विषयसूची:
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1. कैबिनेट ने आईएमटी/5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: दूरसंचार क्षेत्र में शुरू किए गए नीतिगत सुधारों के भारतीय अर्थव्यवस्था को होने वाले लाभ।
प्रारंभिक परीक्षा: 5जी स्पेक्ट्रम ।
मुख्य परीक्षा: आगामी 5जी सेवाओं में नए युग के व्यवसाय बनाने, उद्यमों के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करने और नवीन उपयोग और प्रौद्योगिकियों में रोजगार का सृजन करने की क्षमता है।आलोचनात्मक मुल्यांकन कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने स्पेक्ट्रम की नीलामी करने के दूरसंचार विभाग के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है जिसके माध्यम से सफल निविदादाताओं को 5जी सेवाएं प्रदान करने के लिए स्पेक्ट्रम सौंपा जाएगा।
उद्देश्य:
- 5जी सेवाएं जल्द ही शुरू की जाएंगी, जो 4जी से लगभग 10 गुना तेज होगी।
- 72 गीगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम की 20 वर्षों की अवधि के लिए नीलामी की जाएगी।
विवरण:
- डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से डिजिटल कनेक्टिविटी सरकार की प्रमुख नीतिगत पहलों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- ब्रॉडबैंड, विशेष रूप से मोबाइल ब्रॉडबैंड, नागरिकों के दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन गया है।
- 2015 के बाद से देश भर में 4जी सेवाओं के तेजी से विस्तार के माध्यम से इसे एक बड़ा बढ़ावा मिला है। 2014 में 10 करोड़ ग्राहकों की तुलना में आज 80 करोड़ ग्राहकों की ब्रॉडबैंड तक पहुंच है।
- इस तरह की पहलों के माध्यम से, सरकार अंत्योदय परिवारों तक मोबाइल बैंकिंग, ऑनलाइन शिक्षा, टेलीमेडिसिन, ई-राशन आदि उपलब्ध करवाने में सक्षम हुई है।
- देश में बनाया गया 4जी इको-सिस्टम अब 5जी के स्वदेशी विकास की ओर ले जा रहा है।
- भारत के 8 शीर्ष प्रौद्योगिकी संस्थानों में 5जी टेस्ट बेड सेटअप भारत में घरेलू 5जी तकनीक के लॉन्च को गति दे रहा है।
- मोबाइल हैंडसेट, दूरसंचार उपकरणों के लिए पीएलआई (उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन) योजनाएं और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन की शुरुआत से भारत में 5जी सेवाओं के शुभारंभ के लिए एक मजबूत इको-सिस्टम बनाने में मदद मिलने की उम्मीद है।
- वह समय दूर नहीं जब भारत 5जी और 6जी तकनीक के क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में उभरने वाला है।
- स्पेक्ट्रम 5जी इको-सिस्टम का एक अभिन्न और आवश्यक हिस्सा है।
- आगामी 5जी सेवाओं में नए व्यवसाय बनाने, उद्यमों के लिए अतिरिक्त राजस्व उत्पन्न करने और नवीन प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल से रोजगार का सृजन करने की क्षमता है।
- 20 साल की वैधता अवधि तक कुल 72097.85 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी जुलाई, 2022 के अंत तक की जाएगी।
- नीलामी (600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज), मध्यम (3300 मेगाहर्ट्ज) और उच्च (26 गीगाहर्ट्ज) फ्रीक्वेंसी बैंड में स्पेक्ट्रम के लिए आयोजित की जाएगी।
- यह उम्मीद की जाती है कि मध्यम और उच्च बैंड स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा 5जी के माध्यम से प्रौद्योगिकी-आधारित सेवाओं को रोल-आउट करने के लिए किया जाएगा, जो वर्तमान 4जी सेवाओं की तुलना में लगभग 10 गुना अधिक होगा।
- स्पेक्ट्रम नीलामी सितंबर, 2021 में घोषित दूरसंचार क्षेत्र के सुधारों को लाभान्वित करेगी।
- सुधारों में आगामी नीलामी के स्पेक्ट्रम पर शून्य स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (SUC) लिया जायगा जिससे परिचालन लागत कम होगी और इसका दूरसंचार नेटवर्क सेवाप्रदाताओं को लाभ मिलेगा।
