28 फरवरी 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण :
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
‘ऑर्गन ऑन ए चिप’: एक तकनीक जो प्रयोगशाला स्थितियों में रोग प्रणालियों की नकल करती है:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास और उनके अनुप्रयोग तथा रोजमर्रा की जिंदगी में इसका प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: ऑर्गन ऑन ए चिप तकनीक।
मुख्य परीक्षा: एक नई दवा को पेश करने की मौजूदा प्रक्रिया से जुड़े प्रमुख मुद्दे और ‘ऑर्गन ऑन ए चिप’ के उपयोग का महत्व एवं लाभ।
प्रसंग:
- दिसंबर 2022 में अमेरिकी सरकार द्वारा खाद्य एवं औषधि प्रशासन आधुनिकीकरण अधिनियम 2.0 के पारित होने से “ऑर्गन चिप्स” के अनुसंधान एवं विकास को गति मिलने की उम्मीद है।
ऑर्गन चिप्स” या ऑर्गन ऑन ए चिप मॉडल:
- ऑर्गन चिप्स मानव कोशिकाओं वाले छोटे उपकरण हैं जिनका उपयोग मानव अंगों के अंदर के पर्यावरण जैसे कि रक्त प्रवाह और सांस लेने की गति की नकल करने के लिए किया जाता है, जो नई दवाओं का परीक्षण करने के लिए कृत्रिम वातावरण के रूप में कार्य कर सकते हैं।
- ऐसे चिप्स पारभासी होते हैं जो शोधकर्ताओं को अध्ययन किए जा रहे अंग की आंतरिक कार्यप्रणाली को देखने के लिए एक खिड़की (माध्यम) प्रदान करने में मदद करते हैं।
- बायोइंजीनियरिंग के एक प्रोफेसर और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में वाइस संस्थान (Wyss Institute) के निदेशक डोनाल्ड इंगबर ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर वर्ष 2010 में पहला ह्यूमन ऑर्गन-ऑन-चिप मॉडल विकसित किया।
- यह पहला ऑर्गन-ऑन-ए-चिप मॉडल “लंग ऑन ए चिप” था, जो फेफड़े और उसके श्वास तंत्र के जैव रासायनिक पहलुओं से मिलता जुलता था।
- बाद में वर्ष 2014 में वाइस संस्थान (Wyss Institute) के सदस्यों ने “एमुलेट इंक” (Emulate Inc.) नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया, जिसके द्वारा ऑर्गन-ऑन-ए-चिप प्रौद्योगिकी का व्यावसायीकरण किया गया था।
- एम्यूलेट इंक के शोधकर्ताओं के इस समूह ने ऐसे कई अलग-अलग चिप्स बनाए हैं जिनमें एपिथेलियल बैरियर, बोन मैरो, किडनी, आंत, योनि और लीवर शामिल हैं।
ऑर्गन चिप्स के लाभ एवं महत्व:
चित्र स्रोत: pubs.rsc.org
- ‘ऑर्गन ऑन ए चिप’ प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह तकनीक वर्तमान में उपयोग की जाने वाली अन्य विधियों जैसे सेल-कल्चर या जैव-आधारित परीक्षणों की तुलना में बेहतर सूक्ष्मता के साथ यह भविष्यवाणी करने में मदद कर सकता है कि विशिष्ट अंग खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधनों और / या आहार की खुराक में पाए जाने वाले संभावित रासायनिक खतरे के संपर्क में आने पर कैसे प्रतिक्रिया करते हैं।
- इसके अलावा ‘ऑर्गन ऑन ए चिप’ को जानवरों पर दवाओं के नैदानिक परीक्षणों के लिए एक विकल्प के रूप में देखा जाता है, जिसकी अनैतिक और वैज्ञानिक रूप से निरर्थक प्रथा के रूप में व्यापक रूप से आलोचना की जाती है।
- इस प्रकार ऑर्गन चिप्स हजारों प्रयोगशाला पशुओं की मृत्यु को रोकने में मदद कर सकते हैं।
- एक तरह से इसमें विश्वसनीय तरीके से विभिन्न रोगों के उपचार के लिए नई दवाओं की पहचान, विकास और परीक्षण के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा सकता है तथा पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में बेहतर उपचार परिणामों की भविष्यवाणी की जा सकती है।
- उदाहरण: एम्यूलेट इंक द्वारा विकसित लिवर चिप्स दवाओं की लिवर को नुकसान पहुँचाने की क्षमता का 87% संवेदनशीलता और 100% विशिष्टता के साथ अनुमान लगा सकती हैं।
- इसके अलावा, लीवर चिप्स का उपयोग मानव लीवर के लिए सुरक्षित या असुरक्षित 27 दवाओं के विषाक्त प्रभावों का आकलन करने के लिए किया गया था।
- ऑर्गन चिप्स का विकास एक रोगी से कोशिकाओं को अलग करके बायोमिमेटिक ऊतकों को विकसित करने हेतु किया गया है जो एक विशिष्ट बीमारी की नकल करते हैं, एवं जिसका प्रयोग विशिष्ट रोगियों के लिए विशिष्ट उपचारों का विस्तार करने के लिए किया जा सकता है।
नई दवा को शरीर में पहुंचाने के लिए अपनाई गई मौजूदा प्रक्रिया:
- नई दवा को शरीर में पहुँचाने की बाज़ार में उपलब्ध मौजूदा प्रक्रिया महंगी और जटिल है।
यौगिकों की पहचान:
- शोधकर्ता पहले विभिन्न रासायनिक यौगिकों की पहचान करेंगे जिनका उपयोग मॉडलिंग जैसी विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके किसी बीमारी का इलाज करने के लिए किया जा सकता है।
