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28 मई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. प्रधानमंत्री ने नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया:  
  2. इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक:
  3. इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (ISO):
  4. अंडमान में “सागर परिक्रमा” के छठे चरण का शुभारंभ होगा:  

1. प्रधानमंत्री ने नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया:

सामान्य अध्ययन: 1

भारतीय इतिहास और संस्कृति:

विषय: भारतीय वास्तुकला के मुख्य पहलु। 

प्रारंभिक परीक्षा: सेंगोल राजदंड। 

मुख्य परीक्षा: वर्तमान में नए संसद भवन की जनसंख्या परिसीमन के सन्दर्भ में प्रासंगिकता पर प्रकाश डालिये।   

प्रसंग: 

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 28 मई 2023 को नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित किया। 

उद्देश्य:

  • इससे पूर्व, प्रधानमंत्री ने नवनिर्मित संसद भवन में पूर्व-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके शीर्ष पर नंदी के साथ सेंगोल को स्थापित किया।   

विवरण:   

  • प्रधानमंत्री ने कहा कि 28 मई, 2023 एक ऐतिहासिक दिन है।यह केवल एक भवन नहीं है बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिंब है।
  • भारत के लोगों ने अमृत महोत्सव के लिए खुद को उपहार दिया है।  
  • प्रधानमंत्री ने पवित्र सेंगोल की स्थापना का उल्लेख करते हुए कहा कि महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को सेवा कर्तव्य और राष्ट्र के पथ के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। 
    • राजाजी और अधीनम के मार्गदर्शन में यह सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का पवित्र प्रतीक बन गया। 
  • यह सौभाग्य है कि हम इस पवित्र सेंगोल की गरिमा को बहाल कर सके। जब भी इस संसद भवन में कार्यवाही शुरू होगी, सेंगोल हम सभी को प्रेरणा देता रहेगा।
  • प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं बल्कि लोकतंत्र की जननी भी है। 
    • वेदों का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि यह हमें लोकतांत्रिक सभाओं और समितियों के सिद्धांतों का पाठ पढ़ाता है। 
    • उन्होंने महाभारत का भी उल्लेख किया जहां एक गणतंत्र का वर्णन किया गया है और कहा कि भारत ने वैशाली में गणतंत्र को जीया है और उसकी अनुभूति की है। 
    • भगवान बसवेश्वर का अनुभव मंटप्पा हम सभी के लिए गर्व की बात है। 
    • तमिलनाडु में पाए गए 900 ईस्वी के शिलालेखों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आज के दिन और युग में भी सभी को आश्चर्यचकित करता है। 
  • प्रधानमंत्री ने पुराने संसद भवन में काम करने में सांसदों के सामने आने वाली कठिनाइयों की ओर इंगित किया और सदन में तकनीकी सुविधाओं की कमी और सीटों की कमी के कारण विद्यमान चुनौतियों का उदाहरण दिया। 
  • नया संसद भवन नवीनतम तकनीक से सुसज्जित है और सभा कक्ष भी सूरज की रोशनी से भरे पूरे हैं।
  • नई संसद के निर्माण में योगदान देने वाले ‘श्रमिकों’ के साथ अपनी बातचीत का स्मरण करते हुए उन्‍होंने बताया कि संसद के निर्माण के दौरान 60,000 श्रमिकों को रोजगार दिया गया था और उनके योगदान को रेखांकित करते हुए सदन में एक नई दीर्घा बनाई गई है। 
    • उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि नई संसद में श्रमिकों के योगदान को अमर कर दिया गया है।
  • नई संसद विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को नई ऊर्जा और शक्ति देगी। 
  • प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि संसद का नया भवन एक नए, समृद्ध, मजबूत और विकसित भारत के निर्माण का आधार बनेगा। 
    • प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक ऐसा भारत है जो नीति, न्याय, सच्चाई, गरिमा और कर्तव्य के मार्ग पर चलता है और मजबूत बनता है।
  • नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई 2023 को किया गया।
  • पुराने संसद भवन को 1927 में खोला गया था। इसमें लकड़ी की चौखट और ऊंची छतें थीं।
  • असबाब, कालीन और वाल क्लैडिंग के संबंध में राज्यसभा के लिए लाल रंग और लोकसभा के लिए हरे रंग के उपयोग की परंपरा जारी रहेगी।
  • नई लोकसभा में 888 सदस्य बैठ सकेंगे और संसद के संयुक्त सत्र के दौरान इसे 1272 सीटों तक बढ़ाया जा सकता है। जबकि राज्यसभा में 384 सदस्य बैठ सकेंगे।
  • कैबिनेट मंत्रियों और पार्टी कार्यालयों के लिए लगभग 92 कक्ष बनाए गए हैं।
  • प्रत्येक सीट पर बायोमेट्रिक आधारित डिजिटल वोटिंग उपकरण और सदस्यों के लिए दस्तावेजों तक पहुंचने के लिए एक स्मार्ट स्क्रीन होगी।
  • राज्यसभा और लोकसभा में क्रमशः सभापति और अध्यक्ष की सीटों को अधिक ऊंचाई पर स्थापित किया गया है। इस प्रकार यह इसे ‘व्यवधान से मुक्त’ बनाता है।
  • संसद भवन में उपयोग की गई सागौन की लकड़ी महाराष्ट्र से, बलुआ पत्थर राजस्थान से, कालीन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से और बांस की फर्श त्रिपुरा से आई थी।

2. इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF) की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएं और मंच, उनकी संरचना, अधिदेश।   

प्रारंभिक परीक्षा: इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (IPEF), ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ (पीएमएसएसवाई) किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) । 

प्रसंग: 

  • अमेरिका की मेजबानी में 28 मई को डेट्रोइट में दूसरी इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) मंत्रिस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। 

उद्देश्य:

  • अमेरिका और भारत-प्रशांत क्षेत्र के अन्य भागीदार देशों द्वारा 23 मई, 2022 को आईपीईएफ का संयुक्त रूप से टोक्यो में शुभारंभ किया गया था। 
    • आईपीईएफ में ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 14 भागीदार देश शामिल हैं। 
    • इसका लक्ष्य क्षेत्र में विकास, शांति और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव को मजबूत करना है।  

विवरण:  

  • आईईपीएफ अपने चार खंडों- व्यापार (स्तंभ I); आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ II); स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III); और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (कराधान और भ्रष्टाचार विरोधी) से संरचित हैं।
  • भारत आईईपीएफ के स्तंभ II से IV में शामिल हो चुका है जबकि इसे स्तंभ- I में पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है।
  • इस मंत्रिस्तरीय बैठक में, आपूर्ति खंडों (स्तंभ-द्वितीय) के अंर्तगत व्यापक स्तर पर वार्ता संपन्न हुई, जबकि अन्य आईपीईएफ स्तंभों के तहत भी अच्छी प्रगति दर्ज की गई है। 
    • संबंधित आईपीईएफ स्तंभों में से प्रत्येक के तहत पाठ-आधारित वार्ताओं से संबंधित विकास पर अद्यतन जानकारी प्रदान करने के लिए मंत्रिस्तरीय बैठक के समापन पर स्तंभ-वार प्रेस वक्तव्य जारी किया गया था।
  • आपूर्ति श्रृंखला (स्तंभ-द्वितीय) के तहत, आईपीईएफ भागीदार देश संकट प्रतिक्रिया उपायों के माध्यम से आपूर्ति श्रृंखला को अधिक लचीला, मजबूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाने के साथ-साथ कारोबार की निरंतरता को बेहतर ढंग से सुनिश्चित करने और रसद एवं संपर्क में सुधार के लिए व्यवधानों को कम करने के लिए सहयोग, विशेष रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों और प्रमुख वस्तुओं के उत्पादन में निवेश को बढ़ावा देना, और अपेक्षित कौशल को बढ़ाने और कौशल को पुनः संरचरित करने के माध्यम से कार्यकर्ताओं की भूमिका में वृद्धि, और आईपीईएफ में कौशल प्रमाणिक प्रारूप की बढ़ती तुलनात्मकता को बढ़ाने मंशा रखते हैं। 
  • इस समझौते के हिस्से के रूप में पहचाने गए उन्मुख सहकारी और सहयोगी घटक हैं।
  • स्वच्छ अर्थव्यवस्था (खंड-III) के अंतर्गत, आईपीईएफ भागीदारों का उद्देश्य अनुसंधान, विकास, व्यावसायीकरण, उपलब्धता, पहुंच और स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियों की तैनाती पर सहयोग को आगे बढ़ाना और क्षेत्र में जलवायु से संबंधित परियोजनाओं के लिए निवेश की सुविधा प्रदान करना है। 
    • इसके अलावा, रुचि रखने वाले आईपीईएफ भागीदार क्षेत्र में नवीकरणीय और निम्न-कार्बन हाइड्रोजन और इसके डेरिवेटिव की व्यापक तैनाती को प्रोत्साहित करने के लिए एक क्षेत्रीय हाइड्रोजन पहल का भी शुभारंभ कर रहे हैं। 
    • भारत का मानना है कि कम लागत वाली दीर्गावधि के जलवायु वित्त को जुटाने और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों तक पहुंच बढ़ाने जैसे क्रिया-उन्मुख घटकों पर इस स्तंभ का ध्यान केंद्रित किया जाए।
  • निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (खंड-IV) के अंतर्गत, आईपीईएफ भागीदार एक समझौते के पाठ के विकास की दिशा में कार्य कर रहे हैं जो आईपीईएफ अर्थव्यवस्थाओं के बीच वाणिज्य, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी भ्रष्टाचार विरोधी और कर उपायों के कार्यान्वयन को मजबूत बनाएगा। 
    • इस स्तंभ के अंतर्गत भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन प्रदान करने के लिए भारत के विधायी और प्रशासनिक ढांचे में सुधार के लिए भारत द्वारा उठाए गए मजबूत कदम और यूएनसीएसी और एफएटीएफ मानकों को लागू करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (ISO):

  • इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर स्टैंडर्डाइजेशन (आईएसओ) कमेटी ऑन कंज्यूमर पॉलिसी (सीओपीओएलसीओ) की पूर्ण बैठक उपभोक्ता जुड़ाव के क्षेत्र से जुड़े बहुपक्षीय संगठन का प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है। 
    • आईएसओ में 168 देश सदस्य के रूप में हैं और यह मानकीकरण की प्रक्रिया को मजबूत करने और दुनिया भर में उपभोक्ता भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से हितधारक समूहों, समितियों और समुदायों की संवेदनशील बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित करता है।
  • आईएसओ की 1947 में स्थापना के बाद से इसके संस्थापक सदस्यों में से एक होने के नाते, आईएसओ भारत को जीवन को आसान, सुरक्षित और बेहतर बनाने में अपने विजन को आगे बढ़ाने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भागीदार मानता है।

2.अंडमान में “सागर परिक्रमा” के छठे चरण का शुभारंभ होगा:

  • मत्स्य क्षेत्र प्राथमिक तौर पर 2.8, करोड़ से अधिक मछुआरों और मछली पालकों को आजीविका, रोजगार और उद्यमिता प्रदान करता है, ये संख्या मूल्य-श्रृंखला के साथ लाखों में हो जाती है। 
    • यह क्षेत्र पिछले वर्षों में धीरे-धीरे विकसित होकर देश के सामाजिक-आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है। 
    • 22 प्रतिशत मत्स्य उत्पादन में वृद्धि के साथ पिछले 75 वर्षों में इस क्षेत्र में बहुत परिवर्तन आया है। 1950-51 के मात्र 7.5, लाख टन मछली उत्पादन से लेकर 2021-22 में 162.48,लाख टन प्रतिवर्ष उत्पादन तक, 2020-21 की तुलना में 2021-22 में 10.34 प्रतिशत की वृद्धि के साथ मछली उत्पादन में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। 
    • आज भारत विश्व मछली उत्पादन में लगभग 8 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है। 
    • भारत ‘जलीय कृषि’ (ऐक्वाकल्चर) उत्पादन में दूसरे स्थान पर और दुनिया में शीर्ष ‘कल्चर्ड झींगा’ उत्पादक देशों में से एक है।
  • सागर परिक्रमा के पहले चरण की शुरुआत 5 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात, से हुई और अब तक सागर परिक्रमा के पांच चरणों में पश्चिमी तट पर गुजरात, दमन और दीव, महाराष्ट्र और कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों को यात्रा पूरी की गई है। 
    • सागर परिक्रमा के छठे चरण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के क्षेत्रों को कवर किया जाएगा जिसमें कौड़िया-घाट, पोर्ट ब्लेयर, पानी घाट मछली लैंडिंग केंद्र, वी के पुर फिश लेंडिंग सेंटर, हुतबे, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप आदि शामिल हैं।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में, इसके लंबे तटों के कारण जो 1,962 किलोमीटर है और 35,000 वर्ग किलोमीटर के महाद्वीपीय शेल्फ क्षेत्र के कारण मत्स्य पालन के विकास की विशाल संभावना है।
    • इस द्वीप के चारों ओर विशिष्ट आर्थिक ज़ोन लगभग 6,00,000 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें मत्स्य पालन में असीम सम्भावनाएं हैं। 
    • संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को बिना नुकसान पहुँचाए, और अप्रयुक्त मत्स्य संसाधनों का दोहन करके, मछली उत्पादन में वृद्धि और मछुआरों के कल्याण तथा उत्थान के लिए मत्स्य पालन विभाग, अंडमान और निकोबार प्रशासन, विभिन्न योजनाओं का एक कार्यक्रम का लागू कर रहा है।
  • ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ (पीएमएसएसवाई) किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) प्रमाणपत्र प्रगतिशील मछुआरों, मत्स्य-पालकों, मछली किसानों और युवा मत्स्य उद्यमियों को प्रदान किए जाएंगे। 
    • पीएमएसवाई योजना, यू-टी योजनाओं, ई-श्रम, एफआईडीएफ, केसीसी पर साहित्य, योजनाओं के व्यापक प्रचार के लिए मछुआरों के बीच प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, वीडियो, डिजिटल अभियान, योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए चलाए जाएंगे।
  • मछली उत्पादकों से सीधा संवाद कर, तटीय क्षेत्रों की मछुआरों से जुड़ी समस्याओं को जानने के लिए सागर परिक्रमा एक ऐसा कार्यक्रम है जो, सरकार के दूर तक पहुंच बनाने की रणनीति को दर्शाता है।
  • सागर परिक्रमा मछुआरों के विकास में व्यापक रणनीतिक बदलाव लेकर आएगा। 
    • इसलिये जलवायु परिवर्तन और सतत विकास के साथ-साथ मछुआरों और मत्स्य पालकों के सर्वांगीण विकास और आजीविका पर इस सागर परिक्रमा के दूरगामी प्रभाव आने वाले चरणों में देखने को मिलेंगे।

 

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लिंक किए गए लेख में 27 May 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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