- इसके अलावा, एक वार्षिक किस्त के बराबर वित्तीय बैंक गारंटी जमा करने की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया है।
- दूरसंचार क्षेत्र में सुधारों की गति को जारी रखते हुए, मंत्रिमंडल ने व्यापार करने में आसानी के लिए आगामी स्पेक्ट्रम नीलामी के माध्यम से निविदादाताओं द्वारा प्राप्त किए जाने वाले स्पेक्ट्रम के संबंध में विभिन्न प्रगतिशील विकल्पों की घोषणा की है।
- पहली बार, सफल निविदादाताओं द्वारा अग्रिम भुगतान करने की कोई अनिवार्य आवश्यकता नहीं है।
- स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान 20 समान वार्षिक किश्तों में किया जा सकता है।
- इससे नकदी की आवश्यकताओं में काफी कमी आने और इस क्षेत्र में व्यवसाय करने की लागत कम होने की उम्मीद है।
- 5जी सेवाओं के रोल-आउट को सक्षम करने के लिए पर्याप्त बैकहॉल स्पेक्ट्रम की उपलब्धता भी आवश्यक है।
- बैकहॉल की मांग को पूरा करने के लिए, मंत्रिमंडल ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं को ई-बैंड में प्रत्येक 250 मेगाहर्ट्ज के 2 कैरियर आवंटित करने का निर्णय लिया है।
- मंत्रिमंडल ने 13, 15, 18 और 21 गीगाहर्ट्ज बैंड के मौजूदा फ्रीक्वेंसी बैंड में पारंपरिक माइक्रोवेव बैकहॉल कैरियर की संख्या को दोगुना करने का भी निर्णय लिया।
- कैबिनेट ने ऑटोमोटिव, हेल्थकेयर, कृषि, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में मशीन से मशीन संचार, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे उद्योग 4.0 अनुप्रयोगों में नवाचारों की एक नई लहर को बढ़ावा देने के लिए निजी कैप्टिव नेटवर्क के विकास और स्थापना को सक्षम करने का भी निर्णय लिया।
2. विश्व व्यापार संगठन का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: भारत के हितों पर विभिन्न अंतराष्ट्रीय संघठनो और विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ)।
प्रसंग:
- विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में डब्ल्यूटीओ सुधार पर विषयगत सत्र के दौरान जिनेवा में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा वस्त्र मंत्री पीयूष गोयल द्वारा वक्तव्य दिया गया।
विवरण:
इसका मूल पाठ इस प्रकार है:
- “विश्व व्यापार संगठन का प्राथमिक उद्देश्य उस तंत्र के रूप में कार्य करना है जिसके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सदस्यों, विशेष रूप से विकासशील देशों और अल्प विकसित देशों (एलडीसी) के आर्थिक विकास का समर्थन करने का साधन बन सके ।
- हमें विशेष रूप से अपीलीय निकाय में सुधार की जरूरतों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है ताकि उसका कामकाज अधिक पारदर्शी और प्रभावी हो ।
- इसलिए, गैर-भेदभाव, पूर्वानुमेयता, पारदर्शिता के साथ-साथ सर्वसम्मति से निर्णय लेने की परंपरा और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में अंतर्निहित विकास को लेकर प्रतिबद्धता के सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण हैं।
- ऐसे सभी सुधारों में, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बहुपक्षीय नियम बनाने की प्रक्रियाओं को न तो दरकिनार और न ही कमजोर किया जाए।
- विकासशील और विकसित सदस्य देशों के बीच की खाई दशकों में कम नहीं हुई है बल्कि वास्तव में कई क्षेत्रों में चौड़ी हुई है। इसलिए, एसएंडडी प्रावधान अभी भी प्रासंगिक हैं।
- भारत विश्व व्यापार संगठन में उन सुधारों और आधुनिकीकरण एजेंडे का पुरजोर समर्थन करता है जो संतुलित, समावेशी और वर्तमान बहुपक्षीय प्रणाली के मूल सिद्धांतों को संरक्षित करे ।
