24 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: सुरक्षा:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
राजव्यवस्था एवं शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
चाबहार बंदरगाह को पुनः जीवंत करना:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव
प्रारंभिक परीक्षा: चाबहार बंदरगाह से सम्बंधित तथ्य।
मुख्य परीक्षा: चाबहार बंदरगाह का भू-सामरिक महत्व, चाबहार बंदरगाह के लिए भारत की रणनीतिक दृष्टि और इसके विकास में देरी के कारण।
संदर्भ:
- भारत के बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री का चाबहार बंदरगाह का दौरा।
विवरण:
- महीनों की धीमी प्रगति के बाद, भारत अब ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के अपने प्रयासों को आगे बढ़ाना चाहता है।चाबहार बंदरगाह व्यापार और अन्य उद्देश्यों के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया को जोड़ने में मददगार साबित होगी।
- चाबहार बंदरगाह भारत के लिए कई यूरोपीय देशों, रूस और स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (Commonwealth of Independent States (CIS)) देशों के साथ व्यापार करने का एक महत्वपूर्ण प्रवेश द्वार भी है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के केंद्रीय मंत्री की ईरान यात्रा दोनों देशों के बीच समझौतों और समुद्री संबंधों को मजबूत करेगी।
- केंद्रीय मंत्री ने विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा की और कार्यों की दक्षता में सुधार के लिए छह मोबाइल हार्बर क्रेन सौंपे।
Image Source: India Today
- चाबहार बंदरगाह और उसके महत्व के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Chabahar Port and its significance
चाबहार बंदरगाह के लिए भारत की रणनीतिक दृष्टि:
- चाबहार के लिए किये गए पहले समझौते पर भारत ने वर्ष 2003 में पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा हस्ताक्षर किए थे।
इस योजना के प्रमुख उद्देश्यों में निम्न शामिल थे:
- भारत के पहले अपतटीय बंदरगाह का विकास करना और खाड़ी क्षेत्र में भारत के बुनियादी ढांचे का प्रदर्शन करना।
- एक व्यापारिक मार्ग विकसित करना जो पाकिस्तान को दरकिनार कर एक स्थायी समुद्री व्यापार मार्ग विकसित करे।
- पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान के लिए मौजूदा भूमि मार्ग का एक विकल्प तैयार किया जाना चाहिए क्योंकि भारत 2001 में तालिबान की हार के बाद संबंधों को फिर से बढ़ाना चाहता था।
- बाद में, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में, भारत ने अफगानिस्तान के दक्षिण में जरांज-डेलाराम राजमार्ग का निर्माण किया और इसे वर्ष 2009 में अफगान सरकार को सौंप दिया।
- इस मार्ग के बनने से ईरान की सीमा से बाहर व्यापार मार्ग को मुख्य व्यापार मार्गों से हेरात और काबुल तक जोड़ने में मदद मिली।
- वर्ष 2016 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने तेहरान (ईरान की राजधानी) का दौरा किया और चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए समझौते और साथ ही अफगानिस्तान के साथ चाबहार के माध्यम से व्यापार के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- हाल के वर्षों में, चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में हुई भारी प्रगति के कारण चाबहार मार्ग का विकास भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक उद्देश्य बन गया है।
- चूँकि भारत का लक्ष्य मध्य एशियाई क्षेत्र को भविष्य में होने वाले व्यापार के लिए ईरान (चाबहार) के माध्यम से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (China-Pakistan Economic Corridor (CPEC)) का विकल्प तैयार करना है।
- इसके अलावा, शाहिद बेहेश्ती बंदरगाह (चाबहार) को “एक पारगमन केंद्र” के रूप में विकसित करने और इसे मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण व्यापार गलियारे ( International North South Trade Corridor (INSTC)) से जोड़ने से रूस और यूरोप के लिए सुगम संपर्क स्थापित करने में मदद मिलेगी।
