विषयसूची:
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यूनाइटेड नेशंस कनवेंशन टू कॉम्बेट डेजर्टीफिकेशन (यूएनसीसीडी) की 15वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ दी पार्टीज (कॉप-15) का सत्र सम्मेलन:
सामान्य अध्ययन: 2,3
अंतर्राष्ट्रीय संबंध, पर्यावरण:
विषय: भारत के हितों पर विभिन्न अंर्तष्ट्रीय संघठनो एवं विकसित और विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: यूनाइटेड नेशंस कनवेंशन टू कॉम्बेट डेजर्टीफिकेशन (UNCCD),कॉप15 |
मुख्य परीक्षा: भूमि पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव विकसित देशों द्वारा उत्सर्जन में भारी कमी किए बिना लोगों और ग्रह दोनों की रक्षा करना संभव नहीं होगा, क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के लिए उनकी जिम्मेदारी सबसे अधिक है। विश्लेषण कीजिए।
प्रसंग:- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल कोटे डी आइवर आबिदजान पहुंचा और संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) पार्टियों के पंद्रहवें सत्र सम्मेलन, कोटे डी आइवर को संबोधित किया।
उद्देश्य:
- प्रतिनिधमंडल 9 मई से 20 मई, 2022 तक यूनाइटेड नेशंस कनवेंशन टू कॉम्बेट डेजर्टीफिकेशन (UNCCD ) के 15वीं कॉन्फ्रेंस ऑफ दी पार्टीज (कॉप-15) में हिस्सा ले रहा है।
- कोत दिव्वार के आबिदजान में नौ मई से 20 मई, 2022 तक चलने वाले यूएनसीसीडी के कॉप-15 में दुनिया भर का शीर्ष नेतृत्व, निजी सेक्टर, सिविल सोसायटी और अन्य प्रमुख हितधारक जुटे।
- इस दौरान जमीनों के भावी सतत प्रबंधन में प्रगति का जायजा लिया जायेगा तथा भूमि और अन्य प्रमुख महत्त्वपूर्ण मुद्दों के बीच कड़ियों की पड़ताल की जायेगी।
- इन मुद्दों पर 9-10 मई, 2022 को एक उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा की जायेगी। इस बैठक में देशों के शीर्ष प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
- इस दौरान उच्चस्तरीय गोल-मेज वार्ता भी होगी तथा संवाद सत्रों का आयोजन किया जायेगा। साथ ही सम्मेलन के साथ कई अन्य विशेष कार्यक्रम भी होंगे।
- सूखे,भूमि बहाली और भू-स्वामित्व, लैंगिक समानता और युवा सशक्तिकरण जैसे अन्य मुद्दों पर भी सम्मेलन में बातचीत की जायेगी।
- 9 से 20 मई 2022 तक अबिडजान, कोटे डी आइवर में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) के पार्टियों के सम्मेलन (कॉप15) का पंद्रहवां सत्र, सरकारों, निजी क्षेत्र, नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं को एक साथ लाएगा।
- समाज और दुनिया भर के अन्य प्रमुख हितधारक भूमि के भविष्य के स्थायी प्रबंधन में प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए और भूमि व अन्य प्रमुख स्थिरता संबंधी मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
- इन मुद्दों पर उच्च स्तरीय खंड के दौरान चर्चा की जाएगी, जिसमें राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन, उच्च स्तरीय गोलमेज सम्मेलन और संवाद सत्र, साथ ही साथ कई अन्य विशेष कार्यक्रम शामिल हैं।
- सूखा, भूमि की बहाली, और भूमि अधिकार, लैंगिक समानता और युवा सशक्तिकरण जैसे संबंधित समर्थक सम्मेलन के एजेंडे में शीर्ष मदों में से हैं।
विवरण:
- केंद्रीय मंत्री ने कोटे डी आइवर के पंद्रहवें सत्र में संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन टू कॉम्बैट डेजर्टिफिकेशन (UNCCD) पार्टियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा की भूमि की देखभाल करने से हमें ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में मदद मिल सकती है। उन्होंने पर्यावरण के अनुरूप जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए जोर दिया।