- हमें उरुग्वे दौर के समझौतों में निहित मौजूदा विषमताओं को दूर करने के लिए भी सहमत होना चाहिए।
- अंत में यह सुझाव हैं कि सुधार प्रक्रिया महापरिषद और उसके नियमित निकायों से शुरू की जानी चाहिए, क्योंकि महापरिषद के पास मंत्रियों की ओर से कार्य करने का अधिकार है और विश्व व्यापार संगठन के मौजूदा निकायों के अधिकार को कम करने के उद्देश्य से सुधारों को लेकर चर्चा नहीं होनी चाहिए।”
3. मई 2022 में भारत के कुल व्यापार और सेवाओं के निर्यात में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारत के व्यापारिक हितों के विकास के लिए नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत का विदेश व्यापार
प्रसंग:
- मई 2022 में भारत के कुल व्यापार और सेवाओं के निर्यात में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई हैं।
विवरण:
- मई 2022* में भारत का कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त) 62.21 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 24.03 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
- मई 2022 में व्यापारिक निर्यात 38.94 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो मई 2021 के 32.30 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 20.55 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
- मई 2022* के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 23.28 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जो मई 2021 (17.86 बिलियन अमरीकी डॉलर) की तुलना में 30.32 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
- अप्रैल-मई 2022* में भारत का कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं का संयुक्त) 124.59 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है, जो पिछली समान अवधि में 25.90 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
- अप्रैल-मई 2022 की अवधि के लिए व्यापारिक निर्यात 78.72 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जबकि अप्रैल-मई 2021 की अवधि के दौरान यूएसडी 63.05 बिलियन के मुकाबले 24.86 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी।
- अप्रैल-मई 2022* के लिए सेवाओं के निर्यात का अनुमानित मूल्य 45.87 बिलियन अमरीकी डॉलर है, जो अप्रैल-मई 2021 (35.92 बिलियन अमरीकी डॉलर) की तुलना में 27.71 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
- मई 2022* में कुल आयात (वस्तुओं और सेवाओं को मिलाकर) 77.65 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 59.19 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
- अप्रैल-मई 2022* में कुल आयात 151.89 बिलियन अमरीकी डॉलर होने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 45.44 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
उत्पाद व्यापार:
- मई 2022 में उत्पाद आयात 63.22 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो मई 2021 में 38.83 बिलियन अमरीकी डॉलर के आयात से 62.83 प्रतिशत अधिक है।
- मई 2022 में व्यापारिक व्यापार घाटा 24.29 बिलियन अमरीकी डॉलर था, जो मई 2021 में 6.53 बिलियन अमरीकी डॉलर था,जिसमें 271.96 प्रतिशत की वृद्धि हुई ।
अप्रैल – मई 2022 में वस्तुओं का आयात:
- अप्रैल-मई 2022 की अवधि के लिए वस्तुओं का आयात 123.41 अरब अमरीकी डालर था, जबकि अप्रैल-मई 2021 की अवधि के दौरान 84.87 अरब अमरीकी डालर के मुकाबले 45.42 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी।
