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26 अप्रैल 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. कैबिनेट ने चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए नीति को मंजूरी दी:  
  2. इफ्को नैनो डीएपी (तरल) का लोकार्पण:
  3. विश्व बैंक के रसद प्रदर्शन सूचकांक 2023 में भारत 6 स्थान की छलांग लगाकर 38वें स्थान पर पहुंच गया:
  4. सरकार ने बिजली सेक्टर में डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म की संशोधित संरचना को अंतिम रूप दिया:
  5. नीति आयोग ने “आहार में मोटे अनाज को बढ़ावा देना: भारत के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वोत्तम पहल” पर एक रिपोर्ट जारी की
  6. भारत ने जर्मनी के साथ गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे की नई कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए:
  7. जल प्रबंधन पर भारत-हंगरी संयुक्त कार्य समूह की बैठक: 
  8. नशा मुक्त भारत अभियान:

1.कैबिनेट ने चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए नीति को मंजूरी दी:

सामान्य अध्ययन: 2

स्वास्थ्य: 

विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय। 

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023  

मुख्य परीक्षा: सरकार द्वारा चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए नीति को मंजूरी सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों को पूरा करने में अहम् भूमिका निभाएगी।   

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 26 अप्रैल 2023 को राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 को मंजूरी दे दी है।

उद्देश्य:

  • भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र भारतीय स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एक आवश्यक और अभिन्न अंग है।
  • भारत ने वेंटिलेटर, रैपिड एंटीजन टेस्ट किट, रियल-राइम रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) किट, इन्फ्रारेड (आईआर) थर्मामीटर, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट और एन-95 मास्क जैसे चिकित्सा उपकरणों और डायग्नोस्टिक किट के बड़े पैमाने पर उत्पादन के माध्यम से कोविड-19 महामारी के खिलाफ घरेलू और वैश्विक लड़ाई का समर्थन किया है।  

विवरण:  

  • भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र एक उभरता हुआ क्षेत्र है जो तेज गति से बढ़ रहा है।
    • भारत में चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के बाजार का आकार 2020 में 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 90,000 करोड़ रुपये) होने का अनुमान है और वैश्विक चिकित्सा उपकरण बाजार में इसकी हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। 
    • भारत सरकार ने हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों में 4 चिकित्सा उपकरण पार्कों की स्थापना के लिए चिकित्सा उपकरणों और सहायता के लिए पीएलआई योजना के कार्यान्वयन की शुरुआत पहले ही कर दी है। 
    • चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना के तहत, अब तक कुल 26 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें 1206 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। 
    • पीएलआई योजना के तहत, 37 उत्पादों को तैयार करने वाली कुल 14 परियोजनाओं को चालू किया गया है और अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों का घरेलू निर्माण शुरू हो गया है जिसमें लाइनर एक्सिलरेटर, एमआरआई स्कैन, सीटी-स्कैन, मैमोग्राम, सी-आर्म, एमआरआई कॉइल, अत्याधुनिक एक्स-रे ट्यूब आदि शामिल हैं। 
    • निकट भविष्य में शेष 12 उत्पादों को तैयार करने की शुरुआत की जाएगी। 
    • कुल 26 परियोजनाओं में से 87 उत्पादों/उत्पाद घटकों के घरेलू विनिर्माण के लिए हाल ही में श्रेणी बी के तहत पांच परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
  • राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 से उम्मीद की जाती है कि वह पहुंच, सामर्थ्य, गुणवत्ता और नवाचार के सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों को पूरा करने के लिए चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के व्यवस्थित विकास की सुविधा प्रदान करेगी। 

राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 की मुख्य विशेषताएं:

  • विजन: रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ अगले 25 वर्षों में बढ़ते वैश्विक बाजार में 10-12 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करके चिकित्सा उपकरणों के निर्माण और नवाचार में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरना। 
    • नीति से 2030 तक चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को वर्तमान 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से से 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ने में मदद मिलने की उम्मीद है।
  • मिशन: यह नीति चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के त्वरित विकास के लिए एक रोडमैप तैयार करती है ताकि पहुंच और सार्वभौमिकता, सामर्थ्य, गुणवत्ता, रोगी केंद्रित और गुणवत्ता देखभाल, निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य, सुरक्षा, अनुसंधान और नवाचार और कुशल जनशक्ति को प्राप्त किया जा सके।

चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियां:

  • चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को रणनीतियों के एक सेट के माध्यम से सुविधा और मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है जो नीतिगत क्रियाकलाप के छह व्यापक क्षेत्रों को कवर करेगा:
  • विनियामक तालमेल: अनुसंधान और व्यवसाय सुगमता के लिए चिकित्सा उपकरणों के लाइसेंस के लिए ‘सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम’ के निर्माण जैसे उत्पाद नवाचार उपायों के साथ रोगी सुरक्षा को संतुलित करने के लिए, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, आदि, बीआईएस जैसे भारतीय मानकों की भूमिका को बढ़ाने और एक सुसंगत मूल्य निर्धारण विनियमन को डिजाइन करने का पालन किया जाएगा।
  • सक्षम बुनियादी ढांचा: राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर कार्यक्रम और प्रस्तावित राष्ट्रीय रसद नीति 2021 के दायरे में अपेक्षित रसद कनेक्टिविटी के साथ आर्थिक क्षेत्रों के निकट विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी सुविधाओं से लैस बड़े चिकित्सा उपकरण पार्क, क्लस्टर की स्थापना और मजबूती पीएम गति शक्ति, चिकित्सा उपकरण उद्योग के साथ बेहतर सम्मिश्रण और बैकवर्ड इंटीग्रेशन के लिए राज्य सरकारों और उद्योग के साथ प्रयास किया जाएगा।
  • अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को सुगम बनाना: नीति में भारत में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने और भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर विभाग की प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति को पूरक बनाने की परिकल्पना की गई है। 
    • इसका उद्देश्य अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों, नवाचार केंद्रों, ‘प्लग एंड प्ले’ बुनियादी ढांचे में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना और स्टार्ट-अप को समर्थन देना भी है।
  • क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना: मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत कार्यक्रम, हील-इन-इंडिया, स्टार्ट-अप मिशन जैसी हालिया योजनाओं और क्रियाकलापों के साथ, नीति निजी निवेश, उद्यम पूंजीपतियों से वित्त पोषण की श्रृंखला, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) भी प्रोत्साहित करती है।
  • मानव संसाधन विकास: वैज्ञानिक, नियामकों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, प्रबंधकों, तकनीशियनों आदि जैसी मूल्य श्रृंखला में कुशल कार्य बल की सतत आपूर्ति के लिए, नीति की परिकल्पना की गई है:
  • ब्रांड पोजिशनिंग और जागरूकता निर्माण: नीति विभाग के तहत क्षेत्र के लिए एक समर्पित निर्यात संवर्धन परिषद के निर्माण की परिकल्पना करती है जो विभिन्न बाजार पहुंच से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए सक्षम होगी:
  • इस नीति से चिकित्सा उपकरण उद्योग को एक प्रतिस्पर्धी, आत्मनिर्भर, सशक्त और अभिनव उद्योग के रूप में मजबूत करने के लिए आवश्यक समर्थन और दिशा-निर्देश प्रदान करने की उम्मीद है जो न केवल भारत बल्कि दुनिया की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो। 
  • राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 का उद्देश्य चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को रोगियों की बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ विकास के त्वरित पथ पर लाना है।

2. इफ्को नैनो डीएपी (तरल) का लोकार्पण:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि: 

विषय: कृषि-प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता।   

प्रारंभिक परीक्षा: नैनो डीएपी (तरल) उत्पाद।

मुख्य परीक्षा:  नैनो डीएपी (तरल) उत्पाद के लाभ।    

प्रसंग: 

  • केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने नई दिल्ली में इफ्को नैनो डीएपी (तरल) को लॉन्च किया।

उद्देश्य:

  • इफ्को नैनो डीएपी (तरल) प्रोडक्ट का लॉन्च उर्वरक के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण शुरुआत है।   