- इस बात का दृढ़ता से उल्लेख करते हुए कि भूमि की गिरती स्थिति पर लगाम लगाने के लिए ,”यह जरूरी है कि हम सामूहिक रूप से उपभोग-उन्मुख दृष्टिकोण से दूर हो जाएं। क्योंकि उपयोग करो और फेंक दो की मानसिकता ग्रह के लिए हानिकारक है।”
- उल्लेखनीय है कि भारत ने जमीन को रेतीला होने से रोकने के सम्बंध में संयुक्त राष्ट्र के समझौते पर कॉप-14 सम्मेलन की मेजबानी की थी।
- यह सम्मेलन नई दिल्ली में दो सितबंर से 13 सितंबर, 2019 तक हुआ था। भारत मौजूदा समय में भी इसका अध्यक्ष है।
- भूमि पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव पर बोलते हुए कहा कि विकसित देशों द्वारा उत्सर्जन में भारी कमी किए बिना लोगों और ग्रह दोनों की रक्षा करना संभव नहीं होगी क्योंकि ग्लोबल वार्मिंग के लिए उनकी जिम्मेदारी ऐतिहासिक और वर्तमान दोनों में सबसे अधिक है।
- कोविड महामारी के प्रभावों पर बोलते हुए, कहा कि इसने ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने की चुनौती को बढ़ा दिया है क्योंकि आर्थिक दबावों ने दुनिया भर में जलवायु कार्रवाई में देरी की या धीमा किया।
- दुनिया के शेष कार्बन बजट का तीव्र गति से क्षरण हो रहा है जिससे हम पेरिस समझौते में निर्धारित तापमान की सीमा के करीब पहुंच रहे हैं।
- 2019 से सीओपी की भारत की अध्यक्षता पर बोलते हुए, बताया कि सीओपी प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर खराब भूमि को बहाल करने की अपनी प्रतिबद्धता में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
- भूमि क्षरण तटस्थता लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रमुख पहल शुरू की गई हैं और मौजूदा कार्यक्रमों को मजबूत किया गया है।
- भारत ने पूरे देश में लागू किए गए मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम के माध्यम से अपनी मिट्टी के स्वास्थ्य की निगरानी में वृद्धि की है।
- 2015 और 2019 के बीच किसानों को 229 मिलियन से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किए गए हैं और इस कार्यक्रम से रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 8-10% की गिरावट आई है और उत्पादकता में 5-6% की वृद्धि हुई है।
- UNCCD की 197 पार्टियों द्वारा अपनाए गए अपने निर्णयों के माध्यम से, कॉप15 से भूमि की बहाली और सूखे से बचाव के लिए स्थायी समाधान तैयार करने की उम्मीद है।
- कॉप-14 में प्रधानमंत्री ने घोषणा की थी कि “भारत भूमि की गुणवत्ता के क्षरण की स्थिति को रोकने और उसे बहाल करने के लिये अपनी जमीन का रकबा अब से 2030 के बीच 21 मिलियन हेक्टेयर से बढ़ाकर 26 मिलियन हेक्टेयर करेगा।”
- उस समय “…..इसके तहत सबसे ज्यादा परती और कमजोर जमीनों के 26 मिलियन हेक्टेयर रकबे के इको-सिस्टम को दुरुस्त करने तथा जमीन की उत्पादकता को बहाल करने पर ध्यान दिया जायेगा।
- इसमें कृषि योग्य परती जमीन, वन और अन्य फालतू पड़ी जमीनों पर जोर दिया जायेगा तथा उनकी बहाली का काम किया जायेगा।”
- कोविड महामारी के बावजूद, भारत ने यूएनसीसी कॉप-14 की अध्यक्षता के कालखंड के दौरान एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटना के तौर पर जी-20 नेतृत्व ने भी भूमि की गुणवत्ता के क्षरण को रोकने तथा कार्बन को रोकने के लिये प्राकृतिक पर्यावरण के महत्त्व को स्वीकार किया था।
- जी-20 ने सामूहिक रूप से एक खरब पेड़ लगाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया था, तथा अन्य देशों से आग्रह किया था कि वे 2030 तक जी-20 द्वारा निर्धारित इस लक्ष्य को पूरा करने के लिये जुट जायें।
