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14 मार्च 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत सिंगापुर के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास ‘बोल्ड कुरुक्षेत्र’ जोधपुर में संपन्न:  
  2. डीसीजीआई ने रेडियोलॉजिकल और परमाणु आपात स्थितियों के लिए प्रौद्योगिकी विकास कोष के अंतर्गत विकसित एक महत्वपूर्ण दवा के निर्माण तथा विपणन को मंजूरी दी:
  3. भारत की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन के दूसरे पर्यटन विशेषज्ञ कार्य समूह की बैठक  काशी (वाराणसी) में शुरू हुई:
  4. DRDO ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली मिसाइल ( प्रक्षेपणास्त्र ) के लगातार दो सफल उड़ान परीक्षण किए:
  5. डीआरडीओ की स्वदेशी पावर टेकऑफ शाफ्ट का पहला सफल फ्लाइट टेस्ट बेंगलुरू में एलसीए तेजस पर हुआ:
  6. “साझी बौद्ध विरासत” पर अपनी तरह के पहले SCO अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया:  
  7. जलवायु लचीली कृषि (Climate Resilient Agriculture):
  8. मृदा स्वास्थ्य की राष्ट्रीय परियोजना: 
  9. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बाहर होने वाले राज्य:
  10. पीएम-किसान योजना:
  11. अटल इनोवेशन मिशन ने एटीएल सारथी की शुरूआत की:
  12. नि-क्षय मित्र कार्यक्रम (Ni-kshay Mitra Programe):
  13. आईएनएस द्रोणाचार्य को प्रेसीडेंट कलर का पूर्वावलोकन पुरस्कार:
  14. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस:

1. भारत सिंगापुर के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास ‘बोल्ड कुरुक्षेत्र’ जोधपुर में संपन्न:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

प्रारंभिक परीक्षा: संयुक्त युद्धाभ्यास ‘बोल्ड कुरुक्षेत्र’। 

प्रसंग: 

  • सिंगापुर सेना और भारतीय सेना ने जोधपुर मिलिट्री स्टेशन, भारत में 06-13 मार्च 2023 तक द्विपक्षीय अभ्यास बोल्ड कुरुक्षेत्र के 13वें संस्करण में भाग लिया।

उद्देश्य:

  • युद्धाभ्यास बोल्ड कुरुक्षेत्र सिंगापुर सेना और भारतीय सेना के बीच संयुक्त सेना प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए द्विपक्षीय व्यवस्था के दायरे में आयोजित किया जाता है।

विवरण:  

  • युद्धाभ्यास की श्रृंखला में पहली बार दोनों देशों की सेनाओं ने एक कमांड पोस्ट अभ्यास में भाग लिया, जिसमें बटालियन और ब्रिगेड स्तर की योजना बनाने वाली इकाईयां और कंप्यूटर वॉरगेमिंग शामिल थे।
  • भारतीय सेना द्वारा आयोजित इस अभ्यास में 42वीं बटालियन, सिंगापुर आर्मर्ड रेजिमेंट और भारतीय सेना की एक आर्मर्ड ब्रिगेड के सैनिक शामिल थे ।
  • 05 मार्च को शुरू हुए दस दिवसीय संयुक्त प्रशिक्षण ने उभरते हुए खतरों और उभरती प्रौद्योगिकियों के वातावरण में मैकेनाइज्ड युद्ध की आम समझ को बढ़ावा दिया, साथ ही एक जॉइंट कमांड पोस्ट के माध्यम से नियंत्रित संयुक्त अभियान और सामरिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके एक कंप्यूटर सिमुलेशन-आधारित वॉरगेम के माध्यम से अंतर-संचालन क्षमता विकसित की। 
  • दोनों टुकड़ियों ने न केवल एक-दूसरे के सैन्य अभ्यास और प्रक्रिया के बारे में सीखा, बल्कि आधुनिक युद्ध क्षेत्र में अपनाए जा रहे आइडिया और सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान भी किया।
  • पहली बार 2005 में आयोजित यह अभ्यास दोनों देशों के बीच मजबूत और लंबे समय से चले आ रहे द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को रेखांकित करता है और दोनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ाता है। 
  • दोनों रक्षा प्रतिष्ठान उच्च-स्तरीय यात्राओं, नीतिगत संवादों, पाठ्यक्रमों और अन्य पेशेवर आदान-प्रदानों के माध्यम से नियमित रूप से बातचीत भी करते हैं ।

2. डीसीजीआई ने रेडियोलॉजिकल और परमाणु आपात स्थितियों के लिए प्रौद्योगिकी विकास कोष के अंतर्गत विकसित एक महत्वपूर्ण दवा के निर्माण तथा विपणन को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

स्‍वास्‍थ्‍य:

विषय: सामाजिक एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से संबंधित सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।  

प्रारंभिक परीक्षा: ड्रग्‍स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ।  

प्रसंग: 

  • ड्रग्‍स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट फंड (टीडीएफ) योजना के अंतर्गत विकसित प्रशियन ब्लू अघुलनशील फॉर्मूलेशन के वाणिज्यिक उपयोग के लिए विनिर्माण और विपणन लाइसेंस की मंजूरी स्कॉट-एडिल फार्माशिया लिमिटेड, बद्दी, हिमाचल प्रदेश तथा स्कैंट्र लाइफसाइंस एलएलपी, अहमदाबाद को दी है। 

