03 अप्रैल 2023 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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भारत 6G विजन दस्तावेज़:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण ।
मुख्य परीक्षा: भारत 6G विजन स्टेटमेंट और 6G प्रौद्योगिकियों को तेजी से अपनाने का महत्व।
प्रसंग
- भारत के प्रधानमंत्री ने मार्च 2023 में भारत 6G विजन दस्तावेज़ का अनावरण किया है।
भारत 6G विजन स्टेटमेंट
चित्र स्रोत: Bharat 6G Vision Statement
- 6G विजन दस्तावेज़ के जरिए सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह भारत में वायरलेस डेटा खपत में सुधार करना चाहती है और 6G के लिए मानक स्थापित करने के मामले में एक वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनना चाहती है।
- सरकार के प्रमुख लक्ष्य हैं:
- प्रत्येक नागरिक को 100 Mbps की न्यूनतम बैंडविड्थ की गारंटी देना।
- यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में आधा टेराबिट प्रति सेकंड की कनेक्टिविटी हो।
- देश को तेरह प्रति वर्ग किलोमीटर के साथ 50 मिलियन इंटरनेट हॉटस्पॉट से कवर करना।
- अभीष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, सरकार टेलीकॉम गियर के स्थानीय निर्माण को बढ़ावा देने, घरेलू कंपनियों का समर्थन करने और मानकीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय चर्चाओं में इंजीनियरों को शामिल करने पर विचार कर रही है।
- विजन दस्तावेज़ में सरकार ने भारत में दूरसंचार प्रौद्योगिकियों की पिछली पीढ़ियों को अपनाने में देरी को भी स्वीकार किया है और सरकार इसे दोहराना नहीं चाहती है।
- उदाहरण के लिए, दक्षिण कोरिया और अमेरिका जैसे देशों द्वारा अपने प्रमुख शहरी केंद्रों में 5G को अपनाने के वर्षों बाद भारत में 5G को अपनाया गया था।
- सरकार ने विजन दस्तावेज़ में कहा है कि मौजूदा समय में स्पेक्ट्रम में सघनता अधिक हो गई है, खासकर लो और मिड-बैंड में,ऐसे में 4G नेटवर्क में ऐसी फ्रीक्वेंसी ट्रैफिक की मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं हो सकती हैं।
- अधिक डेटा को उच्च आवृत्तियों में स्थानांतरित किया जा सकता है।
- मानकीकरण चर्चाओं में अधिक भागीदारी को बढ़ावा देने के अलावा, सरकार विजन दस्तावेज के माध्यम से कनेक्टिविटी लक्ष्यों को आगे बढ़ाने, शिक्षाविदों और कंपनियों में मौज़ूद प्रतिभा का लाभ उठाने के लिए अनुसंधान और विकास को वित्तीय सहायता देने पर भी विचार कर रही है।
- सरकार के अनुसार, “भारत 6G विजन” को इसके कार्यान्वयन के लिए आगे ले जाने हेतु एक शीर्ष निकाय की स्थापना की जाएगी।
“भारत 6G विजन स्टेटमेंट” के बारे में अधिक जानकारी के लिए निम्नलिखित लेख देखें:
AIR Spotlight: Bharat 6G Vision – Telecom Technology to Empower People
6G और 5G के बीच अंतर:
चित्र स्रोत: Bharat 6G Vision Statement
- 6G तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि वेबसाइटें तेजी से लोड हों, वीडियो बेहतर दिखें और फाइलें तेजी से डाउनलोड हों।
- 6G तकनीक में लेटेंसी (विलंबता) बहुत कम होती है, जो डेटा पैकेट को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में लगने वाला समय है।
- 5G की तुलना में 6G द्वारा उच्च गति प्रदान करने का अनुमान है।
- 6G नेटवर्क से जुड़ी उच्च गति और कम लेटेंसी होलोग्राफिक संचार, बेहतर कृत्रिम बुद्धिमत्ता और विस्तारित वास्तविकता (XR) जैसे नए-युग के नवाचारों को वितरित करने में मदद करेगी।
यह भी पढ़ें – 6G Network
भावी कदम:
- विज़न दस्तावेज के अनुसार, उपग्रह समूह दूरसंचार टावरों और बेस स्टेशनों को जोड़ेंगे, नेटवर्क को एकीकृत करेंगे और उन्हें ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तारित करेंगे।