- इसके अलावा 23/कॉप-14 के तहत जमीन के रेतीला होने की स्थिति का मुकाबला करने के लिये संयुक्त राष्ट्र समझौते के तहत सूखे के निदान के बारे में कारगर नीति तथा कार्यान्वयन उपायों के हवाले से एक अंतर-सरकारी कार्यसमूह का भी गठन पहली बार किया गया था। रिपोर्ट का मसौदा तैयार कर लिया गया है और कॉप-15 के मौजूदा सम्मेलन के दौरान उस पर चर्चा की जायेगी।
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एयर कार्गो फोरम इंडिया का वार्षिक समारोह-2022:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: उड्डयन के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना और नवाचार करना।
प्रारंभिक परीक्षा: एयर कार्गो फोरम इंडिया (एसीएफआई)।
प्रसंग:- केंद्रीय नागर विमानन मंत्री एयर कार्गो फोरम इंडिया (एसीएफआई) के वार्षिक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।
उद्देश्य:
- इस वार्षिक आयोजन की विषयवस्तु “10 मिलियन: दृष्टिकोण 2030; प्रेरणादायक, संवर्द्धन, परिचालन एयर कार्गो” थी।
विवरण:
- मंत्री ने इस समारोह में कार्गो क्षेत्र की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया की कोविड काल में पिछले 2 वर्षों के दौरान कार्गो क्षेत्र न केवल भारतीय उड्डयन के लिए बल्कि, वैश्विक विमानन के लिए एक भरोसेमंद क्षेत्र के रूप में सामने आया है।
- भारतीय कार्गो क्षेत्र में 2013-14 के बाद से 9-10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, पिछले 2 वर्षों के दौरान एयरलाइन कंपनियों के कार्गो राजस्व में 520 फीसदी की वृद्धि हुई है।
- वर्तमान में भारतीय कार्गो का राजस्व 31 लाख मीट्रिक टन भार के साथ 2,000 करोड़ रुपये है और इसका सीएजीआर (चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) 13 फीसदी है।
- आज भारत में 21 अंतरराष्ट्रीय और 35 घरेलू कार्गो टर्मिनल हैं।
- “कार्गो में 10 मिलियन मीट्रिक टन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उद्योग के कारोबारियों को टियर II और III शहरों से महानगरों तक छोटे कार्गो भार के परिवहन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, जिसे छोटे आकार के विमानों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।
- इसे सुविधाजनक बनाने के लिए हम 2024-2025 तक 33 नए घरेलू कार्गो टर्मिनल का निर्माण कर रहे हैं, जो कार्गो क्षेत्र के विकास और आगे बढ़ने में सहायक होगा।
- प्रक्रियाओं को कागज रहित बनाकर और ऑटोमेशन व डिजिटलीकरण को अपनाकर कार्गो क्षेत्र में व्यापार करने के लिए सुगमता पर काम करने की जरूरत है, जो कार्गो प्रसंस्करण को तेज कर सकता है।
- केंद्रीय मंत्री ने आगे हवाईअड्डों के लिए भौतिक बुनियादी ढांचे की योजना के बारे में भी जानकारी दी, जो कार्गो हैंडलिंग के लिए जरूरी हैं।
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना और मौजूदा ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों के विस्तार के मामले में 4 वर्षों में लगभग 98,000 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
- इसमें से एएआई के माध्यम से निजी क्षेत्र 62,000 करोड़ रुपये और भारत सरकार 36,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
- एएआई के माध्यम से सरकार 42 ब्राउन फील्ड हवाईअड्डों का विस्तार करेगी और 3 नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का निर्माण करेगी।
- वहीं, निजी क्षेत्र 7 मौजूदा ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों का विस्तार करेगा और नवी मुंबई, जेवार और मोपा में 3 नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों का निर्माण करेगा। मंत्री ने त्रिपुरा के कटहल का उदाहरण दिया, जिसकी ब्रिटेन व जर्मनी के बाजार में मांग है।
