26 अप्रैल 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
कुरील द्वीप समूह से सम्बंधित विवाद:
विषय; द्विपक्षीय, क्षेत्रीय या वैश्विक समूह एवं भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
प्रारंभिक परीक्षा: कुरील द्वीप समूह।
मुख्य परीक्षा : कुरील द्वीप विवाद और उसके निहितार्थ।
प्रसंग:
- वर्तमान में ओखोटस्क सागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित कुरील द्वीप पर विवाद छिड़ा हुआ हैं क्योंकि रूस और जापान दोनों इस पर अपनी-अपनी संप्रभुता का दावा कर रहे हैं।
कुरील द्वीप समूह/उत्तरी क्षेत्र (Kuril Islands/ Northern Territories) क्या हैं?
- ये चार द्वीप जापान के सबसे उत्तरी प्रान्त, होक्काइडो के पास ओखोटस्क सागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित हैं।
- इस तथ्य के बावजूद कि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद से यह द्वीप रूसी नियंत्रण में हैं, वर्तमान में मास्को और टोक्यो दोनों इस पर अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं।
- द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में सोवियत संघ द्वारा इन द्वीपों पर कब्जा कर लिया गया था, और जापानी निवासियों को यहाँ से 1949 तक निष्कासित कर दिया गया।
- जापान द्वारा दावा किया गया है कि यह विवादित द्वीप 1800 के दशक की शुरुआत से ही देश का हिस्सा रहा हैं।
Source: The Hindu
कुरील द्वीप विवाद क्या है?
- कुछ संधियों से इन द्वीपों पर जापान की संप्रभुता की पुष्टि होती हैं,जैसे 1855 की शिमोडा संधि, कुरील द्वीप समूह (सेंट पीटर्सबर्ग की संधि) के लिए सखालिन के आदान-प्रदान के लिए 1875 की सेंट पीटर्सबर्ग संधि और 1905 की पोर्ट्समाउथ संधि, सभी पर 1904-05 के रूस-जापानी युद्ध में जापान की जीत के बाद हस्ताक्षर किए गए थे।
- दूसरी ओर रूस का दावा है कि याल्टा समझौता (1945) और पॉट्सडैम घोषणा (1945) इन द्वीपों पर उसके दावों की पुष्टि करती हैं और 1951 की सैन फ्रांसिस्को संधि इन द्वीपों पर जापान द्वारा रूसी संप्रभुता को मान्यता प्रदान करती है।
- इस संधि के अनुच्छेद 2 के अनुसार, जापान ने “कुरील द्वीप समूह के सभी अधिकार, उपाधि और दावे को त्याग दिया था”।
- जापान का दावा है कि सैन फ्रांसिस्को संधि को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि सोवियत संघ ने कभी इस पर हस्ताक्षर नहीं किए।
- इसके अलावा जापान इस बात को मानने से इनकार करता है कि ये चारों विवादित द्वीप कभी कुरील श्रृंखला का हिस्सा थे।
समाधान के प्रयास:
- प्रधान मंत्री शिंजो आबे द्वारा सबसे हालिया प्रयास तब किया जब उन्होंने इन विवादित द्वीपों के संयुक्त आर्थिक विकास पर ध्यान दिया।
- दरअसल वर्ष 1956 में जापान और सोवियत संघ एक संयुक्त घोषणा के आधार पर द्विपक्षीय वार्ता करने पर सहमत हुए थे।
- एक शांति संधि के समापन के बाद 1956 की घोषणा में कहा गया है कि रूस जापान को दो द्वीप शिकोटन द्वीप एवं हाबोमाई द्वीपसमूह को वापस लौटाने के लिए सहमत था।
- रूस के साथ संबंधों में सुधार के जापान के प्रयास उसके ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने के लिए थे, जबकि रूस ने अपने खरीदार आधार में विविधता लाने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने हेतु प्रयास किया था ।
- हालांकि दोनों पक्षों की राष्ट्रवादी भावनाओं ने इस विवाद उलझा दिया।
भावी कदम:
- ज्ञातव्य हैं कि जापान रूसी आक्रमण की निंदा करने और उस पर प्रतिबंध लगाने में सबसे अड़ियल/कठोर रुख अपनाने वाले पश्चिमी सहयोगियों में से एक रहा है।
- जापान की वर्ष 2022 कि हालिया डिप्लोमैटिक ब्लूबुक के अनुसार, कुरील द्वीप पर रूस का “अवैध कब्जा हैं।
- रूस-चीन गठबंधन की आशंकाओं ने जापान को उकसाया है,क्योंकि जापान का चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद और तनावपूर्ण इतिहास रहा है।
- जापान रूस को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघनकर्ता” मानता है और इसे विश्व में अलग-थलग करने के अवसर के रूप में देखता है।