- इसके अलावा, दक्षिण कोरिया, जापान और जर्मनी जैसे देश प्रमुख मूल तकनीकों के विकास और मुख्य उपकरणों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करके 6G तकनीक को अपनाने के लिए मिशन मोड में काम कर रहे हैं।
- भारत में 6G प्रौद्योगिकियों को अपनाने में तेजी लाने के लिए भारत को ऐसे देशों के साथ सहयोग करना चाहिए।
- भारत 6G विजन स्टेटमेंट यूरोप के दस्तावेज के समकक्ष भी माना जाता है जो कहता है कि “मुख्य विज़न रणनीतिक क्षेत्रों में नेतृत्व सुनिश्चित करना और यूरोप को 6G सार्वजनिक और निजी नेटवर्क समाधानों और सेवाओं के लिए एक संप्रभु, स्वतंत्र और विश्वसनीय स्रोत बनाने वाली प्रमुख तकनीकों तक सुरक्षित और विश्वसनीय पहुंच स्थापित करना है।”
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
हिंद-प्रशांत भू-राजनीति में जापान के लिए कोई ‘रोक’ नहीं:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हित पर विकसित देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: हिंद-प्रशांत भू-राजनीति में जापान की भूमिका।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-जापान संबंध।
प्रसंग:
- जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने मार्च 2023 में भारत का दौरा किया।
विवरण:
- जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा ने मार्च 2023 में अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की।
- उन्होंने G-7 और G-20 के बीच सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि जापान और भारत क्रमशः इन समूहों की अध्यक्षता कर रहे हैं।
- श्री फुमियो किशिदा ने “मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत के लिए जापान की नई योजना” (FOIP) की भी घोषणा की। उन्होंने “जापान-भारत विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी” को मजबूत करने के बारे में भी बात की।
- इस बात पर प्रकाश डाला गया कि रूस-यूक्रेन संघर्ष की पृष्ठभूमि में, और दक्षिण चीन सागर (South China Sea), पूर्वी चीन सागर, ताइवान जलडमरूमध्य और भारत की LAC (वास्तविक नियंत्रण रेखा) में चीन की बढ़ती मुखरता के कारण, FOIP की अवधारणा को और गति देने की आवश्यकता है।
- FOIP के लिए नई योजना में नियम-आधारित व्यवस्था और एक-दूसरे के क्षेत्रों के लिए आपसी सम्मान पर जोर दिया गया है।
अधिक जानकारी के लिए, यहाँ पढ़ें: Sansad TV Perspective: Boost to India-Japan Ties
संबद्ध चिंताएं और भावी कदम:
- जापान की नई नीति हिंद-प्रशांत क्षेत्र में खाद्य सुरक्षा, साइबर स्पेस, महासागरीय स्वतंत्रता, कनेक्टिविटी आदि जैसे मुद्दों की अधिकता पर केंद्रित है।
- “अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था क्या होनी चाहिए” की समझ पर एकजुट रुख का अभाव है।
- हालांकि, यह सुझाव दिया जाता है कि FOIP विविध हितधारकों को एक साथ लगाएगा और सहयोग और सहभागिता का माहौल तैयार करेगा।
- जापान निम्नलिखित के माध्यम से इन चिंताओं को दूर कर सकता है:
- जापान को FOIP के तहत भारत जैसे अन्य समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग करने की आवश्यकता है।
- संवाद के माध्यम से नियम बनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
जापान की कार्यप्रणाली:
- जापान ने FOIP के तहत सहयोग के चार स्तंभों को रेखांकित किया है:
- शांति के सिद्धांत और समृद्धि के नियम
- यह बताया गया है कि कमजोर देश कानून के शासन के क्षरण से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
- इस प्रकार, जापान “गुणवत्ता अवसंरचना निवेश” के लिए G-20 सिद्धांतों के कार्यान्वयन जैसे आर्थिक विकास कार्यक्रमों में संलग्न होने का इच्छुक है।
