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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 14th Apr, 2022 UPSC CNA in Hindi

14 April 2022: UPSC Exam Comprehensive News Analysis

14 अप्रैल 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. नेपाल के घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर खतरे की घंटी:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. योजना पर अमल के अभाव में भारत की सौर ऊर्जा लक्ष्य प्राप्ति में चूक:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

स्वास्थ्य:

  1. ‘भविष्य में, भ्रूण पर ध्यान’

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. बीजिंग के बाद अब भारत की बारी:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. रोंगाली बिहू और बिहू नृत्य:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. भारत की विकास दर 8% रहने का अनुमान : विश्व बैंक
  2. अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समाज पर भारत के प्रतिबंधों को चिह्नित किया:
  3. यूजीसी ने छात्रों को एक साथ दो डिग्री प्रोग्राम करने के लिए मानदंड जारी किये:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

योजना पर अमल के अभाव में भारत की सौर ऊर्जा लक्ष्य प्राप्ति में चूक:

विषय: आधारभूत ढांचा: ऊर्जा।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय सौर मिशन।

मुख्य परीक्षा: सौर ऊर्जा का महत्व, भारत की सौर नीति और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन से जुड़े मुद्दे।

प्रसंग:

  • इस लेख में सौर ऊर्जा उत्पादन और भारत में इसकी भंडारण क्षमता का विश्लेषण किया गया है।

भारत का सौर ऊर्जा उत्पादन:

  • स्थापित सौर ऊर्जा क्षमता के मामले में चीन, अमेरिका, जापान और जर्मनी के बाद भारत पांचवें स्थान पर है।
  • सौर ऊर्जा उत्पादन भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) (बड़ी जलविद्युत को छोड़कर) का लगभग आधा और भारत के कुल बिजली उत्पादन क्षमता का लगभग 14% है।
  • 55GW क्षमता में से लगभग 77% का योगदान ग्रिड से जुड़ी परियोजनाओं का है और शेष ग्रिड से जुड़े रूफटॉप (grid-connected rooftop ) और ऑफ-ग्रिड परियोजनाओं (off-grid projects)का है।

भारत की सौर नीति:

  • वर्ष 2011 से अब तक भारत के सौर क्षेत्र ने लगभग 59 प्रतिशत की संयुक्त वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ बहुत प्रगति की है।
  • वर्ष 2011 में उत्पादित सौर ऊर्जा लगभग 0.5GW थी और 2021 में लगभग 55GW है।
  • जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (जेएनएनएसएम) (राष्ट्रीय सौर मिशन),जो वर्ष 2010 में शुरू हुआ, भारत में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार का पहला कदम था।
  • राष्ट्रीय सौर मिशन के अनुसार वर्ष 2022 तक सौर ऊर्जा का उत्पादन 20GW निर्धारित किया गया था।
  • इस क्षेत्र में हुई प्रगति को ध्यान में रखते हुए,वर्ष 2015 में इस लक्ष्य को संशोधित कर इसे वर्ष 2022 तक 100GW कर दिया गया था।
  • इसके बाद सरकार ने फिर से वर्ष 2021 में सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 300GW का निर्धारित किया था।
  • राष्ट्रीय सौर मिशन के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पर क्लिक कीजिए:National Solar Mission

भारत के लिए सौर ऊर्जा का महत्व:

  • ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को कम करने में सौर ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • सौर ऊर्जा उत्पादन भारत को पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने में भी मदद करेगा ।
  • वर्ष 2021 में ग्लासगो में पार्टियों के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भारत के प्रधान मंत्री ने प्रतिज्ञा की थी कि भारत 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा का उत्पादन करेगा और वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से अपनी ऊर्जा मांगों का आधा हिस्सा पूरा करेगा।
  • इन प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में सौर ऊर्जा अहम भूमिका निभाएगी।
  • केंद्र ने अक्षय ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2020 में 2030 तक 450GW अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा और जिसमें से 300GW का उत्पादन सौर ऊर्जा से किया जायेगा।

भारत के सौर ऊर्जा लक्ष्यों की प्राप्ति में बाधाएँ :

