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विषयसूची:

  1. युद्धाभ्‍यास ला पेरोस – 2023 का आयोजन:
  2. भारत और स्वीडन के बीच अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के लिए MoC:
  3. “साझा बौद्ध विरासत” पर 14-15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन:
  4. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की योजना: 
  5. भारत काशी में एससीओ पर्यटन मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा: 
  6. जापान की मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX):
  7. रक्षा मंत्रालय ने विशाखापत्तनम में सिंधुकीर्ति पनडुब्बी की सामान्य मरम्मत के लिए 900 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए:
  8. 75 जल विरासत स्थलों की पहचान: 
  9. इरेडा को आरबीआई से ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी’ का दर्जा मिला:

1. युद्धाभ्‍यास ला पेरोस – 2023 का आयोजन:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।  

प्रारंभिक परीक्षा: युद्धाभ्‍यास ला पेरोस। 

प्रसंग: 

  • बहुपक्षीय युद्धाभ्यास ला पेरोस का तीसरा संस्करण 13 से 14 मार्च 2023 को हिंद महासागर क्षेत्र में आयोजित किया जा रहा है।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य समुद्री क्षेत्र के बारे में जागरूकता बढ़ाना और हिन्‍द-प्रशांत क्षेत्र में भाग लेने वाली नौसेनाओं के बीच समुद्रीय समन्वय को अधिकतम करना है।   

विवरण:  

  • इस संस्करण में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना, फ्रांसीसी नौसेना, भारतीय नौसेना, जापानी मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स, रॉयल नेवी और यूनाइटेड स्टेट्स नेवी के कर्मियों, जहाजों और इन्‍टग्रल हेलीकाप्टरों की भागीदारी रहेगी। 
  • यह द्विवार्षिक युद्धाभ्यास ‘ला पेरोस’ फ्रांसीसी नौसेना द्वारा आयोजित किया जाता है।  
    • दो दिवसीय युद्धाभ्यास समान विचारधारा वाली नौसेनाओं को निर्बाध समुद्री संचालनों के लिए योजना, समन्वय और सूचना साझा करने के बारे में नजदीकी संबंध विकसित करने का अवसर उपलब्‍ध कराता है। 
    • इस युद्धाभ्यास में जटिल और उन्नत नौसैनिक संचालन देखने को मिलेगा, जिसमें सतही युद्ध, वायु रक्षा अभ्यास, क्रॉस डेक लैंडिंग और रणनीतिक युद्धाभ्यास शामिल हैं।
  • स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस सह्याद्रि और फ्लीट टैंकर आईएनएस ज्योति युद्धाभ्यास के इस संस्करण में भाग लेंगे। 
    • इस युद्धाभ्यास में भारतीय नौसेना की भागीदारी मैत्रीपूर्ण नौसेनाओं के बीच उच्च स्तर के तालमेल, समन्वय और परस्‍पर संचालन के उच्‍च स्‍तरों तथा हिन्‍द-प्रशांत क्षेत्र में कानून आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

2. भारत और स्वीडन के बीच अनुसंधान सहयोग को मजबूत करने के लिए MoC:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।  

मुख्य परीक्षा: वर्तमान परिपेक्ष्य में भारत और स्वीडन संबंधों पर एक लेख लिखिए।   

प्रसंग: 

  • भारत और स्वीडन के बीच अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को मजबूत करने और अनुसंधान नेटवर्किंग को बढ़ावा देने के लिए साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (SERB) और द स्वीडिश फाउंडेशन फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन इन रिसर्च एंड हायर एजुकेशन (STINT), स्टॉकहोम, स्वीडन के बीच एक सहयोग ज्ञापन (MoC) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

उद्देश्य:

  • MoC का उद्देश्य दोनों देशों में मोबिलिटी फंडिंग के अवसरों को बढ़ावा देना है। यह गतिशीलता गतिविधियों के साथ-साथ सेमिनारों, कार्यशालाओं और सम्मेलनों के माध्यम से अकादमिक सहयोग की सुविधा प्रदान करेगा।  

विवरण:  