पूर्व-नैदानिक परीक्षण:
- ऐसे यौगिकों की पहचान करने के बाद शोधकर्ता फिर उन्हें प्रयोगशाला में प्लास्टिक के बर्तनों पर संवर्धित की गई कोशिकाओं पर या जानवरों पर परीक्षण करते हैं जो कुछ स्थितियों में रोग की नकल कर सकते हैं।
- पूर्व-नैदानिक परीक्षणों के लिए चुहियाओं, चूहों, हम्सटर और गिनी सूअरों जैसे जानवरों का उपयोग किया जाता है।
- इस चरण में शोधकर्ता इस बात का निर्धारण करने में इस पर नजर रखते हैं कि क्या ये दवाएं विषाक्त हैं और क्या वे बीमारी का कुशलता से इलाज करने में सक्षम हैं।
- नैदानिक परीक्षण: पूर्व-नैदानिक परीक्षणों के निष्कर्षों के आधार पर एक संभावित चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, या व्यवहारिक हस्तक्षेप का मूल्यांकन करने के लिए लोगों पर शोध अध्ययनों की एक श्रृंखला प्रस्तुत की जाती है।
- स्वीकृति: यदि ये परीक्षण साबित करते हैं कि दवा बहुत अधिक प्रतिकूल दुष्प्रभावों के बिना काम करती है, तो दवा को मंजूरी देने के साथ साथ इस दवा को पेटेंट सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
महत्वपूर्ण मुद्दे:
- यदि दवा अपने परीक्षणों में अपने मूल्यांकन के आधार पर अनुमोदन प्राप्त करने में विफल रहती है, तो इस परीक्षण और अनुसंधान एवं विकास में खर्च किया गया संपूर्ण निवेश बेकार हो जाता है।
- इन रिपोर्टों के अनुसार नई दवाओं में से 10% से भी कम दवाएं पूर्व-नैदानिक परीक्षण पूरा करती हैं और इनमें से 50% से भी कम दवाएं सफलतापूर्वक नैदानिक परीक्षण पूरा कर पाती हैं।
- विशेषज्ञ और शोधकर्ता मानते हैं कि भारी विफलता का कारण पूर्व-नैदानिक परीक्षणों में पशु मॉडल का उपयोग है क्योंकि जानवर केवल कुछ मानव रोगों की ही अच्छी नकल कर सकते हैं, सभी की नहीं।
- इसलिए कुछ मामलों में दवा से संबंधित दुष्प्रभाव केवल नैदानिक परीक्षण चरण के दौरान ही स्पष्ट होते हैं।
भारत में ऑर्गन चिप्स:
- भारत में कुछ अनुसंधान समूहों ने भी नए ऑर्गन-ऑन-चिप मॉडल विकसित करने में स्वयं को शामिल किया है।
- इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी, मुंबई के शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों ने आईआईटी बॉम्बे के केमिकल इंजीनियरों की एक टीम के साथ एक ‘स्किन-ऑन-चिप मॉडल’ (skin-on-chip model) विकसित किया है।
- त्वचा की जलन और विषाक्तता का अध्ययन करने के लिए इस मॉडल का परीक्षण किया जा रहा है।
- विशेषज्ञों के इस समूह ने एक रेटिना-ऑन-चिप मॉडल भी विकसित किया है।
- भारत में शोधकर्ता प्लेसेंटा-ऑन-चिप मॉडल भी विकसित कर रहे हैं।
- अंगों के अलावा, शोधकर्ता ऑर्गन चिप्स का उपयोग करके विभिन्न बीमारियों की नकल करने की भी कोशिश कर रहे हैं।
- सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय (SPPU) के विशेषज्ञों की एक टीम ने मानव त्वचा के घाव की संक्रमण अवस्था का पुनर्निर्माण करने के लिए एक इन्फेक्शन-ऑन-चिप मॉडल विकसित किया है।
- इसका उद्देश्य एक ऐसे संक्रमण की नकल करना है जो बार-बार एंटीबायोटिक उपचार के बावजूद ठीक नहीं होता है।
भावी कदम:
- भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इनमें से कुछ ऑर्गन-ऑन-चिप मॉडल प्रयोगशालाओं में दवा परीक्षण-बेड (test-beds) के रूप में उपयोग के लिए तैयार हैं।
- हालाँकि इन मॉडलों के कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि उद्योग इन तकनीकों को जल्द से जल्द अपना सकें।
- प्रौद्योगिकी को लोकप्रिय बनाने और सरकारी समर्थन प्राप्त करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का विस्तार करने के लिए शिक्षाविदों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
- पश्चिम में शोधकर्ता बड़े और अधिक जटिल ह्यूमन-ऑन-चिप मॉडल विकसित करना चाह रहे हैं जैसे कि माइक्रो-ब्रेन बायोरिएक्टर और विभिन्न ऑर्गन चिप्स का संयोजन जिसमें उनके चारों ओर स्थित कोशिकाओं के लिए पोषक तत्व होते हैं एवं जो शरीर में विभिन्न अंगों में रक्त और पोषक तत्वों के प्रवाह की नकल करते हैं।
- इस तरह के मॉडल अलग-अलग प्रणालियों के बजाय कई अंग प्रणालियों की उपस्थिति में किसी बीमारी के खिलाफ दवा की प्रभावकारिता का मूल्यांकन करने में मदद कर सकते हैं।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
ई-कचरा नियमों का नया सेट:
सामान्य अध्ययन प्रश्न 3 से संबंधित:
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण।
मुख्य परीक्षा: नए ई-कचरा नियम और संबंधित चिंताएँ।
प्रसंग:
- 1 अप्रैल 2023 से नए ई-कचरा नियम लागू होंगे।
विवरण:
- तीव्र शहरीकरण, डिजिटलीकरण और जनसंख्या वृद्धि के युग में ई-कचरे का प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन गया है।
- ई-कचरा नियमों का एक सेट पहली बार 2011 में अधिसूचित किया गया था (2012 में लागू हुआ)।
- नियमों का एक महत्वपूर्ण घटक विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) था।
- EPR का अर्थ है कि जब उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक उत्पादों को त्याग देते हैं तो ‘निर्माता’ उनके सुरक्षित निपटान के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- ई-कचरा नियम 2016 (2018 में संशोधित) व्यापक नियम थे और इसमें ‘प्राधिकरण’ और ‘उत्पाद प्रबंधन’ जैसी विशेषताएं शामिल थीं। इसने ‘निर्माता उत्तरदायित्व संगठनों (PRO)’ के प्रावधानों का भी प्रस्ताव रखा।
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने नवंबर 2022 में ई-कचरा नियमों के एक नए सेट को अधिसूचित किया (यह 1 अप्रैल 2023 को लागू होगा)।
ई-कचरे के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़ें: Electronic Waste – E-waste Management Rules 2016
नए ई-कचरा नियमों की मुख्य विशेषताएं:
- इसमें ‘हितधारकों के पंजीकरण’ [विनिर्माता, निर्माता, नवीनीकरण करने वाले (रिफर्बिशर) और पुनर्चक्रण करने वाले (रिसाइकलर)] की अनिवार्य आवश्यकता के साथ एक EPR ढांचे का प्रावधान शामिल है।
- नए नियमों (2022) में एक ‘डिजिटल प्रणाली दृष्टिकोण’ भी प्रस्तावित है जो कमजोर निगरानी प्रणाली, पारदर्शिता की कमी, अपर्याप्त अनुपालन और अनौपचारिक क्षेत्र में प्रसंस्करण को चैनलाइज़ करने (जो कानून का उल्लंघन है) की चुनौतियों का समाधान करेगा।
- एक साझा डिजिटल पोर्टल ‘पेपर ट्रेडिंग’ या ‘फॉल्स ट्रेल्स’ की घटनाओं को भी कम करेगा। इसका मतलब है कि लक्ष्य को पूरा करने के लिए ‘स्क्रैप’ को इकट्ठा करना और/या तौलने के दौरान केवल कागजों पर ही 100% संग्रह को गलत तरीके से प्रकट करना।
- इसमें ‘कंपोनेंट रिकवरी’ और ‘अवशिष्ट निपटान’ नाम के दो पहलुओं पर भी संक्षेप में बात की गई है।
- कंपोनेंट रिकवरी दुर्लभ मृदा धातु की पर्याप्त और कुशल रिकवरी को संदर्भित करता है ताकि नए संसाधनों पर निर्भरता कम हो सके।
- अवशिष्ट निपटान का अर्थ ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण प्रक्रिया के दौरान ‘अवशिष्ट’ सामग्री का सुरक्षित निपटान है।
संबद्ध चिंताएं:
- यह तर्क दिया जाता है कि प्रस्तावित नियम में स्पष्ट रूप से ‘रिकवरी स्पर्शरेखा’ सुनिश्चित करने की आवश्यकता नहीं बताई गई है।
- इसके अलावा, नए नियम PRO और विघटन करने वालों (डिसमेंटलर्स) की आवश्यकता को समाप्त करते हैं और पुनर्चक्रण की पूरी जिम्मेदारी अधिकृत पुनर्चक्रणकर्ताओं को देते हैं।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि PRO ने उत्पादकों और औपचारिक पुनर्चक्रणकर्ताओं के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य किया और ‘प्रमाणित और अधिकृत’ पुनर्चक्रण की व्यवस्था की।
- उन्होंने पुनर्चक्रण की मात्रा और गुणवत्ता के संदर्भ में ‘दोहरा सत्यापन’ भी सुनिश्चित किया।
- नए नियम इस तथ्य के बावजूद अनौपचारिक क्षेत्र की भूमिका की उपेक्षा करते हैं कि ई-कचरा का 95% उनके द्वारा चैनलाइज़ किया जाता है।
- विशेष रूप से, सभी चरणों (संग्रह, पृथक्करण और ई-अपशिष्ट के समूहीकृत संचयन) में कोई खतरनाक प्रथा शामिल नहीं है।
- संभवत: अंतिम चरण में ई-अपशिष्ट को अनौपचारिक भंजक/पुनर्चक्रणकर्ताओं को सौंप दिया जाता है, जो ई-अपशिष्ट प्रबंधन में एक प्रमुख चिंता का विषय है।
- कई उत्पादकों ने संग्रह केंद्र स्थापित नहीं किए हैं। इसी प्रकार, औपचारिक कंपनियाँ उपभोक्ताओं को डोरस्टेप संग्रह की सुविधा प्रदान करने में विफल रहती हैं।
- इसके अलावा, उपभोक्ताओं में ई-कचरा संग्रह सेवाओं के अस्तित्व के बारे में जागरूकता की कमी है।
भावी कदम:
- पुनर्चक्रणकर्ताओं की गतिविधियों को दर्ज किया जाना चाहिए और अधिकारियों को समय-समय पर पुनर्चक्रण प्रक्रिया से गुजरने वाले ई-कचरे की मात्रा की निगरानी करनी चाहिए।
- संग्रह तंत्र में अनौपचारिक एग्रीगेटर्स का एकीकरण। यह एक सुरक्षित और संरचित प्रणाली प्रदान करेगा और अनौपचारिक क्षेत्र को वित्तीय और कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा। उदाहरण के लिए दिल्ली में ‘करो संभव’ की पहल।