  • दो ऊर्जा-अनुसंधान संस्थानों जेएमके रिसर्च एंड एनालिटिक्स और इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत 100GW सौर ऊर्जा उत्पादन करने के अपने 2022 के लक्ष्य को प्राप्त करने से चूक सकता है।
  • ज्ञातव्य हैं कि अप्रैल 2022 तक 100GW सौर ऊर्जा प्राप्ति का लक्ष्य का लगभग 50% ही पूरा किया गया है (जिसमे 100GW में 60GW उपयोगिता-पैमाने और 40GW रूफटॉप सौर क्षमता के होते हैं)।
  • इस प्रकार की उम्मीद हैं कि वर्ष 2022 में लगभग 19GW सौर क्षमता को जोड़ा जायेगा।
  • जिसमें से 15.8GW यूटिलिटी-स्केल से है और शेष 3.5GW रूफटॉप सोलर से है।
  • इसका अर्थ यह है कि भारत के सौर ऊर्जा द्वारा 100GW ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य का लगभग 27% भी हासिल नहीं होगा।
  • लक्षित 40GW रूफटॉप सौर लक्ष्य में 25GW की कमी थी।
  • रूफटॉप सौर ऊर्जा की स्थापना में कमी देखी गई है जो भारत की सौर-ऊर्जा अपनाने की नीति के लिए चुनौतियां खड़ी कर रही है।
  • रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि 2030 तक भारत के 300GW के सौर लक्ष्य में लगभग 86GW की कमी आएगी।

रूफटॉप सोलर अपनाने में कमी के कारण:

  • सरकार ने वर्ष 2015 में आवासीय, संस्थागत और सामाजिक क्षेत्रों में इसके उपयोग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण की शुरुआत की।
  • उसके अगले चरण को वर्ष 2019 में मंजूरी दी गई थी और वर्ष 2022 तक कुल रूफटॉप सौर क्षमता का 40GW का लक्ष्य रखा गया था, जिसे केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) के रूप में प्रोत्साहन दिया गया था।
  • नवंबर 2021 तक, आवासीय क्षेत्र के लिए निर्धारित 4GW के लक्ष्य में से, केवल 1.1GW प्राप्त किया गया था।
  • COVID महामारी के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान ने रूफटॉप सौर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन को और प्रभावित किया है।

प्रारंभिक चरणों में, भारत का रूफटॉप सौर क्षेत्र कुछ मुद्दों से प्रभावित था:

  • उपभोक्ता जागरूकता की कमी।
  • सरकारों के असंगत नीतिगत ढांचे।
  • वित्त पोषण।

हाल के वर्षों में, रूफटॉप सौर क्षेत्र जिन मुद्दों का सामना कर रहा है, वे हैं

  • महामारी से प्रेरित आपूर्ति श्रृंखला व्यवधान और नीति प्रतिबंध
  • नियामक चुनौतियां
  • नेट-मीटरिंग पर सीमाएं
  • आयातित सेल और मॉड्यूल पर कर
  • बिजली आपूर्ति समझौतों (पीएसए) पर बातचीत में चुनौतियां
  • बैंकिंग और वित्त पोषण के साथ समस्याएं
  • अनुदानों की स्वीकृति में विलम्ब।

भावी कदम:

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि उपरोक्त कारक इस क्षेत्र को प्रभावित कर रहे हैं।
  • हालांकि, घटती प्रौद्योगिकी लागत, बढ़ती ग्रिड टैरिफ, बढ़ती उपभोक्ता जागरूकता और ऊर्जा लागत में कटौती की बढ़ती आवश्यकता के कारण रूफटॉप सौर खंड में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।
  • रिपोर्ट से पता चलता है कि आने वाले दिनों में रूफटॉप सोलर क्षमता बढ़ेगी क्योंकि सौर परियोजनाओं के लिए भूमि आधारित और ग्रिड कनेक्टिविटी का दुर्लभ होना तय हैं।
  • विशेषज्ञों को उम्मीद है कि सरकार 2022 तक 100GW लक्ष्य को हासिल करने के लिए सौर क्षमता कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएगी और यूटिलिटी-स्केल परियोजनाओं के लिए अधूरे रूफटॉप लक्ष्यों को फिर से आवंटित करेगी।

सारांश:

  • चूंकि देश में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में कमी के दूरगामी निहितार्थ हैं, केंद्र और राज्यों दोनों की सरकारों को ऐसी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में मुद्दों के समाधान के तरीकों की तलाश करनी चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

नेपाल के घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर खतरे की घंटी:

विषय: भारत और उसके पड़ोस- संबंध।

प्रारंभिक परीक्षा: विदेशी मुद्रा भंडार।

मुख्य परीक्षा: भारत पर नेपाल के आर्थिक संकट का प्रभाव।

प्रसंग:

  • नेपाल राष्ट्र बैंक की ‘वर्तमान मैक्रो-इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल सिचुएशन’ पर एक रिपोर्ट बताती है कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार तेजी से कम हो रहा है।

विवरण:

  • रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार मार्च 2022 में 18.5% घटकर 9.58 बिलियन डॉलर हो गया है, यह जुलाई 2021 में 11.75 बिलियन डॉलर था।
  • इस रिपोर्ट में पाया गया है कि मौजूदा विदेशी मुद्रा भंडार केवल सात महीने के आयात के बराबर ही है।

विदेशी मुद्रा भंडार:

  • विदेशी मुद्रा भंडार जिसे विदेशी भंडार भी कहा जाता है, उस संपत्ति के अलावा और कुछ नहीं है जो किसी देश के केंद्रीय बैंक या मौद्रिक प्राधिकरण के पास होती है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार किसी देश के केंद्रीय बैंक के पास नकद और अन्य आरक्षित संपत्तियां हैं जैसे सोना ।
  • देश का शेष भुगतान।
  • इसकी मुद्रा की विनिमय दर को प्रभावित करना।
  • वित्तीय बाजारों में विश्वास बनाए रखने के लिए।
  • विदेशी मुद्रा भंडार आमतौर पर अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन और पाउंड स्टर्लिंग जैसी आरक्षित मुद्राओं के रूप मैं होता है।
  • इसके अलावा इसमें विदेशी मुद्राएं, बांड, ट्रेजरी बिल और अन्य सरकारी प्रतिभूतियां शामिल हो सकती हैं।
  • विदेशी मुद्रा भंडार के बारे मैं अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Forex Reserves

नेपाल के विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के कारण:

  • नेपाल की अर्थव्यवस्था आयात पर बहुत अधिक निर्भर है क्योंकि वह ईंधन के अलावा कई प्रकार के व्यापारिक सामान खरीदते हैं।
  • वर्तमान के कमजोर आर्थिक संकेतकों और मुद्रास्फीति की वर्तमान दर के परिणामस्वरूप नेपाल ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से भारी मात्रा में खर्च किया है।
  • नेपाल अपने पर्यटन क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है और उसकी इस क्षेत्र पर अत्यधिक निर्भरता है।
  • लेकिन वैश्विक पर्यटन प्रवाह में गिरावट के कारण COVID-19 महामारी के दौरान पर्यटन क्षेत्र बहुत अधिक प्रभावित हुआ।
  • इसके आलावा यूक्रेन में युद्ध से उत्पन्न वैश्विक ऊर्जा संकट ने नेपाल की अर्थव्यवस्था पर असाधारण मुद्रास्फीतिकारी दबाव डाला है।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में कमी के प्रमुख कारणों में से एक कारण महामारी के दौरान विदेशों में नेपाली कर्मचारियों की नौकरी के नुकसान के कारण विदेशी प्रेषण में गिरावट है।

नेपाल के आर्थिक संकट का भारत पर प्रभाव:

  • पाकिस्तान में राजनीतिक संकट और श्रीलंका और नेपाल में आर्थिक संकट के साथ-साथ अफगानिस्तान में मानवीय संकट के कारण भारत के पड़ोसियों की स्थिति ख़राब है।
  • नेपाल सरकार ने विदेशी मुद्रा भंडार में और गिरावट को रोकने के लिए विभिन्न वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है।
  • यह तथ्य नेपाल के साथ भारत के व्यापार को प्रभावित करेगा क्योंकि नेपाल ईंधन जैसी आवश्यक आपूर्ति पदार्थों के लिए भारतीय निर्यात पर अत्यधिक निर्भर करता है।
  • नेपाल का प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC) है।
  • नेपाल ऑयल कॉरपोरेशन (एनओसी) आईओसी को हर महीने दो किस्तों में भुगतान करता है और विदेशी मुद्रा संकट आईओसी को उसके ऊर्जा आयात के लिए भुगतान करने की क्षमता को प्रभावित करेगा।
  • नेपाल में आर्थिक संकट वित्तीय सहायता के लिए इस देश को चीन की ओर धकेल सकता है जो भारत के लिए चिंता का विषय बन जाएगा।
  • नेपाल में निकट चुनाव के साथ आर्थिक संकट एक राजनीतिक संकट में बदल सकता है जिससे भारत में शरणार्थियों की समस्या हो सकती है।

सारांश:

  • भारत को सुरक्षा, व्यापार और कूटनीति के मामले में नेपाल के महत्व को स्वीकार करते हुए नेपाल में अपने प्रभाव और रणनीतिक हितों को बनाए रखने और चीन की बढ़ती कर्ज-जाल कूटनीति का मुकाबला करने के लिए मानवीय, वित्तीय सहायता और सहकारी रणनीतियों का विस्तार करना चाहिए।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

‘भविष्य के लिए, भ्रूण पर ध्यान’

