विषयसूची:
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1. भारत-कज़ाख़िस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास “काजिंद – 2022”:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: संयुक्त सैन्य अभ्यास “काजिंद – 2022” से सम्बंधित तथ्य।
प्रसंग:
- भारत-कज़ाख़िस्तान संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास का छठा संस्करण “काजिंद-22” 15 से 28 दिसंबर, 2022 तक उमरोई (मेघालय) में आयोजित किया जाना निर्धारित है।
उद्देश्य:
- सैन्य अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र शांति प्रवर्तन शासनादेश के तहत सकारात्मक सैन्य संबंध आगे बढ़ाना, एक-दूसरे की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों को साझा करना और अर्ध शहरी/जंगली परिदृश्य में काउंटर टेररिस्ट ऑपरेशन पर कार्य करते हुए एक साथ सैन्य गतिविधियों को आयोजित करने की क्षमता को बढ़ावा देना है।
विवरण:
- “काजिंद अभ्यास” भारतीय सेना एवं कज़ाख़िस्तान सेना के बीच रक्षा सहयोग के स्तर को बढ़ाएगा जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा देगा।
- कज़ाख़िस्तान सेना के सैनिक, जिसमें दक्षिणी क्षेत्रीय कमान के सैनिक शामिल हैं, उनके साथ में भारतीय सेना के 11 गोरखा राइफल्स के सैनिक इस अभ्यास सत्र में भाग लेंगे।
- इस अभ्यास के अंतर्गत बटालियन स्तर पर एक कमांड पोस्ट अभ्यास (सीपीएक्स) और उप-पारंपरिक संचालन पर कंपनी स्तर के फील्ड प्रशिक्षण अभ्यास (एफटीएक्स) शामिल हैं।
- प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान, दोनों सेनाओं के सैनिक संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास, विशेष हथियार कौशल, एचएडीआर और शत्रुतापूर्ण लक्ष्य पर हमला करने से लेकर विभिन्न मिशनों में शामिल होंगे।
- कज़ाख़िस्तान की सेना के साथ संयुक्त वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास 2016 में अभ्यास प्रबल दोस्तीक के रूप में शुरू किया गया था, जिसे बाद में कंपनी स्तर के अभ्यास में अपग्रेड किया गया था और वर्ष 2018 में इसका नाम परिवर्तित कर अभ्यास काजिंद कर दिया गया।
- यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं को संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों में आने वाले संभावित खतरों को बेअसर करने के लिए संयुक्त सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला के तहत प्रशिक्षित करने, योजना बनाने और निष्पादित करने में सक्षम बनाएगा।
2. इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट, 2022:
सामान्य अध्ययन: 3
पारिस्थिकी एवं पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण संरक्षण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट, 2022 से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत में नदियों और जल निकायों की रक्षा करने के लिए जल और पर्यावरणीय अवसंरचना के विकास को किस प्रकार गति प्रदान की जा रही हैं ? चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्रीय जल शक्ति मंत्री 15 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली में 7वें इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट, 2022 (आईडब्ल्यूआईएस 2022) का उद्घाटन करेंगे।
उद्देश्य:
- इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य नदियों के छितराव के संभावित कारणों के बारे में जानकारी प्रदान करना और अभिसारिता प्राप्त करने की रणनीति तैयार करना है।
- इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य भारत में नदियों और जल निकायों की रक्षा करने के लिए जल और पर्यावरणीय अवसंरचना के विकास को गति प्रदान करना है।
विवरण:
- इस शिखर सम्मेलन का आयोजन 15 से 17 दिसंबर, 2022 तक किया जाएगा।
- इसका आयोजन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और गंगा नदी घाटी प्रबंधन एवं अध्ययन केंद्र (सीगंगा) द्वारा किया जा रहा है, जिसके माध्यम से देश में नदियों और जल प्रवाहों की रक्षा करने के लिए जल और पर्यावरणीय अवसंरचना के विकास को गति प्रदान की जा सके।
- 7वें इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट, 2022 (IWIS 2022) का विषय ‘एक बड़ी घाटियों में छोटी नदियों का जीर्णोद्धार और संरक्षण‘ है, जिसमें ‘5 P– पीपल, पॉलिसी, प्लान, प्रोग्राम, प्रोजेक्ट के प्रतिचित्रण और अभिसरण’ के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
- तीन दिवसीय इस शिखर सम्मेलन में देश-विदेश के विशेषज्ञ उन उपायों पर चर्चा करेंगे, जिनसे बड़ी नदी घाटियों में विलुप्त होने जा रही छोटी नदियों का जीर्णोद्धार किया जा सके और उन्हें संरक्षण प्रदान किया जा सके।