विवरण:   

  • इफ्को के प्रयासों से तरल नैनो डीएपी और तरल नैनो यूरिया आने के बाद आज विश्व में सबसे पहले नैनो डीएपी (तरल) का लोकार्पण हुआ है। 
    • इफ्को नैनो डीएपी (तरल) प्रोडक्ट का लॉन्च भारत के कृषि क्षेत्र में आमूल-चूल परिवर्तन लाएगा ,किसानों की समृद्धि और उत्पादन व उर्वरक के क्षेत्र में भारत को निश्चित रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा। 
  • तरल डीएपी के उपयोग से सिर्फ पौधे पर छिड़काव के माध्यम से उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा दोनों को बढ़ाने के साथ-साथ भूमि का भी संरक्षण किया जा सकेगा। 
  • इससे भूमि को फिर से पूर्ववत करने में बहुत बड़ा योगदान मिलेगा और रासायनिक उर्वरक युक्त भूमि होने के कारण करोड़ों भारतीयों के स्वास्थ्य के लिए जो खतरा उत्पन्न हो रहा था वह भी समाप्त हो जाएगा।
  • किसान दानेदार यूरिया व DAP की जगह तरल नैनो यूरिया व DAP का प्रयोग करें, यह उससे अधिक प्रभावी है। 
    • दानेदार यूरिया के उपयोग से भूमि के साथ-साथ फसल और उस अनाज को खाने वाले व्यक्ति की सेहत का भी नुकसान होता है। 
    • नैनो तरल डीएपी की 500 मिली. की एक बोतल का फसल पर असर 45 किलो दानेदार यूरिया की बोरी के बराबर है। 
    • लिक्विड होने के कारण DAP से भूमि बहुत कम मात्रा में रसायन युक्त होगी। 
      • प्राकृतिक खेती के लिए महत्वपूर्ण है कि भूमि में रसायन ना जाए और केंचुओं की मात्रा बढ़े। 
      • अधिक संख्या में केंचुए अपने आप में उर्वरक के कारखाने की तरह काम करते हैं। 
      • तरल डीएपी और तरल यूरिया का उपयोग कर किसान भूमि में केंचुओं की संख्या में वृद्धि कर सकता है और अपने उत्पादन व आय को कम किए बगैर प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ सकता है। 
      • इससे भूमि का संरक्षण भी किया जा सकेगा। भारत जैसे देश में जहां साठ प्रतिशत आबादी आज भी कृषि और इसके संलग्न व्यवसायों के साथ जुड़ी हुई है, ये क्रांतिकारी कदम अन्न उत्पादन व उर्वरक के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाएगा।
  • वर्तमान में देश में 384 लाख मीट्रिक टन उर्वरकों का उत्पादन होता है, जिसमें से 132 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन सहकारी समितियों द्वारा किया गया है। 
    • इस 132 लाख मीट्रिक टन में से इफ्को ने 90 लाख मीट्रिक टन का उत्पादन किया है।
    • उर्वरक, दुग्ध उत्पादन व मार्केटिंग के क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता में इफ्को, कृभको जैसी सहकारी समितियों का बहुत बड़ा योगदान है।  
  • सरकार ने 24 फरवरी 2021 को नैनो यूरिया को मंजूरी दी थी और आज 2023 में लगभग 17 करोड़ नैनो यूरिया की बोतल बनाने का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर लिया गया है। 
    • अगस्त 2021 में नैनो यूरिया की मार्केटिंग शुरू हुई थी और मार्च 2023 तक लगभग 6.3 करोड़ बोतलों का निर्माण किया जा चुका है। 
    • इससे  6.3 करोड़ यूरिया के बैग की खपत और इनके आयात को कम कर दिया गया है और देश के राजस्व व विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। 
  • देश में 2021-22 में यूरिया का आयात भी सात लाख मैट्रिक टन कम हुआ है।
    • अब तरल डीएपी के माध्यम से लगभग 90 लाख मीट्रिक दानेदार डीएपी के उपयोग को कम करने का लक्ष्य रखा गया है। 
    • देश में 18 करोड़ तरल डीएपी की बोतलों का उत्पादन किया जाएगा। 
    • पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, गुजरात और उत्तर प्रदेश के आलू उगाने वाले किसान प्रति एकड़ भूमि में लगभग 8 बोरे डीएपी का प्रयोग करते थे जिससे उत्पादन तो बढ़ता था परन्तु भूमि व उत्पाद प्रदूषित होता था। 
    • तरल डीएपी में 8 प्रतिशत नाइट्रोजन और 16% फास्‍फोरस होता है। 
    • इसके उपयोग से दानेदार यूरिया में लगभग 14% की कमी आएगी और डीएपी में शुरू में 6% बाद में 20% की कमी आएगी जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बहुत बड़ा फायदा होगा, साथ ही पौधों के पोषण में सुधार होगा और भूमि में पोषक तत्वों की आपूर्ति शत-प्रतिशत हो जाएगी। 
    • इससे किसानों के खर्च में भी बहुत कमी आएगी और गेहूं में 6% तथा आलू व गन्ना उत्पादन में 20% कम खर्च होगा। 
    • इससे जमीन तो अच्छी होगी साथ ही उत्पाद भी खाने वाले के स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा होगा।
  • भारत सरकार ने जैविक उत्पाद, बीज व निर्यात संबंधी तीन बहु-राज्यीय सहकारी समितियाँ स्थापित की हैं जिनमें इफ्को एक अग्रणी निवेशक है और इफ्को के अनुभव का फायदा इन तीनों समितियों को मिलेगा।