- हो सकता है कि जापान को यह रुख अपनाने के लिए उकसाया गया हो क्योंकि इसका मानना है कि यूक्रेन पर आक्रमण साबित करता है कि कुरील द्वीप समूह को पुनः प्राप्त करना एक व्यर्थ प्रयास है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
ऊर्जा सुरक्षित दक्षिण एशिया पाने का लक्ष्य:
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: दक्षिण एशिया में ऊर्जा-सुरक्षा की आवश्यकता और महत्व।
सन्दर्भ:
- इस लेख में दक्षिण एशिया क्षेत्र में ऊर्जा सुरक्षा की आवश्यकता और महत्व के सन्दर्भ में चर्चा की गई है।
दक्षिण एशिया में ऊर्जा-सुरक्षा की आवश्यकता:
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- बिजली उत्पादन में वृद्धि:
- दक्षिण एशिया में बिजली उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई है।
- बांग्लादेश ने हाल ही में 100% विद्युतीकरण हासिल किया है जबकि भूटान, मालदीव और श्रीलंका ने 2019 में इसे प्राप्त कर लिया था।
- बांग्लादेश सरकार ने बिजली उत्पादन में उल्लेखनीय सुधार किया है जिसके परिणामस्वरूप बिजली की मांग में वृद्धि हुई है।
- भारत कुल खपत का 40% अक्षय ऊर्जा हासिल करने का प्रयास कर रहा है।
- दक्षिण एशियाई देशों की नीतियां:
- दक्षिण एशियाई देशों की बिजली नीतियों का उद्देश्य हर घर को बिजली उपलब्ध कराना है।
- इसका उद्देश्य विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण बिजली की कुशल तरीके से, उचित दरों पर आपूर्ति करना और उपभोक्ता हितों की रक्षा करना है।
- भौगोलिक अंतराल और संसाधनों की उपलब्धता:
- इन देशों के बीच भौगोलिक अंतराल, संसाधनों की निर्भरतासे सम्बंधित एक अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता हैं।
- भारत, 55% बिजली उत्पादन हेतु कोयले पर निर्भर है, जबकि नेपाल में 99.9% विद्युत ऊर्जा का उत्पादन जल द्वारा होता है, वहीं बांग्लादेश का 75% बिजली उत्पादन प्राकृतिक गैस पर निर्भर है तथा श्रीलंका तेल पर निर्भर है, जो इसके आयात पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का 6% खर्च करता है।
दक्षिण एशिया के लिए विश्व बैंक की जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (2021-25):
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दक्षिण एशिया के विकास में ऊर्जा सुरक्षा का महत्व:
- आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की खपत:
- विद्युतीकरण से न केवल लोगों के जीवन में सुधार होता है, बल्कि यह देश की GDP को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।
- ऊर्जा खपत में 0.46 प्रतिशत की वृद्धि से प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में 1% की वृद्धि होती है।
- मध्यम आय वाले देशों के आर्थिक विकास के लिए बिजली का उत्पादन आवश्यक है।
- बिजली में वृद्धि के परिणामस्वरूप देश के भीतर और बाहर दोनों जगह निवेश और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि हुई है।
- बिजली कवरेज बढ़ाने से लाभ:
- दक्षिण एशियाई देशों को उद्योगों और घरों में बिजली का दायरा बढ़ाने से बहुत लाभ हुआ है।
- उदाहरण के लिए, बांग्लादेश के सकल घरेलू उत्पाद का 50.3% औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों से आता है जो बिना बिजली के कुशलतापूर्वक उपयोग से संभव नहीं हो सकता।
- SGDs की उपलब्धियों से ऊर्जा सुरक्षा को होने वाला लाभ:
- ग्रामीण बांग्लादेश में सौर ऊर्जा संचालित विद्युतीकरण सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- SDG-7 का लक्ष्य 2030 तक सभी को सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना है।
- बांग्लादेश के अलावा 1,00,000 से अधिक महिला सौर उद्यमियों को शामिल कर सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त करना है।
- SDG-5 “लैंगिक समानता हासिल करना और सभी महिलाओं एवं लड़कियों को सशक्त बनाना है।
