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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 25 November, 2022 UPSC CNA in Hindi

25 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. रूस के परमाणु आइसब्रेकर और आर्कटिक का सैन्यीकरण:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. राज्यों के बीच सीमा विवाद:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौता:

शासन:

  1. ओटीटी (संचार सेवाएं) और मसौदा भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. बर्लंग यात्रा (Burlang Yatra):

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान सुरक्षा नियम, 2022 के मसौदे को अधिसूचित किया:
  2. जुलाई-सितंबर में बेरोजगारी दर मामूली स्थार पर गिरकर 7.2% हुई: सर्वेक्षण
  3. घरेलू मांग वैश्विक मंदी से निर्यात में आई कमी को दूर करने में मदद करेगी: मंत्रालय

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

रूस के परमाणु आइसब्रेकर और आर्कटिक का सैन्यीकरण:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: आर्कटिक काउंसिल/परिषद् से सम्बंधित तथ्य।

मुख्य परीक्षा: रूस के लिए आइसब्रेकर का महत्व, आर्कटिक क्षेत्र के लिए देशों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा और भारत की आर्कटिक नीति।

संदर्भ:

  • हाल ही में रूस ने सेंट पीटर्सबर्ग में अपने दो परमाणु-संचालित आइसब्रेकर का अनावरण किया है और दावा किया कि इन आइसब्रेकरों का “रणनीतिक महत्व” है।

विवरण:

  • अनावरण किए गए दो आइसब्रेकरों में से 173.3 मीटर के याकुटिया (Yakutia) की विस्थापन क्षमता 33,540 टन तक है, यह तीन मीटर तक की बर्फ को तोड़ने में सक्षम है और इसके 2024 में सेवा में शामिल होने की उम्मीद है।
  • रूस द्वारा ध्वजारोहण समारोह यूराल (Ural) नामक एक अन्य पोत के लिए भी हुआ, जिसके दिसंबर 2022 में परिचालित होने की उम्मीद है।
  • रूस के पास इसी श्रृंखला के दो अन्य आइसब्रेकर पहले से ही सेवारत हैं जिनका नाम आर्कटिका (Arktika) और सिबिर (Sibir) हैं।
  • चुकोटका (Chukotka) नाम के एक और आइसब्रेकर के वर्ष 2026 में सेवा में आने की उम्मीद है।
  • इसके अलावा, एक सुपर-शक्तिशाली परमाणु रोसिया आइसब्रेकर 2027 तक पूरा हो जाएगा, जिसकी विस्थापन क्षमता 71,380 टन तक है और इसकी लम्बाई 209-मीटर है तथा यह चार मीटर मोटी बर्फ को तोड़ने में सक्षम है।

रूस के आइसब्रेकर का महत्व:

  • आइसब्रेकर बहुत अधिक सामरिक महत्व प्राप्त कर रहे हैं क्योंकि जलवायु परिवर्तन आर्कटिक क्षेत्र को एक अन्य आकार दे रहा है और सिकुड़ती आइस कैप के कारण नए समुद्री मार्ग खुल रहे हैं।
  • अतीत में रूसी राष्ट्रपति ने उत्तरी समुद्री मार्ग के महत्व के बारे में बात की थी जो स्वेज नहर के माध्यम से वर्तमान मार्ग की तुलना में एशिया तक पहुंचने के लिए आवश्यक समय को लगभग दो सप्ताह कम करने में मददगार साबित होगा।
    • उत्तरी समुद्री मार्ग को विकसित करने के उद्देश्य से, रूस ने जुलाई 2022 में अपने नौसैनिक सिद्धांत को अद्यतित किया गया था, जिसमें स्पिट्सबर्गेन, फ्रांज जोसेफ लैंड और नोवाया ज़ेमल्या द्वीपसमूह तथा रैंगल द्वीप पर नौसैनिक गतिविधियों में विविधता लाने और उन्हें बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।
  • सोवियत-युग के कई आर्कटिक सैन्य ठिकानों को रूस में फिर से सक्रिय करने और उनकी क्षमताओं को उन्नत करने में आइसब्रेकर द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाए जाने की उम्मीद है।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से रूस अपनी नौसैनिक युद्ध क्षमताओं को मजबूत करना चाहता है और अंतरराष्ट्रीय जल में अपने हितों को साधने के लिए सैन्य साधनों को नियोजित करने के लिए अपनी उच्च तत्परता की घोषणा की, और रूस ने खुले समुद्र में अपनी नौसैनिक उपस्थिति बढ़ाने के अपने इरादे पर भी प्रकाश डाला है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस पहलू में आइसब्रेकर भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगें।
  • इसके अलावा, आर्कटिक क्षेत्र रूस के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यमल (Yamal) प्रायद्वीप पर तरलीकृत प्राकृतिक गैस संयंत्र सहित इसके विशाल तेल और गैस संसाधन इस क्षेत्र में स्थित हैं।

आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा:

