विषयसूची:
|
1. भारत ने इंडोनेशिया में दूसरी इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) वार्ता दौर में भाग लिया:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF)।
प्रसंग:
- वाणिज्य विभाग के नेतृत्व में भारत के एक अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने 13-19 मार्च, 2023 तक बाली, इंडोनेशिया में दूसरे इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) वार्ता दौर में भाग लिया।
विवरण:
- संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई दारुस्सलाम, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम सहित 13 अन्य देशों के वार्ताकारों ने भी बाली वार्ता दौर में भाग लिया।
- बाली दौर के दौरान, IPEF के सभी चार स्तंभों पर चर्चा हुई: व्यापार (स्तंभ I); आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ II); स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III); और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (कराधान और भ्रष्टाचार विरोधी) – (स्तंभ IV)। भारत ने स्तंभ II से IV तक से संबंधित चर्चाओं में भाग लिया।
- वार्ता के दौरान, भारत ने दोहराया कि IPEF आर्थिक जुड़ाव को गहरा करेगा और क्षेत्र में व्यापार और निवेश में वृद्धि के माध्यम से समावेशी विकास को बढ़ावा देगा।
- इच्छुक भारतीय कंपनियों के प्रतिनिधियों ने क्रमशः 17 और 18 मार्च 2023 को IPEF बाली राउंड के मार्जिन पर आयोजित स्टेकहोल्डर्स एंगेजमेंट सेशन और बिजनेस फोरम में भाग लिया।
- IPEF पार्टनर्स ने अपनी संबंधित अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक प्रतिस्पर्धा और समृद्धि के लिए एक साझा दृष्टिकोण को बढ़ाने के लिए ठोस लाभों को साकार करने के उद्देश्य से पूरे 2023 में एक आक्रामक बातचीत कार्यक्रम के लिए प्रतिबद्ध किया है।
2. ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP) लॉन्च:
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: बुनियादी ढांचा-ऊर्जा ।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP), SDG 14
मुख्य परीक्षा:ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP) के महत्व पर प्रकाश डालिये।
प्रसंग:
- केंद्रीय बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्री (MoPSW) मंत्री ने कहा है कि भारत का लक्ष्य 2030 तक ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP) के लॉन्च के साथ ‘ग्लोबल हब फॉर ग्रीन शिप’ बिल्डिंग बनना है।
उद्देश्य:
- मंत्री ने हरियाणा के गुरुग्राम में भारत के पहले ग्रीन पोर्ट एंड शिपिंग में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoEGPS) का उद्घाटन किया।
विवरण:
- यह कार्यक्रम ‘ग्रीन हाइब्रिड टग्स’ के साथ शुरू होगा, जो ग्रीन हाइब्रिड प्रोपल्शन सिस्टम द्वारा संचालित होगा, और बाद में (मेथनॉल, अमोनिया, हाइड्रोजन) जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन समाधानों को अपनाएगा।
- प्रारंभिक ग्रीन टग्स को 2025 तक सभी प्रमुख बंदरगाहों में काम करना शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है।
- कम से कम 50% टगों को 2030 तक ग्रीन टग्स में परिवर्तित करने की संभावना है, जो उत्सर्जन को काफी कम कर देगा क्योंकि देश सतत विकास प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
