विषयसूची:
1. भारत और मालदीव अक्षय ऊर्जा हस्तांतरण के लिए ट्रांसमिशन इंटरकनेक्शन स्थापित करेंगे:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते ।
प्रारंभिक परीक्षा: वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (ओएसओडब्ल्यूओजी)।
प्रसंग:
- केंद्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने मालदीव गणराज्य की पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और प्रौद्योगिकी मंत्री सुश्री अमीनाथ शौना से मुलाकात की।
उद्देश्य:
भारत ने वर्ष 2030 तक शत प्रतिशत शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के मालदीव सरकार के संकल्प की सराहना की।
विवरण:
- इस बैठक के दौरान, दोनों नेताओं ने दो समझौते किए:
- पहला- ऊर्जा सहयोग पर और दूसरा समझौता ज्ञापन वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड (ओएसओडब्ल्यूओजी) के तहत ट्रांसमिशन इंटरकनेक्शन पर किया गया।
- मालदीव के विद्युत प्रेषण कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से भारत तथा मालदीव ने वन सन, वन वर्ल्ड और वन ग्रिड पहल के हिस्से के रूप में अक्षय ऊर्जा हस्तांतरण के लिए ट्रांसमिशन इंटरकनेक्शन स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है।
- ट्रांसमिशन इंटरकनेक्शन पर समझौता ज्ञापन के लिए एक मसौदा तैयार किया जा रहा है, जिसके तहत भारत की एक तकनीकी टीम मालदीव का दौरा करेगी।
- इसके बाद भारत व मालदीव की एजेंसियां एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेंगी जिसमें माले में अंडरसी केबल रूट सर्वे और नेटवर्क संवर्द्धन शामिल होंगे ।
2. जंगल की आग भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन घटाने का अहम कारक बन सकती है:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञानं एवं प्रोधोगिकी,सोर ऊर्जा:
विषय: पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश बढ़ाना और नवाचार ।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत के सोर ऊर्जा लक्ष्य।
मुख्य परीक्षा:क्या भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन में कमी के लिए जंगल की आग एक महत्वपूर्ण कारक हो सकती है?
प्रसंग:
- एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जंगल की आग, जो भारत के विभिन्न हिस्सों में खासतौर से गर्मी के मौसम में आफत बनकर आती है, भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने में एक बड़ी भूमिका निभाती है।
उद्देश्य:
- सौर संयंत्रों के उत्पादन पर जंगल की आग के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के कारण ऊर्जा और वित्तीय नुकसान के इस तरह के विश्लेषण से ग्रिड ऑपरेटरों को बिजली उत्पादन की योजना बनाने में मदद मिल सकती है।
- साथ ही, इससे बिजली के वितरण, आपूर्ति, सुरक्षा और बिजली उत्पादन में पूरी स्थिरता रखने में भी मदद मिल सकती है।
विवरण:
- हाल ही में, भारत जैसे विकासशील देशों जिनके पास पर्याप्त सौर संसाधन हैं,में सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग किया जा रहा है।
- हालांकि, बादल, एरोसोल और प्रदूषण जैसे कई कारक सौर किरणित ऊर्जा मान को सीमित करते हैं जिससे फोटोवोल्टिक और केंद्रित सौर ऊर्जा संयंत्र प्रतिष्ठानों के कार्य-निष्पादन में समस्याएं पैदा होती हैं।
- सौर ऊर्जा प्रणाली के बड़े पैमाने पर विकास के लिए उचित योजना और सौर क्षमता का अनुमान लगाने की आवश्यकता होती है।
- इस बात को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार के तहत स्वायत्त अनुसंधान संस्थान और यूनान स्थित नेशनल ऑब्जर्वेटरी ऑफ एथेंस (एनओए) के शोधकर्ताओं ने सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने वाले कारकों का पता लगाने की कोशिश की।
- उन्होंने पाया कि बादलों और एरोसोल के अलावा, जंगल की आग सौर ऊर्जा उत्पादन को कम करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि अध्ययन की अवधि (जनवरी से अप्रैल 2021) के दौरान एयरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ वैल्यू 1.8 तक थी, जिस दौरान बड़े पैमाने पर जंगल की आग की घटनाओं के कारण कुल सौर विकिरण में कमी आई और 0 से 45 फीसदी तक सौर विकिरण प्राप्त हुई।
- इस अवधि के दौरान कुल एयरोसोल भार में धुएं को कम करने के लिए वायु के द्रव्यमान को तेजी से नया बनाया गया।
- वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा का इस्तेमाल किया गया और व्यापक विश्लेषण और मॉडल सिमुलेशन के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में सौर ऊर्जा क्षमता पर एरोसोल और बादलों के प्रभाव का अध्ययन किया।
- उन्होंने बादलों और एरोसोल के कारण राजस्व और नुकसान के संदर्भ में एक विश्लेषणात्मक वित्तीय विश्लेषण भी किया।
- वर्तमान अध्ययन के निष्कर्ष से देश स्तर पर ऊर्जा प्रबंधन और योजना पर जंगल की आग के प्रभाव के बारे में काफी जागरूकता बढ़ेगी।
- इसके अलावा, यह शोध जलवायु परिवर्तन की गंभीरता को कम करने की प्रक्रियाओं और नीतियों एवं सतत विकास पर इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रभावों के मूल्यांकन में भी सहायक होगा ।
- जनवरी से अप्रैल 2021 के दौरान उत्पादित सौर ऊर्जा पर एरोसोल, धूल और बादल के प्रभावों का वित्तीय विश्लेषण।
- प्रभाव को दैनिक औसत और कुल ऊर्जा हानि, वित्तीय नुकसान और सौर ऊर्जा क्षमता के संदर्भ में निर्धारित किया गया था।
3. वित्तीय वर्ष 2022 में भारतीय इस्पात की खपत 11.5 प्रतिशत बढ़कर 106 मिलियन टन हुई
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था,आर्थिक विकास:
विषय:विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: इस्पात की आर्थिक विकास के क्षेत्रों में भूमिका।
मुख्य परीक्षा: इस्पात किस प्रकार देश के आर्थिक विकास का मुख्य संचालक हैं ?
