04 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
भारतीय समाज:
अर्थव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
चीन ने ताइवान पर दबाव बढ़ाया:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा : चीन-ताइवान संघर्ष।
संदर्भ:
- चीन ताइवान के आसपास वृहद स्तर पर सैन्य अभ्यास कर रहा है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिनिधि सभा (United States House Speaker) की स्पीकर नैंसी पेलोसी की द्वीप राष्ट्र की यात्रा के बाद, चीन ताइवान के जलीय क्षेत्र में अपने अब तक के सबसे बड़े अभ्यासों में से एक का आयोजन कर रहा है जिसने लगभग चार दिनों के लिए ताइवान के हवाई क्षेत्र और जलीय मार्ग को प्रभावी रूप से बंद कर दिया हैं।
- चीन को लगता है की पेलोसी की ताइवान यात्रा ने ताइवान जलसंधि में शांति और व्यवस्था को खतरे में डाल दिया हैं, तथा अमेरिका-चीनी संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया और चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन किया हैं।
- चीन ताइवान को अपना क्षेत्र मानता है,और ताइवान द्वारा विदेशी सरकारों या अधिकारियों के साथ किसी भी तरह की भागीदारी का विरोध करता है।
Image Source: The Japan Times
अमेरिका के प्रतिनिधि सदन के स्पीकर की ताइवान यात्रा पर चीन का पलटवार:
- संयुक्त राज्य अमेरिका के संसद के निचले प्रतिनिधि सभा (United States House Speaker) के स्पीकर की यात्रा के प्रतिशोध में चीन द्वारा ताइवान के आसपास सैन्य अभियानों और अभ्यासों की एक श्रृंखला शुरू करने के कयास लगाए जा रहे है।
- चीन ताइवान के आसपास उत्तर, पूर्व, दक्षिण-पश्चिम और दक्षिण-पूर्व में जल और हवाई क्षेत्र के छह क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अभ्यास शुरू करेगा।
- इससे पहले, चीनी वायु सेना ने 21 युद्धक विमानों की एक टुकड़ी को ताइवान की ओर उड़ाया, जिसमें लड़ाकू जेट शामिल थे।
- चीन ने ताइवान पर कुछ आर्थिक दंडात्मक उपाय भी किए हैं जिसमें मछली और फलों जैसे कृषि उत्पादों पर आयात प्रतिबंध लगाना भी शामिल है।
- हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की मौजूदा घरेलू आर्थिक चुनौतियों और सेमीकंडक्टर चिप्स के लिए ताइवान पर निर्भरता के कारण ये आर्थिक उपाय काफी छोटे हैं।
- इसके अतिरिक्त, चीन ने ताइवान पर रेत (बालुका) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है जो चिप्स के निर्माण के लिए सेमीकंडक्टर उद्योग में एक महत्वपूर्ण सामग्री है।
ताइवान की प्रतिक्रिया:
- ताइवान ने कहा है कि ताइवान को हवाई और समुद्र के रास्ते सील करने की चीन की हरकत, ताइवान की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन है।
- ताइवान ने सबसे व्यस्त अंतरराष्ट्रीय जलमार्गों और विमानन मार्गों में से एक पर अभ्यास करने के लिए चीन की ऐसी कार्यवाहियों को “गैर-जिम्मेदार, नाजायज व्यवहार” कहकर निंदा की हैं।
- ताइवान के राष्ट्रपति ने कहा कि यह द्वीपीय देश चीनी आक्रमण के सामने आत्मसमर्पण नहीं करेगा।
- राष्ट्रपति ने आगे कहा कि ताइवान पीछे नहीं हटेगा और लोकतंत्र के लिए रक्षा पंक्ति पर कायम रहेगा।
- ताइवान ने इस महत्वपूर्ण समय में ताइवान का समर्थन करने के लिए ठोस कार्रवाई करने के लिए अमेरिका को भी धन्यवाद दिया हैं।
- चीन-ताइवान मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: China-Taiwan issue
भावी कदम:
- चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के बावजूद, अमेरिका द्वारा पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के समुद्र और आसमान में अपना अभियान जारी रखने की उम्मीद है।
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों में कोई भी एक पक्ष न तो पूर्ण सैन्य टकराव चाहता है और न ही दूसरा पक्ष इसे वहन कर सकता है और यही तथ्य अंततः उत्पन्न मौजूदा तनाव को दूर करेगा।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
