22 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: राज्यव्यवस्था:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
पेगासस स्पाइवेयर खुलासे के एक साल बाद:
शासन:
विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पहलू।
प्रारंभिक परीक्षा: पेगासस स्पाइवेयर से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: भारत में पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग से जुड़ी प्रमुख चिंताएं और महत्वपूर्ण सिफारिशें।
संदर्भ:
- पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल के खुलासे को एक साल बीत चुका है और सुप्रीम कोर्ट जल्द ही इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के खिलाफ दायर मामले की सुनवाई करेगा।
- पेगासस एक स्पाइवेयर या जासूसी सॉफ्टवेयर है, जिसे इजराइली फर्म NSO ग्रुप ने बनाया है।
- स्पाइवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर होता है, जिसे किसी फोन या कंप्यूटर डिवाइस में एंट्री करवाने,डेटा इकट्ठा करने और आपकी सहमति के बिना इसे किसी थर्ड पार्टी को फॉरवर्ड करने के लिए डिजाइन किया गया है।
- पेगासस, शायद अब तक का सबसे शक्तिशाली जासूसी सॉफ्टवेयर है। जिसे स्मार्टफोन (एंड्रॉयड, आईओएस) में घुसपैठ करने और उन्हें सर्विलांस या निगरानी डिवाइसेज में बदलने के लिए डिजाइन किया गया है।
- पेगासस स्पाइवेयर, जब किसी फोन या कंप्यूटर डिवाइस में प्रविष्ट किया जाता है, तो यह उसके फोन में फोटो और संपर्क नंबरों तथा संग्रहीत डेटा तक पहुंच सकता है, और यह फोन के कैमरे और माइक्रोफ़ोन को सक्रिय करने में भी सक्षम है।
- इससे बिना जानकारी के किसी की जासूसी की जा सकती है।
- पेगासस स्पाइवेयर को किसी डिवाइस में “शून्य-क्लिक” (zero-click) के बिना प्रारंभ किया जा सकता है,जिसमें डिवाइस से सम्बंधित व्यक्ति की ओर से कोई कार्रवाई किए बिना उपकरण उस डिवाइस में शीघ्र प्रभावी होकर कार्य करना आरम्भ कर देता हैं।
- पेगासस को साइबर हथियार के रूप में वर्गीकृत किया गया है और इजरायल के कानून के अनुसार, इसे केवल वैध सरकारी संस्थाओं को ही बेचा जा सकता है।
- पेगासस स्पाइवेयर के बारे में अधिक जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Pegasus spyware
भारत में पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल के आरोप:
- जुलाई 2021 की रिपोर्टों में बताया गया कि कम से कम 40 पत्रकारों, कैबिनेट मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, सरकारी अधिकारियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को कथित तौर पर पेगासस के जरिए उनकी निगरानी की गई थी।
- हालांकि, केंद्र सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर के द्वारा निगरानी करवाने के लिए इसके इस्तेमाल की न तो पुष्टि की है और न ही इससे इनकार किया है।
- केंद्र को पेगासस के उपयोग के संबंध में कई याचिकाएं दायर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक विस्तृत हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया था।
- लेकिन केंद्र ने इस बात को यह कहकर पालन करने से इनकार कर दिया कि सार्वजनिक हलफनामों का राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
- तब सुप्रीम कोर्ट ने आर.वी. रवींद्रन के नेतृत्व में एक समिति नियुक्त की, जो इस मुद्दे की जांच करेगी कि क्या भारतीय नागरिकों के उपकरणों में स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया गया था।
वे प्रावधान जो भारत में व्यक्तियों की निगरानी को सक्षम बनाते है:
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5(2) सरकार को “भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या सार्वजनिक व्यवस्था के हित में या किसी अपराध को करने के लिए उकसाने को रोकने के लिए” किसी संदेश को बीच में रोकने का अधिकार प्रदान करती है।