- भारत द्वारा उत्पादित कुल ऊर्जा का 40% नवीकरणीय ऊर्जा में स्थानांतरित करने का संकल्प भी एक बड़ा कदम है। बिजली की पहुंच से बुनियादी ढांचे यानी SDG-9 में सुधार होता है।
- SDG-9 “लचीला बुनियादी ढांचे का निर्माण, समावेशी और टिकाऊ औद्योगीकरण को बढ़ावा देना और नवाचार को बढ़ावा देना” है।
- ऊर्जा का उपयोग किफायती इंटरनेट यानी SDG-4 के माध्यम से ऑनलाइन शिक्षा में मदद करता है।
- SDG-4 “समावेशी और समान गुणवत्ता वाली शिक्षा सुनिश्चित करता है और सभी के लिए आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देता है”।
- ग्रामीण बांग्लादेश में सौर ऊर्जा संचालित विद्युतीकरण सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- हरित विकास, हरित ऊर्जा
- दक्षिण एशियाई नेता 100% विद्युतीकरण के लिए ऊर्जा उत्पादन के कुशल, नवीन और उन्नत तरीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- ग्लासगो में COP26 में अपने ‘शुद्ध शून्य 2070’ संकल्प में भारतीय प्रधान मंत्री ने 2030 तक अक्षय ऊर्जा की क्षमता 450GW से 500GW तक बढ़ाने के भारत के लक्ष्य को हासिल करने पर जोर दिया।
- दक्षिण एशिया में विशाल नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन – जल विद्युत, सौर, पवन, भूतापीय और बायोमास हैं। जिनका घरेलू उपयोग के साथ-साथ क्षेत्रीय बिजली व्यापार के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- यह क्षेत्र हरित विकास और ऊर्जा की ओर अग्रसर है क्योंकि भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का मेजबान है।
चुनौतियां:
- क्षेत्रीय ऊर्जा सहयोग ढांचा दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) द्वारा 2014 में तैयार किया गया था, लेकिन इसका कार्यान्वयन अभी अनिश्चित है।
- पहचान, राजनीति और अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का संगम दक्षिण एशिया की क्षेत्रीय भू-राजनीति को आकार देता है। नतीजतन, अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा परियोजनाओं को विभिन्न प्रकार के सामाजिक और वैचारिक मुद्दों से निपटना होगा, जो शांतिपूर्ण ऊर्जा व्यापार के लिए एक बड़ी बाधा है।
- यदि ऊर्जा व्यापार जुड़ा हुआ हो तो, हितधारकों का एक व्यापक समूह और एक क्षेत्रीय सुरक्षा दृष्टिकोण, ऊर्जा व्यापार प्रक्रिया के सुचारू क्रियान्वयन में सहायक हो सकता है और इसे संघर्ष समाधान और शांति निर्माण का माध्यम माना जा सकता है।
- सीमा पार परियोजनाओं में भागीदारी वर्तमान में विशिष्ट कार्यों तक ही सीमित है, जैसे कि भूटान और भारत या नेपाल और भारत के बीच।
भावी नीति:
- अक्षय ऊर्जा में वृद्धि, जल विद्युत संसाधनों के उपयोग का विस्तार तथा बिजली संचरण एवं वितरण नेटवर्क को मजबूती से, यह क्षेत्र पहले से ही ऊर्जा आपूर्ति विकल्पों के विविधीकरण की ओर बढ़ रहा है।
- इसलिए इस क्षेत्र को तत्काल जोखिमों का आकलन करना चाहिए और लचीली ऊर्जा प्रणालियों के निर्माण के लिए तकनीकी और वित्तीय समाधानों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
- अन्य क्षेत्रों या देशों से सीखना और उनके साथ सहयोग बढ़ाना फायदेमंद हो सकता है, जिन्होंने बिजली क्षेत्र के बुनियादी ढांचे के नुकसान को झेला है तथा एक लचीली ऊर्जा प्रणाली बनाने हेतु नीति, नियामक और तकनीकी समाधान तैयार किए जाए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
बाधित आंकड़ा
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधनों, विकास तथा रोजगार से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: घरेलू उपभोक्ता व्यय तथा घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES)।
मुख्य परीक्षा: घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES) का महत्व।
सन्दर्भ:
- भारत की आधिकारिक सांख्यिकीय मशीनरी ने जुलाई 2022 से अखिल भारतीय घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण पुनः प्रारंभ करने को कहा है।
घरेलू उपभोक्ता व्यय क्या है?