- वहीं, अब असम की किंग मिर्च और नींबू की लंदन में आपूर्ति की जा रही है। यह ए2ए यानी कृषि से उड्डयन का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- नागरिक उड्डयन मंत्रालय नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना और मौजूदा ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों के विस्तार के मामले में 4 वर्षों में लगभग 98,000 करोड़ रुपये खर्च करेगा।
पृष्ठ्भूमि:
- एयर कार्गो फोरम इंडिया (एसीएफआई) एयर कार्गो लॉजिस्टिक आपूर्ति श्रृंखला व्यापार और उद्योग के विभिन्न हितधारकों का एक संघ है, जिसकी स्थापना 14 सितंबर, 2012 को हुई थी। इन हितधारकों में फ्रेट फारवर्डर्स, एयरलाइन्स, हवाईअड्डा संचालक, कार्गो टर्मिनल संचालक, कस्टम हाउस एजेंट और एक्सप्रेस उद्योग शामिल हैं।
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एआईएम और नीति आयोग ने अकादमिक जगत के लोगों को गहन तकनीक वाले उत्पाद बनाने के लिए एम-प्राइम प्लेबुक जारी की:-
सामान्य अध्ययन: 2
जनकल्याणकारी पहल:
विषय: सरकार की योजनाएं,संस्थान संसाधन, विकास तथा रोजगार से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: एम-प्राइम कार्यक्रम,अटल नवाचार मिशन।
प्रसंग:- अटल नवाचार मिशन और नीति आयोग ने एम-प्राइम कार्यक्रम को शुरू किया था, जिसे वेंचर सेंटर, पुणे लागू कर रहा था, जबकि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय इसे सहायता दे रहा था। नई दिल्ली में एम-प्राइम प्लेबुक का विमोचन किया गया।
उद्देश्य:
- इस कार्यक्रम के साथ ही राष्ट्रव्यापी एम-प्राइम कार्यक्रम समाप्त हो गया है।
विवरण:
- एम-प्राइम (नवोन्मेष, बाजार के लिए तैयारी और उद्यमशीलता में शोध के लिए कार्यक्रम) कार्यक्रम शुरुआती स्तर के वैज्ञानिक आधार वाले, तकनीकी विचारों को प्रोत्साहित करने के लिए शुरू किया गया था।
- यह प्रोत्साहन 12 महीने तक एक मिश्रित पाठ्यक्रम से प्रशिक्षण और दिशा-निर्देश देकर दिया जाना था।
- इस कार्यक्रम के दूसरे फायदों में प्राइम प्लेबुक शामिल है, जो विज्ञान आधारित उपक्रमों और उद्यमियों के लिए एक निर्देश पुस्तिका है, प्राइम लाइब्रेरी- यह कार्यक्रम से जुड़े शिक्षकों और विशेषज्ञों द्वारा साझा किए गए स्त्रोत हैं, और प्राइम वीडियोज़ शामिल है।
- इस तक खुली पहुंच दी गई है। इसमें प्राइम क्लासरूम में दिए गए लेक्चर शामिल होंगे।
- एम-प्राइम कार्यक्रम विज्ञान आधारित गहन तकनीक वाली उद्यमिता को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित था।
- एम-प्राइम कार्यक्रम का पहला साल, भारत के लिए सुयोग्य उद्यमों को तेजी देने वाले तरीकों की खोज और उनके प्रदर्शन पर केंद्रित था, ताकि यह सभी उद्यमियों और नवीन अविष्कारकों के लिए उपलब्ध हो सके।
- साथ ही इससे प्लेबुक और कोर्स वीडियो भी बनाए गए हैं जो सभी के लिए उपलब्ध होंगे। दुनिया के किसी भी नवाचार परितंत्र से तुलना करें, यह गुणवत्ता वाला मूल्यवान योगदान है।
- एम-प्राइम कार्यक्रम के पहले समूह में विज्ञान आधारित स्टार्टअप, प्रशिक्षक उद्यमी और स्टार्टअप को मदद करने वाले प्रबंधक शामिल थे, जहां उन्होंने अपने विचारों को आगे बढ़ाने के लिए एक स्टार्टअप-प्रोत्साहक के साथ मिलकर काम किया।
- इस समूह में 40 संगठन, 64 भागीदार शामिल थे, यहां 7 राज्यों के 23 अलग-अलग शहरों का प्रतिनिधित्व था।
- इस समूह में विज्ञान आधारित कई क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व मौजूद था, जैसे- औद्योगिक स्वचालन, आईओटी, इलेक्ट्रॉनिक्स, रोबोटिक्स, ऊर्जा और पर्यावरण, स्वास्थ्य और पुनर्वास, और खाद्य, पोषण व कृषि।