- कानून के कुशल कार्यान्वयन के लिए, हितधारकों के पास ई-कचरे के सुरक्षित निपटान के स्पष्ट आशय के साथ उचित जानकारी होनी चाहिए।
- यह भी महत्वपूर्ण है कि:
- उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाएं।
- रिवर्स लॉजिस्टिक्स को मजबूत करें।
- हितधारकों की क्षमता निर्माण करें।
- मौजूदा बुनियादी ढांचे में सुधार करें।
- उत्पाद डिजाइन में सुधार करें।
- इनपुट नियंत्रण को युक्तिसंगत बनाएं (विशेष रूप से ‘दुर्लभ मृदा तत्वों’ को ‘महत्वपूर्ण कच्चे माल’ के रूप में परिभाषित करके)।
- हरित खरीद प्रथाओं को अपनाएं।
- एक मजबूत संग्रह और पुनर्चक्रण प्रणाली सुनिश्चित करें।
संबंधित लिंक:
Sansad TV Perspective: Episode on 22nd August, 2022: Tackling E waste
सारांश:
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नई स्टार्ट (START) संधि पर ठहराव:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: विकसित विश्व की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: नई स्टार्ट (START) संधि।
प्रारंभिक परीक्षा: नई स्टार्ट (START) संधि।
प्रसंग:
- रूसी राष्ट्रपति ने नई स्टार्ट (START) संधि में अपनी भागीदारी को निलंबित करने की घोषणा कर दी (फरवरी 2023)।
विवरण:
- यूक्रेन में रूस के “विशेष सैन्य अभियान” की पहली वर्षगांठ (23 फरवरी 2023) की पूर्व संध्या पर, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि रूस अमेरिका के साथ अंतिम शेष परमाणु हथियार नियंत्रण संधि (न्यू स्टार्ट) को एकतरफा रूप से निलंबित कर रहा है।
- अमेरिकी विदेश मंत्री, एंटनी ब्लिंकेन ने इस कदम को “अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण और गैर-जिम्मेदाराना” करार दिया।
- स्टार्ट (START) संधि पर 1982 में रोनाल्ड रीगन और मिखाइल गोर्बाचेव, क्रमशः अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ के तत्कालीन नेताओं द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
अधिक जानकारी के लिए, यहां पढ़ें: Strategic Arms Reduction Treaty [New START Treaty]
पृष्ठभूमि का विवरण:
- अमेरिका और रूस एक दूसरे के परमाणु शस्त्रागार को कम करने और उस पर नियंत्रण रखने के लिए कई द्विपक्षीय वार्ताओं में संलग्न हैं।
- उदाहरण के लिए, रणनीतिक आयुध सीमा वार्ता (SALT) 1969 में पहला औपचारिक संवाद था।
- 1972 में एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम्स संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें आने वाली मिसाइलों को मार गिराने के लिए प्रावधान किया गया था। इस समझौते से अमेरिका 2002 में एकतरफा रूप से बाहर हो गया था।
- 1991 में, सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि (START I) पर हस्ताक्षर किए गए (यह 2009 में समाप्त हो गई थी)।
- सामरिक आक्रामक न्यूनीकरण संधि (SORT या मास्को संधि) पर 2002 में हस्ताक्षर किए गए थे। हालाँकि, इसे 2010 में नई START संधि द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया था।
- नई स्टार्ट संधि मॉस्को और वाशिंगटन, जिनके पास दुनिया के परमाणु शस्त्रागार का 90% हिस्सा है, के बीच अंतिम शेष परमाणु शस्त्र नियंत्रण समझौता था।
नई स्टार्ट संधि के बारे में विवरण:
- इस पर पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने हस्ताक्षर किए थे। यह फरवरी 2011 में लागू हुई थी।
- 2021 में इसे पांच साल के लिए बढ़ा दिया गया था।
- संधि के मुताबिक, अमेरिका और रूस 1,550 से अधिक सामरिक परमाणु हथियार और 700 से अधिक लंबी दूरी की मिसाइल और बमवर्षक तैनात नहीं कर सकते।
- यह दोनों देशों के लिए तैनात और गैर-तैनात प्रक्षेपक और डिलीवरी वाहनों की संख्या को 800 तक सीमित करता है।
- इसके अतिरिक्त, यह दोनों देशों को यह जांचने के लिए सालाना सामरिक परमाणु हथियार साइटों के 18 शॉर्ट-नोटिस (32 घंटे) ऑन-साइट निरीक्षण करने की अनुमति देता है कि दूसरे देश ने संधि में निर्धारित सीमाओं का उल्लंघन तो नहीं किया है।
- रूस और अमेरिका को साल में दो बार बैलिस्टिक मिसाइलों, बमवर्षकों, परीक्षण स्थलों, परमाणु ठिकानों आदि पर डेटा का आदान-प्रदान करना चाहिए।
- यह दोनों देशों को अपने स्टॉकपाइल में नए बदलाव या अपडेट के पांच दिनों के भीतर सूचनाएं भेजना भी अनिवार्य करता है। उदाहरण के लिए, मिसाइलों को एक नए बेस पर ले जाना या सिस्टम में एक नया वारहेड तैनात करना।
