अपनी प्राकृतिक सुन्दरता एवं सामरिक महत्त्व के कारण पैंगोंग झील हमेशा सुर्ख़ियों में रहता है । पैंगोंग -सो (Pangong Tso) के नाम से प्रसिद्ध यह झील हिमालय के लद्दाख क्षेत्र में लगभग 14,000 फुट की ऊँचाई पर स्थित एक लंबी और गहरी, भू- आबद्ध (लैंडलॉक) झील है । LoAC (Line of actual control) रेखा इस झील के मध्य से होकर गुजरती है, जिससे इसका सामरिक -कूटनीतिक और बढ़ जाता है । यह झील हाल के दिनों में भारत और चीन के बीच सैन्य टकराव के प्रमुख भौगोलिक क्षेत्रों में से एक है । हाल ही में, चीन अपने सैनिकों और कार्गो की तेज आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए झील में और उसके आसपास नए पुलों और अन्य प्रमुख सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है । इस लेख में आप पैंगोंग झील के विषय में भौगोलिक एवं सामरिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । हिंदी माध्यम में UPSC से जुड़े मार्गदर्शन के लिए अवश्य देखें हमारा हिंदी पेज आईएएस हिंदी।
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पैंगोंग त्सो झील : भूगोल
पैंगोंग झील एक लंबी ‘बुमेरांग’ के आकार की भू- आबद्ध (लैंडलॉक्ड) जल निकाय है । यह समुद्र तल से लगभग 4,200 मीटर (13,800 फीट) से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित है । यह पूर्वी लद्दाख और पश्चिमी तिब्बत में फैली एक ‘सीमा पार’ झील है, जिसकी लंबाई 135 किमी से भी अधिक है । यह अधिकतम 5 कि.मी. चौड़ी है । झील का लगभग 40% हिस्सा भारतीय क्षेत्र में है, 50% तिब्बत में है, और शेष 10% कथित तौर पर चीन की ओर से विवादित है, और एक वास्तविक ‘बफर ज़ोन’ है । इस झील का पूर्वी हिस्सा मीठे पानी का है । कई प्रकार के जलीय जीव व वनस्पतियाँ इस क्षेत्र में निवास करते हैं । यह गर्मियों के दौरान कई प्रवासी पक्षियों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रजनन क्षेत्र भी बन जाता है । बार हेडेड गूज और ब्राह्मणी बतख जैसे पक्षी आमतौर पर गर्म मौसम के दौरान यहां पाए जाते हैं । जबकि झील का पश्चिमी भाग खारा है । झील के इस हिस्से के आस-पास कोई मछलियाँ या वनस्पतियाँ नहीं देखी जाती हैं । सर्दियों के दौरान, यह झील पूरी तरह जम जाती है । झील के अंदर कुछ छोटे छोटे द्वीप भी हैं जिनमे सबसे प्रसिद्ध द्वीपों में से एक बर्ड आइलेट है । पैंगोंग त्सो झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में नामित करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है । यह दक्षिण एशिया की पहली ट्रांसबॉर्डर झील होगी जिसे रामसर कन्वेंशन द्वारा अंतरराष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि के रूप में पहचाना जाएगा ।
पैंगोंग झील : सामरिक महत्त्व
आधिकारिक तौर पर, मैकमोहन रेखा भारत और चीन के बीच की सीमा को परिभाषित करती है । यह ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत और तिब्बत के बीच एक समझौते के रूप में बनाया गया था । चीन हमेशा पूरी सीमा समझौते पर आपत्ति जताता है क्योंकि उसका दावा है कि यह समझौता झूठा है क्योंकि चीन इसका हिस्सा नहीं था बल्कि तिब्बत था ।
पैंगोंग झील का नाम तिब्बती शब्द “पैंगोंग त्सो” से आया है, जिसका अर्थ होता है “उच्च घास के मैदान की झील” । हालिया घटनाक्रम के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद भारत ने अपने चार धाम राजमार्ग को चौड़ा करना शुरू कर दिया है । यह राजमार्ग बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारतीय सेना और अर्धसैनिक बलों को चीन-भारतीय सीमाओं तक जल्दी पहुंचने में मदद करेगा । चीन ने हाल ही में पैंगोंग त्सो झील पर एक पुल का निर्माण शुरू किया है, जो जरूरत पड़ने पर इस क्षेत्र में अपने सैनिकों और सैन्य रसद को बहुत तेजी से तैनात करने में मदद करेगा । यह पुल उत्तरी तट पर ‘फिंगर्स’ 8 से लगभग 20 कि.