चाबहार बंदरगाह के विकास में देरी के कारण:
- शहीद बेहेश्टी टर्मिनल के विकास में लगातार रुकावटें आती रही हैं।
- बंदरगाह के विकास के लिए प्रमुख चुनौतियों में से एक अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के ईरान के साथ लगातार तनावपूर्ण संबंधों का बना रहना है।
- पश्चिम से ईरान के खिलाफ बढ़ते प्रतिबंधों के बीच चाबहार बंदरगाह के विकास कार्यों की प्रगति धीमी रही है।
- वर्ष 2018 में, जब अमेरिकी प्रशासन संयुक्त व्यापक कार्य योजना (Joint Comprehensive Plan of Action (JCPOA)) से बाहर निकल गया और उसने ईरान पर नए प्रतिबंध लगा दिए थे,जिसके कारण भारत पर दबाव बढ़ गया और भारत सरकार ने ईरान से अपने तेल के आयात को रोक दिया जो उस समय तक भारत का एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता देश था। इस कारण से भारत के ईरान के साथ संबंध ख़राब हुए हैं।
- अमेरिका द्वारा चाबहार को प्रतिबंधों से विशेष छूट दिए जाने के बावजूद भी इस बंदरगाह के विकास के लिए संसाधनों को जुटाना कठिन रहा है,क्योंकि कई बुनियादी ढांचे, शिपिंग और बीमा कंपनियां अभी भी माध्यमिक/गौण प्रतिबंधों के बारे में चिंतित हैं।
- इसके अलावा, अफगानिस्तान में तालिबान शासन के साथ उलझने में भारत की हिचकिचाहट ने चाबहार बंदरगाह के विकास कार्यों को भी बाधित किया है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भारत में व्यापक जांच के दायरे में चीनी टेक कंपनियां:
सुरक्षा:
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां, साइबर सुरक्षा की मूल बातें; मनी लॉन्ड्रिंग और इसकी रोकथाम।
मुख्य परीक्षा: विभिन्न कारणों का विश्लेषण और भारत में चीनी फर्मों की बढ़ती जांच के प्रभाव।
संदर्भ:
- हाल के महीनों में,देश में चीनी कॉर्पोरेट प्रभाव की जांच करने के उद्देश्य से, चीनी तकनीकी फर्मों जैसे कि हुआवेई, वीवो, जेडटीई, श्याओमी और ओप्पो के कार्यालयों की आयकर अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है।
चीनी कंपनियों पर अहम आरोप:
- विभिन्न चीनी फर्मों पर भारत में कर चोरी, अवैध प्रेषण, जाली पहचान और गलत विवरण देने का आरोप लगाया गया है।
- हाल ही में, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारत में Xiaomi इकाई से लगभग 5,551.27 करोड़ रुपये जब्त किए।
- यह कहा गया था कि टेक फर्म ने तीन विदेशी-संस्थाओं को 5,551.27 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा प्रेषित की थी, जिसमें “रॉयल्टी” के भेष में एक Xiaomi समूह इकाई भी शामिल थी।
- इन पर आरोप लगाया गया था कि इस फर्म ने इन तीन संस्थाओं में से किसी की भी सेवा नहीं ली थी और इस प्रेषण को उन्होंने अपने समूह की संस्थाओं को लाभ पहुंचाने के लिए किया था और इसे विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के तहत उल्लंघन माना जाता है।
- इसके बाद कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा एक प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद ईडी ने भारत में वीवो के विभिन्न कार्यालयों में तलाशी अभियान चलाया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ग्रैंड प्रॉस्पेक्ट इंटरनेशनल कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (GPICPL) (वीवो की संबद्ध कंपनियों में से एक) ने जाली पहचान दस्तावेज बनाए थे और निगमन के समय झूठे पते दिए थे।
- इन खोजों में कर चोरी के उद्देश्य से बनाई गई एक शेल कंपनी भी पाई गई और वीवो इंडिया पर आरोप है कि उसने अपनी कुल बिक्री आय का 50% से अधिक चीन को भेज दिया ताकि करों का भुगतान करने से बचने के लिए भारतीय-निगमित कंपनियों को भारी नुकसान में दिखाया जा सके।
- इसे धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (Prevention of Money Laundering Act, 2002) का उल्लंघन बताया जा रहा है।
- राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence (DRI)) को लगभग ₹4,389 करोड़ की सीमा शुल्क चोरी का पता चलने के बाद एक अन्य टेक फर्म ओप्पो को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया हैं।
