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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 22 October, 2022 UPSC CNA in Hindi

22 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण:

  1. क्या गंभीर रूप से संकटग्रस्त ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अब पाकिस्तान की ओर पलायन कर रहे हैं?

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

सामाजिक न्याय:

  1. बाल यौन शोषण सामग्री के विरुद्ध लड़ाई

विश्व और भारतीय भूगोल:

  1. कॉफी उद्योग पर संकट:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. अग्नि प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. राज्य सरकारें अपने आप प्रसारण के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकतीं: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
  2. टेरर फंडिंग को लेकर FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर हुआ पाकिस्तान
  3. कुछ वर्षों में तेजस को ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल के साथ एकीकृत किया जाएगा।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

क्या गंभीर रूप से संकटग्रस्त ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अब पाकिस्तान की ओर पलायन कर रहे हैं?

पर्यावरण:

विषय: जैव विविधता और संरक्षण

प्रारंभिक परीक्षा: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के बारे में

मुख्य परीक्षा: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) के लिए प्रमुख संकट और देश में किए गए विभिन्न प्रकार के संरक्षण प्रयास

संदर्भ:

पाकिस्तान के चोलिस्तान रेगिस्तान के आतंरिक क्षेत्रों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स (GIB) के देखे जाने से अटकलें लगाई जा रही हैं कि शायद ये पक्षी भारत से पलायन कर रहे हैं।

विवरण:

  • पाकिस्तान में संरक्षण की कमी और बड़े पैमाने पर शिकार के कारण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड्स (GIB) गंभीर रूप से संकटग्रस्त हो गए हैं।
  • हालाँकि, पाकिस्तान के एक वन्यजीव फोटोग्राफर ने हाल ही में पंजाब प्रांत के चोलिस्तान गेम रिजर्व में उन्हें देखा और उनकी तस्वीरें जारी कीं।
  • जैसलमेर के पर्यावरण कार्यकर्ताओं का दावा है कि ये पक्षी अपने निवास स्थान के सिकुड़ने के कारण राजस्थान स्थित भारतीय मरुस्थलीय राष्ट्रीय उद्यान से पलायन कर सकते हैं।

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB)

चित्र स्रोत: Britannica

  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) या एर्डियोटिस नाइग्रिसेप्स या इंडियन बस्टर्ड ओटिडिडी परिवार से संबंधित एक पक्षी प्रजाति है।
  • ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक बड़ा स्थलीय पक्षी है जो मुख्य रूप से शुष्क घास के मैदानों और मैदानी क्षेत्रों में देखा जाता है। यह उड़ने वाली दुनिया के सबसे भारी पक्षियों में से एक है।
  • यह पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप का मूल स्थानिक है।
  • GIB की पहचान उसके माथे पर मौजूद ब्लैक क्राउन से होती है, एवं गर्दन और सिर फीके रंग का होता है।
    • इसका शरीर भूरे रंग का होता है तथा पंख काले, भूरे और धूसर रंग के होते हैं।
  • ये प्रकृति में सर्वाहारी होते हैं और वे विभिन्न आर्थ्रोपोड्स, कृमियों, कीड़ों, सरीसृपों तथा बीज जैसे गेहूं और मूंगफली को खाते हैं।
  • IUCN स्थिति: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
  • वयह वन्य जीवों और वनस्पतियों की संकटापन्न प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (Convention on International Trade in Endangered Species of Wild Fauna and Flora-CITES) के परिशिष्ट I के तहत सूचीबद्ध है।
  • प्रवासी प्रजातियों पर कन्वेंशन (CMS): प्रथम परिशिष्ट में रखा गया है।
  • भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: यह अधिनियम की प्रथम अनुसूची के तहत संरक्षित हैं।

इस विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें – Great Indian Bustard (GIB)

भारत में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड

चित्र स्रोत: IUCN

  • ये राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में अर्थात भारत के पूरे पश्चिमी भाग में वितरित थे।
  • जीआईबी “राजस्थान का राज्य पक्षी” है और राजस्थान में इसकी आबादी दुनिया भर में इसकी कुल आबादी का लगभग 95% है।
  • हालाँकि, इस को अब भारत का सबसे गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी माना जाता है। 2018 के सर्वेक्षण के अनुसार, 2011 के 250 की तुलना में केवल 150 जीआईबी ही जीवित हैं।

भारतीय उपमहाद्वीप में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के अस्तित्व के लिए प्रमुख खतरे