तालिबान को वैश्विक स्वीकृति:
विषय:भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: अफगानिस्तान में तालिबान शासन के भू-राजनीतिक प्रभाव।
संदर्भ:
- हाल ही में ट्रैक II की बैठक अंतर (इंट्रा)-अफगान राजनीतिक संवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी, जिसमें अफगानिस्तान के आर्थिक, सुरक्षा ,विकास और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तालिबान सरकार की वैश्विक मान्यता जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई ।
स्वीकृति की दिशा में प्रगति:
- कई देश अब काबुल से राजनयिक संबंध बहाल कर रहे हैं।
- तालिबान के प्रतिनिधिमंडलों ने कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय यात्राएं की हैं, जिनमें हालिया उज्बेकिस्तान दौरा शामिल है जिसमें भारत सहित लगभग 30 देशों ने “अफगानिस्तान: सुरक्षा और आर्थिक विकास” पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ दूत भेजे।
- इन घटनाक्रमों को अफगानिस्तान में तालिबान शासन की वैश्विक स्वीकृति के रूप में देखा जा रहा है।
शर्तें और परिणाम:
- तालिबान और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच 2020 में 04 शर्तों के साथ ‘दोहा समझौते’ पर हस्ताक्षर किए गया था, जिसमें:
- तालिबान ने गारंटी दी थी कि वह अमेरिका और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी समूहों द्वारा अफगान के उपयोग को रोकेंगा।
- यू.एस. और गठबंधन सेना बलों की वापसी के लिए एक “समयसीमा” प्रदान करेगी।
- अफगानिस्तान के लिए एक राजनीतिक समझौता अफगान (गनी) सरकार के साथ तालिबान वार्ता से उत्पन्न होगा।
- तालिबान युद्धविराम की घोषणा करेगा।
- तालिबान ने समझौते में की गई 4 में से 3 शर्तों को तोड़ने के साथ-साथ कई अन्य समझौतों को भी तोड़ा है, जैसे:
- काबुल और देश के बाकी हिस्सों को बलपूर्वक कब्ज़ा कर लेना।
- संयुक्त राष्ट्र की नामित आतंकवादी सूची के लोगों को अभी भी प्रमुख विभाग देना।
- महिलाओं, अल्पसंख्यकों या गैर-तालिबान समूहों के सदस्यों को भी शामिल करने वाली समावेशी सरकार बनाने से इनकार करना।
- कक्षा 6 से 12 तक की छात्राओं को स्कूल नहीं जाने देना।
- महिलाओं को शिक्षा और नौकरियों से दूर रखने के उद्देश्य से लगभग हर हफ्ते तालिबान द्वारा फरमान जारी किया जाता है।
- यहां तक कि महिला टेलीविजन एंकरों को भी अपना चेहरा ढंकने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
- नए प्रतिबंध अनिवार्य करते हैं कि महिलाओं को हर समय सार्वजनिक रूप से “एस्कॉर्ट” किया जाना चाहिए।
तालिबान को गलत सबक सिखाना:
- तालिबान को शांति समझौतों के दौरान अमेरिका या अंतरराष्ट्रीय समुदाय से किए गए किसी भी वादे को पूरा करने की आवश्यकता नहीं थी।
- तालिबान का मनना है कि स्थिरता और हिंसा की कमी से आत्मसंतुष्टि आती है, जो देशों को भूला देती है कि उन्होंने अतीत में क्या झेला था।
- तालिबान को मान्यता न देने के बावजूद विभिन्न देशों द्वारा काबुल में राजनयिक मिशनों का संचालन अंतरराष्ट्रीय शालीनता को दर्शाता है।
- तालिबान के सत्ता में आने के बाद रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान जैसे देशों ने अपने राजनयिक संबंधों को कभी ख़त्म नहीं किया, जिन देशों ने बाद में राजनयिक संबंधों को पुनर्बहाल कर दिया उनमें अधिकांश मध्य एशियाई देश, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, इंडोनेशिया सहित खाड़ी राज्य और अब भारत शामिल हैं।
- तालिबान ने जो अगला सबक सीखा है, वह यह है कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को अब और बड़ी समस्याओं से निपटना है।
- यूक्रेन युद्ध और ताइवान में गतिरोध के साथ अब रूस और चीन ने “दोहरी चुनौतियों” पर ध्यान केंद्रित किया है।
