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विषयसूची:

  1. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 84,328 करोड़ रुपये के 24 पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों की आवश्यकता को मंजूरी दी:
  2.  शहद के भौगोलिक संकेत (जीआई) के प्रचलन और उपयोग:
  3.  वर्षांत समीक्षा- 2022: भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय)”:
  4.  हीट एक्शन प्लान: 
  5. प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से मुकाबले की तैयारियों के लिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की:
  6. दो और आयुष संस्थानों को एनएबीएच और एनएबीएल की आधिकारिक मान्‍यता:
  7. भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 17वें दौर की बैठक:
  8. ग्रीन बिल्डिंग पुरस्कार:
  9.  पर्यटन उद्योग महिला कार्यबल के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक:
  10. फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय: 

1. रक्षा अधिग्रहण परिषद ने 84,328 करोड़ रुपये के 24 पूंजीगत अधिग्रहण प्रस्तावों की आवश्यकता को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: सरकारी नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी)।   

प्रसंग: 

  • रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने 22 दिसंबर, 2022 को आयोजित बैठक में 24 पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (एओएन) को मंजूरी दी है।

उद्देश्य:

  • इस एएनओ को मंजूरी प्रदान किए जाने से भारतीय सेना परिचालन तैयारियों के लिए परिवर्तनकारी मंचों और उपकरणों, जैसे कि फ्यूचरिस्टिक इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल, हल्के टैंक और माउंटेड गन प्रणाली से युक्त होगी। 
  • इन स्वीकृत प्रस्तावों में हमारे सैनिकों के लिए बेहतर सुरक्षा स्तर वाले बैलिस्टिक हेलमेट की खरीद भी शामिल है।  

विवरण:  

  • कुल 84,328 करोड़ रुपये के इन प्रस्तावों में भारतीय सेना के लिए छह, भारतीय वायु सेना के लिए छह, भारतीय नौसेना के लिए 10 और भारतीय तटरक्षक बल के लिए दो प्रस्ताव शामिल हैं। 
  • यह उल्लेखनीय है कि इनमें स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए 82,127 करोड़ रुपये (97.4 फीसदी) के 21 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। 
  • डीएसी की यह अद्वितीय पहल न केवल सशस्त्र बलों का आधुनिकीकरण करेगी, बल्कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रक्षा उद्योग को भी पर्याप्त बढ़ावा देगी।
  • नौसेना की पोत-रोधी मिसाइलों, बहुउद्देश्यीय पोतों और उच्च सहनशक्ति वाले स्वायत्त वाहनों की खरीद के लिए दी गई इस मंजूरी से भारतीय नौसेना की क्षमताओं को बढ़ावा देने वाली समुद्री ताकत में और अधिक बढ़ोतरी होगी।
  • मिसाइल प्रणाली की नई रेंज, लंबी दूरी के निर्देशित बम, पारंपरिक बमों के लिए रेंज संवर्द्धन किट और उन्नत निगरानी प्रणाली को शामिल करके भारतीय वायु सेना को और अधिक घातक क्षमताओं के साथ मजबूत किया जाएगा। 
  • भारतीय तट रक्षक के लिए अगली पीढ़ी के अपतटीय गश्ती जहाजों की खरीद तटीय क्षेत्रों में निगरानी क्षमता को नई ऊंचाइयों तक बढ़ाएगी।

2. शहद के भौगोलिक संकेत (GI) के प्रचलन और उपयोग:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन: 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास हेतु हस्तक्षेप,उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न होने वाले मुद्दे।  

प्रारंभिक परीक्षा: “राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन” (एनबीएचएम),”मधुक्रान्ति पोर्टल”,राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी),भौगोलिक संकेतक (जीआई) से सम्बंधित तथ्य।

प्रसंग: 

  • देश में शहद क्षेत्र को समग्र रूप से प्रोत्साहन देने और सहयोग करने के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के अंतर्गत 100 शहद एफपीओ/क्लस्टर की पहचान की गई है।इसी क्रम में नई दिल्ली के कृषि भवन में शहद के भौगोलिक संकेतक (जीआई) के प्रचलन और उपयोग पर एक बैठक आयोजित की गई।

उद्देश्य:

  • जीआई टैगिंग से मधुमक्खी पालन समुदाय के उत्थान में काफी मदद मिलेगी क्योंकि टैग के बाद मधुमक्खी पालक शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों में मूल्यवर्धन की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।  

विवरण:  

  • एक भौगोलिक संकेत (GI) उन उत्पादों पर उपयोग किया जाने वाला एक संकेत है, जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और इस क्षेत्र में उत्तम गुणों या प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करता है। 
  • राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग महत्वपूर्ण है।
  • जीआई टैग उत्पादकों के राजस्व और क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि करके ग्रामीण क्षेत्र को बढ़ावा देगा। 
  • इसमें भौगोलिक संकेतकों के लिए अद्वितीय विशेष गुणवत्ता/विशेषता का उल्लेख किया गया है। 
  • यह टैग किए गए उत्पादों की नकल करने से रोकता है, इसलिए यह भारत में भौगोलिक संकेतकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है। 
  • यह टैग अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों को दिया जाता है इसलिए यह ग्राहकों की संतुष्टि में वृद्धि करता है। उत्पादों की अच्छी गुणवत्ता उत्पादकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के अवसर खोलती है। 
  • बदलते मार्केटिंग डायनेमिक्स यानी विपणन गतिशीलता के साथ, आज सभी उद्योगों के लिए जियो टैगिंग सेवा का सर्वोत्तम उपयोग करना आवश्यक होता जा रहा है।
  • गौरतलब हैं की सरकार ने आत्मनिर्भर भारत घोषणा के अंतर्गत तीन वर्ष 2020-21 से 2022-23 के लिए 500 करोड़ परिव्यय के साथ “राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन” (एनबीएचएम) नामक एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना (सीएसएस) शुरू की है।
  • देश में शहद क्षेत्र को समग्र रूप से बढ़ावा देने और समर्थन देने के लिए एनबीएचएम के अंतर्गत 100 शहद किसान उत्पादक संघ-एफपीओ/समूहों की पहचान की गई है। 
  • “मधुक्रान्ति पोर्टल” एनबीएचएम के अंतर्गत एक और पहल है जिसे शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के स्रोत का पता लगाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और ब्लॉकचेन प्रणाली विकसित करने के लिए शुरू किया गया है।
  • भारत वर्तमान में लगभग 1,33,000 मीट्रिक टन (एमटी) शहद (2021-22) का उत्पादन कर रहा है।
  • भारत शहद का मुख्य निर्यातक देश भी बन गया है। देश ने वर्ष 2021-22 के दौरान दुनिया भर में 74,413.05 मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया है।
  • शहद की जीआई टैगिंग राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में मधुमक्खी पालकों/अन्य हितधारकों की मांग को बढ़ाकर उनकी आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देती है। 
  • शहद की जीआई टैगिंग उपभोक्ताओं को वांछित लक्षणों के उत्तम गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त करने में मदद करती है और प्रामाणिकता का आश्वासन देती है। 
  • इससे शहद में मिलावट रोकने में भी मदद मिलेगी।

3. वर्षांत समीक्षा- 2022: भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय):

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ;  

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा: डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी),प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) का वाटरशेड विकास घटक से सम्बंधित जानकारी एवं महत्व।   

प्रसंग: 

  • वर्षांत समीक्षा- 2022: भूमि संसाधन विभाग (ग्रामीण विकास मंत्रालय)।  

विवरण:  

  • भूमि संसाधन विभाग दो योजनाओं को कार्यान्वित कर रहा है। 
  • ये हैं- (i) डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी) और (ii) प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) का वाटरशेड विकास घटक।

इन योजनाओं और इनकी उपलब्धियों का संक्षिप्त सारांश इस प्रकार है:

  • डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआईएलआरएमपी):
      • केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत भूमि संसाधन विभाग (डीओएलआर) के अनुसार देश के 94 फीसदी से अधिक गांवों में भूमि अभिलेखों का कम्प्यूटरीकरण पूरा हो चुका है। 
      • वर्षांत विवरण में 29 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (देश के कुल 6,56,792 गांवों में से 6,20,166 गांवों) में यानी 94 फीसदी से अधिक क्षेत्रों में रिकॉर्ड ऑफ राइट्स (अधिकार अभिलेख) पूरा कर लिया गया है।
    • 21 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 70 फीसदी से अधिक भू-कर संबंधी मानचित्रों का डिजिटलीकरण किया गया है।
    • भू-कर संबंधी मानचित्र, जिसे भू-नक्शा भी कहा जाता है, भूमि रिकॉर्ड का एक डिजिटल रूप है, जो भूमि के टुकड़े के विभिन्न हिस्सों की सभी सीमाओं को उनकी लंबाई, क्षेत्र और दिशा के आधार पर दिखाता है।
    • इन मानचित्रों से कोई व्यक्ति अपनी जरूरतों के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में भूमि के टुकड़ों के स्वामित्व की स्थिति देख सकता है।
    • डिजिटल इंडिया भूमि अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (पहले राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम) को 1 अप्रैल, 2016 से केंद्र द्वारा 100 फीसदी वित्तीय पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में संशोधित और रूपांतरित किया गया था।
      • इस कार्यक्रम का उद्देश्य एक एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली विकसित करने के लक्ष्य से एक आधुनिक, व्यापक और पारदर्शी भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली विकसित करना है। 
      • साथ ही, इसके उद्देश्यों में (i) भूमि पर रियल टाइम जानकारी में सुधार करना, (ii) भूमि संसाधनों का वांछित उपयोग करना, (iii) जमींदारों और पूर्वेक्षकों, दोनों को लाभ पहुंचाना, (iv) नीति और योजना में सहायता करना, (v) भूमि विवाद को कम करना, (vi) धोखाधड़ी/बेनामी लेनदेन की जांच करना, (vii) राजस्व/पंजीकरण कार्यालयों के भौतिक दौरे की जरूरत को समाप्त करना, और (viii) विभिन्न संगठनों/एजेंसियों के साथ सूचना साझा करने में सक्षम बनाना है।  
      • सरकार ने डीआईएलआरएमपी के विस्तार को पांच साल यानी 2021-22 से 2025-26 तक के लिए मंजूरी दी है।
    • एकीकृत भूमि सूचना प्रबंधन प्रणाली भूमि के मालिकों, संबंधित अधिकारियों/एजेंसियों और इच्छुक व्यक्तियों/उद्यमियों आदि को संबंधित जमीन के किसी भी भूखंड की उचित व्यापक स्थिति की जानकारी देने को लेकर सभी उपलब्ध, प्रासंगिक जानकारी के लिए ऑनलाइन एकल खिड़की के माध्यम से पहुंच प्रदान करती है। 
    • यह प्रणाली देश के 321 जिलों में पहले ही शुरू की जा चुकी है।
  • विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीन) या भू-आधार:
      • विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (यूएलपीआईएन) प्रणाली पार्सल के भू-निर्देशांक के आधार पर हर एक भूमि पार्सल के लिए एक 14-अंकीय अल्फा-न्यूमेरिक अद्वितीय आईडी है। 
      • यह अंतरराष्ट्रीय मानक है और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स कोड मैनेजमेंट एसोसिएशन (ईसीसीएमए) मानक व ओपन जियोस्पेशियल कंसोर्टियम (ओजीसी) मानक का अनुपालन करता है। 
      • इसे पूरे देश में लागू किया जा रहा है। यूएलपीन में भूमि खंड के आकार और देशांतरीय व अक्षांशीय विवरण के अलावा स्वामित्व का विवरण भी होगा। 
      • यह अचल संपत्ति लेनदेन की सुविधा प्रदान करेगा, संपत्ति कराधान के मुद्दों के समाधान में सहायता करेगा और आपदा योजना व प्रतिक्रिया प्रयासों आदि में सुधार करेगा।
    • यूएलपीआईएन को अब तक 24 राज्यों में लागू किया जा चुका है। 