- डीआरआई की जांच में पाया गया था कि ओप्पो ने भारत में अपने मोबाइल फोन के निर्माण के लिए शुल्क छूट लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ आयातित वस्तुओं का गलत विवरण दिया था।
- इसके अलावा, भारतीय क्षेत्र के बाहर से प्राप्त बौद्धिक अधिकारों के आयात को आयातित उत्पादों की बैलेंस शीट में दिखाया नहीं गया था।
- इसमें सम्बंधित कम्पनी ने सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 और सीमा शुल्क मूल्यांकन (आयातित माल के मूल्य का निर्धारण) नियम, 2007 के कुछ प्रावधानों का उल्लंघन किया था।
- इन्ही सब के चलते चीनी दूरसंचार प्रमुख हुआवेई पर आयकर जांचों, 5 जी दूरसंचार परीक्षणों से बहिष्करण और अनुसंधान सहयोग के चलते प्रतिबन्ध भी लगाए गए थे।
चीनी फर्मों पर लगातार जांच के कारण:
- विभिन्न चीनी फर्मों को अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे दुनिया भर के विभिन्न देशों में महत्वपूर्ण दूरसंचार सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा प्रदान करने से हतोत्साहित किया गया है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि कम कीमतों की पेशकश के बावजूद महत्वपूर्ण परियोजनाओं से चीनी फर्मों का बहिष्कार इसलिए किया जा रहा है,क्योंकि चीन पर अपने दूरसंचार नेटवर्क और अपनी कंपनियों द्वारा प्रदान किए गए फाइबर ऑप्टिक संचार बुनियादी ढांचे के माध्यम से साइबर हमले और साइबर-जासूसी अभियान चलाने का आरोप है।
- हाल ही में, अमेरिकी प्रशासन ने हुआवेई की जांच इस चिंता के आधार पर की कि अमेरिका में सेल टावर गियर से लैस थे जो सैन्य ठिकानों से संवेदनशील और गोपनीय डेटा रिकॉर्ड कर सकते थे और इसे चीन तक पहुंचा सकते थे।
- किसी संप्रभु देश के महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की जानकारी एकत्र करने के उद्देश्य से साइबर हमला करने के चीन पर कई आरोप लगे हैं।
- उदाहरण: साइबर सुरक्षा फर्मों का कहना है कि अक्टूबर 2020 में हुआ मुंबई ब्लैकआउट गलवान घाटी संघर्ष की एक अनुवर्ती कार्रवाई के रूप में किया गया साइबर अटैक था और इसे “RedEcho” द्वारा अंजाम दिया गया था जो चीन से जुड़ा एक हैकर समूह है।
- यहां तक कि वोडाफोन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी निजी कंपनियों ने भी चीन पर इस तरह के हमले करने का आरोप लगाया है।
- उदाहरण: मार्च 2021 में, यह बताया गया कि चीनी राज्य समर्थित हैकर समूहों ने भारतीय वैक्सीन प्रदाताओं भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के आईटी सिस्टम को निशाना बनाया था।
चीनी फर्मों के बाहर निकलने की स्थिति में इसका बाजार पर प्रभाव:
- भारत में चीनी फर्मों पर जांच के बढ़ते मामलों के कारण, ऐसी कंपनियां भारत में अपने परिचालन को कम करने के बारे में सोच रही हैं।
- भारत में चीनी कंपनियों की बढ़ती संख्या का श्रेय एक मूल्य संवेदनशील बाजार में उनकी कीमत-प्रतिस्पर्धा को जाता है।
- इसलिए भारतीय बाजार से चीनी फर्मों के बाहर निकलने के कारण ऐसे उत्पादों का विकल्प खोजने की तत्काल आवश्यकता है।
- भारत कई अन्य देशों के साथ साथ भारत की निर्भरता भी चीनी उत्पादों पर अत्यधिक हो गयी है, क्योंकि इन चीनी फर्मों ने वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के निचले छोरों पर एकाधिकार कर लिया है, उदाहरण के लिए “पेन के लिए पेन कैप्स” जैसे तैयार उत्पादों के बुनियादी घटक चीन द्वारा तैयार किये जा रहे हैं।
- विशेषज्ञों का भी मानना है कि चीनी स्मार्टफोन पर एकमुश्त प्रतिबंध लगाना भी अव्यावहारिक है, क्योंकि वर्तमान में प्रस्तावित प्रतिस्थापन संस्थाओं में एक मजबूत पोर्टफोलियो, वितरण और बिक्री के बाद की सेवाओं जैसे पहलुओं की कमी साफ़ दिखाई देती है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
कानून प्रवर्तन के लिए 5G रोल-आउट के निहितार्थ:
विषय: हाल के घटनाक्रम और उनके अनुप्रयोग एवं रोजमर्रा की जिंदगी पर प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: 5G तकनीक।
मुख्य परीक्षा: कानून प्रवर्तन के लिए 5G का महत्व।
संदर्भ:
- भारत में 5G तकनीक की शुरुआत।
विवरण:
- कुछ रिपोर्टों के अनुसार सरकार इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन के साथ, भारत में 5G तकनीक लॉन्च करेगी।
- रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार इसे 29 सितंबर को लॉन्च करेगी।
कानून प्रवर्तन में 5G का महत्व:
- प्रौद्योगिकी, उत्पादकता, दक्षता और सुरक्षा में सुधार करेगी क्योंकि यह महत्वपूर्ण जानकारीयों तक वास्तविक समय में पहुंच और आपराधिक तत्वों को पकड़ने में पुलिस की सहायता करेगी।
- 5G अपने उच्च बैंडविड्थ और कम विलंबता के कारण CCTV, बॉडी कैम, चेहरे की पहचान तकनीक, ड्रोन और स्वचालित नंबर-प्लेट पहचान जैसे उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित कर सकती है।
- चूंकि 5G में स्पष्ट छवियों को प्रसारित करने की क्षमता है। इससे पुलिस को मामलों को समझने और जांच करने में आसानी होगी।
- 5G द्वारा प्रदान की गई बेहतर भंडारण क्षमता जांच विधियों को और सुव्यवस्थित करेगी।
- नागरिकों के साथ-साथ आपातकालीन सेवाओं के दौरान सुरक्षित और तीव्र संचार, 5G के द्वारा सुनिश्चित किया जा सकता है।
- इससे क्राइम डेटा की रिमोट एक्सेसिबिलिटी और एनालिसिस को बेहतर बनाया जा सकता है।
5Gसे संबंधित चुनौतियां:
- ढांचागत चुनौतियां
- कानून प्रवर्तन एजेंसी के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता प्रमुख चिंता का विषय है।
- यहां तक कि अगर बुनियादी ढांचा पर्याप्त है, तो अगली चुनौती 5G प्रौद्योगिकी के साथ संगतता और इसके उन्नयन की है।
- प्रौद्योगिकी की खाई को पाटने और आधुनिक सॉफ्टवेयर एवं उपकरणों में निवेश करने के लिए, धन के हस्तांतरण की आवश्यकता होती है जिसकी सबसे बड़ी बाधा राजकोषीय दबाव है।
- साइबर सुरक्षा चुनौतियां:
- 5G साइबर खतरों जैसे मैन-इन-द-मिडिल अटैक, बॉटनेट अटैक, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS), आदि के लिए अतिसंवेदनशील है।
- इसके अलावा, 5G में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की कमी है, जो इसे सिस्टम की हैकिंग और अवैध सामग्री के प्रसार के संबंध में असुरक्षित बनाता है।
- 5G की विस्तारित बैंडविड्थ के कारण अपराधी आसानी से डेटाबेस चोरी कर सकते है।
- अन्य चुनौतियां:
- निजी फोन कॉल को रोकना, फर्जी संदेश भेजना, किसी व्यक्ति का डेटा एक्सेस करना और उस व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड का उपयोग करना 5G के कारण आसान हो जाएगा।
- अपराधी भी अपनी गतिविधियों और अपनी अवस्थिति को छुपा सकते हैं।
- पीड़ितों पर नज़र रखने और पहचान की चोरी जैसे वास्तविक खतरे इसके साथ बढ़ सकते है।
- एक और बड़ा खतरा साइबरबुलिंग है।
- 5G के कारण उत्पन्न आपराधिक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं:
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) उपकरणों को हैक करना और दूर से अपराध करना। उदाहरण के लिए, पीड़ित के वाहन को हैक करना और बीमा राशि प्राप्त करने हेतु दुर्घटना कराना।
- चिंता का एक अन्य प्रमुख क्षेत्र आतंकवादी गतिविधियों में 5G तकनीक का उपयोग है जो कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए कठिन हो सकता है और संभावित रूप से राष्ट्र की सुरक्षा में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
चुनौतियों से निपटने के उपाय:
- पुलिस अधिकारियों को 5G सक्षम अपराधों की पहचान करने के लिए कुशलतापूर्वक प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
- संभावित नए अपराधों की पहचान और उनकी रोकथाम के लिए मजबूत प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
- सरकार को टेलीकॉम कंपनियों के साथ मिलकर 5G क्राइम मॉनिटरिंग टास्क फोर्स का गठन करना चाहिए, ताकि नए अपराधों की निगरानी, पहचान और विकास के लिए काउंटरमेशर (प्रत्युपाय) विकसित किया जा सके।
- अपराध करने के लिए 5G तकनीक के इस्तेमाल के खिलाफ नियम बनाना भी जरूरी है। यह विनियमन अपराधियों को चोरी या नकली उपकरणों का उपयोग करने से रोकेगा।
