Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests - Download the BYJU'S Exam Prep App for free IAS preparation videos & tests -

UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 27 November, 2022 UPSC CNA in Hindi

27 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

संविधान:

  1. राष्ट्रपति मुर्मू तथा प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान का मसौदा तैयार करने में महिलाओं की भूमिका की सराहना की

सामाजिक न्याय:

  1. कम टीकाकरण कवरेज के कारण मुंबई में खसरे का प्रकोप

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

  1. उद्योग जगत ने चीन पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार से ‘इंडिया रेयर अर्थ्स मिशन’ शुरू करने का आग्रह किया

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

सामाजिक न्याय:

  1. आत्महत्याओं को रोकना: नई रणनीति क्या है?

भारतीय अर्थव्यवस्था:

  1. दार्जिलिंग चाय उद्योग संकट में क्यों है?

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. PSLV-C54 ने नौ उपग्रहों को कई कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. चीन के 19 देशों के हिंद महासागर मंच में भारत अनुपस्थित रहा
  2. वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रेलिया के पास काले मूंगे (प्रवाल) की नई प्रजाति की खोज की

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

संविधान:

राष्ट्रपति मुर्मू तथा प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान का मसौदा तैयार करने में महिलाओं की भूमिका की सराहना की

विषय: भारतीय संविधान।

प्रारंभिक परीक्षा: संविधान दिवस।

मुख्य परीक्षा: संविधान का मसौदा तैयार करने में महिलाओं की भूमिका।

संदर्भ:

  • 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया गया।

विवरण:

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान दिवस समारोह आयोजित किया गया था।
  • समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए। उन्होंने संविधान का मसौदा तैयार करने वाली संविधान सभा में महिलाओं की भूमिका की सराहना की।
  • 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वही दिन है जिस दिन संविधान सभा ने वर्ष 1949 में संविधान को अपनाया था।
  • इस दिन को 2015 से संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। पहले इसे कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका से एक प्रभावी विवाद-समाधान तंत्र विकसित करने और आम आदमी की दुर्दशा को कम करने का आग्रह किया।
  • आयोजन के दौरान, भारत के मुख्य न्यायाधीश ने न्याय प्रशासन में प्रौद्योगिकी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कानूनी पेशे में हाशिए के समुदायों के अधिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर बल दिया।

भारत के संविधान के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें: Constitution of India – Features, Amendments & Preamble

संविधान निर्माण में महिलाओं की भूमिका:

  • संविधान सभा में पंद्रह महिला सदस्य थीं।
  • दक्षिणानी वेलायुधन हाशिये पर रहने वाले समुदाय से ताल्लुक रखती थीं और उन्होंने उत्पीड़ित वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किए।
  • अन्य महिला सदस्यों में दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता, राजकुमारी अमृत कौर आदि शामिल थीं।

सारांश:

  • सर्वोच्च न्यायालय में संविधान दिवस मनाया गया। राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री ने भारत के संविधान का मसौदा तैयार करने में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

कम टीकाकरण कवरेज के कारण मुंबई में खसरे का प्रकोप

विषय: स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: खसरा।

मुख्य परीक्षा: भारत में खसरे का प्रकोप।

संदर्भ:

  • मुंबई में खसरे के मामलों की बढ़ती संख्या।

विवरण:

  • 23 नवंबर 2022 के विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 40 मिलियन बच्चे पिछले एक वर्ष की अवधि में खसरे के टीके की खुराक लेने से चूक गए हैं। इसके परिणामस्वरूप 2021 में खसरे के नौ मिलियन अनुमानित मामले सामने आए थे और लगभग 1,28,000 मौतें हुईं थीं।

भारत में खसरे का प्रकोप:

  • मुंबई में खसरे के प्रकोप के प्रमुख कारण टीकाकरण सेवाओं में व्यवधान और माता-पिता की अपने बच्चों को टीका लगवाने में हिचकिचाहट के कारण टीकाकरण कवरेज बहुत कम होना है।
  • 24 नवंबर तक मुंबई में खसरे के लगभग 233 मामले सामने आए थे और 13 मौतें हुई थीं। अक्टूबर 2022 में महाराष्ट्र में पुष्टि किए गए मामलों की कुल संख्या लगभग 538 थी।
  • बिहार, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और केरल में भी मामलों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
  • स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक पत्र के माध्यम से बताया कि इन भौगोलिक क्षेत्रों में पात्र लाभार्थियों के बीच MRCV [खसरा और रूबेला युक्त टीका] का औसत कवरेज राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
  • कुछ स्रोतों से पता चला है कि टीकाकरण वाले बच्चों की तुलना में बिना टीकाकरण वाले बच्चों के बीच मृत्यु दर लगभग 70% अधिक है।
  • महाराष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, वर्ष 2021 में मुंबई में खसरा टीकाकरण कवरेज 78% था। जबकि 2022 में (अक्टूबर तक) शहर में कवरेज सिर्फ 41.9% था।
  • खसरे की घटनाओं की दर 3.37 प्रति दस लाख कुल जनसंख्या (अक्टूबर 2020-सितंबर 2021) से बढ़कर 8.86 प्रति दस लाख कुल जनसंख्या (अक्टूबर 2021-सितंबर 2022) हो गई है।
  • एक विशेषज्ञ के अनुसार, खसरे के संचरण को रोकने के लिए “दो-खुराक टीकाकरण” कवरेज सबसे महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, यदि 100 में से 80 बच्चों को एक खुराक से टीका लगाया जाता है, तो केवल 68 बच्चों को ही प्रतिरक्षित किया गया है, जिसका अर्थ है सेरोकनवर्जन (संक्रमण या टीकाकरण के परिणामस्वरूप रक्त सीरम में विशिष्ट एंटीबॉडी का विकास) दर 85% ही रहती है। इससे 100 में से 22 बच्चे संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील रहते हैं। यदि यह दो साल तक जारी रहता है, तो अतिसंवेदनशील पूल/समूह का विस्तार होता है।

खसरा रूबेला अभियान के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें: Measles and Rubella Vaccination Campaign – MR Vaccine Campaign. UPSC Notes.

मॉप-अप टीकाकरण अभियान:

  • महाराष्ट्र सरकार ने हाल के प्रकोप वाले क्षेत्रों में सभी बच्चों का MRCV टीकाकरण किया है। यह खुराक पहली और दूसरी खुराक के लिए निर्धारित प्राथमिक टीकाकरण के अतिरिक्त होगी।
  • यह अनुशंसा की गई है कि छह महीने और उससे अधिक उम्र के शिशुओं को भी खसरे का टीका लगाया जाना चाहिए।
  • एक विशेषज्ञ के अनुसार, नौ महीने में पहली खुराक दिए जाने पर खसरे के टीके की प्रभावकारिता औसतन 85% रहती है और दूसरी खुराक दिए जाने पर यह लगभग 95% तक बढ़ जाती है।
  • हालांकि, मुंबई और केरल के मल्लपुरम जिलों में कुछ टीकाकृत बच्चे दो खुराक के बाद भी इस बीमारी से संक्रमित थे। यह संभवतः टीकाकरण के बाद सेरोकनवर्ट (seroconvert) की विफलता के कारण हो सकता है।

सारांश:

  • कम टीकाकरण कवरेज के कारण भारत के छह राज्यों में खसरे का प्रकोप जारी है। खासकर मुंबई में स्थिति चिंताजनक है। पांच वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को टीकाकरण की दो खुराक देकर संक्रमण को काफी हद तक नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारतीय अर्थव्यवस्था:

उद्योग जगत ने चीन पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार से ‘इंडिया रेयर अर्थ्स मिशन’ शुरू करने का आग्रह किया

विषय: खनिज संसाधनों से संबंधित विषय।

मुख्य परीक्षा: दुर्लभ मृदा खनिज।

विवरण:

  • भारत में उद्योगों ने सरकार से महत्वपूर्ण दुर्लभ मृदा खनिजों के निजी क्षेत्र द्वारा खनन की अनुमति देने का आग्रह किया है। इससे इन रणनीतिक कच्चे माल की आपूर्ति के स्रोतों में विविधता लाने में मदद मिलेगी।
  • इसके अलावा, यह चीन से आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
  • भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन की तर्ज पर ‘इंडिया रेयर अर्थ्स मिशन’ स्थापित करने का सुझाव दिया है। इन खनिजों की खोज को डीप ओशन मिशन योजना का एक महत्वपूर्ण घटक बनाया जाना चाहिए।
  • भारतीय उद्योग परिसंघ ने सुझाव दिया है कि ऐसे खनिजों को भारत के नागरिक परमाणु कार्यक्रम के अधीन नहीं रखा जाना चाहिए और इसके बजाय इंडियन रेअर अर्थ्स लिमिटेड (IREL) को दो संस्थाओं में विभाजित करना चाहिए। IREL को थोरियम खनन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जबकि दूसरी इकाई को अन्य खनिजों पर ध्यान देना चाहिए।
  • इसके अलावा, इस बात पर जोर दिया गया है कि दुर्लभ मृदा खनिजों को चीन की ‘मेड इन चाइना 2025’ पहल की तर्ज पर मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। गौरतलब है कि यह पहल स्थायी चुम्बकों (दुर्लभ पृथ्वी खनिजों से निर्मित) सहित नई सामग्रियों पर केंद्रित है।
  • डीप ओशन मिशन के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें: India’s Deep Ocean Mission – DOM | Ministry of Earth Sciences (MoES)

पृष्ठभूमि विवरण:

  • भारत में दुनिया के दुर्लभ मृदा खनिज भंडार का 6% भाग मौजूद है। हालाँकि, यह वैश्विक उत्पादन का केवल 1% उत्पादित करता है और शेष चीन से आयात करता है।
  • वर्ष 2018-19 में चीन से मूल्य के हिसाब से 92% और मात्रा के हिसाब से 97% दुर्लभ मृदा धातु का आयात किया गया था।
  • दुर्लभ मृदा खनिज के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें: Rare Earth Minerals – An Overview of Reserves in India [UPSC Notes]

सारांश:

  • दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के आयात पर भारत की निर्भरता को कम करने और इसके उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए, भारतीय उद्योग परिसंघ ने विभिन्न कदम सुझाए हैं। इसने इस क्षेत्र में निजी उद्योगों की भूमिका को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करने की बात कही है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

आत्महत्याओं को रोकना: नई रणनीति क्या है?

विषय: स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति।

मुख्य परीक्षा:आत्महत्याओं से जुड़ी मौतें।

संदर्भ:

  • राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति का जारी किया जाना।

विवरण:

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा देश की पहली राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति जारी की गई।
  • यह दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्र में आत्महत्या रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के समान संरचित है। रणनीति का लक्ष्य भारत की सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं का पालन करना है, जिससे क्षेत्र-स्तरीय बुनियादी ढांचे को पर्याप्त मान्यता मिल सके।
  • इस रणनीति के दृष्टिकोण में “एक ऐसे समाज के निर्माण की परिकल्पना है, जहां लोग अपने जीवन को महत्व देते हैं और जरूरत पड़ने पर सहयोग करते हैं”।
  • इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक भारत में आत्महत्या मृत्यु दर को 10% तक कम करना है।
  • भारत में आत्महत्या की रोकथाम के लिए ढांचे में बहु-हितधारक दृष्टिकोण समाहित है। इसका प्रयोजन ‘एनेर्जाइज टू सिनेजाइज’ (energize to synergize) के आदर्श वाक्य के साथ हितधारक प्रयासों को पोषित करना है।
  • यह ढांचा प्रत्येक हितधारक को आत्महत्याओं को रोकने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने, लागू करने, निगरानी करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए मार्गदर्शन करेगा।

मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक कीजिए: Mental Health Care – India’s Ticking Bomb? – BYJU’S

आत्महत्या रोकथाम योजना की आवश्यकता:

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों (2018) के अनुसार, दुनिया भर में आत्महत्या के कारण लगभग 8 लाख मौतें हुईं थीं।
  • लगभग एक तिहाई आत्महत्या के मामले युवाओं से संबंधित हैं।
  • 15-29 वर्ष की आयु के लोगों में मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है। यह 15-19 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं में भी मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण है।
  • भारत में 15-29 साल की आबादी के बीच आत्महत्या मौत का एक प्रमुख कारण है। यह आंकड़ा सड़क दुर्घटनाओं और मातृ मृत्यु दर से अधिक है।
  • आत्महत्या के कारण महिलाओं से संबंधित वैश्विक मामलों में भारत का योगदान 1990 के 25.3% से बढ़कर 2016 में 36.6% हो गया है। पुरुषों के मामले में यह 18.7% से बढ़कर 24.3% हो गया है।
  • भारत में हर साल लगभग 1 लाख लोग आत्महत्या के कारण अपनी जान गंवाते हैं।
  • पिछले तीन वर्षों में प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर आत्महत्या की दर 10.2 से बढ़कर 11.3 हो गई है।
  • इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कोविड-19 जैसी अभूतपूर्व घटना मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और इसमें विशेष हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।
  • आत्महत्या के सबसे आम कारण पारिवारिक समस्याएं और बीमारियाँ हैं, जो भारत में आत्महत्या से संबंधित सभी मौतों का क्रमशः 34% और 18% है। अन्य कारण दिवालियेपन/ऋणग्रस्तता, प्रेम प्रसंग, वैवाहिक समस्या, मादक द्रव्यों का सेवन और निर्भरता हैं।

