पश्चिमी घाट भारत के दक्षिणी- पश्चिमी समुद्र तट के समानांतर एक 1600 कि.मी. लंबी पर्वत शृंखला है (पूर्वी तट के समानांतर विस्तृत ठीक ऐसी ही पर्वत शृंखला को पूर्वी घाट – Eastern Ghats कहते हैं ) । हिमालय से भी पहले निर्मित इस पर्वत शृंखला की औसत उंचाई लगभग 1200 मीटर (3900 फीट) है । पश्चिमी घाट का विस्तार देश के 6 राज्यों : तमिल नाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गोवा व गुजरात में है । यह दक्षिणी- पश्चिमी मानसूनी हवाओं के लिये एक अवरोध का कार्य करता है, अतः इस क्षेत्र में भारी वर्षा होती है । यही कारण है कि यहाँ सदाबहार वर्षावन (evergreen rainforest) पाए जाते हैं । घने और दुर्गम जंगलों से घिरे होने के कारण यह क्षेत्र देश का सबसे प्रमुख जैव विविधता ‘हॉटस्पॉट’ है । यहाँ जीव- जंतुओं की अनेक दुर्लभ प्रजातियाँ पाई जाती हैं । प्रकृति प्रेमियों व पर्यटकों के लिए आकर्षण का एक प्रमुख केंद्र होने के साथ साथ यह क्षेत्र दक्षिण भारत की सदियों पुरानी संस्कृति को भी सहेजे हुए है । 2012 में इसे यूनेस्को विश्व विरासत स्थल (UNESCO World Heritage Site) का दर्जा भी दिया गया । नीचे कुछ तथ्य दिए गये हैं जो पश्चिमी घाट के महत्त्व को उजागर करते हैं:
- पश्चिमी घाट भारत के 2 एवं विश्व के 37 जैव विविधता ‘हॉटस्पॉट’ में से एक है (भारत का दूसरा जैव विविधता ‘हॉटस्पॉट’ पूर्वी हिमालय है) ।
- इस क्षेत्र में पौधों की 9000 से ज्यादा प्रजातियां, 139 स्तनपायी प्रजातियां, 508 चिडि़यों की प्रजातियां और 179 उभयचर प्रजातियां पाई जाती हैं ।
- पश्चिमी घाट में कम से कम 84 उभयचर प्रजातियां, 16 चिडि़यों की प्रजातियां और 7 स्तनपायी सहित 1600 पौधों की ऐसी प्रजातियां पाई जाती हैं, जो विश्व में और कहीं नहीं पाई जाती हैं । इन्हें स्थानिक प्रजातियां कहते हैं । सिंह -पुच्छी मकाक बंदर, निलगिरी टार, मालाबार सिवेट, डेनिसन बार्ब मछली, मालाबार ग्रे हार्नबिल आदि इन में से कुछ उदाहरण हैं । दुनिया के सबसे लंबे विषैले सांप “किंग कोबरा” का भी यह पसंदीदा निवास स्थान है ।
- हालाँकि पश्चिमी घाट भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का केवल 6% कवर करता है, लेकिन यह देश की लगभग एक तिहाई (33%) जीव -जंतुओं की प्रजातियों को समाहित करता है ।
- पश्चिमी घाट में जैव विविधता के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा कई संरक्षित क्षेत्र घोषित किये गये हैं । इस क्षेत्र में कुल 39 संरक्षित क्षेत्र अधिसूचित किये गये हैं ।
- पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची चोटी अनैमुड़ी (केरल) है । इसकी ऊंचाई 2695 मी. है । इसके अलावे पश्चिमी घाट में कई हिल स्टेशन भी हैं जिनमें ऊंटी का नाम सर्वाधिक विख्यात है ।
- पश्चिमी घाट देश की कई विशाल नदियों का उद्गम स्थल है, जैसे – गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, तुंगभद्रा आदि ।
- ईरुला, कोटा, कुरुम्बा, पनियान व कट्टुनाइकण जैसी जनजातियाँ यहाँ सदियों से निवास करती आई हैं ।
- पर्यावरणीय, सांस्कृतिक एवं भौगोलिक महत्त्व के आलावा पश्चिमी घाट हमारे देश के लिए आर्थिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है । यह क्षेत्र कई प्रकार के खनिजों का विशाल भंडार है । कुद्रेमुख (कर्नाटक) के लौह अयस्क, केरल के थोरियम भंडार और कई स्थानों पर धात्विक एवं अधात्विक खनिजों के भंडार इसके उदाहरण हैं।
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