A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
राजव्यवस्था एवं शासन:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भूटान-चीन सीमा वार्ता में प्रगति:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत और उसका पड़ोस – अंतर्राष्ट्रीय संबंध; विकसित और विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का भारत के हितों, प्रवासी भारतीयों पर प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: भूटान और चीन के बीच सीमा वार्ता में भारत की भूमिका और चिंताएँ।
प्रसंग:
- भूटान और चीन ने एक महत्वपूर्ण समय अंतराल के बाद एक समाधान और राजनयिक संबंधों की मांग करते हुए सीमा वार्ता फिर से शुरू किया है। क्षेत्रीय सुरक्षा प्रभावों के कारण भारत इन वार्ताओं पर बारीकी से निगरानी रख रहा है।
भूटान-चीन सीमा वार्ता फिर से शुरू:
- भूटान और चीन ने वर्ष 2016 में पिछले दौर के बाद आये एक महत्वपूर्ण विराम के बाद सीमा वार्ता का 25वां दौर आयोजित किया।
- भूटान के विदेश मंत्री तांडी दोरजी ने बीजिंग में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की, जो सीमा मुद्दों पर बातचीत की बहाली का संकेत दे रहा है।
- यह भूटान के विदेश मंत्री की चीन की पहली आधिकारिक यात्रा है,जिस में दोनों देशों के विशेषज्ञ समूहों द्वारा पर्याप्त प्रगति का सुझाव दिया गया है।
वार्ता के प्रमुख भागीदार:
- भूटान के विदेश मामलों और विदेश व्यापार मंत्री डॉ. तांडी दोरजी ने भूटान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
- चीन के उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग ने सीमा वार्ता में चीनी पक्ष का प्रतिनिधित्व किया।
- दोनों अधिकारियों ने “भूटान-चीन सीमा के परिसीमन और सीमांकन” के लिए एक संयुक्त तकनीकी दल (Joint Technical Team (JTT)) के कामकाज को रेखांकित करते हुए एक “सहयोग समझौते” पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता अगस्त में प्रमाणित किया गया था।
राजनयिक संबंधों की संभावनाएँ:
- वार्ता के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने चीन और भूटान के बीच राजनयिक संबंध स्थापित होने की उम्मीद जताई हैं।
- वर्तमान में, भूटान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UN Security Council) के स्थायी सदस्य (पी-5) देशों के साथ राजनयिक संबंध बनाने से परहेज करता है।
वार्ता में भारत की हिस्सेदारी:
- क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेषकर डोकलाम ट्राई जंक्शन बिंदु के निकट, इसके निहितार्थों के कारण भारत इन वार्ताओं पर बारीकी से नजर रखता है।
- हालाँकि भारत चर्चाओं पर बारीकी से नज़र रखता है, लेकिन विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs (MEA)) ने भूटान के विदेश मंत्री की चीन यात्रा पर टिप्पणी करने से परहेज किया है।
तीन-चरणीय रोड मैप:
- भूटान और चीन सीमा निर्धारण पर तीन-चरणीय रोड मैप को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
- इस रोड मैप में बातचीत के माध्यम से सीमा सीमांकन पर समझौते तक पहुंचना, सीमांकित रेखा पर साइट का दौरा करना और अंत में सीमा सीमांकन को औपचारिक रूप देना शामिल है।
भविष्य के राजनयिक संबंध:
- भूटान के प्रधान मंत्री डॉ. लोटे शेरिंग ने उल्लेख किया कि भूटान सीमा निर्धारण के करीब पहुंच रहा है।
- चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करना एक विचार है, लेकिन समय और तरीका अभी तक निर्धारित नहीं किए गए है।
सहयोग के लिए चीन की इच्छा:
- अपनी यात्रा के दौरान डॉ. टांडी दोरजी ने चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी मुलाकात की।
