आर्य महिला समाज की स्थापना 30 नवंबर, 1882 को पुणे में हुई थी । इसकी स्थापना पंडिता रमाबाई ने महिलाओं को एक सम्मानित जीवन जीने के लिए सशक्त और शिक्षित बनाने के उद्देश्य से की थी ।
पंडिता रमाबाई सरस्वती एक महिला अधिकार और शिक्षा कार्यकर्ता, और एक समाज सुधारक थीं । उन्होंने महिलाओं की शिक्षा के लिए, विशेषकर बाल और विधवा शिक्षा के लिए संघर्ष किया । उन्होंने पुणे में शारदा सदन नामक बाल विधवाओं के लिए एक स्कूल की भी स्थापना की, जिसे एम.जी. रानाडे सहित कई सुधारकों का समर्थन था । समाज सुधार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पंडिता रमाबाई को 1919 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा कैसर- ए -हिंद की उपाधि से सम्मानित किया गया । वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के द्वारा संस्कृत विद्वान के रूप में पंडिता की उपाधि से सम्मानित होने वाली भी पहली महिला थीं ।
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