  • अवैध शिकार।
  • उनके प्राकृतिक आवास में परिवहन और सेवा गलियारों का विस्तार।
  • व्यापक कृषि विस्तार और यंत्रीकृत खेती।
  • खनन और ऊर्जा उत्पादन के कारण उनके आवास का विनाश।
  • इन क्षेत्रों में हाईटेंशन बिजली के खंभों की स्थापना।
  • आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी और अन्य आक्रामक प्रजातियों से खतरे।

किए गए संरक्षण के प्रयास

  • GIB को भारत के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची I के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
  • विश्व वन्यजीव कोष (WWF) – भारत ने “निवासी बस्टर्ड रिकवरी कार्यक्रम के लिए राज्य कार्य योजना हेतु दिशानिर्देश” जारी किए, जिसने घटती आबादी और उनके संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • प्रोजेक्ट ग्रेट इंडियन बस्टर्ड राजस्थान सरकार द्वारा 2013 में शेष आबादी के संरक्षण के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इस परियोजना के तहत, राज्य सरकार ने इस पक्षी के लिए कई प्रजनन कक्षों का निर्माण किया है।
  • पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने “ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के आवास सुधार और संरक्षण प्रजनन” कार्यक्रम शुरू किया है।
  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रजातियों की सुरक्षा के लिए गुजरात और राजस्थान में भूमिगत बिजली लाइनें बिछाने का आदेश जारी किया था। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी बिजली लाइनों पर बर्ड डायवर्टर लगाने का भी आदेश दिया है।
  • इसकी कैप्टिव ब्रीडिंग मरुस्थलीय राष्ट्रीय उद्यान में की गई है, जिसे देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा निष्पादित किया जा रहा है और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के हौबारा संरक्षण हेतु अंतर्राष्ट्रीय कोष द्वारा समर्थित है।
    • भारत ने संरक्षण परियोजना को लागू करने के लिए तकनीकी सहायता प्राप्त करने हेतु संयुक्त अरब अमीरात के साथ एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए थे।
    • संयुक्त अरब अमीरात ने अपनी हुबारा बस्टर्ड आबादी की रक्षा के लिए इसी तरह की योजना को लागू किया था।
  • इसके अलावा, कई ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को व्यवहार विश्लेषण और उनके आवागमन की निगरानी करने के लिए टैग किया गया है।

सारांश: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को प्रमुख रूप से घास के मैदानों की प्रजाति माना जाता है और वे घास के मैदान के पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र स्वास्थ्य का संकेत देते हैं। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि यह पक्षी प्रजाति अपने मूल आवास के 90% से अधिक क्षेत्र से समाप्त हो चुकी है और इसके लिए नीति निर्माताओं के साथ-साथ पर्यावरण कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों द्वारा प्रजातियों के संरक्षण के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।

संपादकीय

  1. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

सामाजिक न्याय

बाल यौन शोषण सामग्री के विरुद्ध लड़ाई

विषय: महिलाओं और बच्चों से संबंधित विषय

मुख्य परीक्षा: समाज पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का प्रभाव

संदर्भ: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने सितंबर 2022 में, बाल यौन शोषण कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई की, ऑपरेशन ‘मेघ चक्र’ के तहत देश भर में 56 स्थानों पर छापे मारे।

भूमिका:

  • सीबीआई ने इंटरपोल की सिंगापुर विशेष इकाई से प्राप्त इनपुट के आधार पर क्लाउड-आधारित स्टोरेज का उपयोग करके बाल यौन दुर्व्यवहार सामग्रियों (CSAM) के ऑनलाइन प्रसार और साझा करने के खिलाफ ऑपरेशन “मेघ चक्र” चलाया। यह न्यूजीलैंड से प्राप्त जानकारी के आधार पर हुआ था।
  • नवंबर 2021 में, सीबीआई द्वारा “ऑपरेशन कार्बन” नाम से एक समान अभ्यास शुरू किया गया था, जिसमें कई लोगों पर आईटी अधिनियम, 2000 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
  • ऑनलाइन मिलने वाली बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) की रिपोर्टों के वैश्विक संकलन में, भारत सूची में सबसे ऊपर है जहाँ कुल रिपोर्ट 11.7% है , उसके बाद पाकिस्तान का क्रम आता है जिसका सभी रिपोर्टों में 6.8% का योगदान है।
  • शीर्ष चार देशों में से तीन दक्षिण एशिया से थे, जो इस क्षेत्र में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर चिंताजनक स्थिति को दिखाता है।