- घरेलू उपभोक्ता व्यय वह राशि है जो परिवारों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की खरीद हेतु खर्च की जाती है।
- घरेलू क्षेत्र में वे लोग शामिल होते हैं जो सार्वजनिक व्यवस्था के तहत जीवनयापन करते हैं जैसे सेवानिवृत्ति गृह, बोर्डिंग हाउस और जेल साथ ही वे भी जो परंपरागत घरों में रहते हैं।
- घरेलू उपभोक्ता व्यय को मापने के लिए प्रयुक्त घटक:
- आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं, जैसे भोजन, वस्त्र, किराया आदि पर घरेलू खर्च।
- सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए उत्पादों पर घरेलू खर्च, उदा. सार्वजनिक संग्रहालयों, चिड़ियाघरों के टिकट।
- लाइसेंस और परमिट के लिए घरेलू खर्च, उदा. पासपोर्ट जारी करने के लिए शुल्क।
- उनके द्वारा उत्पादित उत्पादों की घरेलू खपत, उदा.एक किसान द्वारा उत्पादित दूध और सब्जियों की खपत।
- कर्मचारियों द्वारा अर्जित वस्तु के रूप में आय, उदा. रेल कर्मचारियों के लिए मुफ्त ट्रेन टिकट।
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अखिल भारतीय घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES):
- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) प्रत्येक पांच वर्षों में अखिल भारतीय घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण करता है।
- CES एक पंचवर्षीय सर्वेक्षण है जिसके तहत देश भर के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में घरेलू खपत खर्च पैटर्न का डेटा एकत्र किया जाता है।
- इस सर्वेक्षण में एकत्र की गई जानकारी से माल (खाद्य और गैर-खाद्य दोनों) और सेवाओं के औसत खर्च का पता लगाया जाता है।
- यह घरेलू मासिक प्रति व्यक्ति उपभोक्ता व्यय (MPCE) और MPCE वर्गों के घरों और लोगों के वितरण का भी अनुमान लगाता है।
अखिल भारतीय घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES) का महत्व:
- अर्थव्यवस्था की मांग की गतिशीलता को निर्धारित करने में मासिक प्रति व्यक्ति खपत खर्च का अनुमान महत्वपूर्ण है।
- यह कई स्तरों पर जीवन स्तर और विकास के रुझान का आकलन करने के साथ-साथ वस्तुओं और सेवाओं की बास्केट के संदर्भ में प्राथमिकताओं को बदलने में भी सहायता करता है।
- यह नीति निर्माताओं को संभावित संरचनात्मक विसंगतियों की पहचान करने और उन्हें दूर करने में सहायता करता है जो जनसंख्या के एक विशिष्ट सामाजिक आर्थिक या क्षेत्रीय समूह में बदलाव की मांग का कारण बन सकते हैं।
- CES एक मूल्यवान विश्लेषणात्मक और पूर्वानुमान उपकरण के अलावा माल के उत्पादकों और सेवाओं के प्रदाताओं को संकेत प्रदान करने है।
उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES) सर्वेक्षण (2017-18)
- हालिया उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (CES) 2017-2018 में आयोजित किया गया था और जिसे सरकार की मंजूरी नहीं मिली थी।
- सरकार ने “डेटा गुणवत्ता” मुद्दों का हवाला देते हुए 2017-18 में हुए विगत सर्वेक्षण के परिणामों को खारिज कर दिया था।
- महामारी के कारण, विगत दो वर्षों में सर्वेक्षण की शुरूवात नहीं किया जा सकी।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. भारत ने आलोचनात्मक आवाजों को दबाया : रिपोर्ट
राजव्यवस्था एवं शासन:
विषय:विभिन्न क्षेत्रों में विकास हेतु सरकारी नीतियां, उनमे हस्तक्षेप एवं डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा:अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (United States Commission on International Religious Freedom-USCIRF)।
प्रसंग:
- इस लेख के माध्यम से भारत में धार्मिक स्वतंत्रता के सन्दर्भ में अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) द्वारा की गई सिफारिशों पर चर्चा की गई है।