- अप्रैल-मई 2022 के लिए व्यापारिक व्यापार घाटा 44.69 अरब अमरीकी डॉलर था, जो अप्रैल-मई 2021 में 21.82 अरब अमरीकी डॉलर था, जिसमें 104.80 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- मई 2022 में गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न और आभूषण निर्यात 27.16 अरब अमरीकी डॉलर था, जो मई 2021 में 24.02 अरब अमरीकी डॉलर था।
- मई 2022 में गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न और आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) का आयात 34.79 अरब अमरीकी डॉलर था।
- अप्रैल-मई 2022 के दौरान गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात 55.60 अरब अमरीकी डॉलर था, जो अप्रैल-मई 2021 में 47.76 अरब अमरीकी डॉलर के गैर-पेट्रोलियम और गैर-रत्न और आभूषण निर्यात में 16.42 प्रतिशत की वृद्धि थी।
- गैर-पेट्रोलियम, गैर-रत्न एवं आभूषण (सोना, चांदी और कीमती धातु) का आयात अप्रैल-मई 2022 में 70.42 अरब अमरीकी डॉलर था ।
सेवाओं का व्यापार:
- मई 2022* में सेवाओं के आयात का अनुमानित मूल्य 14.43 अरब अमरीकी डॉलर है जो मई 2021 (9.95 अरब अमरीकी डॉलर) की तुलना में 45.01 प्रतिशत अधिक हैI
- मई 2022* में सेवा व्यापार संतुलन 8.85 अरब अमरीकी डॉलर अनुमानित है जिसमें मई 2021 (7.91 अरब अमरीकी डॉलर) की तुलना में 11.85 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- अप्रैल-मई 2022* के लिए सेवाओं के आयात का अनुमानित मूल्य 28.48 अरब अमरीकी डॉलर है, जो अप्रैल-मई 2021 (19.57 अरब अमरीकी डॉलर) की तुलना में 45.52 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्शाता है।
- अप्रैल-मई 2022* के लिए सेवा व्यापार संतुलन 17.39 अरब अमरीकी डॉलर अनुमानित है, जबकि अप्रैल-मई 2021 में यह 16.35 अरब अमरीकी डॉलर था जिसमें 6.39 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
4. भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड विनियम, 2016 में संशोधन किया:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड, भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड विनियम, 2016 ।
मुख्य परीक्षा:भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड द्वारा भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) विनियम, 2016 में संशोधन के प्रभाव बताइये।
प्रसंग:
- भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई/बोर्ड) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) (दूसरा संशोधन) विनियम, 2016 (सीआईआरपी विनियम) को 14 जून, 2022 को अधिसूचित किया।
विवरण:
- संशोधन में परिचालन लेनदारों के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 की धारा 9 के तहत दायर आवेदन के साथ फॉर्म जीएसटीआर-1, फॉर्म जीएसटीआर-3बी और ई-वे बिल का उद्धरण प्रस्तुत करने का प्रावधान है।
- दस्तावेजों का ये अतिरिक्त सेट, कॉरपोरेट देनदार, ऋण और दाखिले की प्रक्रिया को आसान बनाने में चूक के साथ लेनदेन के सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- इन दस्तावेजों को दावों का मिलान करने में मदद के लिए समाधान पेशेवर को प्रस्तुत किए गए दावों के हिस्से के रूप में भी प्रस्तुत किया जाएगा।
- इसके अलावा, संहिता की धारा 7 या 9 के तहत आवेदन दाखिल करने वाले लेनदारों को सुचारु पत्राचार सुनिश्चित करने के लिए अपने पैन और ईमेल आईडी का विवरण प्रस्तुत करना जरूरी है।
- सूचना उपलब्धता में सुधार के लिए, संशोधन बताता है कि कॉरपोरेट देनदार, उसके प्रमोटरों या कॉरपोरेट देनदार के प्रबंधन से जुड़े किसी अन्य व्यक्ति के लिए इस तरह के प्रारूप में और समय पर समाधान पेशेवर द्वारा मांगी गई जानकारी प्रदान करना उनका कर्तव्य है।