उद्देश्य:

  • टीडीएफ परियोजना के अंतर्गत इन दवाओं के फॉर्मूलेशन का विकास तथा डीसीजीआई की मंजूरी  ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करने के उद्देश्‍य से उद्योग को बढ़ावा देने के लिए DRDO का एक सफल प्रयास है।  

विवरण:  

  • इस दवा को उद्योग द्वारा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की प्रयोगशाला, इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज (आईएनएमएएस), दिल्ली की तकनीक के आधार पर विकसित किया गया है।
  • यह दवा प्रुडे-कॉर्प-टीएम तथा प्रुडे-कॉर्प-एमजी के ट्रेड नाम से उपलब्ध होगी। 
  • फॉर्मूलेशन का उपयोग सीज़ियम और थैलियम के परिशोधन के लिए किया जाता है। 
  • यह रेडियोलॉजिकल तथा परमाणु आपात स्थितियों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सूचीबद्ध महत्वपूर्ण दवाओं में से एक है।

3. भारत की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन के दूसरे पर्यटन विशेषज्ञ कार्य समूह की बैठक काशी (वाराणसी) में शुरू हुई:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) 

मुख्य परीक्षा: भारतीय परिप्रेक्ष्य में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के महत्व पर चर्चा कीजिए।    

प्रसंग: 

  • भारत की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दूसरे पर्यटन विशेषज्ञ कार्य समूह की दो दिवसीय बैठक काशी (वाराणसी) में शुरू हुई। 

उद्देश्य:

  • ‘काशी’ (वाराणसी) जहां भारत की अध्यक्षता में शंघाई सहयोग संगठन के देशों की पर्यटन संबंधी बैठक हुई, उसे शंघाई सहयोग संगठन क्षेत्र की पहली सांस्कृतिक राजधानी के रूप में नामित किया गया है। 
  • इस पहल का उद्देश्य शंघाई सहयोग संगठन क्षेत्र की सांस्कृतिक संपदा को उजागर करना और प्रदर्शित करना तथा क्षेत्र के सामाजिक आर्थिक विकास के संसाधन के रूप में संस्कृति के मूल्य को पहचानना है।  

विवरण:  

  • वर्ष 2023 के लिए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के अध्यक्ष के रूप में भारत ‘काशी’ (वाराणसी) में 14 से 15 मार्च 2023 को पर्यटन विशेषज्ञ कार्य समूह की दूसरी बैठक की अध्यक्षता कर रहा है। 
  • भारत की शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता के अंतर्गत विशेषज्ञ कार्य समूह की पहली बैठक 31 जनवरी 2023 को आयोजित की गई थी।
  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक अंतर सरकारी संगठन है, जिसमें आठ सदस्य देश चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान, चार पर्यवेक्षक देश और छह “संवाद भागीदार” देश शामिल हैं।
  • पर्यटन विशेषज्ञ कार्य समूह की दूसरी बैठक में पर्यटन में सहयोग के विकास पर शंघाई सहयोग संगठन सदस्य देशों की सरकारों के बीच समझौते को लागू करने के लिए संयुक्त कार्य योजना पर चर्चा हुई।
  • शंघाई सहयोग संगठन के सभी सदस्य देशों के विशेषज्ञों ने सहयोग के क्षेत्रों के अंतर्गत विभिन्न गतिविधियों जैसे शंघाई सहयोग संगठन पर्यटन ब्रांड को बढ़ावा देना, पर्यटन में शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों की सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहन देना, पर्यटन में सूचना और डिजिटल प्रौद्योगिकी को साझा करना और आदान-प्रदान करना, पर्यटन को बढ़ावा देना, चिकित्सा और स्वास्थ्य पर्यटन में आपसी सहयोग, सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार को प्राथमिकता दी।
  • शंघाई सहयोग संगठन के सभी सदस्य देशों के गहन विचार-विमर्श और सुझावों के बाद विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई इस कार्य योजना को शंघाई सहयोग संगठन पर्यटन मंत्रियों की बैठक (टीएमएम) के दौरान अंतिम रूप दिया जाएगा। 
  • पर्यटन मंत्रियों की बैठक, जो 17-18 मार्च 2023 को वाराणसी में आयोजित की जानी है, भारत की शंघाई सहयोग संगठन की अध्यक्षता के अंतर्गत पर्यटन के बारे में कार्य समूह की बैठकों का समापन होगा।

4. DRDO ने बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली मिसाइल (प्रक्षेपणास्त्र) के लगातार दो सफल उड़ान परीक्षण किए:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी: 

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।   

प्रारंभिक परीक्षा: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम – VSHORADS, मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस (MANPAD) सिस्टम।  

प्रसंग: 

  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 14 मार्च, 2023 को ओडिशा के समुद्र तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर में बहुत कम दूरी की वायु प्रणाली (वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम – VSHORADS) मिसाइल से उच्च गति वाले मानव रहित हवाई लक्ष्यों के विरुद्ध एक भूमि ( ग्राउंड ) – आधारित मानव वहनीय प्रक्षेपक (मैन पोर्टेबल लांचर) से विमान के पास आने और उसके पीछे हटने की नकल करते हुए लगातार दो सफल उड़ान परीक्षण किए ।

