विषयसूची:
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क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी:
विषय: सेना में स्वदेशी प्रक्षेपण प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा एवं इसका महत्व।प्रारंभिक परीक्षा: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ),क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल प्रणालीप्रसंग:
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय सेना ने ओडीशा तट के निकट एकीकृत परीक्षण क्षेत्र, चांदीपुर से क्विक रियक्शन सर्फेस टू एयर मिसाइल प्रणाली की छह उड़ानों का सफल परीक्षण किया है।
उद्देश्य:
- ये परीक्षण भारतीय सेना द्वारा किये जाने वाले मूल्यांकन परीक्षण का हिस्सा हैं।
विवरण:
- उड़ान परीक्षण उच्च गति वाले लक्ष्यों पर किया गया था।
- ये लक्ष्य वास्तविक खतरे के प्रकार के बनाये गये थे, ताकि विभिन्न हालात में हथियार प्रणालियों की क्षमता का आकलन किया जा सके।
- इसमें लंबी दूरी व मध्यम ऊंचाई वाले लक्ष्य, छोटी रेंज वाले लक्ष्य, ऊंचाई और राडार पर आसानी से पकड़ में न आने वाले लक्ष्य शामिल थे।
- इन सबको ध्यान में रखते हुये प्रणाली के काम करने का मूल्यांकन रात व दिन की परिस्थितियों में भी किया गया।
- इन परीक्षणों के दौरान, सभी निर्धारित लक्ष्यों को पूरी सटीकता के साथ भेदा गया।
- इसमें युद्धक सामग्री भी शामिल थी।प्रणाली के प्रदर्शन की पुष्टि आईटीआर द्वारा विकसित टेलीमेट्री, राडार और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली से भी की गई।
- डीआरडीओ और भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस परीक्षण में हिस्सा लिया।
- ये परीक्षण स्वदेश में विकसित समस्त उप-प्रणालियों की तैनाती के तहत किया गया, जिसमें स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर, मोबाइल लॉन्चर, पूरी तरह स्वचालित कमान और नियंत्रण प्रणाली, निगरानी और बहुपयोगी राडार शामिल है।
- क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली में विशिष्ट तथ्य यह हैं की यह चलित स्थिति में भी काम कर सकती है। इसमें थोड़ी सी देर रुककर तलाश, ट्रैकिंग और गोला-बारी करने की क्षमता है। पूर्व में इसका परीक्षण किया जा चुका है।
- क्यूआरएसएएम शस्त्र प्रणाली सशस्त्र बलों की शक्ति बढ़ाने में बहुत उपयोगी होगी।
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भारत –जापान 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:विषय: भारत के हितों पर विभिन्न अंर्तष्ट्रीय समूहों एवं विकसित और विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।प्रारंभिक परीक्षा: भारत –जापान 2+2 वार्ता
मुख्य परीक्षा: हाल में संपन्न हुई भारत –जापान 2+2 वार्ता पर प्रकाश डालते हुए हिन्द -प्रशांत क्षेत्र में इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 08 सितंबर, 2022 को टोक्यो में जापान के रक्षा मंत्री श्री यासुकाज़ु हमदा के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
उद्देश्य:
- दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग के साथ-साथ क्षेत्रीय मामलों के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा की।
- उन्होंने भारत-जापान रक्षा साझेदारी के महत्व तथा इसके स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिन्द -प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया।
विवरण:
- एशिया में दो सक्षम लोकतंत्र एक विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी का अनुसरण कर रहे हैं।
- यह वर्ष भारत और जापान दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम अपने कूटनीतिक संबंधों की स्थापना के 70 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और समृद्धि के लिए यह रिश्ता महत्वपूर्ण है।
- दोनों पक्षों ने सैन्य सहयोग और आदान-प्रदान के क्षेत्र में हुई प्रगति का उल्लेख किया।
- दोनों देशों ने तीनों सेनाओं और तटरक्षक बल के बीच स्टाफ और उच्च स्तरीय वार्ता शुरू की है।
- अब दोनों देश जापानी सेल्फ डिफेंस फोर्सेज के ज्वाइंट स्टाफ और भारत के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के बीच स्टाफ वार्ता आयोजित करने पर भी पर सहमत हो गए हैं।
- बहुपक्षीय अभ्यास मिलान में पहली बार जापान की भागीदारी और इस वर्ष मार्च में आपूर्ति और सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधानों की शुरुआत हमारी सेनाओं के बीच रक्षा सहयोग की प्रगति में मील का पत्थर है।
- हमें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि हमारी वायु सेनाएं वायु सेना के लड़ाकू अभ्यास के शीघ्र संचालन के लिए मिलकर काम कर रही हैं।
- दोनों देशों ने समुद्री डोमेन जागरूकता सहित समुद्री सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर व्यापक विचार-विमर्श किया है।
- दोनों पक्षों में इस बात पर सहमति बनी है कि राष्ट्रों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित स्वतंत्र, खुले, नियम-आधारित और समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए मजबूत भारत-जापान संबंध बहुत महत्वपूर्ण है।
- भारत की इंडो-पैसिफिकओशन इनिशिएटिव (आईपीओआई) और जापान के फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक (एफओआईपी) में कई समानताएं हैं ।
- भारत ने क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास (सागर) के समावेशी दृष्टिकोण के अनुरूप क्षेत्रीय भागीदारों के साथ समुद्री सहयोग भी मजबूत किया है।
- आसियान के साथ भारत के संबंध हमारी विदेश नीति का आधार बनकर उभरे हैं।
- एडीएमएम प्लस के माध्यम से, भारत और जापान दोनों आसियान और अन्य प्लस देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि समुद्री सुरक्षा, एचएडीआर, शांति अभियानों आदि सहित सभी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत किया जा सके।
- आज दोनों देशों में कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर अपने विचार साझा करने का अवसर मिला और अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप विवादों के शांतिपूर्ण समाधान की आवश्यकता पर सहमति बनी।
- दोनों मंत्रियों ने ‘धर्म गार्डियन’, ‘जिमेक्स’ और ‘मालाबार’ सहित द्विपक्षीय और बहुपक्षीय अभ्यासों को जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई ।
- उन्होंने इस वर्ष मार्च में अभ्यास ‘मिलन’ के दौरान आपूर्ति और सेवा समझौते के पारस्परिक प्रावधान के संचालन का स्वागत किया।
- दोनों मंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि उद्घाटन लड़ाकू अभ्यास के शीघ्र आयोजन से दोनों देशों की वायु सेनाओं के बीच अधिक सहयोग और अंतरपरिचालन का मार्ग प्रशस्त होगा।
- रक्षा मंत्री ने रक्षा उपकरण और तकनीकी सहयोग के क्षेत्र में साझेदारी के दायरे का विस्तार करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- उन्होंने जापानी उद्योगों को भारत के रक्षा गलियारों में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया।
- इस वर्ष भारत और जापान के बीच राजनयिक संबंधों के 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
- रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ आज द्वितीय भारत-जापान 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लेंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं।
08 सितंबर 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में PIB Hindi Analysis Summary के बारे में और पढ़ें।
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