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विषयसूची:

  1. उपराष्ट्रपति ने युवाओं से मौलिक कर्तव्यों का अभ्यास करने तथा उनका अनुपालन करने की अपील की
  2. कोल इंडिया लिमिटेड बड़े पैमाने पर एम-सैंड परियोजनाओं की शुरुआत करेगी
  3. संस्कृति मंत्रालय ने भारत सरकार तथा मिस्र की सरकार के बीच सांस्कृतिक सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
  4. भारतीय वायु सेना का जापान के साथ संयुक्त वायु रक्षा अभ्यास ‘वीर गार्जियन 2023’ संपन्न हुआ
  5. दक्षिण अफ्रीका से चीते को भारत में फिर से लाने के लिए अंतर-सरकारी समझौता संपन्न हुआ

1.उपराष्ट्रपति ने युवाओं से मौलिक कर्तव्यों का अभ्यास करने तथा उनका अनुपालन करने की अपील की:

सामान्य अध्ययन: 2

राजव्यवस्था: 

विषय: मौलिक कर्तव्य। 

प्रारंभिक परीक्षा: मौलिक कर्तव्यों से संबंधित जानकारी।

प्रसंग: 

  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने आज युवाओं से अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों का अभ्यास करने तथा उनका अनुपालन करने की अपील की।

उद्देश्य:

  • गणतंत्र दिवस के अवसर पर लोगों को संविधान में निहित मौलिक कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना

विवरण:  

  • जलवायु परिवर्तन की चुनौती का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रभावी तरीके से ध्यान दिया जा सकता है अगर हम पर्यावरण के प्रति अपने मौलिक कर्तव्यों पर गंभीरता से विचार करें।
  • गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने वाले एनएसएस दल के स्वयंसेवकों के साथ परस्पर बातचीत करते हुए उपराष्ट्रपति ने समुदाय की बेहतरी के लिए छात्रों के प्रयासों की सराहना की।  धनकड़ ने एनएसएस दल में लड़कों तथा लड़कियों की समान संख्या की सराहना करते हुए कहा कि जेंडर का यह प्रतिनिधित्व विश्व स्तर पर भारतीयों के नेतृत्व वाले पदों पर भी दृष्टिगोचर होता है।
  • उन्होंने कहा कि युवाओं को वर्षों से अर्जित की गई भारत की प्रौद्योगिकीय उपलब्धियों, आर्थिक विकास तथा कल्याणकारी पहलों पर सही अर्थां में गर्व करना चाहिए। इस बात की सराहना करते हुए कि भारत हाल ही में विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत दशक के समाप्त होने से पूर्व तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
  • गणतंत्र दिवस कार्यक्रमों के लिए देश भर से 5 क्षेत्रीय शिविरों से चुने गए लगभग 200 स्वयंसेवकों ने उपराष्ट्रपति के साथ परस्पर बातचीत की। इन स्वयंसेवकों को लड़कों तथा लड़कियों के समान प्रतिनिधित्व के साथ उच्चतर शिक्षा के विभिन्न विषयों से लिया गया था। युवा मामले एवं खेल राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

2.कोल इंडिया लिमिटेड बड़े पैमाने पर एम-सैंड परियोजनाओं की शुरुआत करेगी:

सामान्य अध्ययन: 3

अर्थव्यवस्था : 

विषय: खनन

प्रारंभिक परीक्षा:  एम-सैंड परियोजनाओं के संदर्भ में ।

प्रसंग :

  • बहुत अधिक मांग, नियमित आपूर्ति और मानसून के दौरान नदी के इकोसिस्टम की सुरक्षा के लिए रेत खनन पर पूर्ण प्रतिबंध के कारण नदी की रेत का विकल्प खोजना बहुत आवश्यक हो गया है। CIL की ‘ओबी टू सी-सैंड पहल इसकी ओ सी खानों में अपशिष्ट ओवरबर्डन की प्रोसेसिंग सुविधा प्रदान कर रही है। 

उद्देश्य:

  • कोयला खानों के ओवरबर्डन से विनिर्मित रेत (एम-सैंड) को सामान्य रेत के विकल्प के रूप में इस्तेमाल करने के लिए योजना लाना।  

विवरण: 