- म्यांमार में सैन्य जुंटा द्वारा किए गए हाल के अत्याचारों की अवहेलना करना दर्शाता है कि लोकतंत्र में मानवाधिकारों के बारे में चिंताएं कम होती जा रही हैं।
तालिबान के साथ भारत के संबंध:
2001-2021 के बीच:
- भारत ने 1996 में एक त्रि-आयामी नीति तैयार की थी जिसके तहत हमने उत्तरी गठबंधन का समर्थन किया तथा 12,000 से अधिक अफगान शरणार्थियों को आश्रय दिया।
- इस नीति ने भारत को तालिबान के विघटन के बाद की अवधि 2001-2021 के बीच एक बड़ी भूमिका निभाने में मदद की।
- भारत ने इस अवधि में अफगानिस्तान के साथ एक मजबूत संबंध बनाया और इसका पहला रणनीतिक भागीदार बन गया।
- भारत ने अफगान संसद, अफगान-इंडिया फ्रेंडशिप (सलमा) बांध और जरांज-डेलाराम राजमार्ग सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की पहल की एक श्रृंखला शुरू की और हजारों अफगान छात्रों, डॉक्टरों और सैन्य कैडेटों को शिक्षित किया।
15 अगस्त 2021 के बाद:
- विगत एक वर्ष में भारत और अफगानिस्तान के बीच संबंधों को सामान्य बनाना मुश्किल रहा है।
- भारत ने काबुल में भारतीय दूतावास को बंद कर दिया तथा केवल पहले से मौजूद दीर्घकालिक वीजा वाले नागरिकों और अल्पसंख्यकों को भारत में प्रवेश करने की अनुमति दी है।
- भारत ने पत्रकारों और सरकारी अधिकारियों सहित अफगान नागरिकों को जारी सभी वीजा रद्द कर दिए हैं।
- तालिबान के साथ संबंधों में सुधार के बिना, भारत ने अब उच्चस्तरीय वार्ता शुरू की है।
- यह कदम भारत की विदेश नीति के असंगत है क्योंकि हमने आतंकी मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ वार्ता से इनकार कर दिया था।
- भारत ने काबुल राजनयिक मिशन के तहत कांसुलर और वीजा संचालन की प्रक्रिया पुनर्बहाल करने हेतु अभी तक किसी राजनयिक को तैनात नहीं किया है।
- एक राजनयिक के बिना, राजनयिक मिशन का उद्देश्य हजारों छात्र जो अपनी जरूरी पढ़ाई के लिए भारत लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं तथा उन रोगियों को जिन्हें चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता है, फेल हो जाएगा।
निष्कर्ष:
- इन कदमों ने तालिबान को गलत सबक सीखने दिया है: कि एक ऐसी दुनिया में जहां सिद्धांतों का महत्व कम है वहाँ अदूरदर्शी रणनीति नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण भविष्य का फैसला करेगी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-1 से संबंधित:
भारतीय समाज:
जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करना:
विषय: जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारतीय अर्थव्यवस्था को जनसांख्यिकीय लाभांश की संभावना।
संदर्भ:
- संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व जनसंख्या संभावना (WPP) 2022 का अनुमान है कि इस वर्ष वैश्विक जनसंख्या 08 बिलियन तक पहुंच जाएगी और भारत की जनसंख्या 2023 तक चीन से ज्यादा हो जाएगी।
विश्व जनसंख्या संभावना 2022 (World Population Prospects 2022) अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
भारत के संभावित कार्यबल:
- WPP 2022 के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2050 में 1.4 बिलियन से बढ़कर 1.67 बिलियन होने की उम्मीद है तथा 2064 में इसके 1.7 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है।
- 2050 तक चीन की जनसंख्या 1.3 अरब होगी, जिनमें से 500 मिलियन लोग 60 वर्ष की आयु से अधिक के होंगे। इसके विपरीत, भारत की जनसंख्या 1.7 बिलियन तक पहुंच गई होगी, जिनमें से केवल 330 मिलियन लोग 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के होंगे, अर्थात् भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश अधिक होगा।
- अध्ययनों के अनुसार, भारत का संभावित कार्यबल अगले 20 वर्षों में 885 मिलियन से बढ़कर 1.08 बिलियन हो जाएगा तथा आधी सदी तक एक बिलियन के ऊपर होगा।