- चीन ने सीमा निर्धारण और राजनयिक संबंधों के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अर्थव्यवस्था, व्यापार, संस्कृति और पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में आदान-प्रदान बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की हैं।
सीमा वार्ता का महत्व:
- भूटान और चीन ने 1984 और 2016 के बीच सीमा वार्ता के 24 दौर आयोजित किए हैं, जो सीमा निर्धारण को समाप्त करने के लिए उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ने वाले भारत के संकीर्ण “सिलीगुड़ी गलियारे” के रणनीतिक महत्व को देखते हुए भारत के विशेषज्ञों ने पश्चिम में डोकलाम क्षेत्र के साथ उत्तर के क्षेत्रों के बीच संभावित “अदला-बदली व्यवस्था/स्वैप व्यवस्था” (swap arrangements) के बारे में चिंता जताई है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
नौकरशाही का राजनीतिकरण करना:
राजव्यवस्था एवं शासन:
विषय: विभिन्न अंगों, विवाद निवारण तंत्रों और संस्थानों के बीच शक्तियों का पृथक्करण; शासन में नौकरशाही की भूमिका और संस्थानों की अखंडता।
मुख्य परीक्षा: शासन की संवैधानिक योजना पर नौकरशाही और सेना के राजनीतिकरण के प्रभाव का विश्लेषण; लोकतंत्र में नौकरशाही की निष्पक्षता बनाए रखने की आवश्यकता।
प्रसंग:
- भारत सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी रोड शो और ‘सेल्फी पॉइंट’ की योजना ने विवाद को जन्म दिया है, जिसे पक्षपातपूर्ण और लोकतांत्रिक मानदंडों के लिए हानिकारक माना जा रहा है।
विवरण:
- भारत सरकार का इरादा अपनी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से 20 नवंबर से 25 जनवरी, 2024 तक चलने वाले “विकसित भारत संकल्प यात्रा” नामक एक रोड शो शुरू करने का है।
- यह आउटरीच कार्यक्रम वर्ष 2014 से शुरू होकर पिछले नौ वर्षों में सत्तारूढ़ पार्टी की उपलब्धियों पर केंद्रित है।
- इस कार्यक्रम का समय अप्रैल-मई 2024 में अपेक्षित लोकसभा (Lok Sabha) चुनाव के अनुरूप है।
नौकरशाही और सेना की भूमिकाएँ:
- संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव रोड शो के दौरान रथप्रभारी (रथों के नेता) की भूमिका निभाएंगे।
- रक्षा मंत्रालय नागरिकों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ तस्वीरें लेने के लिए 822 ‘सेल्फी पॉइंट’ स्थापित कर रहा है।
उठाई गई चिंताएं:
- विपक्षी दलों ने नौकरशाही और सेना का राजनीतिकरण करने के लिए सरकार की आलोचना की है।
- भारत की शासन संरचना कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण (separation of powers) के साथ-साथ नौकरशाही और सेना को पक्षपातपूर्ण राजनीति से अलग करने का आदेश देती है।
- नौकरशाही और सेना से अपेक्षा की जाती है कि वे निष्पक्ष रहें, चुनी हुई सरकार के प्रति वफादार रहें और व्यक्तिगत वैचारिक झुकाव से मुक्त रहें।
संस्थानों को नुकसान:
- आलोचकों का तर्क है कि सत्तारूढ़ दल की रणनीति चुनावी लाभ के लिए स्थापित मानदंडों को कमजोर कर सकती है।
- यह दृष्टिकोण संभावित रूप से संस्थानों को नुकसान पहुँचा सकता है और उनकी विश्वसनीयता को ख़त्म कर सकता है।
- भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया की रक्षा के लिए नौकरशाही और सैन्य संस्थानों की निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
भारत-कनाडा संबंध के टूटने का ख़तरा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-कनाडा संबंध, कोमागाटा मारू घटना, सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए वैश्विक कॉम्पैक्ट, सतत विकास लक्ष्य।
मुख्य परीक्षा: भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक तनाव।
प्रसंग:
- कनाडा और भारत के बीच मौजूदा राजनयिक संबंध खालिस्तान आंदोलन से संबंधित तनाव के कारण तनावपूर्ण हैं।
भारत-कनाडा संबंधों के आयाम
- ऐतिहासिक संदर्भ