उद्देश्य:

  • नई तकनीकों से लैस यह मिसाइल सशस्त्र बलों को और अधिक तकनीकी बढ़त प्रदान करेगी।
  • मिशन के सभी उद्देश्यों को पूरा करते हुए इन लक्ष्यों को सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट किया गया।  

विवरण:  

  • बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम – VSHORADS) एक मानव वहनीय वायु रक्षा प्रणाली (मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम – MANPAD) है जो कम दूरी एवं कम ऊंचाई वाले हवाई खतरों को निष्प्रभावी कर सकता है। 
  • इसे DRDO की अन्य प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से अनुसंधान केंद्र भवन, हैदराबाद द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। 
  • इस मिसाइल में डुअल-बैंड आईआईआर सीकर, मिनिएचराइज्ड रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम और इंटीग्रेटेड एवियोनिक्स सहित कई नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। 
  • इसका प्रणोदन (प्रपल्सन) एक दोहरी शक्ति वाली ठोस मोटर द्वारा प्रदान किया जाता है।

5. डीआरडीओ की स्वदेशी पावर टेकऑफ शाफ्ट का पहला सफल फ्लाइट टेस्ट बेंगलुरू में एलसीए तेजस पर हुआ:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारत की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।  

प्रारंभिक परीक्षा: लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA तेजस), पावर टेक ऑफ (PTO) शाफ्ट, लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (CVRDE)।  

प्रसंग: 

  • 14 मार्च, 2023 को बेंगलुरु में लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA तेजस) लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (LSP) – 3 विमानों पर पावर टेक ऑफ (PTO) शाफ्ट का पहला सफल उड़ान परीक्षण किया गया।

उद्देश्य:

  • PTO शाफ्ट को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के लड़ाकू वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (CVRDE), चेन्नई द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।  

विवरण:  

  • PTO शाफ्ट, जो विमान में एक महत्वपूर्ण घटक है, भविष्य के लड़ाकू विमानों और उनके वेरिएंट की आवश्यकताओं का समर्थन करेगा और प्रतिस्पर्धी लागत और उपलब्धता के कम समय की पेशकश करेगा।
  • इस सफल परीक्षण के साथ, DRDO ने जटिल हाई-स्पीड रोटर तकनीक की प्राप्ति के द्वारा एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि हासिल की है जो केवल कुछ ही देशों ने हासिल की है।
  • PTO शाफ्ट को अद्वितीय अभिनव पेटेंट ‘फ्रीक्वेंसी स्पैनिंग तकनीक’ के साथ डिजाइन किया गया था जो इसे विभिन्न ऑपरेटिंग इंजन गति में सक्षम बनाता है।
  • हल्के वजन वाली उच्च गति, स्नेहन मुक्त PTO शाफ्ट ड्राइव लाइन में उत्पन्न होने वाले मिसलिग्न्मेंट को समायोजित करते हुए विमान के इंजन गियर बॉक्स और एयरक्राफ्ट माउंटेड एक्सेसरी गियर बॉक्स के बीच उच्च शक्ति प्रसारित करता है।
  • एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी, सैन्य उड़नयोग्यता और प्रमाणन केंद्र, एयरोनॉटिकल क्वालिटी एश्योरेंस महानिदेशालय और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए CVRDE के साथ मिलकर काम किया।
  • PTO शाफ्ट तकनीक को पहले ही गोदरेज एंड बॉयस, मुंबई और लक्ष्मी टेक्नोलॉजी एंड इंजीनियरिंग, कोयंबटूर में स्थानांतरित कर दिया गया है।
  • इस सफलता ने देश की अनुसंधान क्षमता को प्रदर्शित किया है और यह परीक्षण विमान कार्यक्रमों का सक्रिय रूप से समर्थन करेगा।

6.  “साझी बौद्ध विरासत” पर अपनी तरह के पहले SCO अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया गया:

सामान्य अध्ययन: 1, 2

इतिहास, अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू।   

प्रारंभिक परीक्षा: बौद्ध धर्म, बौद्ध कला एवं इसकी कला शैलियां। 

प्रसंग: 

  • “साझी बौद्ध विरासत” पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दो दिनों तक चलने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का नई दिल्ली के विज्ञान भवन में उद्घाटन किया गया, जिसमें SCO राष्ट्रों के साथ भारत के सभ्यतागत जुड़ाव पर ध्यान केंद्रित किया गया।

उद्देश्य:

  • सम्मेलन का उद्देश्य SCO देशों के विभिन्न संग्रहालयों के संग्रह में मध्य एशिया की बौद्ध कला, कला शैलियों, पुरातात्विक स्थलों और पुरातनता के बीच दूरस्थ सांस्कृतिक संबंधों को फिर से स्थापित करना है। 
  • इस सम्मेलन का उद्देश्य यहां एकत्र हुए राष्ट्रों के बीच दूरस्थ-सांस्कृतिक संबंधों और साझा इतिहास को नवीनीकृत करना है। 

