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19 मार्च 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. भारत और मालदीव के बीच चौथा डिफेंस को-ऑपरेशन डायलॉग माले में संपन्न हुआ:   
  2. सागर परिक्रमा चरण IV: 
  3. कवक जनित एंजाइम लैकेस:
  4. 5वां पोषण पखवाड़ा:
  5. श्रम-20 की स्थापना बैठक:

1.भारत और मालदीव के बीच चौथा डिफेंस को-ऑपरेशन डायलॉग माले में संपन्न हुआ:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: भारत एवं इसके पडोसी-सम्बन्ध।

प्रारंभिक परीक्षा: डिफेंस को-ऑपरेशन डायलॉग (डीसीडी)। 

मुख्य परीक्षा: भारत-मालदीव संबंधों पर एक लेख लिखिए।    

प्रसंग: 

  • भारत और मालदीव ने 19 मार्च, 2023 को माले में चौथे डिफेंस को-ऑपरेशन डायलॉग (डीसीडी) यानी रक्षा सहयोग संवाद का आयोजन किया। 

उद्देश्य:

  • यह डीसीडी दोनों देशों के बीच सबसे बड़ा संस्थागत परस्पर संवादात्मक तंत्र है।  

विवरण:  

  • दोनों सशस्त्र बलों के बीच भविष्य में संबंधों के निर्धारण में इसकी अहमियत को देखते हुए दोनों देश इन वार्ताओं को महत्व देते रहे हैं।  
  • संवाद के दौरान, वर्तमान में जारी रक्षा सहयोग से जुड़ी गतिविधियों की समीक्षा की गई और दोनों पक्षों ने बढ़ते जुड़ाव पर संतोष जाहिर किया। 
  • वार्ता में मौजूदा द्विपक्षीय अभ्यास शामिल थे और इस दौरान दोनों देशों ने इन अभ्यासों की जटिलता को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
  • भारत और मालदीव के सशस्त्र बलों द्वारा कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की तलाश जारी है और बढ़ती हुई व्यस्तता द्विपक्षीय संबंधों के भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है। 
  • गिरिधर अरमाने ने मेजर जनरल अब्दुल्ला शमाल और उनके प्रतिनिधिमंडल को एक सार्थक संवाद के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि भारत चौथे डीसीडी में बनी आम समझ के आधार पर जुड़ाव जारी रखने के लिए तत्पर है।

2. सागर परिक्रमा चरण IV:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।   

प्रारंभिक परीक्षा:सागर परिक्रमा कार्यक्रम।   

मुख्य परीक्षा:सागर परिक्रमा तटीय क्षेत्रों के मुद्दों और मछुआरा समुदाय से संबंधित समस्याओं को सम्बोधित करने में महत्वपूर्ण हैं। इस कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालिये।   

प्रसंग: 

  • भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के साथ-साथ मत्स्य पालन विभाग, कर्नाटक सरकार, गोवा सरकार, भारतीय तट रक्षक, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण और मछुआरों के प्रतिनिधि सागर परिक्रमा चरण IV मना रहे हैं, जो गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह से 17 मार्च 2023 को आरंभ हुआ।

उद्देश्य:

  • सागर परिक्रमा एक ऐसा कार्यक्रम है जो सरकार की दूरगामी नीतिगत कार्यनीति को दर्शाता है जिससे तटीय क्षेत्रों के मुद्दों और मछुआरा समुदाय से संबंधित समस्याओं को समझने के लिए मछुआरों और मत्स्य कृषकों के साथ सीधा परस्पंर संवाद होता है। 
  • इसका मछुआरों और मत्स्य कृषकों तथा अन्य हितधारकों द्वारा खुले हृदय के साथ स्वागत किया जा रहा है और वे इसे मत्स्य पालन क्षेत्र में अपने विकास के एक माध्यम के रूप में देखते हैं।   

विवरण:  

