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28 अप्रैल 2022 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. MSME सतत (ZED) प्रमाणन योजना का शुभारंभ
  2. तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (QES) के तीसरे दौर (अक्टूबर-दिसंबर, 2021) पर रिपोर्ट जारी:
  3. ई-संजीवनी
  4. सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन 2022 

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. ग्लोबल पाटीदार बिजनेस समिट
  2. 90 दिवसीय अंतर-मंत्रालयी अभियान ‘आजादी से अंत्योदय तक’ का शुभारंभ

1. MSME सतत (ZED) प्रमाणन योजना का शुभारंभ

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

अर्थव्यवस्था: 

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां एवं हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे। 

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा: MSME सतत (ZED) प्रमाणन योजना के बारे में। 

संदर्भ:

  • केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री ने MSME सतत (ZED) प्रमाणन योजना का शुभारंभ किया। 

विवरण:

  • MSME सतत (ZED) प्रमाणन योजना में एक राष्ट्रीय आंदोलन बनने की क्षमता है। इसका उद्देश्य भारत के MSME के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा की एक कार्ययोजना (रोडमैप) बनाना है। 
  • MSME सतत (ZED) प्रमाणन योजना न केवल उत्पादकता और प्रदर्शन में सुधार लाएगी बल्कि निर्माताओं की मानसिकता को बदलने और उन्हें पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक बनाएगी।
  • यह योजना MSME को शून्य दोष शून्य प्रभाव (ZED) अभ्यासों को अपनाने और उन्हें MSME चैंपियन बनने के लिए प्रोत्साहित करते हुए ZED प्रमाणन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक अभियान है। 
  • ZED प्रमाणन हासिल करके MSME काफी हद तक अपव्यय को कम कर सकते हैं, उत्पादकता बढ़ा सकते हैं, पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ा सकते हैं, ऊर्जा बचा सकते हैं, प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग कर सकते हैं और अपने बाजारों का विस्तार कर सकते हैं।
  • योजना के तहत, MSME को ZED प्रमाणीकरण की लागत पर निम्नलिखित संरचना के अनुसार सब्सिडी प्रदान की जाएगी:
    • सूक्ष्म उद्यम: 80%
    • लघु उद्यम: 60%
    • मध्यम उद्यम: 50% 
  • महिला/SC/ST द्वारा चलाए जा रहे MSME या पूर्वोत्तर क्षेत्र/ हिमालयी क्षेत्र/LWE/द्वीप क्षेत्रों/आकांक्षी जिलों में चल रहे MSME को 10% की अतिरिक्त छूट मिलेगी।
  • उपरोक्त के अलावा, वैसे MSME के लिए 5% की अतिरिक्त छूट मिलेगी जो मंत्रालय के SFURTI यानी स्फूर्ति या सूक्ष्म और लघु उद्यम – क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP) का भी हिस्सा हैं। 
  • इसके अलावा, ZED का संकल्प लेने वाले प्रत्येक MSME को इसमें शामिल होने के लिए बतौर ईनाम 10 हजार रुपये दिए जाएंगे।
  • शून्य दोष शून्य प्रभाव समाधान की ओर बढ़ने में मदद करने के लिए ZED प्रमाणन के तहत MSME के लिए हैंडहोल्डिंग और कंसल्टेंसी मदद के लिए 5 लाख रुपये (प्रति MSME) उपलब्ध कराए जाएंगे। MSME राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, वित्तीय संस्थानों आदि द्वारा ZED प्रमाणन के लिए दिए जाने वाले कई अन्य प्रोत्साहनों का भी लाभ उठा सकते हैं और MSME कवच (कोविड-19 मदद) पहल के तहत मुफ्त ZED प्रमाणन के लिए भी आवेदन कर सकते हैं।
  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम के बारे में:
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) पिछले पांच दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था का एक बेहद जीवंत और गतिशील क्षेत्र के रूप में उभरा है। 
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) आर्थिक विकास के इंजन के रूप में और समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते है।
  • MSME न केवल बड़े उद्योगों की तुलना में अपेक्षाकृत कम पूंजी लागत में रोजगार के अधिक अवसर उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि राष्ट्रीय आय और धन की अधिक समान वितरण सुनिश्चित करने, क्षेत्रीय असंतुलन को कम करने, जिससे ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के औद्योगीकरण में मदद करते हैं।
  • देश में लगभग 6.3 करोड़ MSME कार्यरत हैं।
  • MSME, भारत के कुल निर्यात में करीब 45% योगदान देते हैं।
  • MSME, भारत में कुल रोजगार का लगभग 45% रोजगार प्रदान करता है।
  • सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्रालय के बारे में:
    • सूक्ष्‍म, लघु एवं मध्‍यम उद्यम मंत्रालय सभी क्षेत्रों और राज्यों में MSME को बढ़ावा देने, विकसित करने और उनकी देखभाल करने का कार्य करता है। 
    • यह मंत्रालय 20 से अधिक विभिन्न योजनाएं चलाता है। इनमें PMEGP, SFUTI, MSE-CDP, RAMP योजना, ATI, उद्यम पंजीकरण आदि योजनाएं शामिल हैं जो वित्त तक पहुंच, बाजार संपर्क, प्रौद्योगिकी उन्नयन, क्षमता निर्माण, नवाचार/विचार और औद्योगिक बुनियादी ढांचे का विकास आदि क्षेत्रों में मदद करती हैं।

2. तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (QES) के तीसरे दौर (अक्टूबर-दिसंबर, 2021) पर रिपोर्ट जारी:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

अर्थव्यवस्था:

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था: नियोजन, संसाधन संग्रहण, वृद्धि एवं विकास से संबंधित विषय।

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा: देश में रोजगार से संबंधित रिपोर्ट।

संदर्भ:

  • श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने अक्टूबर-दिसंबर, 2021 की अवधि से सम्बंधित तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (QES) की तीसरी तिमाही की रिपोर्ट जारी कर दी है।

विवरण:

  • रिपोर्ट को श्रम ब्यूरो ने तैयार किया है, जो श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का सम्बद्ध विभाग है।
  • गौरतलब है कि श्रम ब्यूरो ने देशव्यापी तिमाही प्रतिष्ठान आधारित रोजगार सर्वेक्षण (AQEES) को आधार बनाया था, ताकि हर तीन माह में रोजगार सम्बंधी जानकारी को अपडेट किया जाये और चुनिंदा नौ सेक्टरों के संगठित और असंगठित क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति तथा प्रतिष्ठानों की जानकारी मिल सके। उल्लेखनीय है कि गैर-कृषि प्रतिष्ठानों में सबसे ज्यादा रोजगार इन्हीं नौ सेक्टरों में मिलता है।
  • इन नौ सेक्टरों में विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, यातायात, शिक्षा, स्वास्थ्य,  ठहरने के स्थान एवं रेस्त्रां, आईटी/बीपीओ और वित्तीय सेवायें आती हैं।
  • QES ने ऐसे प्रतिष्ठानों से रोजगार आंकड़े जमा किये हैं, जहां 10 या उससे अधिक कामगार काम करते हैं और जो संगठित क्षेत्र से सम्बंधित हैं। 

प्रमुख बिंदु:

  • छठवीं आर्थिक जनगणना के अनुसार देश के कुल कामगारों में से 85 प्रतिशत कामगार 10 या उससे अधिक कामगारों वाली इकाइयों में काम करते हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार 10 या उससे अधिक कामगारों वाले संगठित क्षेत्र के चुनिंदा नौ सेक्टरों में रोजगार के बढ़ने का रुझान है।
  • ‘विनिर्माण’ रोजगार देने वाला सबसे बड़ा सेक्टर है, जहां कुल कामगारों में से लगभग 39 प्रतिशत कामगार काम करते हैं; इसके बाद शिक्षा सेक्टर आता है, जहां कुल कामगारों में से 22 प्रतिशत कामगार कार्यरत हैं।
  • लगभग सभी (99.4 प्रतिशत) प्रतिष्ठान विभिन्न नियमों के तहत पंजीकृत हैं।
  • कुल मिलाकर लगभग 23.55 प्रतिशत इकाइयां अपने कामगारों को उनके काम के बारे में प्रशिक्षित करती हैं।
  • नौ सेक्टरों में, स्वास्थ्य सेक्टर की 34.87 प्रतिशत इकाइयां रोजगार प्रशिक्षण देती हैं। उसके बाद IT/BPO हैं, जिनकी 31.1 प्रतिशत इकाइयां प्रशिक्षण देती हैं।
  • सभी नौ सेक्टरों में लगभग 1.85 लाख रिक्त स्थानों की जानकारी उपलब्ध है।
  • 85.3 प्रतिशत नियमित कामगार हैं और 8.9 प्रतिशत ठेका मजदूर हैं।
  • कुल रोजगार में विभिन्न सेक्टरों की साझेदारी:

PIB Analysis in Hindi 28 April 1

3. ई-संजीवनी

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र: 2

स्वास्थ्य: 

विषय: सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं एवं उनका कमजोर वर्ग पर प्रभाव।   