3.विश्व बैंक के रसद प्रदर्शन सूचकांक 2023 में भारत 6 स्थान की छलांग लगाकर 38वें स्थान पर पहुंच गया:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच- उनकी संरचना, और अधिदेश। 

प्रारंभिक परीक्षा: रसद प्रदर्शन सूचकांक 2023 

मुख्य परीक्षा: भारत द्वारा अपनी रसद दक्षता में सुधार के लिए की जा रही पहलों पर चर्चा कीजिए।    

प्रसंग: 

  • रसद प्रदर्शन सूचकांक/लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (LPI 2023) के 7वें संस्करण में भारत 139 देशों में 6 स्थानों की छलांग लगाकर 38वें स्थान पर पहुंच गया हैं जिससे, विश्व बैंक की भरत की लॉजिस्टिक्स रैंकिंग में सुधार हुआ है।

उद्देश्य:

  • विश्व बैंक ने रसद दक्षता बढ़ाने की दिशा में भारत के प्रयासों को स्वीकार किया है। 
  • 6 LPI संकेतकों में से 4 पर भारत ने पिछले कुछ वर्षों में लागू की गई विभिन्न पहलों के कारण उल्लेखनीय सुधार देखा है।  

विवरण:  

  • भारत अपनी रसद दक्षता में सुधार के लिए वर्ष 2015 से कई पहलें लागू कर रहा है।
  • यह भारत की वैश्विक स्थिति का एक मजबूत संकेतक है। 
  • अक्टूबर 2021 में, भारत सरकार ने बुनियादी ढांचे की योजना और विकास के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण, प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान (पीएमजीएस-एनएमपी) लॉन्च किया था।
  • यह एक GIS आधारित टूल है, जो लोगों और सामानों की निर्बाध आवाजाही के लिए फर्स्ट और लास्ट-माइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों की मौजूदा और प्रस्तावित बुनियादी ढाँचे की पहल को एकीकृत करता है।
  • केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के बीच सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए गहन संचार और व्यापक डेटा साझाकरण होता है।
  • सितंबर 2022 में, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय रसद नीति (National Logistics Policy (NLP)) की शुरुआत की, जो रसद नीति तैयार करने की मांग करने वाले राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में कार्य करती है (19 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों ने अपनी रसद नीति को अधिसूचित किया है)।
  • यह नीति रसद बुनियादी ढांचे और सेवाओं के उन्नयन और डिजिटलीकरण के आसपास केंद्रित है।
  • इसके अलावा सेवाओं (प्रक्रियाओं, डिजिटल प्रणाली, नियामक ढांचे) और मानव संसाधनों में दक्षता लाने पर ध्यान देने के साथ, नीति रोजगार सृजन और कार्यबल के कौशल को प्रोत्साहित करने के अलावा निर्बाध समन्वय के लिए प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और समग्र रसद लागत में कमी पर जोर देती है।
  • एनएलपी कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए परिवहन के अधिक ऊर्जा-कुशल साधनों और हरित ईंधन की ओर बदलाव पर जोर देता है।
  • यह नीति मल्टीमॉडल परिवहन के उपयोग को अपनाने और मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों के निर्माण द्वारा इसे पूरा करने पर भी ध्यान केंद्रित करती है।