  • खान और खनिज (विकास और विनियम) अधिनियम, 1957 [MDDR Act] के तहत रेत को “लघु खनिज” के रूप में वर्गीकृत किया गया है। गौण खनिजों का प्रशासनिक नियंत्रण राज्य सरकारों के पास है और तदनुसार इसे राज्य विशिष्ट नियमों के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है। 
  • खनन मंत्रालय द्वारा तैयार ‘सैंड माइनिंग फ्रेमवर्क’ (2018) में कोयले की खानों के ओवरबर्डन  से क्रशड रॉक फाइन्स (क्रशर डस्ट) से निर्मित रेत (एम-सैंड) के रूप में प्राप्त रेत के वैकल्पिक स्रोतों की परिकल्पना की गई है।
  • कोयला खानों के ओवरबर्डन से विनिर्मित रेत (एम-सैंड) के अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय स्थिरता के संबंध में कई लाभ हैं:
  • लागत-प्रभावशीलता: प्राकृतिक रेत के उपयोग की तुलना में विनिर्मित रेत का उपयोग करना अधिक सस्ता हो सकता है, क्योंकि इसे कम लागत पर बड़ी मात्रा में उत्पादित किया जा सकता है।
  • स्थिरता: निर्मित रेत में एक समान दानेदार आकार हो सकता है, जो उन निर्माण परियोजनाओं के लिए लाभदायक हो सकता है जिनके लिए एक विशिष्ट प्रकार के रेत की आवश्यकता होती है।
  • पर्यावरणीय लाभ: विनिर्मित रेत का उपयोग प्राकृतिक रेत के खनन की आवश्यकता को कम कर सकता है। प्राकृतिक रेत के खनन के नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा, कोयले की खदानों से ओवरबर्डन का उपयोग करने से उन सामग्रियों का पुन: उपयोग करने में मदद मिल सकती है जिन्हें अन्यथा रूप से अपशिष्ट माना जाता है।
  • पानी की कम खपत: विनिर्मित रेत का उपयोग निर्माण परियोजनाओं के लिए आवश्यक पानी की मात्रा को कम करने में मदद कर सकता है, क्योंकि इसे उपयोग करने से पहले धोने की आवश्यकता नहीं होती है।
  • बेहतर कार्य क्षमता: निर्मित रेत अधिक दानेदार होता है और इसकी सतह खुरदरी होती है, जो इसे निर्माण परियोजनाओं के लिए अधिक व्यावहारिक बनाती है।

3.संस्कृति मंत्रालय ने भारत सरकार तथा मिस्र की सरकार के बीच सांस्कृतिक सहयोग पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: 

विषय: भारत-अरब संबंध। 

प्रारंभिक परीक्षा: भारत-मिस्र संबंधों के बारे में ।  

मुख्य परीक्षा:  भारत-अरब संबंधों में मिस्र की भूमिका 

प्रसंग :

  • अरब गणराज्य मिस्र के साथ सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने के लिए, संस्कृति मंत्रालय ने भारत की सरकार तथा  मिस्र की सरकार के बीच सांस्कृतिक सहयोग के बारे में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। 

उद्देश्य: 

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से विश्व की दो प्राचीनतम सभ्यताओं के बीच सहयोग को आकार देना तथा सहयोग बढ़ाना।

विवरण 

  • दिनांक 25.01.2023 को भारत के संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी और अरब गणराज्य मिस्र के विदेश मंत्री सामेह हसन शौकरी द्वारा भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अरब गणराज्य मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सिसी की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए और उसका आदान-प्रदान किया गया।
  • निरंतर सांस्कृतिक सहयोग के बारे में, पांच साल की अवधि के लिए इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 
  • भारत और मिस्र के बीच हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग के बारे में समझौता ज्ञापन के तत्वावधान में, दोनों देश संगीत, नृत्य, रंगमंच, साहित्य, पुस्तकालय, संबंधित देशों में त्योहारों के आयोजन, अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण इत्यादि के क्षेत्र में होने वाली सांस्कृतिक गतिविधियों की मेजबानी के लिए उत्सुक हैं।

4.भारतीय वायु सेना का जापान के साथ संयुक्त वायु रक्षा अभ्यास ‘वीर गार्जियन 2023’ संपन्न हुआ:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध: 

विषय: भारत-जापान रक्षा सहयोग। 

प्रारंभिक परीक्षा: भारत-जापान रक्षा संबंधों के बारे में ।  

मुख्य परीक्षा:  हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत-जापान रक्षा सहयोग।

प्रसंग:

  • भारतीय वायु सेना (IAF) और जापान की एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स (JASDF) के बीच द्विपक्षीय वायु रक्षा अभ्यास ‘वीर गार्जियन 2023’ का पहला संस्करण 26 जनवरी 2023 को जापान में संपन्न हुआ।