मी. पूर्व में है । चीन की नई भूमि सीमा नीति 1 जनवरी 2022 को लागू हुई, जो आधिकारिक तौर पर अपने पड़ोसियों, विशेषकर भारत के प्रति चीन की आक्रामकता को दर्शाती है । यह एल.ए.ओ.सी पर चीनी अतिक्रमण को औपचारिक रूप देता है । भारत ने चीनी सरकार द्वारा इस कदम के लिए अपनी चिंता व्यक्त की है । चीनी सीमा के बुनियादी ढांचे की रक्षा और बचाव के लिए सीमा क्षेत्र के पास रहने वाले या स्थित अपने नागरिकों और संगठनों की भी आवश्यकता है । चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास नए सैन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण शुरू कर दिया है । कथित तौर पर, चीन ने नए गांवों का निर्माण किया है और अपने लोगों को अरुणाचल प्रदेश के भारतीय क्षेत्र में बसाया है । इसने अरुणाचल प्रदेश राज्य के भीतर के क्षेत्रों को नए नाम देना भी शुरू कर दिया है, जो इसकी आक्रामकता को दर्शाता है । भारत ने भारत-चीन सीमा पर अपनी सीमा के बुनियादी ढांचे में सुधार करना और उसके पास नवीनतम हथियारों को तैनात करना भी शुरू कर दिया है ।
रामसर स्थल वह आर्द्रभूमि या नम भूमि (wetlands) है, जिन्हें 1971 के अंतर्राष्ट्रीय रामसर समझौते के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व दिया जाता है। । इसका नाम ईरान के रामसर शहर के नाम पर रखा गया है, जहां 1971 में यह समझौता हुआ था | यह समझौता 1975 से प्रभावी हुआ | रामसर स्थल की सूचि का दर्जा पाने के लिए किसी नम भूमि के लिए निम्नलिखित 3 में से कोई कम से कम कोई एक शर्त को पूरा करना आवश्यक है :-
- यह सामयिक रूप से ही सही , जलीय पादपों का आवास हो,
- यह प्रतिवर्ष पुर्णतः या सामयिक रूप से जलमग्न रहता हो ,
- यह दलदली क्षेत्र हो,
सम्पूर्ण विश्व का लगभग 6.4% हिस्सा आर्द्रभूमि के अंतर्गत आता है | जबकि भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संसथान (ISRO) के अनुसार भारत में आर्द्रभूमि का कुल क्षेत्रफल 1,52,600 वर्ग किमी है जो की भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 4.63% है | भारत में रामसर स्थल की सूचि में अब तक 47 स्थल शामिल थे लेकिन अब उत्तर प्रदेश के बखिरा वन्य जीव अभयारण्य व गुजरात के ‘खिजाड़िया वन्य जीव अभयारण्य’ के रामसर स्थल घोषित होने के साथ ही देश में इनकी संख्या 49 हो गई है ।
आर्द्रभूमि सबसे अधिक उत्पादक पारितंत्रों में से मने जाते हैं | जलीय एवं स्थलिये दोनों प्रकार के पारितंत्रों के मिश्रण के कारण इनकी उत्पादकता अत्यधिक होती है | ये विश्व को लगभग 70% मत्स्य उत्पादन प्रदान करने के लिए भी उत्तरदायी हैं। इसके अलावा आर्द्रभूमियाँ प्राकृतिक आपदाओं के लिए बाधा के रूप में भी कार्य करती हैं | इनके आस पास गरान या मैन्ग्रोव के वन पाए जाते हैं जो मृदा अपरदन ,बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय अहम भूमिका निभाते हैं | आर्द्रभूमियों की भूमिगत जल के संभरण और बाढ़ के समय अतिशेष जल के शोषण में भी अहम भूमिका है |
आर्द्रभूमि के समक्ष खतरे ?
इतनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने के बावजूद आर्द्रभूमियाँ आज सभी पारिस्थितिक तंत्रों में से सबसे अधिक संकटग्रस्त क्षेत्रों में से एक है। वनस्पति का क्षय , अति-लवणीकरण, प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियां, विकास की प्रक्रिया,जलवायु परिवर्तन , वैश्विक तापन के कारण जल स्तर में अनियमितता,कार्बन उत्सर्जन इत्यादि ने देश व दुनिया की आर्द्रभूमि को नुकसान पहुंचाया है। अधिक जानकारी के लिए पढ़ें हमारा अंग्रेजी लेख Ramsar Convention
भारत के राज्यवार रामसर आर्द्र भूमि स्थल
1.आंध्र प्रदेश : कोलेरु झील,
2.असम : दीपोर बिल,
3.बिहार : कंवर ताल ,
4. गुजरात : नालसरोवर पक्षी अभयारण्य,वाधवाना आर्द्रभूमि, खिजाड़िया पक्षी अभ्यारण्य,थोल झील वन्यजीव अभयारण्य
5.हिमाचल प्रदेश : चंदेर ताल ,पौंग बांध झील, रेणुका वेटलैंड
6.जम्मू और कश्मीर : होकेरा वेटलैंड ,सूरिंसार-मानसर झीलें , वुलर झील,