- 1914 में, जहाज एसएस कोमागाटा मारू 376 भारतीय यात्रियों के साथ वैंकूवर पहुंचा, जिनमें सिख, हिंदू, मुस्लिम और ईसाई शामिल थे, जो कनाडा में एक नया जीवन तलाश रहे थे। हालाँकि, कनाडा में औपनिवेशिक ब्रिटिश कानूनों के कारण उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।
- एक सदी बाद, कनाडाई सरकार ने कोमागाटा मारू घटना के लिए औपचारिक माफी जारी की, इसे कनाडा के अतीत पर एक दाग के रूप में मान्यता दी और देश के लिए शक्ति के स्रोत के रूप में विविधता के महत्व पर जोर दिया।
- 1 मई 2014 को, कनाडा पोस्ट ने एसएस कोमागाटा मारू के आगमन की 100वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक डाक टिकट जारी किया।
- प्रवासी
- कनाडा की 2021 की जनगणना के अनुसार, कनाडा में भारतीय मूल के 1.86 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं, जो देश की आबादी का 5% और वैश्विक भारतीय प्रवासी का 5.8% है।
- राजनयिक तनाव ने व्यक्तियों के तीनों समूहों को प्रभावित किया है:
- भारतीय मूल के प्राकृतिक कनाडाई नागरिक (OCI, आजीवन भारतीय वीज़ा या अर्ध-दोहरी नागरिकता रखने वाले)।
- कनाडा के स्थायी निवासी (निवेशक, उद्योगपति, व्यवसायी, कुशल पेशेवर और सेवा कर्मचारी)।
- अस्थायी आगंतुक (अंतर्राष्ट्रीय छात्र, प्रशिक्षु, विनिमय कार्यक्रम के तहत आए विद्वान, पर्यटक और उनके परिवार)।
- इसके परिणामस्वरूप कॉन्सुलर और वीज़ा सेवाओं में कटौती हुई है।
- व्यावहारिक रूप से यात्रा प्रतिबंध है और दोनों तरफ से वीज़ा जारी करना रोक दिया गया है और/या प्रतिबंधित है।
- सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए वैश्विक कॉम्पैक्ट
- कनाडा और भारत राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं और उन्होंने सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए ग्लोबल कॉम्पैक्ट समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
- समझौते के 23 उद्देश्य हैं, जिसमें सभी देशों में सतत विकास में पूर्ण योगदान देने के लिए प्रवासियों और डायस्पोरा के लोगों के लिए परिस्थितियाँ निर्मित करना शामिल है।
- प्रेषण और निवेश, ज्ञान का हस्तांतरण, विकास कार्यों के लिए विपरीत प्रवासन कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे प्रवासी और डायस्पोरा दोनों देशों के विकास में योगदान कर सकते हैं।
- व्यापार
- 2022 में, भारत कनाडा का 10वां सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापार भागीदार था, जिसका निर्यात 13.7 बिलियन डॉलर से अधिक था।
- 5.3 बिलियन डॉलर तक निर्यात के साथ कनाडा भारत का नौवां सबसे बड़ा भागीदार था।
- पर्यटन
- भारत से आने वाले पर्यटक कनाडा के चौथे सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा बाजार में शामिल थे।
- 2021 में, भारत आने वाले कनाडाई लोगों ने 93 मिलियन डॉलर खर्च किए, जबकि भारत के पर्यटकों ने कनाडा में 3.4 बिलियन डॉलर खर्च किए।
- 2022 में, कनाडा और भारत द्विपक्षीय उड़ानों की संख्या पर प्रतिबंध हटाने पर सहमत हुए, जो पहले प्रति सप्ताह 35 तक सीमित थी।
- खालिस्तान आंदोलन का प्रभाव
- कनाडा में प्रवासी भारतीय लोगों में से 7,70,000 लोग सिख धर्म से हैं।
- भारतीय मूल के सिख कनाडाई प्रवासी भारतीयों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और एक सदी से भी अधिक समय से अन्य धर्मों, मुख्य रूप से भारतीय हिंदुओं के साथ सद्भाव से रह रहे हैं।
- हालाँकि खालिस्तान आंदोलन ने भारतीय प्रवासियों और कनाडाई समाज के बीच कुछ तनाव पैदा किया है, लेकिन उनके मजबूत बंधन कायम हैं।
भावी कदम
- मौजूदा राजनयिक तनाव के कारण भारत और कनाडा के बीच मजबूत संबंधों की परीक्षा हो रही है।
