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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 25th Apr, 2022 UPSC CNA in Hindi

25 अप्रैल 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. ओल्गा टेलिस के फैसले को समझना:
  2. अरुणाचल-असम सीमा विवाद समाधान की ओर:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

स्वास्थ्य:

  1. असफल पोलियो उन्मूलन

राजव्यवस्था एवं शासन:

  1. विधि के शासन को ध्वस्त करना:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. टैकलिंग स्ट्रोंटियम: एक साइबर-जासूसी समूह:
  2. फिनटेक स्कूल फीस का भुगतान करने में किस प्रकार मदद कर रही हैं:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

ओल्गा टेलिस के फैसले को समझना:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां, हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: ओल्गा टेलिस निर्णय।

मुख्य परीक्षा: ओल्गा टेलिस निर्णय और उसके निहितार्थ।

प्रसंग:

  • इस लेख में ओल्गा टेलिस के फैसले के आधार और जहांगीरपुरी विध्वंस मामले में इसके महत्व की जांच की गई है।

ओल्गा टेलिस का फैसला क्या है?

  • 1985 के ओल्गा टेलिस बनाम बॉम्बे नगर निगम के फैसले ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि फुटपाथ पर रहने वाले लोग बिना अनुमति के सार्वजनिक स्थानों पर कब्जा कर लेते हैं।
  • हालांकि अदालत ने जोर देते हुए कहा कि “उन्हें निकालने के लिए बल प्रयोग किए जाने से पहले” उन लोगो की भी बात की जाए और उन्हें जगह छोड़ने का एक उचित अवसर दिया जाना चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर तर्क दिया कि खुद की परिस्थिति को समझाने का मौका दिए बिना अनुचित बल प्रयोग कर उनका निष्कासन असंवैधानिक है।

फैसले की पृष्ठभूमि:

  • महाराष्ट्र राज्य और बॉम्बे नगर निगम ने 1981 में फैसला किया कि फुटपाथ और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को बेदखल किया जाना चाहिए और उन्हें उनके मूल स्थानों या बॉम्बे के बाहर निर्वासित किया जाना चाहिए।
  • अतः फुटपाथ पर रहने वाले, शहर भर की झुग्गियों के निवासियों, गैर सरकारी संगठनों और पत्रकारों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में मामला दायर किया।
  • उन्होंने माना कि उनके पास “फुटपाथ या सार्वजनिक सड़कों पर झोपड़ी बनाने का कोई मौलिक अधिकार” नहीं था, लेकिन मामले को सुप्रीम कोर्ट के सामने लाया गया।

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चर्चा हेतु प्रश्न:

  • आजीविका का अधिकार: सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आये मुख्य प्रश्नों में से एक यह था कि क्या फुटपाथ पर रहने वाले को वहां से बेदखल करना उन्हें संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त आजीविका की गारंटी के अधिकार से वंचित करना होगा।
    • भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है”।
  • अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया का औचित्य:संवैधानिक पीठ को यह भी निर्धारित करने के लिए भी कहा कि क्या बॉम्बे नगर निगम अधिनियम, 1888 के प्रावधान, बिना किसी पूर्व सूचना के अतिक्रमण हटाने की अनुमति प्रदान करते हैं?
  • फुटपाथ पर रहने वालों को अतिचारियों के रूप में चिह्नित करना: सुप्रीम कोर्ट ने इस सवाल की जांच करने का भी फैसला किया कि क्या फुटपाथ पर रहने वालों को अतिचारियों के रूप में चिह्नित करना संवैधानिक रूप से अनुचित था।

इसके बारे में राज्य सरकार ने अपने बचाव में क्या कहा था?

  • राज्य सरकार और निगम ने पलटवार करते हुए कहा की फुटपाथ पर रहने वालों को यह कहने से रोका जाना चाहिए कि यह विध्वंस उनके आजीविका के अधिकार के खिलाफ है।
  • एस्टोपेल (रोक-estoppel) एक न्यायिक उपकरण है जिसके द्वारा एक अदालत किसी व्यक्ति को दावा करने से रोकती है या “रोक” सकती है।
  • वे फुटपाथ या सार्वजनिक सड़कों पर अतिक्रमण करने और वहां झोपड़ियां स्थापित करने के लिए किसी भी मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते हैं, जिस पर जनता का ‘आवाजही का अधिकार’ है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या था ?