- संशोधन बताता है कि लेनदारों के लिए कॉरपोरेट देनदार की संपत्ति और देनदारियों, वित्तीय विवरण की जानकारी और उनके रिकॉर्ड से अन्य प्रासंगिक वित्तीय जानकारी और उपलब्ध रिपोर्ट साझा करना उनका कर्तव्य है ।
- संशोधन में कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को बंद करने के बाद न्याय निर्णय प्राधिकरण के पास दायर परिहार आवेदनों के उपचार के मुद्दे की भी व्याख्या है।
- यह प्रावधान करता है कि समाधान योजना में उस तरीके का प्रावधान होगा जिसमें समाधान योजना के अनुमोदन के बाद ऐसे आवेदनों को आगे बढ़ाया जाएगा और अगर कोई प्रक्रिया के अनुरूप है तो इस प्रकार की कार्यवाही की जाएगी।
- संशोधन में सीआईआरपी के दौरान मूल्यांकन में महत्वपूर्ण अंतर की परिभाषा शामिल है और यह लेनदारों की समिति को तीसरे मूल्यांकनकर्ता की नियुक्ति के संबंध में समाधान पेशेवर से अनुरोध करने में सक्षम बनाता है।
5. भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (शिकायत और शिकायत प्रबंधन प्रक्रिया) विनियमन, 2017 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण और जांच) विनियमन, 2017 में संशोधन:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण और जांच) विनियमन, 2017 .भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण और जांच) (संशोधन) विनियमन, 2022
मुख्य परीक्षा:
प्रसंग:
- भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने एक सुव्यवस्थित और त्वरित शिकायत निवारण प्रक्रिया को स्थापित करने के लिए दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (शिकायत और मुकदमा से निपटने की प्रक्रिया) विनियमन, 2017 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण और जांच) विनियमन, 2017 में संशोधन करके भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (शिकायत और मुकदमा से निपटने की प्रक्रिया) (संशोधन) विनियमन, 2022 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण और जांच) (संशोधन) विनियमन, 2022 अधिसूचित किया।
विवरण:
- दिवाला और शोधन अक्षमता कोड, 2016 (कोड) को भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (शिकायत और मुकदमा से निपटने की प्रक्रिया) विनियमन, 2017 के साथ पढ़ा जाता है, जो दिवाला पेशेवरों, दिवाला पेशेवर एजेंसियों और सूचना उपयोगिताओं के खिलाफ दायर शिकायतों और मुकदमों के निवारण के लिए तंत्र प्रदान करता है।
- इसके अलावा, भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (निरीक्षण और जांच) विनियमन, 2017 के साथ पठित कोड यानी संहिता दिवाला पेशेवर एजेंसियों, दिवाला पेशेवरों और सूचना उपयोगिताओं का निरीक्षण और जांच करने और अनुशासन समिति द्वारा आदेश पारित करने के लिए तंत्र प्रदान करती है।
- शिकायत/मुकदमों के निवारण तंत्र और बाद में प्रवर्तन कार्रवाई में संशोधन किया गया है ताकि शीघ्र निवारण किया जा सके और सेवा प्रदाताओं पर अनुचित बोझ डालने से बचा जा सके।
- इस तरह की देरी को कम करने और त्वरित और परिणामोन्मुखी प्रवर्तन तंत्र सुनिश्चित करने के लिए, संशोधन विनियमन में निम्नलिखित प्रावधान है:
- वर्तमान तंत्र में विलंब की समस्या के समाधान के लिए (शिकायत और मुकदमें से निपटने की प्रक्रिया) विनियम, 2017 और (निरीक्षण और जांच) विनियम, 2017 में प्रदान की गई।
- आईपी के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की जांच के माध्यम से आईपी को विनियमित करने में आईपीए की प्रभावी भागीदारी।
- संशोधन विनियम 14 जून, 2022 से प्रभावी हैं।
6. बांध सुरक्षा अधिनियम, 2021:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, प्रतिरूप, सफलताएं और सीमाएं।
प्रारंभिक परीक्षा: बांध सुरक्षा अधिनियम- 2021