- इसके लिए उचित प्रक्रिया का उल्लेख भारतीय टेलीग्राफ नियम, 1951 में किया गया है।
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1951 के नियम 419A में कहा गया है कि निगरानी के लिए केंद्र या राज्य स्तर पर गृह सचिव की मंजूरी की आवश्यकता होती है, लेकिन “अपरिहार्य परिस्थितियों” में संयुक्त सचिव द्वारा भी मंजूरी दी जा सकती है यदि उनके पास गृह सचिव के अधिकार है।
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69:
- धारा 69A अधिकारियों को किसी भी कंप्यूटर में उत्पन्न, प्रेषित या प्राप्त किसी भी जानकारी को इंटरसेप्ट करने का अधिकार देती है,यदि भारत की संप्रभुता या अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों या सार्वजनिक व्यवस्था के हित में या किसी संज्ञेय अपराध के कमीशन या जांच के लिए या किसी अपराध को उकसाने को रोकने के लिए ऐसा करना आवश्यक हो।
के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ निर्णय (2017):
- सुप्रीम कोर्ट ने माना कि निगरानी की आवश्यकता कानूनी रूप से वैध होनी चाहिए और सरकार के वैध उद्देश्य के लिए की जानी चाहिए।
भारत में पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल को लेकर चिंताएं:
- नागरिकों के अधिकारों के खिलाफ – इस तरह की निगरानी को नागरिकों के मौलिक अधिकार जिसकी गारंटी संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में दी गई है, का घोर उल्लंघन माना जाता है।
- वर्ष 2021 में फ्रीडम हाउस की ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड’ रिपोर्ट में पेगासस के इस्तेमाल की वजह से इस इंडेक्स में भारत की स्थिति को ‘फ्री’ से ‘पार्टली फ्री’ की स्थिति में कर उसे डाउनग्रेड करने का एक कारण बताया गया है।
- पारदर्शिता की कमी – संबद्ध कैबिनेट मंत्रियों, सरकारी अधिकारियों और सीईआरटी-आईएन जैसी एजेंसियों ने भारत में पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग के खिलाफ किए गए दावों को सत्यापित करने से लगातार इनकार किया है।
- इसके अलावा, जब जुलाई 2021 में आईटी समिति ने पेगासस के मुद्दे पर आईटी मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधिकारियों से पूछताछ करने की मांग की, तो सदस्यों ने इसमें भाग नहीं लिया जिसके चलते गणपूर्ति (कोरम-quorum) पूरी नहीं हुई।
- इस मुद्दे पर संसद में चर्चा करने की विपक्ष की मांगों की भी अनदेखी की गई हैं।
- जवाबदेही की कमी – यू.एस., फ्रांस, यू.के., यूएई और इज़राइल जैसे देशों ने ऐसे स्पाइवेयर के उपयोग के लिए लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर जवाबदेह ठहराने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं।
- भारत के संविधान के अनुसार “विधायिका कार्यपालिका को जवाबदेह ठहरा सकती है” लेकिन भारत में इस तरह के उल्लंघनों की अनदेखी की गई है उसमें जवाबदेही की कमी स्पष्ट रूप से देखी जाती है।
न्यायिक प्रतिक्रिया में देरी:
- कथित तौर पर स्पाइवेयर के शिकार हुए लोगों ने अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जबकि SC ने अक्टूबर 2021 में तकनीकी समिति का गठन किया।
- इसके बाद समिति ने मई 2022 में एक अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की और अंतिम रिपोर्ट तैयार करने के लिए और समय मांगा।
- न्यायिक कार्यवाही में इस प्रकार होने वाली देरी फिर से चिंता का एक गंभीर कारण है।
सिफारिशें:
- देश में निगरानी कानूनों में सुधार की तत्काल आवश्यकता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 जो उस समय पेश किए गए थे जब पेगासस जैसा कोई उन्नत स्पाइवेयर नहीं था इसलिए उन्हें आधुनिक तकनीकी प्रगति की आवश्यकताओं के अनुसार अद्यतन और संशोधित किया जाना चाहिए।