विषय: सामाजिक क्षेत्र व स्वास्थ्य से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: मधुमेह मेलिटस।

मुख्य परीक्षा: सामान्य NCD और हाइपरग्लेसेमिया-इन-प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याएं और सुझाव।

गैर-संचारी रोगों की मूक महामारी:

  • जबकि कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है, ऐसे में एक अन्य मूक महामारी जो प्रत्येक वर्ष लाखों लोगो की मौत के लिए जिम्मेदार है और उसे हम नजरअंदाज कर रहे है। मूक ‘गैर-संचारी रोगों की एक ऐसी महामारी’ (NCDs) जो विगत कुछ दशकों में दुनिया भर में तेजी से फैली है।
  • NCD के मुख्य प्रकार हृदय रोग (जैसे दिल का दौरा या स्ट्रोक), कैंसर, पुरानी सांस की बीमारियां (जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या अस्थमा) और मधुमेह हैं।
  • कैंसर, मधुमेह, हृदय रोग और फेफड़ों की बीमारी – चार मुख्य प्रकार जिन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ NCD कहते हैं – ये दुनिया में होने वाली मौतों का प्रमुख कारक हैं। NCD से प्रत्येक वर्ष 41 मिलियन लोगों मौतें होती है, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली मौतों के 71 फीसदी के बराबर है।
  • प्रत्येक वर्ष, 30 से 69 वर्ष की आयु के बीच 15 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु NCD द्वारा होती है। इनमें से 85% “समयपूर्व” मौतें, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। सभी NCD मौतों में से केवल 77% मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं।

मधुमेह:

  • मधुमेह में रक्त में शर्करा का स्तर निरंतर उच्च (“हाइपरग्लेसेमिया”) रहता है।
  • मधुमेह तब होता है जब अग्न्याशय पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पता या जब शरीर उत्पादित इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जो रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है।
  • समय के साथ रक्त शर्करा का उच्च स्तर शरीर की कई प्रणालियों, विशेष रूप से नसों, रक्त वाहिकाओं और हृदय, आंखों, गुर्दे, नसों और मस्तिष्क जैसे महत्वपूर्ण अंगों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।
  • वर्ष 2021 में लगभग 537 मिलियन लोगों को मधुमेह होने का अनुमान है। अगर इस डेटा को वर्ष 2045 तक बढ़ा दें, तो लगभग 783 मिलियन लोग मधुमेह से पीड़ित होंगे। इसके अलावा, अनिर्धारित मधुमेह के साथ-साथ पूर्व-मधुमेह के मामलों का एक उच्च अनुपात बना हुआ है।

कारण:

  • अन्य सभी गैर-संचारी रोगों की तरह, मधुमेह भी आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरणीय और व्यवहारिक कारकों के संयोजन का परिणाम है।
  • बढ़ती उम्र, आनुवंशिक प्रवृत्ति, अस्वास्थ्यकर आहार आधारित पोषण और शहरीकरण प्रेरित जीवन शैली संक्रमण के कारण शारीरिक क्षमता में कमी आना और गर्भावस्था से संबंधित मधुमेह (HIP) आदि मधुमेह के प्रमुख कारण माने जाते हैं।

गर्भावस्था में हाइपरग्लेसेमिया:

  • हाइपरग्लेसेमिया-इन-प्रेग्नेंसी (HIP) में गर्भावस्था से संबंधित मधुमेह भी शामिल होता है, जिसमें महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान पाए गए नए मधुमेह (‘गर्भावधि मधुमेह’) के साथ-साथ पहले से मौजूद मधुमेह (‘पूर्व-गर्भावधि मधुमेह’) शामिल होता हैं।
  • HIP से ग्रस्त रोगियों की संख्या 6.7% है। भारत में, चार जीवित जन्मों में से एक HIP ग्रसित होता है।

एचआईपी (HIP) से संबंधित चिंता:

  • कई अध्ययनों के अनुसार वयस्क रोगों की उत्पत्ति का मुख्य कारण भ्रूण है,जिससे कई वयस्क बीमारियों का संचरण व्यक्ति में तभी हो जाता है, जब वह एक अजन्मा या बच्चा (“भ्रूण”) अपनी मां के गर्भ में रहता है।
  • संतान और भावी पीढ़ियों का स्वास्थ्य गर्भवती महिला के उपापचयी स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
  • उपरोक्त परिकल्पना के आधार पर, माँ के गर्भ में बढ़े हुए रक्त शर्करा के स्तर के संपर्क में आने वाला भ्रूण प्रतिकूल रूप से प्रभावित होता है। मातृ मधुमेह सेलुलर और ऊतक स्तरों पर विकासशील मानव शरीर की संरचना, कार्यप्रणाली और उपापचय को स्थायी रूप से प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति को वयस्क जीवन में बीमारी का शिकार होना पड़ता है।
  • ऐसा बच्चा जब उच्च कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों, कम शारीरिक गतिविधि और तनाव के संपर्क में आता है तो उसे मधुमेह हो जाता है। साथ ही ऐसा व्यक्ति अन्य संबंधित NCD जैसे उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से भी ग्रस्त हो जाता है।
  • इसके अलावा HIP आनुवंशिक प्रभाव को जन्म दे सकता है। वयस्क होने पर HIP के संपर्क में आने वाला भ्रूण अगली पीढ़ी को प्रतिकूल आनुवंशिक और एपिजेनेटिक (पश्चजनन) प्रभाव प्रसारित कर सकता है। इस प्रकार, एक दुष्चक्र स्थापित होता है।

सुझाव:

  • अन्य NCD की तरह, मधुमेह का पता लगाना, जांच और उपचार,आदि मधुमेह निवारण के प्रमुख घटक होने चाहिए।
  • गर्भावस्था से संबंधित मधुमेह को लक्षित करने से, मधुमेह और NCD के बढ़ते प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसलिए, अंतर्गर्भाशयी स्तर पर मधुमेह और NCD की जाँच के लिए एक नीति बनाने की आवश्यकता है जो “भविष्य में, भ्रूण पर ध्यान” केन्द्रित हो।
  • महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह की चपेट में आने और पहले से मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में शर्करा की जांच और प्रबंधन, HIP के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम होगा। गर्भावस्था में मधुमेह का जल्दी पता लगने से NCD के ट्रांस-जेनरेशनल ट्रांसमिशन (आनुवंशिक संचरण) को रोकने में मदद मिल सकती है।

सारांश:

  • NCD के बढ़ते दबाब और NCD पर हाइपरग्लेसेमिया-इन-प्रेग्नेंसी के प्रभाव को देखते हुए, HIP का पता लगाने, जांच और उपचार पर ध्यान देने के साथ ही समय की मांग है कि हमें “भविष्य में पर ध्यान” केंद्रित करना चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

बीजिंग के बाद अब भारत की बारी

विषय: भारत और उसके पड़ोसियों से संबंध।

मुख्य परीक्षा: भारत-चीन संबंधों के पुनर्मूल्यांकन का महत्व और संबंधित चुनौतियां।

सन्दर्भ:

  • मार्च में चीनी विदेश मंत्री वांग यी की नई दिल्ली यात्रा हुई।

पृष्टभूमि:

भारत-चीन संबंधों में तनाव:

  • वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी सीमा संघर्ष के बाद भारत-चीन के संबंध दशकों में सर्वाधिक नीचले स्तर पर हैं।
  • दोनों सेनाओं के 90,000 सैनिक लद्दाख में लगभग दो वर्षों से तैनात हैं।
  • वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के मध्य 15 वार्ताए और कुछ जगहों पर अलगाव के बावजूद भी, सीमा संकट बरक़रार है।

विवरण:

  • सीमा गतिरोध के बीच चीनी विदेश मंत्री की भारत यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में पुनर्स्थापना के रूप में सामने आ रही है।
  • हालांकि चीन के विदेश मंत्री का यात्रा परिणाम कम ही था, लेकिन इसे असफल मानना अभी गलत होगा।
  • हाल के वर्षों में, चीन ने अपनी अमेरिकी नीति के चश्मे के तहत भारत-यू.एस.के मजबूत होते संबंधों और क्वाड जैसे संगठनों के गठन को, इस क्षेत्र में भारत की बढाती भूमिका के रूप में देखा। भारतीय सीमाओं पर चीन का रवैया, भारत-यू.एस. के मजबूत संबंधों की प्रतिक्रिया के रूप में भी देखा जा सकता है। लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत के तटस्थ रुख ने बीजिंग को पुनर्विचार करने पर मजबूर का दिया है।
    • भारत ने रूस के सैन्य आक्रमण की निंदा करने से इनकार कर दिया है तथा रूस के साथ व्यापार जारी रखा और यू.एस. एवं पश्चिमी भागीदारों की कड़ी चेतावनी के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर मतदान से परहेज भी किया।
    • भारत ने रूस से कच्चे तेल के आयात में कमी की जगह वृद्धि कर दी। भारत और रूस ने डॉलर-आधारित वित्तीय प्रणाली की जगह रुपया-रूबल विनिमय से द्विपक्षीय व्यापार करने के तरीके की भी तलाश शुरू कर दी है।
  • वांग की यात्रा के दौरान, चीन ने भारत की पारंपरिक भूमिका को स्वीकार करके और दक्षिण एशिया में ‘चीन-भारत प्लस’ के रूप में विकास परियोजनाओं में सहयोग कर एशिया में एक वर्चुअल जी-2 बनाने की पेशकश की है।