- हिंद-प्रशांत के माध्यम से चुनौतियों का समाधान करना
- श्री किशिदा ने जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा आदि क्षेत्रों में यथार्थवादी और व्यावहारिक परियोजनाओं को शामिल करने की बात कही।
- इस दिशा में जापान हिंद-प्रशांत क्षेत्र के कई देशों के साथ द्विपक्षीय रूप से संपर्क परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
- बहुस्तरीय कनेक्टिविटी
- इस स्तंभ के अंतर्गत पहचाने जाने वाले तीन क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण प्रशांत/प्रशांत द्वीप देश हैं।
- जापान ने इस संबंध में कई कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए,
- जापान-आसियान एकीकरण कोष के लिए $100 मिलियन की प्रतिबद्धता।
- जापान भारत और बांग्लादेश के सहयोग से बंगाल की खाड़ी-पूर्वोत्तर भारत औद्योगिक मूल्य श्रृंखला अवधारणा को बढ़ावा दे रहा है।
- यह न्यू पलाऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा टर्मिनल परियोजना के विकास का भी समर्थन कर रहा है।
- “समुद्र” की सुरक्षा और सुरक्षित उपयोग के प्रयासों को “वायु” क्षेत्र तक विस्तारित करना
- इसके तहत वह अन्य देशों में समुद्री कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताओं को मजबूत करेगा।
- यह “आधिकारिक विकास सहायता (ODA) के रणनीतिक उपयोग” को लागू करेगा और अगले 10 वर्षों के लिए ODA के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा।
- इसके अलावा, यह “निजी पूंजी संग्रहण-प्रकार” अनुदान सहायता के लिए एक नया ढांचा पेश करेगा और विकास सहयोग चार्टर को संशोधित करेगा।
- शांति के सिद्धांत और समृद्धि के नियम
जापान के रुख का विश्लेषण:
- जापान हिंद-प्रशांत की उभरती भू-राजनीति में अपनी केंद्रीय भूमिका को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है।
- यह क्षेत्र में बढ़ते चीनी आक्रामकता से चिंतित है।
- नए FOIP का उद्देश्य क्षेत्रीय व्यवस्था को स्थिर करना, शांति बनाए रखना और देशों की अलग-अलग आवाजों को समायोजित करना है।
- जापान अपने लिए और समग्र रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए किसी भी अप्रत्याशित चुनौती के लिए तैयारी कर रहा है।
संबंधित लिंक:
Strategic Importance of Indo Pacific: RSTV – Big Picture
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. इसरो का पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी;
विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
प्रारंभिक परीक्षा: पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने कर्नाटक के चित्रदुर्ग में पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी प्रदर्शन (RLV-TD) कार्यक्रम का लैंडिंग प्रयोग सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
इसरो का पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान:
चित्र स्रोत: The Hindu
- इसरो के अनुसार, पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान-प्रौद्योगिकी प्रदर्शन (RLV-TD) कार्यक्रम अंतरिक्ष में कम लागत वाली पहुंच को सक्षम करने के लिए पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने हेतु प्रयोगों की एक श्रृंखला का हिस्सा है।
- RLV-TD प्रयोगों का उपयोग हाइपरसोनिक फ़्लाइट (HEX), ऑटोनॉमस लैंडिंग (LEX), रिटर्न फ़्लाइट एक्सपेरिमेंट (REX), पावर्ड क्रूज़ फ़्लाइट और स्क्रैमजेट प्रोपल्शन एक्सपेरिमेंट (SPEX) जैसी तकनीकों को विकसित करने के लिए किया जाता है।
- इसरो का लक्ष्य इस वाहन को भारत के पुन: प्रयोज्य दो-चरण कक्षीय (TSTO) प्रक्षेपण यान बनाने के लिए विकसित करना है।