- भारत के डेटा संरक्षण कानूनों को इस तरह से तैयार किया जाना चाहिए कि यह देश के निगरानी ढांचे की सभी मौजूदा खामियों को दूर कर सके।
- इससे सम्बंधित चिंताओं के बारे में अधिक जानकारी के लिए 20 जुलाई 2021 का यूपीएससी व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।
सारांश:
|
---|
संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राज्यव्यवस्था:
राष्ट्रपति महोदया:
विषय: कार्यपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली।
मुख्य परीक्षा: आदिवासी सशक्तिकरण यात्रा में मील का पत्थर।
संदर्भ:
- हाल ही में, द्रौपदी मुर्मू को भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है। उन्हें 25 जुलाई को एक समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना द्वारा राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई जाएगी।
द्रौपदी मुर्मू का चुनाव प्रतीकवाद:
- स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष में, द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली संथाल (Santhal) आदिवासी महिला हैं।
- सुश्री मुर्मू राष्ट्रपति पद पर काबिज होने वाली दूसरी महिला हैं।
- यह आदिवासी सशक्तिकरण के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि यह ब्रिटिश भारत में दो जनजातियों के विधायी निकायों के लिए चुने जाने के 101 साल बाद आया है।
- सुश्री मुर्मू का चुनाव समाज के सभी वंचित वर्गों विशेषकर महिलाओं, आदिवासियों और गरीबों के लिए एक प्रेरणा है।
- यह चुनाव प्रासंगिक नीतियों और कार्यों के साथ देश में जनजातीय लोगों की चिंताओं को दूर करने का संकेत है।
जनजातीय मुद्दों (Tribal Issues) पर अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
आदिवासी सशक्तिकरण की यात्रा में अन्य मील के पत्थर:
- जनजातीय नेता जयपाल सिंह मुंडा जैसे संविधान सभा के सदस्यों ने आदिवासियों की ख़राब स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी के साथ संविधान की 05 वीं और 06 वीं अनुसूची जैसे विशेष प्रावधानों को बनाया।
- आदिवासी आबादी पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए वर्ष 2000 में झारखंड और छत्तीसगढ़ को अलग-अलग राज्यों के रूप में गठन किया गया था।
- अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 में पारित किया गया था।
5वीं और 6वीं अनुसूची (5th and 6th Schedule) के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
सारांश:
|
---|
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
श्रीलंका के लिए भारतीय जीवन रेखा ‘सुविधा नई दिल्ली’ तथा श्रीलंका की मदद के लिए दुनिया क्या कर सकती है?:
विषय: भारत और उसके पड़ोसी देश।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय संबंध।
संदर्भ:
- श्रीलंका के राष्ट्रपति के रूप में रानिल विक्रमसिंघे का हालिया चुनाव, भारत को अपने पड़ोसी देश में सहायता मोर्चा संभालने का अवसर प्रदान करता है।
श्रीलंकाई आर्थिक संकट (Sri Lankan Economic crisis) पर और अधिक पढ़ने के लिए
भारत के लिए अवसर: श्रीलंका का समर्थन करना भारत के हित में क्यों है।
- श्रीलंका के लोगों को प्रभावित करने वाले मानवीय संकट तथा दक्षिण भारत के राजनीतिक दबाव से प्रेरित होकर, भारत अपने आर्थिक संकट से लड़ने हेतु श्रीलंका की मदद करने वाला पहला देश था।
- भारत ने IMF के साथ एक समझौता कराने में श्रीलंका की सहायता की है।
- इस वर्ष ही, भारत ने श्रीलंका को अनुदान, ऋण और मुद्रा विनिमय के रूप में 3.8 बिलियन डॉलर की सहायता दी है।
