतीय जलक्षेत्र से चार नए मूंगे की प्रजाति खोजी गई:
  2. भारतीय समाज:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पूर्वी अफगानिस्तान में भूकंप से 1,000 से अधिक लोगों की मौत:
  2. डिजिटल वियरेबल्स उपयोगकर्ताओं को साइबर हमले का शिकार बना सकते हैं: IEEE

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पक्षियों का टकराना और विमानन सुरक्षा को समझना:

अर्थव्यवस्था:

विषय: बुनियादी ढांचा: हवाई अड्डे।

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के बारे में।

मुख्य परीक्षा: पक्षीयों के हमलों के प्रभाव और इन घटनाओं को कम/रोकने के तरीके।

संदर्भ:

  • हाल ही में एक ही दिन में दो अलग-अलग विमानों से पक्षियों के टकराने की दो घटनाएं सामने आई हैं।

विवरण:

  • पटना और दिल्ली के बीच चलने वाले एक स्पाइसजेट बोइंग विमान जिसमे 185 यात्री सवार थे,में अपने चढ़ाई चरण (टेक-ऑफ) (टेक-ऑफ के तुरंत बाद का चरण जिसके दौरान विमान एक पूर्व निर्धारित परिभ्रमण ऊंचाई पर चढ़ता है) के दौरान उसके बाएं इंजन से एक पक्षी के टकराने की घटना सामने आई हैं।
  • उसी दिन गुवाहाटी से दिल्ली के बीच उड़ने वाले इंडिगो एयरबस के जहाज से भी टेक-ऑफ के दौरान बाएं इंजन से एक पक्षी के टकराने की घटना घटी।
  • दोनों घटनाओं में, इंजन के कुछ ब्लेड क्षतिग्रस्त हो गए थे या उनमें टूट फुट हो गई थी ।
  • नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए), जो देश का नागरिक उड्डयन नियामक निकाय है, ने जांच का आदेश दिया है और सभी हवाईअड्डा संचालकों को “हवाई क्षेत्र के भीतर और बाहर” अपनी वन्यजीव जोखिम प्रबंधन योजनाओं की समीक्षा करने का निर्देश दिया है।

पक्षी हमलों की घटनाएं :

  • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (International Civil Aviation Organization (ICAO) ) ने 1965 से पक्षियों के विमान से टकराने के आंकड़े एकत्र किए हैं,और 1979 में इसने सदस्य राज्यों से पक्षियों के विमान से टकराने की घटनाओं को डेटा देने का आग्रह किया था।
  • ICAO बर्ड स्ट्राइक इंफॉर्मेशन सिस्टम 1980 से लागू है और इसके द्वारा लगभग 62,416 सत्यापित रिकॉर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि उड़ान के टेक-ऑफ और पहुँचने के चरणों के दौरान हवाईअड्डों में या उसके पास पक्षियों के टकराने की अधिकांश घटनाएं घटित हुई थीं।
  • इन घटनाओं में से लगभग 60% घटनाएं 30 मीटर या उससे कम की उंचाइ पर घटी थी।
  • “नागरिक विज्ञान और मौसम रडार डेटा द्वारा व्याख्यायित वाणिज्यिक हवाई अड्डों पर पक्षियों का टकराना ” (Bird strikes at commercial airports explained by citizen science and weather radar data) नामक इस रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्ष 2017 में, “केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में 14,000 से अधिक पक्षियों के टकराने की सूचना मिली थी; अकेले उस वर्ष में इन घटनाओं के कारण 142 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ “।
  • एलन जेआर द्वारा एक तीसरा पेपर, “द कॉस्ट ऑफ बर्ड स्ट्राइक एंड बर्ड स्ट्राइक प्रिवेंशन”, कहता है कि, विश्व स्तर पर “बर्ड स्ट्राइक की वार्षिक लागत अनुमानित $ 1.2 बिलियन है”।
  • एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2021 में, DGCA के आंकड़ों में 1,400 से अधिक संदिग्ध और पुष्ट वन्यजीव घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो वर्ष 2016 में लगभग 840 मामलों से अधिक है। सबसे ज्यादा घटनाएं दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों पर घटित हुईं हैं।
  • भारत की राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा योजना (2018-2022) में, जो आईसीएओ की वैश्विक विमानन सुरक्षा योजना के अनुरूप है, डीजीसीए ने निगरानी को “वन्यजीव और पक्षी हमलों” को प्रमुख सुरक्षा प्राथमिकताओं में से एक के रूप में नामित किया है।

विमान पर पक्षियों के हमले का प्रभाव:

Image Source: The Hindu

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  • इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पक्षियों के विमान से टकराने की घटना आमतौर पर विमान के टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान होती है, वे उड़ान के अत्यधिक महत्वपूर्ण चरणों के दौरान पायलटों को विचलित कर सकते हैं, जिसमें चालक दल के पूर्ण ध्यान देने एवं सभी मापदंडों के पालन करने की आवश्यकता होती है।
  • पक्षी हमलों के कारण विमान के इंजन को नुकसान पहुंच सकता है,जिसके परिणामस्वरूप इंजन असंतुलित भी हो सकता है।
  • इसके अलावा विंग सरफेस (फ्लैप्स, स्पॉइलर और स्लैट्स) और एयरफ्रेम को भी नुकसान हो सकता है। बर्ड स्ट्राइक ट्विस्टेड फैन ब्लेड, ब्लेड सेपरेशन और वाइब्रेशन के कारण इंजन को नुकसान पहुंचा सकता है।
  • इससे एयरलाइन ऑपरेटर को भारी नुकसान होता है। पक्षी हमले से फ्लैप, स्पॉइलर, स्लैट्स और एयरफ्रेम जैसी विंग सतहों को भी नुकसान पहुंचा सकता है,और चालक दल के लिए गतिशीलता संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  • जबकि अधिकांश एयरफ्रेम पक्षी हमले या टकराने पर हवाई सुरक्षा के लिए उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं, खिड़कियों या विंडस्क्रीन के टूटने के लिए पायलटों को जल्द से जल्द विमान को उतारना पड़ता है।

Image Source: The Hindu

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पक्षियों के हमले की घटनाओं को कम करने के उपाय:

  • एक हवाई अड्डे के आसपास के क्षेत्र बूचड़खानों और कचरा डंपिंग से मुक्त होने चाहिए जो कि वन्यजीवों को आकर्षित करने के प्रमुख कारक हैं, ये और अधिक जोखिम बढ़ाते हैं।
  • विमान से निकाले गए कचरे के निपटान के लिए हवाई अड्डों में भस्मक ( incinerators-अपशिष्ट सामग्री जलाने के लिए एक उपकरण) स्थापित किये जाने चाहिए।
  • पक्षियों के विमान से टकराने की घटना की रोकथाम के लिए एयरलाइंस के पास कुछ मानक संचालन प्रक्रियाएं होनी चाहिए।
  • हवाईअड्डे के भीतर और उसके आसपास वन्यजीव प्रबंधन नियमों का पालन करना भी वन्यजीवों और पक्षियों के टकराने को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पायलटों के लिए यह भी जरूरी हैं की वे लगातार विमान के उपकरणों की निगरानी करें और जो पायलट अभी उड़ान नहीं भरने वाले हैं उन्हें पक्षियों को देखने के लिए बाहर नजर रखनी चाहिए।
  • प्रशिक्षण के दौरान भी इस तथ्य पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • पक्षी प्रजातियों, घटना की ऊंचाई और सटीक भू-स्थानिक निर्देशांक जैसी महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र करने के लिए एक व्यापक डेटाबेस होना चाहिए।
  • इसके अलावा, पक्षियों के व्यवहार को समझने के लिए चालक दल और ऑपरेटरों द्वारा प्रयास किए जाने चाहिए।
  • हालाँकि जमीन के करीब उड़ने वाले पक्षियों का सहज व्यवहार विमान के रास्ते से दूर जाना/हटना होता है।
  • शुरुआती टेक-ऑफ के दौरान, जब पायलट उन के ऊपर से उड़ने की कोशिश करते हैं, तो पक्षी हमला या टकराव जैसी घटनाएं होती है।
  • नतीजतन, पक्षी एक इंजन में फंस जाते हैं क्योंकि विमान के इंजन का अंतर्ग्रहण क्षेत्र टेक-ऑफ थ्रस्ट के साथ काफी अधिक होता है।
  • 100 फीट से अधिक की ऊंचाई होने पर पक्षी एक विमान से बचने के लिए हवा में नीचे की ओर आने के लिए झपट्टा लगाते हैं।

सलीम अली पक्षिविज्ञान एवं प्रकृतिक इतिहास केंद्र (Sálim Ali Centre for Ornithology and Natural History (SACON)):

  • सलीम अली पक्षिविज्ञान एवं प्रकृतिक इतिहास केंद्र भारत में पक्षिविज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास से सम्बन्धित सूचना, शिक्षा एवं अनुसंधान का राष्ट्रीय केन्द्र है। (इसका नामकरण प्रसिद्ध पक्षिविज्ञानी सालिम अली के नाम पर किया गया है।)
  • कोयंबटूर में स्थित सलीम अली सेंटर फॉर ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON),जो पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत उत्कृष्टता केंद्र है, यह भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के साथ सम्बद्ध है क्योंकि पक्षियों के विमान से टकराने की घटना से ये दोनों संगठन प्रभावित होते हैं।
  • SACON ने समस्याग्रस्त पक्षियों को दूर रखने के लिए हवाई अड्डों और आसपास के व्यवाहारिक समाधानों पर भी काम किया है।
  • वर्ष 2017-2020 के बीच, SACON ने कोयंबटूर (तमिलनाडु), अहमदाबाद (गुजरात) और कन्नूर (केरल) नामक तीन हवाई अड्डों पर हवाई खतरों की चुनौतियों का अध्ययन किया था।
  • अब इसका विस्तार पूरे भारत में 12 हवाई अड्डों तक कर दिया गया है। SACON प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करेगा जिसमें हवाईअड्डा पक्षी खतरा प्रबंधन दल शामिल होंगे।
  • विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत के प्रत्येक हवाई अड्डे की एक अनूठी पारिस्थितिक समायोजन है और इसलिए इसके समाधान भी अलग-अलग होने चाहिए।