- इसरो का RLV-TD फ्यूजलेज़, नोज कैप, डबल डेल्टा विंग्स और ट्विन वर्टिकल टेल्स वाले विमान के समान दिखता है।
- 2016 में, एक प्रयोग किया गया था जिसमें इसरो द्वारा उपयोग किए जाने वाले पारंपरिक ठोस बूस्टर (HS9) इंजन द्वारा संचालित रॉकेट पर एक पंख वाले अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष में भेजना शामिल था।
- अंतरिक्ष यान ने पृथ्वी की कक्षा में दोबारा प्रवेश करते समय 5 मैक की गति से यात्रा की थी।
- पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान के लाभ: एक पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान कम लागत वाला, विश्वसनीय और अंतरिक्ष तक पहुँचने का ऑन-डिमांड मोड है।
अधिक जानकारी के लिए – Reusable Launch Vehicle – Technology Demonstrator (RLV – TD)
चिनूक हेलीकॉप्टर:
- भारतीय वायु सेना (IAF) के एक चिनूक हेलीकॉप्टर का उपयोग पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहन स्वायत्त लैंडिंग मिशन (RLV LEX) को 4.5 किमी की ऊँचाई तक उठाने और RLV को छोड़ने के लिए किया गया था।
- चिनूक भारतीय वायुसेना का एक उन्नत मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टर है।
- चिनूक हेलीकॉप्टर अमेरिका स्थित बोइंग कंपनी द्वारा विकसित किए गए हैं।
- 2020 में, बोइंग ने IAF को 15 चिनूक हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी की थी।
- चिनूक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल विभिन्न रणनीतिक, युद्ध और मानवीय मिशनों के लिए किया जा रहा है।
चिनूक हेलीकॉप्टर के बारे में अधिक जानकारी के लिए: Chinook Helicopters
2. पहली बार, एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान को एक फर्नेरियम मिला:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
विषय: संरक्षण।
प्रारंभिक परीक्षा: एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान से सम्बंधित तथ्यात्मक जानकारी।
प्रसंग
- एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान में उद्यान के अंदर एक फर्नेरियम स्थापित किया जाएगा।
विवरण
- एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान केरल के इडुक्की और एर्नाकुलम जिलों में पश्चिमी घाट के किनारे स्थित है।
- एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान को मुन्नार में नीलगिरी तहर के प्राकृतिक आवास के रूप में जाना जाता है।
- इस राष्ट्रीय उद्यान में अब उद्यान के अंदर फर्नेरियम स्थापित किया जाएगा।
- रिपोर्टों के अनुसार, यह पहली बार है जब हिल स्टेशन में फर्न संग्रह स्थापित किया जा रहा है।
- नए फर्नेरियम में लगभग 52 किस्मों के फर्न पहले ही लगाए जा चुके हैं।
- फर्न्स एपिफाइटिक परिवार का एक हिस्सा हैं।
- यानी फ़र्न प्राकृतिक रूप से मिट्टी रहित परिस्थितियों में उगते हैं और ऐसे पौधों को पेड़ों से लीचिंग के माध्यम से पानी और अन्य पोषक तत्व मिलते हैं।
- राष्ट्रीय उद्यान के अंदर पेड़ों पर बड़ी संख्या में फर्न पाए जाते हैं।
- एराविकुलम राष्ट्रीय उद्यान को देश में समृद्ध जैव विविधता क्षेत्रों में से एक कहा जाता है, और नई पहल का उद्देश्य आगंतुकों को पार्क की जैव विविधता के बारे में जागरूकता प्रदान करना है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- विदेश व्यापार नीति व्यापार पारगमन संबंधों में ‘रणनीतिक और आर्थिक हित’ समाहित करती है:
- भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों के अनुरूप, नई विदेश व्यापार नीति (FTP) ने आसन्न देशों के लिए व्यापार पारगमन की अनुमति देने के लिए अतिरिक्त प्रावधान पेश किए हैं।