- संकट से निपटने के लिए श्रीलंका की मदद करना भारत की ‘पड़ोस-प्रथम’ नीति की एक बड़ी जीत साबित हो सकती है।
- सार्क देशों में सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों में से एक के रूप में, दोनों के बीच कुल व्यापार 2018-19 में 6.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जिसमें भारत का श्रीलंका को निर्यात 4.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर और आयात 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- इसलिए, श्रीलंका में एक स्थिर अर्थव्यवस्था भारत को अपने व्यापार एवं निवेश संबंधों को गहरा करने तथा क्षेत्रीय एकीकरण एवं समृद्धि को बढ़ावा दे सकती है।
- आर्थिक और सुरक्षा कारक आपस में जुड़े हुए हैं, एक अस्थिर श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था भारत के लिए सुरक्षा जोखिम पैदा कर सकती है और पाक जलडमरूमध्य में शरणार्थियों की वृद्धि का कारण बन सकती है।
- साथ ही, यह चरमपंथी विचारधाराओं के लिए एक उपजाऊ जमीन बन सकता है जो ड्रग्स और हथियारों की तस्करी से भारत की समुद्री सुरक्षा को प्रभावित करेगा।
चीनी सहायता के आयाम:
- चीन को श्रीलंका को उबारने में कठिन परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उसे चिंता है कि श्रीलंका के ऋण का एकतरफा पुनर्गठन चीन से ऋण राहत की मांग करने वाले संकटग्रस्त राष्ट्रों को प्रोत्साहित करेगा।
- भारत को इस अवसर का उपयोग अन्य साझेदार देशों/संगठनों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ के साथ-साथ श्रीलंका को बाहर निकालने में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ काम करके करना चाहिए तथा चीन की तुलना में अपनी स्थिति मजबूत करनी चाहिए।
श्रीलंका की मदद के लिए अन्य देश/संगठन क्या कर सकते हैं?
- श्रीलंका ने राष्ट्रवादी आर्थिक नीतियों का पालन किया और IMF से सहायता मांगने के बजाय वाणिज्यिक बाजार से उधार लेना जारी रखा।
- भारत सरकार अकेले श्रीलंका की समस्या का समाधान नहीं कर सकती। श्रीलंका को हर उस व्यक्ति की जरूरत है, जिसकी वह कर्जदार है।
- एक द्विपक्षीय साझेदार के रूप में, चीन कर्ज के बोझ, गैर-जिम्मेदार उधार देने हेतु तथा अब श्रीलंका की सहायता में देरी के लिए जिम्मेदार है।
- इस तरह के एक गहरे संकट से निपटने के लिए अन्य देशों के समर्थन के साथ IMF की सहायता की आवश्यकता है।
- यदि कोई देश IMF कार्यक्रम के अंतर्गत आता है तो उस देश में पुनः निवेश करने हेतु बाहरी निवेशकों व बाहरी लेनदारों के विश्वास को बढ़ावा मिलाता है।
- रुपये के क्षेत्रीयकरण का एक सीमित संस्करण कम लेनदेन लागत और विनिमय दर के जोखिम के माध्यम से क्षेत्रीय और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने में मदद करेगा।
IMF सहायता के मुद्दे:
- IMF समझौते की शर्त बहुत कठोर है जो कि दीर्घकालिक संरचनात्मक समाधान नहीं हैं।
- यूक्रेन की तर्ज पर IMF से आपातकालीन सहायता प्राप्त करने हेतु श्रीलंका द्वारा अस्थायी रूप से कम आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत करने का अनुरोध नहीं किया गया है।
- राजनीतिक संकट को देखते हुए, IMF के पास ऋण स्थिरता का मौलिक मूल्यांकन भी नहीं हो पाया है।
नई सरकार के भावी कदम:
तत्कालिक उपाय:
- इसे सामान्यतः कानून के शासन और सार्वजनिक व्यवस्था को बहाल करना होगा।
- सरकार को राष्ट्रीय सहमति के साथ एक IMF कार्यक्रम पर बातचीत को अंतिम रूप देना चाहिए, जो गरीबों की रक्षा के लिए सामाजिक कल्याण व्यय को संरक्षित करते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए राजस्व बढ़ाने और ब्याज दरों में वृद्धि करने के लिए कर और उपयोगिता मूल्य बढ़ाएगा।
दीर्घकालिक उपाय:
- इसे व्यापार बाधाओं को कम करके और बाजार की ताकतों को संसाधन आवंटन निर्धारित करने की अनुमति देकर अर्थव्यवस्था को व्यापार और निवेश के लिए अधिक खुला बनाने हेतु संरचनात्मक सुधारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों जैसे श्रीलंकाई एयरलाइंस और सीलोन पेट्रोलियम कॉरपोरेशन का निजीकरण और लालफीताशाही कम करने से कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
- कार्यकारी अध्यक्ष पद को समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
- इसे मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी नीतियों को लागू करना चाहिए।
- इसे पिछले प्रशासन के चीन समर्थक रुख से हटकर तटस्थ विदेश नीति पर ध्यान देना चाहिए।
सारांश:
|
---|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. नीति आयोग के भारत नवाचार सूचकांक (इंडिया इनोवेशन इंडेक्स ) 2021 में कर्नाटक शीर्ष पर:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: योजना, संसाधन संग्रहण, संवृद्धि और विकास से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: इंडिया इनोवेशन इंडेक्स, 2021
संदर्भ:
- नीति आयोग का भारत नवाचार सूचकांक, 2021
भारत नवाचार सूचकांक (India Innovation Index),2021:
- नीति आयोग के भारत नवाचार सूचकांक (इंडिया इनोवेशन इंडेक्स ) 2021 का उद्देश्य उप-राष्ट्रीय स्तर पर नवाचार क्षमता और पारिस्थितिकी तंत्र का निर्धारण करना है।
- कर्नाटक ने नीति आयोग के भारत नवाचार सूचकांक (इंडिया इनोवेशन इंडेक्स ) 2021 में शीर्ष रैंक हासिल किया हैं।
- कर्नाटक ने सूचकांक के तीनों संस्करणों में प्रमुख राज्यों की श्रेणी में शीर्ष स्थान हासिल किया है।
- मणिपुर ने पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में शीर्ष स्थान हासिल किया हैं।
- केंद्र शासित प्रदेशों और शहर राज्यों की श्रेणी में चंडीगढ़ शीर्ष पर है।
- यह स्वीकार करते हुए कि भारत का औसत नवाचार स्कोर कसौटी पर खरा नहीं उतरा है,ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में शीर्ष 25 देशों में से एक होने की भारत की महत्वाकांक्षाओं को देखते हुए, नीति आयोग की नवीनतम रिपोर्ट में निम्नलिखित उपायों की सिफारिश की गई है:
- अनुसंधान एवं विकास (Gross Domestic Expenditure on R&D (GDERD)) पर सकल घरेलू व्यय बढ़ाना।
- अनुसंधान एवं विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देना और उद्योग की मांग और देश अपनी शिक्षा प्रणालियों के माध्यम से जो कुछ भी उत्पादित करता है, उसके बीच की खाई को पाटना।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीईआरडी (GDERD) पर कम खर्च करने वाले देश लंबे समय तक अपनी मानव पूंजी को बनाए रखने में विफल रहते हैं,और नवाचार करने की क्षमता मानव पूंजी की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।
- जीडीपी के प्रतिशत के रूप में भारत का जीडीईआरडी लगभग 0.7% है।
Image source: The Hindu
- नीति आयोग के भारत नवाचार सूचकांक (इंडिया इनोवेशन इंडेक्स ) के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: NITI Aayog’s India Innovation Index
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात का अधिकार: SC
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा हैं कि “एक महिला का उसके प्रजनन की पसंद का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का एक अविभाज्य हिस्सा है और उसे शारीरिक अखंडता का पवित्र अधिकार है”।
- अदालत ने आगे कहा कि एक महिला को अपनी गर्भावस्था बनाये रखने के लिए मजबूर करना न केवल उसकी शारीरिक अखंडता का उल्लंघन होगा बल्कि यह उसके मानसिक आघात को भी बढ़ा देगा।