उदाहरण:

  • यदि एक हवाई अड्डे के आसपास 60 पक्षी प्रजातियां हैं, तो इनमे से केवल पांच से छह ही प्रजातियां विमान के लिए संभावित खतरे पैदा करती हैं,इसलिए एक वर्ष से अधिक समय तक इन पक्षियों पर अध्ययन के बाद ही सिफारिशों की एक विशिष्ट सूची प्राप्त होगी।
  • पता चला कि लैपविंग्स प्रजातियां रनवे के पास खुली मिट्टी के हिस्सों को अपने घोंसले के रूप में इस्तेमाल करती हैं ।
  • SACON ने इन स्थानों पर फिर से घास उगाने की सिफारिश की क्योंकि यह आवास प्रबंधन का एक उदाहरण है।
  • SACON उचित फोरेंसिक,डेटा रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए भारतीय हवाई अड्डों तक पहुंच सुनिश्चित कर रहा है।
  • SACON की राष्ट्रीय एवियन फोरेंसिक प्रयोगशाला केवल रक्त के नमूने, ऊतक और पंखों के साथ पक्षी प्रजातियों की पहचान कर सकती है।

सारांश:

  • चूंकि मानसून के मौसम की शुरुआत के साथ वन्यजीव गतिविधियों में वृद्धि होगी,विमान के साथ वन्यजीवों और पक्षियों के हमलों की घटनाओं को रोकने के लिए व्यापक वन्यजीव जोखिम प्रबंधन सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जो मानव और वन्यजीव दोनों के जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे:

आर्थिक परिवर्तन में जाति की भूमिका:

विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं एवं सामाजिक सशक्तिकरण।

मुख्य परीक्षा: भारत के आर्थिक परिवर्तन में एक संरचनात्मक बाधा के रूप में जाति की भूमिका।

पृष्टभूमि:

  • हाल ही में अग्निपथ के खिलाफ विरोध, विगत वर्ष कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तथा किसानों द्वारा आरक्षण के लिए आंदोलनभारत में बेरोजगारी को इंगित करते हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती गरीबी और असंतोष के साथ, भारत अब कम से कम दो दशकों से बेरोजगार विकास चरण में है।
  • भारत, पूर्वी एशियाई देशों जो कि अधिकांश रोजगार और समावेशी विकास का सृजन कर्ता रहे है, के सामान विकास करने में सक्षम नहीं रहा है। इस संदर्भ में, यह लेख वैश्विक संरचनात्मकता व आर्थिक परिवर्तन में भिन्न परिणामों का विश्लेषण किया गया है, इसमे एक भाग में चीन और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच तथा दूसरे भाग में भारत के संरचनात्मक कारक के रूप में जाति की भूमिका, जिसने भारत में आर्थिक परिवर्तन को बाधित किया है का विश्लेषण करता है।

आर्थिक परिवर्तन में एक संरचनात्मक बाधा के रूप में जाति की भूमिका:

  • जाति निम्नलिखित तरीकों से भारत में आर्थिक विकास को बाधित करती है।

भूमि स्वामित्व पैटर्न:

  • भारत आज दुनिया में सबसे ज्यादा भू-असमानताओं से घिरा है। जाति व्यवस्था के परिणामस्वरूप भूमि स्वामित्व पैटर्न में असमानता रही है।
    • भूमि स्वामित्व पैटर्न परंपरागत रूप से जाति व्यवस्था से जुड़ा हुआ इसलिए भारत में भूमि स्वामित्व में जाति असमानता है। भूमि का असमान वितरण केवल ब्रिटिश औपनिवेशिक भू-राजस्व नीतियों द्वारा कायम रखा गया था।
    • स्वतंत्रता के बाद के चरण में बड़े पैमाने पर दलितों और निचली जातियों को भूमि सुधारों का लाभ नहीं मिला। इन सुधारों ने ज्यादातर ग्रामीण भारत में अन्य लोगों अर्थात मध्यवर्ती जातियों को सशक्त बनाया।
    • 1960 की हरित क्रांति ने भूमि के असमान वितरण को और मजबूत किया क्योंकि इसने ज्यादातर बड़े भूमि जोत वाले किसान शामिल थे जो तकनीकी हस्तक्षेप से लाभान्वित हुए जिसके परिणामस्वरूप कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई। हरित क्रांति से लाभान्वित होने वाली जातियों ने ग्रामीण भारत में दूसरों पर अपना सामाजिक नियंत्रण स्थापित कर लिया।
  • भूमि स्वामित्व पैटर्न में असमानता राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक पूंजी तक पहुंच को भी प्रभावित करती है। यह जनसंख्या असमानता व उत्पादक क्षमता को प्रभावित करती है।