CSAM के प्रसार के खिलाफ भारत के प्रयास:

  • कमलेश वासवानी मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर सलाहकार समिति (आईटी अधिनियम के तहत गठित) ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को संविधान के अनुच्छेद 19 (2) के नैतिकता और शालीनता खंड के उल्लंघन में सामग्री की होस्टिंग के लिए कई यूआरएल को अक्षम (disable) करने के आदेश जारी किए।
    • दूरसंचार विभाग ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी सामग्री वाली विभिन्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
  • इंटरनेट वॉच फाउंडेशन के साथ साझेदारी में एक गैर-सरकारी संगठन ‘आरम्भ इंडिया’ ने सितंबर 2016 में बाल शोषण की इमेज और वीडियो की रिपोर्ट करने के लिए भारत का पहला ऑनलाइन रिपोर्टिंग पोर्टल लॉन्च किया।
    • आपत्तिजनक URL को रिपोर्ट के आधार पर ब्लॉकिंग लिस्ट में जोड़ा जाता है।
  • केंद्रीय गृह मंत्रालय ने प्रज्वला नामक एक गैर सरकारी संगठन द्वारा दायर जनहित याचिका के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में चाइल्ड पोर्नोग्राफी और बलात्कार के संबंध में ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए सितंबर 2018 में एक राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल लॉन्च किया।
    • चूंकि चाइल्ड पोर्न और बलात्कार के कई मामले सामने नहीं आए, इसलिए बाद में पोर्टल पर सभी प्रकार के साइबर अपराध को दर्ज करने की अनुमति दी गई।
  • राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने भारत में CSAM अपलोड या साझा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की सुविधा हेतु साइबर टिपलाइन रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए 2019 में नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।
    • NCRB को दो मिलियन से अधिक साइबर टिपलाइन रिपोर्ट प्राप्त हुई हैं जिन्हें कानूनी कार्रवाई के लिए राज्यों को भेज दिया गया है।
  • जयराम रमेश की अध्यक्षता वाली राज्यसभा की तदर्थ समिति ने जनवरी 2020 की अपनी रिपोर्ट में ‘सोशल मीडिया पर चिंताजनक समस्या पोर्नोग्राफी तथा बच्चों और समाज पर इसके प्रभाव’ पर विभिन्न सिफारिशें कीं।
    • इसने ‘चाइल्ड पोर्नोग्राफी’ की परिभाषा को व्यापक बनाने की सिफारिश की।
    • सक्रिय निगरानी, अनिवार्य रिपोर्टिंग और ISP द्वारा CSAM को हटाना या ब्लॉक करना।
    • डार्क-वेब जांच के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके उपकरण विकसित करने हेतु उद्योग के साथ साझेदारी करना, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी ऑनलाइन खरीदने के लिए क्रिप्टो मुद्रा लेनदेन में संलग्न यूजर्स की पहचान करना तथा चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी खरीद हेतु होने वाले ऑनलाइन भुगतान को रोकने के लिए वित्तीय सेवा कंपनियों के साथ संपर्क करना।

भारत में पोर्नोग्राफी के खिलाफ कानून:

  • सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम, 2000 के अनुसार, बच्चों को किसी भी प्रकार का अश्लील कंटेंट दिखाना दंडनीय है।
    • अकेले में एडल्ट पोर्नोग्राफ़ी देखना कोई अपराध नहीं है; चाइल्ड पोर्नोग्राफी खोजना, ब्राउज़ करना, डाउनलोड करना या एक्सचेंज करना आईटी अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है। हालांकि, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP) को किसी भी तीसरे पक्ष के डेटा को लेकर उत्तरदायित्व से छूट दी गई है यदि प्रदाता इसका ट्रांसमिशन शुरू नहीं करते हैं।
  • चूंकि ऑनलाइन CSAM के प्रसार की सार्वजनिक रिपोर्टिंग बहुत कम है और स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए भारत की प्रवर्तन एजेंसियां अपेक्षित जानकारी के लिए काफी हद तक विदेशी एजेंसियों पर निर्भर हैं।
    • सीबीआई ने पारस्परिक कानूनी सहायता संधियों (MLAT) के अनुसार अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों पर सूचना साझा करने और संग्रह के लिए कई देशों से अनुरोध किया है।