- कोर्ट ने एक महिला की अपील पर सुनवाई करते हुए,जो अपने साथी के साथ असफल रिश्ते के बाद 24 सप्ताह के भ्रूण का गर्भपात करवाना चाहती थी, में उल्लेख किया कि, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) अधिनियम 2021 ने ‘पति’ शब्द को ‘पार्टनर’ में बदल दिया था, जिसमें अविवाहित महिलाएं भी शामिल हैं।
2. रूस ने नॉर्ड स्ट्रीम के माध्यम से यूरोप को गैस की आपूर्ति फिर से शुरू की:
- रूस ने 10 दिनों के रखरखाव/मरम्मत (maintenance) के बाद नॉर्ड स्ट्रीम पाइपलाइन के जरिये जर्मनी के माध्यम से यूरोप को अपनी महत्वपूर्ण गैस आपूर्ति फिर से शुरू कर दी हैं।
- जर्मनी, जो रूसी गैस पर अत्यधिक निर्भर है, को इस बात का डर था कि रूस इस पाइपलाइन को फिर से खोलेगा या नहीं और कहीं ऐसा न हो की वह इस ऊर्जा का उपयोग “हथियार” के रूप में करे।
- जर्मनी को ऐसा लगता है कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के खिलाफ रूस अपनी गैस आपूर्ति को कम कर रहा है।
- आयात बंद होने या पूर्व से पश्चिम की ओर गैस के प्रवाह में तीव्र गति से कमी करने का जर्मनी पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इसके परिणामस्वरूप वहां के कारखाने बंद हो जायेंगे और घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति न होने के कारण संकट पैदा हो जायगा।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा कि आपूर्ति बंद होने से जर्मनी के सकल घरेलू उत्पाद में 1.5% की गिरावट आ सकती है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. कालबेलिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)
- कालबेलिया राजस्थान में एक सपेरा जनजाति है।
- कालबेलिया नृत्य एवं गीत को अब यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया जा चुका हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c)1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 , न हीं 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: कालबेलिया राजस्थान के थार रेगिस्तान की एक सपेरा जनजाति है।
- कथन 2 सही है: राजस्थान के नृत्य कालबेलिया और लोक गीत को यूनेस्को द्वारा 2010 में एक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई थी।
- भारत को 2022-2026 चक्र के लिए अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की सुरक्षा के लिए यूनेस्को के 2003 कन्वेंशन की अंतर सरकारी समिति के लिए चुना गया है।
- भारत ने 2006 से 2010 और 2014 से 2018 तक दो बार ICH समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है।
- मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में 14 शिलालेखों के साथ, भारत अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में भी उच्च स्थान पर है।
प्रश्न 2. कथक के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- कथक शास्त्रीय नृत्य का एकमात्र रूप है जो हिंदुस्तानी या उत्तर भारतीय संगीत से संबंधित है।
- यह भारत का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य है जिसका मुस्लिम संस्कृति से संबंध है इस कला में हिंदू और मुस्लिम प्रतिभा के अद्वितीय मिश्रण का प्रतिनिधित्व है।
- उन्नीसवीं शताब्दी में सआदत अली खान के संरक्षण में कथक का स्वर्ण युग था।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: कथक शास्त्रीय नृत्य का एकमात्र रूप है जो हिंदुस्तानी या उत्तर भारतीय संगीत से जुड़ा है।
- कथन 2 सही है: कथक भारत का एकमात्र शास्त्रीय नृत्य है जिसका मुस्लिम संस्कृति से संबंध है, यह कला हिंदू और मुस्लिम प्रतिभा के अद्वितीय मिश्रण का प्रतिनिधित्व करता है।
- कथन 3 सही नहीं है: उन्नीसवीं शताब्दी में वाजिद अली शाह के संरक्षण में कथक का स्वर्ण युग था जो अवध के अंतिम नवाब थे।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन टाटा वाद्य (Tata Vadya) के उदाहरण हैं? (स्तर – मध्यम)