- दूरसंचार कंपनियों को जांच अधिकारियों को अपने उपकरणों तक पहुंचने की अनुमति देनी चाहिए और 5G अपराधों पर नज़र रखने के लिए वांछित प्रतिवाद का उपयोग करना चाहिए। इन प्रतिवादों से न केवल महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की रक्षा, बल्कि स्थानीय नागरिकों की भी रक्षा करनी चाहिए।
- इसके अलावा, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को 5G-सुविधा वाले अपराधों के पीड़ितों की पहचान करने, उनका पता लगाने और अपराधियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए रणनीति तैयार करनी चाहिए।
सम्बंधित लिंक्स:
Sansad TV Perspective: Episode on 19th August, 2022: 5G Spectrum Allocation
5G RSTV – In Depth, Discussion on 5G revolution in India for UPSC
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
भारतीय वैज्ञानिकता में कमी का मामला:
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी और उनका प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: वैज्ञानिक सोच विकसित करना।
सन्दर्भ:
- विज्ञान के प्रति उदासीनता और भारतीय नागरिकों में वैज्ञानिक सोच की कमी चिंता का विषय है।
भारत में आधुनिक विज्ञान से संबंधित पृष्ठभूमि:
- आधुनिक विज्ञान के लिए एक ठोस नींव तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और बीसवीं शताब्दी के मध्य के वैज्ञानिकों द्वारा रखी गई थी।
- मौलिक कर्तव्य के रूप में वैज्ञानिक स्वभाव को भी 42वें संशोधन के माध्यम से संविधान में स्थान दिया गया था:
- अनुच्छेद 51A: “भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य होगा कि वह वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जांच एवं सुधार की भावना को विकसित करे”
वैज्ञानिक मनोवृत्ति के ह्रास के कारण:
- जैसा कि आणविक जीवविज्ञानी, पुष्पा भार्गव ने उद्धृत किया है, अधिकांश वैज्ञानिक स्वयं तर्कसंगतता और वैज्ञानिक स्वभाव के प्रति प्रतिबद्ध नहीं थे। वे अपने वैज्ञानिक खोजों के लिए पूरी तरह से खड़े नहीं हुए।
- यद्यपि स्वतंत्रता के बाद के चरण में विज्ञान ने अच्छी शुरुआत की, बाद के नेतृत्व में नियति की भावना का अभाव था।
- इसके अलावा, भारत के बुद्धिजीवियों का झुकाव नियमबद्ध नौकरशाही के कारण जटिल, आत्म-उन्नयन की ओर अधिक है।
- छद्म विज्ञान:
- भारत ने छद्म विज्ञान के प्रसार के लिए एक उपजाऊ जमीन प्रदान की। उदाहरण के लिए:
- एक राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय में एक ज्योतिष पाठ्यक्रम शुरू किया गया था।
- बिना किसी वैज्ञानिक मान्यता के गाय के मलमूत्र की अवधारणा में चिकित्सीय गुणों का आधिकारिक समर्थन।
- इसके अलावा, रोगों के लिए गोमूत्र की उपचारात्मक विशेषताओं के बारे में प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए आधिकारिक पुष्टि।
- भारत ने छद्म विज्ञान के प्रसार के लिए एक उपजाऊ जमीन प्रदान की। उदाहरण के लिए:
विज्ञान और दुष्प्रचार से इसका संबंध:
- यद्यपि विज्ञान एक तार्किक रणनीति है जो साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करती है, वर्तमान परिदृश्य साजिश के सिद्धांतों, नकली समाचारों और निर्मित ‘सत्य’ से प्रभावित है। ये सूचना क्रांति के नकारात्मक पहलू हैं।
- इस दृष्टिकोण को उत्पन्न करने वाली अतार्किकता कोई नई बात नहीं है, बल्कि इन विचारों का प्रसार बहुत तेज है और लाखों उपभोक्ताओं तक सही तरीके से पहुंचना भी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैज्ञानिक विकास का परिणाम है।
- यह दुष्प्रचार अभियान मानव अधिकारों में बाधा डालते हैं और लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।
निष्कर्ष:
- स्वतंत्रता के इस 75वें वर्ष को विज्ञान के क्षेत्र में सफलताओं और असफलताओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करने और वैज्ञानिक सोच विकसित करने के अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए। भविष्य की प्रौद्योगिकी के विकास में विज्ञान एवं वैज्ञानिक साक्षरता आवश्यक हैं।
सम्बंधित लिंक्स:
UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Aug 17th, 2022 CNA. Download PDF
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