- समझौते ने दोनों देशों को अपने भंडार को कम करने के लिए सात साल का समय दिया था। नतीजतन, 2018 में दोनों राष्ट्रों ने संधि द्वारा निर्धारित हथियारों की सीमा को पूरा किया।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि निरीक्षणों को मार्च 2020 (कोविड-19 के कारण) में रोक दिया गया था।
रूस का पक्ष:
- रूसी राष्ट्रपति ने तर्क दिया कि जहाँ अमेरिका संधि के तहत रूसी परमाणु सुविधाओं के निरीक्षण को फिर से शुरू करने पर जोर दे रहा था, वहीं नाटो (NATO) सहयोगी यूक्रेन को उन रूसी हवाई ठिकानों पर ड्रोन हमले करने में मदद कर रहे थे जहाँ रूस के परमाणु-सक्षम सामरिक बमवर्षक मौजूद हैं।
- रूस ने यह भी बताया है कि ब्रिटेन और फ्रांस के परमाणु हथियार नाटो की परमाणु क्षमता का हिस्सा थे, लेकिन वह अमेरिका-रूस समझौते में शामिल नहीं थे।
- अमेरिका पर विशिष्ट अमेरिकी सुविधाओं के दौरे के लिए रूसी अनुरोधों को अस्वीकार करने का भी आरोप है।
इस कदम के परिणाम:
- विश्लेषकों का सुझाव है कि इस कदम से दोनों शक्तियों के बीच हथियारों की दौड़ तुरंत शुरू नहीं होगी, क्योंकि रूस संधि से बाहर नहीं हुआ है बल्कि उसने केवल इसे “निलंबित” किया है।
- इसके अलावा, रूसी प्रशासन ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह न्यू स्टार्ट में निर्धारित वारहेड्स की सीमा का उल्लंघन करने की योजना नहीं बना रहा है।
- इसी तरह, रूसी विदेश मंत्री के एक अन्य बयान के अनुसार रूस अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) के नियोजित परीक्षणों के बारे में अमेरिका को सूचित करना जारी रखेगा।
- यह भी रेखांकित किया गया है कि यह कदम एक राजनीतिक संदेश है जो दर्शाता है कि रूस अब यह नहीं सोचता है कि परमाणु हथियार नियंत्रण द्विपक्षीय संबंधों (रूस-यूक्रेन संघर्ष) से अलग मुद्दा है।
- पर्यवेक्षकों का विचार है कि रूस के कदम से दो सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों के बीच परमाणु हथियारों के नियंत्रण की गणना बाधित होगी।
- यह अन्य परमाणु-सशस्त्र देशों, विशेष रूप से चीन और अन्य (पाकिस्तान, ईरान, इज़राइल और भारत) को अपने शस्त्रागार बढ़ाने का अवसर भी देगा।
- इसमें अमेरिका और चीन के बीच हथियार नियंत्रण सहयोग को बाधित करने की भी क्षमता है।
संबंधित लिंक:
Nuclear Arms Control – Non-Proliferation Treaty & India and US Nuclear Deal
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1.राष्ट्रीय विज्ञान दिवस:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: सामान्य विज्ञान।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय विज्ञान दिवस और सर सी.वी. रमन।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस:
- भारत हर साल 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाता है।
- वर्ष 1986 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में चिन्हित किया था।
- राष्ट्रीय विज्ञान दिवस हर साल सर सी.वी. रमन द्वारा “रमन प्रभाव” की खोज के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- भौतिक विज्ञानी सर सीवी रमन ने रमन प्रभाव (Raman Effect) की खोज के लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार जीता था।
- भारत की G20 अध्यक्षता के आलोक में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2023 की थीम “वैश्विक कल्याण के लिए वैश्विक विज्ञान” है।
- राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से संबंधित अधिक जानकारी के निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: National Science Day
सर सी वी रमन:
- सर सी.वी. रमन का जन्म 7 नवंबर 1888 को आधुनिक तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था।
- कम उम्र से ही रमन विज्ञान के संपर्क में आ गए थे या उसमें अत्यधिक रूचि रखने लगे थे।
- वह एक मेधावी छात्र थे और वर्ष 1902 में केवल 13 वर्ष की आयु में उन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया।
- वर्ष 1904 में भौतिकी में स्वर्ण पदक के साथ उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
- उन्होंने 1907 में मद्रास विश्वविद्यालय से विशेष योग्यता के साथ स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