  • आईएएस की उपस्थिति में गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह से सागर परिक्रमा चरण-IV यात्रा आरंभ हुई थी और उत्तर कन्नड़ तट के साथ-साथ आगे बढ़ते हुए, 18 मार्च 2023 को कारवार बंदरगाह से मजली पहुंची, जिसके बाद कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ के तटीय क्षेत्र की यात्रा की गई। 
  • सागर परिक्रमा चरण IV ने 3 प्रमुख तटीय जिलों के कुल 10 स्थानों जिनके नाम हैं- मजली, कारवार, बेलम्बरा, मानकी, मुरुदेश्वर, अल्वेकोडी, मालपे, उछिला, मैंगलोर को कवर किया और 19 मार्च 2023 को मैंगलोर टाउनहॉल में यह यात्रा समाप्त हो गई। 
    • चरण IV कार्यक्रम गोवा के मोरमुगाओ बंदरगाह से 17 मार्च 2023 को आरंभ हुआ और 19 मार्च 2023 को मैंगलोर में इसका समापन हुआ।
  • इस संवादमूलक सत्र से मछुआरों को उनके सामने आने वाले मुद्दों को सामने लाने में मदद मिली और इससे मत्स्य पालन के विकास में सहायता मिलेगी। 
    • मछुआरों और मत्स्य कृषकों ने नावों के लिए डीजल और मिट्टी के तेल की आपूर्ति, मछली पकड़ने से संबंधित कार्यकलापों के लिए इंजन नौकाओं के लिए सब्सिडी, वृद्ध मछुआरों, जो मछली पालन नहीं कर रहे हैं और जिन्हें सामाजिक सुरक्षा की आवश्यकता है, के लिए जरूरी सहायता, कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र के विकास के लिए आवश्यक सहायता आदि जैसे मुद्दों को उठाया। 
    • इसके अतिरिक्त, लाभार्थियों ने आने वाले समय में सागर परिक्रमा जैसे कार्यक्रमों, समुद्री एम्बुलेंस की उपलब्धता के लिए आवश्यक सहायता, मछुआरों, मत्स्य कृषकों के लिए पहचान प्रमाण पत्र की अनुपलब्धता से संबंधित मुद्दों आदि के लिए अनुरोध किया। 
    • इसके अतिरिक्त, अंतर-राज्य समन्वयन समिति के गठन पर भी चर्चा की गई।
  • सागर परिक्रमा के (I, II, III, IV) चरणों के बारे में जानकारी दी गई।
  • केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई), मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता (अंतर्देशीय और समुद्री दोनों के लिए) बढ़ाने पर प्रमुख ध्यान देने के साथ-साथ नीली क्रांति की अन्य बहुआयामी गतिविधियों के बारे में जानकारी दी जिनमें अवसंरचना का विकास, विपणन, निर्यात और संस्थागत व्यवस्थाएं आदि शामिल हैं। 
  • समुद्री एम्बुलेंस की शुरूआत करना हमारे देश के मछुआरों के लिए बहुत मददगार साबित होगा और हमारे मत्स्यपालन क्षेत्र को प्राथमिक क्षेत्र माना जा सकता है। 
  • पीएमएमएसवाई योजना गतिविधियों को पूरा करने से भारत के मत्स्यपालन क्षेत्र पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा।
    • इसका उद्देश्य मछली पकड़ने और जलीय कृषि में आधुनिक और वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर मछली के उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना है। 
    • इससे न केवल मछुआरों और मत्स्य पालकों की आय में बढ़ोत्तरी होगी बल्कि बाजार में मछली की उपलब्धता भी बढ़ेगी, जिसका खाद्य सुरक्षा और पोषण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 
    • इसके अलावा, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पीएमएमएसवाई योजना से मत्स्यपालन क्षेत्र में रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे, जिसमें देश की आर्थिक वृद्धि और विकास में योगदान मिलेगा। 

पृष्ठ्भूमि:

  • सागर परिक्रमा की यात्रा देश की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के बीच स्थायी संतुलन स्थापित करने, मछुआरा समुदायों के बीच के अंतराल को पाटने और उनकी अपेक्षाओं, मछली पकड़ने के गांवों का विकास, मछली पकड़ने के बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों जैसी अवसंरचना का उन्नयन और निर्माण के बीच चिरस्थायी संतुलन विकसित करने और आने वाले चरणों में पारिस्थितिकी तंत्र दृष्टिकोण अपनाने पर केंद्रित है।

3. कवक जनित एंजाइम लैकेस:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी: 

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारत कि उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा:कवक जनित एंजाइम लैकेस,अधःस्तर संलिप्तता (सबस्ट्रेट प्रामिस्क्यूइटी)  । 

प्रसंग: 

  • कवक जनित एंजाइम लैकेस की अधस्तर संलिप्तता (सबस्ट्रेट प्रामिस्क्यूइटी) औद्योगिक डाई के प्रवाह को कम करने की क्षमता दर्शाती है। 

विवरण:  