चित्र स्रोत: India Today

वैश्विक व्यवस्था:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका का एक गैर-लाभकारी संगठन, नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (NCMEC), संदिग्ध बाल यौन शोषण की घटनाओं की रिपोर्ट करने हेतु सार्वजनिक और इलेक्ट्रॉनिक सेवा प्रदाताओं (ESP) के लिए साइबर टिपलाइन नामक एक कार्यक्रम संचालित करता है।
    • ISP के लिए कानून के उल्लंघन के संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान और स्थान की रिपोर्ट करना अनिवार्य है।
    • 2021 में, साइबर टिपलाइन को अमेरिका की संदिग्ध CSAM की 29.3 मिलियन से अधिक रिपोर्ट (ESP से 99%) प्राप्त हुई।
  • यूनाइटेड किंगडम में, इंटरनेट वॉच फाउंडेशन, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है, CSAM की उपलब्धता को बाधित करता है और यूके में होस्ट की गई ऐसे कंटेंट को हटा देता है।
    • यूके में ISP को थर्ड पार्टी कंटेंट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है यदि वे अपने सर्वर पर ऐसे कंटेंट को होस्ट करते हैं या छिपाते हैं।
  • INHOPE, ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) का मुकाबला करने वाला एक वैश्विक नेटवर्क है।
    • इस नेटवर्क में 46 देशों में 50 हॉटलाइन शामिल हैं जो जनता को गुमनाम रूप से CSAM की रिपोर्ट करने का एक तरीका प्रदान करते हैं।
    • यह सुरक्षित आईटी अवसंरचना प्रदान करता है, ICCAM (I- “See” (c)-Child-Abuse-Material) को इंटरपोल होस्ट करता है, तथा यह हॉटलाइन और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच CSAM रिपोर्ट के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
  • बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का वैकल्पिक प्रोटोकॉल जिसमें बाल यौन शोषण समस्या का समाधान है, राज्य पार्टियों को विधिक व्यक्तियों का उत्तरदायित्व निर्धारित के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • काउंसिल ऑफ यूरोप कन्वेंशन ऑन साइबर क्राइम और कन्वेंशन ऑन द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन अगेंस्ट सेक्सुअल एक्सप्लोरेशन एंड सेक्सुअल एब्यूज के अनुसार भी सदस्य राज्यों को कॉर्पोरेट दायित्व के मुद्दे का समाधान प्रदान करने की आवश्यकता है।

भावी कदम:

  • भारत को INHOPE में शामिल होना चाहिए तथा इंटरपोल की सुरक्षित आईटी अवसंरचना का उपयोग करने के लिए अपनी हॉटलाइन स्थापित करनी चाहिए।
  • भारत को IWF या NCMEC जैसी एक स्वतंत्र सुविधा स्थापित करके ISP और वित्तीय कंपनियों के साथ सहयोग करना चाहिए।
  • राज्य सभा की तदर्थ समिति की सिफारिशों का यथाशीघ्र पालन किया जाना चाहिए।
  • खुले संचार के लिए आधार तैयार करने से बच्चों को किसी भी असामान्य ऑनलाइन बातचीत या सड़क पर की गतिविधियों के बारे में आवश्यक बिंदुओं को साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है।

सारांश: बाल यौन शोषण का दुनिया भर में बच्चों की कुशलता (कल्याण) पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। सीबीआई दुनिया भर की एजेंसियों के साथ नई तकनीकों और तरीकों को अपनाकर चाइल्ड पोर्नोग्राफी से निपटने के लिए जानकारी साझा कर रही है। भारत को ऑनलाइन CSAM के प्रोडक्शन और प्रसार से लड़ने के लिए सभी विकल्पों का पता लगाने और एक उपयुक्त रणनीति अपनाने की जरूरत है।

  1. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित

विश्व और भारतीय भूगोल

कॉफी उद्योग पर संकट

विषय: फसल पैटर्न।

मुख्य परीक्षा: भारत में कॉफी उद्योग के समक्ष चुनौतियां।

संदर्भ: जुलाई और सितंबर महीनों के बीच होने वाली भारी और अनिश्चित बारिश दक्षिण भारत में कॉफी बागानों को भारी नुकसान पहुंचा रही है।

पृष्ठभूमि:

  • भारत में, कॉफी पारंपरिक रूप से कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में फैले पश्चिमी घाटों में उगाई जाती है। कॉफी की खेती आंध्र प्रदेश और ओडिशा के गैर-पारंपरिक क्षेत्रों के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में भी तेजी से बढ़ रही है।
  • कॉफी मुख्य रूप से एक निर्यात उन्मुख वस्तु है और देश में उत्पादित 65% से 70% कॉफी का निर्यात किया जाता है जबकि शेष देश में खपत होती है।
  • भारतीय कॉफी उद्योग लगभग 4000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित करता है।
  • कॉफी निम्न आयात तीव्रता और उच्च रोजगार सृजन क्षमता वाला एक निर्यात उत्पाद है। यह इस तथ्य से स्पष्ट है कि इस क्षेत्र में छह लाख से अधिक व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं और इतनी ही संख्या में व्यक्तियों को इस क्षेत्र से अप्रत्यक्ष रोजगार मिलता है।
  • कॉफी की दो मुख्य किस्में, अरेबिका और रोबस्टा भारत में उगाई जाती हैं।
  • भारतीय कॉफी बोर्ड के पुष्पन पश्चात् अनुमानों के अनुसार, 2022 फसल वर्ष के लिए उत्पादन 3,93,400 मीट्रिक टन होने का अनुमान था। लेकिन चरम जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए, इसके लगभग 30% कम होने का अनुमान है।
    • अरेबिका की फसल नवंबर से जनवरी के बीच होती है, जबकि रोबस्टा की फसल दिसंबर से फरवरी के बीच होती है।

चित्र स्रोत: Coffeebi.com

भारतीय कॉफी बोर्ड:

  • कॉफी बोर्ड, कॉफी अधिनियम, 1942 की धारा (4) के तहत गठित एक वैधानिक संगठन है तथा वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
  • बोर्ड में अध्यक्ष सहित 33 सदस्य शामिल हैं जो मुख्य रूप से अनुसंधान, विस्तार, विकास, बाजार आसूचना, बाहरी और आंतरिक प्रचार और कल्याण उपायों के क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • इसका मुख्यालय बेंगलुरु में है।
  • बोर्ड का बालेहोन्नूर (कर्नाटक) में एक केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान है।

कॉफी उत्पादन में गिरावट के कारण:

  • अत्यधिक वर्षा, पौधों की क्षति, फलियों के फटने और बेरी गिरने के कारण कॉफी का उत्पादन गिर रहा है।
  • लगातार बारिश ने पौधों को प्रभावित करने वाली कई बीमारियों को बढ़ा दिया है, और बुनियादी ढांचे को दीर्घकालिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन ने उन उत्पादकों की वित्तीय समस्याओं को बढ़ा दिया है जो लंबे समय से बने हुए हैं।
    • बाजार की कीमतों में उतार-चढ़ाव और मूल्य श्रृंखला में उत्पादकों के कम प्रभाव ने कॉफी की खेती को घाटे का सौदा बना दिया है।
    • भारतीय कॉफी उत्पादन का 75% से अधिक भाग निर्यात किया जाता है।
    • इसका अन्य उत्पादक क्षेत्रों से निर्यात की जाने वाली कॉफी की तुलना में भारतीय कॉफी की लागत प्रतिस्पर्धात्मकता पर प्रभाव पड़ता है, खासकर जब से उन उत्पादकों को अपना वित्त बहुत कम ब्याज दरों पर मिल रहा हो।
  • भारत में, कॉफी का उत्पादन कम है जबकि अन्य कॉफी देशों जैसे वियतनाम और ब्राजील की तुलना में उत्पादन की लागत बढ़ रही है।
    • ब्राजील में, श्रम शुल्क पूरी उत्पादन लागत का 25% है, जबकि भारत में इसकी लागत लगभग 65% है।
    • प्रति एकड़ उत्पादन की लागत पांच साल पहले के ₹50,000 से बढ़कर ₹80,000-85,000 हो गई है।
  • कॉफी उत्पादन में मशीनीकरण भी मुश्किल है क्योंकि भारतीय कॉफी क्षेत्रों की अवस्थिति अनूठी है, भारतीय कॉफ़ी छाया तथा ऊंचाई पर उगाई जाती है, जबकि अन्य प्रमुख उत्पादक देश समतल भूमि में कॉफी उगाते हैं।
  • गर्मी के महीनों में बिजली कटौती से सिंचाई महंगी हो जाती है क्योंकि डीजल की कीमत अधिक होती है।
  • उर्वरकों की बढ़ती लागत और श्रम लागत भी उत्पादन में निवेश को धीमा कर रही है।

भावी कदम:

  • कॉफी उत्पादकों को काली मिर्च और इलायची तथा अन्य विदेशज फलों के इंटरक्रॉपिंग के माध्यम से राजस्व सृजन के अतिरिक्त मार्ग खोजने चाहिए।
  • कॉफी का घरेलू और विदेशी बाजारों में उच्च मूल्य और उच्च इमेजरी क्षमता है। इस क्षमता को बेहतर ब्रांडिंग और प्रचार के माध्यम से भुनाया जाना चाहिए।
    • कॉफी बोर्ड कॉफी उत्पादकों के लिए एक अलग भारतीय ब्रांड और प्रमाणन प्रणाली पर काम कर रहा है।
  • मशीनीकरण और उत्पादकता वृद्धि के क्षेत्र में और अधिक शोध किए जाने की आवश्यकता है, जो भारतीय कॉफी को परिभाषित करने वाली विशिष्ट विशेषताओं से समझौता किए बिना किसानों को उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकता है।

सारांश: भारत में कॉफी उद्योग अनिश्चित वर्षा और उत्पादन की बढ़ी हुई लागत के साथ कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। भारत में कॉफी समुदाय, जिसमें कॉफी कृषक, संस्थाएँ, संसाधक और निर्यातक शामिल हैं, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कॉफी को बढ़ावा देने और उद्योग के सामने आने वाली समस्याओं का मुकाबला करने की उम्मीद कर रहे हैं।

और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: Coffee Crop

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. अग्नि प्राइम बैलिस्टिक मिसाइल:

सामान्य अध्ययन -3 से संबंधित:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: अग्नि प्राइम मिसाइल और भारत की अन्य प्रमुख मिसाइलों के बारे में जानकारी।

संदर्भ:

भारत ने एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से स्वदेश में विकसित अग्नि प्राइम का सफल परीक्षण किया।

अग्नि प्राइम मिसाइल

  • अग्नि प्राइम नई पीढ़ी की मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है।
  • अग्नि प्राइम या अग्नि-P अग्नि वर्ग की मिसाइलों का एक परमाणु-सक्षम उन्नत संस्करण है।
  • अग्नि-P दो चरणों वाली ठोस ईंधन वाली कनस्तरीकृत मिसाइल है।
    • कनस्तरीकरण एक इनकैप्सुलेटेड प्रणाली है जिसमें मिसाइल को रखा जाता है और इससे प्रक्षेपित किया जाता है।
    • मिसाइलों का कनस्तरीकरण मिसाइल को प्रक्षेपित करने के लिए आवश्यक समय को कम करने में मदद करता है तथा इसके भंडारण और गतिशीलता में सुधार करता है।
    • कनस्तरीकरण मिसाइल के शेल्फ जीवन को बढ़ाने में भी सहायक होता है।
  • रेंज: इसकी रेंज 1,000 और 2,000 किमी के बीच है।
  • यह मिसाइल अत्याधुनिक दोहरी रिडंडेंट नेविगेशन और मार्गदर्शन प्रणाली से लैस है।

इस विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें – Major missile types of India

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. राज्य सरकारें अपने आप प्रसारण के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकतीं: सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय:
  • सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने दिशा-निर्देश जारी करते हुए सुझाव दिया कि केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारों का कोई भी मंत्रालय या विभाग और उनकी संस्थाएं भविष्य में प्रसारण या प्रसारण गतिविधियों के वितरण के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती हैं।
    • इसके अलावा, मंत्रालय ने पहले से ही अपनी कंटेंट का प्रसारण कर रही संस्थाओं को एक स्वतंत्र, वैधानिक और सार्वजनिक प्रसारक, प्रसार भारती के माध्यम से प्रसारण करने के लिए कहा है।
    • कंटेंट वितरित करने वाली संस्थाओं को 31 दिसंबर 2023 तक इससे खुद को हट जाने के लिए कहा गया है।
  • मंत्रालय की यह सलाह भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों, बंगाल क्रिकेट संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले और कानून मंत्रालय की कानूनी राय के अनुरूप है।
  • इस कदम की राजनीतिक प्रतिक्रिया होने की उम्मीद है क्योंकि यह तमिलनाडु के कालवी टीवी और अरसु केबल और आंध्र प्रदेश के IPTV की मौजूदा प्रसारण गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।
  • प्रसारण से संबंधित सभी मामलों के लिए मंत्रालय नोडल एजेंसी है एवं इसके पास डाक और तार, टेलीफोन, वायरलेस, प्रसारण और संचार के अन्य समान रूपों के मुद्दों के मामले में कानूनी शक्ति है तथा टेलीग्राफ के संबंध में लाइसेंस देने का विशेष विशेषाधिकार और शक्ति केंद्र सरकार के पास है।
  • निर्णय को लागू करने के लिए प्रसार भारती मार्ग के माध्यम से शैक्षिक उद्देश्यों हेतु प्रसारण गतिविधि में केंद्र / राज्य / केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों के प्रवेश की अनुमति होगी।
  1. टेरर फंडिंग को लेकर FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर हुआ पाकिस्तान:

चित्र स्रोत: The Hindu

  • चार साल तक फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की “ग्रे लिस्ट” में बनाए रखने के बाद पाकिस्तान को इस सूची से हटा दिया गया है।
  • FATF ‘वर्धित निगरानी’ के तहत आने वाले देशों की सूची से पाकिस्तान को हटाने पर सहमत हो गया है, क्योंकि पाकिस्तान ने 2018 के बाद की अवधि में 34-सूत्रीय कार्यसूची वाली दो कार्य योजनाओं को पूरा किया है और FATF पाकिस्तान की महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत करता है।
  • भारत सहित सभी 39 सदस्यों के सर्वसम्मति के फैसले के बाद पाकिस्तान को सूची से हटाने की घोषणा की गई जिन्होंने पाकिस्तान के धन शोधन रोधी तंत्र को मजबूत करने और आतंकवाद के वित्तपोषण तंत्र का मुकाबला करने के इसके प्रयासों की समीक्षा को स्वीकार कर लिया है।
    • भारत ने अपने ऊपर हुए हमलों के लिए जिम्मेदार सीमा पार आतंकवादी समूहों पर पाकिस्तान की कार्रवाई में कोताही को लेकर विरोध किया था, लेकिन भारत ने अंतिम निर्णय का समर्थन किया।
    • पाकिस्तान की FATF स्क्रूटनी ने इसे मुंबई में हुए 26/11 के हमले में शामिल लोगों सहित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया था।
  • इसके अलावा, म्यांमार को 2021 के तख्तापलट के बाद सैन्य नेतृत्व द्वारा की गई कार्रवाइयों के कारण “ग्रे लिस्ट” से “ब्लैक लिस्ट” में स्थानांतरित कर दिया गया था। इसके कारण इसे गंभीर वित्तीय प्रतिबंधों तथा आईएमएफ, विश्व बैंक और एडीबी ऋण प्राप्त करने में असमर्थता का सामना करना पड़ सकता है।
  1. कुछ वर्षों में तेजस को ब्रह्मोस-एनजी मिसाइल के साथ एकीकृत किया जाएगा:
  • सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस-एनजी (अगली पीढ़ी) का हल्का संस्करण कुछ वर्षों में तैयार होने के बाद, स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (LCA) तेजस इस ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को ले जाने और लॉन्च करने में सक्षम होगा।
  • एक अधिकारी ने कहा कि ब्रह्मोस-एनजी के लगभग दो वर्षों में अपनी पहली उड़ान भरने की संभावना है और उसके बाद 2-3 वर्षों में यह उत्पादन के लिए तैयार हो जाएगी और अभी के विकास का फोकस हवा से मार करने वाले संस्करण पर है।
  • वर्तमान हवा से मार करने वाले संस्करण (2.65 टन) की तुलना में ब्रह्मोस-एनजी का वजन लगभग आधा (1.33 टन) होगा जो एलसीए पर लगाए जाने की संभावना को सुविधाजनक बनाएगा।
  • विकास के चरण के बाद से, मिसाइल को Su-30MKI के साथ एकीकृत किया जा रहा है और एक SU-30MKI विमान चार ब्रह्मोस-एनजी मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगा और LCA दो मिसाइलों को ले जा सकेगा।
  • ब्रह्मोस मिसाइल में जमीन, समुद्र, समुद्र सतह के भीतर से और हवा से सतह और समुद्र-आधारित लक्ष्यों के खिलाफ मार करने की क्षमता है और इसे भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा सेवा में शामिल किया गया है।

इस विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें – BrahMos Missile

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों में से किसमें ‘मिशन LiFE’ का सर्वोत्तम विवरण प्रदान किया गया है?