      • इनमें आंध्र प्रदेश, झारखंड, गोवा, बिहार, ओडिशा, सिक्किम, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, त्रिपुरा, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, असम, मध्य प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, तमिलनाडु, पंजाब, दादरा और नागर हवेली व दमन और दीव, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड हैं। 
      • इसके अलावा यूएलपीआईएन का प्रायोगिक परीक्षण अन्य 8 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में किया गया है।
  • सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस):
  • प्रलेखों/दस्तावेजों के पंजीकरण की एकसमान प्रक्रिया के लिए “एक राष्ट्र एक पंजीकरण सॉफ्टवेयर यानी राष्ट्रीय सामान्य दस्तावेज पंजीकरण प्रणाली (एनजीडीआरएस)” को राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जा रहा है। 
  • नवंबर, 2022 तक एनजीडीआरएस को अब तक 17 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जा चुका है। 
  • इनमें पंजाब, अंडमान और निकोबार, मणिपुर, गोवा, झारखंड, मिजोरम, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, दादरा और नगर हवेली, जम्मू और कश्मीर, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, लद्दाख, बिहार, असम, मेघालय और उत्तराखंड हैं।
  • भूमि अभिलेख/पंजीकरण डाटाबेस के साथ ई-न्यायालयों को जोड़ना:
      • भूमि रिकॉर्ड और पंजीकरण डेटाबेस के साथ ई-न्यायालयों को जोड़ने का उद्देश्य इन्हें प्रामाणिक प्रत्यक्ष जानकारी उपलब्ध कराना है। 
        • इसके परिणामस्वरूप मामलों का त्वरित निपटान होगा और आखिरकार भूमि विवादों में कमी आएगी। 
        • इसके अन्य लाभों में शामिल हैं:- (i) न्यायालयों के लिए रिकॉर्ड ऑफ राइट्स, भूमि-संदर्भित व विरासत डेटा सहित भूमि कर से संबंधित मानचित्र के ठोस और प्रामाणिक साक्ष्य को लेकर प्राथमिक (फर्स्ट हैंड) जानकारी की उपलब्धता, (ii) मामले को दर्ज करने के निर्णय के साथ-साथ विवादों के निपटान के लिए उपयोगी जानकारी, (iii) देश में भूमि विवादों की संख्या को कम करना और व्यापार करने और जीवन जीने में सुगमता को बढ़ावा देना।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई) का वाटरशेड विकास घटक:
    • भूमि संसाधन विभाग वर्षा सिंचित और अवक्रमित क्षेत्रों के विकास के लिए 2009-10 से केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) ‘एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम’ (आईडब्ल्यूएमपी) लागू कर रहा था।
  • 2015-16 में आईडब्ल्यूएमपी को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की व्यापक योजना के वाटरशेड विकास घटक के रूप में मिलाया गया था। 
    • इसमें अन्य बातों के साथ-साथ कई गतिविधियां शामिल हैं। इनमें टीला क्षेत्र उपचार, जल निकासी लाइन उपचार, मिट्टी व नमी संरक्षण, वर्षा जल संचयन, नर्सरी लगाना, वनीकरण, बागवानी, चरागाह विकास और संपत्ति रहित व्यक्तियों के लिए आजीविका  आदि हैं। 
    • वाटरशेड विकास कार्यक्रम भूमि निम्नीकरण, मृदा अपरदन, जल की कमी, जलवायु संबंधी अनिश्चितताओं आदि की समस्याओं का सबसे उपयुक्त समाधान साबित हुआ है। 
    • यह कार्यक्रम विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने, गरीबी कम करने और आजीविका में सुधार करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
  • डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 1.0 के तहत, लगभग 295 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 6382 परियोजनाओं को लागू करके महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की गई हैं।
  • डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0: सरकार ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए 49.5 लाख हेक्टेयर के भौतिक लक्ष्य और केंद्रीय हिस्से के रूप में 8,134 करोड़ रुपये के सांकेतिक वित्तीय परिव्यय के साथ डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 कार्यक्रम को जारी रखने की मंजूरी दी है।
  • डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0 योजना को 15 दिसंबर, 2021 को मंजूरी दी गई थी।