  • इसके अलावा इसने लक्षित नीतिगत सुधारों के महत्व पर बल दिया ताकि बंदरगाहों, हवाई अड्डों और मल्टीमोडल सुविधाओं पर कार्गो द्वारा खर्च किए जाने वाले समय में सुधार किया जा सके क्योंकि अधिकांश देरी इन स्थानों पर होती है।
  • भारत सरकार ने दोनों तटों पर बंदरगाह के प्रवेश द्वारों को भीतरी इलाकों में आर्थिक क्षेत्रों से जोड़ने वाले व्यापार से संबंधित सॉफ्ट और हार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश किया है।
  • NICDC का लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक प्रोजेक्ट कंटेनरों पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन ( radio frequency identification (RFID)) टैग लागू करता है और कंसाइनीज़ को उनकी आपूर्ति श्रृंखला की एंड-टू-एंड ट्रैकिंग प्रदान करता है।
  • इसका कार्यान्वयन 2016 में भारत के पश्चिमी हिस्से में शुरू हुआ था और 2020 में पूरे भारत के स्तर तक बढ़ा दिया गया था। 
    • पारदर्शिता, दृश्यता और व्यापार सुगमता की ऐसी पहलों के साथ, सीमा पार व्यापार सुविधा में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है।
  • साथ ही, लॉजिस्टिक्स डेटा बैंक परियोजना बंदरगाहों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देती है क्योंकि यह प्रदर्शन बेंचमार्किंग, भीड़भाड़, ठहराव समय, गति और पारगमन समय विश्लेषण पर जानकारी प्रदान करती है।
  • उप-राष्ट्रीय स्तर पर, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) 2018 से LEADS (Logistics Ease Across Different States) का अध्ययन कर रहा है जो रसद अक्षमताओं की पहचान करने और हल करने और आपूर्ति श्रृंखलाओं में व्यापार सुविधा में सुधार करने में मदद करता है।
  • आगे की अन्य पहलें जैसे सागरमाला, जिसका उद्देश्य बंदरगाहों से कनेक्टिविटी में सुधार करना और कार्गो के ठहरने के समय को कम करना है और भारतमाला, जिसने प्रमुख गलियारों की सड़क कनेक्टिविटी में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया है, ने भारत की रसद दक्षता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

4.सरकार ने बिजली सेक्टर में डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म की संशोधित संरचना को अंतिम रूप दिया:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: ऊर्जा ।

प्रारंभिक परीक्षा: 

मुख्य परीक्षा: बिजली सेक्टर में डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म क्या है?    

प्रसंग: 

  • बिजली मंत्रालय ने बिजली के उत्पादन की समग्र लागत में कमी लाने के उद्देश्य से डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म की संशोधित संरचना को अंतिम रूप दे दिया है जिसके फलस्वरूप उपभोक्ताओं को बिजली के लिए कम कीमत चुकानी होगी।

उद्देश्य:

  • प्रस्तावित डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म से होने वाले लाभों को उत्पादक केंद्रों और उनके उपभोक्ताओं के बीच साझा किया जाएगा। 
  • इसका परिणाम बिजली के उपभोक्ताओं के लिए वार्षिक बचत में वृद्धि के रूप में सामने आएगा।  

विवरण:  