रणनीति की मुख्य बातें:

  • इसमें आत्महत्या को रोकने के लिए कई हितधारकों का दृष्टिकोण शामिल है। इसमें केंद्र, राज्य और क्षेत्रीय शासन संस्थानों और स्वैच्छिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
  • रणनीति को लागू करने में कृषि, गृह, सूचना और प्रसारण, श्रम, सामाजिक न्याय और अधिकारिता, शिक्षा, महिला और बाल विकास, सूचना प्रौद्योगिकी, युवा मामले और खेल मंत्रालय शामिल होंगे।
  • सहयोग को लागू करने की पेशकश में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान (NIMHANS) की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
  • यह रणनीति अगले तीन वर्षों में आत्महत्या की रोकथाम के लिए एक प्रभावी निगरानी तंत्र तैयार करेगी।
  • साथ ही इसके तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य योजना के माध्यम से सभी जिलों में अगले 5 वर्षों में साइकेट्रिक ओपीडी की भी स्थापना की जाएगी।
  • मानसिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम को अगले 8 वर्षों के भीतर सभी शैक्षणिक संस्थानों में एकीकृत किया जाएगा।
  • रणनीति का एक अन्य प्रमुख घटक बदनामी के डर में कमी लाना है। यह देखा गया है कि परामर्श और उपचार प्राप्त करने की प्रक्रिया में बदनामी का डर एक बड़ी बाधा है।
  • इस ढांचे में कीटनाशकों की आसान पहुंच जैसे संवेदनशील भारत-विशिष्ट मुद्दे भी शामिल हैं। इसमें जागरूकता फैलाने, मानसिक स्वास्थ्य को बदनामी के डर से दूर रखने और आत्महत्या की जिम्मेदार मीडिया रिपोर्टिंग को बढ़ावा देने के लिए मीडिया के उपयोग पर बल दिया गया है।
  • रणनीति का एक अन्य महत्वपूर्ण हिस्सा आत्महत्या से जुड़े डेटा संग्रह को मजबूत करना है।
  • इसके तहत आत्महत्या की रोकथाम के लिए सामुदायिक लचीलापन और सामाजिक सहयोग का भी विकास किया जाएगा।

भावी कदम:

  • विशेषज्ञों के अनुसार, प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में नेतृत्व को मजबूत करना, संस्थागत क्षमता स्थापित करना, आत्महत्या की रोकथाम प्रदान करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाना, निगरानी को मजबूत करना और साक्ष्य निर्माण के प्रावधान सुनिश्चित करना शामिल होना चाहिए।
  • राजनीतिक इच्छाशक्ति वास्तविक जमीनी स्तर के क्रियान्वयन पर दिखनी चाहिए।

संबंधित लिंक:

UPSC Exam Comprehensive News Analysis. Oct 12th, 2022 CNA. Download PDF

सारांश:

  • आत्महत्या को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल मानते हुए, सरकार ने राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति का प्रस्ताव किया है। यह एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण है जिसका उद्देश्य देश में आत्महत्या से होने वाली मौतों की संख्या को कम करना है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

भारतीय अर्थव्यवस्था:

दार्जिलिंग चाय उद्योग संकट में क्यों है?