- ग्रीन शिप बिल्डिंग में आत्मनिर्भरता के निर्माण के साथ-साथ मंत्रालय के दायरे में सभी संभावित क्षेत्रों में हरित समाधान की स्थापना की दिशा में अपने प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में काम किया जा रहा है।
- वर्ष 2030 तक ग्रीन शिप बिल्डिंग का ग्लोबल हब बनने की उम्मीद हैं क्योंकि इसमें जबरदस्त व्यावसायिक क्षमता है और यह एक हरित दुनिया के निर्माण के लिए पूरी तरह से समर्पित है।
- देश का पहला ग्रीन पोर्ट एंड शिपिंग में राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (NCoEGPS), भारत सरकार के बंदरगाह, शिपिंग और जलमार्ग मंत्रालय और ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) के बीच सहयोग का परिणाम है।
- NCoEGPS उद्योग के लिए नोडल इकाई के रूप में कार्य कर रहा है, 2030 तक भारत को ‘हरित जहाजों के निर्माण के लिए वैश्विक केंद्र’ के रूप में स्थापित करने की योजना है।
3. विमानन क्षेत्र में सतत विकास को बढ़ावा देने और हवाई अड्डों पर कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए की गई पहलें:
सामान्य अध्ययन: 3
आर्थिक विकास:
विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रीन हाऊस गैस, ग्रीन हवाई अड्डा।
मुख्य परीक्षा: हाल के वर्षों में नागर विमानन मंत्रालय ने विमानन क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहित करने तथा हवाई अड्डों पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अनेक पहलें शुरू की हैं। चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- नागर विमानन मंत्रालय ने विमानन क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहित करने तथा हवाई अड्डों पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए अनेक पहलें शुरू की हैं।
उद्देश्य:
- भारत के विमानन क्षेत्र में हाल के वर्षों में तेजी से वृद्धि हुई है। परिणामस्वरूप हवाई अड्डों का कार्बन उत्सर्जन बढ़ा है।
विवरण:
- हवाई अड्डों से ग्रीन हाऊस गैस उत्सर्जन को तीन स्थानों में वर्गीकृत किया जा सकता है-
- स्थान 1- हवाई अड्डों के अपने या नियंत्रित स्रोतों से उत्सर्जन। उदाहरण के लिए हवाई अड्डे का विद्यु संयंत्र जो जीवाश्म ईंधन का दहन करता है, गैसोलीन का उपयोग करने वाले पारंपरिक वाहन या डीजल ईंधन के उपयोग वाले पारंपरिक GSE।
- स्थान 2- खरीदी गई ऊर्जा (विद्युत ताप आदि) की खपत से अप्रत्यक्ष उत्सर्जन।
- स्थान 3- अप्रत्यक्ष उत्सर्जन जिसे हवाई अड्डा नियंत्रित नहीं करता, लेकिन प्रभावित कर सकता है।
- विश्लेषण के अनुसार हवाई अड्डे से कुल प्रत्यक्ष उत्सर्जन में स्थान 1 का योगदान 5 प्रतिशत तथा स्थान 2 का योगदान 95 प्रतिशत है।
- ग्रीन हवाई अड्डाः ग्रीन हवाई अड्डा उस हवाई अड्डे को कहा जाता है, जिसने अपने पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के सतत व्यवहारों को लागू किया है तथा सतत विकास को प्रोत्साहित किया है।
- ग्रीन हवाई अड्डों का उद्देश्य अपने कार्बन चिन्ह को कम करना, ऊर्जा और जल संसाधनों का संरक्षण, अपशिष्ट तथा उत्सर्जन में कमी लाना है।
- नागर विमानन मंत्रालय द्वारा हितधारकों को जागरूक बनाने के लिए की गई पहल:
- विमानन क्षेत्र में सतत विकास को प्रोत्साहित करने और हवाई अड्डों पर कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए नागर विमानन मंत्रालय ने निम्नलिखित कदम उठाए हैं-