- उन्होंने कलकत्ता में इंडियन एसोसिएशन फॉर कल्टिवेशन ऑफ साइंसेज ((IACS)) में शोध करना जारी रखा और ‘नेचर’ और ‘फिजिक्स रिव्यू’ जैसी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में पत्र भी प्रकाशित किए।
- IACS में ही रमन ने अपने सहयोगियों के साथ वह खोज की थी जिसे अब “रमन प्रभाव” के नाम से जाना जाता है।
- प्रकाश के प्रकीर्णन पर यह खोज 28 फरवरी, 1928 को की गई थी।
- इस प्रभाव ने प्रकाश की क्वांटम प्रकृति को सिद्ध किया और उस समय इस खोज का बहुत अधिक महत्व था।
- रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी इस घटना पर आधारित थी।
- इस खोज के लिए रमन को वर्ष 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह विज्ञान के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले भारतीय, एशियाई और गैर-श्वेत व्यक्ति बने।
- वर्ष1933 में, वे बैंगलोर में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के पहले भारतीय निदेशक बने। वे 1937 तक इस संस्थान के निदेशक और 1948 तक भौतिकी विभाग के प्रमुख रहे।
- 1948 में, उन्होंने भौतिकी में प्रयोग करने के लिए बैंगलोर में रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (RRI) की स्थापना की। उन्होंने 1970 में अपनी मृत्यु तक RRI में शोध करना जारी रखा।
सम्मान और पुरस्कार:
- नाइटहुड – 1929
- नोबेल पुरस्कार (भौतिकी) – 1930
- भारत रत्न – 1954
- लेनिन शांति पुरस्कार – 1957
2.1951 के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और उत्तरदायित्व – चुनाव आयोग
प्रारंभिक परीक्षा: चुनाव आयोग (EC) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126
प्रसंग:
- चुनाव आयोग (Election Commission (EC)) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर से मेघालय के उप मुख्यमंत्री से संबंधित एक वीडियो पोस्ट को हटाने के लिए कहा है, क्योंकि यह पाया गया की इस विडियो का कंटेंट 1951 के जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126:
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP अधिनियम), 1951 की धारा 126, अन्य बातों के साथ-साथ सार्वजनिक सभाओं, जुलूसों आदि के माध्यम से चुनाव प्रचार गतिविधियों को प्रतिबंधित करती है।
- RP अधिनियम, 1951 की धारा 126 मतदान के समापन के लिए नियत मतदान से 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान सार्वजनिक सभाओं के निषेध से संबंधित है।।
धारा 126 (1) के अनुसार:
- धारा 126 (1) (a): कोई भी व्यक्ति चुनाव के संबंध में किसी भी सार्वजनिक बैठक या जुलूस को आयोजित नहीं करेगा, उसमें शामिल नहीं होगा या उसे संबोधित नहीं करेगा।
- धारा 126(1)(b): कोई भी व्यक्ति सिनेमैटोग्राफ, टेलीविजन या इसी तरह के अन्य माध्यमों से जनता के समक्ष कोई चुनावी सामग्री प्रदर्शित नहीं करेगा।
- धारा 126(1)(c): कोई भी व्यक्ति किसी भी मतदान क्षेत्र में किसी भी चुनाव के लिए मतदान के समापन के लिए निर्धारित घंटे के साथ समाप्त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान जनता के लिए किसी भी चुनाव मामले का प्रचार नहीं करेगा।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126(2) जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 126(1) के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों के लिए दो वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान करती है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए:Representation of People Act, 1951
3.हिंदुस्तान 228-201 LW विमान:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय: रक्षा और सुरक्षा।
प्रारंभिक परीक्षा: हिंदुस्तान 228-201 LW विमान से संबंधित जानकारी।
प्रसंग:
- नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation (DGCA)) ने हिंदुस्तान 228-201 LW विमान के एक नए संस्करण को मंजूरी प्रदान कर दी है।
हिंदुस्तान 228-201 LW विमान:
- हिंदुस्तान 228-201 LW विमान रक्षा PSU, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है।
- हिंदुस्तान 228-201 LW HAL के जर्मन डोर्नियर-228 विमान का संशोधित संस्करण है।
- डॉर्नियर-228 विमान का उपयोग भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल द्वारा कम दूरी की समुद्री गश्त और निगरानी के लिए किया जाता रहा है।
- 2016 में, HAL ने हिंदुस्तान 228 संस्करण के लॉन्च के साथ विमान का नागरिक संस्करण तैयार करने का फैसला किया था।