4. हीट एक्शन प्लान:

सामान्य अध्ययन: 1

भूगोल: 

विषय: महत्वपूर्ण भू-भीतिक घटनाएं और वनस्पति और प्राणी जगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव । 

प्रारंभिक परीक्षा:राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए), भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) एवं हीट एक्शन प्लान से सम्बंधित तथ्य। 

मुख्य परीक्षा:जलवायु परिवर्तन में हीट एक्शन प्लान का महत्व ।    

प्रसंग: 

  • केंद्रीय मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) हीट एक्शन प्लान को विकसित करने के लिए 23 राज्यों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

उद्देश्य:

  • पशुधन पर हीट वेव के प्रभाव पर पुछे गए एक प्रश्न में उन्होंने कहा कि हीट-वेव की स्थिति के लिए उच्च तापमान वाले राज्यों में हीट एक्शन प्लान विकसित किया जा रहा है।  

विवरण:  

  • हीट वेव के कारण उत्पन्न तनाव श्वसन और मृत्यु दर को बढ़ावा देता है, प्रजनन क्षमता में कमी लाता है, पशु व्यवहार को परिवर्तित करता है,और प्रतिरक्षा और अंतःस्रावी तंत्र को अवरुद्ध करता है, जिससे कुछ बीमारियों के लिए जानवरों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।
  • हीट एक्शन प्लान एक व्यापक पूर्व चेतावनी प्रणाली है और भीषण गर्मी के लिए तैयारी करने की योजना है। 
  • यह योजना असुरक्षित आबादी पर अत्यधिक गर्मी के स्वास्थ्य कुप्रभावों में कमी लाने की तैयारी, सूचना का साझाकरण और प्रतिक्रिया समन्वय को बढ़ावा देने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक उपाय प्रदान करती है। 
  • अनुकूल उपायों के रूप में, आईएमडी ने स्थानीय स्वास्थ्य विभागों के सहयोग से देश के कई हिस्सों में हीट एक्शन प्लान की शुरूआत की है, जिससे हीट वेव के बारे में चेतावनी प्रदान की जा सके और ऐसे अवसरों पर कार्रवाई करने की सलाह दी जा सके। ज्ञातव्य है कि हीट एक्शन प्लान की शुरुआत 2013 में हुई थी।
  • आईएमडी हीट वेव लिए पूर्व चेतावनी जारी करता है, जो कि मौसम की गंभीर घटनाओं में से एक है। 
  • हीट वेव के कारण देश में अप्रैल, मई और जून में अधिकतम तापमान में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी होती है और साथ ही साथ लू की लहरें भी चलती है। 
  • एक पहल के रूप में, आईएमडी मार्च के अंतिम सप्ताह से लेकर अप्रैल, मई और जून के लिए तापमान का पूर्वावलोकन जारी करता है। 
  • इस दृष्टिकोण के माध्यम से आईएमडी इस अवधि के दौरान हीट वेव के अपेक्षित परिदृश्यों के बारे में बताता है।
  • हाल ही में आईएमडी ने वेब आधारित ऑनलाइन “क्लाइमेट हैजार्ड एंड वल्नरेबिलिटी एटलस ऑफ इंडिया” को प्रकाशित किया है, जिसे 13 सबसे खतरनाक मौसम संबंधी घटनाओं के लिए तैयार किया गया है, जो व्यापक नुकसान, आर्थिक, मानव और पशु नुकसान के लिए जिम्मेदार होते हैं। 
  • यह एटलस हीट वेव सहित विभिन्न कठोर मौसम की घटनाओं के लिए प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान जारी करने के लिए आईएमडी के संकेत के रूप में काम करता है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. प्रधानमंत्री ने कोविड-19 से मुकाबले की तैयारियों के लिए उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की:

  • प्रधानमंत्री ने 22 दिसंबर को देश के लिए स्वास्थ्य को लेकर, देश में कोविड-19 की स्थिति, सार्वजनिक स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स की तैयारी, देश में टीकाकरण अभियान की स्थिति और कोविड-19 के नए वैरिएंट के उद्भव और उसकी स्थिति का आकलन करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
  • यह उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक कुछ देशों में कोविड-19 के मामलों में वृद्धि की पृष्ठभूमि में हो रही है।
  • भारत में कोविड-19 के मामलों में लगातार गिरावट देखी जा रही है, 22 दिसंबर, 2022 को समाप्त सप्ताह में औसत दैनिक संक्रमण के मामले गिरकर 153 और साप्ताहिक संक्रमण के मामले 0.14 प्रतिशत तक कम हो गए हैं। 
  • हालांकि, पिछले 6 सप्ताह वैश्विक स्तर पर 5.9 लाख दैनिक औसत मामले दर्ज किए गए हैं।
  • प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को विशेषकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ाने का निर्देश दिया। 
  • प्रधानमंत्री ने इस आवश्यकता पर बल दिया कि उपकरणों, प्रक्रियाओं और मानव संसाधन की दृष्टि से सभी स्तरों पर समस्‍त कोविड बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को तैयारियों के उच्च स्तर पर बनाए रखा जाए। 
    • उन्होंने राज्यों को ऑक्सीजन सिलेंडर, पीएसए संयंत्रों, वेंटिलेटर और मानव संसाधन सहित अस्पतालों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का त्‍वरित परिचालन सुनिश्चित करने के लिए कोविड विशिष्ट सुविधाओं का ऑडिट करने की सलाह दी। 
  • प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को कोविड टेस्टिंग के साथ-साथ जीनोम अनुक्रमण संबंधी प्रयासों को भी तेज करने का निर्देश दिया। 
  • राज्यों से कहा गया है कि वे हर दिन जीनोम अनुक्रमण के लिए आईएनएसएसीओजी की निर्दिष्ट जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं (आईजीएसएल) के साथ बड़ी संख्या में नमूने साझा करें। 
  • इससे देश में फैल रहे नए वैरिएंट, यदि कोई हो, का समय पर पता लगाने में मदद मिलेगी और आवश्यक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय करने में सुविधा होगी।
  • प्रधानमंत्री ने सभी से आग्रह किया कि वे हर समय कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन करें, खासतौर पर त्योहारों के आने वाले मौसम को देखते हुए, जिसमें भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनना भी शामिल है।

2. दो और आयुष संस्थानों को एनएबीएच और एनएबीएल की आधिकारिक मान्‍यता:

  • आयुष मंत्रालय के केन्‍द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (सीसीआरएएस) के तहत दो प्रमुख संस्थान केन्‍द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई), नई दिल्ली और केन्‍द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, झांसी को क्रमशः एनएबीएच और एनएबीएल की आधिकारिक मान्यता मिल गई है।
  • उल्लेखनीय है कि एनएबीएच भारतीय गुणवत्ता परिषद का मूल बोर्ड है, जिसकी स्‍थापना स्वास्थ्य सेवा संगठनों के मान्यता कार्यक्रमों को स्थापित करने और उन्‍हें चलाने के लिए की गई है। 
  • आधिकारिक मान्यता राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर रोगी सुरक्षा और स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • केन्‍द्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान, झांसी (उत्‍तर प्रदेश) सीसीआरएएस, आयुष मंत्रालय के प्रमुख संस्थानों में से एक है, जिसमें अत्याधुनिक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएं (रसायन विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, फार्माकोग्नॉसी), आयुर्वेदिक फार्मेसी, सेंट्रल हर्बेरियम और संग्रहालय, और नेशनल रॉ ड्रग्स रिपॉजिटरी (एनआरडीआर) हैं।
  • इन दो सीसीआरएएस संस्थानों के अलावा, पंचकर्म के लिए राष्ट्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान (एनएआरआईपी), चेरुथुरुथी, त्रिशूर, केरल को भी अपनी नैदानिक ​​प्रयोगशाला सेवाओं के लिए एनएबीएल एम (ईएल) टी की आधिकारिक मान्यता प्राप्त है। 
  • एनएआरआईपी, केरल केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय के अंतर्गत प्रमुख अनुसंधान संस्‍थाओं में से एक है।

3. भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 17वें दौर की बैठक:

  • भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 17वें दौर की बैठक 20 दिसंबर, 2022 को चीन की ओर चुशुल-मोल्दो सीमा मीटिंग प्वाइंट पर आयोजित की गई थी।
  • 17 जुलाई, 2022 को पिछली बैठक के बाद हुई प्रगति के आधार पर दोनों पक्षों ने खुले तथा रचनात्मक तरीके से पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के प्रासंगिक मुद्दों के समाधान पर विचार-विमर्श किया। 
    • उन्होंने जल्द से जल्द शेष विषयों के समाधान के उद्देश्य से काम करने के लिए दोनों देशों के नेताओं द्वारा दिए गए मार्ग निर्देशन के अनुरूप खुली और गहन चर्चा की, जो पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बहाल करने में सहायक होगी और द्वपक्षीय संबंधों में प्रगति को सक्षम करेगी।
  • इस बीच, दोनों पक्ष पश्चिमी क्षेत्र में जमीन पर सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने पर सहमत हुए। 
    • दोनों पक्षों ने निकट संपर्क में रहने तथा सैन्य और राजनयिक चैनलों के माध्यम से बातचीत करने तथा शीघ्र शेष विषयों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान पर सहमति व्यक्त की।