छूट की समीक्षा:
विषय: कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी।
मुख्य परीक्षा: राज्य सरकारों द्वारा अपनाई गई छूट नीतियां और इससे जुड़ी विभिन्न चिंताएं।
संदर्भ:
- समाजिक कार्यकर्ताओं ने गुजरात सरकार द्वारा ग्यारह दोषियों की समयपूर्व रिहाई को चुनौती दी है।
मामले का विवरण:
- गुजरात में, 2002 के मुस्लिम विरोधी नरसंहार के दौरान एक महिला के सामूहिक बलात्कार और सात लोगों की हत्या (एक तीन साल की बच्ची सहित) के लिए 11 दोषी उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
- गुजरात सरकार ने इन दोषियों को रिहाई दे दी है।
- समाजिक कार्यकर्ताओं ने न्यायिक समीक्षा के चलते गुजरात सरकार के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
मामले की अधिक जानकारी के लिए CNA 20 Aug 2022 पढ़ें:
छूट के साथ कानूनी मुद्दे:
- यह रिहाई एक दोषी द्वारा दायर याचिका पर SC की दो-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले पर आधारित थी। मामला यह था कि क्या गुजरात या महाराष्ट्र सरकार याचिका पर विचार करने हेतु उपयुक्त है या नहीं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि गुजरात सरकार (अपराध का स्थान) के बजाय महाराष्ट्र को इस मामले पर विचार करना चाहिए। निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुकदमे को स्थानांतरित किया गया था।
- इसके अलावा, यह भी तय किया गया था कि जुलाई 1992 की नीति के तहत छूट पर विचार किया जाना चाहिए, क्योंकि यह उनकी दोषसिद्धि की तारीख (2008 में) में प्रचलित नीति थी।
- छूट की अवैधता के दो कारण हैं:
- गुजरात सरकार ने केंद्र की सहमति के बिना फैसला किया। आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 435 के अनुसार, CBI द्वारा जांच किए गए मामलों में केंद्र के साथ परामर्श अनिवार्य है।
- इसके अलावा, एक आदर्श छूट पैनल में कानून या घर के प्रभारी वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, जेल अधीक्षक, एक जिला न्यायाधीश तथा अपराधियों के पुनर्वास एवं परिवीक्षा से निपटने वाले अधिकारी शामिल होने चाहिए। लेकिन इसकी जगह समिति में विधायक शामिल थे।
- यह भी देखने में आया है कि जिला जज की आपत्ति पर भी ध्यान नहीं दिया गया।
सम्बंधित लिंक्स:
Pardoning Power of President – Pardon, Commute. Remit, Respite & Reprieve (UPSC GS-II)
Pardoning Power of the Governor – Article 161 of the Indian Constitution [UPSC Indian Polity Notes]
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं तकनीक:
विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई तकनीक विकसित करना।
प्रारंभिक परीक्षा: वीएल-एसआरएसएएम से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और भारतीय नौसेना ने स्वदेशी रूप से विकसित वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (वीएल-एसआरएसएएम) के लंबवत प्रक्षेपण -VL-SRSAM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।
वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM):
- वीएल-एसआरएसएएम प्रणाली को डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
- वीएल-एसआरएसएएम सतह से हवा में मार करने वाली एक त्वरित प्रतिक्रिया मिसाइल है।
- वीएल-एसआरएसएएम एक जहाज-जनित हथियार प्रणाली है,इसका उपयोग सीमा पर हवाई खतरों को कम करने और समुद्र-स्किमिंग लक्ष्यों (राडार या अवरक्त/इन्फ्रारेड डिटेक्शन (पता लगाना) से बचने के लिए मिसाइलों द्वारा यथासंभव कम उड़ान भरने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक) के खिलाफ भी किया जा सकता है।
- वीएल-एसआरएसएएम एक स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (आरएफ) से लैस है जो उच्च सटीकता के साथ लक्ष्य को रोकने में मदद करता है।
- मिसाइल भारतीय नौसेना की ताकत को बढ़ाएगी।
- सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Surface-to-air missiles
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. तियांगोंग मिशन के कारण तनाव बढ़ रहा है:
- मई 2020 से भारत और चीन के बीच जारी तनाव भारतीय खगोल भौतिकीविदों के लिए चिंता का विषय बन गया है,क्योंकि वर्तमान में निर्मित एक चीनी अंतरिक्ष स्टेशन तियांगोंग के समीप वे एक भारत निर्मित स्पेक्ट्रोस्कोप स्थापित करने की महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहे हैं।
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (आईआईए), बेंगलुरु के वैज्ञानिक, संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व वाली पहल के हिस्से के रूप में चुने गए उन नौ समूहों में शामिल थे, जिन्हे पेलोड डिजाइन करने के अवसर के लिए प्रतिस्पर्धा करने हेतु दुनिया भर से अनुसंधान टीमों को आमंत्रित किया गया था।जिसे चीनी मानवयुक्त अंतरिक्ष एजेंसी के रॉकेटों द्वारा तियांगोंग ले जाया जाएगा।
- नेबुलर गैस (SING) की स्पेक्ट्रोग्राफिक जांच नामक परियोजना में रूसी विज्ञान अकादमी के खगोल विज्ञान संस्थान के साथ सहयोग करना शामिल है,और इसे आईआईए में शोध छात्रों द्वारा विकसित किया गया है।
- अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में SING परियोजना भारत और चीन की प्रथम संयुक्त परियोजना है,जिसमे मुख्य रूप से एक स्पेक्ट्रोग्राफ भेजने और स्थिति (positioning) से संबंधित एक उपकरण है,जो पराबैंगनी विकिरण का अध्ययन करने के लिए घटक आवृत्तियों और तरंग दैर्ध्य में प्रकाश को विभाजित करता है।
- आईआईए के वैज्ञानिक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और विदेश मंत्रालय से परामर्श कर रहे हैं कि क्या वे इस परियोजना को आगे बढ़ा सकते हैं।
2. जन्म के समय का लिंगानुपात थोड़ा सामान्य होता जा रहा है: अध्ययन
- प्यू रिसर्च सेंटर के एक अध्ययन के अनुसार, भारतीयों में “बेटे” के लिए वरीयता कम हो रही है।
- यह अनुमान लगाया गया है कि देश में “लापता” बच्चियों की औसत वार्षिक संख्या वर्ष 2010 में 4.8 लाख से घटकर वर्ष 2019 में 4.1 लाख हो गई हैं।
- शब्द “लापता” (missing) बालिकाओं के जन्म की संख्या को दर्शाता है,जो एक समय अवधि के दौरान होता हैं,यदि कोई महिला-चयनात्मक गर्भपात नहीं होता हैं तो।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2000 से 2019 के बीच महिला-चयनात्मक गर्भपात के कारण नौ करोड़ से अधिक बालिकाओं के जन्म का पता नहीं चला या वे “लापता” (missing) हो गए।
- 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत का लिंगानुपात प्रति 100 लड़कियों पर 111 लड़कों तक बढ़ गया था।
- हालांकि, प्यू की रिपोर्ट के अनुसार 2019-21 में लिंगानुपात घटकर प्रति 100 लड़कियों पर 108 लड़के रह गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. बृहस्पति ग्रह के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – कठिन)
- यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, जो मुख्य रूप से हाइड्रोजन एवं हीलियम गैसों से निर्मित है।
- ग्रह की एक प्रमुख विशेषता ग्रेट रेड स्पॉट है, जो मूल रूप से एक विशाल तूफान है।
- आयो, यूरोपा, गेनीमेड और टाइटन इस ग्रह के सबसे बड़े प्राकृतिक उपग्रह हैं।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है,और यह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से निर्मित है।
- कथन 2 सही है: ग्रेट रेड स्पॉट बृहस्पति ग्रह पर एक लंबे समय तक रहने वाली विशाल तूफान प्रणाली है और इसकी दृश्यमान बादल सतह इसकी सबसे प्रमुख विशेषता है।
- कथन 3 सही नहीं है: आयो, यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो बृहस्पति के चार मुख्य प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) हैं और ये गैलीलियन चंद्रमा कहलाते हैं।
- टाइटन शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा और सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है।
प्रश्न 2. नदियों और जलाशयों के निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए, जिनमें वे अंत में मिलती/समाहित होती हैं। (स्तर – कठिन)
नदी जलाशय/सागर में
- राइन उत्तरी सागर
- डेन्यूब काला सागर
- वोल्गा कैस्पियन सागर
- पो एड्रियाटिक सागर
उपर्युक्त में से कितने युग्म सुमेलित हैं/हैं?