उद्देश्य:

  • रक्षा अभ्यास के माध्यम से दोनों वायुसेनाओं द्वारा आपसी समझ को प्रगाढ़ करना।  

विवरण: 

  • जापान की एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स ने अपने एफ-2 और एफ-15 विमानों के साथ इस अभ्यास में भाग लिया, जबकि भारतीय वायु सेना की टुकड़ी ने सुखोई-30 एमकेआई विमानों के साथ हिस्सा लिया। 
  • भारतीय वायु सेना के लड़ाकू दल के साथ एक आईएल-78 फ्लाइट रिफ्यूलिंग जहाज और दो सी-17 ग्लोबमास्टर स्ट्रैटेजिक एयरलिफ्ट ट्रांसपोर्ट विमान ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
  • अभ्यास ‘वीर गार्जियन 2023’ के दौरान दोनों वायुसेनाओं को आपसी समझ को प्रगाढ़ करने का अवसर प्राप्त हुआ। इस वायु रक्षा अभ्यास में भारतीय वायु सेना तथा जापान की एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स कर्मियों के बीच जमीनी स्तर पर कई विचार-विमर्श हुए, जिनमें दोनों पक्षों द्वारा विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।
  • द्विपक्षीय वायु रक्षा अभ्यास में भाग लेने वाले दलों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों में निहित अंतर्दृष्टि को आत्मसात करने और एक-दूसरे की अनूठी क्षमताओं से सीखने का अवसर प्राप्त हुआ।

5.दक्षिण अफ्रीका से चीते को भारत में फिर से लाने के लिए अंतर-सरकारी समझौता संपन्न हुआ:

सामान्य अध्ययन: 3

पर्यावरण संरक्षण: 

विषय: वन्य जीव संरक्षण। 

प्रारंभिक परीक्षा: चीता के बारे में।  

मुख्य परीक्षा: प्रजातियों के संरक्षण हेतु पुनःवन्यन। 

प्रसंग

  • दक्षिण अफ्रीका गणराज्य और भारत ने देश में चीते को फिर से लाने में  सहयोग करने हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

उद्देश्य

  • चीते भारत में में 1952 में विलुप्त हो गए थे।  जाल के वर्षों में भारत ने चीतों को पुनःस्थापित करने के लिए उच्च स्तर पर प्रयास किए हैं।  पहले नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों का स्थातंतरण कर भारत उनके पुनःवन्यन का प्रयास कर रहा है। 

विवरण:

  • इस समझौते के अनुसार, फरवरी 2023 के दौरान 12 चीतों का एक प्रारंभिक जत्था दक्षिण अफ्रीका से भारत लाया जाना है। ये चीते 2022 के दौरान नामीबिया से भारत लाए गए आठ चीतों के साथ शामिल हो जाएँगे।
  • चीतों की आबादी को बढ़ाना भारत की प्राथमिकता है और इसके संरक्षण के महत्वपूर्ण एवं दूरगामी परिणाम होंगे, जिसका लक्ष्य कई पारिस्थितिक उद्देश्यों को हासिल करना होगा, जिसमें भारत में उनकी ऐतिहासिक सीमा के भीतर चीते की भूमिका को फिर से स्थापित करना और स्थानीय समुदायों की आजीविका संबंधी विकल्पों को बेहतर करना तथा उनकी अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ाना शामिल है। 
  • फरवरी में 12 चीतों के आयात के बाद, अगले आठ से 10 वर्षों के लिए सालाना 12 चीतों को स्थानांतरित करने की योजना है।
  • पिछली शताब्दी में अधिक शिकार और निवास स्थान के नुकसान के कारण इस प्रतिष्ठित प्रजाति के स्थानीय स्तर पर विलुप्त हो जाने के बाद चीता को एक पूर्व दायरे वाले देश में फिर से लाने की पहल भारत सरकार से प्राप्त अनुरोध के बाद की जा रही है। 
  • इस बहु-विषयक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम को दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय जैव विविधता संस्थान (SANBI), दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रीय उद्यान (SAN Park), चीता रेंज विस्तार परियोजना, और दक्षिण अफ्रीका में लुप्तप्राय वन्यजीव ट्रस्ट (EWT) के सहयोग से राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) के साथ मिलकर वानिकी, मत्स्य पालन और पर्यावरण विभाग (DFFE) द्वारा समन्वित किया जा रहा है।

      प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:  आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं है।

 

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लिंक किए गए लेख में 26 जनवरी 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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