  • आर्कटिक में पिघलते आइस कैप का लाभ उठाने के लिए आर्कटिक देशों और निकट-आर्कटिक देशों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना बढ़ी है।
  • क्षेत्र में रूस द्वारा सैन्य आधुनिकीकरण ने अन्य आर्कटिक देशों को इस अभियान में शामिल होने के लिए प्रेरित किया है।
  • साथ ही, रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनज़र, कनाडा, डेनमार्क, फ़िनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और अमेरिका जैसे देशों ने घोषणा की है कि वे आर्कटिक परिषद ( Arctic Council) और उसके सहायक निकायों की सभी बैठकों में भागीदारी को अस्थायी रूप से रोक देंगे।
  • उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) अब आर्कटिक क्षेत्र में नियमित अभ्यास कर रहा है।
  • इसके साथ ही यूरोपीय देश और नाटो के अन्य सहयोगी देश इस क्षेत्र में अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के लिए निवेश कर रहे हैं।
  • अन्य विकसित देश जिनकी आर्कटिक क्षेत्र तक कोई सीधी पहुँच नहीं है, वे इस क्षेत्र तक पहुँच प्राप्त करने के लिए विभिन्न राजनीतिक और सैन्य रणनीतियाँ अपना रहे हैं।
  • इसके अलावा, चीन जो खुद को आर्कटिक का निकट देश मानता है, ने यूरोप से जुड़ने के लिए “ध्रुवीय रेशम मार्ग” (polar silk route) योजना की घोषणा की है, और चीन ने विशाल आइसब्रेकर के विकास की भी घोषणा की है।
  • चीन ने इस क्षेत्र में अपने लिए समर्थन हासिल करने के लिए आर्कटिक देशों के साथ कई वैज्ञानिक अध्ययन भी किए हैं।

आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के प्रमुख कारण:

  • प्रादेशिक विवाद: रूस, नॉर्वे, डेनमार्क, कनाडा और अमेरिका जैसे आर्कटिक सीमावर्ती देशों के बीच प्रादेशिक दावे और विवाद आम घटना हैं।

चित्र स्रोत: Business Insider

  • प्राकृतिक संसाधन: यह क्षेत्र तेल और प्राकृतिक गैस के बड़े भंडार के लिए जाना जाता है, जहां दुनिया के लिए अभी तक अछूते (जिनका अभी तक दोहन नहीं किया गया है) तेल और प्राकृतिक गैस के क्रमशः लगभग 13% और 30% भंडार हैं।
  • जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ के पिघलने और घटते ऊर्जा संसाधनों ने इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ा दी है।
  • नए समुद्री मार्गों का उद्भव: आइस कैप्स के पिघलने और बर्फ के आवरण में आई कमी ने नए शिपिंग (नौपरिवहन) मार्गों के लिए नई संभावनाएं खोल दी है जो मौजूदा स्वेज और पनामा नहर मार्गों की तुलना में शिपिंग (नौपरिवहन) मार्गों के समय को काफी कम कर सकते हैं।

चित्र स्रोत: Business Insider

आर्कटिक क्षेत्र में भारत के हित एवं हस्तक्षेप:

  • भारत ने अपने आर्कटिक अनुसंधान कार्यक्रम को वर्ष 2007 में शुरू किया था और अब तक भारत द्वारा लगभग 13 अभियान चलाए जा चुके हैं।
  • हाल ही में मार्च 2022 में, भारत ने “भारत और आर्कटिक: सतत विकास के लिए साझेदारी का निर्माण” (“India and the Arctic: building a partnership for sustainable development”) नामक अपनी पहली आर्कटिक नीति की घोषणा की।
  • भारत आर्कटिक परिषद के पर्यवेक्षक राज्यों में से एक है और आर्कटिक में सहयोग को बढ़ावा देने वाले अंतर-सरकारी मंच का नेतृत्व कर रहा है।
  • भारत की आर्कटिक नीति से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:India’s Arctic Policy

सारांश:

  • आर्कटिक क्षेत्र और वहां के प्राकृतिक संसाधनों की वजह से विभिन्न देशों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है जिसके वजह से इस क्षेत्र का तेजी से सैन्यीकरण भी हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग जो एक अभूतपूर्व दर से हो रही है, उससे प्रतिस्पर्धा में और तेजी आने की आशंका है और आर्कटिक क्षेत्र अगला भू-राजनीतिक आकर्षण का केंद्र होगा क्योंकि राष्ट्रों के पर्यावरण, आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य हित टकराव के केंद्र बिंदु होंगे।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

राज्यों के बीच सीमा विवाद:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: अंतर-राज्यीय संबंध ।

मुख्य परीक्षा: अंतरराज्यीय सीमा विवाद से संबंधित मुद्दे।

संदर्भ:

  • हाल ही में, असम और मेघालय की सीमा से लगे क्षेत्र में असम पुलिस और भीड़ के बीच झड़प के दौरान छह लोग मारे गए थे।

संदर्भ:

  • 22 नवंबर, 2022 को दो राज्यों के बीच सीमा पर गोलीबारी की घटना में मेघालय के पांच ग्रामीणों और असम के एक वन रक्षक की मौत हो गई और अन्य दो गंभीर रूप से घायल हो गए।
  • हत्याएं दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दूसरे चरण की बातचीत से पहले हुई हैं।
  • दोनों राज्यों ने हिंसा के लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है और दोनों राज्यों ने अलग-अलग जांच शुरू कर दी है।

असम-मेघालय सीमा विवाद:

  • असम और मेघालय के बीच 884 किलोमीटर की साझा सीमा के 12 हिस्सों में पांच दशक पुराना सीमा विवाद है।
  • 1970 में असम से एक स्वायत्त क्षेत्र के रूप में बना मेघालय, 1972 में एक पूर्ण राज्य बन गया।
    • इसकी सीमाओं को 1969 के असम पुनर्गठन (मेघालय) अधिनियम के अनुसार सीमांकित किया गया था, लेकिन तब से सीमा की एक अलग व्याख्या की गई है।
  • 2011 में, मेघालय सरकार ने असम के साथ विवादित 12 क्षेत्रों की पहचान की थी, जो लगभग 2,700 वर्ग किमी में फैला हुआ था।
  • असम और मेघालय के बीच विवाद का एक प्रमुख बिंदु असम के कामरूप जिले की सीमा से लगे पश्चिम गारो हिल्स में लंगपीह जिला है।
    • लंगपीह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान कामरूप जिले का हिस्सा था लेकिन आजादी के बाद यह गारो हिल्स और मेघालय का हिस्सा बन गया।
  • मार्च 2022 में, असम और मेघालय ने अपनी 884.9 किलोमीटर की सीमा के साथ ऐसे कुल 12 स्थानों में से छह पर सीमा विवाद सुलझा लिया है, और अगले दौर की वार्ता जल्द ही होने वाली थी।
    • हस्ताक्षर किए गए समझौते ने शेष छह क्षेत्रों में मतभेदों को हल करने के लिए मंच तैयार किया था।
  • समझौते में असम के कामरूप, कामरूप (मेट्रो) और कछार जिलों और मेघालय के पश्चिम खासी हिल्स, री-भोई और पूर्वी जयंतिया हिल्स जिलों के तहत ताराबाड़ी, गिजांग, हाहिम, बोकलापारा, खानापारा-पिल्लंगकाटा और राताचेर्रा शामिल थे।

चित्र स्रोत: Northeast Now

उत्तर पूर्व भारत में इसी तरह के अन्य विवाद:

  • असम में अलग-अलग समय पर इससे बने अलग-अलग राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय और मिजोरम – के साथ सीमा विवाद रहे हैं।
  • मेघालय और मिजोरम के साथ असम के सीमा विवाद फिलहाल बातचीत के जरिए समाधान के चरण में हैं।
  • वर्षों से पूर्वोत्तर में राज्य की सीमाओं पर संघर्षों में दर्जनों लोग मारे गए हैं।
    • 2021 में, असम और मिजोरम के पुलिस बल आपस में भिड़ गए, जिसमें असम की ओर से पांच लोग मारे गए।
  • समुदायों के पारंपरिक शिकार, चराई और खेती के मैदान कई स्थानों पर आधुनिक प्रशासनिक सीमाओं के कारण विभाजित हो गए। जब नए राज्यों का गठन हुआ, तो ऐसी चिंताओं ने और अधिक गंभीर रूप धारण कर लिया।

इस विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: Assam-Mizoram Boundary Dispute

भावी कदम:

  • केंद्रीय गृह मंत्री ने असम से उन पुराने विवादों को सुलझाने का नेतृत्व करने के लिए कहा था, जिनकी उत्पत्ति औपनिवेशिक काल में हुए विभाजन के कारण हुई थी, जिसमें स्थानीय समुदायों के जीवन के पैटर्न की अनदेखी की गई थी।
  • एक साझा राजनीतिक दल (बीजेपी) पूर्वोत्तर के ज्यादातर हिस्सों में सत्तारूढ़ है और इस क्षेत्र में सभी शेष विवादों के व्यापक समाधान करना इसका लक्ष्य है।
  • समुदायों को विश्वास में लेना होगा और सीमाओं को समायोजित करना होगा।
  • लेन-देन के दृष्टिकोण को अपनाकर, असम और मेघालय ने प्रदर्शित किया है कि यदि समझौते पर पहुंचने की इच्छा हो तो जटिल सीमा मुद्दों को हल किया जा सकता है।
  • वास्तविक सीमा अवस्थितियों के लिए उपग्रह मानचित्रण का उपयोग करके राज्यों के बीच सीमा विवादों को भी सुलझाया जा सकता है।
  • इन सीमा रेखाओं को आजीविका अर्जित करने वाले लोगों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

सारांश:

  • हाल ही में असम और मेघालय के बीच विवादित सीमा पर असम पुलिस और भीड़ के बीच हिंसक झड़प हुई थी। कई उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच सीमा विवाद मुख्य रूप से अविश्वास और पूर्वोत्तर में अंतर्निहित संघर्षों के कारण हैं जो ऐसी घटनाओं को और गहरा करते हैं।

भारत-ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौता:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत को शामिल करने वाले और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय समझौते।

मुख्य परीक्षा: वैश्विक संदर्भ में मुक्त व्यापार समझौतों का महत्व।

संदर्भ:

  • ऑस्ट्रेलियाई संसद ने हाल ही में भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते को मंजूरी दी है।

भूमिका:

  • भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (AI-ECTA) को हाल ही में ऑस्ट्रेलियाई संसद द्वारा अनुमोदित किया गया था। भारत में, ऐसे समझौते केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किए जाते हैं।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया परस्पर सहमत तिथि पर एफटीए को लागू करेंगे। समझौते पर दोनों पक्षों ने अप्रैल 2022 में हस्ताक्षर किए थे।
  • इससे भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी।
  • ECTA 30 दिनों (या अन्य पारस्परिक रूप से सहमत समय) के बाद लागू होगा जब संबंधित पक्ष लिखित रूप से पुष्टि करेंगे कि उन्होंने अपनी घरेलू आवश्यकताओं को पूरा कर लिया है।
  • यह पहला FTA है जिसे भारत ने एक दशक से अधिक समय में एक प्रमुख विकसित देश के साथ हस्ताक्षरित किया है।