  • MoC पर 13 मार्च 2023 को हस्ताक्षर किए गए थे।
  • यह भारत और स्वीडन के बीच सहयोग का मील का पत्थर है और स्वीडन और भारत को अनुसंधान और विकास में सहयोग बढ़ाने का अवसर देता है।
  • यह स्वीडन और भारत में शोधकर्ताओं के बीच बातचीत से जुड़ी अधिक सामान्य परियोजनाओं को भी जन्म दे सकता है जहां वे एक साथ आ सकते हैं और अनुसंधान के नए क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं। 
  • दोनों संगठन एक और घोषणा करेंगे जो नई गतिशीलता परियोजनाओं के वित्तपोषण पर ध्यान केंद्रित करेगी जिसका उपयोग भाग लेने वाले शोध समूहों के बीच कार्यशालाओं सहित कई व्यक्तियों का आदान-प्रदान करने के लिए किया जाएगा।
  • स्वीडन में उच्च शिक्षा संस्थानों और भारत में अनुसंधान संस्थानों के शोधकर्ता और विद्वान इस आह्वान के तहत वित्त पोषण के लिए आवेदन करने के पात्र हैं, जिसमें आवेदनों को संयुक्त रूप से वित्त पोषित किया जाएगा।

3. “साझा बौद्ध विरासत” पर 14-15 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और जनादेश। 

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, बौद्ध कला। 

मुख्य परीक्षा: “साझा बौद्ध विरासत” पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डालिये।    

प्रसंग: 

  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) देशों के साथ भारत के सभ्यतागत जुड़ाव पर ध्यान केन्द्रित करते हुए “साझा बौद्ध विरासत” पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 14-15 मार्च, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।

उद्देश्य:

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य आपसी सांस्‍कृतिक सम्‍पर्कों को फिर से स्‍थापित करना और एससीओ देशों के विभिन्न संग्रहालयों की प्राचीन कालीन वस्‍तुओं में मध्य एशिया की बौद्ध कला, कला शैलियों, पुरातात्विक स्थलों के बीच समानता का पता लगाना है। 

विवरण:  

  • दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी-संस्कृति मंत्रालय के एक अनुदेयी निकाय के रूप में) द्वारा किया जा रहा है। 
  • एससीओ में भारत के नेतृत्व (एक वर्ष की अवधि के लिए, 17 सितम्बर, 2022 से सितम्बर 2023 तक) के तहत अपनी तरह का यह पहला आयोजन मध्य एशियाई, पूर्वी एशियाई, दक्षिण एशियाई और अरब देशों को “साझा बौद्ध विरासत” पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच पर लाएगा।   
  • एससीओ देशों में चीन, रूस और मंगोलिया समेत सदस्य देश, पर्यवेक्षक देश और बातचीत के भागीदार शामिल हैं। 
  • 15 से अधिक विद्वान – प्रतिनिधि विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। 
    • इन विशेषज्ञों में दुनहुआंग रिसर्च एकेडेमी, चीन; इंस्‍टीट्यूट ऑफ हिस्‍ट्री, आर्कलॉजी एंड एथनोलॉजी, किर्गिस्तान; स्‍टेट म्‍यूजियम ऑफ द हिस्‍ट्री ऑफ रिलीजन, रूस; नेशनल म्‍यूजियम ऑफ एंटीक्‍वीटीज ऑफ ताजिकिस्तान; बेलारशियन स्‍टेट यूनीवर्सिटी एंड इंटरनेशनल थेरवाद बुद्धिस्‍ट मिशनरी यूनीवर्सिटी, म्यांमार के विशेषज्ञ शामिल हैं।
  • बौद्ध धर्म के कई भारतीय विद्वान भी इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।  
  • इस दुनिया के प्राकृतिक चमत्कारों में से एक अनादि काल से विचारों का विकास और प्रसार है। 
    • सहजता से, दुर्जेय पहाड़ों, विशाल महासागरों और राष्ट्रीय सीमाओं को पार करना; दूर देशों में घर ढूंढ लेना; वर्तमान संस्‍कृति के साथ समृद्ध होना, यही बुद्ध के आकर्षण की विशिष्टता है।
  • इसकी सार्वभौमिकता ने समय और स्थान दोनों को पार कर लिया। 
    • इसके मानवतावादी दृष्टिकोण ने कला, वास्तुकला, मूर्तिकला और मानव व्यक्तित्व के सूक्ष्म गुणों में प्रवेश किया; करुणा, सह-अस्तित्व, स्थायी जीवन और व्यक्तिगत विकास में अभिव्यक्ति की खोज की।
  • यह सम्मेलन विचारों का एक अनोखा मिलन है, जहां बौद्ध मिशनरियों द्वारा मजबूत किए गए, शिष्‍ट समाज की साझा विरासत के आधार पर उन्हें जोड़ने वाले एक सामान्य सूत्र के साथ, विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के देशों ने, भारतीय उपमहाद्वीप और एशिया में विभिन्न संस्कृतियों, समुदायों और क्षेत्रों को समग्र रूप से एकीकृत करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है।

4. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की योजना:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: सामाजिक क्षेत्र से संबंधित सेवाओं का विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे एवं उसका कमजोर वर्ग पर प्रभाव। 

प्रारंभिक परीक्षा: एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की योजना। 

मुख्य परीक्षा: एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की योजना से जनजातीय विद्यार्थियों को होने वाले लाभों पर चर्चा कीजिए।    

प्रसंग: 

  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) की योजना दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदाय के विद्यार्थियों (कक्षा 6ठी से 12वीं) को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में लागू की जा रही है ताकि उन्हें शिक्षा के सर्वोत्तम अवसरों तक पहुँचने में सक्षम बनाया जा सके और उन्हें आम जनता के बराबर लाया जा सके। 

उद्देश्य:

  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना का उद्देश्य जनजातीय विद्यार्थियों को उनके अपने वातावरण में निःशुल्क और अच्छी गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करना है। 
    • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना के अंतर्गत मैदानी क्षेत्रों में छात्रावास और स्टाफ क्वार्टर सहित स्कूल परिसर की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत को 20.00 करोड़ रुपये से संशोधित कर 37.80 करोड़ रुपये किया गया है। 
    • पूर्वोत्तर क्षेत्र, पहाड़ी क्षेत्रों और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए यह राशि 24.00 करोड़ रुपये से संशोधित कर 48.00 करोड़ रुपये कर दी गई है।  

विवरण:  

  • सरकार ने राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली उपयुक्त भूमि की उपलब्धता के अधीन 50 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जनजाति आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों (2011 की जनगणना के अनुसार) वाले प्रत्येक ब्लॉक में एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया है।
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना के अंतर्गत स्कूलों को चलाने के लिए और विद्यार्थियों के खर्च (वर्दी, किताबें और स्टेशनरी, भोजन आदि) के लिए प्रति विद्यार्थी प्रति वर्ष आवर्ती लागत 1.09 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। 
    • राज्यों को यह भी सलाह दी गई है कि जब तक स्कूलों के भवन का निर्माण पूरा ना हो जाए तब तक इन स्कूलों को वैकल्पिक भवनों में, प्राथमिकता के रूप में सरकारी भवनों में चलाएं। 
    • आज तक, 690 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की स्थापना को स्वीकृति दी गई है और देश भर में 401 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में शिक्षा दी जा रही है, जिसमें 113275 विद्यार्थी इन एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय में नामांकित हैं।
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना के अंतर्गत, जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा एक स्वायत्त समाज, जनजातीय विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) को योजना के कार्यान्वयन के लिए धन जारी किया जाता है और जनजातीय विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा समिति इसके बाद राज्य समितियों और निर्माण एजेंसियों आदि को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार धन जारी करती है। 
    • वर्ष 2019-20 तक राजस्थान सहित राज्यों को इस योजना के लिए संविधान के अनुच्छेद 275(1) के अंतर्गत अनुदान के रूप में एक घटक के रूप में धनराशि जारी की जा रही थी। 
    • वर्ष 2020-21 से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय योजना के लिए अलग से धन का आवंटन किया गया है।  

पृष्ठ्भूमि:

  • सरकार ने बजट 2023-24 में 3.5 लाख आदिवासी विद्यार्थियों को शिक्षा देने वाले 740 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों के लिए 38,800 शिक्षकों और सहायक कर्मचारियों की भर्ती की घोषणा की है। 
  • इसके अनुसार, जनजातीय विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा समिति (एनईएसटीएस) ने कार्य योजना को अंतिम रूप दे दिया है और चरणबद्ध तरीके से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए आगे की उचित कार्रवाई कर रहा है।

5. भारत काशी में एससीओ पर्यटन मंत्रियों की बैठक की मेजबानी करेगा:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और जनादेश।   

प्रारंभिक परीक्षा: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ)।  

प्रसंग: 

  • भारत 17 और 18 मार्च, 2023 को काशी (वाराणसी) में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के पर्यटन मंत्रियों की बैठक (टीएमएम) की मेजबानी करेगा। 

उद्देश्य:

  • इस बैठक के दौरान एससीओ सदस्य देशों के बीच पर्यटन क्षेत्र में सहयोग के विकास को लेकर संयुक्त पर्यटन कार्य योजना को अपनाया जाएगा। 

विवरण:  