- HAL ने डॉर्नियर 228 में FLIR सिस्टम, सैटेलाइट कम्युनिकेशन टूल्स, ESM टेक्नोलॉजी, स्पीच एनक्रिप्शन आदि जैसी उन्नत सुविधाएं जोड़ी हैं।
- HAL के अनुसार, विमान के हिंदुस्तान 228-201 LW संस्करण में 19 यात्रियों के साथ 5,695 किलोग्राम तक का अधिकतम वजन ले जाने की क्षमता है और यह विमान उप-5,700 किलोग्राम विमान श्रेणी में आता हैं।
- विमान का यह संस्करण विभिन्न परिचालन लाभ प्रदान करता है जैसे पायलट योग्यता आवश्यकताओं में कमी, सक्षम पायलटों को विमान उड़ाने के लिए वाणिज्यिक लाइसेंस, कम परिचालन लागत और कम प्रशिक्षण आवश्यकताएं।
- डोर्नियर एयरक्राफ्ट से संबंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Dornier Aircrafts
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ओडिशा के जाजपुर में मिला 1,300 साल पुराना बौद्ध स्तूप:
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India (ASI)) को ओडिशा के जाजपुर जिले में एक खनन स्थल के बीच में 1,300 साल पुराना एक स्तूप मिला है,यह वह स्थान हैं जहां से पुरी में जगन्नाथ मंदिर के आसपास परियोजना ( project around the Jagannath Temple in Puri) के लिए खोंडालाइट पत्थरों की खुदाई की गई थी।
- प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, स्तूप 4.5 मीटर लंबा है और 7वीं या 8वीं शताब्दी का हो सकता है।
- यह स्तूप ललितगिरि के पास स्थित परभदी में मिला था जो की एक प्रमुख बौद्ध परिसर स्थल था, जिसमें बड़ी संख्या में स्तूप और मठ मौजूद थे।
- खनन स्थल से बौद्ध स्तूप की खोज के बाद, ASI ने इस खुदाई में हस्तक्षेप किया और ओडिशा सरकार से उस स्थान पर खनन रोकने के लिए कहा।
- ASI अब इस संरचना की पुरातात्विक विरासत को पूरी तरह से पुनः प्राप्त करने का प्रयास करेगा, तथा इसे अपने मूल रूप में पुनर्स्थापित कर इस साइट की सुरक्षा करेगा।
- विशेषज्ञों की राय है कि राज्य सरकार को खनन की अनुमति देने से पहले पुरातात्विक महत्व के किसी भी स्थान के पास स्थित किसी भी साइट की विरासत का मूल्यांकन करना चाहिए, क्योंकि स्तूप जैसी छोटी कलाकृतियों के एक बार नष्ट हो जाने पर उन्हें पुनः अपने पूर्वाकार में प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
2.U.K., EU ने उत्तरी आयरलैंड व्यापार समझौते पर नई शुरुआत की:
चित्र स्रोत: BBC
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने उत्तरी आयरलैंड के लिए ब्रेक्सिट के बाद के व्यापार नियमों पर यूरोपीय संघ (EU) के साथ एक नए समझौते पर बातचीत की है।
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री के अनुसार यह समझौता लंदन के साथ संबंधों में एक नए अध्याय का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- उत्तरी आयरलैंड जो एक ब्रिटिश प्रांत है, की सीमा आयरलैंड के साथ लगती है, जो यूरोपीय संघ का एक सदस्य है।
- इस समझौते के द्वारा 2020 के बाद की ब्रेक्सिट व्यवस्था के कारण उत्तरी आयरलैंड और आयरलैंड गणराज्य के साथ इसकी खुली सीमा को नियंत्रित करने वाले तनाव को हल करने का प्रयास किया जा रहा है।
- इस मुद्दे ने क्षेत्रीय सरकार के पतन को गति दी है, और उत्तरी आयरलैंड की शांति प्रक्रिया और ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच संबंधों को प्रभावित किया है।
- नए समझौते से ब्रिटेन के अन्य हिस्सों से उत्तरी आयरलैंड में आने वाले सामानों की भौतिक जांच में आसानी होने की उम्मीद है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. विधान परिषदों के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सत्य है/हैं? (स्तर – कठिन)
- विधान सभा के विपरीत, यह एक स्थायी सदन है।
- इसके कुल सदस्यों का 1/12वां भाग राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है।
- किसी राज्य की विधान परिषद का सदस्य होने के लिए व्यक्ति को उस राज्य का निर्वाचक या निवासी होना चाहिए।
विकल्प
- 1 और 2
- 2 और 3
- 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: विधान सभा के विपरीत, विधान परिषद विघटित नहीं होती और इसलिए यह विधान सभा और संसद द्वारा नियत प्रक्रिया द्वारा समाप्त किए जाने तक एक स्थायी निकाय है।
- कथन 2 गलत है: विज्ञान, साहित्य, सहकारिता आंदोलन, कला और समाज सेवा जैसे मामलों में ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में से विधान परिषद के सदस्यों का छठा हिस्सा राज्यपाल द्वारा नामित किया जाता है।