  • आजीविका का अधिकार: अदालत ने माना कि आजीविका का अधिकार जीवन के अधिकार का एक “अभिन्न घटक” है। खंडपीठ ने रोक लगाने के सरकार के तर्क को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “संविधान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती हैं।”
  • सुनवाई का अधिकार: अदालत ने यह माना कि बेदखली की प्रक्रिया प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों के पक्ष में होनी चाहिए जो प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का पालन करते हैं जैसे कि दूसरे पक्ष को सुनवाई का मौका देना।
  • सुनवाई का अधिकार प्रभावित (पीड़ित) लोगों को इस निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देता है, जबकि उन्हें खुद को गरिमा (dignity)के साथ व्यक्त करने की भी अनुमति देता है।
  • फुटपाथ पर रहने वाले, अतिचार नहीं:अदालत ने फुटपाथ पर रहने वाले लोगो को केवल अतिचारी मानने वाले अधिकारी वर्ग पर कड़ी आपत्ति जताई हैं।
  • इन व्यक्तियों द्वारा किया गया अतिक्रमण इस अर्थ में अनैच्छिक कार्य है कि उनके द्वारा किये गए ये कार्य अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण मजबूरी में किये गए होते हैं और इस प्रकार के कृत्य उन्हें भी पसंद नहीं हैं।

सारांश:

  • सुप्रीम कोर्ट का ओल्गा टेलिस का फैसला जहांगीरपुरी मामले में एक गेम-चेंजर है क्योंकि उसने माना था कि फुटपाथ पर रहने वाले लोग अतिचारियों से अलग होते हैं।
    • फुटपाथ पर रहने वालों को भी जीवन और सम्मान का अधिकार है जिसमें आंतरिक तौर पर आजीविका का अधिकार भी शामिल है।
    • ऐसे लोग फुटपाथ पर रहकर और काम करके अल्प आजीविका कमाते हैं।
    • अतः एक कल्याणकारी राज्य और उसके अधिकारियों को बेदखली की अपनी शक्तियों का उपयोग फुटपाथ पर रहने वालों को उनकी आजीविका से वंचित करने के साधन के रूप में नहीं करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था एवं शासन:

अरुणाचल-असम सीमा विवाद समाधान की ओर:

विषय: विवाद निवारण तंत्र और संस्थान।

प्रारंभिक परीक्षा: अरुणाचल प्रदेश और असम की सीमाएँ।

मुख्य परीक्षा: सीमा विवाद-अरुणाचल प्रदेश और असम ।

प्रसंग:

  • हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश और असम के मुख्यमंत्रियों ने अपने अंतर-राज्यीय सीमा विवादों को निपटाने के लिए जिला-स्तरीय समितियों के गठन का निर्णय लिया हैं।

अरुणाचल प्रदेश और असम का सीमा विवाद :

  • अरुणाचल प्रदेश, जो पहले असम का ही हिस्सा/भाग था, वर्तमान में असम के साथ 800 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।
  • यह विवाद औपनिवेशिक काल का है, जब अंग्रेजों ने 1873 में “इनर लाइन” विनियमन की घोषणा की थी, जिसने मैदानी इलाकों और सीमावर्ती पहाड़ियों के बीच एक काल्पनिक रेखा खींची गई थी।
  • 1915 में, इसका नाम बदलकर नॉर्थ ईस्टर्न फ्रंटियर ट्रैक्ट्स कर दिया गया था।
  • 1951 में तत्कालीन असम के मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई के नेतृत्व में एक उप-समिति ने कुछ सिफारिशों के साथ नेफा (NEFA) के प्रशासन के लिए एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी।
  • बोरदोलोई समिति की रिपोर्ट के आधार पर बालीपारा और सादिया तलहटी के “मैदानी” क्षेत्र को अरुणाचल प्रदेश (तत्कालीन नेफा) से असम के दरांग और लखीमपुर जिलों में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • यह अभी भी दोनों राज्यों के बीच विवाद का विषय है,क्योंकि अरुणाचल प्रदेश इस अधिसूचना को सीमांकन के आधार के रूप में मान्यता देने से इनकार करता है।
  • अरुणाचल प्रदेश के अनुसार भूमि पर प्रथागत अधिकार रखने वाली जनजातियों से परामर्श किए बिना ही यह भूमि स्थानांतरण किया गया था।
  • जबकि उनके असमिया समकक्षों के अनुसार, 1951 का सीमांकन संवैधानिक और कानूनी है।