7.लेह-लद्धाख : त्सो-मोरीरी,त्सो कर लेक
8.केरल : अष्टमुडी वेटलैंड, सस्थमकोट्टा झील, वेम्बनाड-कोल वेटलैंड,
9.मध्य प्रदेश : भोज वेटलैंड,
10.मणिपुर : लोकतक झील
11.ओडिशा : भितरकनिका मैंग्रोव,चिल्का झील
12.पंजाब : हरिके झील ,कंजली झील , रोपड़, केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व ,व्यास संरक्षण रिजर्व ,नांगल वन्यजीव अभयारण्य
13.राजस्थान : सांभर झील , केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
14.तमिलनाडु : प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य
15.त्रिपुरा : रुद्रसागर झील
16.उत्तर प्रदेश : ऊपरी गंगा नदी ,ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव,साण्डी पक्षी अभयारण्य,समसपुर पक्षी अभयारण्य,नवाबगंज पक्षी अभयारण्य, समन पक्षी अभयारण्य ,पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य , सरसई नावर झील,सुर सरोबर,हैदरपूर वेटलॅड, बखीरा वन्यजीव अभ्यारण्य
17.महाराष्ट्र : नंदूर मधमेश्वर ,लोनार झील
18.पश्चिम बंगाल : पूर्व कलकत्ता वेटलैंड्स , सुंदर वन डेल्टा
19.उत्तराखंड : आसान रिजर्व
20.हरियाणा : भिंडावास वन्यजीव अभयारण्य ,सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान
भारत की कुछ प्रमुख झीलें | ||
1.आन्ध्र प्रदेश | कोलेरू झील, पुलिकट झील,हैदराबाद शहर झील, सरूरनगर झील,ओसमान सागर झील, हिमायत सागर झील, हुसैन सागर | |
2.कर्नाटक | बेलान्दुर झील, पंपा सरोवर झील,उंक्कल झील, उल्सुर झील ,कुक्करहल्ली झील , कावेरी भीमेश्वर ,अय्यांकेरी झील, | |
3.केरल | अष्टमुडी झील,मानचीरा झील,पारावुर कायल,पुनामदा झील,सास्तामकोटा झील,वेम्बानद झील | |
4.चण्डीगढ़ | सुकना झील, | |
5.जम्मू और कश्मीर | डल झील, वुलर झील , आंचार,कृशनसर,कौसरनाग,गंगाबल झील,गाडसर झील,पांगोंग त्सो,मानसबल झील,मानसर सरोवर,विशनसर,वुलर झील,सो मोरिरी,होकैरा झील | |
6.उड़ीसा | चिल्का झील | |
7.उत्तराखण्ड | देवरिया ताल,रुपकुण्ड,नैनीताल झील,भीम ताल झील,सात ताल,नोच्हिका ताल,डोडी ताल,माला ताल झील,देव ताल ( भारत की दूसरी सबसे ऊचाई पर स्थित झील) | |
8.उत्तर प्रदेश | किथम झील,बेलासागर झील,बैरुआ सागर ताल,आमाखेरा झील,बडी ताल,नाचन ताल,चिका झील,फुलहर झील,गोमत ताल,कठौता झील | |
9.तमिलनाडु | चिम्बारकाकम झील,कालीवेली झील,पुल्लीकट झील,रेड हील्स झील,सोल्लावरम झील,वीरणम झील,बेरीजम झील,कोडेकनल झील | |
10.मध्यप्रदेश | भोज ताल, भोपाल,लाखा बंजारा झील, सागर | |
11.महाराष्ट्र | विहार झील,तुलसी झील,पोवाईझील,लोनार झील | |
12.मणिपुर | लोकटक झील | |
13.पंजाब | काञली आर्द्रभूमि,हारीकी आर्द्रभूमि,रूपड़ आर्द्रभूमि,गोविन्द सागर झील | |
14.राजस्थान | सांभर झील (जयपुर),पचपदरा झील (बाड़मेर),डीडवाना (नागौर),लुणकरणसर (बीकानेर), उदयपुर झील, पिछोला झील,साम्भर झील,ढेबर झील,फतेहसागर झील (उदयपुर),नक्की झील माउण्ट आबू (सिरोही),पुष्कर झील,राजसमन्द झील,आनासागर झील,पिछोला झील,स्वरुपसागर झील,दुध तलाई झील,बालसमन्द झील,फाय सागर | |
15.सिक्किम | सोंगमा झील, गुरुदोगमार झील, खिच्हियोपालरी झील,सोंगमा झील,चोलामू झील | |
16.हरियाणा | ब्रह्म सरोवर, कुरुक्षेत्र,बड़खल झील,ब्रह्म सरोवर,कर्ण झील,सन्निहित सरोवर,सूरजकुण्ड
तिलयार झील,टिक्कड़ ताल |
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17.हिमाचल प्रदेश | रेणुका झील,गंगासागर झील,भृगु झील,दाशैर और धानकर झील, घाधासारू और महाकाली झील, केरारी और कुमारवाह झील,खाज्जीर झील,लामा डल एवं चांदर नौन,मच्छियाल झील,महाराणा प्रताप सागर,मनिमहेश झील,नाको झील,पंडोस झील,
पराशर झील,रेणुका झील,रेवाल्सर झील,सेरूवाल्सर एवं मनीमहेश झील,सूरज ताल, सूर्य ताल,चंद्र ताल |
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18.असम | डीपोर बील झील, चपनाला झील | |
19.पंजाब | हरीके झील |
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