- नागर विमानन मंत्रालय ने कार्बन एकाउंटिंग को मानक प्रदान करने तथा जलवायु परिवर्तन में कमी के साथ-साथ भारतीय हवाई अड्डों की रिपोर्टिंग ढांचे पर नॉलेज आदान-प्रदान करने का सत्र आयोजित किया।
- संचालन गत सभी ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों तथा भविष्य में आने वाले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा संचालकों को सलाह दी गई कि वेः
- कार्बन न्यूट्रलिटी और नेट जीरो, जो अन्य बातों के साथ 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा के उपयोग को शामिल करता है, प्राप्ति की दिशा में काम करें।
- पैनल में शामिल सत्यापनकर्ताओं के माध्यम से एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई)/ आईएसओ 14064 द्वारा मान्यता प्राप्त करें।
- कार्बन प्रबंधन योजनाओं के साथ-साथ कार्बन में कमी के उपाय अपनाएं।
- हवाई अड्डा आर्थिक विनियामक प्राधिकरण को हवाई अड्डा शुल्क निर्धारण के लिए हरित ऊर्जा उपयोग से जुड़ी लागत पर विचार करने की सलाह दी।
टिकाऊ विमानन ईंधन (SF) के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विमानन मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमः
- ICAO ने अंतर्राष्ट्रीय विमानन से उत्सर्जन कम करने में विमानन के लिए कार्बन ऑफ सेटिंग एंड रिडेक्शन स्कीम (CORSIA) प्रारंभ की है, जिसके लिए बेस लाइन मूल्य से ऊपर उत्सर्जन की भरपाई की आवश्यकता होती है। CORSIA योजना की परिकल्पना 3 चरणों में की गई हैः
- पायलट चरण- (2021-2023)
- पहला चरण- (2024-2026)
- दूसरा चरण (2027-2035)
- पायलट और पहला चरण स्वैच्छिक चरण हैं, जबकि दूसरा चरण सभी ICAO सदस्य राज्यों के लिए अनिवार्य है।
- भारत सरकार ने CORSIA के स्वैच्छिक चरणों में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है।
- भारतीय विमानन कंपनियों के लिए CORSIA के अंतर्गत भरपाई की आवश्यकता 2027 से प्रारंभ होगी।
- एयरलाइनें या तो SAF का उपयोग कर सकती हैं या ICAO स्वीकृत उत्सर्जन इकाई कार्यक्रमों से कार्बन क्रेडिट खरीद कर अपने उत्सर्जन की भरपाई कर सकती हैं।
- 41वीं ICAO महासभा में CORSIA की बेस लाइन को 2019 उत्सर्जन के 85 प्रतिशत तक संशोधित किया गया है।
- इसके अतिरिक्त एयरलाइनों के लिए इंडिविजुअल ग्रोथ फैक्टर (IGF) को 2030-2032 अनुपालन चक्र में 20 प्रतिशत से घटाकर शून्य प्रतिशत तथा अंतिम 2033-2035 अनुपालन चक्र में 70 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
- विमानन क्षेत्र में कार्बन घटाने के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बायो-एटीएफ कार्यक्रम को आगे ले जाने के लिए बायो-एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) कार्यक्रम समिति का गठन किया है।
- बायो-एटीएफ कार्यक्रम समिति ने पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट स्वीकृति के लिए प्रस्तुत की है।
- निजी भारतीय विमानन कंपनी स्पाइस जेट ने 2018 में एक इंजन में ATF (25:75 के अनुपात में) मिश्रित जैव ईंधन का उपयोग करते हुए बॉमबार्डियर-क्यू 400 विमान के साथ एक प्रदर्शन उड़ान आयोजित की थी।
- अभी एयर बस और बोइंग विमान एसएफए के 50 प्रतिशत मिश्रण के साथ उड़ान भरने में सक्षम हैं। दोनों निर्माताओं का लक्ष्य 2030 तक 100 प्रतिशत SAF क्षमता को सक्षम करना है।
- क्लीन स्काइज़ फॉर टुमारो (CST) विश्व आर्थिक मंच की एक पहल है, जो विमानन क्षेत्र को टिकाऊ विमानन के उपयोग में तेजी लाकर नेट जीरो उत्सर्जन की ओर बढ़ने में सहायता करती है।