शिक्षा में अभिजात्य पूर्वाग्रह:

  • उच्च शिक्षा में अभिजात्य पूर्वाग्रह और जातिगत पूर्वाग्रह के कारण सामूहिक शिक्षा की ऐतिहासिक उपेक्षा के परिणामस्वरूप विभिन्न जातियों के बीच शैक्षिक असमानता उत्पन्न हुई है।
  • मानव पूंजी आर्थिक विकास और वृद्धि हेतु एक महत्वपूर्ण कारक है क्योंकि एक शिक्षित कार्यबल उत्पादकता बढ़ाता है जबकि कौशल में शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से उद्यमिता क्षमता में वृद्धि होती है। कार्यबल का अशिक्षित होना और उपयुक्त कौशल की कमी भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक दबाव बनाती है।
  • चीनी और अन्य पूर्वी एशियाई देशों की सफलता मुख्य रूप से प्रारंभिक वर्षों में बुनियादी शिक्षा और बाद के समय में उच्च शिक्षा पर उनके ध्यान का कारण है। उन्होंने आबादी के कौशल विकास को भी प्राथमिकता दी इसलिए वे पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण मानव पूंजी का निर्माण करने में सक्षम हुए हैं।

उद्यमिता में बाधा :

  • जाति अपने कठोर सामाजिक नियंत्रण और समूह के द्वारा आर्थिक गतिशीलता और विकास में बाधाएं खड़ी करते है। जिन जातियों का पहले से ही व्यापार और औद्योगिक क्षेत्रों पर नियंत्रण था, उनके द्वारा बनाए गए सामाजिक नेटवर्क में दूसरों के प्रवेश का विरोध किया जाता है।
  • इसने समाज के मुख्य रूप से कृषि वर्गों के बीच आर्थिक विविधीकरण में बाधाओं के रूप में काम किया है। यहां तक कि जिनके पास कृषि क्षेत्रों में आर्थिक अधिशेष था, वे भी गैर-कृषि आधुनिक क्षेत्रों में निवेश नहीं कर सकते थे। इस प्रकार, सामाजिक असमानताओं ने आर्थिक परिवर्तन में बाधाएं खड़ी कर दी हैं।
  • यहाँ की स्थिति दक्षिण पूर्व एशिया के विपरीत है, जहां कृषि पूंजीपतियों के द्वारा शहरी उद्यमों में परिवर्तन संभव था।

सारांश:

  • आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में मौजूदा असमानताओं के लिए एक प्रमुख कारक होने के अलावा, भारत में जाति व्यवस्था ने भारत में आर्थिक परिवर्तन प्रक्रिया में एक बड़ी बाधा उत्पन्न की है। भारत में आर्थिक विकास और वृद्धि की योजना बनाते समय इस पहलू पर उचित ध्यान देने की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

सिंगल लो टैक्स सिस्टम की ओर:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार।

मुख्य परीक्षा: वर्तमान GST प्रणाली से संबंधित चिंताएं और इसे सुधार हेतु सुझाव।

पृष्टभूमि:

  • वस्तु और सेवा कर प्रणाली की शुरूआत मुक्त व्यापार और आर्थिक विकास एवं भ्रष्टाचार के रास्ते में आने वाली बाधाओं जैसा कि करों और उपकरों की पुरानी व्यवस्था में देखा गया था, को दूर करने में सक्षम रही है।
  • हालांकि, GST प्रणाली को सुव्यवस्थित करने हेतु कई प्रस्तावित सुधारों को अमल में लाना बाकी है। दिसंबर 2018 तक GST प्रणाली के तहत स्लैबों को समाप्त करने और सिंगल लो टैक्स सिस्टम लाने का प्रस्ताव अभी तक लंबित है।

मौजूदा GST प्रणाली से चिंता:

जटिल और भ्रमित करने वाला:

  • GST प्रणाली अभी भी विभिन्न स्लैबों के साथ एक जटिल कर व्यवस्था है। इसे समझना या पालन करना आसान नहीं है।
  • साथ ही, हर दिन अधिक स्लैबों को जोड़ने और उन्हें GST स्लैब के तहत वर्गीकृत करने की आवश्यकता तथा व्याख्या, उत्पीड़न एवं परिहार्य मुकदमेबाजी के लिए खुली है। यह व्यापार करने की सुगमता (ease of doing business) में सुधार की भावना के विरुद्ध है।

कुछ खंडों पर उच्च कर:

  • कुछ क्षेत्रों में उच्च GST दरों (जिन्हें अक्सर ‘पाप’ कर कहा जाता है) को लागू करना सतत आर्थिक विकास के हित में नहीं है।
  • फाइव-स्टार होटल, ऑटोमोबाइल आदि पर उच्च कर उस प्रभाव को समझाने में विफल रहे हैं जिसका असर इन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार सृजन पर पड़ सकता है तथा इस आर्थिक लहर का नकरात्मक प्रभाव व्यवसायों पर पड़ सकता हैं।
  • इसलिए इस तरह के कर ‘मेक इन इंडिया’ के तहत विकास और रोजगार सृजित करने की सरकार की नीति के विपरीत हो सकते हैं।
  • एक अधिक उदार कर दर अर्थव्यवस्था उनकी मांग को बढ़ा सकती है तथा इसके परिणामस्वरूप आर्थिक विकास पर एक सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

GST से छूट:

  • कुछ वस्तुओं को GST से मुक्त रखा गया है। जैसे पेट्रोल, डीजल, विमानन टरबाइन ईंधन GST के दायरे में नहीं आते हैं, लेकिन केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राज्य करों के अंतर्गत आते हैं।
  • यह भारत में कर प्रणाली को सरल बनाने के सिद्धांत के अनुरूप नहीं है क्योंकि इन वस्तुओं की करों में बड़ी भागीदारी है।

अनुशंसा:

  • इस लेख में विभिन्न टैक्स स्लैबों को खत्म करने तथा अन्य देशों में देखी गई ऐसी व्यवस्था से छूट वाली वस्तुओं की एक सूची तैयार कर, सिंगल लो टैक्स सिस्टम लाने का आह्वान किया गया है

सारांश:

  • GST प्रणाली के तहत छूट वाली वस्तुओं की एक सीमित सूची के साथ सिंगल लो टैक्स सिस्टम बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने, कर जाल को मजबूत करने, व्यापार करने में आसानी, अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन, कर संग्रह में वृद्धि और भ्रष्टाचार को कम करने में मदद कर सकती है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

क्रिप्टो टम्बलिंग के बाद आया:

विषय: संसाधन जुटाने और विकास से संबंधित मुद्दे एवं क्रिप्टोकरेंसी।

प्रारंभिक परीक्षा: क्रिप्टोकरेंसी की कीमत को प्रभावित करने वाले कारक |

संदर्भ:

  • हाल ही के हफ्तों में बिटकॉइन की कीमत नवंबर 2021 में $ 69,000 के रिकॉर्ड उच्च स्तर से लगभग $ 20,000 तक गिर गई है। विशेष रूप से बिटकॉइन और सामान्य रूप से क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में महत्वपूर्ण कमी आई है। इससे दुनिया भर के निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है जिससे इस तरह की क्रिप्टोकरेंसी की वित्तीय व्यवहार्यता पर सवाल खड़ा कर दिया हैं।
  • इस लेख में क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले कारकों का विश्लेषण किया गया है।

क्रिप्टोकरेंसी की कीमत को प्रभावित करने वाले कारक:

  • क्रिप्टोकरेंसी मूल परिसंपत्ति का एक प्रकार है जो लोगों को अपना पैसा औपचारिक वित्तीय प्रणाली से बाहर रखने मदद करता है तथा इसे सुलभ बनाता है ताकि इसे दुनिया में कहीं भी इस्तेमाल किया जा सके। क्योकि उनकी कीमतें मांग पर निर्भर करती हैं, जो वैश्विक तरलता स्थितियों में परिवर्तन सहित कई कारकों पर प्रभाव डालती हैं।
  • बिटकॉइन की कीमत में अधिकांश उतार-चढ़ाव मांग पक्ष में बदलाव के कारण होता हैं क्योंकि परिसंपत्ति की आपूर्ति लगभग स्थिर या बहुत धीमी होती है क्योकि बिटकॉइन माइनिंग की लागत अधिक होती है।
  • महामारी की शुरुआत के दौरान क्रिप्टो परिसंपत्तियों की कीमत में उछाल इसलिए था क्योंकि निवेशक अन्य विश्वसनीय निवेश अवसरों के अभाव में क्रिप्टो परिसंपत्तियों में अपने धन का निवेश कर रहे थे। जैसा कि महामारी का प्रभाव कम हो रहा है तथा अर्थव्यवस्थाएं खुल रही हैं, तो ऐसे में निवेशक अपने फंड को क्रिप्टोक्यूरेंसी परिसंपत्तियों से अधिक लाभदायक निवेश अवसरों में स्थानांतरित करना चाहते हैं। इससे इनकी कीमतों में गिरावट आई।
  • हाल ही में, परिसंपत्ति की कीमतों में नकारात्मक रूप से परिवर्तन हुआ हैं, विकसित देशों की सरकारों द्वारा जारी सरकारी बांड पर नीतिगत ब्याज दरें हाल के दिनों में बढाई हैं। इन्हें सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है तथा इन पर ऊंची ब्याज दरें इन परिसंपत्तियों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ा रही हैं। नतीजतन, क्रिप्टो परिसंपत्तियों में निवेशक अपने निवेश को क्रिप्टो परिसंपत्तियों से सरकारी बॉन्ड में स्थानांतरित कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप क्रिप्टो परिसंपत्तियों की मांग में गिरावट आई है और परिणामस्वरूप बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की कीमत में कमी आई है।