- आईडब्ल्यूआईएस के पिछले संस्करणों की तरह ही, यह सम्मेलन भी नदी जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्यक्रमों में दिलचस्पी रखने वाले वैश्विक वित्तीय संस्थानों और निवेशकों को एक साथ लाने के लिए एक वित्तीय मंच प्रदान करेगा।
- यह वैश्विक स्तर पर दर्जनों प्रौद्योगिकी और नवाचार कंपनियों को भारत में अपने समाधान को लाने के लिए और हमारे देश की नदी घाटियों से संबंधित विभिन्न समस्याओं और चिंताओं का समाधान करने का अवसर प्रदान करेगा।
- पांच प्रमुख तत्व – पीपल, पॉलिसी, प्लान, प्रोग्राम, प्रोजेक्ट – और उनका अभिसरण नदी घाटियों का प्रबंधन करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
- यही कारण है कि इंडिया वॉटर इम्पैक्ट समिट के 7वें संस्करण का उद्देश्य विचलन के संभावित कारणों को समझना, विस्तृत करना, चित्रित करना और अभिसरण के लिए रणनीति तैयार करना है, जिसे पूर्ण सत्रों, पैनल चर्चाओं, अंतर्राष्ट्रीय मंचों और अनौपचारिक चर्चाओं में शामिल विचारों के माध्यम से सबसे प्रभावशाली खिलाड़ियों के साथ व्यापक रूप से जुड़ाव प्राप्त करते हुए संपन्न किया जाएगा।
- 7वें आईडब्ल्यूआईएस के पूर्ण सत्रों में, ‘बड़ी घाटियों में छोटी नदियों का जीर्णोद्धार और संरक्षण’, ‘5 पी का प्रतिचित्रण और अभिसरण’, ‘विभिन्न नदी संबंधित कार्यक्रमों से प्राप्त शिक्षा’, ‘नदी संबंधित कार्यक्रमों की समस्याएं और उसमें सुधार’ शामिल हैं।
- विषयगत सत्रों में नदियों की गुणकारी स्थिति का लक्ष्य प्राप्त करना, विभिन्न हिस्सों में गुणकारी नदियों की जैविक-भौतिक स्थिति के लिए वर्तमान स्थिति और मानदंडों को स्थापित करना और मील का पत्थर निर्धारित करना, नदी निगरानी कार्यक्रमों का निर्माण और उसका निष्पादन करना, सूचना/डेटा मिलान, उपयोगिता और प्रचार-प्रसार रणनीति आदि शामिल हैं।
- इस शिखर सम्मेलन को विज्ञान एवं नीति, वित्त एवं अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, अंतर्राष्ट्रीय और कार्यान्वयन चुनौतियों जैसे पांच व्यापक ट्रैकों में विभाजित किया गया है।
- शिखर सम्मेलन के पांच व्यापक ट्रैक – विज्ञान एवं नीति, वित्त एवं अर्थशास्त्र, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार, अंतर्राष्ट्रीय और कार्यान्वयन चुनौतियां हैं।
- यह सम्मेलन नदी जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्यक्रमों में दिलचस्पी रखने वाले वैश्विक वित्तीय संस्थानों और निवेशकों को एक साथ लाने के लिए एक वित्तीय मंच प्रदान करेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1.भौगोलिक संकेतक (GI):
- विविध संस्कृतियों वाले देश भारत में विभिन्न कलाओं और शिल्पों का वास है जिनमें कई पीढ़ियों ने वर्षों से महारत हासिल कर रखी है।
- जीआई के वर्तमान संग्रह की संख्या बढ़ाते हुए असम के विख्यात गमोसा, तेलंगाना के तंदूर रेडग्राम, लद्वाख के रक्तसे खुबानी, महाराष्ट्र के अलीबाग सफेद प्याज को प्रतिष्ठित जीआई टैग प्रदान किया गया है।
- इसी के साथ, भारत के जीआई टैग की संख्या बढ़कर 432 तक पहुंच गई है। जीआई की अधिकतम संख्या वाले शीर्ष राज्य हैं – कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केरल।
- इसके अतिरिक्त, देश के भीतर अंतःसांस्कृतिक समाजों के निर्माण को बढ़ावा देते हुए, ऐसे कार्यकलाप न केवल राज्यों के बीच विविध उत्पादों के हस्तांतरण को आगे बढ़ाएंगे, बल्कि भविष्य में एक बेहतर जीवंत सांस्कृतिक समाज के निर्माण में भी योगदान देंगे।
- आमतौर पर, जीआई गुणवत्ता और विशिष्टता का भरोसा दिलाता देता है। किसी निश्चित भौगोलिक क्षेत्र की वस्तु को यह दर्जा दिया जाता है। इनमें कृषि, प्राकृतिक या विनिर्मित उत्पाद शामिल होते हैं।
- जीआई उत्पादों के पंजीकरण की एक उचित प्रक्रिया है। इसमें आवेदन दाखिल करना, शुरुआती जांच और समीक्षा, कारण बताओ नोटिस, भौगोलिक संकेतक पत्रिका में प्रकाशन, पंजीकरण का विरोध और पंजीकरण शामिल है।
2. राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस:
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण दिवस के अवसर पर 14 दिसंबर, 2022 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार, राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार प्रदान किए।
- उन्होंने इस अवसर पर ‘ईवी-यात्रा पोर्टल’ का भी शुभारंभ किया।
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा निकटतम सार्वजनिक ईवी चार्जर के लिए इन-व्हीकल नेविगेशन की सुविधा के लिए ‘ईवी-यात्रा पोर्टल’ विकसित किया गया है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों का सामना करते हुए ऊर्जा संरक्षण एक वैश्विक और राष्ट्रीय प्राथमिकता है।
- यद्यपि भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन विश्व औसत के एक तिहाई से भी कम है, फिर भी एक जिम्मेदार देश के रूप में भारत पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