- CST गठबंधन के प्रतिनिधि बायो-एटीएफ कार्यक्रम समिति के सदस्य हैं।
- एयरलाइंस, हवाई अड्डे, SAF उत्पादक तथा OEMCST गठबंधन का हिस्सा हैं।
हवाई अड्डों द्वारा की गई पहलेः
- उन्नत प्रौद्योगिकियों तथा ऑटोमेशन को अपनाना
- ऊर्जा कुशल एचवीएसी तथा लाइटिंग सिस्टम
- ऊर्जा कुशल बैगेज हैंडलिंग सिस्टम आदि
- ग्रीन बिल्डिंग मानकों के अनुरुप भवन डिजाइन
- दिन के उजाले की अवधारणाओं का उपयोग
- पर्यावरण अनुकूल सामग्री अपनाना
- ऑनसाइट सौर ऊर्जा संयंत्र का विकास
- खुली पहुंच, दीर्घकालिक विद्युत खरीद समझौता (पीपीए) आदि जैसे ऑफसाइट व्यवस्था के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग
- एयरपोर्ट कोलेबोरेटिव डिसिजन मेकिंग (ए-सीडीएम) को लागू करना
- हितधारक सहयोग और विचार-विमर्श आदि।
वायु क्षेत्र में ग्रीन हाऊस गैस (जीएचजी) में कटौती के लिए नागर विमानन मंत्रालय द्वारा की गई पहलें
- हवाई क्षेत्र का लचीला उपयोग (एफयूए): हवाई क्षेत्र के लचीले उपयोग के कारण अगस्त 2020 में इसके लागू किए जाने के बाद से ATF खर्चों पर लगभग 400 करोड़ रुपए की संचयी बचत के अतिरिक्त लगभग 90,000 टीसीओ 2 के कार्बन उत्सर्जन में संचयी कमी हासिल की गई।
- इसके अतिरिक्त भारतीय वायु सेना, रक्षा मंत्रालय के परामर्श और समन्वय से एफयूए के क्रियान्वयन से लगभग 128 सीडीआर (कंडीशनल मार्ग) लागू किए गए।
- केंद्रीय यातायात प्रवाह प्रबंधन (C-ATFM) का क्रियान्वयनः यह प्रबंधन तकनीक एएआईओ को भारतीय आकाश में रणनीतिक रूप से हवाई यातायात प्रवाह प्रबंधन में सहायता कर रही है।
- इससे कम देरी और क्षमता भंडारण तथा अनुकूलन सुनिश्चित करने में मदद मिली है, जिससे ईंधन की खपत और जीएचजी उत्सर्जन में कमी आई है।
- C-ATFM प्रणाली जनवरी 2017 में परिचालित की गई, जिसे भारत देशभर में हवाई यातायात प्रवाह नियंत्रण उपायों को लागू करने के लिए विश्व का 7वां देश (अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, जापान और ब्राजील के बाद) बन गया।
- C-ATFM लागू होने के कारण केलैंडर वर्ष 2022 के दौरान लगभग 2141 टन ATF की अनुमानित बचत हुई, जिसके परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन में लगभग 6767 टीसीओ 2 की कमी आई है।
- कार्य प्रदर्शन आधारित नेवीगेशन (पीबीएन) का क्रियान्वयनः पीबीएन हवाई मार्गों/आगमन प्रस्थान पथों/दृष्टिकोण प्रक्रियाओं के विकास को समर्थन देता है, जो ट्रैकमील अवतरण और चढ़ाई प्रोफाइल को कम/अनुकूलित करने में मदद करते हैं तथा इस तरह हवाई क्षेत्र की क्षमता बढ़ाते हैं।
- इन उपायों से परिचालन दक्षता में सुधार होता है और ईंधन खपत तथा जीएचजी उत्सर्जन में कमी आती है।
- निरंतर अवतरण संचालन (सीडीओ): सीडीओ को विमान को एक अत्यधिक ईंधन कुशल आगमन उड़ान पथ बनाए रखने की अनुमति देने के लिए लागू किया गया है, जो जमीन पर ईंधन की खपत तथा शोर को कम करने में मदद करता है।
- परिणामस्वरूप जीएचजी उत्सर्जन कम होता है।
एयरपोर्ट काउंसिलिंग इंटरनेशनल-वैश्विक रूपरेखा:
- एयर पोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) ने एयरपोर्ट कार्बन प्रत्यायन कार्यक्रम शुरू किया है, जो हवाई अड्डों पर कार्बन प्रबंधन का वैश्विक मानक है।
- कार्यक्रम हवाई अड्डों को अपने कार्बन उत्सर्जन का आकलन करने, कार्बन प्रबंधन योजना विकसित करने तथा उनके कार्बन चिन्हों को कम करने में सहायता देता है।