विषय: उद्योग- चाय

मुख्य परीक्षा:दार्जिलिंग चाय उद्योग संकट।

संदर्भ:

  • दार्जिलिंग चाय उद्योग गंभीर संकट का सामना कर रहा है।

पृष्ठभूमि विवरण:

  • भारतीय चाय बोर्ड ने केंद्र सरकार से ₹1,000 करोड़ का विशेष वित्तीय पैकेज मांगा था क्योंकि भारतीय चाय दुनिया भर में स्वयं को उचित रूप से स्थापित नहीं कर पाई है। इसके अलावा, दार्जिलिंग चाय उद्योग अत्यधिक दबाव में है।
  • दार्जिलिंग चाय:
    • इसे ‘चाय का शैंपेन’ कहा जाता है।
    • यह 2004 में अपनी अनूठी सुगंध और स्वाद के लिए जीआई (भौगोलिक पहचान) टैग पाने वाला भारत का पहला उत्पाद था।
    • दार्जिलिंग में लगभग 87 उद्यान हैं, जिनमें लगभग 55,000 कर्मचारी कार्यरत हैं और जहाँ से लगभग 7 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है।

भारतीय चाय बोर्ड के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक कीजिए: Tea Board of India – Organising Committee and Responsibilities

भारत में चाय उद्योग के साथ चुनौतियां/मुद्दे:

  • वाणिज्य मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल जैसे देशों से निम्न गुणवता वाली चाय की आमद भारत में चाय उद्योग को खतरे में डालती है।
    • अक्टूबर 2009 में भारत और नेपाल की सरकारों के बीच व्यापार की संशोधित संधि के अनुसार, दोनों देशों ने पारस्परिक रूप से सहमत प्राथमिक उत्पादों के आयात को बुनियादी सीमा शुल्क और मात्रात्मक प्रतिबंधों से छूट दी थी।
    • टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2020-21 में नेपाल से आयातित कुल चाय 10.74 मिलियन किलोग्राम थी; जबकि भारत से कुल चाय का आयात 27.75 मिलियन किलोग्राम हुआ था।
    • इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कम इनपुट लागत, विशेष रूप से श्रम, और कम गुणवत्ता जांच जैसे कारकों के कारण नेपाल कम कीमत पर चाय का उत्पादन करता है। हालांकि, उसकी गुणवत्ता दार्जिलिंग चाय की तुलना में निम्न है।
  • 2017 में दार्जिलिंग की पहाड़ियों में 107-दिवसीय आंदोलन और बंद के कारण चाय का उत्पादन रुक गया था। उत्पादन 3.21 मिलियन किलोग्राम के निचले स्तर पर पहुंच गया। इसके परिणामस्वरूप नेपाल से आयातित चाय की किस्मों की गति में वृद्धि हुई।
  • विभिन्न चाय बागान मालिकों और इस उद्योग के विशेषज्ञों ने स्वीकार किया है कि उद्योग अभी तक 2017 के संकट से पूरी तरह उबर नहीं पाया है।
  • उत्पादन में कमी के अलावा, बढ़ी हुई इनपुट लागत चिंता का एक अन्य कारण है। दार्जिलिंग में चाय का उत्पादन जो पहले 10-12 मिलियन किलोग्राम था, घटकर 6.87 मिलियन किलोग्राम (2021) रह गया है।
  • अन्य कारक जलवायु परिवर्तन, घटती पैदावार और श्रमिकों की उच्च अनुपस्थिति हैं।
  • इतना ही नहीं दार्जिलिंग का पहाड़ी इलाका होने के कारण चाय बागानों के विस्तार के लिए जमीन नहीं बची है।
  • दार्जिलिंग में मौजूद चाय की झाड़ियाँ देश के अन्य हिस्सों की तुलना में पुरानी हैं। उन्हें उखाड़ने और रोपने की प्रक्रिया समय लेने वाली और लागत गहन दोनों है।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि दार्जिलिंग में औसत चाय बागान तलहटी में मौजूद 400 से 500 हेक्टेयर के विपरीत लगभग 150 हेक्टेयर है। दार्जिलिंग चाय की प्रति हेक्टेयर औसत उपज वर्तमान में लगभग 350 किलोग्राम है, जबकि 2000 में यह 542 किलोग्राम थी।
  • बागान मालिकों के मुताबिक दार्जिलिंग चाय की नीलामी के दामों में ठहराव आ गया है.
  • इंडियन टी एसोसिएशन के अनुसार पिछले 6 वर्षों में दार्जिलिंग चाय की कीमतें केवल 1.7% की संचयी वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ी हैं, भले ही इनपुट की लागत 10% से 12% CAGR तक बढ़ गई हो।
  • भारतीय चाय बोर्ड (2021) की अधिसूचना ने सस्ती गुणवत्ता वाली चाय के आयात और वितरण को प्रतिबंधित कर दिया। इसने आगे चाय की पैकेजिंग करने वालों से सोर्स ऑफ़ ओरिजिन को इंगित करने के लिए कहा। इसके परिणामस्वरूप ‘पैकेटियर्स’ ने दार्जिलिंग चाय की खरीद कम कर दी।
  • रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोपीय बाजारों से मांग में गिरावट जैसे अन्य कारकों ने समस्या को और बढ़ा दिया है।