Source:MapsofIndia.com

सीमा विवाद को सुलझाने के पूर्व प्रयास:

  • 1971 से 1974 के बीच असम और नेफा/अरुणाचल प्रदेश के बीच की सीमा का सीमांकन करने के कई प्रयास किए गए।
  • अप्रैल 1979 में सर्वे ऑफ इंडिया के नक्शों का उपयोग करके सीमा का सीमांकन करने के लिए केंद्र और दोनों राज्यों की एक उच्चाधिकार प्राप्त त्रिपक्षीय समिति का गठन किया गया था।
  • 1984 तक ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तर में लगभग 489 किलोमीटर की अंतर-राज्यीय सीमा का सीमांकन किया गया था, लेकिन अरुणाचल प्रदेश ने इस को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और 1951 में हस्तांतरित अधिकांश भूमि पर अपना दावा किया था।
  • 1989 में असम ने अरुणाचल प्रदेश पर “अतिक्रमण” का आरोप लगाते हुए इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी।
  • 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने एक स्थानीय सीमा आयोग की स्थापना की, जिसकी अध्यक्षता इसके सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में से एक ने की थी।
  • इस आयोग ने सितंबर 2014 की अपनी रिपोर्ट में इस बात की सिफारिश की थी कि अरुणाचल प्रदेश को 1951 में स्थानांतरित किए गए कुछ क्षेत्रों को वापस देने साथ ही दोनों राज्यों को आपसी चर्चा के माध्यम से बीच का रास्ता खोजने की सलाह भी दी थी।

निष्कर्ष:

  • मेघालय के साथ विवाद को हल करने के लिए इस्तेमाल किए गए मॉडल के आधार पर असम और अरुणाचल प्रदेश जिला स्तरीय समितियां बनाने पर सहमत हुए हैं।
  • समितियां लंबे समय से चली आ रही समस्या के ठोस समाधान के लिए विवादित क्षेत्रों में संयुक्त सर्वेक्षण करने की प्रभारी होंगी।
  • इनके द्वारा सुझाए गए समाधान ऐतिहासिक संदर्भ, जातीयता, निकटता, लोगों की इच्छा और दोनों राज्यों की प्रशासनिक सुविधा पर आधारित होंगे।
  • दोनों राज्य 12 ऐसी समितियां बनाने पर सहमत हुए हैं, जिनमें सीमा साझा करने वाले जिलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।

सारांश:

  • असम-मेघालय सीमा समझौते ने असम-अरुणाचल सीमा विवाद के सुलझने की उम्मीद जगा दी है, विशेष रूप से केंद्र ने उत्तर-पूर्वी राज्यों को 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले अपने क्षेत्रीय मुद्दों को हल करने के लिए प्रोहत्साहित किया है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

असफल पोलियो उन्मूलन

विषय: सामाजिक क्षेत्र व स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: पोलियो में OPV और IPVs के बीच अंतर।

मुख्य परीक्षा: भारत के पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम से सम्बन्धित सुझाव।

सन्दर्भ:

  • मलावी में जंगली पोलियोवायरस टाइप 1 (WPV1) का पता चला है। विश्लेषण के अनुसार मलावी का WPV1 आइसोलेट आनुवंशिक रूप से सिंध प्रांत में 2020 में पाए गए पाकिस्तान अनुक्रम से संबंधित है।
    • अफ्रीका से सभी प्रकार के जंगली पोलियो को समाप्त करने के बाद अगस्त 2020 में इसे स्वदेशी जंगली पोलियो से मुक्त घोषित किया गया था और मलावी में, 1992 में नैदानिक रूप से अंतिम WPV मामला दर्ज किया गया था।
  • हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जेरूसलम शहर के एक अशिक्षित बच्चे में वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस टाइप 3 (cVDPV3) का पता लगाया था। तब से इस्राइल में 7 मामले सामने आ चुके हैं। संचरण की उत्पत्ति और दायरे को निर्धारित करने के लिए जांच अभी भी जारी है।
    • कई बार, ओरल (मुख द्वारा) पोलियो टीका, टीकाकृत बच्चों (टीकाकृत VAPP) और बिना टीकाकृत बच्चों (जो VAPP के संपर्क में हो) में प्रतिकूल प्रभाव वाले पोलियो जनित लकवे अर्थात पक्षाघात (VAPP) का कारण बनता है। ऐसे परिदृश्यों में, ओरल (मुख द्वारा) पोलियो वैक्सीन (OPV) में वायरस उत्परिवर्तन के कारण क्षीण हो जाता है तथा संचरण क्षमता एवं न्यूरो-विषाणुता प्राप्त कर लेता है जिसे cVDPV कहा जाता है।
  • हाल के मामले वैश्विक पोलियो उन्मूलन के विफलता का संकेत हैं।
    • 1988 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2000 तक पोलियो उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि तीन क्षेत्र- अमेरिका, यूरोप और पश्चिमी प्रशांत- 2000 तक या उससे पहले ही पोलियो मुक्त हो गए हैं, जबकि अन्य तीन WHO क्षेत्र – अफ्रीका, पूर्वी भूमध्यसागरीय और दक्षिण पूर्व एशिया विफल रहे हैं। तब से प्रत्येक 4-5 वर्ष में लक्ष्य को संशोधित किया जा रहा है। अब मौजूदा लक्ष्य 2026 का है।
    • तीन प्रकार के जंगली पोलियो वायरस में से दो (WPV2 और WPV3) को समाप्त कर दिया गया है जबकि WPV1 को खत्म करने हेतु वैश्विक प्रयास चल रहे है। वर्तमान में, जंगली पोलियो वायरस दो देशों: पाकिस्तान और अफगानिस्तान में स्थानिक है। दो ही देशों में जहां यह रोग स्थानिक है, के बाहर WPV1 का पता लगाना कठिन है, इसलिए दुनिया में WPV1 बीमारी के अंतर्राष्ट्रीय प्रसार का जोखिम निरंतर बना हुआ है।

पोलियो:

  • पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस, पोलियो वायरस के कारण होने वाली एक जानलेवा बीमारी है।
  • यह एक अति संक्रामक रोग है, जो एक वायरस के कारण होता है और तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है व स्थायी पक्षाघात (लगभग 200 संक्रमणों में से एक) या मृत्यु (लगभग 2-10% लकवाग्रस्त मामलों) का कारण बनता है। वायरस व्यक्ति-से-व्यक्ति द्वारा, मुख्य रूप से मल या मौखिक मार्ग से या एक सामान्य माध्यम (उदाहरण के लिए, दूषित पानी या भोजन) से फैलता है।

भारत का पोलियो अभियान:

  • भारत पांच साल से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए द्विसंयोजक (टाइप 1 और 3) OPV (bOPV) एक वार्षिक राष्ट्रीय और दो उप-राष्ट्रीय पल्स टीकाकरण अभियान चलाता है।इन अभियानों के माध्यम से, भारत का लक्ष्य जंगली पोलियो वायरस के खिलाफ जनसंख्या की प्रतिरक्षा और पोलियो मुक्त स्थिति को बनाए रखना है।
  • अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करने के लिए, भारत सरकार ने अपने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में इंजेक्टेबल इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन की शुरुआत की है।

चिंता:

  • OPV के टीके से जुड़े पैरालिटिक पोलियो के जोखिम के बावजूद, भारत लगातार OPV से जुड़ी कम लागत और रसद के कारण निष्क्रिय पोलियोवायरस वैक्सीन (IPV) की जगह OPV पर निर्भर है।
    • VAPP से बचने के लिए, अमीर देश निष्क्रिय पोलियो वायरस वैक्सीन (IPV) से बच्चों का टीकाकरण करते हैं, जो पूरी तरह से सुरक्षित है।

ओपीवी पर निरंतर निर्भरता के खिलाफ तर्क:

  • OPV का निरंतर उपयोग कई cVDPV प्रकोपों का कारण हैं। इसलिए 2016 में tOPV (ट्रिटेंट ओरल पोलियो वैक्सीन) की जगह bOPV में स्विच करने की आवश्यकता महशूस हुई।
  • जबकि OPV का उपयोग लाभ-जोखिम संतुलन के आधार पर समझा जा सकता है, जबकि WPV पोलियो से संबंधित मृत्यु या पक्षाघात का जोखिम अधिक है, गिरती मृत्यु दर या पोलियो से जुड़े पक्षाघात के कारण, OPV का उपयोग जोखिम भरा हो सकता है।
  • OPV द्वार जनित VAPP के जोखिमों को देखते हुए, OPV के उपयोग से बच्चों को इस तरह के जोखिमों की ओर धकेलना नैतिक रूप से सही नहीं है।
  • यह विदित है कि सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के माध्यम से OPV की 10-15 खुराक देने की कुल लागत, IPV की तुलना में बहुत अधिक है , OPV से IPV की ओर बढ़ना भी आर्थिक समझपूर्ण कदम होगा।