- इस कार्यक्रम के तहत 17 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों को सदस्य बनाया गया था।
पृष्ठ्भूमि:
अटल नवाचार मिशन के बारे में:
- देशभर में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति का निर्माण करने तथा बढ़ावा देने के लिए अटल नवाचार मिशन भारत सरकार की प्रमुख पहल है।
- एम का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के भिन्न क्षेत्रों में नई योजना और नीति विकसित कर नवीनीकरण को प्रोत्साहन देना, भिन्न हितधारकों के लिए मंच उपलब्ध करवाना और सहयोगात्मक अवसर सुनिश्चित करना, देश में नवीनीकरण और उद्यमिता की देखरेख के लिए एक वृहद मंच बनाना है।
वेंचर सेंटर के बारे में:
- पुणे का वेंचर सेंटर विज्ञान आधारित व्यापार और नवाचार स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने वाला भारत का प्रमुख केंद्र है।
- यह सीएसआईआर- राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला, पुणे, द्वारा आयोजित एक गैर-लाभकारी, स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने वाला संस्थान है।
- साथ ही यह पुणे ज्ञान समूह का हिस्सा है। 2015 और 2019 में वेंचर सेंटर ने स्टार्टअप प्रोत्साहन और स्टार्टअप परितंत्र को बनाने के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीते।
- इसने 2018 में “एशिया इनक्यूबेटर ऑफ द ईयर अवार्ड (एएबीआई)” जीता था। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, बीआईआरएसी और आईडीईएक्स का सहभागी स्टार्टअप प्रोत्साहक है।
- इसने पिछले 15 सालों में 600 से ज्यादा स्टार्टअप कंपनियों को प्रोत्साहन दिया है, जिसमें कई पहली बार भारत में उपलब्ध होने वाले उत्पाद और कोविड के दौरान सहयोग करने वाले स्टार्टअप शामिल हैं।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के बारे में:
- बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन एक गैर लाभकारी संगठन है, जो सभी लोगों को स्वास्थ्य एवम् उत्पादक जीवन जीने के लिए मदद करता है।
- प्रगतिशील देशों में यह लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाने में और उन्हें भूख-गरीबी से निकालने के लिए अवसर उपलब्ध करवाने का करता है।
- अमेरिका में यह तय करता है कि लोग- खासकर वह लोग जिनके पास बेहद कम संसाधन हैं, उन्हें वह सारे अवसर मिलें, जो स्कूल और जीवन में सफल बनने के लिए जरूरी हैं।
- सिएटल, वाशिंगटन में स्थित यह संस्था सीईओ मार्क सुजमैन के नेतृत्व में काम करती है। इसे सह-अध्यक्ष बिल गेट्स और मेलिंडा फ्रेंच गेट्स के साथ-साथ न्यास मंडल से निर्देशन मिलता है।
मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय के बारे में:
- मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय भारत सरकार को विज्ञान और तकनीक से जुड़ी नीतियों और देश के लिए रणनीतिक सामाजिक-आर्थिक महत्व विषियों के संबंध में सलाह देता है।
- यह अलग-अलग मंत्रालयों, संस्थानों, अकादमिक जगत और उद्योगों के सहयोग से किया जाता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
- कान्स फिल्म फेस्टिवल के इस संस्करण में कान्स फिल्म बाजार में भारत को आधिकारिक रूप से ‘कंट्री ऑफ ऑनर’ का दर्जा दिया गया है।
- यह पहली बार है जब किसी देश को यह सम्मान दिया गया है और यह सम्मान ऐसे समय मिला है जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
- भारत और फ्रांस भी इस साल अपने राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं।
10 मई 2022 : PIB विश्लेषण –Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 09 मई 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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