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा: ई-संजीवनी, आयुष्‍मान भारत योजना आदि के बारे में। 

संदर्भ:

  • केन्‍द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रमुख टेलीमेडिसिन योजना- ‘‘ई-संजीवनी’’ के माध्यम से लगातार दो दिन 26 अप्रैल और 27 अप्रैल 2022 को रिकॉर्ड 3.5 लाख टेली-परामर्श पंजीकृत किए गए हैं। 
  • यह आयुष्‍मान भारत स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण केन्‍द्र में एक दिन में अब तक किए गए टेलीकंसल्टेशन की सबसे अधिक संख्या है, जो प्रतिदिन 3 लाख टेलीकंसल्टेशन के अपने पिछले रिकॉर्ड को पार कर गया है।

विवरण:

  • यह रिकॉर्ड उपलब्धि ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म की मजबूत तकनीक का प्रमाण है। ई-संजीवनी पोर्टल देश के सभी भागों में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान कर रहा है। 
  • गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखरेख के लिए टेली-परामर्श में लगातार वृद्धि अंत्योदय की दिशा में एक बड़ा कदम है, जहां देश के दूर-दराज के क्षेत्रों के लोग गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने में सक्षम हैं। 
  • देश के सुदूरवर्ती हिस्से में सबसे गरीब लोगों को समय पर विशेषज्ञ सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए टेलीकंसल्टेशन एक वरदान के रूप में उभरा है।

किसी भी देश द्वारा अपनी तरह की पहली टेलीमेडिसिन पहल ई-संजीवनी के दो रूप हैं:

  • ई-संजीवनी आयुष्‍मान भारत स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण केन्‍द्र (AB-HWC): 
  • भारत सरकार की आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केन्‍द्र योजना के तहत एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक टेलीमेडिसिन सेवा, ग्रामीण क्षेत्रों और अलग-थलग पड़े समुदायों में सामान्य और विशिष्ट स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए है। 
  • एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक टेलीमेडिसिन सेवा वितरण मॉडल पर आधारित है।
  • भूगोल, पहुंच, लागत और दूरी की बाधाओं को दरकिनार करते हुए सूचना प्रौद्योगिकी की क्षमता का लाभ उठाकर नागरिकों की अधिकतम संख्या को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दृष्टि से ‘ई-संजीवनी आयुष्‍मान भारत स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण केन्‍द्र’ लागू किया गया था।
  • वर्तमान में, ई-संजीवनी आयुष्‍मान भारत स्‍वास्‍थ्‍य और कल्‍याण केन्‍द्र 80,000 से अधिक स्वास्थ्य और कल्याण केन्‍द्रों में काम कर रहा है।
  • ई-संजीवनीओपीडी
  • यह एक मरीज से डॉक्टर तक की टेलीमेडिसिन सेवा है जो लोगों को अपने घरों में ही आउट पेशेंट सेवाएं प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। 
  • देश के सभी हिस्सों में नागरिकों द्वारा ‘ई-संजीवनीओपीडी’ को भी तेजी से और व्यापक रूप से अपनाया गया है।

4. सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन 2022 

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3

अर्थव्यवस्था:  

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था: नियोजन, संसाधन संग्रहण, वृद्धि एवं विकास से संबंधित विषय।  

प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा: सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन 2022 और भारत सेमीकंडक्टर मिशन। 

संदर्भ:

  • प्रधानमंत्री 29 अप्रैल से 1 मई, 2022 तक आयोजित किए जाने वाले तीन दिवसीय ‘सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन 2022’ का उद्घाटन करेंगे। 

विवरण:

  • इस सम्मेलन की परिकल्‍पना भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनाने और यहां चिप डिजाइन एवं विनिर्माण का अनुकूल परिवेश बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करने की दिशा में काम शुरू करने के लिए एक लॉन्च पैड के रूप में की गई है। 

सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन 2022 के लिए एजेंडा:

  • इस प्रमुख सम्मेलन का आयोजन ‘भारत सेमीकंडक्टर मिशन’ को साकार करने और भारत की आकांक्षाओं से पूरी दुनिया को अवगत कराने की दिशा में पहला कदम है। 
  • यह सम्मेलन वर्तमान क्षमताओं, प्रौद्योगिकी संबंधी रुझानों, अनुसंधान एवं विकास में निवेश, भारत में वर्तमान व भावी बाजार अवसरों और वैश्विक स्तर पर उत्‍पन्‍न होने वाली अपार संभावनाओं और प्रभाव को दर्शाने में मदद करेगाI
  • सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन 2022 के लिए गठित संचालन समिति में अनेक स्टार्टअप्स, शिक्षाविद और इस उद्योग की वैश्विक हस्तियां शामिल हैं जो भारत के सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण की महत्वाकांक्षाओं को नई गति प्रदान करने के लिए सरकार के सहयोगात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है। 
  • यह सम्मेलन भारत की उस सेमीकंडक्टर रणनीति और नीति के औपचारिक लॉन्च पैड की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, जिसमें भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन और विनिर्माण के लिए एक वैश्विक हब बनाने की परिकल्पना की गई है। 
  • ‘भारत में सेमीकंडक्टर परिवेश को अनुकूल बनाना’ विषय के साथ सेमीकॉनइंडिया सम्मेलन 2022 में भारत को दुनिया के सेमीकंडक्टर मानचित्र पर उचित स्‍थान दिलाने और देश में एक जीवंत सेमीकंडक्टर डिजाइन एवं विनिर्माण परिवेश सुनिश्चित करने के लिए एक रोडमैप बनाने की परिकल्पना की गई है।
  • इस अद्वितीय वैश्विक सेमीकंडक्टर सम्मेलन में विभिन्‍न स्टार्टअप्‍स के नवाचार, शैक्षणिक संस्थानों द्वारा शुरू की गई प्रमुख परियोजनाओं, सरकार द्वारा फि‍लहाल चलाए जा रहे माइक्रोप्रोसेसर कार्यक्रमों और विभिन्‍न उद्यमों एवं सरकार दोनों के ही द्वारा इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास करने की अद्भुत बौद्धिक क्षमता को दर्शाया जाएगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

1. ग्लोबल पाटीदार बिजनेस समिट

संदर्भ:

  • प्रधानमंत्री 29 अप्रैल, 2022 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सरदारधाम द्वारा आयोजित ग्लोबल पाटीदार बिजनेस समिट (GPBS) का उद्घाटन करेंगे।

विवरण:

  • सरदारधाम पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के उद्देश्य से ‘मिशन 2026’ के तहत ग्लोबल पाटीदार बिजनेस समिट का आयोजन कर रहा है। 
  • यह शिखर सम्मेलन हर दो साल में आयोजित किया जाता है। पहले दो शिखर सम्मेलन 2018 और 2020 में गांधीनगर में आयोजित किए गए थे और अब वर्तमान शिखर सम्मेलन सूरत में हो रहा है। 
  • ग्लोबल पाटीदार बिजनेस समिट 2022 का मुख्य विषय “आत्मनिर्भर समुदाय से आत्मनिर्भर गुजरात एवं भारत” है
  • इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य पाटीदार समुदाय के भीतर के छोटे, मध्यम और बड़े उद्यमों को एक साथ लाना, नए उद्यमियों को प्रोत्साहित व समर्थन करना और शिक्षित युवाओं को प्रशिक्षण तथा रोजगार संबंधी सहायता प्रदान करना है।

2. 90 दिवसीय अंतर-मंत्रालयी अभियान ‘आजादी से अंत्योदय तक’ का शुभारंभ

संदर्भ:

  • आज़ादी से अंत्योदय तक, 28 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 75 जिलों को 09 केंद्रीय मंत्रालयों की लाभार्थी योजनाओं के साथ संतृप्त करने के मिशन के साथ एक 90-दिवसीय अभियान शुरू किया गया है। 

विवरण:

  • आज़ादी से अंत्योदय तक अभियान ग्रामीण विकास मंत्रालय, सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग-दिव्यांगजन, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, पशुपालन और डेयरी विभाग और श्रम और रोजगार मंत्रालय का एक सम्मिलित प्रयास है।
  • आजादी से अंत्योदय तक अभियान का नेतृत्व संस्कृति मंत्रालय और सभी भाग लेने वाले मंत्रालयों/विभागों के सक्रिय समर्थन से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।
  • अभियान का लक्ष्य 17 चुनिंदा योजनाओं को सीधे लाभार्थियों को संतृप्ति मोड में सहायता के साथ शुरू करना है। प्रत्येक भाग लेने वाले मंत्रालयों/विभागों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे पिछली पंक्ति में बैठे हुए व्याक्ति तक पहुंचना है।
  • विकास मानकों में पिछड़े 75 जिलों को MPSE (मासिक प्रति व्यक्ति संकेतक) और D5/D7 SECC-2011 (सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना) डेटा के माध्यम से चयनित किया गया है।

28 अप्रैल 2022 : PIB विश्लेषण  :-Download PDF Here

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