भारत की चाल:

  • भारत ने यह रुख अपनाया है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में अमन-चैन नहीं होगा तब तक, चीन के साथ द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते, ऐसे में भारत ने कुछ कदम तनाव को कम करने और चीन के साथ संम्बंध सुधरने के लिए उठाये है।

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  • भारत चीन के साथ सीमा गतिरोध को एक द्विपक्षीय मुद्दा मानता है और हाई प्रोफाइल भारत-यू.एस. बैठकों के दौरान किसी भी संयुक्त बयान में इस मुद्दे को उठाने के प्रयासों का विरोध करता है।
  • भारत में दलाई लामा और तिब्बती समुदाय की गतिविधियों को उन सीमाओं के भीतर रहने के लिए कैलिब्रेट किया गया है जो बीजिंग को भावनाओं उत्तेजित नहीं करती हैं।
  • सीमा संकट के बावजूद, चीन के साथ भारत का व्यापार 2021 में $125 बिलियन के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। भारत, एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक द्वारा वितरित ऋण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता है।

भारत और चीन संबंधों में पुनर्सुधार/पुनर्स्थापना का प्रभाव:

  • चीन-भारत संबंधों की पुनर्स्थापना, अमेरिका-नई दिल्ली संबंधों को बदल देगा और क्वाड की प्रभावशीलता पर सवाल उठाएगा।

क्वाड:

  • रूस-यूक्रेन संघर्ष पर क्वाड समूह के सदस्यों के विचार भारत से अलग हैं, ऐसे में चीन-भारत संबंधों की पुनर्स्थापना समूह के लिए एक बड़ा झटका होगा।

भारत-यू.एस. संबंध:

  • भारत, अमेरिका की हिन्द-प्रशांत रणनीति का केंद्रबिंदु है। साथ ही यह भारत-यू.एस. के वर्तमान संबंध की व्याख्या करता है। जिसके तहत रूस-यूक्रेन मुद्दे पर भारत के तटस्थ रुख के बाबजूद भी अमेरिका का धैर्य बना हुआ है।
  • भारत के प्रति अमेरिकी नीतियां, म्यांमार, ईरान और अफगानिस्तान जैसे अन्य देशों की नीतियों से भिन्न हैं, चीन एकमात्र ऐसा स्वार्थ है जो दोनों देशों को जोड़ता है। भारत के साथ भविष्य की सहयोगात्मक साझेदारी का परीक्षण, चीन-भारत संबंधों की पुनर्स्थापना के आधार पर किया जायेगा।

सारांश:

  • हालांकि भारत को उत्तरी सीमाओं पर शांति और सुरक्षा के लिए चीन के साथ संबंधों को मजबूत करने की आवश्यक होगी, लेकिन भारत को प्रतिकूल प्रभाव पर भी विचार करना चाहिए कि इस तरह के पुनर्स्थापना का प्रभाव अमेरिका और क्वाड के साथ संबंध पर पड़ सकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. रोंगाली बिहू और बिहू नृत्य:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय विरासत और संस्कृति।

विषय: कला रूपों के मुख्य पहलू।

प्रारंभिक परीक्षा: रोंगाली बिहू और बिहू नृत्य के बारे में जानकारी।

प्रसंग:

  • सोनपुर में रोंगाली बिहू के मौके पर असमिया महिलाएं बिहू नृत्य पर परफॉर्म करती नजर आईं।

रोंगाली बिहू:

  • रोंगाली बिहू पूर्वोत्तर भारतीय राज्य असम में मनाया जाने वाला एक पारंपरिक जातीय त्योहार है।
  • यह त्योहार असमिया कैलेंडर के पहले महीने में मनाया जाता है और असमिया नव वर्ष के आगमन का प्रतीक है।
  • यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन के साथ मेल खाता है।
  • यह आमतौर पर अप्रैल के दूसरे सप्ताह में मनाया जाता है, जो फसल के पकने के समय को दर्शाता है।
  • इस त्योहार पर स्थानीय लोगों द्वारा बिहू नृत्य किया जाता है।

बिहू नृत्य:

  • बिहू नृत्य असम का एक देशी लोक नृत्य है।
  • यह बिहू त्योहार से संबंधित है,और असमिया संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • बिहू नृत्य एक समूह में किया जाता है और नर्तक आमतौर पर युवा पुरुष और महिलाएं होते हैं।
  • इस नृत्य में कदमों में फुर्ती ,तेजी से ताली बजाना और तीव्र चालें शामिल होती हैं।
  • नर्तकियों को मुख्य रूप से लाल रंग की थीम के साथ रंगीन वेशभूषा में देखा जाता है जो आनंद और जोश का प्रतिनिधित्व करता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. भारत की विकास दर 8% रहने का अनुमान : विश्व बैंक

  • विश्व बैंक ने अपने द्वि-वार्षिक दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस रिशेपिंग नॉर्म्स: ए न्यू वे फॉरवर्ड रिपोर्ट में कहा कि भारत की विकास दर के वित्तीय वर्ष (2022-23) में 8% और अगले वित्तीय वर्ष (2023 -24) में 7.1% से अधिक बढ़ने का अनुमान है।
  • दक्षिण एशिया के क्षेत्र में यूक्रेन पर रूस के युद्ध के प्रभाव के साथ-साथ विकास में रूकावट,वस्तुओं की बढ़ती कीमतें, आपूर्ति में बाधाओं और वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों जैसे मौजूदा मुद्दों के कारण विकास अनुमान से धीमा होने की उम्मीद है।
  • इस युद्ध के प्रभाव ने मुद्रास्फीति में और अधिक तेजी ला दी है, चालू खाता शेष को प्रभावित किया है, और राजकोषीय घाटे में वृद्धि हुई है।
  • रिपोर्ट बताती है कि देशों को ईंधन की बढ़ती कीमतों और हरित करों की शुरूआत की प्रतिक्रिया के रूप में हरित ईंधन और वस्तुओं की ओर देखना चाहिए।

2. अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, नागरिक समाज पर भारत के प्रतिबंधों को चिह्नित किया:

  • भारत पर अपनी 2021 की मानवाधिकार रिपोर्ट में, अमेरिकी विदेश विभाग ने मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत, न्यायेतर हत्याओं, धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, स्वतंत्र अभिव्यक्ति और मीडिया पर प्रतिबंध, और गैर-सरकारी संगठनों के वित्त पोषण पर अत्यधिक प्रतिबंधात्मक कानूनों पर चिंता व्यक्त की है।
  • पेगासस मैलवेयर के माध्यम से पत्रकारों की निगरानी और “मनमाने ढंग या गैरकानूनी रूप से सर्वेक्षण करने या व्यक्तियों की गोपनीयता में हस्तक्षेप करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग सहित” मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए इस रिपोर्ट को चिह्नित किया हैं।

3. यूजीसी ने छात्रों को एक साथ दो डिग्री प्रोग्राम करने के लिए मानदंड जारी किये::

  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों में एक साथ दो शैक्षणिक कार्यक्रम करने की अनुमति देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए।
  • ये दिशानिर्देश पीएचडी के अलावा अन्य शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए लागू होंगे और छात्र इसके लिए पूर्वव्यापी लाभ का दावा नहीं कर सकते हैं।
  • यह कदम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के अनुरूप है, “जो औपचारिक और गैर-औपचारिक शिक्षा को शामिल करते हुए सीखने के लिए कई मार्गों को सरल बनाने की आवश्यकता पर जोर देती है”।
  • विशेषज्ञों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि इससे विश्वविद्यालयों और शिक्षकों पर बोझ बढ़ेगा।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. डॉ बी.आर. अम्बेडकर के विषय में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है?

  1. इनका जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरी के अंबाडावे शहर में हुआ था।
  2. वह बॉम्बे प्रेसीडेंसी कमेटी का हिस्सा थे, जिसने 1925 में साइमन कमीशन के साथ कार्य किया था।
  3. उन्होंने मूकनायक, रेशवा और बहिष्कृत भारत जैसी पत्रिकाओं की शुरुआत की।

विकल्प:

(a)केवल 1 और 2

(b)केवल 2

(c)केवल 3

(d)1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का जन्म मध्य प्रांत (आधुनिक मध्य प्रदेश) के महू में एक मराठी परिवार में हुआ था, जिसकी जड़ें महाराष्ट्र के रत्नागिरी के अंबाडावे शहर से जुडी हुई हैं।
  • कथन 2 सही है: वह बॉम्बे प्रेसीडेंसी कमेटी का हिस्सा थे जिसने 1925 में साइमन कमीशन के साथ काम किया था।
  • कथन 3 सही नहीं है: उन्होंने मूकनायक, समानता जनता और बहिष्कृत भारत जैसी पत्रिकाओं की शुरुआत की।
  • रेशवा (Reshw) सरदार अजीत सिंह द्वारा लिखा गया था और डॉ बी.आर.अम्बेडकर इससे सम्बंधित नहीं थे ।