सारांश:

  • क्रिप्टो परिसंपत्तियों की प्रकृति और वैश्विक स्तर पर वित्तीय बाजारों के परस्पर संबंध को देखते हुए, क्रिप्टो परिसंपत्तियों की कीमत वैश्विक तरलता स्थितियों में बदलाव के प्रति संवेदनशील है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. भारतीय जलक्षेत्र से चार नए मूंगे की प्रजाति खोजी गई:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

जैव विविधता:

विषय:मूंगों का पारिस्थितिकी तंत्र।

प्रारंभिक परीक्षा: एज़ोक्सैन्थेलेट कोरल (Azooxanthellate corals)।

संदर्भ:

  • वैज्ञानिकों ने पहली बार भारतीय जल में मूंगे की चार प्रजातियों की खोज की है।

विवरण:

  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के पानी में एज़ोक्सैन्थेलेट कोरल की नई प्रजातियों की खोज की गई हैं।
  • जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई) के वैज्ञानिकों ने कहा कि कोरल के सभी चार समूह एक ही परिवार, फ्लैबेलिडे ( Flabellidae) से सम्बंधित हैं।
  • ट्रंकैटोफ्लैबेलम क्रसुम (Truncatoflabellum crassum) टी.इनक्रस्टैटम (T. incrustatum), टी. एक्यूलेटम (T. aculeatum), और टी. इररेगुलर (T. irregulare) सभी फ्लैबेलिडे ( Flabellidae) परिवार से सम्बंधित हैं जो पहले जापान,फिलीपींस और ऑस्ट्रेलियाई जल में पाए गए थे, जबकि केवल टी. क्रसुम अदन की खाड़ी और फारस की खाड़ी सहित इंडो-वेस्ट पैसिफिक वितरण की सीमा के भीतर पाया गया था।
  • कोरल रीफ्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Corals Reefs

एज़ोक्सैन्थेलेट कोरल (Azooxanthellate corals):

  • एज़ोक्सैन्थेलेट कोरल मूंगों का एक समूह है जिसमें ज़ोक्सांथेला (zooxanthellae) नहीं होता है और यह सूर्य से नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के प्लवकों से पोषण प्राप्त करते हैं।
  • ज़ोक्सांथेलेट कोरल के विपरीत, एज़ोक्सैन्थेलेट कोरल उथले पानी तक ही सीमित नहीं होते हैं।
  • वे समुद्र की गहराई के विशाल विस्तार में पाए जाते हैं जहां उनकी वृद्धि के लिए उथले समुद्र की अपेक्षा कम प्रतिस्पर्धा होती है।
  • ये मूंगे प्रकाश या तापमान द्वारा घिरे हुए नहीं होते हैं।
  • ये कठोर मूंगों का एक समूह हैं और ये पाई गई नई प्रजातियां न केवल वहां एकमात्र/विशेष हैं बल्कि अत्यधिक संकुचित कंकाल संरचना है।

2. संथाल जनजाति:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय समाज:

विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएं, भारत की विविधता।

प्रारंभिक परीक्षा: संथाल जनजाति।

संदर्भ:

  • राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए द्रौपदी मुर्मू को नामित किया है, वे संथाल समुदाय से हैं,ऐसे में संथाल समुदाय सुर्खियों में आ गया है।
  • निर्वाचित होने पर द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी व्यक्ति होंगी।

संथाल जनजाति:

  • गोंड और भील के बाद संथाल देश का तीसरा सबसे बड़ा अनुसूचित जनजाति समुदाय है।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अनुसंधान और प्रशिक्षण संस्थान (एससीएसटीआरटीआई), भुवनेश्वर के अनुसार, संथाल शब्द दो शब्दों से बना है:
  1. संथा जिसका अर्थ है शांत और शांतिपूर्ण।
  2. अला जिसका अर्थ है मनुष्य।
  • पहले संथाल खानाबदोश जीवन व्यतीत करते थे और अंततः वे छोटानागपुर पठार में बस गए हैं।
  • संथाल “संथाली” बोलते हैं जिसकी अपनी लिपि है जिसे “ओल चिकी” (Ol Chiki) कहा जाता है जिसका आविष्कार/गढ़ा पंडित रघुनाथ मुर्मू ने किया था।
  • ओल चिकी लिपि में संथाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।
  • संथाल आबादी ज्यादातर ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में निवास करती है।
  • ओडिशा में, मयूरभंज, क्योंझर और बालासोर में संथाल देखे जाते हैं।
  • मयूरभंज में इस जनजाति की सबसे बड़ी जनसंख्या निवास करती है।
  • ओडिशा में अन्य जनजातियों की तुलना में संथालों की साक्षरता दर बहुत अधिक है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. पूर्वी अफगानिस्तान में भूकंप से 1,000 से अधिक लोगों की मौत:

  • पूर्वी अफगानिस्तान के ऊबड़-खाबड़ और पहाड़ी इलाके में एक विनाशकारी भूकंप आया हैं। भूकंप को 2002 के बाद से अफगानिस्तान में आने वाला सबसे बड़ा भूकंप है।
  • अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की अपील की है।
  • भारतीय प्रधान मंत्री ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि भारत जल्द से जल्द हर संभव आपदा राहत सामग्री उपलब्ध कराने के लिए तैयार है।

2. डिजिटल वियरेबल्स उपयोगकर्ताओं को साइबर हमले का शिकार बना सकते हैं: IEEE

  • इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (आईईईई) ने चेतावनी दी है कि स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर्स जैसे डिजिटल वियरेबल्स को एक विस्तारित इकोसिस्टम से जोड़कर ये वियरेबल ग्राहक डेटा की सुरक्षा और गोपनीयता के लिए खतरा पैदा करते हैं।
  • साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ इसे एक आपूर्ति श्रृंखला के रूप में देखते हैं जिसमें एक डेटा जनरेटर, एक एनालिटिक्स इंजन और एक सेवा प्रदाता शामिल है।
  • कनेक्टिंग नेटवर्क सहित इस श्रृंखला में प्रत्येक लिंक एक संभावित जोखिम है।
  • आईईईई (IEEE) विशेषज्ञों के मुताबिक,कंप्यूटर नेटवर्क के अधिकांश आपराधिक घुसपैठ का एक वित्तीय मकसद होता है क्योंकि चोरी किया गया स्वास्थ्य डेटा मूल्यवान हो सकता है क्योंकि इसमें व्यक्तिगत रूप से पहचान योग्य जानकारी जैसे जन्मदिन, ईमेल पते और अन्य लॉगिन जानकारी शामिल होती है, जिसका उपयोग चोरी के उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
  • हाल के वर्षों में भारत 2022 की पहली तिमाही में 13.9 मिलियन उपकरणों से अधिक पहनने योग्य उपकरणों की तकनीक को बड़े पैमाने पर अपना रहा है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. संविधान का अनुच्छेद 174 (2)(b) राज्यपाल को कैबिनेट की सहायता और सलाह पर विधानसभा को भंग करने की शक्ति प्रदान करता हैं।
  2. मुख्यमंत्री की सलाह पर तथा जब बहुमत संदेह में हो तब राज्यपाल अपने स्वविवेक से कार्य कर सकता है।
  3. जब सदन सत्र में होता है, तो यह अध्यक्ष होता है जो फ्लोर टेस्ट के लिए बुला सकता है। लेकिन जब विधानसभा सत्र में नहीं होती है, तो अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल की अवशिष्ट शक्तियां उन्हें फ्लोर टेस्ट के लिए बुलाने की अनुमति देती हैं।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: संविधान का अनुच्छेद 174 (2) (b) राज्यपाल को कैबिनेट की सहायता और सलाह पर विधानसभा को भंग करने की शक्ति प्रदान करता हैं।
  • कथन 2 सही है: मुख्यमंत्री की सलाह पर तथा जब बहुमत संदेह में हो तब राज्यपाल अपने स्वविवेक से कार्य कर सकता है।
  • कथन 3 सही है: जब सदन का सत्र चल रहा हो, तो अध्यक्ष शक्ति परीक्षण (floor test) के लिए बुला सकता है।
  • हालाँकि, जब विधानसभा सत्र में नहीं होती है, तो अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल की अवशिष्ट शक्तियाँ उन्हें शक्ति परीक्षण (floor test) के लिए बुलाने की अनुमति देती हैं।

प्रश्न 2. भारत में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) पर कराधान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. 1 जुलाई से प्रभावी VDA के तहत हस्तांतरण पर 1 प्रतिशत कर कटौती (TDS) की जायगी यदि लेनदेन का मूल्य एक वर्ष में 10,000 रुपये से अधिक है।
  2. कम ज्ञात क्रिप्टोकरेंसी पर कर कटौती के उद्देश्य से CBDT ने चार प्राथमिक VDA – बिटकॉइन, ईथर, USD टीथर और USD कॉइन को परिभाषित किया है।
  3. यदि दो अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी, जैसे बिटकॉइन और ईथर का आदान-प्रदान किया जा रहा है, तो दोनों व्यक्तियों को खरीदार और विक्रेता माना जाएगा। इसलिए, उनमें से कोई भी क्रिप्टोकरेंसी के हस्तांतरण के संबंध में किसी भी कर का भुगतान नहीं करेगा।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: वित्त अधिनियम, 2022 के माध्यम से आयकर अधिनियम में धारा 194एस की शुरूआत के साथ,1 जुलाई से प्रभावी वीडीए के हस्तांतरण पर 1 प्रतिशत का स्रोत पर कर (टीडीएस) काटा जाएगा यदि मूल्य का लेनदेन एक वर्ष में 10,000 रुपये से अधिक है।
  • कथन 2 सही है: सीबीडीटी ने कम-ज्ञात क्रिप्टोकरेंसी पर कर कटौती के उद्देश्य से चार प्राथमिक वीडीए अर्थात् बिटकॉइन, ईथर, यूएसडी टीथर और यूएसडी कॉइन को परिभाषित किया है।
  • कथन 3 सही नहीं है: यदि दो अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी, जैसे कि बिटकॉइन और ईथर का आदान-प्रदान किया जा रहा है, तो दोनों व्यक्तियों को खरीदार और विक्रेता दोनों माना जाएगा।
  • इसलिए, दोनों को क्रिप्टोकरेंसी के हस्तांतरण के संबंध में कर का भुगतान करना होगा।