(a) केवल एक युग्म
(b) केवल दो युग्म
(c) केवल तीन युग्म
(d) उपर्युक्त सभी युग्म
उत्तर: d
व्याख्या:
- जोड़ी 1 सही है: राइन नदी उत्तरी सागर में मिल जाती है।
- जोड़ी 2 सही है: जर्मनी में उत्पन्न होने वाली डेन्यूब दक्षिण-पूर्व में बहती है और काला सागर में गिरती है।
- जोड़ी 3 सही है: वोल्गा नदी कैस्पियन सागर में गिरती है।
- जोड़ी 4 सही है, पो नदी जो इटली की सबसे लंबी नदी है, एड्रियाटिक सागर में गिरती है।
प्रश्न 3. तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं। (स्तर – मध्यम)
- इसका निर्माण चीन द्वारा किया जा रहा है तथा इसे पृथ्वी की मध्यम कक्षा (medium earth orbit) में स्थापित किया जाएगा।
- यह एकमात्र अन्य अंतरिक्ष स्टेशन है, जो अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के अलावा कही और संचालित है।
- पूर्ण होने के बाद यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से भी बड़ा होगा।
विकल्प:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 1, 2 और 3
(c) केवल 2
(d) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है: तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण चीन द्वारा किया जा रहा है और इसे पृथ्वी की निचली कक्षा (medium low orbit) में स्थापित किया जाएगा।
- कथन 2 सही नहीं है: 1971 के बाद से, पृथ्वी के चारों ओर एक निचली कक्षा में लॉन्च किए गए 12 अंतरिक्ष स्टेशनों ने लम्बे समय के लिए अंतरिक्ष को घेर लिया या व्यस्त कर दिया।
- कुछ महत्वपूर्ण अंतरिक्ष स्टेशनों में सैल्यूट, स्काईलैब, मीर, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन और तियांगोंग शामिल हैं।
- कथन 3 सही नहीं है: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन की तुलना में बहुत बड़ा है।
प्रश्न 4. निर्माणाधीन विझिंजम डीपवाटर सीपोर्ट (Vizhinjam Deepwater Seaport) निम्नलिखित में से किस राज्य में स्थित है? (स्तर-सरल )
(a) तमिलनाडु
(b) केरल
(c) कर्नाटक
(d) आंध्र प्रदेश
उत्तर: b
व्याख्या:
- विझिंजम इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट केरल सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी परियोजना है।
- इसका निर्माण त्रिवेंद्रम में अरब सागर के तट पर किया जा रहा है।
प्रश्न 5. कभी-कभी मीडिया में ‘डेनिसोवन (Denisovan)’ शब्द का उल्लेख किस संदर्भ में किया जाता है? (PYQ (2019)) (स्तर – कठिन)
(a) डायनासोर के प्रकार का जीवाश्म
(b) प्रारंभिक मानव प्रजाति
(c) उत्तर-पूर्वी भारत में पाई गई गुफा प्रणाली
(d) भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास का भूविज्ञानी काल
उत्तर: b
व्याख्या:
- डेनिसोवन्स एक विलुप्त प्रजाति या जीनस होमो में पुरातन मनुष्यों की उप-प्रजातियां हैं,जो निम्न और मध्य पुरापाषाण युग के दौरान पूरे एशिया में फैली हुई थीं।
- परमाणु डीएनए निएंडरथल के साथ डेनिसोवन्स की घनिष्ठता को इंगित करता है और वे कुछ क्षेत्रों में उनके साथ सह-अस्तित्व के लिए जाने जाते हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. कुछ महत्वपूर्ण समस्याओं को हल करने की सभी वृहद संभावनाओं के बावजूद, 5G की कुछ समस्याएं भी है। कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
प्रश्न 2. राष्ट्र में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए सरकार और समाज की ओर से एक बड़े प्रोहत्साहन की आवश्यकता है। विस्तार से समझाये। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – विज्ञान)