भारत हेतु कि गई सिफारिशें:
- भारत में वर्ष 2021 में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति “काफी खराब” (significantly deteriorated) हो गई थी।
- संयुक्त राष्ट्र (सीपीसी) द्वारा भारत को “विशेष चिंता वाले देश” के रूप में नामित किया गया था। कुछ देशों की तुलना में धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में इसका प्रदर्शन सबसे खराब रहा है।
- यहाँ सरकार ने एक हिंदू राज्य की अपनी वैचारिक दृष्टि के लिए राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर मौजूदा और नए कानूनों का उपयोग करना जारी रखा है।
- भारत पर रिपोर्ट के अनुसार,सरकार ने “महत्वपूर्ण आवाजों का दमन किया,” विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों और उनके पक्ष में रिपोर्टिंग करने वाले व्यक्तियों की।
- इस रिपोर्ट में उन चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की गई है जिसका सामना इन गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किया गया हैं, विशेष रूप से विदेशी फंडिंग के मामले एवं धर्मांतरण विरोधी कानूनों के संदर्भ में।
अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (United States Commission on International Religious Freedom-USCIRF):
- अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (United States Commission on International Religious Freedom-USCIRF) एक द्विदलीय स्वतंत्र निकाय है।
- यह एक स्वतंत्र, द्विदलीय अमेरिकी संघीय सरकारी एजेंसी है जिसे 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (IRFA) द्वारा संशोधित किया गया है।
कार्यप्रणाली:
- विदेशों में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता (freedom of religion or belief (FoRB) ) के सार्वभौमिक अधिकार की निगरानी करना।
- राष्ट्रपति, राज्य सचिव और कांग्रेस को नीतिगत सिफारिशें करना।
- इन सिफारिशों के कार्यान्वयन को ट्रैक करना।
2. ‘छह वर्षों में श्रम भागीदारी 46% से घटकर 40%’ पर:
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था,योजना,संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार से सम्बंधित मुद्दे ।
प्रारंभिक परीक्षा: श्रम बल भागीदारी दर।
प्रसंग:
- केंद्र ने भारतीय अर्थव्यवस्था का निगरानी डेटा जारी किया हैं।
श्रम बल की भागीदारी दर:
- श्रम बल भागीदारी दर को वर्तमान अर्थव्यवस्था में नियोजित या रोजगार चाहने वाली 16-64 आयु वर्ग की कामकाजी आबादी के वर्ग के रूप में परिभाषित किया गया है।
- एक अर्थव्यवस्था में श्रम शक्ति भागीदारी दर कामकाजी उम्र की आबादी का मूल्यांकन करने का एक तरीका है।
श्रम बल की भागीदारी का डेटा:
- कानूनी तौर पर कामकाजी उम्र के केवल 40% भारतीय ही कार्यरत थे या वर्ष 2021-22 में नौकरी की तलाश कर रहे थे।
- भारत में श्रम शक्ति गत छह वर्षों में लगभग 445 मिलियन से घटकर 435 मिलियन हो गई है।
- महिलाओं के बीच श्रम बल की भागीदारी, जो पहले से ही कम थी, में और गिरावट आई है।
- पुरुषों में यह भागीदारी दर 74% से अधिक से घटकर 67% हो गई। भागीदारी दर में यह गिरावट शहरी क्षेत्रों में अधिक थी।
- राजस्थान को छोड़कर देश के बाकि सभी राज्यों में इस दर में गिरावट आई है। यह गिरावट दो दक्षिणी राज्यों आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अधिक स्पष्ट थी।
Source:The Hindu
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. रूस-चीन संबंधों की कोई सीमा नहीं :यूरोपीय संघ प्रमुख
- यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने वार्षिक रायसीना डायलॉग में उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