- सुरक्षित, व्यवस्थित और नियमित प्रवासन के लिए ग्लोबल कॉम्पैक्ट का लक्ष्य प्रवासियों की सुरक्षा करना और यह सुनिश्चित करना है कि उन्हें अपने मेजबान देशों में अपने अधिकारों और स्थिति की स्पष्ट समझ हो। कूटनीतिक तनाव ने इस लक्ष्य को मुश्किल में डाल दिया है।
- यदि समस्या का शीघ्र समाधान नहीं किया गया, तो यह दोनों देशों के बीच संबंधों को नुकसान पहुंचा सकता है और वैश्विक कॉम्पैक्ट और सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- स्थिति को हल करने के लिए, दोनों पक्षों को अपने नागरिकों और प्रवासियों की भलाई सुनिश्चित करते हुए विश्वास और निष्ठा बहाल करने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित करनी चाहिए।
सारांश:
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हिमालय क्षेत्र में त्रासदियों को कम करना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: हिमनद झील प्रस्फुटन बाढ़, हिमोढ़ (Moraine), दक्षिण ल्होनक और शाको चो हिमनद झीलें, राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (NRSC) का हिमनद झील एटलस।
मुख्य परीक्षा: भारत में हिमनद झील प्रस्फुटन बाढ़ के जोखिम और शमन।
प्रसंग
- हाल ही में सिक्किम में हिमनद झील प्रस्फुटन बाढ़ (GLOF) ने तीस्ता नदी के किनारे महत्वपूर्ण क्षति पहुंचाई, जिससे भारतीय हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से प्रेरित GLOF का खतरा उजागर हुआ।
हिमनद झील प्रस्फुटन बाढ़ क्या हैं?
- सरल शब्दों में, हिमनद झील प्रस्फुटन बाढ़ का तात्पर्य उस बाढ़ से है जो तब आती है जब ग्लेशियर या मोरैन द्वारा अवरुद्ध पानी अचानक निर्मुक्त हो जाता है।
- यह बाढ़ इसलिए आती है क्योंकि जब ग्लेशियर पिघलते हैं, तो पिघला हुआ पानी मोरैन बांधों या हिमनद बांधों के पीछे जमा हो जाते हैं। जब ऐसे प्राकृतिक बांध जमा होने वाले पानी के दबाव के कारण टूट जाते हैं, तो दबाव के कारण पानी एक शक्तिशाली प्रवाह के साथ नीचे की ओर बहने लगता है।
- मोरैन बांध टूट सकते हैं क्योंकि वे आम तौर पर कमजोर संरचनाएं हैं और दबाव बढ़ने से यह टूट सकता है। ये भूस्खलन, भूकंप या हिमस्खलन के कारण भी टूट सकते हैं। मानवजनित गतिविधियों के कारण तापमान में वृद्धि से पर्यावरण प्रदूषण भी GLOF को ट्रिगर कर सकता है जो ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने का कारण बनता है।
- मोरैन बांधों के टूटने से अल्प अवधि में लाखों घन मीटर पानी निर्मुक्त हो सकता है।
- जब पानी अचानक और इतनी ताकत से नीचे की ओर बहता है, तो इसके प्रभाव में आने वाली कोई भी मानव या प्राकृतिक संरचना नष्ट हो जाती है, जिसमें गाँव, बिजली संयंत्र आदि शामिल हैं।
हिमनद झील प्रस्फुटन बाढ़ – एक वैश्विक ख़तरा
- नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 30 देशों के 90 मिलियन लोग हिमानी झीलों वाले 1,089 बेसिनों में रहते हैं।
- इनमें से छठवाँ भाग हिमनद झील के 50 किमी और संभावित GLOF अपवाह चैनलों के 1 किमी के भीतर रहता है।
- पर्वतीय क्षेत्रों में खतरे अक्सर बड़े पैमाने पर होते हैं, उदाहरण के लिए, भारी वर्षा के कारण भूस्खलन होता है, जिससे हिमनद झील में प्रस्फोट हो सकता है तथा नीचे की ओर और भी भूस्खलन हो सकता है, जिससे अचानक बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है।
- घटनाओं की इस श्रृंखला की भविष्यवाणी करना कठिन है।
जोखिम और चुनौतियाँ
- दक्षिण ल्होनक हिमनद झील आपदा की भयावहता अभी भी सामने आ रही है।
- NDMA ने सितंबर में एक प्रारंभिक मिशन का नेतृत्व किया था और दक्षिण ल्होनक और शाको चो हिमनद झीलों पर निगरानी उपकरण स्थापित किए थे।
- घटना से पहले के चार दिनों में सामान्य से अधिक तापमान दर्ज किया गया था, जिससे पता चलता है कि ग्लोबल वार्मिंग ने इसमें भूमिका निभाई होगी।