प्रमुख लाभ:

  • समझौते के तहत, ऑस्ट्रेलिया पहले दिन से लगभग 96.4% निर्यात (मूल्य के आधार पर) के लिए भारत को शून्य-शुल्क पहुंच प्रदान कर रहा है। इसमें ऐसे कई उत्पाद शामिल हैं जिन पर ऑस्ट्रेलिया में वर्तमान में 4-5% सीमा शुल्क लगता है।
  • श्रम-केंद्रित क्षेत्रों में कपड़ा और परिधान, कुछ कृषि और मछली उत्पाद, चमड़ा, जूते, फर्नीचर, खेल के सामान, आभूषण, मशीनरी, बिजली के सामान और रेलवे वैगन शामिल हैं।
  • ऑस्ट्रेलिया ने आईटी, आईटीईएस, व्यापार सेवाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा और ऑडियो विजुअल जैसे भारतीय हित के प्रमुख क्षेत्रों सहित सेवाओं में व्यापार के संबंध में लगभग 135 उप क्षेत्रों में व्यापक प्रतिबद्धताओं की पेशकश की है।
  • भारत अपनी 70% से अधिक टैरिफ लाइनों पर ऑस्ट्रेलिया को तरजीही पहुंच की पेशकश करेगा, जिसमें ऑस्ट्रेलिया को निर्यात ब्याज की लाइनें शामिल हैं जिसमें मुख्य रूप से कच्चा माल और मध्यस्थ वस्तुएँ जैसे कि कोयला, खनिज अयस्क और वाइन आदि शामिल हैं।
  • आईटी/आईटीईएस से संबंधित दोहरे कराधान के तहत एक लंबे समय से लंबित मुद्दे को इस समझौते के तहत सुलझा लिया गया है जो उद्योग संघों से प्राप्त अनुमानों के अनुसार प्रति वर्ष 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की वित्तीय बचत प्रदान करेगा।
  • ईसीटीए के परिणामस्वरूप अनुमानित 10 लाख नौकरियां सृजित होने की उम्मीद है।

सामरिक महत्व:

  • ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ, भारत ने त्रिपक्षीय आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल (SCRI) का गठन किया है।
  • इसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र की आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना, आपूर्ति के विश्वसनीय स्रोत विकसित करना और निवेश आकर्षित करना है।
  • इसका उद्देश्य क्षेत्र में एफडीआई (FDI) को आकर्षित करना और प्रतिभागियों के परस्पर लाभकारी संबंधों को मजबूत करना भी है।
  • क्वाड का गठन संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान द्वारा आपसी चिंता के विभिन्न मुद्दों पर सहयोग में सुधार और साझेदारी विकसित करने के लिए किया गया था।
  • जबकि दोनों देश हाल ही में गठित चार-राष्ट्रों के क्वाड, त्रिपक्षीय आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल और हिन्द-प्रशांत आर्थिक मंच (IPEF) का हिस्सा हैं, द्विपक्षीय व्यापार सौदा ‘चीन प्लस वन’ रणनीति की ओर आकर्षित होने वाले अन्य देशों के लिए भारत की साख के बारे में एक मजबूत सकारात्मक संकेत है।

इस विषय के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: India-Australia Economic Cooperation and Trade Agreement (ECTA)

सारांश:

  • हाल ही में स्वीकृत भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता (ECTA) भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देगा और भारत में आने वाले ऑस्ट्रेलियाई निवेशों द्वारा नौकरियों की संभावना खोलेगा। इसके अलावा, समझौते से भारत और ऑस्ट्रेलिया जैसे मित्रवत लोकतांत्रिक देश के बीच भू-राजनीतिक साझेदारी में सुधार होगा और यह भारत की समग्र वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सुधार करेगा।

ओटीटी (संचार सेवाएं) और मसौदा भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

मुख्य परीक्षा: भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे की मुख्य विशेषताएं और महत्व।

संदर्भ:

  • संघ सरकार ने भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे (draft Indian Telecommunication Bill, 2022) को सार्वजनिक डोमेन में रखा है।

भूमिका:

  • प्रस्तावित विधेयक का उद्देश्य दूरसंचार क्षेत्र के संचालन के तरीके में व्यापक बदलाव लाना है।
  • नया कानून तीन मौजूदा कानूनों की जगह लेगा:
    • भारतीय तार अधिनियम, 1885
    • भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933
    • द टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी परिग्रह) अधिनियम, 1950
  • मसौदा विधेयक भविष्य के लिए तैयार एक नए कानूनी ढांचे की आवश्यकता को ध्यान में रखता है।
  • ओटीटी और संचार ऐप जैसे व्हाट्सएप, सिग्नल, टेलीग्राम इत्यादि जो वॉइस या वीडियो कॉलिंग सेवा प्रदान करते हैं, इस विधेयक के दायरे में आएंगे, लेकिन हल्के विनियमन के माध्यम से।
  • कानून दूरसंचार में नवाचार और तकनीकी विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए एक सक्षम ढांचा भी प्रदान करता है। इसके अलावा, यह अवांछित कॉल और संदेशों द्वारा उपयोगकर्ताओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए कानूनी ढांचे को सक्षम बनाता है।

मसौदा विधेयक में ओटीटी प्रावधान:

  • मसौदा विधेयक में “समान सेवा, समान नियम” के सिद्धांत के आधार पर ओवर द टॉप या ओटीटी (संचार सेवाएं) को इसके दायरे में शामिल किया गया है।
  • ओवर-द-टॉप (ओटीटी) संचार सेवाएं वे सेवाएं हैं जो रियल टाइम में व्यक्ति-से-व्यक्ति दूरसंचार सेवाएं प्रदान करती हैं।
    • उदाहरण: ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म जैसे कि व्हाट्सएप, टेलीग्राम, मैसेंजर, गूगल मीट आदि।
  • ये सर्विस प्लेटफॉर्म दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (टीएसपी) जैसे कि जियो, वोडाफ़ोन-आईडिया और एयरटेल के नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग करते हैं और विभिन्न सेवाओं की सुविधा प्रदान करते हैं जिनमें वास्तव में इन दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के बीच प्रतिस्पर्धा होती। इन सेवाओं में ऑनलाइन वॉइस कॉल, वीडियो कॉल और मैसेजिंग सेवाएं शामिल हैं।
    • दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने चिंता जताई है कि यह सुविधाएं उनके लिए हानिकारक हैं क्योंकि ये सुविधाएं उनके राजस्व के स्रोतों को प्रभावित करती हैं और इन ओटीटी सेवा प्लेटफार्मों को बुनियादी ढांचे और लाइसेंसिंग लागतों के लिए अधिदिष्ट नहीं किया गया है जिनकी जिम्मेदारी टीएसपी के ऊपर है।
    • दूरसंचार सेवा प्रदाताओं ने सरकार से ओटीटी सेवाओं के साथ समानता स्थापित करने की मांग की है।
  • नवीनतम मसौदा विधेयक ओटीटी संचार सेवाओं को शामिल करने के लिए “दूरसंचार सेवाओं” की परिभाषा को व्यापक बनाता है।
    • इसका मतलब यह है कि ओटीटी दूरसंचार सेवाएं भी टीएसपी के समान लाइसेंसिंग शर्तों के अधीन हो सकती हैं।
    • मौजूदा ढांचे के अनुसार, टीएसपी को देश में दूरसंचार सेवाएं प्रदान करने के लिए यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस (यूएएसएल) जारी करना आवश्यक है।
    • यदि ओटीटी सेवा प्लेटफार्मों को समान लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है, तो वे विभिन्न शर्तों के अधीन होंगे जैसे उपयोगकर्ताओं के “अपने ग्राहक को जानें” विवरण एकत्र करना, एन्क्रिप्शन नियमों का पालन करना और सरकार के लिए उपकरण और नेटवर्क तक कानूनी पहुंच प्रदान करना।
  • ओटीटी की अनुपस्थिति दूरसंचार कंपनी के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करने में कोई बाधा नहीं है। ओटीटी संचार सेवाएं मूल्य वर्धित संचार सेवाएं हैं जो दूरसंचार कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली बुनियादी संचार सेवाओं पर निर्भर करती हैं।
  • ओटीटी संचार सेवाएं पहले से ही मौजूदा आईटी अधिनियम के तहत शामिल हैं और संभवत: प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत यथावत ही रहेंगी।
  • ओटीटी विनियमित हो सकते हैं और हैं भी लेकिन लाइसेंस-प्राप्त या पूर्व-अधिकृत नहीं हैं।
  • प्रस्तावित दूरसंचार विधेयक और वर्तमान टेलीग्राफ अधिनियम इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि दूरसंचार सेवाओं का प्रावधान सरकार का एकमात्र विशेषाधिकार है सिवाय इसके कि निजी संस्थाओं को अनुमति दी जाती है।
    • यह रचनात्मकता, नवाचार, नए उत्पादों और उद्यम पूंजी निधिकरण को सक्षम और प्रोत्साहित करता है।
  • टेलीकॉम बिल केवल भारत-आधारित ओटीटी भागीदारों को प्रभावित करेगा, न कि विदेशों से काम करने वालों को। यह भारतीय सेवा प्रदाताओं को उनके विदेशी प्रतिस्पर्धियों की तुलना में गंभीर रूप से अक्षम कर देगा।

सारांश:

  • मसौदा भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 को दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम कहा जाता है क्योंकि यह क्षेत्र में नवीनतम प्रगति और नई चुनौतियों के साथ बने रहने का अवसर प्रदान करता है। विधेयक के दायरे में ओटीटी संचार सेवा प्रदाताओं को शामिल करना एक बहुत ही दोषपूर्ण विचार है क्योंकि यह ऊर्जा, नवाचार और वित्त पोषण से समझौता कर सकता है जो आज भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम की विशेषता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1.बर्लंग यात्रा (Burlang Yatra):

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भारतीय कला एवं संस्कृति और समाज।

विषय: भारतीय समाज की मुख्य विशेषताएँ-भारत की विविधता।

प्रारंभिक परीक्षा: बर्लंग यात्रा उत्सव और कुटिया कोंध जनजाति से सम्बंधित तथ्य।

संदर्भ:

  • ऐसे समय में जब राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष (IYOM)-2023 द्वारा पौष्टिक बाजरा का पुनरुद्धार ध्यान आकर्षित कर रहा है, ओडिशा की कुटिया कोंध (Kutia Kondh) जनजाति अपने बर्लंग यात्रा उत्सव (Burlang Yatra festival) के माध्यम से बाजरे को जीवित रखने और मुख्यधारा में लाने में योगदान दे रही है।