- स्वचालन और डिजिटलीकरण का विकास, आपूर्ति श्रृंखलाओं का स्थानांतरण, बढ़ती आय, शहरीकरण और जनसांख्यिकीय बदलाव के साथ-साथ स्वास्थ्य एवं स्थिरता पर बेहतर ध्यान देने तथा 2030 में $2.5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने, 112 मिलियन नौकरियों या 2030 तक गैर-कृषि में लगभग 30% कार्यबल को शामिल करने का लक्ष्य है।
चीन की तुलना में भारत के फायदे:
1970 के चीन की तुलना में भारत खुद को वैश्विक आर्थिक नेता के रूप में बदलने की बेहतर स्थिति में है।
- लोकतंत्र भारतीय समाज का उत्सव है जहां विरोध का महत्व है।
- ग्रेट लीप फॉरवर्ड और चीन में सांस्कृतिक क्रांति जैसी घटनाओं के कारण भारतीयों को आघात नहीं पहुँचा है।
- अच्छी तरह से विकसित एवं सस्ती आईटी प्रौद्योगिकियां तथा बुनियादी ढांचा भारत के लिए एक अतिरिक्त लाभ होगा।
- उन्नत तकनीकों के साथ सीखने में क्रांति आ गई है। इससे अकुशल आबादी को कुशल श्रमिकों में तेजी से बदलने में मदद मिलेगी।
- भारत की प्रशासनिक व्यवस्था आज चीन की तुलना में अपने सुधारों की शुरुआत में कहीं बेहतर स्थिति में है।
- भारत के प्रगतिशील जनसंख्या नियंत्रण उपायों के कारण, इसे चीन के समान विषम लिंगानुपात वाले तथा समय से पहले बुढ़ापा वाले समाजिक परिणामों का सामना नहीं करना पड़ेगा।
- भारत में हुकू प्रणाली नहीं है जिसका उपयोग चीन सक्रिय रूप से करता है जहां किसी व्यक्ति को रहने की अनुमति मिलती है, खासकर यदि कोई ग्रामीण हुकू में पैदा हुआ हो तो वह शहरी क्षेत्रों में विसंक्रमित प्रवास नहीं कर सकता, चीन की कुल आबादी का केवल 36% शहरी है, जबकि 64% ग्रामीण है। इसने कम आबादी वाले समृद्ध शहरी चीन और बृहद आबादी वाले ग्रामीण चीन के बीच एक गहरी खाई पैदा कर दी है।
जनसांख्यिकीय लाभांश (Demographic Dividend) के बारे में और जानकारी के लिए पढ़ें:
भावी कदम:
- अब और 2050 के बीच भारत भर में गुणवत्तापूर्ण स्कूल एवं उच्च शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश के साथ-साथ एकल राष्ट्रीय बाजार का निर्माण, उद्योग का नवीकरणीय ऊर्जा केंद्रित विस्तार और IT में निरंतर प्रगति हेतु चीन की आपूर्ति श्रृंखलाओं से दूरी तथा जनसंख्या के लिए एक उच्च तकनीकयुक्त कल्याणकारी सुरक्षा व्यवस्था भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश का लाभ उठाने में मदद कर सकती है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
चालू खाता घाटे में उछाल:
विषय: योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार।
मुख्य परीक्षा: चालू खाता घाटा बढ़ने के प्रभाव।
संदर्भ:
- केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी जुलाई 2022 मासिक व्यापार डेटा लगातार तीसरे महीने व्यापार घाटे को प्रदर्शित कर रहा है।
अनंतिम व्यापार डेटा:
- जुलाई 2022 में भारत का व्यापारिक व्यापार घाटा बढ़कर 31.02 बिलियन डॉलर हो गया, क्योंकि 66.26 बिलियन डॉलर का व्यापारिक आयात, 35.24 बिलियन डॉलर के निर्यात से अधिक हो गया है।
- 2022 जुलाई का माल आयात जुलाई 2021 में 46.15 अरब डॉलर के आयात से 43.59% अधिक था।
- इस अवधि में व्यापारिक निर्यात, जुलाई 2021 में लगभग 35.51 बिलियन डॉलर के समान स्तर पर रहा।
- वित्तीय वर्ष (अप्रैल-जुलाई) 2022-23 के पहले 04 महीनों में 156.41 बिलियन डॉलर का व्यापारिक निर्यात, जबकि वित्त वर्ष 2021-22 की माल का आयात में समान अवधि में 131.06 बिलियन डॉलर से 19.35% की वर्ष -दर-वर्ष वृद्धि दर्ज की गई थी।
- वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल-जुलाई के दौरान व्यापार घाटा 100.01 अरब डॉलर था।
- जुलाई 2022 में इंजीनियरिंग सामान का निर्यात वर्ष -दर-वर्ष 2.54% गिरकर 9.30 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि जुलाई 2021 में यह 9.54 बिलियन डॉलर था।
घाटा बढ़ने के कारण:
- उच्च वैश्विक व्यापारिक कीमतों के कारण रुपये की विनिमय दर पर दबाव।
- महामारी और रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण आपूर्ति श्रृंखलाओं में निरंतर व्यवधान।