- यह पड़ोसी देशों के भीतर और बाहर माल के पारगमन की अनुमति देने पर देश के रुख में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने नई नीति जारी की जो पारगमन सुविधाओं से संबंधित प्रावधानों में बदली हुई स्थिति और पड़ोसी देशों के साथ व्यापार पर रुख में सूक्ष्म बदलाव का संकेत देती है।
- नई नीति में ये नए प्रावधान संभावित रूप से भारत के पड़ोसी नेपाल और भूटान जैसे कुछ भू-आबद्ध देशों को परेशान कर सकते हैं जो भारत के माध्यम से माल पारगमन पर निर्भर हैं।
- विदेश व्यापार नीति 2015-20 के अनुसार, जो हाल तक लागू थी, भारत के माध्यम से/या भारत से सटे देशों के लिए माल का पारगमन भारत और उन देशों के बीच द्विपक्षीय संधियों के अनुसार विनियमित किया जाएगा और यह ऐसे प्रतिबंधों के अधीन होगा जो कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अनुसार विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा निर्दिष्ट किए जाएँगे।
- हालाँकि, नए नीति दस्तावेज़ के अनुसार, माल के ऐसे पारगमन को अब भारत और उन देशों के बीच द्विपक्षीय संधियों के साथ-साथ भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों के अनुसार सक्षम और विनियमित किया जाएगा।
- व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्रावधानों का उपयोग करने के निहितार्थों को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत की प्रतिबद्धताओं के आलोक में तौला जाना चाहिए।
- शुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौते (GATT) के अनुच्छेद V के तहत स्थलरुद्ध देशों में पारगमन की स्वतंत्रता की गारंटी है।
- इसके अलावा, व्यापार सुगमता पर WTO समझौता, जिसमें भारत एक पक्षकार है, यह भी कहता है कि “सदस्य द्वारा यातायात के संबंध में पारगमन में लगाए गए विनियम इस तरीके से लागू नहीं किए जाएंगे जो पारगमन में यातायात पर एक प्रच्छन्न प्रतिबंध लागू करते हों”।
यह भी पढ़ें – Sansad TV Perspective: Foreign Trade Policy 2023
- सरकार निर्यात गारंटी योजना के तहत ‘राजनीतिक जोखिम’ की परिभाषा का विस्तार करेगी:
- नई विदेश व्यापार नीति (FTP) के अनुसार देशों द्वारा व्यापार में अचानक बाधा डालने के कारण हुए नुकसान के लिए निर्यातक बीमा कवर प्राप्त करने में सक्षम होंगे।
- इसके अलावा, नए FTP में छोटे निर्यातकों की शिकायतों को दूर करने के लिए “संपूर्ण सरकार” मंत्रिस्तरीय पैनल के गठन की भी परिकल्पना की गई है।
- निर्यात गारंटी योजना के तहत सरकार “राजनीतिक जोखिम” की परिभाषा का विस्तार करेगी ताकि भारतीय तटों से शिपमेंट के बाद आयात करने वाले देशों द्वारा गैर-टैरिफ बाधाओं के किसी भी नए आरोपण को कवर किया जा सके।
- जब खरीदार दिवालिया हो जाते हैं या भुगतान में डिफ़ॉल्ट कर देते हैं तथा युद्ध और अचानक आयात प्रतिबंध या कानूनों या फरमानों की घोषणा जैसे राजनीतिक जोखिम की स्थिति में निर्यात ऋण गारंटी निगम (Export Credit Guarantee Corporation (ECGC)) निर्यातकों को हुए नुकसान की भरपाई करता है, लेकिन इसमें डंपिंग-रोधी उपाय या गैर-प्रशुल्क प्रतिबंध शामिल नहीं हैं।
- हालांकि, शिपमेंट हो जाने के बाद पेश किए गए कुछ डंपिंग-रोधी उपाय या गैर-प्रशुल्क प्रतिबंध अब “राजनीतिक जोखिम” के दायरे में आएंगे।
- नया FTP सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) व्यापार संबंधी शिकायतों के निवारण के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति की स्थापना के बारे में भी बात करता है।
- यमुना की सफाई पर 5 साल में 6,800 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए:
- पर्यावरण विभाग, दिल्ली के अनुसार, यमुना नदी के दिल्ली खंड को साफ करने के लिए 2017 से 2021 के बीच लगभग 6,856.91 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।