उपलब्धियां:
-
- देश के शीर्ष दो प्रमुख हवाई अड्डों- दिल्ली और मुंबई ने एसीआई के उच्चतम स्तर 4+ कार्बन प्रत्यायन प्राप्त किया है।
- आज एशिया प्रशांत में केवल तीन हवाई अड्डे हैं, जिन्हें यह उपलब्धि मिली है।
- हैदराबाद और बंगलूरू ने कार्बन न्यूट्रल (लेवल 3+) होने का दर्जा प्राप्त कर लिया है।
- कोलकाता, भुवनेश्वर और वाराणसी हवाई अड्डों पर एएआई ने दिसंबर 2019 में लेवल2 एयर पोर्ट कार्बन प्रत्यायन हासिल किया तथा 23 और हवाई अड्डों के लिए एसीआई-एसीए लेवल2 प्रमाणन प्रक्रिया में है।
- एएआई ने अब तक 54 मेगावाट से अधिक संचयी क्षमता वाले विभिन्न हवाई अड्डों पर सौर विद्युत संयंत्र पहले ही स्थापित कर दिए हैं।
- एएआई खुली पहुंच और हरित विद्युत शुल्क के माध्यम से लगभग 53 मिलियन यूनिट सौर ऊर्जा भी खरीद रहा है।
- इस तरह आज एएआई के हवाई अड्डों की कुल विद्युत खपत में नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) का हिस्सा लगभग 35 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
- अधिकतर हवाई अड्डों ने 2024 तक हरित ऊर्जा के 100 प्रतिशत उपयोग तथा 2030 तक नेट जीरो उपयोग की प्राप्ति का लक्ष्य दिया है।
- मुंबई, कोच्चि तथा 25 एएआई हवाई अड्डे 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं। कोच्चि हवाई अड्डा विश्व का पहला ग्रीन एयर पोर्ट है, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा संचालित है।
- एएआई ने 2024 तक अपनी शेष परिचालन हवाई अड्डों पर 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा प्राप्त करने का लक्ष्य दिया है।
- लगभग सभी प्रमुख हवाई अड्डों पर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किए गए हैं तथा शेष हवाई अड्डों पर एसटीपी स्थापित किए जा रहे हैं।
- भारतीय विमानन पतनन प्राधिकरण ने अपनी अनुसूचित परिचालन वाले हवाई अड्डों की योजना तैयार की है तथा वर्तमान और आने वाली हवाई अड्डा परियोजनाओं के लिए ऊर्जा तीव्रता को कम करने जैसी पहल की है।
- वायु यातायात नियंत्रकों को कार्बन न्यूट्रलिटी के प्रति जागरूक बनाने के लिए इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम विभाग के रूप में एक प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाया गया है।
- एयरपोर्ट कोलेबोरेटिव डिसिजन मेकिंग (ए-सीडीएम) के लागू करने से इंटर सेक्शन प्रस्थान को प्रोत्साहित करके जमीनी परिचालन दक्षता में वृद्धि हुई है, जिससे ईंधन और जीएचजी उत्सर्जन में कमी आई है।
- चेन्नई और कोलकाता हवाई अड्डों पर पायलट परियोजना के रूप में ग्रीन टैक्सिंग के लिए टैक्सी बॉट्स का प्रावधान किया जा रहा है ताकि विमान को उसके इंजन को चलाए बिना ले जाया जा सके, जिससे ATF के जलने से बचा जा सकेगा, जीएचजी उत्सर्जन में कमी आएगी।
- 100% नवीकरणीय ऊर्जा प्राप्त करने के लिए एएआई का रोडमैप:
- हासिल:
-
-
- (25 हवाई अड्डे)- पुड्डुचेरी, कानपुर (सिविल), हुबली, बेलगावी, मैसूर, तेजू, कांगड़ा, शिमला, कुल्लू, जम्मू, श्रीनगर, लेह, इंफाल, पकयोंग, पंतनगर, देहरादून, दीमापुर, जलगाँव, कोहलापुर, पुणे, औरंगाबाद, गोंदिया, अकोला, शोलापुर, जुहू।
-
- मार्च 2023 तक प्राप्त किया जाना है:
-
-
- (13 हवाई अड्डे)- भुवनेश्वर, झरसुगुड़ा, गोरखपुर, कुशीनगर, हिंडन, वाराणसी, प्रयागराज, बरेली, मुरादाबाद, जबलपुर, भोपाल, सलेम, तूतीकोरिन।
-
- जून 2023 तक प्राप्त किया जाना है:
- (12 हवाई अड्डे)- मेरठ, खजुराहो, इंदौर, बेगमपेट, कानपुर (चौक), कडप्पा, ग्वालियर, त्रिची, कोयम्बटूर, मदुरै, चेन्नई, कूचबिहार।
- दिसंबर 2024 तक प्राप्त किया जाना है:
-
- (46 हवाई अड्डे)- अयोध्या, तिरुपति, राजमुंधरी, लीलाबाड़ी, पोरबंदर, होल्लोंगी, देवघर, केशोड, विजाग, सूरत, गोवा, कालाबुरागी, कांडला, सफदरजंग, भावनगर, आगरा, रूपसी, जामनगर, अगरतला, बीकानेर, जैसलमेर, भुज, राजकोट, रायपुर, गया, दरभंगा, पटना, तेजपुर, जोरहाट, कोटा, कालीकट, डिब्रूगढ़, जोधपुर, किशनगढ़, रांची, विजयवाड़ा अमृतसर, उदयपुर, आदमपुर, लुधियाना, बठिंडा, पठानकोट, दीव, बारापानी, सिलचर, वड़ोदरा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. घुमन्तू विमुक्त जनजातियां:
- भारत सरकार ने फरवरी, 2014 में राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग (एनसीडीएनटी) का गठन, अन्य बातों के साथ-साथ, विमुक्त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजातियों संबंधी जातियों की राज्य-वार सूची तैयार करने के लिए किया था।
- एनसीडीएनटी ने 08.01.2018 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 1235 समुदायों को विमुक्त तथा घुमंतू समुदायों के रूप में चिन्हित किया गया है।
- मंत्रालय ने 16.02.2022 को डीएनटी समुदायों के कल्याणार्थ ‘’डीएनटी समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण की स्कीम (सीड)’’ आरंभ की है।
- अगले पांच वर्षों के लिए इस स्कीम का कुल परिव्यय 200 करोड़ रुपए है।
इस स्कीम के निम्नलिखित चार घटक हैं:-
- डीएनटी उम्मीदवारों को प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए सक्षम बनाने हेतु उन्हें गुणवत्तापरक कोचिंग प्रदान करना,
- उन्हें स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना,
- सामुदायिक स्तर पर आजीविका पहल की सुविधा उपलब्ध कराना और
- इन समुदायों के सदस्यों हेतु घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
इसके अलावा, डीएनटी समुदायों के कल्याणार्थ यह मंत्रालय निम्नलिखित स्कीमें भी कार्यान्वित कर रहा है:-
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकपूर्व छात्रवृत्तियों की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम।
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्तियों की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम।
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए विद्यालयों में उत्कृष्ट शिक्षा की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम (नया इंटरवेंशन)।
- ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए महाविद्यालयों में उत्कृष्ट शिक्षा की केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम (नया इंटरवेंशन)।
- भारत सरकार ने फरवरी, 2014 में घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजातियों के कल्याणार्थ राष्ट्रीय विमुक्त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग (एनसीडीएनटी) का गठन किया था।
- एनसीडीएनटी ने 08.01.2018 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। एनसीडीएनटी ने अनेक कार्यकलाप आरंभ किए हैं, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ, विमुक्त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू समुदायों की सूची तैयार करना, समुदाय के प्रतिनिधियों तथा एनजीओ के साथ विचार-विमर्श करना, फील्ड दौरे करना, प्राप्त शिकायत याचिकाओं तथा ज्ञापनों का विश्लेषण करना आदि शामिल हैं।