- कथन 3 सही है: एक व्यक्ति चुनाव द्वारा भरी जाने वाली राज्य की विधान परिषद में एक सीट के लिए चुने जाने के लिए तब तक योग्य नहीं होगा जब तक कि वह उस राज्य के किसी विधानसभा क्षेत्र का एक निर्वाचक न हो।
प्रश्न 2. सिकल सेल रोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कितने सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- सरकार भारत में इस बीमारी को 2047 तक खत्म करने के लिए एक मिशन शुरू करने की योजना बना रही है।
- इसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत कवर किया गया है।
- यह एक वंशानुगत अनुवांशिक रोग है।
विकल्प:
- केवल एक कथन
- केवल दो कथन
- सभी तीनों कथन
- कोई भी नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: केंद्रीय वित्त मंत्री ने केंद्रीय बजट 2023-24 पेश करते हुए घोषणा की है कि सरकार सिकल सेल एनीमिया को 2047 तक खत्म करने के लिए “मिशन मोड” में काम करेगी।
- कथन 2 सही है: सिकल सेल रोग को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कवर किया गया है और सिकल सेल रोग के लिए मुफ्त में पूर्ण उपचार प्रदान किया जाता है।
- कथन 3 सही है: सिकल सेल रोग एक वंशानुगत आनुवंशिक रक्त विकार या लाल रक्त कोशिका (RBC) का विकार है।
प्रश्न 3. अग्निपथ योजना के बारे में इनमें से कौन-सा/कौन-से कथन सत्य है/हैं? (स्तर – सरल)
- इसमें हर साल 18-25 साल के युवाओं की भर्ती की जाएगी।
- भर्ती हुए युवाओं में से 75% सिर्फ 4 साल ही नौकरी करेंगे।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: अग्निपथ योजना भारत सरकार द्वारा सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए व्यक्तियों को नियुक्त करने के लिए शुरू की गई थी।
- इस योजना के तहत आवेदन करने की न्यूनतम आयु 17.5 वर्ष और अधिकतम आयु 21 वर्ष है।
- कथन 2 सही है: अग्निपथ योजना के अनुसार, नौकरी पर चार साल पूरे होने के बाद, 75% सैनिकों को उनकी सेवाओं से मुक्त कर दिया जाएगा और स्थायी कमीशन के तहत केवल 25% को अगले 15 वर्षों तक सेवा जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।
प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन-सा/से सत्य है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- लोच-रहित उत्पाद वे होते हैं जिनकी मांग या आपूर्ति उनकी कीमत के साथ तेजी से बदलती है।
- नष्ट होने वाली (पेरिशेबल) वस्तुओं की आपूर्ति लोच-रहित होती है।
- खाद्य वस्तुओं की मांग लोच-रहित होती है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 2
- 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: लोच-रहित उत्पाद वे होते हैं जिनकी कीमतों में बदलाव के सापेक्ष मांग में बदलाव नहीं होता है।
- यानी कीमत में बदलाव होने पर भी ऐसी वस्तुओं या सेवाओं की मांग अपरिवर्तित रहती है।
- कथन 2 सही है: नष्ट होने वाली (पेरिशेबल) वस्तुओं की आपूर्ति लोच-रहित होती है क्योंकि ऐसी वस्तुओं की आपूर्ति को आसानी से बढ़ाया या घटाया नहीं जा सकता है।
- कथन 3 सही है: भोजन की मांग अपेक्षाकृत लोच-रहित होती है क्योंकि इसे एक बुनियादी आवश्यकता माना जाता है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन वैध मुद्रा (लीगल टेंडर मनी) के अर्थ को सही वर्णित करता है? PYQ 2018 (स्तर – मध्यम)
- न्यायालय में विधिक मामलों के लिए फीस के चुकाने में जो मुद्रा दी जाती है।
- वह मुद्रा जो कोई ऋणदाता अपने दावों के निपटाने में स्वीकार करने के लिए बाध्य होता है।
- चैक, ड्राफ्ट, विनिमय बिलों, आदि के रूप में बैंक मुद्रा
- किसी देश में चलन में धातु का मुद्रा।
उत्तर: b
व्याख्या:
- वैध मुद्रा (लीगल टेंडर मनी) का मतलब बैंक नोट और सिक्कों से है जो ऋण के भुगतान के लिए पेश किए जाते हैं और जिन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए।
- वैध मुद्रा (लीगल टेंडर मनी) वे मुद्राएं हैं जिन्हें किसी भी प्रकार के लेन-देन के निपटान के लिए देश के किसी भी नागरिक द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2022 का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। LINK
(15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-3, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी]
प्रश्न 2. क्या रूस द्वारा नई स्टार्ट (START) संधि के निलंबन से विश्व में हथियारों की एक नई दौड़ शुरू हो जाएगी? मूल्यांकन कीजिए। LINK (15 अंक, 250 शब्द) [जीएस-2, अंतर्राष्ट्रीय संबंध]