- राष्ट्रपति ने कहा कि सीओपी-26 में भारत ने ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ यानी पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली का संदेश दिया था, जिसमें विश्व समुदाय से पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपनाने का आग्रह किया था।
- भारतीय संस्कृति और परंपरा में, हमारी जीवनशैली हमेशा लाईफ के संदेश के अनुरूप रही है।
- प्रकृति का सम्मान करना, प्राकृतिक संसाधनों को बर्बाद न करना और प्राकृतिक संपदा को बढ़ाने के उपाय करना ऐसी जीवन शैली का अभिन्न अंग है।
- जी-20 में भारत की अध्यक्षता का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जी-20 देश, दुनिया की कुल जीडीपी में 85 प्रतिशत और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में 75 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
- इसके अलावा दुनिया की 60 फीसदी आबादी भी जी-20 देशों में निवास करती है।
- भारत ने अपनी अध्यक्षता के दौरान ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श के अनुसार ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के विषय को अपनाया है।
एनईसीए और एनईईआईए पुरस्कार :
- राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार (NECA) भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की औद्योगिक इकाइयों को ऊर्जा बचत में उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए दिए जाते हैं।
- राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता नवाचार पुरस्कार (NEEIA) की परिकल्पना नवीन उपायों के माध्यम से ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने के लिए की गई थी।
- सचिव (विद्युत) की अध्यक्षता वाली पुरस्कार समिति ने पुरस्कार विजेताओं का अंतिम रूप से चयन किया, जिन्हें एनईसीए और एनईईआईए सम्मान से सम्मानित किया गया।
- उपरोक्त 448 इकाइयों ने सामूहिक रूप से 1517 करोड़ रुपये मूल्य की ऊर्जा की बचत की है।
- यह कार्यक्रम ऊर्जा दक्षता और इसके संरक्षण को बढ़ावा देने और भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में ऊर्जा की तीव्रता को कम करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था।
3. एक देश एक राशन कार्ड योजना:
- देश में राशन कार्डों के माध्यम से खाद्य पदार्थों की राष्ट्रव्यापी पोर्टेबिलिटी के लिए एक देश एक राशन कार्ड (ONORC) योजना के तहत पिछले तीन वित्तीय वर्षों 2020-21, 2021-22 और 2022-23 के दौरान राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों तथा एनआईसी/एनआईसीएसआई को 46.86 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
- एक देश एक राशन कार्ड (ONORC) प्रणाली के माध्यम से, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA) के तहत सभी लाभार्थी विशेष रूप से प्रवासी लाभार्थी इस योजना का लाभ उठा रहे हैं।
- सभी लाभार्थी अपने मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके देश में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (EPOS) से या बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण के साथ आधार संख्या के द्वारा किसी भी उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से अपने मासिक आवंटन के खाद्यान्न को आंशिक या पूर्ण रूप से प्राप्त कर सकते हैं।
- इसके अलावा, लाभार्थी के परिवार के जो भी सदस्य घर पर होंगे (यदि कोई हो) तो वे उसी राशन कार्ड पर खाद्यान्न का बचा हुआ हिस्सा/शेष खाद्यान्न या संपूर्ण खाद्य पदार्थ उठा सकते हैं।
- राशन कार्डों की देशव्यापी पोर्टेबिलिटी के लिए एक देश एक राशन कार्ड (ONORC) योजना विभाग द्वारा केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के एकीकृत प्रबंधन (आईएम-पीडीएस) के तहत लागू की गई है, जिसे अप्रैल 2018 में 127.3 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ स्वीकृति दी गई थी। इस योजना को 31 मार्च 2023 तक विस्तार दिया गया है।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 (NFSA) की देशव्यापी पोर्टेबिलिटी के लिए एक देश एक राशन कार्ड (ONORC) योजना वर्तमान में कुल एनएफएसए आबादी (लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों) को कवर करते हुए देश भर के सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है।
- वर्तमान में देश में ONORC के अंतर्गत हर महीने औसतन लगभग 3.5 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन किये जा रहे हैं।
- एक देश एक राशन कार्ड के तहत अब तक कुल 93.31 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेनदेन पूरे हो चुके हैं।
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लिंक किए गए लेख में 13 दिसंबर 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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