प्रश्न 3. मूंगों (Corals) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. एज़ोक्सैन्थेलेट कोरल, कोरल का एक समूह है जिसमें ज़ोक्सांथेला नहीं होता है तथा सूर्य से नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के प्लवकों द्वारा पोषण प्राप्त करते हैं।
  2. उत्तर-पश्चिम में कच्छ की खाड़ी में दुनिया की कुछ सबसे उत्तरी चट्टानें हैं।
  3. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह मूंगा द्वीपो से समृद्ध हैं।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: एज़ोक्सैन्थेलेट कोरल, कोरल का एक समूह है जिसमें ज़ोक्सांथेला नहीं होता है और सूर्य से नहीं बल्कि विभिन्न प्रकार के प्लवकों से पोषण प्राप्त करते हैं।
  • कथन 2 सही है: कच्छ की खाड़ी के समुद्री राष्ट्रीय उद्यान में दुनिया की कुछ सबसे उत्तरी प्रवाल भित्तियाँ हैं।
  • कथन 3 सही है: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, और लक्षद्वीप द्वीप समूह द्वीप मूंगों से समृद्ध हैं।

प्रश्न 4. केयबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. KNLP KNLP में लुप्तप्राय भृकुटी सींग वाले हिरण (संगई) का घर है।
  2. KNLP मेघालय के बिष्णुपुर जिले में स्थित है।
  3. राष्ट्रीय उद्यान को स्थानीय रूप से फुमडी नामक तैरते हुए अपघटित पौधों की विशेषता के लिए जाना जाता है।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: केयबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान लुप्तप्राय भृकुटी सींग वाले हिरण (संगई) का घर है।
  • कथन 2 सही नहीं है: केयबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में स्थित है।
  • कथन 3 सही है: राष्ट्रीय उद्यान की विशेषता तैरती हुई अपघटित पौधों की सामग्री है जिसे स्थानीय रूप से फुमडी (Phumdi) कहा जाता है।
  • फुमदी तैरते द्वीपों की एक श्रृंखला है, जो KNLP में लोकटक झील के लिए विशिष्ट है।

प्रश्न 5. बालगार्ड/बोलगार्ड I और बालगार्ड II प्रौद्योगिकियों का उल्लेख निम्न में से किसके संदर्भ में किया गया है ? PYQ (2021) (स्तर – कठिन)

(a) फसल पदापों का कृन्तक प्रवर्धन (Clonal propagation)

(b) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित फसली पदापों का विकास

(c) पादप वृद्धिकर पदार्थों का उत्पादन

(d) जैव उर्वरकों का उत्पादन

उत्तर: b

व्याख्या:

  • बालगार्ड/बोलगार्ड1 और बोलगार्ड 2 आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल पौधों को विकसित करने में मदद करते हैं।
  • बोलगार्ड कॉटन कपास को विनाशकारी बोलवर्म संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है और इसमें प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले मिट्टी के सूक्ष्मजीव, बैसिलस थुरिंजिनेसिस (बीटी) से उत्पन्न कीटनाशक प्रोटीन होता है।
  • बोलगार्ड बीटी कॉटन (सिंगल-जीन टेक्नोलॉजी) भारत की पहली बायोटेक फसल तकनीक है जिसे 2002 में भारत में व्यावसायीकरण के लिए अनुमोदित किया गया था।
  • बोलगार्ड II तकनीक में एक बेहतर दोहरी-जीन तकनीक प्रयोग की जाती हैं – क्राय1एसी और क्राई 2एबी जो बोलवर्म और स्पोडोप्टेरा कैटरपिलर से सुरक्षा प्रदान करती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1.भारत में जातियाँ आर्थिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस I – भारतीय समाज और सामाजिक मुद्दे)

प्रश्न 2. जीएसटी, जिसे कर व्यवस्था को सरल बनाने वाला माना जाता था, ने इसे अलग-अलग टैक्स स्लैब के कारण जटिल कर दिया है। चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)

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