सुझाव:

  • हालांकि भारत में cVDPV3 के प्रकोप की संभावना कम है, लेकिन अगर यह फैलता है तो, भारत पर अधिक जनसंख्या के कारण, इसका प्रभाव बहुत अधिक होगा। ऐसे में भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता है। भारत को पूरक टीकाकरण सहित जोखिम मूल्यांकन और प्रकोप प्रतिक्रिया केनिगरानी उपायों को सक्रिय और विस्तारित करने की आवश्यकता है।
  • इसके अलावा, भारत को टाइप 3 को बंद करना चाहिए और मोनोवैलेंट टाइप 1 OPV को जारी रखना चाहिए, और इसे IPV के साथ 85-90% कवरेज तक पहुंच के उपरांत ही बंद करना चाहिए, अर्थात् प्रति बच्चा तीन खुराक।

सारांश:

  • मलावी और इज़राइल में हाल ही में सामने आए पोलियो के मामले वैश्विक पोलियो उन्मूलन लक्ष्य के समक्ष चुनौती पैदा करते हैं। cVDPV3 के प्रकोप से जुड़े जोखिमों को देखते हुए, भारत को सतर्क रहने और OPV से जुड़े जोखिमों के लिए IPV आधारित टीकों में वृद्धि करने की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था और शासन:

विधि के शासन को ध्वस्त करना

विषय: भारतीय संविधान की विशेषताएं, महत्वपूर्ण प्रावधान और मूल संरचना।

मुख्य परीक्षा: आवास का अधिकार।

सन्दर्भ:

  • उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में दंगाइयों के “अवैध निर्माण” को ध्वस्त करने के लिए उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) द्वारा एक विध्वंस अभियान प्रारंभ किया गया था।
    • हाल ही में इस इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भी हुई थी।
  • एक तत्काल सुनवाई के तहत, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अगले आदेश तक “यथास्थिति” बरकरार रखी जाए और इस तरह के विध्वंस अभियानों को रोक दिया जाए।
  • हाल ही में मध्य प्रदेश के खरगोन और गुजरात के खंभात में राज्य सरकार के निर्देश के बाद कथित दंगाइयों के घरों को ध्वस्त करने की भी सूचना मिली है।

चिंता:

  • लेखक राज्य और स्थानीय अधिकारियों के उपरोक्त कार्यों पर गंभीर चिंता व्यक्त करता है।

बस्तियों की कानूनी स्थिति:

  • “अवैध अतिक्रमण” का तर्क अधिक आधार पूर्ण नहीं है, यह देखते हुए कि दिल्ली जैसे शहरी क्षेत्रों में अवैध बस्तियों की बहुलता अधिक है। दिल्ली आर्थिक सर्वेक्षण 2008-09 के अनुसार, शहर की केवल 24% आबादी ही “नियोजित कॉलोनियों” में निवास करती है और बाकी झुग्गी-झोपड़ी से लेकर अनधिकृत कॉलोनियों तक के अनौपचारिक या अनियोजित क्षेत्रों में रहती है
  • राज्य द्वारा प्रारंभ की गई “अनधिकृत कॉलोनियों” के नियमितीकरण की कई घोषणाओं के माध्यम से इस तथ्य को परोक्ष रूप से राज्य द्वारा ही स्वीकार किया गया है। 2020 में, केंद्र सरकार ने पीएम-उदय (PM-UDAY) (दिल्ली आवास अधिकार योजना में अनधिकृत कॉलोनियां) योजना प्रारंभ की थी जिसके तहत अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को संपत्ति का अधिकार प्रदान किया था।
  • लेखक ने तर्क दिया गया है कि जहांगीरपुरी में हुई यह चयनात्मक कार्रवाई, लक्षित कार्रवाई के समान है।

कानूनी चिंताएं:

  • कार्रवाई विधि की उचित प्रक्रिया और बेदखली के संबंध में स्थापित न्यायिक मिसाल की घोर अवहेलना है।
    • बंदोबस्त की कानूनी स्थिति के बावजूद, कोई भी सार्वजनिक प्राधिकरण प्रभावित पक्षों को सुनने का मौका दिए बिना और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के आधार पर अग्रिम नोटिस दिए बिना स्थायी भवनों को ध्वस्त नहीं कर सकता है
    • अजय माकन बनाम भारत संघ (2019) में न्यायपालिका ने बेदखली के खिलाफ निवासियों के अधिकारों को बरकरार रखा था। शकूर बस्ती के विध्वंस की वैधता को देखते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने माना था कि कोई भी प्राधिकरण सर्वेक्षण किए बिना बेदखली नहीं करेगा, उसे उस आबादी से परामर्श करना होगा जिसे वह बेदखल करना चाहता है और जो लाभार्थी हो उनके लिए पर्याप्त पुनर्वास योजना बनानी होगी। आबादी को जबरन और अघोषित बेदखली से बचाकर, न्यायालय ने “शहर” और “पर्याप्त आवास का अधिकार” के विचार को बरकरार रखा था।
    • दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले सुदामा सिंह बनाम दिल्ली सरकार (2010) मामले में समान रुख अपनाया था, जिसमें कहा गया था कि राज्य को किसी भी बेदखली से पहले निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।

राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग:

  • प्रतिशोधपूर्ण न्याय और प्रतिशोधात्मक कार्रवाई के आधार पर सांप्रदायिक दंगों के कथित दोषियों की सामूहिक सजा के लिए राज्य की कार्रवाई क्रूर राज्य शक्ति के उपयोग जैसी है।
  • अपराध की यह धारणा और न्यायपालिका के बजाय कार्यपालिका द्वारा कार्रवाई सत्ता के दुरुपयोग के बराबर है। यह आपराधिक कानून के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
  • इस मुद्दे पर अधिक संबंधित जानकारी के लिए निम्न आलेख पढ़े:

https://byjus.com/free-ias-prep/upsc-exam-comprehensive-news-analysis-apr20-2022/#Demolition%20drives%20violate%20international%20law

सारांश:

  • दंगाइयों के तथाकथित “अवैध निर्माण” को लक्षित करने वाले विध्वंस अभियानों की बढ़ती संख्या न केवल विधि की उचित प्रक्रिया की घोर अवहेलना है साथ ही जबरन बेदखली के संबंध में स्थापित न्यायिक निर्णय भी राज्य की शक्ति के घोर दुरुपयोग हेतु जिम्मेदार हैं।

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. टैकलिंग स्ट्रोंटियम: एक साइबर-जासूसी समूह:

  • स्ट्रोंटियम, जिसे फैंसी बियर के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यधिक सक्रिय साइबर-जासूसी समूह है।
  • कहा जाता है कि यह समूह रूसी सशस्त्र बलों की मुख्य सैन्य खुफिया शाखा से जुड़ा हुआ है।
  • यह समूह नेटवर्क को भंग करने और सिस्टम को ट्रैक करने के लिए विविध मैलवेयर और दुर्भावनापूर्ण उपकरण तैनात करता है।

2. फिनटेक स्कूल फीस का भुगतान करने में किस प्रकार मदद कर रही हैं:

  • कई माता-पिता अपने बच्चों के स्कूल और कोचिंग की फीस का भुगतान करने के लिए शिक्षा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने वाली फिनटेक फर्मों की ओर रुख कर रहे हैं।
  • फिनटेक फर्म बिना किसी लागत के आसान मासिक किस्तों (EMI) के माध्यम से स्कूल फीस का भुगतान करने का विकल्प प्रदान कर रही हैं।
  • हाल के दिनों में शिक्षा क्षेत्र में काम करने वाली फिनटेक फर्मों के विकास में तेजी देखी जा रही है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. हाल ही में चर्चा में रहा “स्ट्रोनियम” है:

(a)साइबर जासूसी समूह

(b)मैलवेयर

(c)स्पाइवेयर

(d)निजी सर्च इंजन

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कहा जाता है कि यह समूह रूसी सशस्त्र बलों की मुख्य सैन्य खुफिया शाखा से जुड़ा हुआ है।
  • यह समूह नेटवर्क को भंग करने और सिस्टम को ट्रैक करने के लिए विविध मैलवेयर और दुर्भावनापूर्ण उपकरण का उपयोग है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित है?