प्रश्न 2. महावीर स्वामी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. उन्हें बुद्ध का समकालीन माना जाता है।
  2. उन्होंने वर्ण व्यवस्था की भर्त्सना नहीं की।
  3. वह भगवान के अस्तित्व में विश्वास नहीं करते थे।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a)केवल 1

(b)केवल 2 और 3

(c)केवल 1 और 3

(d)1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है:बुद्ध और महावीर समकालीन थे।
  • कथन 2 सही है: बौद्ध धर्म के विपरीत महावीर स्वामी ने समानता पर बल दिया लेकिन जाति व्यवस्था (वर्ण व्यवस्था) को अस्वीकार नहीं किया।
  • कथन 3 सही है: वह ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करते थे।
  • उनके अनुसार, ब्रह्मांड कारण और प्रभाव की प्राकृतिक घटना का एक उत्पाद है।

प्रश्न 3. कोयले के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. एन्थ्रेसाइट में सभी कोयलों की तुलना में उच्च ऊर्जा क्षमता होती है।
  2. बिटुमिनस कोयले में कार्बन का प्रतिशत 25% -35% के बीच होता है।

विकल्प:

(a)केवल 1

(b)केवल 2

(c)1 और 2 दोनों

(d)न तो 1, न हीं 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: एन्थ्रेसाइट में 86 – 97% कार्बन होता है जिसमे आम तौर पर सभी कोयले की अपेक्षा ऊर्जा सामग्री उच्चतम होती है।
  • कथन 2 सही नहीं है: बिटुमिनस कोयले में लगभग 60 – 80% कार्बन होता है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन सा कथन इशिहारा परीक्षण की सही व्याख्या करता है?

(a)यह एक परीक्षण है जिसके द्वारा रक्त में एंटीबॉडी का पता लगाया और उसे मापा जाता है।

(b)यह एक रंग भेदन परीक्षण है जिसमे देखने के दौरान लाल-हरे रंग में भेद न कर पाने का पता लगाया जाता है।

(c)यह वायरस जैसे विशिष्ट जीवों के आनुवंशिक लक्षणों का पता लगाने वाला एक परीक्षण है।

(d)यह सर्वाइकल कैंसर की एक नियमित जांच प्रक्रिया है।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • यह एक रंग भेदन परीक्षण है जिसमे देखने के दौरान लाल-हरे रंग में भेद न कर पाने का पता लगाया जाता है।
  • इसका नाम इसके डिजाइनर शिनोबु इशिहारा के नाम पर रखा गया था।
  • इस परीक्षण में कई प्लेट होती हैं,जिनमें से प्रत्येक रंग और आकार में यादृच्छिक रूप से दिखाई देने वाले रंगीन बिंदुओं का एक ठोस चक्र दर्शाती है।
  • पैटर्न के भीतर बिंदु होते हैं जो सामान्य रंग दृष्टि वाले लोगों के लिए स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाली संख्या या आकार बनाते हैं, और लाल-हरे रंग की दृष्टि दोष वाले लोगों के लिए अदृश्य या देखने में मुश्किल होते हैं।
  • अतः विकल्प बी सही है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?

(a)अजंता की गुफाएं, वाघोरा नदी की घाटी में स्थित हैं।

(b)सांची स्तूप, चंबल नदी की घाटी में स्थित है।

(c)पांडू-लेणा गुफा देव मंदिर, नर्मदा नदी की घाटी में स्थित है।

(d)अमरावती स्तूप, गोदावरी नदी की घाटी में स्थित है।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • अजंता के शानदार बौद्ध स्थल में सह्याद्री पहाड़ियों के एक घुमावदार खंड में कई गुफाएँ हैं, जिनका मुँह वाघोरा नदी की और हैं।
  • अत: विकल्प a सही है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. पिछले दशक में सौर ऊर्जा बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारत द्वारा की गई प्रगति का आकलन कीजिए । हम अपने सौर ऊर्जा उत्पादन लक्ष्यों को प्राप्त करने के कितने करीब हैं? (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – ऊर्जा)

प्रश्न 2. मधुमेह के वे कोन से प्रकार हैं जो मानव शरीर को प्रभावित करते हैं? भारत में मधुमेह रोगियों की बढ़ती संख्या के कारणों को स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक)[जीएस-2, स्वास्थ्य]

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