प्रसंग:
- मेटलोजिक, पीएमएस द्वारा आयोजित इस्पात और इंजीनियरिंग निर्यात विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में बताया गया कि देश ने 13.5 मिलियन टन तैयार इस्पात का निर्यात किया है, जिसका मूल्य एक लाख करोड़ रुपये है।
उद्देश्य:
- देश ने लगभग 46,000 करोड़ रुपय मूल्य के इस्पात का आयात भी किया है।
- भारत के इस्पात क्षेत्र ने प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए 420 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापारिक निर्यात के सर्वकालिक रिकॉर्ड में अपना योगदान दिया।
विवरण:
- कोविड-19 से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, बाहरी व्यापार के साथ-साथ घरेलू इस्पात उत्पादन और खपत दोनों के मामले में इस्पात क्षेत्र का रिकॉर्ड प्रदर्शन रहा है।
- इंजीनियरिंग क्षेत्र, विनिर्माण और बुनियादी ढांचा क्षेत्रों से निकटता से जुड़ा होने के कारण, भारत की अर्थव्यवस्था के लिए रणनीतिक महत्व रखता है और इस्पात क्षेत्र, इंजीनियरिंग क्षेत्र से निकटता से जुड़ा हुआ है।
- भारत में लगभग 106 मिलियन टन इस्पात की ऊंची खपत होती है और 120 मिलियन टन का उत्पादन न केवल इस क्षेत्र की वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि भारत में इस्पात कम्पनियों के अनुकरणीय साहस और दृढ़ संकल्प को भी प्रदर्शित करता है।
- इस्पात क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता है।
- भारतीय इस्पात क्षेत्र साल-दर-साल के आधार पर लगभग 5 प्रतिशत से 6 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ और फल-फूल रहा है।
- भारत सरकार ने संवर्धित इस्पात (स्पेशियलिटी स्टील) का उत्पादन करने के लिए उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) बनाई है और उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मजबूत इस्पात क्षेत्र पहचाने गए उत्पादों का विनिर्माण करने के लिए घरेलू मांग को पूरा करने के साथ-साथ देश के विदेशी व्यापार में हिस्सेदारी में वृद्धि करते हुए निर्यात को भी बढ़ाने के लिए में सफल होगा।
- सरकार की नीतिगत घोषणाओं और रेलवे, सड़क, विमानन, गैस पाइपलाइन और आवास सहित विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक आपूर्ति-मांग के समीकरणों में बदलाव के साथ, बुनियादी ढांचे व औद्योगिक उत्पादन में निवेश में वृद्धि के कारण आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है।
- देश में इस्पात की मांग बढ़ गई है। लेकिन साथ ही इस्पात के लिए प्रतिस्पर्धा भी बढ़ गई है।
- ऑटोमोबाइल क्षेत्र, घरेलू सामान, रेलवे, अंतरिक्ष जैसे कई क्षेत्रों में, इस्पात की लागत, इसके भार के कारण, इस्पात को अन्य कम्पोजिट मेटेरियल द्वारा प्रतिस्थापित किया जा रहा है, क्योंकि कम्पोजिट मेटेरियल हल्की, इस्पात की तरह मजबूत और सस्ती होती है।
- मंत्री महोदय ने इस्पात कंपनियों को नवीनतम तकनीक को अपनाकर इस्पात के उत्पादन की लागत को कम करने की सलाह दी और कहा कि इस क्षेत्र को वैकल्पिक सामग्री से इस्पात बनाने की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
- इस्पात राज्य मंत्री ने इस्पात कंपनियों को अर्ध-निर्मित इस्पात (सेमी फिनिश्ड स्टील) के बजाय मूल्य वर्धित उत्पादों के निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है क्योंकि इस्पात के उत्पादन और निर्यात का अर्थव्यवस्था के विकास के साथ-साथ रोजगार पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
- इस्पात मंत्रालय इस क्षेत्र के विकास के लिए नीति तैयार करने के लिए इस्पात क्षेत्र में हितधारकों के साथ लगातार बातचीत कर रहा है।
- हमारी सरकार द्वारा समय-समय पर लिए गए निर्णयों से प्रसंस्कृत इस्पात के निर्यात में वृद्धि हुई है और आयात में कमी आई है।
- गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के कार्यान्वयन के कारण खराब इस्पात के आयात पर काफी हद तक नियंत्रण लगा है और अब तक 142 मानकों पर क्यूसीओ लागू किया गया है।
4. नीति आयोग ने आपसी व्यापार और निवेश पर चर्चा करने के लिये ससकैचवन शिष्टमंडल से मुलाकात की
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले समझौते।
प्रारंभिक परीक्षा,मुख्य परीक्षा: नीति आयोग द्वारा साझीदार देशों के साथ संवाद स्थापना पर जोर ताकि अनुसंधान एवं विकास, निर्माण और नवोन्मेष में सहयोग स्थापित किया जा सके।
प्रसंग:
- नीति आयोग ने कनाडा सरकार के व्यापार और निर्यात विकास मंत्रालय, ससकैचवन के साथ एक उच्चस्तरीय बैठक की।
उद्देश्य:
- बैठक की अगुवाई नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत और ससकैचवन मंत्री जेरेमी हैरिसन ने की,एवं दोनों पक्षों ने आपसी व्यापार और निवेश बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की।
विवरण:
- ससकैचवन शिष्टमंडल को सम्बोधित करते हुये डॉ. सारस्वत ने दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार, वाणिज्य और आर्थिक साझेदारियों पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि दलहन, स्वच्छ ऊर्जा, जैव-ईंधन, उर्वरक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में ससकैचवन भारत का महत्त्वूर्ण कारोबारी साझेदार है।
- उन्होंने यह उल्लेख भी किया कि ससकैचवन प्रांत उच्च शैक्षिक संस्थानों का केंद्र होने के कारण भारतीय छात्रों में बहुत लोकप्रिय है।
- मंत्री जेरेमी हैरिसन ने इस आवश्यकता पर जोर दिया कि दोनों देशों को पारस्परिक लाभ वाले क्षेत्रों में सहयोग करना चाहिये।
- उन्होंने उल्लेख किया कि महत्त्वपूर्ण खनिजों और कार्बन को रोकने के उपायों, खनिजों के उपयोग और भंडारण जैसे क्षेत्रों में सहयोग की संभावनायें तलाशनी चाहिये।
- महत्त्वपूर्ण खनिजों, खाद्य सुरक्षा, जल प्रबंधन और खाद्यान्न के रख-रखाव/भंडारण के बारे में भारत के विचारों को समझने की जरूरत है।
- खनन, ऊर्जा और कृषि के क्षेत्रों में भारत और ससकैचवन, दोनों की क्षमता को मद्देनजर रखते हुये डॉ. सारस्वत ने कहा कि नीति आयोग आगे बढ़कर साझीदार देशों के साथ संवाद करेगा, ताकि अनुसंधान एवं विकास, निर्माण और नवोन्मेष में सहयोग को मजबूत किया जा सके।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
5. ‘लॉजिस्म वायु – 2022’:
- राष्ट्रीय स्तर के लॉजिस्टिक्स सेमिनार ‘लॉजिस्म वायु – 2022’ का आयोजन दिल्ली में किया जाएगा।
- भारतीय वायुसेना द्वारा 28 अप्रैल 2022 को नई दिल्ली के वायु सेना सभागार में एक राष्ट्रीय स्तर के लॉजिस्टिक्स सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
- वायु सेना प्रमुख इस सेमिनार का शुभारंभ करेंगे और उद्घाटन सत्र के दौरान मुख्य भाषण भी देंगे।
- इस सेमिनार का विषय है- ‘ऑर्केस्ट्रेटिंग लॉजिस्टिक्स सपोर्ट फॉर एयर कॉम्बैट ऑपरेशंस’।
- सरकार, उद्योग और थिंक टैंक के प्रमुख विशेषज्ञों, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और एआई, एमएल, ब्लॉकचैन और आईओटी जैसी मौजूदा प्रौद्योगिकियों के उपयोग पर विचार करेंगे।
- इन आयामों को जब सैन्य लॉजिस्टिक्स में शामिल किया जायेगा, तो इसका भारतीय वायुसेना के कार्य संचालन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के तरीके पर एक परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ेगा।
- सेमिनार में प्रमुख सहयोगियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स समझौतों को अंतिम रूप देने के साथ- साथ लॉजिस्टिक्स डिप्लोमेसी पर भी एक सत्र आयोजित किया जायगा जिससे आपूर्ति श्रृंखला और अंतर-संचालन को प्रोत्साहन मिलेगा |
26 अप्रैल 2022 : PIB विश्लेषण :-Download PDF Here
लिंक किए गए लेख में 25 अप्रैल 2022 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।
सम्बंधित लिंक्स:
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