विवरण:  

  • इस सत्र में केंद्रीय संस्कृति, पर्यटन और उत्तर-पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री के साथ-साथ चीन, पाकिस्तान, रूस, बहरीन, म्यांमार, संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
  • आत्म-अनुभव और आत्म-परीक्षण के बारे में बुद्ध की शिक्षाएं 21वीं सदी के लिए भी बहुत प्रासंगिक हैं।
  • SCO देशों को हमारी साझी बौद्ध विरासत पर कार्यक्रम और परियोजनाएं शुरू करनी चाहिए, जो हमें एक साथ जोड़ती हैं। 
  • भारत ने पाली में बौद्ध पांडुलिपियों को SCO देशों के लिए एक आम भाषा में अनूदित करने और उन्हें सभी देशों के लिए सुलभ बनाने का भी सुझाव दिया।
  • SCO सदस्य बौद्ध दर्शन से जुड़े हुए हैं, जो नैतिकता और मूल्य प्रणाली के मामले में SCO को एक मजबूत ताकत बना सकता है।
  • SCO के भारत के नेतृत्व में (एक वर्ष की अवधि के लिए, 17 सितंबर, 2022 से पूरे सितंबर 2023 तक) यह अपनी तरह का पहला आयोजन है, जो मध्य एशियाई, पूर्वी एशियाई, दक्षिण एशियाई और अरब देशों को “साझी बौद्ध विरासत” पर चर्चा के लिए एक साझा मंच पर एक साथ लाता है। 
  • SCO देशों में चीन, रूस और मंगोलिया सहित सदस्य राज्य, पर्यवेक्षक राज्य और संवाद भागीदार शामिल हैं। 
  • कई विद्वान- SCO के प्रतिनिधि इस विषय पर शोध पत्रों पर नाराजगी जता रहे हैं, जिनमें दुनहुआंग रिसर्च एकेडमी, चीन, धर्म के इतिहास का राज्य संग्रहालय, अंतर्राष्ट्रीय थेरवाद बौद्ध मिशनरी विश्वविद्यालय, म्यांमार, आदि शामिल हैं।
  • दो-दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी-संस्कृति मंत्रालय के एक अनुदान प्रदाता निकाय के रूप में) द्वारा किया जा रहा है। 
  • इस कार्यक्रम में बौद्ध धर्म के कई भारतीय विद्वान भी भाग ले रहे हैं।
  • अनादि काल से विचारों का विकास और प्रसार इस दुनिया के स्वाभाविक चमत्कारों में से एक है। 
  • सहजता से, दुर्जेय पहाड़ों, विशाल महासागरों और राष्ट्रीय सीमाओं को पार करना, विचार जो दूर देशों में अपनी जगह बनाते हैं; मौजूदा संस्कृतियों से समृद्ध हो रहा है। 
  • बुद्ध के उपदेशों को यही अद्वितीय विशिष्टता है।
  • इसकी व्यापकता समय और स्थान दोनों को पार कर गई। 
  • इसका मानवतावादी दृष्टिकोण कला, वास्तुकला, मूर्तिकला और मानव व्यक्तित्व की करुणा, सह-अस्तित्व, सतत जीवन और व्यक्तिगत विकास में अभिव्यक्ति प्राप्त करने के सूक्ष्म गुणों में व्याप्त है।  

पृष्ठ्भूमि

  • यह सम्मेलन न केवल बौद्ध साझी विरासत का जश्न मनाएगा, बल्कि हमारे देशों के बीच संबंधों को और भी अधिक मजबूत करेगा।
  • यह सम्मेलन मस्तिष्कों का एक अनोखा मिलन है, जहां विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों के देश, लेकिन एक साझा सभ्यता विरासत के आधार पर उन्हें जोड़ने वाले एक सामान्य सूत्र के साथ, बौद्ध मिशनरियों द्वारा मजबूत किए गए, जिन्होंने विभिन्न संस्कृतियों, समुदायों और क्षेत्रों को समग्र रूप से एकीकृत करने में एक प्रमुख भूमिका निभाई। 
  • भारतीय उपमहाद्वीप और एशिया दो दिनों के विभिन्न विषयों पर चर्चा करेंगे और भविष्य में सदियों पुराने बंधनों को कायम रखने के तरीकों की रूपरेखा तैयार करेंगे।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.जलवायु लचीली कृषि (Climate Resilient Agriculture):