  • संशोधित तंत्र के अनुसार, देश भर में सबसे सस्ते उत्पादक संसाधनों को सबसे पहले सिस्टम की मांग को पूरा करने के लिए डिस्पैच किया जाएगा। 
    • वास्तविक समय पर मेरिट ऑर्डर का विद्यमान तंत्र अप्रैल 2019 में प्रचालनगत हुआ था। 
    • इसने तकनीकी तथा ग्रिड सुरक्षा बाधाओं से उबरते हुए पूरे भारत में उत्पादन की कुल परिवर्तनीय लागत को इष्टतम बनाया। 
    • विद्यमान तंत्र का परिणाम अखिल भारतीय आधार पर परिवर्तनीय लागत में 2300 करोड़ रुपये की कमी के रूप में सामने आया और इन लाभों को उत्पादकों तथा उनके लाभार्थियों के बीच साझा किया जा रहा था जिससे अंततोगत्वा उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत में कमी आ गई।
  • यह संशोधित तंत्र सभी क्षेत्रीय इकाई थर्मल पावर प्लांटों और उसके बाद अंतर-राज्यीय थर्मल जेनेरेटरों को शामिल करने के द्वारा वर्तमान तंत्र के दायरे को भी बढ़ा देगा। 
    • इससे राज्यों को निम्न कार्बन फुटप्रिंट के साथ लागत प्रभावी तरीके से संसाधन पर्याप्तता बनाए रखने में सहायता मिलेगी। 
    • डे-अहेड नेशनल लेवेल मेरिट ऑर्डर डिस्पैच मैकेनिज्म का कार्यान्वयन सीईआरसी द्वारा आवश्यक विनियामकीय प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा और इसे ग्रिड-इंडिया द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर प्रचालित किया जाएगा।
  • 2014 के बाद से, सरकार ने पूरे देश को एक ग्रिड में कनेक्ट करने के लिए 184.6 गीगावॉट अतिरिक्त उत्पादन क्षमता एवं 1,78,000 सीकेटी किमी ट्रांसमिशन लाइन जोड़ी है जिसने संपूर्ण देश को एक समेकित विद्युत प्रणाली में रूपांतरित कर दिया है। 
    • बिजली मंत्रालय उपभोक्ताओं के लिए बिजली की लागत में कमी लाने के उद्देश्य के साथ सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए कई उपाय करता रहा है।

5.नीति आयोग ने “आहार में मोटे अनाज को बढ़ावा देना: भारत के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सर्वोत्तम पहल” पर एक रिपोर्ट जारी की:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि: 

विषय: मुख्य फसलें- खाद्य सुरक्षा संबंधित विषय।  

मुख्य परीक्षा:  ‘भोजन में मोटे अनाज को बढ़ावा देना: भारत के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सर्वोत्तम पहल’ नामक रिपोर्ट्स के महत्व एवं खाद्य सुरक्षा पर इसके प्रभाव पर चर्चा कीजिए।   

प्रसंग: 

  • नीति आयोग ने ‘भोजन में मोटे अनाज को बढ़ावा देना: भारत के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की सर्वोत्तम पहल’ शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है। 

उद्देश्य:

  • यह रिपोर्ट मोटे अनाजों की मूल्य-श्रृंखला के विभिन्न पहलुओं खासतौर से उत्पादन, प्रसंस्करण और खपत में राज्य सरकारों और संगठनों द्वारा अपनाई गई बेहतरीन और नवीन पहलों का एक ब्योरा सामने रखती है।
  • इस तरह का दस्तावेज होना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आम लोगों एवं मोटे अनाजों के डेटा, साक्ष्य को देखने वालों में आहार में इसे शामिल करने को लेकर एक भरोसा जगाएगा।   

विवरण:  

  • ‘मोटा अनाज पोषण से भरपूर फसल है। 

यह रिपोर्ट तीन विषयों पर आधारित है: 