बर्लंग यात्रा (Burlang Yatra):

  • बर्लंग यात्रा कुटिया कोंध जनजाती का एक वार्षिक पारंपरिक त्योहार है।
  • इस त्योहार के दौरान, समुदाय की महिलाएं धान, दाल, बाजरा, सब्जियां आदि के बीजों की पूजा करती हैं और गीतों और नृत्यों के उत्सव के माध्यम से इनका आदान-प्रदान करती हैं।
  • त्योहार की शुरुआत महिला किसानों द्वारा स्वदेशी बीजों, जड़ों और जड़ी-बूटियों से भरे मिट्टी के बर्तनों को सिर पर रखकर पारंपरिक तरीके से ढोल, सींग और झांझ की थाप पर नाचने से होती है। ये स्वदेशी सामग्री क्षेत्र की कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल होती है।
  • इस त्योहार पर किसानों द्वारा आपस में स्वदेशी और लुप्तप्राय बाजरा बीजों की बड़ी किस्मों जैसे सून (little millet), फॉक्सटेल बाजरा, और ज्वार, रागी का आदान-प्रदान किया जाता है।
  • इस पारंपरिक आदिवासी त्योहार के परिणामस्वरूप अब ओडिशा के कंधमाल जिले के तुमुदीबांध ब्लॉक में वर्ष 2011 में केवल पांच प्रकार की तुलना में लगभग 12 प्रकार के बाजरे की खेती होने लगी है।
  • हाल ही में बाजरा के प्रचार के लिए स्थापित एक मंच, निर्माण और मिलेट नेटवर्क ऑफ इंडिया (NIRMAN and the Millet Network of India (MINI)) ने सहयोग किया है और बाजरा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर बर्लंग यात्रा का आयोजन करना शुरू कर दिया है।

कुटिया कोंध जनजाति (Kutia Kondh tribes):

  • कुटिया कोंध ओडिशा राज्य के कालाहांडी जिले में पाए जाने वाले विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (particularly vulnerable tribal groups (PVTGs)) का एक समूह है।
  • कुटिया कोंध, कोंध जनजाति के सबसे आदिम समूहों में से एक हैं।
  • कुटिया कोंध मुख्य रूप से झूम खेती (स्लैश-एंड-बर्न), जिसे वे “डोंगर छाछ या पोडू छाछ” कहते हैं, लघु कृषि उत्पादों की खेती, पशुपालन और गैर-काष्ठ वनोपज (NTFP) के संग्रह पर निर्भर हैं।
  • अन्य कोंध समूहों की तरह, कुटिया कोंध भी प्रकृति की पूजा करते हैं और समूह के सदस्य बारी-बारी से अपनी बस्तियों के आसपास के जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा करते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान सुरक्षा नियम, 2022 के मसौदे को अधिसूचित किया:

  • नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने विमान सुरक्षा नियम, 2022 के मसौदे को अधिसूचित किया है, एक बार इन नए मसौदा नियमों को मंजूरी मिलने के बाद नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) को उन हवाईअड्डों और एयरलाइनों पर ₹50 लाख से ₹1 करोड़ तक का जुर्माना लगाने का अधिकार मिल जाएगा, जो सुरक्षा कार्यक्रम तैयार करने और लागू करने में विफल रहते हैं, या सुरक्षा मंजूरी मांगे बिना अपना संचालन शुरू करते हैं।
    • इन मसौदा नियमों के अनुसार BCAS किसी इकाई की हवाईअड्डा सुरक्षा मंजूरी और सुरक्षा कार्यक्रम को निलंबित या रद्द भी कर सकता है।
  • इन मसौदा नियमों में साइबर सुरक्षा खतरों के मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रत्येक इकाई को अपनी सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्रणालियों को अनधिकृत उपयोग से बचाने के लिए संवेदनशील विमानन सुरक्षा जानकारी के प्रकटीकरण को भी प्रतिबंधित किया गया हैं।
  • मसौदा नियम हवाई अड्डों को “गैर-प्रमुख क्षेत्रों” में CISF कर्मियों के बजाय निजी सुरक्षा एजेंटों को नियुक्त करने और राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति, 2016 (National Civil Aviation Policy, 2016) के अनुसार सुरक्षा कर्तव्यों को सौंपने के लिए भी अधिकृत करते हैं।
  • मसौदा नियम एक बार स्वीकृत हो जाने के बाद विमान सुरक्षा नियम, 2011 की जगह ले लेंगे और यह आवश्यक भी था क्योंकि संसद ने विमान संशोधन अधिनियम, 2020 (Aircraft Amendment Act, 2020) को अधिनियमित किया था, जिसने BCAS, नागरिक उड्डयन महानिदेशक (DGCA) और विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) को वैधानिक शक्तियां प्रदान की थीं।
    • अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO),( International Civil Aviation Organisation (ICAO)) जो संयुक्त राष्ट्र का विमानन प्रहरी है, द्वारा किसी भी वैधानिक शक्तियों के बिना काम करने वाले तीन नियामकों के बारे में चिंता जताने के बाद संशोधन आवश्यक हो गया था।

