विषयसूची:
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1. भारत में तस्करी (स्मगलिंग इन इंडिया) रिपोर्ट 2021-22 जारी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथकरण,विवाद निवारण तंत्र और संसथान।
प्रारंभिक परीक्षा: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी),राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: “भारत में तस्करी (स्मगलिंग इन इंडिया) रिपोर्ट 2021-22” के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के तत्वावधान में काम करने वाली शीर्ष तस्करी विरोधी खुफिया जांच एजेंसी, राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) ने 5 दिसंबर 2022 को नई दिल्ली में अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया।
उद्देश्य:
- वित्त मंत्री ने कहा कि डीआरआई के अनुकरणीय प्रदर्शन ने अन्य प्रवर्तन एजेंसियों के लिए मानदंड को और ऊंचा कर दिया है। यह भारत में विशेष रूप से दवाओं और सोने की तस्करी का पता लगाने की बारीकी से निगरानी कर रही है।
विवरण:
- इस अवसर पर केंद्रीय वित्त मंत्री ने “भारत में तस्करी (स्मगलिंग इन इंडिया) रिपोर्ट 2021-22” भी जारी की, जिसमें सोने की तस्करी, मादक औषधियों (नारकोटिक्स ड्रग्स) और साइकोट्रोपिक पदार्थों, वन्यजीवों, वाणिज्यिक धोखाधड़ी और अंतर्राष्ट्रीय प्रवर्तन संचालन और सहयोग जैसे रुझानों का विश्लेषण किया गया है।
- राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence – DRI) ने 2021-22 (FY 2022) में 405.35 करोड़ रुपए का 833.07 किलोग्राम तस्करी का सोना जब्त किया। जब्त किए गए सोने की सबसे बड़ी मात्रा म्यांमार की है, ज्यादातर सोना म्यांमार का बना हुआ है। 2019-20 के मुकाबले इसमें एक बड़ा अंतर देखा गया है, जहां पहले सबसे अधिक हिस्सा पश्चिम एशिया से आता था अब वहीं वित्त वर्ष 2021 में जब्त किया गया 1,199.4 करोड़ रुपये के कुल सोने का 69 फीसदी म्यांमार का बना हुआ था।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा DRI के 65वें स्थापना दिवस पर जारी की गई “स्मगलिंग इन इंडिया 2021-22” रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2022 में जब्त किए गए सोने का 37 प्रतिशत म्यांमार से आया था। इसका 20 फीसदी हिस्सा पश्चिम एशिया से आया है। कुल मिलाकर तस्करी का 73 % सोना म्यांमार और बांग्लादेश के जरिए भारत लाया गया था।
- इस रिपोर्ट में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर बढ़ती निगरानी ने पश्चिम एशिया से हवाई मार्ग के द्वारा हो रही तस्करी को भूमि मार्ग, अर्थात चीन-म्यांमार-भारत सीमाओं के माध्यम से करने पर मज़बूर कर दिया।
- इस रिपोर्ट के मुताबिक मणिपुर और मिजोरम वो प्रमुख राज्य है जहां से म्यांमार का सोना आता था।
- सबसे अधिक तस्करी का सोना, 21.37 प्रतिशत, वाहनों से जब्त किया गया। इसके बाद कोरियर, कपड़े और बॉडी से। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि ईंधन टैंक, डैशबोर्ड, एसी फ़िल्टर, सीटें, व्हील एक्सल, चेसिस कैविटी और स्पेयर टायर के लिए वाहनों में विशेष रूप से बनाए गए कैविटी को तस्करी के सामान को छुपाने के उपयोग में लिया जाता है।
- बहुमूल्य धातु होने की वजह से सोने की तस्करी होती है। इसके दो प्रमुख कारण सोने की भारी मांग और बढ़ा हुआ आयात शुल्क हैं। साथ ही सोने के मूल्य की स्थिरता और उच्च तरलता इसके तस्करी के अन्य कारण रहे हैं।
- भारत सोने का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक और स्वर्ण आभूषणों का सबसे बड़ा निर्यातक है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) के अनुसार, भारतीय घरों में 25,000 टन तक सोना जमा है।
2. अबू धाबी स्पेस डिबेट:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: अबू धाबी स्पेस डिबेट और भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत द्वारा अंतरिक्ष क्षमताओं का प्रयोग कर अपनी सॉफ्ट पॉवर का विस्तार करना।
प्रसंग:
- “अबू धाबी स्पेस डिबेट” के लिए आधिकारिक भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए वाले डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष उद्योग आज पूरी दुनिया में दो चीजों के लिए प्रसिद्ध है – विश्वसनीयता और अर्थव्यवस्था।
विवरण:
- भारत विदेशी सरकार और निजी क्षेत्र की संस्थाओं के अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रवेश की सुविधा के लिए इस क्षेत्र में स्टार्ट-अप के विकास को भी काफी बढ़ावा दे रहा है।
- मंत्री महोदय ने आज भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी बताते हुए यह दोहराया कि भारत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ अपने अंतरिक्ष सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का इच्छुक है।
- डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष उद्योग आज दो चीजों – विश्वसनीयता और अर्थव्यवस्था के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
- भारत को अपने प्रमुख अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान – पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) के लिए दुनिया में अधिकतम सफलता अनुपात अर्जित होने पर गर्व है।
- कुछ सप्ताह पहले ही भारत के PSLV ने विकसित और विकासशील दोनों देशों के 36 उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अब तक 100 से अधिक उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं और जीसैट, पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों और अंतरिक्ष आधारित सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के लिए व्यापक इन-हाउस उपग्रह निर्माण क्षमताएं हैं।
- भारत ने अपना जीपीएस भी विकसित कर लिया है, जिसे हम इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम या आईआरएनएसएस कहते हैं।
- 2013 में भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन के सफल लॉन्च के अलावा, भारत ने चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 के नाम से जाने जाने वाले अपने मिशन को चंद्रमा पर भेजने का दो बार प्रयास किया है। चंद्रमा के लिए तीसरा उपग्रह मिशन, चंद्रयान-3 अगले साल लॉन्च किया जाएगा।
- भारत के अन्य प्रमुख अंतरिक्ष कार्यक्रमों में मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र है जिसे हम भारत में गगनयान परियोजना कहते हैं। इसके तहत हम 2024 में अंतरिक्ष में अपनी पहली चालक दल की उड़ान भेजने की योजना बना रहे हैं।
- डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘वासुदेव कुटुम्बकम’ के भारतीय दर्शन जिसका अर्थ है – विश्व एक परिवार है, के आलोक में भारत सभी देशों तक पहुंचने और अंतरिक्ष क्षेत्र में सरकारों और निजी संस्थाओं के बीच घनिष्ठ सहयोग स्थापित करने के लिए अंतरिक्ष विकास के लाभों को साझा करना चाहता है।
- इस विचार के साथ, भारत ने हाल ही में ऐतिहासिक सुधार किए हैं, जिससे हमारी सर्वोत्तम शोध क्षमता के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी का लाभ उठाने के लिए हम नीतिगत पहल की ओर अग्रसर हैं।
- भारत विदेशी सरकार और निजी क्षेत्र की संस्थाओं के प्रवेश की सुविधा के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स के विकास को भी बढ़ावा दे रहा है। इस संबंध में, भारत ने भारतीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र या इन-स्पेस नामक एक समर्पित संगठन की स्थापना की है, जिसे अंतरिक्ष क्षेत्र में हमारी नई निजी संस्थाओं के साथ समन्वय करने का कार्य सौंपा गया है।
- संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत की सक्रिय अंतरिक्ष साझेदारी 2017 से है, जब हमारे PSLV ने पर्यावरणीय अंतरिक्ष डेटा एकत्र करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात का पहला नैनोसैटेलाइट – ‘नायिफ-1’ लॉन्च किया था।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.‘टेक्नोटेक्स 2023’:
- टेक्निकल टेक्सटाइल्स से जुड़ा भारत का प्रमुख शो –‘टेक्नोटेक्स 2023’ 22 फरवरी से 24 फरवरी 2023 के दौरान मुंबई में आयोजित किया जाएगा।
- भारत में टेक्निकल टेक्सटाइल उद्योग का यह सबसे बड़ा आयोजन है।
- राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा मिशन (एनटीटीएम) के तहत फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स इंडस्ट्री के सहयोग से भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
- ‘टेक्नोटेक्स 2023’ का आयोजन उस समय पर किया जा रहा है, जब भारत ने G-20 की अध्यक्षता संभाली है। “G-20 की अध्यक्षता भारत को वैश्विक महत्व के तात्कालिक मामलों पर वैश्विक एजेंडे में योगदान करने का एक असाधारण अवसर प्रदान करती है”।
- ‘टेक्नोटेक्स 2023’ दुनिया भर में सबसे तेजी से बढ़ने वाली श्रेणी का प्रतिनिधित्व करने वाले स्टार्टअप उद्यमियों के लिए एक अच्छा अवसर प्रदान करेगा।
- “टेक्निकल टेक्सटाइल क्षेत्र में स्टार्टअप की उच्च संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, ‘टेक्नोटेक्स 2023’ स्टार्टअप उद्यमों को सशक्त बनाने, उत्कृष्ट कार्य प्रणाली के संबंध में ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और स्टार्टअप के लिए उद्यमशीलता इकोसिस्टम की क्षमता विकसित करने से संबंधित चर्चा पर ध्यान केन्द्रित करेगा।”
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लिंक किए गए लेख में 04 दिसंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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