- एकतारा (Ektara)
- झांज (Jhanj)
- कमायचा (Kamaicha)
- सरोद (Sarod)
- शहनाई (Shehnai )
विकल्प:
(a) केवल 1, 2 और 5
(b) केवल 2, 3, 4 और 5
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 3, 4 और 5
उत्तर: c
व्याख्या:
- टाटा वाद्य (Tata Vadya) या कॉर्डोफ़ोन (Chordophones ) तार वाले वाद्य यंत्र होते हैं।
- टाटा वाद्य संगीत वाद्ययंत्रों का एक समूह है जिसमें एक राग या एक तार के कंपन से ध्वनि उत्पन्न होती है।
- टाटा वाद्य के उदाहरणों में वीणा, एकतारा, कमायचा, सितार, सारंगी, सरोद, संतूर, तंबूरी आदि शामिल हैं।
- झांज कांस्य से बने हाथ की झांझ की एक जोड़ी होती है।
- शहनाई लकड़ी और धातु से बना एक वायु वाद्य यंत्र है।
प्रश्न 4. तंजावुर मराठा साम्राज्य के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- वेंकोजी इस राजवंश के संस्थापक थे।
- सरफोजी द्वितीय तंजावुर के अंतिम मराठा शासक थे।
- सरफोजी II ने “कुमारसंभव चंपू”, “मुद्राराक्षय” और “देवेंद्र कुरुवनजी” जैसी प्रसिद्ध रचनाएँ लिखीं और कर्नाटक संगीत में शहनाई और वायलिन जैसे पश्चिमी संगीत वाद्ययंत्र से भी अवगत करवाया।
- तंजावुर को डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स के प्रावधानों के अनुसार अंग्रेजों द्वारा कब्जा कर लिया गया था।
विकल्प:
(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) केवल 1 और 4
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: वेंकोजी तंजावुर मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे।
- कथन 2 सही नहीं है: राजा सेरफोजी के पुत्र शिवाजी तंजावुर के अंतिम मराठा शासक थे और उन्होंने 1832 से 1855 तक शासन किया।
- कथन 3 सही है: सेरफोजी नृत्य और संगीत जैसी पारंपरिक भारतीय कलाओं के संरक्षक थे।
- उन्होंने “कुमारसंभव चंपू”, “मुद्राराक्षय” और “देवेंद्र कुरुवनजी” जैसी प्रसिद्ध रचनाएँ लिखीं।
- उन्होंने कर्नाटक संगीत में शहनाई और वायलिन जैसे पश्चिमी संगीत वाद्ययंत्रों से भी अवगत करवाया।
- कथन 4 सही है: 1855 तक शिवाजी के शासन के बाद, तंजावुर को डलहौजी के ‘डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स’ के तहत कब्जा कर लिया गया था क्योंकि शिवाजी का कोई पुरुष उत्तराधिकारी नहीं था।
प्रश्न 5. भारत में, निम्नलिखित में से कौन औद्योगिक विवादों, बंद होने, छंटनी और श्रमिकों को रोजगार देने वाले कारखानों में छंटनी की जानकारी संकलित करता है? PYQ (2022) (स्तर – मध्यम)
(a) केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय
(b) उद्योग और आंतरिक व्यापार के प्रोत्साहन के लिये विभाग
(c) श्रम ब्यूरो
(d) राष्ट्रीय तकनीकी जनशक्ति सूचना प्रणाली
उत्तर: c
व्याख्या:
- श्रम ब्यूरो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम विभागों और क्षेत्रीय श्रम आयुक्तों (केंद्रीय) से हर महीने प्राप्त स्वैच्छिक रिटर्न के आधार पर भारत में श्रमिकों को रोजगार देने वाले कारखानों में औद्योगिक विवादों, बंद होने, छंटनी और छंटनी के आंकड़े निकालता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. एक घुसपैठ निगरानी ढांचे में अंतराल भारत के लोकतांत्रिक आदर्शों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है,जो निगरानी में व्यापक सुधार को मजबूर कर रहा है। चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस II – शासन)
प्रश्न 2. श्रीलंका के साथ व्यापार और निवेश संबंधों को मजबूत करने के लिए, भारत मानवीय सहायता बढ़ाने के विकल्प का उपयोग कर सकता है। कथन का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)