प्रकाशन अंतर्राष्ट्रीय संगठन

1. विश्व आर्थिक आउटलुक विश्व बैंक

2. वैश्विक वित्तीय प्रणाली रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

3. विश्व निवेश रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन

4. वैश्विक भ्रष्टाचार रिपोर्ट विश्व आर्थिक मंच

विकल्प:

(a)केवल 2

(b)केवल 1, 2 और 4

(c)केवल 3 और 4

(d)केवल 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी की जाती है।
  • IMF ने हाल ही में वैश्विक वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमे वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति से जुड़े एक बड़े सौदे का विवरण दिया गया है।
  • संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन ने विश्व निवेश रिपोर्ट जारी की हैं।
  • वैश्विक भ्रष्टाचार रिपोर्ट ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के प्रमुख प्रकाशनों में से एक है।
  • अत: केवल युग्म 3 सही है।

प्रश्न 3. भारत की प्रथम नारीवादी लेखिका के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली, जिन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए सक्रिय रूप से अभियान चलाए। वह सत्यशोधक समाज के संस्थापक सदस्यों में से एक थीं। वह अपने भावुक पर्चे के लिए सबसे ज्यादा जानी जाती हैं, जिनमें से पहले को “स्त्री पुरुष तुलना” कहा जाता था।

निम्नलिखित अंश में जिस प्रसिद्ध व्यक्तित्व के सन्दर्भ में चर्चा की जा रही है वह है:

(a)पंडिता रमाबाई

(b)ताराबाई शिंदे

(c)सगुनाबाई क्षीरसागरी

(d)मुक्ता साल्वे

उत्तर: b

व्याख्या:

  • ताराबाई शिंदे ने भारत में पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था और जाति व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह उठाया।
  • वर्ष1882 में उन्होंने ‘स्त्रीपुरुष तुलना’ नामक एक पुस्तक प्रकाशित की, जिसे भारत में किसी महिला द्वारा लिखी गई प्रथम पुस्तक माना जाता है। अत: विकल्प B सही है।

प्रश्न 4. रतले और क्वार जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है?

(a)झेलम नदी

(b)चिनाब नदी

(c)सतलुज नदी

(d)रावी नदी

उत्तर: b

व्याख्या:

  • हाल ही में, भारत के प्रधान मंत्री ने किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 850 मेगावाट की रतले जलविद्युत परियोजना और 540 मेगावाट की क्वार जलविद्युत परियोजना की आधारशिला रखी।

प्रश्न 5. कभी-कभी चर्चा में रहे ‘एजेंडा 21’ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः (PYQ- (2016)

1. यह सतत विकास के लिए एक वैश्विक कार्य योजना है।

2. इसकी शुरुआत 2002 में जोहान्सबर्ग में आयोजित सतत विकास पर विश्व शिखर सम्मेलन में हुई थी।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)केवल 1

(b)केवल 2

(c)1 और 2 दोनों

(d)न तो 1, न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • एजेंडा 21 एक वैश्विक, राष्ट्रीय और स्थानीय कार्य योजना है जिसे संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, सरकारों और प्रमुख समूहों द्वारा हर उस क्षेत्र में लागू किया जाता है जहां मानव का पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है। अतः कथन 1 सही है।
  • 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन (पर्यावरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन) का परिणाम “एजेंडा 21” था। इसलिए कथन 2 सही नहीं है।
  • यह सतत विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र की कार्य योजना है जो गैर-बाध्यकारी है और स्वैच्छिक आधार पर कार्यान्वित की जाती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. सुप्रीम कोर्ट ने मौलिक अधिकारों को सार्थक तरीके से विस्तारित किया है और साथ ही साथ इसे लागू करने के लिए अपनी शक्तियों के दायरे का विस्तार किया है। उपयुक्त निर्णयों की सहायता से कथन की व्याख्या कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (GS2:राजव्यवस्था एवं शासन:)

प्रश्न 2. अरुणाचल प्रदेश और असम के बीच सीमा विवाद का इतिहास क्या है? विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने के उपाय सुझाएं। (10 अंक, 150 शब्द) (GS2:राजव्यवस्था एवं शासन)

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