  1. यह धारणीयता (sustainability) के प्रति सामूहिक दृष्टिकोण में बदलाव के लिए त्रिस्तरीय रणनीति के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने की एक पहल है।
  2. यह जैव विविधता की रक्षा करने तथा गंभीर रूप से लुप्तप्राय, लुप्तप्राय और संकटग्रस्त जीवों की मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकार की एक पहल है।
  3. यह व्यावसायिक यौन शोषण के लिए होने वाले तस्करी पीड़ितों के बचाव, पुनर्वास और पुन: एकीकरण के उद्देश्य से एक पहल है।
  4. यह यौनकर्मियों और यौन शोषण पीड़िता महिलाओं को तकनीकी या व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सरकार की एक पहल है।

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • मिशन लाइफ एक वैश्विक पहल है जो दुनिया भर के व्यक्तियों, समुदायों और संगठनों को पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित और सहमत करती है।
  • मिशन लाइफ का उद्देश्य धारणीयता के प्रति सामूहिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए त्रिस्तरीय रणनीति का पालन करना है।

प्रश्न 2. ‘संपूर्णानंद टेलिस्कोप’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह नैनीताल में मनोरा शिखर पर स्थित है।
  2. यह दुनिया का सबसे शक्तिशाली एक्स-रे टेलीस्कोप है।
  3. शनि के चारों ओर नए वलयों की खोज और यूरेनस के वलय कुछ ऐसे सफल विज्ञान परिणाम हैं जिनमें इस दूरबीन का योगदान है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से गलत हैं/हैं?

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. सभी तीनों कथन
  4. उपर्युक्त में से कोई नही

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, संपूर्णानंद टेलिस्कोप नैनीताल के मनोरा शिखर स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) में स्थित है।
  • कथन 2 सही नहीं है,चंद्र एक्स-रे वेधशाला दुनिया का सबसे शक्तिशाली एक्स-रे टेलिस्कोप है।
    • नासा की चंद्रा एक्स-रे वेधशाला एक टेलिस्कोप है जिसे विशेष रूप से ब्रह्मांड के बहुत गर्म क्षेत्रों जैसे विस्फोटित तारों, आकाशगंगाओं के समूहों और ब्लैक होल के आसपास के पदार्थ से एक्स-रे उत्सर्जन का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • कथन 3 सही है, शनि के चारों ओर नए वलयों की खोज और यूरेनस के वलय कुछ ऐसे सफल विज्ञान परिणाम हैं जिनमें इस टेलिस्कोप का योगदान है।

प्रश्न 3. ‘पखरू टाइगर सफारी परियोजना’ निम्नलिखित में से किस रिज़र्व में शुरू की जा रही है?

  1. पक्के टाइगर रिजर्व
  2. बांदीपुर टाइगर रिजर्व
  3. जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व
  4. कान्हा टाइगर रिजर्व

उत्तर:

विकल्प c

व्याख्या:

  • जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व, उत्तराखंड में पखरू टाइगर सफारी परियोजना शुरू की जा रही है।
  • भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) की रिपोर्ट के बाद यह परियोजना जांच के दायरे में है जिसमें पाया गया कि जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 से अधिक पेड़ों को अवैध रूप से काटा गया था जबकि अनुमति केवल 163 पेड़ों को काटने की मिली थी।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन सा जिनेवा कन्वेंशन युद्धबंदियों पर लागू होता है?

  1. पहला जिनेवा कन्वेंशन
  2. दूसरा जिनेवा कन्वेंशन
  3. तीसरा जिनेवा कन्वेंशन
  4. चौथा जिनेवा कन्वेंशन

उत्तर:

विकल्प c

व्याख्या:

  • तीसरा जिनेवा कन्वेंशन युद्धबंदियों के लिए व्यापक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यह कन्वेंशन युद्धबंदियों के अधिकारों को परिभाषित करता है और उनके साथ व्यवहार और अंतिम रिहाई के लिए विस्तृत नियम निर्धारित करता है।

विगत वर्ष के प्रश्न – 2014

प्रश्न 5. दक्षिण-पूर्वी एशिया में दक्षिण से उत्तर की ओर जाने पर नीचे दिए गए नगरों का सही स्थितिक्रम क्या है?

  1. बैंकॉक
  2. हनोई
  3. जकार्ता
  4. सिंगापुर

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए।

  1. 4-2-1-3
  2. 3-2-4-1
  3. 3-4-1-2
  4. 4-3-2-1

उत्तर:

विकल्प c

व्याख्या:

चित्र स्रोत: www.metro.tokyo.lg.jp/

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. प्रसार भारती एक स्वायत्त निकाय है, और फिर भी केंद्र सरकार के नियंत्रण में है। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन II – शासन)

प्रश्न 2. भारत का कॉफी उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है। इस संकट से निकलने के संभावित तरीकों पर जोर देते हुए विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन III – कृषि)