  1. मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिए राज्य मिशन और पहल, 
  2. आईसीडीएस में मोटे अनाजों को शामिल करना, 
  3. नवीन प्रथाओं के लिए तकनीकी का इस्तेमाल और अनुसंधान एवं विकास। 
  • यह रिपोर्ट हमारे आहार में मोटे अनाज की हिस्सेदारी बढ़ाने और उसे मुख्यधारा में लाने के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगी।
  • इस अवसर पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन के. बेरी ने कहा कि यह रिपोर्ट बहुत ही सही समय पर आई है। 
    • जब प्रधानमंत्री ने मोटे अनाजों के महत्व को बढ़ाने में रणनीतिक नेतृत्व प्रदान किया है। 
  • यह रिपोर्ट व्यापक रूप से नीति, राज्य मिशनों और अनुसंधान एवं विकास और तकनीकी नवाचारों को कवर करती है जिससे मोटे अनाज को बढ़ावा मिल सके। इससे मोटे अनाज के बारे में लोग ज्यादा जान सकेंगे।
  • मोटे अनाज हमारे भोजन में बहुत सामान्य चीज थी। 
    • हालांकि आहार का स्वरूप धीरे-धीरे चावल और गेहूं की तरफ शिफ्ट हो गया। 
    • मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों में बढ़ोतरी के साथ मोटे अनाज हमारे आहार में वापस शामिल हो रहे हैं। देश की पोषण सुरक्षा की दिशा में मोटे अनाज में अपार संभावनाएं हैं।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.भारत ने जर्मनी के साथ गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे की नई कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए

  • उपभोक्ता मामलों के विभाग और जर्मनी के आर्थिक मामलों एवं जलवायु कार्रवाई के संघीय मंत्रालय ने इंडो-जर्मन कार्य दल की 9वीं वार्षिक बैठक के दौरान साल 2023 के लिए गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे की नई कार्य योजना पर हस्ताक्षर किए हैं। 
  • 25 अप्रैल 2023 को जर्मनी के बर्लिन में इस योजना पर हस्ताक्षर किए गए।
  • यह वार्षिक बैठक कार्य दल की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई है। 
    • इस बैठक के दौरान व्यापार में तकनीकी बाधाओं को कम करने और नवाचार एवं उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने में कार्य दल की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
  • कार्य दल के तकनीकी संवाद में दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों पर बात की गई। इसके अलावा दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे (क्यूआई) के प्रणालीगत सामंजस्य को बढ़ावा देते हैं।
  • गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचा निकायों एवं उद्योगों के हितधारकों ने जर्मनी और भारत में मौजूदा क्यूआई के विकास पर गहरी नजर डाली। 
    • इनमें भारत के लिए मानक राष्ट्रीय कार्य योजना, जर्मन मानकीकरण रोडमैप सर्कुलर अर्थव्यवस्था और उद्योग 4.0 शामिल थे। 
    • अन्य सहयोगों में भारत में बाजार की निगरानी गतिविधियों के साथ-साथ मार्केट सर्विलांस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के एप्लीकेशंस और डिजिटल मान्यता के चिह्न शामिल हैं।
  • साल 2023 की कार्य योजना क्यूआई के प्रमुख तत्वों के साथ मिलकर बनी है, जिसमें मानकीकरण, मान्यता, समान मूल्यांकन, कानूनी मेट्रोलॉजी, उत्पाद की सुरक्षा और बाजार की निगरानी शामिल है। 
    • यह सामंजस्य वाले वैश्विक समाधानों के साथ-साथ विशिष्ट क्षेत्रों में सहयोग के विषयों जैसे डिजिटलाइजेशन (उद्योग 4.0, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा), सर्कुलर अर्थव्यवस्था, स्मार्ट खेती और मशीनरी की सुरक्षा जैसे क्रॉस-कटिंग विषयों पर ध्यान देती है।

2.जल प्रबंधन पर भारत-हंगरी संयुक्त कार्य समूह की बैठक:

  • भारत और हंगरी के बीच जल प्रबंधन के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन (MoU) को लागू करने के लिए गठित भारत-हंगरी संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई जहां जल क्षेत्र में चुनौतियों और दोनों देशों द्वारा इसके लिए की जा रही पहलों पर व्यापक चर्चा हुई। 
  • जल प्रबंधन में भारत-हंगरी सहयोग के भविष्य की राह दिखाने के लिए तीन साल के वर्किंग प्रोग्राम पर हस्ताक्षर किए गए। 
  • इस बैठक के दौरान भूजल के अति-दोहन के प्रमुख मुद्दे और भारत में उचित जल प्रबंधन प्रथाओं की जरूरत और भारत के जल परिदृश्य को नया रूप देने वाले कई कार्यक्रमों और परियोजनाओं पर प्रकाश डाला गया। 
    • इसमें सहयोग के लिए प्राथमिकता के छह क्षेत्रों की पहचान की गई और उन पर सहमति बनी। 
    • ये क्षेत्र हैं- चरम स्थिति का प्रबंधन, भूजल का अन्वेषण और प्रबंधन, नदियों और जल निकायों का कायाकल्प, जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना, जल संसाधनों की गुणवत्ता की सुरक्षा और संरक्षण, और प्रशिक्षण व क्षमता निर्माण।
  • 16 अक्टूबर 2016 को हंगरी की मिनिस्ट्री ऑफ इंटीरियर और भारत सरकार के तत्कालीन जल संसाधन मंत्रालय, आरडी एंड जीआर (वर्तमान में जल शक्ति मंत्रालय) के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे जिसका मकसद जल प्रबंधन के क्षेत्र में दोनों पक्षों की तकनीकी, वैज्ञानिक और प्रबंधन क्षमता को मज़बूत करना था। 
    • हंगरी और भारत के बीच जो सहयोग के क्षेत्र हैं उनमें एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन, जल और अपशिष्ट जल प्रबंधन, जल संबंधी शिक्षा, अनुसंधान और विकास शामिल हैं। 
    • इस समझौता ज्ञापन के उद्देश्यों के कार्यान्वयन के लिए दोनों देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले सदस्यों के साथ एक संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) का गठन किया गया है।
  • दुनिया के देशों के बीच जल प्रबंधन में सहयोग के अवसरों को बढ़ावा देने और जल सहयोग की चुनौतियों और लाभों की बेहतर समझ से दुनिया को आपसी सम्मान, समझ और विश्वास बनाने, शांति, सुरक्षा और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। 
  • इस जेडब्ल्यूजी की बैठक ने विभिन्न क्षेत्रों में भारत और हंगरी के बीच चल रहे सहयोग में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। 
  • दोनों पक्षों का उद्देश्य एक दूसरे से जानकारियां प्राप्त करना और जल प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग के माध्यम से अनुभव साझा करना है।

3.नशा मुक्त भारत अभियान:

  • नशा मुक्त भारत अभियान को अधिक प्रभावी और व्यापक बनाने के लिए आज सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग और आर्ट ऑफ लिविंग के बीच नशा मुक्त भारत अभियान-एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए।
  • सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने युवाओं, महिलाओं, छात्रों आदि के बीच नशा मुक्त भारत अभियान के संदेश को फैलाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
  • इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ, नशा मुक्त भारत अभियान को ड्रग सेंसिटिव इंडिया हासिल करने की दिशा में बढ़ावा मिलेगा। 
    • नशीली दवाओं की मांग के खतरे को रोकने के लिए, सामाजिक न्याय मंत्रालय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार नशीली दवाओं की मांग में कमी के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना लागू कर रहा है।
  • यह एक व्यापक योजना है जिसके तहत राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेश (यूटी) प्रशासनों को निवारक शिक्षा और जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, कौशल विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पूर्व नशा करने वालों की आजीविका सहायता के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 
  • मंत्रालय ने महत्वाकांक्षी नशा मुक्त भारत अभियान (एनएमबीए) शुरू किया है जो वर्तमान में 8,000 मास्टर स्वयंसेवकों द्वारा संचालित है और जिन्हें 372 चिन्हित जिलों में अभियान गतिविधियों का नेतृत्व करने के लिए चयनित और प्रशिक्षित किया गया है।
    • आंगनवाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम, महिला मंडलों और महिला एसएचजी के माध्यम से एक बड़े समुदाय तक पहुंचने में 2.09 करोड़ से अधिक महिलाओं का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है।

 

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लिंक किए गए लेख में 25 April 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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