- यूरोपीय संघ प्रमुख ने यूक्रेन युद्ध के बीच कहा कि रूस-चीन संबंधों की कोई सीमा नहीं हैं।
- यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने वार्षिक रायसीना डायलॉग के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया।
- उन्होंने यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा की, साथ ही इस संकट का “राजनयिक समाधान” खोजने की आवश्यकता का भी समर्थन किया।
- यूरोपीय आयोग के शीर्ष प्रतिनिधि ने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ दोनों “सुरक्षित व्यापार मार्गों, निर्बाध आपूर्ति श्रृंखलाओं में और एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक में” बनाए रखने में समान हित साझा करते हैं।
2. भारत तीसरा सबसे बड़ा सैन्य खर्च करने वाला देश:
- हाल ही में, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा वैश्विक सैन्य खर्च पर नया डेटा प्रकाशित किया गया था।
SIPRI द्वारा प्रकाशित डेटा:
- महामारी के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक परिणामों के बावजूद,वर्ष 2021 में वैश्विक सैन्य खर्च बढ़कर 2.1 ट्रिलियन डॉलर के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया।
- वर्ष 2021 में संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, भारत, यूनाइटेड किंगडम और रूस वर्ष 2021 में शीर्ष पांच खर्च करने वाले देश थे, जो कुल खर्च का 62 प्रतिशत था।
- इसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन का कुल हिस्सा 52 प्रतिशत था।
- भारत ने अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और चीन और पाकिस्तान के साथ चल रहे तनाव और सीमा विवादों के मद्देनजर हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है, जो कभी-कभी सशस्त्र संघर्ष में बदल जाते हैं।
- इस रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में क्रीमिया के विलय के बाद से यूक्रेन के सैन्य खर्च में 72 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योंकि देश ने रूस के खिलाफ अपनी सुरक्षा मजबूत की है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारतीय संविधान के 91वें संशोधन के प्रावधानों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- किसी राज्य में मंत्रिपरिषद (CoM) में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होगी, बशर्ते है कि सम्बंधित राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम न हो।
- सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में फैसला सुनाया था कि यदि CoM में निचली सीमा से कम सदस्य हैं तो यह कानून का उल्लंघन नहीं है क्योंकि जंबो कैबिनेट के कारण राज्यों द्वारा किए गए भारी खर्च पर कैप (नियंत्रण) लगाने के लिए अधिनियम बनाया गया था।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a)केवल 1
(b)केवल 2
(c)1 और 2 दोनों
(d)न तो 1, न हीं 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- 91 वां संविधान संशोधन अधिनियम किसी मंत्री की अयोग्यता के सम्बन्ध में लाया गया जब वह संसद के सदस्य के रूप में अयोग्य हो जाता हैं।
- मुख्यमंत्री सहित किसी राज्य की मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की कुल संख्या उस राज्य की विधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती। साथ ही यह 12 से कम नहीं होनी चाहिए।
- 91वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 में जंबो कैबिनेट के कारण राज्यों द्वारा किए गए भारी खर्च पर एक कैप (नियंत्रण) लगाने के लिए अधिनियमित किया गया था। जिसका उद्देशय सरकारी खजाने पर दबाव कम करना था।
- अतः दोनों कथन सही हैं।
प्रश्न 2. इंटरनेट आधारित पोर्टल विहंगम (VIHANGAM) निम्नलिखित में से किस क्षेत्र से संबंधित है?