2. जुलाई-सितंबर में बेरोजगारी दर मामूली गिरकर 7.2% हुई: सर्वेक्षण

चित्र स्रोत: The Hindu

  • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी नवीनतम आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) (Periodic Labour Force Survey (PLFS)) के अनुसार, जुलाई-सितंबर में 15 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए शहरी बेरोजगारी दर पिछली तिमाही में 7.6% और 2021 में 9.8% से घटकर 7.2% हो गई है।
  • ज्ञातव्य हैं कि आवधिक श्रमबल के 16वें सर्वेक्षण (PLFS) के अनुसार शहरी क्षेत्रों में अप्रैल-जून 2022 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए बेरोजगारी दर 7.6 प्रतिशत थी।
    • बेरोजगारी अनुपात को श्रम बल में शामिल व्यक्तियों के बीच बेरोजगार व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • जुलाई-सितंबर 2021 में बेरोजगारी दर पुरुषों और महिलाओं के लिए क्रमशः 9.3% और 11.6% की तुलना में हाल के सर्वेक्षण में क्रमशः 6.6% और 9.4% पाई गई हैं।
    • श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) जिसे जनसंख्या में काम में नियोजित व्यक्तियों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है, में वर्ष 2021 के आंकड़ों की तुलना में मामूली वृद्धि देखी गई है।
    • जुलाई-सितंबर 2022 में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए शहरी क्षेत्रों में श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) 44.5% पाया गया जो वर्ष 2021 में 42.3% से मामूली वृद्धि को दर्शाता हैं।
    • पुरुषों और महिलाओं के बीच श्रमिक जनसंख्या अनुपात (WPR) वर्ष 2022 में क्रमशः 68.6% और 19.7% वर्ष 2021 के 66.6% और 17.6% की तुलना में अधिक हैं।
  • श्रम बल भागीदारी दर (LFPR) में भी वृद्धि देखी गई। LFPR को श्रम बल में उन लोगों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया जाता है जो कार्यरत हैं या काम की तलाश में हैं या काम करने के लिए उपलब्ध हैं।
    • शहरी क्षेत्रों में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए LFPR जुलाई-सितंबर 2022 में बढ़कर 47.9% हो गया, जबकि 2021 में यह 46.9% था।
    • वर्ष 2021 में पुरुषों और महिलाओं के बीच LFPR क्रमशः 73.5% और 19.9% की तुलना में वर्ष 2022 में 73.4% और 21.7% था।

3. घरेलू मांग वैश्विक मंदी से निर्यात में आई कमी को दूर करने में मदद करेगी: मंत्रालय

चित्र स्रोत: The Hindu

  • वित्त मंत्रालय के अनुसार उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती उधारी लागत और भू-राजनीतिक तनाव के कारण आई वैश्विक मंदी से भारत के निर्यात का दृष्टिकोण प्रभावित हो सकता हैं।
  • हालांकि लचीली होती घरेलू मांग और निवेश चक्र के फिर से सक्रिय होने से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने और नौकरियों में उछाल आने की उम्मीद बढ़ रही है।
  • वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक समीक्षा में यह माना है कि हाल के मुद्रास्फीति के दबावों को आयातित कारणों की तुलना में स्थानीय कारकों जैसे उच्च खाद्य कीमतों ने अधिक प्रेरित किया गया है, और अंतर्राष्ट्रीय पण्य कीमतों में कमी और खरीफ फसल की आवक के कारण इस तरह के दबावों की भरपाई भी हुई है।
  • भारत की खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल के बाद से दो महीनों में 7% के निशान को पार कर गई है और अक्टूबर में 6.8% पर पहुंच गई है।
  • वैश्विक व्यापार को प्रभावित करने वाले चीन में आई मंदी के कारण अक्टूबर में फरवरी 2021 के बाद पहली बार भारत का माल निर्यात भी संकुचित हुआ है।
  • वित्त मंत्रालय ने इस तथ्य को भी स्वीकार किया कि मनरेगा (MGNREGS) के तहत काम की मांग भी अक्टूबर में गिरकर 2022 के अपने न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं।
  • हालांकि, सितंबर और अक्टूबर में ट्रैक्टर की बिक्री में भारी वृद्धि “बेहतर भावनाओं और बुवाई क्षेत्र में अपेक्षित वृद्धि” को दर्शाती है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. खसरे के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. भारत ने 2019 में खसरे का सफलतापूर्वक निर्मूलन कर दिया हैं।
  2. खसरा एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है और यह वैश्विक स्तर पर छोटे बच्चों कि मृत्यु का एक कारण है।
  3. खसरे से होने वाली अत्यधिक मौतों का प्रमुख कारण इसके लिए अभी तक किसी भी टीके का अभाव है।

सही कूट का चयन कीजिए:

(a) एक कथन सही है

(b) दो कथन सही हैं

(c) सभी कथन सही हैं

(d) उपर्युक्त में से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है: भारत अभी भी खसरे का मुकाबला कर रहा है और यह अभी भी भारत में समाप्त नहीं हुआ है।
  • कथन 2 सही है: खसरा एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है। यह विश्व स्तर पर छोटे बच्चों की मृत्यु का एक महत्वपूर्ण कारण बना हुआ है।
  • कथन 3 सही नहीं है: खसरे के लिए टीके उपलब्ध हैं, लेकिन निम्न टीका कवरेज खसरे के कारण उच्च मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।

प्रश्न 2. सीडीआरआई (आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)

  1. यह अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के बाद भारत सरकार की दूसरी बड़ी वैश्विक पहल है, तथा यह जलवायु परिवर्तन और आपदा लचीलापन मुद्दों के सम्बन्ध में भारत की नेतृत्व क्षमता को दिखाता है।
  2. इसे वर्ष 2019 में शुरू किया गया था।
  3. सीडीआरआई का सचिवालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है।