- वैज्ञानिकों का मानना है कि आपदा की प्रक्रिया श्रृंखला में मुख्य ट्रिगर झील के उत्तर-पश्चिमी तट से चट्टान/मोरैन के विशाल समूह का ढहना था।
- हिमालय क्षेत्र विभिन्न प्राकृतिक और मानव-प्रेरित खतरों से ग्रस्त है, जिनमें पानी, मौसम, भूकंप, जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियों से संबंधित खतरे शामिल हैं।
- इन जोखिमों से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें निगरानी और शमन रणनीतियों के साथ-साथ प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली भी शामिल हो।
- जबकि वैज्ञानिकों ने हिमनदों के पिघलने की प्रक्रिया को समझने में प्रगति की है, हिमनदों की विशाल संख्या और उनके पीछे हटने की गतिशील प्रकृति सटीक निगरानी और जोखिम मूल्यांकन के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां खड़ी करती है।
- राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (NRSC) के 2023 के हिमनद झील एटलस से पता चलता है कि पांच देशों में तीन प्रमुख नदी घाटियों: सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र में 0.25 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाली 28,000 हिमनद झीलें हैं। इनमें से 27% भारत में हैं।
- GLOF के शमन के लिए विश्व स्तर पर कई भू-तकनीकी समाधान आजमाए गए हैं, लेकिन समुद्र तल से 5,000 मीटर से ऊपर की परिस्थितियाँ विकट चुनौतियां उत्पन्न करती हैं।
- पहुंच की कमी, उत्खनन मशीनरी के परिवहन और रखरखाव में कठिनाइयाँ, तेज़ हवाएँ, बिजली और कनेक्टिविटी प्राप्त करने के लिए संघर्ष, और व्यक्तियों द्वारा जानबूझकर की गई क्षति इनमें से कुछ चुनौतियाँ हैं।
- ऐसी आपदा का सबसे बड़ा ख़तरा नीचे की ओर पहाड़ी समुदायों और प्राधिकरणों के लिए है, जिन्हें प्रतिक्रिया करने के लिए बहुत कम समय मिलता है।
- साक्षात्कारों से पता चलता है कि नदी के निचले हिस्से के लोग अचानक ग्लेशियर के पिघलने और उससे जुड़े बड़े पैमाने के खतरों से अनजान हैं।
शमन प्रयास
- GLOF हिमालय में एक महत्वपूर्ण खतरा उत्पन्न करते हैं और उनसे निपटने के लिए सभी संगठनों में एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
- राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र (NRSC) एटलस स्थानिक परिवर्तनों पर नज़र रखने और GLOF से ग्रस्त झीलों की पहचान करने के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रदान करता है।
- केंद्रीय जल आयोग जल प्रवाह, ऊंचाई और जल निकासी पैटर्न को चार्ट करने के लिए GLOF के प्रति संवेदनशील झीलों का हाइड्रो-डायनामिक मूल्यांकन करता है।
- NDMA की राष्ट्रीय सिफारिशें (2020) राज्यों को खतरे और जोखिम क्षेत्र का वैज्ञानिक परिचय देती हैं और निगरानी, जोखिम में कमी और राहत उपायों के तरीकों का प्रस्ताव करती हैं।
- NDMA ने मानसून के महीनों के दौरान नई झील संरचनाओं सहित जल निकायों में परिवर्तनों का स्वचालित रूप से पता लगाने के लिए सिंथेटिक-एपर्चर रडार इमेजरी के उपयोग का सुझाव दिया है।
- इसने यह भी सुझाव दिया है कि अंतरिक्ष से झीलों की दूरस्थ निगरानी की अनुमति देने के तरीके विकसित किए जा सकते हैं।
- झीलों को संरचनात्मक रूप से प्रबंधित करने के लिए, NDMA नियंत्रित दरार, पंपिंग या पानी को बाहर निकालने और मोरैन बाधा के माध्यम से या बर्फ बांध के नीचे सुरंग बनाने जैसे तरीकों से पानी की मात्रा कम करने की सिफारिश करता है।
- दिशानिर्देश ऐसी घटनाओं के विनाशकारी प्रभाव को कम करने के आसान और कम लागत वाले तरीके के रूप में GLOF संभावित क्षेत्रों में निर्माण को प्रतिबंधित करने की भी सिफारिश करते हैं।
- एक व्यापक GLOF जोखिम शमन योजना वर्तमान में अनुमोदन के अंतिम चरण में है।