- आयोग ने इन समुदायों के कल्याणार्थ किए जाने वाले कई उपायों की भी सिफारिश की है।
2.‘एआईएस फॉर टैक्सपेयर’ मोबाइल ऐप का शुभारंभ:
- आयकर विभाग ने करदाताओं की सुविधा के लिए वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस)/करदाता सूचना सारांश (टीआईएस) में उपलब्ध जानकारी को देखने के लिए ‘एआईएस फॉर टैक्सपेयर’ नाम से एक मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया है। ‘एआईएस फॉर टैक्सपेयर’ आयकर विभाग द्वारा निःशुल्क प्रदान किया जाने वाला एक मोबाइल एप्लिकेशन है।
- इस ऐप का उद्देश्य करदाता को एआईएस/टीआईएस का विस्तृत विवरण प्रदान करना है जो करदाता से संबंधित विभिन्न स्रोतों से एकत्रित जानकारी को प्रदर्शित करता है।
- करदाता इस मोबाइल ऐप का उपयोग एआईएस/टीआईएस में उपलब्ध अपने टीडीएस/टीसीएस, ब्याज, लाभांश, शेयर लेनदेन, कर भुगतान, आयकर रिफंड, अन्य सूचनाओं (जीएसटी डेटा, विदेशी प्रेषण, आदि) से संबंधित जानकारी देखने के लिए कर सकते हैं।
- यह अनुपालन में आसानी को सुविधाजनक बनाने वाली करदाता सेवाएं प्रदान करने की दिशा में आयकर विभाग द्वारा की गई एक और पहल है।
3. राष्ट्रपति निलयम का उद्घाटन:
- भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 22 मार्च, 2023 को राष्ट्रपति निलयम में आगंतुकों द्वारा भ्रमण की शुरुआत करने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करके उसकी गरिमा बढ़ाईं।
- इस अवसर पर राष्ट्रपति ने जय हिंद रैंप के जीर्णोद्धार व संरक्षण और ऐतिहासिक फ्लैग पोस्ट की प्रतिकृति की नींव भी रखीं।
- जय हिंद रैंप अतीत में परिसर की जल की जरूरतों को पूरा करने वाले एक ऐतिहासिक बावड़ी से जुड़ा हुआ है।
- वहीं, ऐतिहासिक फ्लैग पोस्ट के माध्यम से 1948 में हैदराबाद राज्य के भारतीय संघ में एकीकरण को चिह्नित किया गया है।
- पहली बार राष्ट्रपति निलयम के विरासत भवन को आम जनता के लिए खोला गया है।
- इससे पहले लोग सीमित अवधि के लिए साल में केवल एक बार निलयम के उद्यानों का भ्रमण कर सकते थे।
- निलयम के दौरे के दौरान आगंतुक राष्ट्रपति भवन, डाइनिंग क्षेत्र सहित इमारत को अंदर से देख सकते हैं।
- आगंतुक राष्ट्रपति भवन और राष्ट्रपति निलयम के इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- इसके अलावा ‘नॉलेज गैलरी’ में संविधान और भारत की राष्ट्रपति की भूमिका व जिम्मेदारियों के बारे में जान सकते हैं।
- ‘नॉलेज गैलरी’ को पहले अस्तबल के रूप में उपयोग किया जाता था।
- इसके अलावा आगंतुक राष्ट्रपति निलयम के परिसर में जय हिंद रैंप और फ्लैग पोस्ट पॉइंट के साथ-साथ नेचर ट्रेल भी देख सकते हैं।
- निलयम गार्डन के विभिन्न खंड जैसे कि रॉक गार्डन, हर्बल गार्डन, बटरफ्लाई और नक्षत्र गार्डन जनता के लिए खुले रहेंगे।
- राष्ट्रपति निलयम राष्ट्रपति के दक्षिणी प्रवास को छोड़कर पूरे वर्ष आम जनता के लिए खुला रहेगा।
4. नागरिक अलंकरण समारोह- I:
राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में 22 मार्च, 2023 को एक अलंकरण समारोह आयोजित किया गया और भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 2023 के लिए तीन पद्म विभूषण, चार पद्म भूषण और सैंतालीस पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए।
22 March PIB :- Download PDF Here
सम्बंधित लिंक्स:
Comments