  • जलवायु लचीली कृषि (सीआरए) एक दृष्टिकोण है जिसमें जलवायु परिवर्तन में भी फसल और पशुधन उत्पादन के जरिए दीर्घकालिक उच्च उत्पादकता और कृषि आय प्राप्त करने के लिए मौजूदा प्राकृतिक संसाधन शामिल हैं। 
  • ये पद्धति आनेवाली पीढ़ी के लिए जलवायु परिवर्तन को देखते हुए गरीबी और भुखमरी को कम करेगी।
  • ICAR “दक्षिण एशिया में स्केलिंग-अप क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर (CSA) के लिए कंसोर्टियम (C-SUCSeS)” पर एक शोध कार्यक्रम में लगा हुआ है।
  • इस कार्यक्रम का फोकस उत्पादन और उत्पादकता को स्थायी रूप से बढ़ाना और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, पोषण और आय सृजन को भी बढ़ाना है।
  • यह कार्यक्रम सार्क क्षेत्र में कृषि अनुसंधान केंद्रों और विस्तार एजेंसियों को एक साथ लाने और जलवायु स्मार्ट प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रथाओं पर ज्ञान साझा करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
  • दक्षिण एशियाई सरकारें एक क्षेत्रीय बीज बैंक की अवधारणा, बीजों के क्षेत्रीय परीक्षण और प्रमाणन और पादप आनुवंशिक सामग्री और बीजों के हस्तांतरण के लिए एक रूपरेखा पर विचार करने के लिए सहमत हो गई हैं।
  • भारत का सार्क और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के साथ सहयोग है।
  • सार्क देशों के क्षमता विकास के लिए क्षेत्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और सार्क द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किए जाते हैं।
  • सरकार दक्षिण एशियाई क्षेत्र में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने, तकनीकी सहयोग को सुविधाजनक बनाने और नवीन, उपयुक्त और विश्वसनीय तकनीकों को लागू करने पर सहमत हुई है।

2. मृदा स्वास्थ्य की राष्ट्रीय परियोजना:

  • मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता पर राष्ट्रीय परियोजना 14वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान “कृषि क्षेत्र” में अम्ब्रेला स्कीम- हरित क्रांति-कृष्णोन्नति के तहत सतत कृषि के लिए राष्ट्रीय मिशन (NMSA) की एक उप-योजना थी।
  • अब, इसे 15वें वित्त आयोग की अवधि के दौरान राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के मृदा स्वास्थ्य घटक के रूप में लागू किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) का मृदा स्वास्थ्य घटक एक सतत योजना है जिसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों, जैविक उर्वरकों और जैव-उर्वरकों के संयुक्त उपयोग के माध्यम से मृदा परीक्षण आधारित एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन (आईएनएम) को बढ़ावा देना है।
  • INM प्रणाली को बढ़ावा देने से रासायनिक उर्वरकों की खपत कम होने और पौधों के पोषक तत्वों के जैविक स्रोतों के उपयोग में वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे मिट्टी की उर्वरता के साथ-साथ पोषक तत्वों के उपयोग की दक्षता में सुधार होगा।
  • हालाँकि, धनराशि की वास्तविक रिलीज़ विभिन्न सक्षम शर्तों पर निर्भर करती है जैसे कि पहले जारी की गई धनराशि का उपयोग, उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना, भौतिक-वित्तीय प्रगति की प्राप्ति, राज्यों / संघ शासित प्रदेशों द्वारा प्रासंगिक भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुपालन की प्राप्ति आदि।
  • सक्षम शर्तों को पूरा न करने से राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जारी की जाने वाली निधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • विभिन्न कारणों से जैसे राज्यों द्वारा धन की मांग, सभी पहलुओं में संकलन, और राज्यों को धन जारी करना 2021-22 के दौरान धीमा था, जिसके कारण बजट अनुमान चरण में रु.350.00 करोड़ से घटकर संशोधित अनुमान स्तर पर रु.100.00 करोड़ हो गया।

3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बाहर होने वाले राज्य:

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को देश में खरीफ 2016 सीजन से पेश किया गया था।
  • खरीफ 2016 में योजना की शुरुआत के बाद से, 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने एक या अधिक मौसमों में पीएमएफबीवाई को लागू किया था।
  • बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और गुजरात जैसे कुछ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने स्वयं के कारणों जैसे जोखिम और वित्तीय बाधाओं के बारे में धारणा के कारण इसे कुछ मौसमों के लिए लागू करने के बाद योजना से बाहर होने का विकल्प चुना है।
  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के प्रयासों के कारण, आंध्र प्रदेश खरीफ 2022 सीजन से इस योजना में फिर से शामिल हो गया है और पंजाब ने ऐसा करने के लिए बजट में घोषणा की है।
  • पीएमएफबीवाई सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध है और उनके लिए स्वैच्छिक है।
  • राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी जोखिम धारणा और वित्तीय विचारों आदि को ध्यान में रखते हुए इस योजना के तहत सदस्यता लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
  • यह योजना किसानों के लिए उनकी जोखिम धारणा के अनुसार खुद को नामांकित करने के लिए भी स्वैच्छिक है।
  • यद्यपि पीएमएफबीवाई के परिचालन दिशानिर्देशों में दावों के निपटान सहित प्रत्येक गतिविधि के लिए समय-सीमा प्रदान की गई है, कुछ राज्यों में उपज डेटा के विलंबित प्रसारण और राज्यों द्वारा प्रीमियम सब्सिडी में राज्य के हिस्से को देर से जारी करने जैसे कारणों से कुछ दावों के निपटान में थोड़ी देरी हुई है।
  • 2016-17 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) की शुरुआत के बाद से, योजना को लागू करने वाले राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में योजना के तहत कवरेज सकल फसल क्षेत्र (जीसीए) का लगभग 30% रहा है।

4.पीएम-किसान योजना:

  • पीएम-किसान के तहत लाभ जारी करना एक सतत प्रक्रिया है।
  • पीएम-किसान के लाभ संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों से डेटा प्राप्त होने और पीएम-किसान पोर्टल पर उसके सत्यापन के बाद जारी किए जाते हैं।
  • ऐसे किसान जो पीएम-किसान योजना के तहत लाभ के लिए अपना पंजीकरण नहीं करा पाए हैं या जो पंजीकृत हैं लेकिन लाभ प्राप्त नहीं कर पाए हैं, उनके लिए कई उपाय उपलब्ध हैं।
  • राज्य सरकारों ने योजना के लिए ब्लॉक, जिला और राज्य स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं, जिनके पास किसान अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं।
  • आम तौर पर जिला कृषि अधिकारी या जिला कलेक्टर उनकी शिकायतों को सुनने के लिए उपलब्ध होते हैं।
  • पीएम-किसान पोर्टल के ‘किसान कॉर्नर’ के तहत एक विशेष शिकायत तंत्र “हेल्प डेस्क” को शामिल किया गया है, जिसके माध्यम से किसान की शिकायत सीधे संबंधित नोडल अधिकारी को हस्तांतरित की जाती है।
  • किसान लोक शिकायत पोर्टल के माध्यम से भी अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं या अपनी शिकायत सीधे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग को भेज सकते हैं।
  • योजना के परिचालन संबंधी दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पीएम-किसान पोर्टल पर डेटा अपलोड करने से पहले पात्र किसानों की पहचान और सत्यापन करते हैं।
  • आधार प्रमाणीकरण के साथ पीएम-किसान पोर्टल पर अपलोड किए गए डेटा के सत्यापन के बाद प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण मोड के माध्यम से पात्र लाभार्थियों को लाभ हस्तांतरित किया जाता है, खाते और सरकारी कर्मचारियों/पेंशनरों के डेटा के सत्यापन के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस), आयकर विभाग के लिए खाता सत्यापन और आधार आधारित भुगतान के लिए आयकर दाता की स्थिति का सत्यापन और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के साथ। 
  • सरकार ने अपनी स्थापना के बाद से पीएम-किसान योजना के कार्यान्वयन में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
    • किसानों को स्व-पंजीकरण, लाभार्थियों की स्थिति की जांच, ई-केवाईसी, डेटा सुधार आदि जैसी विभिन्न सुविधाएं प्रदान करने के लिए पीएम-किसान पोर्टल पर ‘किसान कॉर्नर’ को शामिल करना।
    • पीएम-किसान पोर्टल पर ‘किसान कॉर्नर’ के माध्यम से किसानों को उपलब्ध सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए सामान्य सेवा केंद्रों (सीएससी) को शामिल करना।
    • आधार प्रमाणीकरण के लिए भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के साथ पीएम-किसान पोर्टल का एकीकरण; खाते और सरकारी कर्मचारियों/पेंशनरों के डेटा के सत्यापन के लिए सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ; आयकर दाता की स्थिति के सत्यापन के लिए आयकर विभाग के साथ; और खाता सत्यापन और आधार आधारित भुगतान के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) के साथ।
    • मणिपुर, नागालैंड और झारखंड में पात्रता के वैकल्पिक तंत्र का निर्माण।
    • PM-KISAN के तहत 5% लाभार्थियों का भौतिक सत्यापन।
    • राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सामना किए जाने वाले किसी भी और सभी मुद्दों के समाधान के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ साप्ताहिक समीक्षा बैठकें आयोजित करना।
    • योजना के प्रचार के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा विभिन्न शिविरों का आयोजन।
    • विभिन्न प्रक्रियाओं का निर्माण और आवश्यकता पड़ने पर राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को संबंधित मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) जारी करना।
    • लाभार्थियों के डेटा की लैंड सीडिंग।
    • एक परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) अर्थात् राष्ट्रीय किसान कल्याण कार्यक्रम कार्यान्वयन सोसायटी की स्थापना।

5. अटल इनोवेशन मिशन ने एटीएल सारथी की शुरूआत की:

  • अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) – नीति आयोग ने अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) के बढ़ते इकोसिस्‍टम को मजबूत करने के लिए एक व्यापक स्व-निगरानी ढांचा एटीएल सारथी शुरू किया।
  • अटल इनोवेशन मिशन युवा दिमाग में जिज्ञासा, रचनात्मकता और कल्पना को बढ़ावा देने के लिए भारत भर के स्कूलों में अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं (एटीएल) की स्थापना कर रहा है और डिजाइन थिंकिंग माइंडसेट, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, एडाप्टिव लर्निंग, फिजिकल कंप्यूटिंग आदि जैसे कौशल विकसित कर रहा है। 
  • अब तक एआईएम ने अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाएं (एटीएल) स्थापित करने के लिए 10,000 स्कूलों को वित्तीय सहायता प्रदान की है।
  • एआईएम एटीएल के प्रदर्शन को बढ़ाने और वांछित उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उपकरण और रूपरेखा विकसित करके इकोसिस्‍टम को लगातार मजबूत कर रहा है। 
  • एटीएल सारथी इस दिशा में एक ऐसी पहल है। 
    • जैसा कि नाम से पता चलता है, सारथी एक रथचालक है और एटीएल सारथी एटीएल को दक्ष और प्रभावी बनाएगा। 
    • इस पहल के चार स्तंभ हैं जो नियमित प्रक्रिया में सुधार के माध्यम से एटीएल के प्रदर्शन में वृद्धि को सुनिश्चित करेंगे, जैसे कि स्व-रिपोर्टिंग डैशबोर्ड जिसे ‘मायएटीएल डैशबोर्ड’ और वित्तीय और गैर-वित्तीय अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए स्कूलों के लिए कम्‍प्‍लायंस एसओपी,  क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण के माध्यम से उपयुक्‍त स्थानीय प्राधिकरण के सहयोग से एटीएल की ऑन-ग्राउंड सक्षमता और प्रदर्शन-सक्षमता (पीई) मैट्रिक्स के माध्यम से अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करने के लिए स्कूलों को स्वामित्व प्रदान करने के रूप में जाना जाता है।
  • एटीएल क्लस्टर का उद्देश्य किसी विशेष क्षेत्र में 20-30 एटीएल के क्लस्टर बनाने के लिए एटीएल और स्थानीय प्राधिकरणों को एक दूसरे के साथ मिलकर काम करने और निगरानी के लिए एक स्व-टिकाऊ मॉडल प्रदान करना है। 
    • ये एटीएल प्रशिक्षण, सहयोग, घटनाओं और सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों के माध्यम से एक दूसरे से सीख सकते हैं। 
    • एक पायलट के रूप में, एआईएम ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात जैसे क्षेत्रों में विभिन्न भागीदारों के साथ एटीएल सारथी को कार्यान्वित किया है।
  • मिशन निदेशक अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग ने कहा, “अटल इनोवेशन मिशन का उद्देश्य स्कूलों में एटीएल स्थापित करके भारत में लाखों युवा इनोवेटर्स को बढ़ावा देना है। 
    • उनके प्रदर्शन को और बेहतर बनाने के लिए, एआईएम ने एटीएल सारथी की शुरूआत की है।
    • यह एटीएल के प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए एक निगरानी और मूल्यांकन ढांचा प्रदान करता है।
    • हमारा मानना ​​है कि एटीएल सारथी एटीएल में आत्मनिर्भरता का एक बहुत महत्वपूर्ण तत्व जोड़ देगा जो एआईएम का अंतिम लक्ष्य है। 
    • हम पहल के कार्यान्वयन में देश की सभी सरकारों, निजी संस्थानों और नवाचार परिषदों से इसका हिस्सा बनने और मदद करने का आग्रह करते हैं।”

6.नि-क्षय मित्र कार्यक्रम (Ni-kshay Mitra Programe):

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान (Ni-kshay Mitra पहल) के तहत, देश भर के 9.69 लाख सहमति वाले टीबी रोगियों में से 9.55 लाख को निक्षय मित्र द्वारा अपनाया गया है (09.03.2023 तक)।
  • वैश्विक लक्ष्यों से पांच साल पहले 2025 तक टीबी से संबंधित सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ, राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम निम्नानुसार प्रमुख गतिविधियों को लागू करता है:
    • अधिक बोझ वाले क्षेत्रों में लक्षित हस्तक्षेपों के लिए राज्य और जिला विशिष्ट रणनीतिक योजना निर्माण।
    • दवा प्रतिरोधी टीबी सहित टीबी रोगियों को मुफ्त दवाओं और निदान का प्रावधान।
    • प्रमुख कमजोर और सह-रुग्ण आबादी में सक्रिय टीबी केस-खोज अभियान।
    • आयुष्मान भारत के साथ एकीकरण – समुदाय के करीब स्क्रीनिंग और उपचार सेवाओं को विकेंद्रीकृत करने के लिए स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र।
    • टीबी मामलों की अधिसूचना और प्रबंधन के लिए प्रोत्साहन सहित निजी क्षेत्र की भागीदारी।
    • उप-जिला स्तर तक आणविक नैदानिक प्रयोगशालाओं का विस्तार।
    • टीबी रोगियों को पोषण संबंधी सहायता के लिए निक्षय पोषण योजना।
    • कलंक को कम करने, सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने और स्वास्थ्य चाहने वाले व्यवहार में सुधार के लिए गहन आईईसी अभियान।
    • लाइन मंत्रालयों की भागीदारी के साथ बहु-क्षेत्रीय प्रतिक्रिया।
    • पल्मोनरी टीबी के संपर्कों के लिए टीबी निवारक चिकित्सा को बढ़ाना।
    • केस-आधारित वेब-आधारित पोर्टल नि-क्षय के माध्यम से अधिसूचित टीबी मामलों की ट्रैकिंग।

7. आईएनएस द्रोणाचार्य को प्रेसीडेंट कलर का पूर्वावलोकन पुरस्कार:

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा 16 मार्च, 2023 को भारतीय नौसेना के गनरी (गोलाबारी) स्कूल, आईएनएस द्रोणाचार्य को सम्मानित प्रेसीडेंट कलर का पूर्वावलोकन पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। 
  • प्रेसीडेंट कलर या निशान राष्ट्र की असाधारण सेवाओं के लिए किसी यूनिट को भारत के सर्वोच्च कमांडर, राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाने वाला सबसे सम्मानित पुरस्कार माना जाता है।
  • आईएनएस द्रोणाचार्य को गनरी तथा मिसाइल युद्धकला के सभी पहलुओें पर नौसेना के अधिकारियों और नाविकों, तटरक्षकों एवं मित्रवत विदेशी सामुद्रिक बलों के प्रशिक्षण का दायित्व सौंपा गया है। 
  • लक्ष्य पर प्रभावी तरीके से तोपखाने की प्रदायगी करने के लिए अधिकारियों और नाविकों का प्रशिक्षण आईएनएस द्रोणाचार्य का मूल फोकस है। 
    • यह समुद्री योद्धाओं को तैयार करता है और उन्हें हमारे शक्तिशाली युद्धपोतों को चलाने के लिए पेशेवर कौशल और अदम्य भावना से सुसज्जित करता है। 
    • यह यूनिट सागर प्रहरी बल के प्रशिक्षण के लिए नोडल केंद्र और हिन्द महासागर क्षेत्र (आईओआर) के कई देशों के लिए कांस्टेबुलरी प्रचालनों में प्रशिक्षण के लिए नौसेना केंद्र भी है।
    • यह यूनिट नौसेना और तटरक्षक में ड्रिल और समारोहों के लिए प्रशिक्षण प्राधिकरण भी है। आईएनएस द्रोणाचार्य को 2004 में गनरी और मिसाइल युद्ध में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भी निर्दिष्ट किया गया था। 
    • यह यूनिट संयुक्त कौशल की भावना से तोपखाना (आर्टिलरी) के भारतीय सेना स्कूल के साथ संबद्ध है। 
    • संस्थान के पूर्व छात्रों ने साहस, अटूट प्रतिबद्धता और त्रुटिहीन व्यावसायिकता के अनुकरणीय कार्यों के माध्यम से युद्ध एवं शांति काल में अपनी अलग पहचान बनाई है। 
    • संस्थान के पूर्व छात्रों में एक महावीर चक्र, कीर्ति चक्र और युद्ध सेवा पदक, पांच वीर चक्र तथा सात शौर्य चक्र पुरस्कार विजेता शामिल हैं।
  • गनरी स्कूल समय के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के एक स्कूल के रूप में उभरा है जो गनरी तथा मिसाइल युद्धकला के सभी पहलुओं पर प्रशिक्षण प्रदान करता है। 
  • राष्ट्र के प्रति गनरी स्कूल की अथक सेवा के सम्मान में, प्रेसीडेंट कलर आईएनएस द्रोणाचार्य को 16 मार्च 2023 को प्रदान किया जा रहा है।

8. विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस:

  • उपभोक्ता कार्य विभाग 15 मार्च 2023 को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाएगा। 
  • विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, 2023 का विषय “स्वच्छ ऊर्जा की गति से उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना” है। 
  • विषय के अनुरूप, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों जैसे जीवाश्म ईंधन की निर्भरता को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी लगाने और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के लिए तेजी से परिवर्तन का अधिकार देने पर प्रमुखता से जोर दिया गया है जो दीर्घकाल में स्थिरता, सुरक्षा, सामर्थ्य और उपभोक्ताओं तक पहुंच को बढ़ावा देगा।
  • ई-कॉमर्स उपभोक्ताओं के लिए खरीदारी के सबसे पसंदीदा माध्यमों में से एक के रूप में लगातार उभरा है। 
  • एनसीएच हाल ही में जोड़ी गई मैथिली, कश्मीरी और संथाली भाषाओं सहित 17 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध है। 
  • प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए LIFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) आंदोलन के अनुरूप, विभाग ने उपभोक्ताओं को योजनाबद्ध अप्रचलित यानी सीमित जीवन के साथ एक उत्पाद डिजाइन करने जिसके परिणामस्वरूप ई- कचरे में वृद्धि होगी, से बचाने के लिए “मरम्‍मत का अधिकार पोर्टल” बनाने की शुरुआत की है। 
  • उम्मीद है कि यह पोर्टल कलपुर्जों की कीमत, मौलिकता और वारंटी संबंधी चिंताओं को दूर करेगा। 
  • यह कलपुर्जों की प्रामाणिकता और मूल देश की जानकारी की जांच करने के तरीकों का उल्लेख करके उपभोक्ताओं को उत्पाद के बारे में बेहतर जानकारी देने में सक्षम करेगा।
  • पोर्टल उपभोक्ताओं को स्वयं मरम्मत करने में सक्षम बनाने, अधिकृत मरम्मत करने वालों के बारे में जानने और तीसरे पक्ष के मरम्मत करने वालों को बढ़ावा देने के लिए जानकारी देगा। 
  • निर्माता द्वारा वादा की गई वारंटी की अवधि के लिए असली कलपुर्जों की उपलब्धता के लिए एक इकोसिस्‍टम बनाने का प्रयास है।

 

14 March PIB :- Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 13 मार्च  2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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