- महंगाई पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम।
- सोने के आयात में गिरावट से राहत की पेशकश को नकारते हुए, पेट्रोलियम उत्पादों और कोयले के कारण आयात में वर्ष-दर-वर्ष 20 बिलियन डॉलर की वृद्धि हुई।
- अमेरिका और यूरोप में मंदी के रुझान जो इंजीनियरिंग निर्यात के लिए शीर्ष स्थलों में से हैं।
- निर्यात के आंकड़े भी प्रभावित हुए हैं क्योंकि अधिकांश धातु और वस्तुओं की कीमतें गिर रही हैं, जिसके परिणामस्वरूप मूल्य-वार निर्यात कमी हुई है।
- स्टील उत्पादों की एक श्रृंखला पर निर्यात कर, उनकी घरेलू उपलब्धता को बढ़ावा देगा तथा इंजीनियरिंग वस्तुओं के निर्यात को बाधित करने की संभावना थी।
- आयात का विस्तार, कोयले, कच्चे तेल, खाद्य तेल और इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं सहित आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती घरेलू मांग के कारण है।
चिंता:
- निर्यात की स्थिर वृद्धि भारतीय माल की विदेशी मांग में कमी को दर्शाती है। जो यह भी दर्शाता है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्यह्रास के बावजूद भारत को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त हुआ है।
- निर्यात में कमी को मुद्रास्फीति-नियंत्रण प्रतिबंधों के परिणाम के रूप में देखा जा सकता है।
- लेकिन रत्न एवं आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, दवाओं एवं फार्मास्यूटिकल्स तथा वस्त्र एवं धागे सहित विभिन्न क्षेत्रों में भी संकुचन का सामना करना पड़ा है।
- लगातार दो तिमाहियों में नकारात्मक वृद्धि ने इस आशंका को और बढ़ा दिया है कि अमेरिका मंदी की चपेट में आ सकता है।
- व्यापार घाटा बढ़ने से चालू खाता घाटा बढ़ता है, ऐसे समय में रुपये पर दबाव बढ़ता है जब FPI नकारात्मक तथा FDI काफी कमजोर हो तो यह अर्थव्यवस्था को तेजी से कमजोर करता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. आईएनएस विक्रमादित्य:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
सुरक्षा:
विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियां और उनका जनादेश।
प्रारंभिक परीक्षा: आईएनएस विक्रमादित्य से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- आईएनएस विक्रमादित्य दिसंबर 2020 के बाद अपने पहले बड़े सुधार के दौर से गुजर रहा है।
आईएनएस विक्रमादित्य:
- आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का कीव-श्रेणी का एक संशोधित विमानवाहक पोत है,जिसे 2013 में सेवा में शामिल किया गया था।
- आईएनएस विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा शॉर्ट टेक-ऑफ (कम समय में उड़ान भरने वाला) बट असिस्टेड रिकवरी (STOBAR) विमानवाहक पोत और युद्धपोत है।
- (शॉर्ट टेक-ऑफ बैरियर-अरेस्ट रिकवरी ( STOBAR ): ये वाहक आमतौर पर अधिक सीमित पेलोड के साथ लाइटर फिक्स्ड-विंग एयरक्राफ्ट ले जाने तक सीमित होते हैं।)
- आईएनएस विक्रमादित्य को रूस के सेवामुक्त एडमिरल गोर्शकोव वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल) मिसाइल क्रूजर कैरियर से परिवर्तित किया गया है।
- आईएनएस विक्रमादित्य जहाज रोधी मिसाइलों, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, निर्देशित बम और रॉकेट के साथ 30 से अधिक लंबी दूरी के बहु-भूमिका वाले लड़ाकू विमानों को ले जा सकता है।
- आईएनएस विक्रमादित्य दिसंबर 2020 के बाद से अपनी पहली बड़ी मरम्मत के दौर से गुजर रहा है, नौसेना के अधिकारियों के अनुसार एक जहाज या पनडुब्बी दो साल के संचालन के बाद मरम्मत के लिए जाती है।
- आईएनएस विक्रमादित्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: INS Vikramaditya
2. केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: वैधानिक, नियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा: केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC)।