- प्रयासों के बावजूद, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस खंड का अधिकांश भाग लगभग पूरे वर्ष प्रदूषित रहता है और नहाने के लायक भी नहीं है।
- DPCC की फरवरी की रिपोर्ट के अनुसार, नदी में पाए जाने वाले फीकल कोलीफॉर्म (मानव और जानवरों के मलमूत्र से रोगाणु) पल्ला, जहां से नदी दिल्ली में प्रवेश करती है, को छोड़कर सभी बिंदुओं पर “वांछनीय स्तर” से ऊपर थे।
- इसके अलावा, जहां से नदी शहर से बाहर निकलती है, उस बिंदु पर फीकल कोलीफॉर्म का स्तर वांछनीय स्तर से 500 गुना अधिक देखा गया था।
- हालाँकि, 1,400 किलोमीटर लंबी यमुना का लगभग 2% भाग ही दिल्ली में वजीराबाद और ओखला के बीच प्रवाहित होता है, लेकिन इस भाग में नदी के प्रदूषण भार का 76% से अधिक हिस्सा है।
- 2020 में, विधानसभा चुनाव के लिए, दिल्ली के मुख्यमंत्री ने 10-बिंदु गारंटी कार्ड की घोषणा की थी और कहा था कि यमुना नदी को साफ किया जाएगा और प्रदूषण मुक्त बनाया जाएगा।
- यमुना जिये अभियान (नदी के कायाकल्प के लिए एक नागरिक समाज की पहल) के संयोजक के अनुसार यमुना का कायाकल्प तीन बातों पर निर्भर करता है:
- जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कायाकल्प के लिए एक ही एजेंसी को जिम्मेदार होना चाहिए।
- नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बढ़ाने के प्रयासों को प्राथमिकता देना चाहिए।
- नदी के बाढ़ क्षेत्र की रक्षा करना और सफाई करना तथा कोई विकास कार्य नहीं होने देना।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. एडीनो-एसोसिएटेड वायरस 2 (AAV2) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- यह वायरसों का एक समूह है जिसे डिपेंडोपार्वोवायरस (Dependoparvovirus) कहा जाता है जो मनुष्यों और कुछ प्राइमेट्स को संक्रमित करता है।
- AAV2 को एक ही समय में मेजबान को संक्रमित करने के लिए एक और वायरस की आवश्यकता होती है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: एडीनो-एसोसिएटेड वायरस 2 (AAV2) पर्वोविरिडी परिवार के डिपेंडोवायरस वंश से संबंधित हैं जो मनुष्यों और कुछ प्राइमेट्स दोनों को संक्रमित करते हैं।
- कथन 2 सही है: AAV2 पर्वोवायरस परिवार से संबंधित है और द्विगुणन करने के क्रम में अन्य वायरस, मुख्य रूप से एडीनोवायरस के साथ सह-संक्रमण पर निर्भर है।
प्रश्न 2. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए निम्नलिखित में से कौन से मात्रात्मक उपकरणों का उपयोग किया जाता है? (स्तर – सरल)
- सीमान्त (मार्जिन) आवश्यकताएं
- साख का नियंत्रित वितरण (Rationing of credit)
- खुला बाजार परिचालन
- नकद आरक्षित अनुपात
विकल्प:
- केवल 1 और 3
- केवल 3 और 4
- केवल 1, 2 और 4
- केवल 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- RBI मात्रात्मक और गुणात्मक उपकरणों के माध्यम से अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
- मात्रात्मक उपायों के तहत नकद आरक्षित अनुपात (CRR), या बैंक दर या खुले बाजार संचालन जैसे उपकरणों के माध्यम से मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित किया जाता है।
- साख नियंत्रण के गुणात्मक या चयनात्मक तरीकों में मार्जिन आवश्यकता का विनियमन, क्रेडिट राशनिंग, उपभोक्ता ऋण का विनियमन, प्रत्यक्ष कार्रवाई आदि शामिल हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
राष्ट्रीय उद्यान/वन्यजीव अभयारण्य राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
- असोला भट्टी वन्यजीव अभयारण्य दिल्ली
- चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य तमिलनाडु
- कोलेरू वन्यजीव अभयारण्य तेलंगाना
- मेलघाट वन्यजीव अभयारण्य मध्य प्रदेश
उपर्युक्त युगों में से कितने सुमेलित है/हैं?