- इस योजना में उच्च जोखिम वाली हिमनद झीलों पर निगरानी और एंड-टू-एंड प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की स्थापना शामिल है।
- सभी सरकारों और वैज्ञानिक संस्थानों को आपदा जोखिम न्यूनीकरण प्रयासों में अपने संसाधनों और क्षमताओं एकीकृत करना चाहिए और सहयोग करना चाहिए।
निष्कर्ष:
- हिमनदों के पिघलने, भूस्खलन, तीव्र वर्षा और हीटवेव सहित अन्य जल-मौसम विज्ञान संबंधी और भूभौतिकीय खतरे बढ़ रहे हैं।
- जैसे-जैसे शासन के विभिन्न पहलुओं के बीच तालमेल बनता है, रोकथाम और शमन पर अधिक ध्यान देने से क्षति और नुकसान कम होगा तथा पहाड़ी समुदायों के जीवन में स्थिरता आएगी।
- पहाड़ी समुदायों की विकास आवश्यकताओं को पूरा करते समय, आपदा और जलवायु लचीलापन सिद्धांतों को सरकारी नीति के साथ-साथ निजी निवेश में भी शामिल करने की आवश्यकता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. केंद्र देश के सभी पुलिस स्टेशनों में डीएनए, चेहरा-मिलान प्रणाली शुरू करेगा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2,3 से संबंधित:
विषय: राजव्यवस्था और सुरक्षा।
प्रारंभिक परीक्षा: डीएनए, आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम के तहत चेहरे की पहचान।
आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम के कार्यान्वयन में देरी:
- संसद द्वारा आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम पारित होने के एक साल से अधिक समय बाद भी अधिनियम के प्रावधानों को पूरी तरह से जमीनी स्तर पर पर लागू नहीं किया गया है।
- अधिकारियों के अनुसार, लॉजिस्टिक और कनेक्टिविटी संबंधी समस्याएं इसके कार्यान्वयन में देरी कर रही हैं।
अधिनियम की विशेषताएं:
- अधिनियम कानून प्रवर्तन और केंद्रीय जांच निकायों को हिरासत में लिए गए व्यक्तियों से रेटिना और आईरिस स्कैन सहित भौतिक और जैविक नमूनों को इकट्ठा करने, बनाए रखने और जांच करने की अनुमति देता है।
- इसे अप्रैल 2022 में संसद द्वारा पारित किया गया था, और नियमों को उसी वर्ष सितंबर में अधिसूचित किया गया था।
डीएनए और चेहरा-मिलान प्रणाली शुरू की जाएँगी:
- हालाँकि अधिनियम और इसके साथ जुड़े नियम स्पष्ट रूप से डीएनए नमूनों को एकत्र करने और चेहरे के मिलान की प्रक्रियाओं को संबोधित नहीं करते हैं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau (NCRB)) ने राज्य के कानून प्रवर्तन अधिकारियों को सूचित किया है कि ये उपाय लगभग 1,300 साइटों पर कार्यान्वयन के लिए निर्धारित हैं, जिसमें पुलिस जिले, आयुक्तालय और राज्य मुख्यालय में स्थित विशेष जांच इकाइयां शामिल हैं।
कार्यान्वयन की दिशा में कदम:
- केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अधिनियम के सफल कार्यान्वयन के लिए एक डोमेन समिति का गठन किया है, जिसमें राज्य पुलिस, केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और अन्य हितधारकों के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- एक तकनीकी उप-समिति को माप के रूप में डीएनए कैप्चर करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करने का काम सौंपा गया है।
- राज्यों को एनसीआरबी द्वारा प्रस्तावित माप संग्रह इकाई (measurement collection unit (MCU)) के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान करने के लिए कहा गया है।
- गृह मंत्रालय के तहत केंद्रीय निकाय डेटाबेस का राष्ट्रीय भंडार होगा।
एनसीआरबी की भूमिका:
- एनसीआरबी ने डेटाबेस के दुरुपयोग के खिलाफ सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है, यह सुनिश्चित करते हुए कि केवल नामित अधिकारियों के पास ही वास्तविक समय तक पहुंच होनी चाहिए।
- इस अधिनियम ने 100 साल पुराने कैदी पहचान अधिनियम, 1920 को प्रतिस्थापित कर दिया, जिसका दायरा सीमित था।
कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
- चुनौतियों में प्रशिक्षण और संसाधनों की कमी शामिल है, कुछ पुलिस विभागों को बजट की कमी का सामना करना पड़ता है।
- हार्डवेयर की लागत गृह मंत्रालय वहन करता है, जबकि राज्यों को एक सुरक्षित इंटरनेट लाइन और अन्य परिचालन लागतों का खर्च वहन करना चाहिए।
- एनसीआरबी ने यह सुनिश्चित करने के महत्व को रेखांकित किया है कि पुलिस द्वारा नियोजित उपकरण और प्रणालियाँ तकनीकी, कानूनी और फोरेंसिक रूप से विश्वसनीय और आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त हों।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. खाद्य लेबलों पर होगा QR कोडः FSSAI
प्रसंग:
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI)) ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए पहुंच बढ़ाने के लिए खाद्य उत्पादों पर त्वरित प्रतिक्रिया (Quick Response (QR)) कोड के उपयोग की सिफारिश की है।
- एफएसएसएआई का मानना है कि यह विशेष आवश्यकता वाले उपभोक्ताओं सहित सभी उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करेगा।
समावेशी पहुंच का मौलिक अधिकार:
- हाल ही में एक परामर्श में, एफएसएसएआई ने इस बात पर जोर दिया कि सूचना तक समावेशी पहुंच सुनिश्चित करना नागरिकों का मौलिक अधिकार (fundamental right) है।
- खाद्य उत्पादों को इस तरह से लेबल किया जाना चाहिए कि दृष्टिबाधित उपभोक्ताओं सहित सभी उपभोक्ताओं तक उनकी पहुंच सुनिश्चित हो सके।
लेबलों पर मौजूदा विनियम और जानकारी:
- एफएसएसएआई के खाद्य सुरक्षा और मानक (लेबलिंग और प्रदर्शन) विनियम, 2020, खाद्य उत्पाद लेबल पर शामिल की जाने वाली जानकारी को व्यापक रूप से रेखांकित करते हैं।
- इस डेटा में उत्पाद का नाम, इसकी शेल्फ लाइफ/अनुशंसित उपभोग अवधि, पोषण संबंधी जानकारी, यह दर्शाने वाले लेबल कि यह शाकाहारी है या मांसाहारी, सामग्री की सूची, एलर्जी चेतावनी और उत्पाद के लिए कोई अन्य विशिष्ट लेबलिंग मानदंड जैसे विवरण शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को खाद्य उत्पादों का चयन करते समय सूचित विकल्प चुनने के लिए सशक्त बनाना है।
विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016:
- विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, (Rights of Persons with Disabilities Act, 2016) विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों और जरूरतों को मान्यता देता है, जिसमें विकलांग व्यक्तियों के लिए पहुंच और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- एफएसएसएआई उन उपायों के एकीकरण को बढ़ावा देता है जो दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए खाद्य उत्पादों में पोषण संबंधी जानकारी तक पहुंच को आसान बनाते हैं।
सुलभ पहुंच के लिए क्यूआर कोड का उपयोग:
- सुलभता बढ़ाने के लिए, एफएसएसएआई उत्पाद लेबल पर क्यूआर कोड शामिल करने का सुझाव देता है।
- क्यूआर कोड में उत्पाद के बारे में व्यापक जानकारी शामिल होनी चाहिए, जिसमें सामग्री, पोषण संबंधी तथ्य, एलर्जी, उत्पादन तिथि, शेल्फ लाइफ/अनुशंसित उपभोग अवधि, एलर्जेन अलर्ट और ग्राहक प्रश्नों के लिए संपर्क विवरण जैसे तत्व शामिल होने चाहिए।
क्यूआर कोड अनिवार्य जानकारी के पूरक हैं:
- सभी व्यक्तियों के लिए खाद्य उत्पादों में पोषण संबंधी जानकारी तक पहुंच के लिए क्यूआर कोड को शामिल करने को उत्पाद लेबल पर अनिवार्य जानकारी प्रस्तुत करने की बाध्यता के प्रतिस्थापन या रद्दीकरण के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए, जैसा कि प्रासंगिक नियमों द्वारा निर्धारित किया गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. खाद्य उत्पादों के लिए क्यूआर कोड पर एफएसएसएआई की सिफारिश के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