(a)रक्षा
(b)कृषि
(c)खुदाई
(d)मत्स्य पालन
उत्तर: c
व्याख्या:
- महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड में, ‘विहंगम’ नामक एक इंटरनेट-आधारित प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया था, जिसे रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAS) (MCL) के साथ एकीकृत किया गया था।
- यह प्रणाली खानों से खनन गतिविधियों के हवाई वीडियो के वास्तविक समय के प्रसारण को संभव बनाती है, जिसे अधिकृत कर्मचारी विहंगम (VIHANGAM)पोर्टल के माध्यम से एक्सेस कर सकते हैं।
- अत: विकल्प C सही है।
प्रश्न 3. सिंधु जल संधि (IWT) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- भारत को पश्चिमी नदियों पर नदी का प्रवाह (run of the river-ROR) परियोजनाओं के माध्यम से जलविद्युत उत्पादन करने का अधिकार है, जो डिजाइन और संचालन के विशिष्ट मानदंडों के तहत अप्रतिबंधित है।
- IWT पर तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
- IWT का अनुबंध C भारत को कृषि हेतु जल उपयोग जबकि अनुबंध D इसे ‘नदी के प्रवाह (run of the river-ROR) के अनुसार जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि पश्चिमी नदियों पर पानी के भंडारण की आवश्यकता नहीं है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 2 और 3
(c)केवल 1 और 3
(d)उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- सिंधु जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में हस्ताक्षरित एक साझा-जल समझौता है। इसकी मध्यस्थता विश्व बैंक द्वारा की गई थी।
- इस जल संधि के तहत, भारत को डिजाइन और संचालन के लिए विशिष्ट मानदंडों के तहत पश्चिमी नदियों पर नदी परियोजना के माध्यम से जलविद्युत उत्पन्न करने का अधिकार दिया गया है।
- यह पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर चिंता व्यक्त करने का अधिकार भी देता है। अतः कथन 1 सही है।
- 1960 का सिंधु जल संधि समझौता जिसकी मध्यस्थता विश्व बैंक द्वारा की गई और यह तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा हस्ताक्षरित था जिसमे यह तय किया गया था कि सिंधु नदी और दोनों देशों में बहने वाली उसकी सहायक नदियों के पानी का उपयोग कैसे किया जाएगा। अतः कथन 2 सही है।
- IWT का अनुबंध C भारत को कुछ कृषि उपयोगों की अनुमति देता है।
- IWT का अनुबंध D इसे ‘रन ऑफ द रिवर’ जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण करने की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि पश्चिमी नदियों पर पानी के भंडारण की आवश्यकता नहीं है। अतः कथन 3 सही है।
प्रश्न 4. WHO की ‘E-2025’ पहल का उद्देश्य निम्नलिखित में से किस बीमारी के प्रसार को रोकना है?
(a)क्षय (TB)
(b)मलेरिया
(c)मधुमेह
(d)चिकनगुनिया
उत्तर: b
व्याख्या:
- WHO ने 2025 तक 25 देशों में मलेरिया संचरण को समाप्त करने के लिए विश्व मलेरिया दिवस से पहले E-2025 पहल शुरू की। यह यूरोपीय संघ की E-2020 पहल पर आधारित है।
- अत: विकल्प B सही है।
- मलेरिया के कारण, लक्षण, रोकथाम के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Malaria – Causes, Symptoms, Prevention
प्रश्न 5. सियाचिन ग्लेशियर कहाँ स्थित है ? PYQ (2020)
(a)अक्साई चीन के पूर्व में
(b)लेह के पूर्व में
(c)गिलगित के उत्तर में
(d)नुब्रा घाटी के उत्तर में
उत्तर: d
व्याख्या:
- सियाचिन ग्लेशियर दुनिया के सबसे लंबे ग्लेशियरों में से एक है, जो भारत-पाकिस्तान सीमा के पास कश्मीर के काराकोरम रेंज में स्थित है और उत्तर-उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-दक्षिण-पूर्व तक 70 किमी तक फैला हुआ है।
- यह 50 मील लंबी नुब्रा नदी का स्रोत है, जो श्योक नदी की एक सहायक नदी है, जो सिंधु नदी प्रणाली का हिस्सा है। सियाचिन ग्लेशियर नुब्रा घाटी के उत्तर में स्थित है। इसलिए, विकल्प (D) सही है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. पड़ोसी देशों के साथ उदार तरीके से बिजली साझा करने की नीतियां भारत की सॉफ्ट पावर में एक नया आयाम जोड़ सकती हैं। विस्तार पूर्वक समझाईये। (250 शब्द; 15 अंक) जीएस II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. ऐसी नीतियां जो ठोस आंकड़ों पर आधारित नहीं हैं, उनका विफल होना तय है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) जीएस II (शासन)
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