मुख्य परीक्षा: बांध सुरक्षा अधिनियम- 2021 के उद्देश्य की सफलता और विफलता पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में केंद्रीय जल आयोग 16 जून, 2022 को नई दिल्ली में देश में बांध सुरक्षा शासन के लिए बांध सुरक्षा अधिनियम- 202 पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
उद्देश्य:
- राष्ट्रीय़ कार्यशाला का उद्देश्य इस अधिनियम के प्रावधानों के बारे में सभी हितधारकों को संवेदनशील बनाना तथा देश में बांध सुरक्षा पर विचार-मंथन करना है।
विवरण:
- भारत में वर्तमान में 5,334 बड़े बांध मौजूद हैं, जबकि 411 अन्य बड़े बांध निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं।
- महाराष्ट्र 2,394 बांधों के साथ पहले स्थान पर है, जबकि मध्य प्रदेश और गुजरात बांधों की संख्या के मामले में दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
- भारत के बांधों में वार्षिक रूप से लगभग 300 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी का भंडारण होता है। ये बांध काफी पुराने हैं।
- लगभग 80 प्रतिशत बांध 25 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 227 से अधिक बांध तो 100 वर्ष से भी अधिक आयु के हैं। इन बांधों की उम्र बढ़ने और बांधों का रखरखाव ठीक न होने से बांधों की सुरक्षा चिंता का विषय बन गया है।
- बांध सुरक्षा अधिनियम- 2021 संसद द्वारा अधिनियमित किया गया था और यह 30 दिसंबर, 2021 से लागू हो गया था।
- इस अधिनियम का उद्देश्य बांध की विफलता से संबंधित आपदाओं की रोकथाम और इनके सुरक्षित कामकाज को सुनिश्चित करने तथा एक संस्थागत तंत्र उपलब्ध कराने के लिए निर्दिष्ट बांध की निगरानी, निरीक्षण, संचालन और रखरखाव सुनिश्चित करना है।
- अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, केंद्र सरकार ने एक समान बांध सुरक्षा नीतियों, प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं को विकसित करने में मदद करने के लिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय बांध सुरक्षा समिति (एनसीडीएस) के गठन को पहले ही अधिसूचित कर दिया है।
- इसके अलावा, राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण (एनडीएसए) को भी बांध सुरक्षा नीतियों और मानकों के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक नियामक निकाय के रूप में कार्य करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
- यह अधिनियम मौजूदा तथा जलवायु परिवर्तन जैसे नए मुद्दों के तहत महत्वपूर्ण बांध सुरक्षा मामलों का व्यापक रूप से निपटान करता है।
- इसके प्रमुख प्रावधानों में बांधों का नियमित निरीक्षण, बांधों का जोखिम वर्गीकरण; आपातकालीन कार्य योजना; एक स्वतंत्र पैनल द्वारा व्यापक बांध सुरक्षा समीक्षा; बांधों की समय पर मरम्मत और रखरखाव के लिए धन; परिचालन और रखरखाव मैनुअल; घटनाओं और विफलता का रिकॉर्ड; जोखिम मूल्यांकन अध्ययन; जल-मौसम विज्ञान और भूकंपीय नेटवर्क सहित बांध उपकरण; एजेंसियों की मान्यता; आकस्मिक या आपातकालीन बाढ़ चेतावनी प्रणाली और अपराध तथा दंड जैसे प्रावधान शामिल हैं।
- इस कार्यशाला में मंत्री/नीति-निर्माता, जल शक्ति मंत्रालय, केंद्र/राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों के वरिष्ठ अधिकारी, टैक्नोक्रैट्स केंद्रीय जल आयोग, शिक्षाविदों, सार्वजनिक उपक्रमों, निजी क्षेत्र और बांध मालिकों के साथ-साथ बांध और बांध सुरक्षा शासन से जुड़े सभी लोग शामिल होंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं।
15 June 2022 : PIB विश्लेषण :-Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 14 June 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
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