1. इसका उद्देश्य दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए सूचना तक पहुंच प्रदान करना है।
2. विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016, विकलांग व्यक्तियों के लिए स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर जोर देता है और उनके अधिकारों को मान्यता देता है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 और 2 दोनों सही हैं।
प्रश्न 2. समुद्री खीरे (sea cucumbers) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. समुद्री खीरे इचिनोडर्म समूह (chinoderm group) से संबंधित हैं, जिसमें स्टारफिश और समुद्री अर्चिन (sea urchins) भी शामिल हैं।
2. वे केवल अलैंगिक प्रजनन प्रदर्शित करते हैं।
3. वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची II के अनुसार समुद्री खीरे निषिद्ध प्रजातियां (prohibited species) हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- समुद्री खीरे यौन और अलैंगिक दोनों तरह से प्रजनन प्रदर्शित करते हैं, और वे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची I के अनुसार ‘निषिद्ध प्रजाति’ हैं।
प्रश्न 3. उत्तरी अमेरिका में सबसे कम ऊंचाई का रिकॉर्ड किस स्थान के नाम है?
(a) माउंट व्हिटनी
(b) बैडवॉटर बेसिन
(c) डेथ वैली नेशनल पार्क
(d) उष्णकटिबंधीय तूफान हिलेरी
उत्तर: b
व्याख्या:
- इस स्थल के नाम समुद्र तल से 282 फीट नीचे उत्तरी अमेरिका में सबसे कम ऊंचाई का रिकॉर्ड है, और यह लगभग 200 वर्ग मील में समतल भूमि वाले मैदानों में दरार वाले नमक की परत से ढके विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है।
प्रश्न 4. नल्लूर कंडास्वामी कोविल ( Nallur Kandaswamy Kovil) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन गलत है/हैं?
1. यहाँ के इष्टदेव भगवान शिव हैं।
2. यह मंदिर श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में स्थित है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- यहाँ के इष्टदेव भगवान मुरुगन (कार्तिकेय) हैं, भगवान शिव नहीं। यह मंदिर वास्तव में श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में स्थित है।
प्रश्न 5. आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
1. इस अधिनियम में स्पष्ट रूप से डीएनए नमूनों के संग्रह और चेहरे-मिलान प्रक्रियाओं का उल्लेख है।
2. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) को अंतिम रूप देने के लिए जिम्मेदार है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- एसओपी को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी एनसीआरबी की है। हालाँकि, अधिनियम में डीएनए और चेहरा-मिलान प्रक्रियाओं का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. अपने सीमा विवाद को हल करने के लिए चीन-भूटान सीमा वार्ता के भारत के लिए निहितार्थ। चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध] (China-Bhutan boundary talks to resolve their boundary dispute have implications for India. Discuss. (250 words, 15 marks) [GS-II: International Relations])
प्रश्न 2. भारत-कनाडा संबंधों में हालिया तनाव से गहरी जड़ें जमा चुके प्रवासी संबंधों के बाधित होने का खतरा है। कथन का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस-II: अंतर्राष्ट्रीय संबंध] (Recent tensions in India-Canada relations threaten to disrupt the deep-rooted diaspora links. Examine. (250 words, 15 marks) [GS-II: International Relations])
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)