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लूपेक्स मिशन (LUPEX Mission)

लूपेक्स मिशन (LUPEX- lunar polar exploration mission) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जापानी एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) का एक संयुक्त रोबोटिक चंद्र मिशन है । इस मिशन का लक्ष्य 2024 तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र का पता लगाने के लिए एक लूनर रोवर और लैंडर भेजना है । इस  मिशन में ISRO लैंडर प्रदान करेगा, जबकि JAXA ‘H3 लॉन्च व्हीकल’ और रोवर प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होगा । इसरो और जाक्सा ने इस मिशन पर अध्ययन के लिए दिसंबर 2017 में एक ‘इम्प्लीमेंटेशन एग्रीमेंट’ (आई.ए समझौते) पर हस्ताक्षर किए थे । उन्होंने मार्च 2018 में चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का पता लगाने के लिए संयुक्त रूप से व्यवहार्यता रिपोर्ट को पूरा किया । इस लेख में लूपेक्स मिशन के विषय में पूर्ण जानकारी प्राप्त करें । हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज  आईएएस हिंदी 

नोट : यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू करने से पहले अभ्यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे  UPSC Prelims Syllabus in Hindi का अच्छी तरह से अध्ययन कर लें, और इसके बाद ही  अपनी तैयारी की योजना बनाएं।

लूपेक्स मिशन -टाइमलाइन

LUPEX मिशन की घोषणा जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के अध्यक्ष हिरोशी यामाकावा के द्वारा सिडनी डायलॉग के दौरान की गई थी । हिरोशी यामाकावा ने एक संयुक्त प्रयास के रूप में भविष्य में चंद्र अन्वेषण के लिए क्वाड देशों (अमेरिका -जापान -ऑस्ट्रेलिया -भारत) के बीच अधिक सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है। उन्होंने चंद्रमा के आसपास के क्षेत्र में मानव -चालित अंतरिक्ष स्टेशन होने की संभावना पर भी प्रकाश डाला, जिससे ध्रुवीय क्षेत्र और चंद्रमा की सतह में निरंतर अन्वेषण को सक्षम बनाया जा सके ।

ISRO और JAXA ने दिसंबर 2018 में एक संयुक्त मिशन परिभाषा समीक्षा (JMDR) आयोजित की । इसके अलावा, JAXA ने 2019 के अंत में अपनी आंतरिक परियोजना तैयारी समीक्षा भी पूरी की । सितंबर 2019 में चंद्रयान -2 के लैंडर की क्रैश लैंडिंग के बाद, भारत ने एक नए चंद्र मिशन पर अध्ययन शुरू किया, जिसका नाम चंद्रयान -3 है । भारत के द्वारा निरंतर प्रयास का उद्देश्य LUPEX मिशन के लिए आवश्यक भारत की लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करना है । JAXA ने मिशन के लिए आवश्यक उपकरणों का चयन भी पूरा कर लिया है और 2021 की शुरुआत में रोवर के लिए आवश्यक सिस्टम आवश्यकता समीक्षा (SRR) को भी पूरा कर लिया है ।

इसरो (ISRO)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (Indian Space Research Organisation- I.S.R.O) हमारे देश की राष्ट्रीय अंतरिक्ष शोध संस्था है । इसका मुख्यालय बंगलौर, कर्नाटक  में है । 15 अगस्त 1969 में स्थापित इस संस्था का मुख्य कार्य भारत के लिये अंतरिक्ष- शोध  संबंधी तकनीक उपलब्ध करवाना है । इसके अंतर्गत  उपग्रहों, प्रमोचक यानों, परिज्ञापी प्रक्षेपास्त्र और भू-प्रणालियों का विकास शामिल है । पूर्व में इसे ‘अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति’ (Indian National Committee on Space Research – INCOSPAR) के नाम से जाना जाता था जिसकी स्थापना सन् 1962 में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और भारत के महान वैज्ञानिक विक्रम साराभाई द्वारा की गई थी । इस संस्था ने अपना पहला रॉकेट 1963 में थुंबा से लॉन्च किया था । इसरो के वर्तमान निदेशक डॉ एस सोमनाथ हैं । 19 अप्रैल ,1975 को  इसने अपने पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट का  प्रक्षेपण किया था । तब से अंतरिक्ष शोध की दुनिया में इसने नए नए कीर्तिमान स्थापित किये हैं ।

LUPEX मिशन का उद्देश्य

LUPEX मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर जल का पूर्वेक्षण और विश्लेषण है । इसके लिए ISRO और JAXA यान के परिवहन और चंद्रमाँ की गति से संबंधित नई अन्वेषण तकनीकों का अध्ययन करेगा । इसके अलावा, मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में सतत अन्वेषण करना है । इस मिशन के लैंडर की पेलोड क्षमता कम से कम 350 कि.ग्रा. (770 पाउंड) होगी । रोवर 1.5 मीटर (4 फीट 11 इंच) की ऊंचाई से सतह के नमूने एकत्र करने के लिए एक ड्रिल सहित कई अन्य उपकरण ले जाएगा । इस मिशन के लिए इसरो और जाक्सा के बीच समन्वय की आवश्यकता है । ISRO और JAXA ने मार्च 2021 में पृथ्वी अवलोकन और उपग्रह नेविगेशन में अपने सहयोग की समीक्षा की । LUPEX मिशन के अलावा, दोनों एजेंसियों ने “अंतरिक्ष स्थितिजन्य जागरूकता और पेशेवर विनिमय कार्यक्रम” में सहयोग के अवसरों का पता लगाने पर भी सहमति व्यक्त की है । दोनों एजेंसियों ने उपग्रह डेटा का उपयोग करके चावल की फसल क्षेत्र और वायु गुणवत्ता निगरानी पर सहयोगी गतिविधियों के लिए एक ‘कार्यान्वयन व्यवस्था’ पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

इसरो ने हाल ही में 2021-2023 के दौरान विदेशी उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए चार अन्य देशों के साथ भी 6 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं । इन विदेशी उपग्रहों को व्यावसायिक आधार पर प्रक्षेपित करके भारत को लगभग 132 मिलियन यूरो की आय होने की आशा है । इसरो और इटली की अंतरिक्ष एजेंसी (ए.एस.आई) ने पृथ्वी अवलोकन, अंतरिक्ष विज्ञान, रोबोटिक और मानव अन्वेषण में सहयोग के अवसरों का पता लगाने के लिए संयुक्त प्रयास का निर्णय लिया है । इसरो और ऑस्ट्रेलियाई अंतरिक्ष एजेंसी ने दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के निर्माण के लिए समझौता ज्ञापन में संशोधन पर हस्ताक्षर किए हैं । ऑस्ट्रेलिया अस्थायी रूप से आवश्यक इसरो उपग्रह ट्रैकिंग सुविधा की मेजबानी करके, भारत के पहले मानव -चालित अंतरिक्ष उड़ान मिशन “गगनयान” का समर्थन करता है।

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