संदर्भ:
- राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में सतर्कता आयुक्त सुरेश एन. पटेल को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के रूप में शपथ दिलाई।
केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC):
- केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की स्थापना वर्ष1964 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव के माध्यम से सतर्कता प्रशासन पर सामान्य अधीक्षण और नियंत्रण के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में की गई थी।
- इस आयोग की स्थापना एक भ्रष्टाचार निवारण समिति के.संथानम की रिपोर्ट की सिफारिशों पर आधारित थी।
- सीवीसी को वर्ष 1998 में राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यादेश के माध्यम से “वैधानिक दर्जा” दिया गया था और अंततः वर्ष 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम लागू किया गया।
- सीवीसी में एक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त होता है जो एक अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है और सदस्यों के रूप में दो से अधिक सतर्कता आयुक्त नहीं होते हैं।
- केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश के आधार पर की जाती है, जिसमें निम्न सदस्य शामिल होते हैं:
- प्रधान मंत्री
- गृह मामलों के मंत्री (MhA)
- लोकसभा में विपक्ष के नेता
- केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Central Vigilance Commissioner (CVC)
3. गरुड़ शील्ड अभ्यास:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: गरुड़ शील्ड अभ्यास से सम्बंधित तथ्य।
गरुड़ शील्ड अभ्यास:
- गरुड़ शील्ड संयुक्त राज्य अमेरिका और इंडोनेशिया के बीच एक वार्षिक सैन्य प्रशिक्षण और संयुक्त युद्ध अभ्यास है।
- गरुड़ शील्ड अभ्यास वर्ष 2009 से आयोजित किया जा रहा है।
- वर्ष 2022 के गरुड़ शील्ड संस्करण को “सुपर गरुड़ शील्ड” के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि यह भारत-प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़े संयुक्त, बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में से एक है।
- गरुड़ शील्ड 2022 का आयोजन इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप में हो रहा है।
- अभ्यास में अमेरिका, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान और सिंगापुर के 5,000 से अधिक सैनिक भाग ले रहे हैं।
- अभ्यास में भाग लेने वाले अन्य देशों में कनाडा, फ्रांस, भारत, मलेशिया, न्यूजीलैंड, कोरिया गणराज्य, पापुआ न्यू गिनी, तिमोर लेस्ते और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।
- वर्ष 2022 संस्करण का उद्देश्य एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के समर्थन में इंटरऑपरेबिलिटी (समन्वित तरीके से कनेक्ट और संचार करने के लिए विभिन्न प्रणालियों, उपकरणों, अनुप्रयोगों या उत्पादों की क्षमता) को मजबूत कर क्षमता, विश्वास और सहयोग का निर्माण करना हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. जलवायु प्रतिज्ञाओं के लिए कैबिनेट की मंजूरी:
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अर्थव्यवस्था को शक्ति प्रदान करने और वर्ष 2070 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग से प्रभावी रूप से मुक्त होने के लिए अक्षय ऊर्जा पर भारत की निर्भरता को बढ़ावा देने के लिए ग्लासगो में COP26 में प्रधान मंत्री द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की है।
COP26 में की गई पांच प्रतिबद्धताओं (पंचामृत) में निम्न को शामिल किया गया हैं:
- भारत अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट (गीगावाट) तक बढ़ा देगा।
- वर्ष 2030 तक “नवीकरणीय ऊर्जा” के माध्यम से भारत की 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना।
- वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करना।
- भारत की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% से अधिक कम करना।
- वर्ष 2070 तक “शुद्ध शून्य” के लक्ष्य को प्राप्त करना, जब ऊर्जा स्रोतों से उत्सर्जित शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड नहीं होगा।
- हालांकि, कैबिनेट की मंजूरी के बाद भारत के अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) में इनमें से केवल दो प्रतिबद्धताएं शामिल की गयी हैं, अर्थात्:
- भारत अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तर से 2030 तक 45% तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों के माध्यम से कुल विद्युत स्थापित क्षमता का 50% प्राप्त करना।
- COP26 जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: COP26 Climate Change Conference
2 संघ सरकार ने डेटा संरक्षण विधेयक वापस लिया:
- केंद्र सरकार ने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 को वापस ले लिया हैं और कहा हैं कि सरकार एक नया विधेयक लेकर आएगी जो “व्यापक कानूनी ढांचे के अनुरूप है” जिसमे संसद की संयुक्त समिति (JCP) द्वारा की गई सिफारिशें शामिल हैं।
- संसद की संयुक्त समिति (JCP) ने पहले विधेयक में 81 से अधिक संशोधनों का सुझाव दिया था।
- प्रस्तावित डेटा संरक्षण प्राधिकरण को संवैधानिक दर्जा मिलने पर क्या राज्यों के पास अपने स्वयं के डेटा संरक्षण प्राधिकरण होने चाहिए।
- व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Personal Data Protection Bill, 2019
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. हाल ही में चर्चा में रही हेलिफायर R9X (Hellfire R9X) मिसाइल, जिसे “निंजा बम” के रूप में भी जाना जाता है, किस देश द्वारा विकसित किया गया था? (स्तर-सरल)
(a) चीन
(b) रूस
(c) अमेरीका
(d) यूके
उत्तर: c
व्याख्या:
Image Source: News18
- हेलिफायर R9X (Hellfire R9X) एक अमेरिकी मूल की मिसाइल है और इसे “निंजा मिसाइल” या “निंजा बम” भी कहा जाता है।
- हेलफायर हेलिबोर्न, लेजर, फायर और फॉरगेट मिसाइल (Heliborne, Laser, Fire and Forget Missile.) का संक्षिप्त नाम है।
- इस मिसाइल को विशिष्ट लक्ष्यों को भेदते हुए न्यूनतम अतिरिक्त (संपार्श्विक) क्षति के लिए जाना जाता है।
- हेलफायर 9RX मिसाइल वर्ष 2017 से सेवा में है।
- इस मिसाइल पर वारहेड नहीं लगाया गया है,इसके बजाय अपने हमले के प्रक्षेपवक्र के टर्मिनल चरण में रेजर-नुकीले ब्लेड लगाया गया है।
- यह मोटी स्टील की चादरों को आसानी से भेद सकता है और इसके प्रणोदन की गतिज ऊर्जा का उपयोग करके लक्ष्य को गिरा सकता है, जिससे सामान्य आसपास के लोगों या इमारत की संरचना को कोई नुकसान नहीं होता है।
- हेलफायर मिसाइल को लॉकहीड मार्टिन और नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन द्वारा विकसित किया गया था और इसमें ‘निंजा’ (Ninja) के अलावा ‘लॉन्गबो’ (Longbow) और ‘रोमियो’ (Romeo) जैसे अन्य प्रकार भी हैं।
प्रश्न 2. केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाएगी जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे: (स्तर – मध्यम)
- प्रधान मंत्री
- गृह मंत्री
- उच्च सदन (राज्यसभा)में विपक्ष के नेता
- भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश
- निम्न सदन (लोकसभा) में विपक्ष के नेता
विकल्प:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 2 और 5
(d) केवल 1, 3 और 4
उत्तर: c
व्याख्या:
- केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश के आधार पर की जाती है जिसमें निम्न सदस्य शामिल होते हैं:
- प्रधान मंत्री
- गृह मंत्री (एमएचए)
- लोकसभा में विपक्ष के नेता (निम्न सदन)
- केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (CVC) के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Central Vigilance Commissioner (CVC)
प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- सुल्तान कुली कुतुब-उल-मुल्क ने हैदराबाद शहर की स्थापना की थी।
- कुतुब शाही राजवंश का अंत तब हुआ, जब मुगल सम्राट औरंगजेब ने सुल्तान अबुल हसन कुतुब शाह को गिरफ्तार कर उसे अजीवन जेल में डाल दिया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न हीं 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: मुहम्मद कुली कुतुब शाह जो गोलकुंडा के कुतुब शाही वंश के पांचवें सुल्तान थे, ने हैदराबाद शहर की स्थापना की थी।
- कथन 2 सही है: कुतुब शाही वंश ने 171 वर्षों तक शासन किया जब तक कि मुगल सम्राट औरंगजेब की सेना ने 1687 में गोलकुंडा पर विजय प्राप्त नहीं कर ली और सुल्तान अबुल हसन कुतुब शाह को जीवन भर जेल में रखा।
प्रश्न 4. जवाहरलाल नेहरू द्वारा नियुक्त सुंदरलाल समिति का संबंध निम्न में से किससे है? (स्तर – मध्यम)
(a) हैदराबाद विलय
(b) असम और अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद
(c) रक्षा उत्पादन और खरीद
(d) राज्य पुनर्गठन
उत्तर: a
व्याख्या:
- जवाहरलाल नेहरू द्वारा नियुक्त सुंदरलाल समिति ने ऑपरेशन पोलो के बाद हैदराबाद क्षेत्र में हत्याओं के बारे में रिपोर्ट दी थी।
- ऑपरेशन पोलो हैदराबाद की रियासत के खिलाफ पुलिस कार्रवाई का कोडनेम था जिसके कारण हैदराबाद का विलय हुआ।
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन सा देश खनिज सुरक्षा साझेदारी (Minerals Security Partnership) का हिस्सा हैं? (स्तर – मध्यम)
- ऑस्ट्रेलिया
- भारत
- जापान
- न्यूजीलैंड
- स्वीडन
- यूनाइटेड किंगडम
- अमेरीका
विकल्प:
(a) केवल 1, 2, 3, 4, और 7
(b) केवल 2, 3, 4, 5, 6 और 7
(c) केवल 1, 3, 5, 6 और 7
(d) केवल 1, 2, 4 और 6
उत्तर: c
व्याख्या:
- खनिज सुरक्षा साझेदारी (Minerals Security Partnership) चीन पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली साझेदारी है।
- इस खनिज सुरक्षा साझेदारी में निम्न देश शामिल हैं: ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया गणराज्य, स्वीडन, यूके, यूएस और यूरोपीय आयोग।
- भारत वर्तमान में खनिज सुरक्षा साझेदारी का हिस्सा नहीं है।
प्रश्न 6. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा एक, कभी-कभी चर्चा में उल्लिखित सेंकाकू द्वीप विवाद को सर्वोत्तम रूप से प्रतिविम्बित करता है? PYQ (2022) (स्तर – सरल)
(a) सामान्यतः यह माना जाता है कि ये दक्षिण चीन सागर के आसपास किसी देश द्वारा निर्मित कृत्रिम द्वीप हैं।
(b) चीन और जापान के बीच पूर्वी चीन सागर में इन द्वीपों के विषय में समुद्री विवाद होता रहता है।
(c) वहाँ ताइवान को अपनी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में मदद करने के लिए एक स्थायी अमेरिकी सैन्य अड्डा स्थापित किया गया है।
(d) यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों ने उन्हें अस्वामिक भूमि (नो मैन्स लैंड) घोषित किया है, तथापि कुछ दक्षिण-पूर्व एशियाई देश उन पर दावा करते हैं।
उत्तर: b
व्याख्या:
- सेनकाकू / डियाओयू द्वीप पूर्वी चीन सागर में निर्जन द्वीप हैं जिन पर जापान और चीन दोनों अपना-अपना दावा करते हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. इस मुद्दे पर ताइवान और अमेरिका के रुख के प्रति चीन की नीति ने इस क्षेत्र में तनाव बढ़ा दिया है। इस मुद्दे की जांच करते हुए, इस पर भारत की स्थिति पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
प्रश्न 2. भारत को अपने जनसांख्यिकीय लाभांश को पुनः प्राप्त करने के लिए गुणवत्तापूर्ण स्कूलों और उच्च शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा में निवेश करने की आवश्यकता है। मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – अर्थव्यवस्था)