जनवरी 2023 में विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट (वैश्विक जोखिम दस्तावेज) का 18वां संस्करण जारी किया है । ग्लोबल रिस्क पर्सेप्सन सर्वे (GRPS- 2022-23) के आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार ‘कोस्ट ऑफ़ लिविंग की लागत’ एवं जलवायु परिवर्तन विश्व के समक्ष क्रमशः 2 सबसे बड़े अल्पकालिक (2 वर्ष) एवं दीर्घकालीन (10 वर्ष) खतरे हैं । पिछले वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन और कोरोना वैश्विक महामारी विश्व के समक्ष 2 सबसे बड़े खतरे बताए गये थे । रिपोर्ट में भारत के लिए पांच सबसे बड़े खतरे (रिस्क) : 1 डिजिटल असमानता, 2 संसाधनों की भू- राजनीतिक प्रतिस्पर्धा, 3 कॉस्ट ऑफ लिविंग संकट, 4 ऋण संकट और 5 प्राकृतिक आपदा बताए गये हैं । विश्व आर्थिक मंच प्रतिवर्ष यह रिपोर्ट जारी करता है जिसमें दुनिया के सामने आने वाले सबसे बड़े खतरों की पहचान की जाती है । इन खतरों को पांच वर्गों में बांटा गया है जिनमें पर्यावरण सम्बन्धी संकट , सामाजिक संकट , आर्थिक संकट, भू-राजनैतिक (geo-political) संकट और तकनीकी संकट को शामिल किया जाता है। यह दस्तावेज निम्नलिखित तीन श्रेणियों में अध्ययन के आधार पर जारी किया जाता है:-
- अल्पावधि जोखिम : इसके तहत 2 वर्ष के लिए आंकलन किया जाता है
- मध्यावधि जोखिम : इसके तहत 3 से 5 वर्ष के लिए आंकलन किया जाता है
- दीर्घावधि जोखिम : इसके तहत 5 से 10 वर्ष के लिए आंकलन किया जाता है
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ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2023 के मुख्य बिंदु:
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 की शुरूआत से ही, दुनिया कई प्रकार के जोखिमों के एक समूह का सामना कर रही है जो पूरी तरह से नए और परिचित दोनों मिश्रित हैं । पुराने कई जोखिमों की वापसी देखी है जैसे – मुद्रास्फीति, जीवन की लागत का संकट, व्यापार- युद्ध, उभरते बाजारों से पूंजी का बहिर्वाह, व्यापक सामाजिक अशांति, भू-राजनीतिक टकराव और परमाणु युद्ध का डर इत्यादि । वैश्विक जोखिम परिदृश्य में तुलनात्मक रूप से नए घटनाक्रमों द्वारा इन्हें बढ़ाया जा रहा है, जिसमें ऋण का अस्थिर स्तर, कम वृद्धि का एक नया युग, कम वैश्विक निवेश और गैर -वैश्वीकरण, मानव विकास में गिरावट, या इसका अनियंत्रित विकास, जलवायु परिवर्तन के बढ़ते दबाव आदि शामिल है । ये सब जोखिम साथ में, एक आने वाले अद्वितीय, अनिश्चित और अशांत दशक को आकार देने के लिए अभिसरण कर रहे हैं ।
ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2023 के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं :
- अगले दो वर्षों में जीवन की लागत (cost of living) वैश्विक जोखिमों पर हावी है जबकि जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई की विफलता अगले दशक में हावी है ।
- रिपोर्ट जलवायु कार्रवाई की विफलता को लंबी अवधि में दुनिया के लिए सबसे चिंताजनक खतरे के रूप में देखती है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव आने वाले 10 वर्षों में देखे जाएंगे । रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए अलग-अलग देशों द्वारा अव्यवस्थित लक्ष्य निर्धारित करने के तरीके से जुड़ी समस्याओं पर प्रकाश डालती है, यह कहती है कि इसके गैर-समान लक्ष्य राष्ट्रों को अलग कर देंगे और समाजों को विभाजित करेंगे, सहयोग के रास्ते में अवरोध पैदा करेंगे । रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया को “पर्यावरण ह्रास” और ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए अगले दशक में जलवायु शमन और अनुकूलन पर अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करना चाहिए ।
- जैसे ही एक आर्थिक युग समाप्त होता है, अगला ठहराव और विचलन अधिक जोखिम लाएगा ।
- भू- राजनीतिक विखंडन, भू- आर्थिक युद्ध को बढ़ावा देगा और बहु- पक्षीय संघर्षों के जोखिम को बढ़ाएगा । रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन में रूस के युद्ध और कोविड-19 महामारी की वजह से ऊर्जा संकट, खाद्य की कमी और मुद्रास्फीति सबसे अधिक दबाव वाले वैश्विक समस्याओं के रूप में उभरे हैं ।
- प्रौद्योगिकी असमानताओं को बढ़ाएगी जबकि साइबर सुरक्षा से जोखिम एक निरंतर चिंता बनी रहेगी ।
- खाद्य, ईंधन और लागत संकट सामाजिक भेद्यता को बढ़ाते हैं जबकि मानव विकास में घटता निवेश भविष्य के लचीलेपन को कम करता है ।
- कोरोना वैश्विक महामारी के दूसरे वर्ष में देखा गया कि देश सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए मौजूदा तंत्र को संशोधित कर रहे हैं और नए तंत्र बना रहे हैं । महामारी से निपटने के अपने प्रयासों में देशों को कई मोर्चों पर सफलता और विफलता दोनों का सामना करना पड़ता है । रिपोर्ट में देश में महामारी की स्थिति के प्रभावी प्रबंधन के दो प्रमुख कारण पाए गए हैं और वे हैं:
- बदलती परिस्थितियों के अनुसार महामारी से निपटने के लिए अपनी मूल स्थिति को बदलने और नई रणनीति अपनाने के लिए सरकारों का रवैया ।
- प्रभावी संचार और सैद्धांतिक निर्णयों द्वारा अपने पक्ष में जनता के विश्वास को बनाए रखने के लिए विभिन्न सरकारों की क्षमता ।
डिजिटल निर्भरता
रिपोर्ट डिजिटल निर्भरता में अप्रत्याशित वृद्धि पर भी चिंता व्यक्त करती है । जब से COVID-19 महामारी ने दुनिया को प्रभावित किया है, तब से अधिकांश कार्यबल घर पर रहकर, ‘ऑनलाइन’ काम करने के तरीके में स्थानांतरित हो गया है । इस वृद्धि के साथ, साइबर खतरे भी बढ़ गए हैं । मैलवेयर और रैंसमवेयर हमलों की घटनाएं सैकड़ों गुना बढ़ गई हैं और ऑनलाइन सुरक्षित रहने के तरीके सीखने की समाज की क्षमता को पीछे छोड़ दिया है । पिछले कुछ वर्षों में शत्रु राष्ट्रों के सामरिक संस्थानों पर सीमा पार साइबर हमलों की संख्या में भी वृद्धि हुई है ।
विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) क्या है ?
विश्व आर्थिक मंच स्विट्ज़रलैंड की एक गैर-लाभकारी (Non -Profit Organization) एवं गैर -सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना 1971 में एक जर्मन इंजिनियर व अर्थशास्त्री क्लॉस मार्टिन श्वाब ने की थी | इसका मुख्यालय जेनेवा में है। ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट के अलावा विश्व आर्थिक मंच निम्नलिखित अन्य रिपोर्ट भी जारी करता है :-
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