- केवल एक युग्म
- केवल दो युग्म
- केवल तीन युग्म
- सभी चारों युग्म
उत्तर: a
व्याख्या:
- युग्म 1 सही सुमेलित है: असोला-भट्टी वन्यजीव अभयारण्य दिल्ली-हरियाणा सीमा पर अरावली पहाड़ी श्रृंखला के दक्षिणी दिल्ली रिज पर स्थित है जो दक्षिणी दिल्ली और हरियाणा राज्य के फरीदाबाद और गुरुग्राम जिलों के उत्तरी भागों में स्थित है।
- युग्म 2 सही सुमेलित नहीं है: चिन्नार वन्यजीव अभयारण्य केरल के इडुक्की जिले में देवीकुलम तालुक में स्थित है।
- युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है: कोलेरू वन्यजीव अभयारण्य आंध्र प्रदेश में स्थित है।
- युग्म 4 सही सुमेलित नहीं है: मेलघाट वन्यजीव अभयारण्य महाराष्ट्र के अमरावती जिले के उत्तरी भाग में स्थित है।
प्रश्न 4. अल नीनो और ला नीना के बीच निम्नलिखित अंतरों में से कौन-सा/से सही है / हैं? (स्तर – सरल)
- एल नीनो घटनाएं मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत के गर्म होने से जुड़ी हैं, जबकि ला नीना की घटना एल नीनो के विपरीत होती है जिसमें इन्हीं क्षेत्रों का निरंतर शीतलन होता है।
- एल नीनो की घटना के कारण भारत में औसत से कम बारिश होती है, लेकिन ला नीना का मानसूनी जलवायु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: अल नीनो घटनाएँ मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत के गर्म होने से जुड़ी हैं, जबकि ला नीना की घटनाएँ अल नीनो के विपरीत इन्हीं क्षेत्रों के निरंतर शीतलन के साथ जुड़ी हैं।
- कथन 2 गलत है: भारतीय संदर्भ में, अल नीनो की घटना के कारण भारत में औसत से कम बारिश होती है और ला नीना का संबंध मानसून में अच्छी बारिश से है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से किसने “सुबह-ए-आज़ादी” (Subh-e Azadi) नामक कविता लिखी थी? PYQ (2008) (स्तर – कठिन)
- साहिर लुधियानी
- फैज अहमद फैज
- मुहम्मद इकबाल
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
उत्तर: b
व्याख्या:
- सुबह-ए आज़ादी 1947 में फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ द्वारा लिखी गई एक उर्दू भाषा की कविता है।
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ने अपनी कविता सुबह-ए आज़ादी में “भारत के विभाजन” के बारे में पीड़ा और नाराजगी व्यक्त की है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत के लिए 6G तकनीक की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिए: (10 अंक, 150 शब्द) [जीएस-3; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी]
प्रश्न 2. “भारत की नई विदेश व्यापार नीति आदर्शवादी से अधिक व्यावहारिक है” टिप्पणी कीजिए:
(10 अंक, 150 शब्द) [जीएस-2; अंतर्राष्ट्रीय संबंध]