  • काशी को एससीओ की पहली सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया है। वर्तमान में भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का अध्यक्ष है।
  • दूसरी ईडब्ल्यूजी बैठक के दौरान चर्चा की जाने वाली संयुक्त कार्य योजना में विभिन्न विषय शामिल होंगे।
    • इनमें एससीओ पर्यटन ब्रांड के प्रचार से संबंधित कार्य, पर्यटन में एससीओ सदस्य देशों की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना, पर्यटन में सूचना और डिजिटल प्रौद्योगिकी को साझा करना, चिकित्सा व स्वास्थ्य पर्यटन में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार शामिल हैं। 
    • इस संयुक्त कार्य योजना को काशी में 17 मार्च, 2023 को एससीओ पर्यटन मंत्रियों की बैठक में अपनाया जाएगा।
  • भारत ने 2023 के लिए एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) की अध्यक्षता प्राप्त की है। 
    • भारत की अध्यक्षता के एक हिस्से के तहत भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने विभिन्न पर्यटन ट्रैक गतिविधियों की योजना बनाई है। 
    • इनमें (i) 9 से 11 फरवरी 2023 तक एसएटीटीई (साउथ एशिया ट्रैवल एंड टूरिज्म एक्सचेंज) के दौरान एससीओ पर्यटन बाजार (मार्ट), (ii) 13 से 18 मार्च 2023 तक काशी (वाराणसी) में एससीओ विशेषज्ञ स्तरीय पर्यटन कार्य समूह की बैठक और एससीओ पर्यटन मंत्री की बैठक, और (iii) 13-19 अप्रैल, 2023 तक मुंबई में एससीओ खाद्य महोत्सव शामिल है। 

पृष्ठ्भूमि:

  • एससीओ के आठ सदस्य देश विश्व की जनसंख्या का लगभग 42 फीसदी और वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 25 फीसदी हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
    • इस क्षेत्र में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, जिसे एससीओ देशों के बारे में जागरूकता में बढ़ोतरी कर बढ़ावा दिया जा सकता है। 
    • एससीओ सदस्य देशों, पर्यवेक्षकों और भागीदारों की कुल सांस्कृतिक विरासत में 207 यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल शामिल हैं। 
    • इस क्षेत्र की अनोखी विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एससीओ सदस्य देशों ने रोटेटिंग पहल के तहत हर साल एक शहर (एससीओ सदस्य देशों से) को पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित करने का निर्णय लिया है। 
    • यह उल्लेखनीय है कि इस पहल के तहत “काशी” (वाराणसी) को एससीओ की पहली सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया है।
  • शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में की गई थी। 
    • वर्तमान में एससीओ में आठ सदस्य देश (चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान), पूर्ण सदस्यता ग्रहण करने के इच्छुक चार पर्यवेक्षक राष्ट्र (अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया) और छह “संवाद भागीदार” (आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्की) शामिल हैं।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.जापान की मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX):

  • विभिन्न मैत्रीपूर्ण देशों के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास (MPX) गतिविधियों को जारी रखते हुए आईएनएस सह्याद्री जहाज ने 11 मार्च, 2023 को अरब सागर में जापान की मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) से अकीजुकी श्रेणी के विध्वंसक युद्धपोत जेएस सुजुत्सुकी के साथ नौसैन्य अभ्यास किया।
  • इस अभ्यास में क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों के प्रति साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। 
  • समन्वित क्षमता को सशक्त करने के उद्देश्य से एकीकृत हेलीकॉप्टरों, सामरिक युद्धाभ्यास और युद्धपोतों द्वारा एक पारंपरिक स्टीमपास्ट के माध्यम से क्रॉस डेक लैंडिंग आयोजित हुई। 
  • भारतीय नौसेना व जेएमएसडीएफ विभिन्न मोर्चों पर निकटता से आपसी सहयोग कर रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार की सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा वैश्विक हित की दिशा में कार्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 
  • इस अभ्यास ने समुद्री क्षेत्र में दोनों देशों के बीच मजबूत नौसेना-से-नौसेना संबंधों और उच्च स्तर की पारस्परिकता को रेखांकित किया है।

2. रक्षा मंत्रालय ने विशाखापत्तनम में सिंधुकीर्ति पनडुब्बी की सामान्य मरम्मत के लिए 900 करोड़ रुपये से अधिक के अनुबंध पर हस्‍ताक्षर किए:

  • रक्षा मंत्रालय ने 13 मार्च, 2023 को ‘आत्मनिर्भर भारत’ हासिल करने और उसे बढ़ावा देने के लिए 934 करोड़ रुपये की कुल लागत से हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (एचएसएल), विशाखापत्तनम में सिंधुकीर्ति पनडुब्‍बी की सामान्य मरम्‍मत के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। 
  • सिंधुकीर्ति थर्ड किलो क्लास डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्‍बी है। 
  • मरम्‍मत पूरी होने के बाद, सिंधुकीर्ति युद्ध में लड़ने योग्य हो जाएगी और भारतीय नौसेना के सक्रिय पनडुब्बी बेड़े में शामिल हो जाएगी।
  • पनडुब्बियों के लिए वैकल्पिक मरम्मत सुविधा विकसित करने के लिए इस मरम्‍मत को ऑफ लोड किया गया है, जो एचएसएल में लाइफ सर्टिफिकेशन के साथ मध्यम मरम्‍मत करने की दिशा में बढ़ाया गया कदम है। 
  • इस परियोजना में 20 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) शामिल हैं और परियोजना की अवधि के दौरान प्रति दिन 1,000 श्रम दिवस के रोजगार का सृजन होगा।

3. 75 जल विरासत स्थलों की पहचान:

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक साइट को “जल विरासत स्थल” के रूप में घोषित करने के लिए प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत कोई प्रावधान नहीं है।
  • हालाँकि, जल शक्ति मंत्रालय ने भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्षों के संदर्भ में 75 जल विरासत संरचना (WHS) की पहचान करने के लिए एक समिति का गठन किया था।
  • राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय एजेंसियों, गैर सरकारी संगठनों और आम जनता के माध्यम से कुल 421 नामांकन प्राप्त हुए थे और जिनमें से समिति ने 75 जल विरासत संरचनाओं की सिफारिश की है, जिसमें क्रमशः गुजरात से 5 जल विरासत संरचना और आंध्र प्रदेश से 4 जल विरासत संरचना शामिल हैं।
  • इस संबंध में, भारत-डब्ल्यूआरआईएस पोर्टल के तहत “जल-इतिहास” उप-पोर्टल, 75 डब्ल्यूएचएस को प्रदर्शित करते हुए, 5 जनवरी, 2023 को पहले अखिल भारतीय राज्य में लॉन्च किया गया था। 
  • भोपाल में जल पर मंत्रियों का सम्मेलन इन डब्ल्यूएचएस का राज्य/संघ राज्य क्षेत्रवार ब्यौरा अनुबंध में दिया गया है। 
  • वर्तमान में इन स्थलों के अनुरक्षण के लिए कोई केन्द्रीय निधि आबंटित/संवितरित नहीं है।

4. इरेडा को आरबीआई से ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी’ का दर्जा मिला:

  • भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 13 मार्च 2023 को भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (इरेडा) को ‘इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी’ (आईएफसी) का दर्जा दिया है। 
  • इसे पहले ‘निवेश और क्रेडिट कंपनी’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी इस स्टेटस के साथ अक्षय ऊर्जा फंडिंग में ज्यादा जोखिम लेने में सक्षम होगा। 
    • आईएफसी का दर्जा कंपनी को फंड जुटाने के लिए व्यापक निवेशक आधार तक पहुंचने में मदद करेगा, जिसके परिणामस्वरूप फंड जुटाने के लिए प्रतिस्पर्धी दरें होंगी।
  • इरेडा को आईएफसी के रूप में मान्यता मिलने से निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी और बाजार में सकारात्मक दृष्टिकोण पैदा होगा। 
  • आईएफसी का दर्जा इरेडा के 36 वर्षों के बुनियादी ढांचे की फंडिंग और खासतौर पर नवीकरणीय ऊर्जा के केंद्रित विकास को मान्यता है। 
  • आईएफसी दर्जे के साथ, इरेडा सरकार के प्रति 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन की 500 गीगावाट स्थापित क्षमता के भारत के लक्ष्य में योगदान देता रहेगा।
  • इरेडा 1987 से “ऊर्जा हमेशा के लिए” स्लोगन के साथ ऊर्जा के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का प्रचार, विकास और फंडिंग कर रहा है। 
  • यह सभी आरई प्रौद्योगिकियों और मूल्य श्रृंखला जैसे सौर, पवन, जल, जैव-ऊर्जा, अपशिष्ट से ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, ई-गतिशीलता, बैटरी भंडारण, जैव ईंधन और नई और उभरती प्रौद्योगिकियों की फंडिंग कर रहा है।

 

13 March PIB :- Download PDF Here

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