  • कवक के एक समूह द्वारा उत्पन्न लैकेस नामक एक एंजाइम को विभिन्न प्रकार के उन खतरनाक कार्बनिक रंजकों (डाई) के अणुओं को नष्ट करने में सक्षम पाया गया है जो कपड़ा उद्योग में कपड़े रंगे जाने के बाद नियमित रूप से अपशिष्ट जल प्रवाह में बह जाते हैं। 
  • यह देखी गई विशेषता जिसे वैज्ञानिकों ने अधःस्तर संलिप्तता (सबस्ट्रेट प्रामिस्क्यूइटी) कहा है, पर्यावरण को हरा-भरा बनाने के लिए एक प्राकृतिक समाधान के माध्यम से अत्यधिक डाई-प्रदूषित पानी के उपचार के लिए एंजाइम-लेपित कैसेट को डिजाइन करने में गहन रूप से प्रभावी हो सकता है।
  • लैकेस को अब तक विभिन्न कार्बनिक अणुओं को विखंडित कर सकने की अपनी क्षमता के लिए जाना जाता था। 
  • इसलिए वैज्ञानिकों ने कपड़ा उद्योगों से निकलने वाले डाई अपशिष्टों के उपचार/विखंडन के लिए एक तकनीक विकसित करने में इसका उपयोग करने की संभावना देखी।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान ने कुछ मानक डाई अणुओं जैसे मिथाइल ग्रीन, क्रिस्टल वायलेट, थियोफ्लेविन टी, कौमारिन 343 और ब्रिलियंट ब्लू को विखंडित करने में लैकेस की प्रभावकारिता का परीक्षण किया।
laccase

source:PIB

  • पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट-यूवी)/दृश्य वर्णक्रम विज्ञान (विज़िबल स्पेक्ट्रोस्कोपी) और कंप्यूटर अनुरूपता (सिमुलेशन) के संयोजन से अलग-अलग गतिकी एवं आवेश (काइनेटिक्स एंड चार्ज), आकृति और आकार में व्यापक भिन्नता वाले कई कार्बनिक डाई अणुओं को एंजाइम लैकेस द्वारा विखंडित किया जा सकता है। 
  • कवक के एक समूह द्वारा उत्पन्न लैकेस में दो अलग-अलग ऑक्सीकरण अवस्थाओं में 4 तांबे के परमाणु होते हैं जो अपघटन (रेडॉक्स) प्रतिक्रियाओं के माध्यम से सबस्ट्रेट्स को विखण्डित कर सकते हैं और केवल पानी और कार्बन, नाइट्रोजन और गंधक (सल्फर) के गैर-विषाणु या कम विषैले ऑक्साइड का उत्पादन करते हैं।
  • कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग और सिमुलेशन का उपयोग करते हुए वैज्ञानिकों ने इस अध: स्तरीय संलिप्तता (सब्सट्रेट प्रामिस्क्यूइटी) के पीछे आणविक तापगतिज स्रोत (थर्मोडायनामिक ओरिजिन) और व्याप्त तंत्र को स्पष्ट किया है। 
  • आणविक संयोजन (मॉलिक्यूलर डॉकिंग) और आणविक गतिशीलता (मॉलिक्यूलर डायनामिक्स-एमडी) सिमुलेशन अध्ययनों ने पुष्टि की है कि लैकेस की सक्रिय साइट को समाहित करने वाले लूप की गठनात्मक नम्यता (प्लास्टिसिटी) के कारण अलग-अलग आवेश (चार्ज) और आकार वाले डाई अणुओं की सक्रिय साइट में एक विस्तृत श्रृंखला को समायोजित कर सकती है। 
  • बाध्यकारी क्षेत्र का आकार भी अनुकूल रूप से बदल सकता है। विभिन्न प्रकार की अंतःक्रियाओं के बीच आंतरिक निरस्तीकरण बहुत भिन्न अणुओं के लिए लगभग समान बाध्यकारी संबंध की ओर ले जाता है।
  • इस प्रकार लैकेस की यह सब्सट्रेट प्रामिस्क्यूइटी औद्योगिक डाई अपशिष्टों के लिए एक व्यापक- वर्णक्रम वाले विखंडक (डिग्रेडर) के लिए एक महती जैव- तकनीकी क्षमता प्रदान करती है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. 5वां पोषण पखवाड़ा:

  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ 20 मार्च 2022 से 3 अप्रैल 2023 तक पांचवां पोषण पखवाड़ा मनाएगा।
  • पखवाड़ा का उद्देश्य, जन आंदोलन और जन भागीदारी के माध्यम से पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और खाने की स्वस्थ आदतों को बढ़ावा देना है।
  • पोषण पखवाड़ा का केंद्र-बिंदु, कुपोषण को दूर करने के लिए एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में ‘श्री अन्न’- जिसे सभी अनाजों की जननी कहा जाता है- को लोकप्रिय बनाना है। 
  • प्रधानमंत्री द्वारा 8 मार्च 2018 को शुरू किया गया पोषण अभियान, लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने और पोषण पर चर्चा को मुख्य-धारा में लाने में सहायक रहा है। 
  • पोषण अभियान की शुरुआत पोषण संबंधी परिणामों में समग्र रूप से सुधार लाने के उद्देश्य से की गयी थी। 
  • कुपोषण-मुक्त भारत के वांछित लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण घटक है- व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन।
  • पोषण पखवाड़ा प्रत्येक वर्ष मार्च के महीने में 15 दिनों तक मनाया जाता है। 
    • इसी तरह, सितंबर के महीने को, पूरे देश में राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। 
    • अब तक मनाए गए पोषण माह और पखवाड़ा में; सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, अग्रिम पंक्ति की संस्थाओं, मंत्रालयों के साथ-साथ आम लोगों की व्यापक भागीदारी देखी गयी है। 
    • पोषण पखवाड़ा, 2022 में देश भर में करीब 2.96 करोड़ कार्यक्रम आयोजित किये गए थे।
  • पोषण पखवाड़ा 2023 की थीम है- “सभी के लिए पोषण: एक साथ, स्वस्थ भारत की ओर।” 
  • 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष के रूप में घोषित होने के साथ, इस वर्ष पोषण पखवाड़ा का केंद्र-बिंदु, कुपोषण को दूर करने के लिए एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में ‘श्री अन्न’ -जिसे सभी अनाजों की जननी कहा जाता है- को लोकप्रिय बनाने पर होगा।
  • पोषण पखवाड़ा के दौरान आयोजित होने वाले कार्यक्रम, अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित करेंगे:
  1. मोटे अनाज आधारित खाद्य पदार्थों को पूरक पोषण से जोड़ने, घर-घर तक पहुँचने, आहार परामर्श शिविर आदि के आयोजन के माध्यम से पोषण-कल्याण के लिए श्री अन्न/मोटे अनाज को बढ़ावा देना और इन्हें लोकप्रिय बनाना।
  2. स्वस्थ बालक प्रतिस्पर्धा समारोह: अच्छे पोषण, अच्छे स्वास्थ्य और तंदुरूस्ती के लिए प्रतिस्पर्धा की स्वस्थ भावना पैदा करके परिभाषित मानकों के अनुरूप ‘स्वस्थ बालक’ की पहचान करना और इसका उत्सव मनाना
  3. सक्षम आंगनवाड़ियों को लोकप्रिय बनाना: आंगनवाड़ियों को लोकप्रिय बनाने और जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान चलाए जाएंगे, इसके लिए आंगनवाड़ियों को बेहतर पोषण, प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा के केंद्रों के रूप में उन्नत अवसंरचना और सुविधाओं के साथ सक्षम किया जाएगा।
  • महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, पोषण पखवाड़ा के दौरान कार्यक्रमों के समन्वय के लिए नोडल मंत्रालय होगा। 
    • राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग/समाज कल्याण विभाग पोषण पखवाड़ा के लिए नोडल विभाग होंगे।

2. श्रम-20 की स्थापना बैठक:

  • भारत की जी-20 अध्यक्षता के हिस्से के रूप में श्रम-20 (एल-20) आयोजन समूह की स्थापना बैठक  पंजाब के अमृतसर में वैश्विक कार्यबल से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर विचार-विमर्श के साथ शुरू हुई, ताकि जी-20 देशों और संस्थानों को अंतिम व्यक्ति तक विकास पर ध्यान केंद्रित करने के लिए दिशा प्रदान की जा सके।
  • भारत की जी-20 अध्यक्षता के अंतर्गत श्रम-20 की स्थापना बैठक में श्रमिक संघठनों के नेताओं, श्रम अध्ययन विशेषज्ञों और जी-20 देशों के प्रतिनिधियों ने सामाजिक सुरक्षा के सार्वभौमिकरण और महिलाओं को काम के भविष्य के केंद्र में रखने का आह्वान करने की तैयारी के बारे में चर्चा की है।
  • श्रम-20 बैठक में जी-20 में शामिल अन्य देशों के श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों के अलावा, जी-20 के पिछले अध्यक्ष, इंडोनेशिया और अगले अध्यक्ष ब्राजील के प्रतिनिधि भी भाग ले रहे हैं। 
    • भारतीय मजदूर संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सी. के. साजी नारायणन ने कहा कि आर्थिक संकट महिलाओं पर सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव डालता है, और इसलिए काम का भविष्य प्रमुख रूप से महिला कार्यबल पर निर्भर करता है, जिसे विश्व स्तर पर दिशा की आवश्यकता है। 
  • बैठक के दौरान श्रम के अंतर्राष्ट्रीय प्रवास और सामाजिक सुरक्षा कोष के आसान स्थानांतरण पर पांच समानांतर तकनीकी सत्र; अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक संरक्षण; कौशल प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन तथा नियोक्ताओं, कर्मचारियों और सरकारों की भूमिका और उत्तरदायित्व; जी20 देशों में कार्य की बदलती दुनिया और रोजगार के नए अवसर; और सस्टेनेबल डिसेंट वर्क को बढ़ावा देना विषय पर आयोजित किए गए। 
  • दो दिवसीय श्रम-20 की स्थापना बैठक के दूसरे दिन महत्वपूर्ण रूप से महिलाओं और काम के भविष्य पर चर्चा होगी।

 

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लिंक किए गए लेख में 18 मार्च 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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