4. ग्रीन बिल्डिंग पुरस्कार:

  • यूआईडीएआई मुख्यालय भवन को शीर्ष ग्रीन बिल्डिंग पुरस्कार मिला। 
  • नई दिल्ली स्थित भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) मुख्यालय ने प्रतिष्ठित जीआरआईएचए अनुकरणीय प्रदर्शन पुरस्कार 2022 जीता है। यह राष्ट्रीय स्तर का शीर्ष ग्रीन बिल्डिंग पुरस्कार है।
  • जीआरआईएचए (ग्रीन रेटिंग फॉर इंटिग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट) भारत में ग्रीन बिल्डिंग के लिए राष्ट्रीय रेटिंग प्रणाली है।
  • यूआईडीएआई कार्बन फुट प्रिंट को कम करने के लिए रीसाइकल और पुनः उपयोग के विचार में विश्वास करता है और उसे बढ़ावा देता है। 
  • यह अपनी ऊर्जा खपत के एक भाग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहा है। 
  • यह पानी की रीसाइकलिंग और पुनः उपयोग कर रहा है तथा स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन व्यवहारों का पालन कर रहा है।
  • औसतन इसकी दैनिक पानी की खपत का 25 से 30 प्रतिशत रीसाइकल किए गए जल से आ रहा है। 
  • इसी प्रकार यूआईडीएआई मुख्यालय बिल्डिंग भी प्रतिवर्ष औसतन 3590 किलोलीटर भूजल रिचार्ज कर रही है।
  • 2021 में यूआईडीएआई मुख्यालय भवन को उप-विजेता घोषित किया गया था। 
  • यूआईडीएआई पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने के लिए निरंतर काम कर रहे हैं और देश के नेट जीरो टारगेट में योगदान दे रहा  हैं।

5. पर्यटन उद्योग महिला कार्यबल के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक:

  • पर्यटन उद्योग महिला कर्मचारियों के सबसे बड़े नियोक्ताओं में से एक है और सरकार महिला कर्मचारियों के सामने आने वाली कठिनाइयों को कम और महिला कर्मचारियों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करने के लिए विभिन्न विनियामक और स्वैच्छिक उपायों के माध्यम से उद्योग जगत के साथ जुड़ी है।
  • भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों द्वारा लागू किए गए कानूनों में विभिन्न प्रावधान महिला कर्मचारियों के लिए सुरक्षा, समान अवसर और कार्य के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं। 

इसमे शामिल है:

(i) सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020

(ii) पारिश्रमिक संहिता, 2019

(iii) मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 (2017 में यथासंशोधित)

(iv) कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013

6.फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालय:

  • 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 413 विशिष्ट पॉक्सो न्यायालयों सहित 733 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों का संचालन किया जा रहा है।
    • जिन्होंने योजना की शुरुआत के बाद से कुल 1,24,000 से अधिक मामलों का निपटान किया है और इन अदालतों में 31.10.2022 तक 1,93,814 मामले लंबित हैं।  
  • फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTC) की स्थापना और इसका संचालन राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है, जो अपनी आवश्यकता और संसाधनों के अनुसार तथा संबंधित उच्च न्यायालयों के परामर्श से इस तरह की अदालतों की स्थापना करती हैं। 
  • उच्च न्यायालयों द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, 2017 के बाद 242 और FTC की स्थापना की गयी है। 
  • केंद्र सरकार ने अक्टूबर, 2019 में 1023 फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) की स्थापना के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की है, जिसमें 31 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के 389 विशिष्ट पॉक्सो न्यायालय शामिल हैं, जो दुष्कर्म और पॉक्सो अधिनियम से संबंधित मामलों के त्वरित जांच और निपटान के लिए हैं तथा आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2018 और भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के स्वत: संज्ञान 25.7.2019 के निर्देशानुसार संचालित हैं। 
  • प्रारंभ में यह योजना 1 वर्ष के लिए थी, जिसे अब 31.03.2023 तक के लिए जारी रखा गया है।

 

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