सही कूट का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: सीडीआरआई भारत की दूसरी अंतरराष्ट्रीय जलवायु पहल है। प्रथम पहल अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) थी, जिसे वर्ष 2015 के पेरिस जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में लॉन्च किया गया था। यह जलवायु परिवर्तन और आपदा लचीलापन मुद्दों में भारत के नेतृत्व को प्रदर्शित करता है।
  • कथन 2 सही है: सीडीआरआई को भारत द्वारा 2019 में शुरू किया गया था।
  • कथन 3 सही है: सीडीआरआई का सचिवालय नई दिल्ली, भारत में स्थित है।

प्रश्न 3. भूकंप के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. वाडाती-बेनिऑफ क्षेत्र निम्नस्खलन का एक क्षेत्र है, जिसमें साथ भूकंप आना आम बात हैं हैं, जो एक महाद्वीपीय प्लेट के नीचे निमज्जित होने वाली महासागरीय पर्पटीय प्लेट की परस्पर क्रिया से उत्पन्न होते हैं।
  2. अल्पाइड भूकंप मेखला (मध्य महाद्वीपीय मेखला) हिमालय, भूमध्यसागर और अटलांटिक से होते हुए जावा से सुमात्रा तक फ़ैली हुई है।
  3. मध्य-अटलांटिक कटक का अधिकांश भाग गहरे पानी के भीतर है और मानवीय गतिविधियों से बहुत दूर है।

सही कूट का चयन कीजिए:

(a) कोई भी कथन सही नहीं है

(b) केवल एक कथन सही है

(c) केवल दो कथन सही हैं

(d) सभी कथन सही हैं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है:वाडाती (Wadati ) -बेनिऑफ क्षेत्र निम्नस्खलन का एक क्षेत्र है, जहाँ भूकंप आना आम बात है, जो एक महाद्वीपीय प्लेट के नीचे निमज्जित होने वाली महासागरीय पर्पटीय प्लेट की परस्पर क्रिया से उत्पन्न होते हैं।
  • कथन 2 सही है: अल्पाइड भूकंप मेखला (मध्य महाद्वीपीय मेखला) हिमालय, भूमध्यसागर और अटलांटिक से होते हुए जावा से सुमात्रा तक फ़ैली हुई है।
  • दुनिया में आने वाले सबसे बड़े भूकंपों का लगभग 17% हिस्सा इस बेल्ट में आता है।
  • कथन 3 सही है: मध्य-अटलांटिक कटक का अधिकांश भाग गहरे पानी के भीतर है और मानवीय गतिविधियों से बहुत दूर है।

प्रश्न 4. ‘मैनक्स’ (Manx), जिसे हाल ही में समाचारों में देखा गया है, संदर्भित करता है: (स्तर – मध्यम)

(a) नैरोबी में हाल ही में मिला डायनासोर का जीवाश्म

(b) एक प्राचीन भाषा

(c) एक क्षुद्रग्रह पर उतरने के लिए स्पेसएक्स का आगामी मिशन

(d) गहरे समुद्र (डीप ओशन) का अन्वेषण करने के लिए भारत का अधोजलीय जहाज

उत्तर: b

व्याख्या:

  • “मैनक्स” (Manx) सेल्टिक भाषा परिवार (Celtic language family) की द्वीपीय सेल्टिक शाखा की गेलिक भाषा (Gaelic language) है जो इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार की एक शाखा है।
  • मैनक्स, मैनक्स लोगों की ऐतिहासिक भाषा है,जो उत्तरी यूरोप में आयरिश सागर में आइल ऑफ मैन पर उत्पन्न होने वाले एक जातीय समूह से संबंधित हैं।

प्रश्न 5. संविधान के 42वें संशोधन द्वारा, ‘निम्नलिखित में से कौन-सा सिद्धांत राज्य की नीति के निदेशक तत्त्वों में जोड़ा गया था? (PYQ (2017)) (स्तर – सरल)

(a) पुरूष और स्त्री दोनों के लिए समान कार्य का समान वेतन।

(b) उद्योगों के प्रबंधन में कामगारों की सहभागिता ।

(c) काम, शिक्षा और सार्वजनिक सहायता पाने का अधिकार।

(d) श्रमिकों के लिए निर्वाह-योग्य वेतन एवं काम की मानवीय दशाएँ सुरक्षित करना।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • वर्ष 1976 के 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा मूल सूची में चार नए निर्देशक सिद्धांत जोड़े गए थे।
  • जिन्हे राज्य द्वारा किये जाने की आवश्यकता है:
  1. बच्चों के स्वस्थ विकास के अवसरों को सुरक्षित करना (अनुच्छेद 39)।
  2. समान न्याय को बढ़ावा देना और गरीबों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करना (अनुच्छेद 39 A)।
  3. उद्योगों के प्रबंधन में श्रमिकों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना (अनुच्छेद 43 A)
  4. पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना एवं वनों और वन्यजीवों की रक्षा करना (अनुच्छेद 48 A)।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. भारत का ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौता पारस्परिक रूप से लाभकारी है। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

प्रश्न 2.क्या गरीब देश स्वच्छ ऊर्जा की ओर परिवर्तन की कीमत वहन कर सकते हैं? समालोचनात्मक चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस III – पर्यावरण)