भावी कदम:

  • संसद की स्थायी समिति ने सुझाव दिया कि सरकार को भारत-नेपाल संधि की समीक्षा करनी चाहिए और उस पर फिर से विचार करना चाहिए।
  • इसने यह भी सिफारिश की कि छोटे चाय उत्पादकों (STG) को भी बेहतर मूल्य प्रीमियम सुनिश्चित करने हेतु 87 चाय बागानों की गुणवत्ता के समान लाने के लिए जीआई-पंजीकृत उत्पादकों के रूप में मान्यता दी जानी चाहिए।
  • यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि देश में लगभग 52% चाय का उत्पादन STG द्वारा किया जाता है।
  • उद्योग के विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि भारत में चाय की घरेलू खपत बढ़ाई जानी चाहिए क्योंकि भारत में प्रति व्यक्ति चाय की खपत केवल 850 ग्राम है।

संबंधित लिंक:

Tea Crop UPSC Notes – About, History, Climate Requirements, Soil Conditions, Farming Techniques, Physiology, Crop Development, Diseases, Growing Environments, Tea Economy, Top Ten Tea Producing Countries, Top Ten Tea Producing States, Major Tea Producing States Map, Indian Tea Growing Zone, Nutritional Information, Health Effects, and FAQs

सारांश:

  • दार्जिलिंग चाय उद्योग विभिन्न कारणों से गंभीर संकट में है। अपने व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए वित्त के साथ-साथ दिशा-निर्देशों के संदर्भ में सरकार से पर्याप्त सहायता समय की माँग है।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. PSLV-C54 ने नौ उपग्रहों को कई कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित किया

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान और प्रौद्योगिकी:

विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।

प्रारंभिक परीक्षा: PSLV-C54।

संदर्भ:

  • ISRO ने PSLV-C54 को प्रक्षेपित किया।

विवरण:

  • यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सबसे लंबे मिशनों में से एक है।
  • कुल नौ उपग्रहों में से आठ नैनो उपग्रह थे जिनमें भूटान के लिए इसरो का नैनो सैटेलाइट-2 (INS-2B), आनंद, एस्ट्रोकास्ट (चार उपग्रह) और दो थायबोल्ट उपग्रह शामिल थे।
  • यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) की 56वीं उड़ान थी और 6 PSOM-XLs के साथ PSLV-XL संस्करण की 24वीं उड़ान थी।
  • INS-2B उपग्रह में 2 पेलोड लगे हैं। यह भारत और भूटान के बीच एक सहयोगी मिशन है। 2 पेलोड इस प्रकार हैं:
    • NanoMx जो SAC द्वारा विकसित है।
    • APRS-डिजिपीटर, जिसे DITT-भूटान और URSC ने संयुक्त रूप से तैयार किया है।

PSLV पर अधिक जानकारी के लिए, यहां क्लिक करें: Satellite Launch Vehicle Program – PSLV & GSLV [UPSC GS 3 Notes]

स्रोत: The Hindu

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. चीन के 19 देशों के हिंद महासागर मंच में भारत अनुपस्थित रहा:
  • चीन द्वारा “चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच” की पहली बैठक आयोजित की गई।
  • इस पहल में भारत के 19 पड़ोसी देश शामिल हैं। ये देश हैं- इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशेल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती और ऑस्ट्रेलिया।
  • यह बैठक चीन के दक्षिण-पश्चिमी युन्नान प्रांत के कुनमिंग में चीन अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग एजेंसी (CIDCA) द्वारा आयोजित की जा रही है।
  • बैठक हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में चीन की बढ़ती कूटनीति पर केंद्रित है।
  • हालाँकि, भारत को बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था और यह बीजिंग की नई रणनीतिक पहल में अकेला अनुपस्थित देश रहा।
  1. वैज्ञानिकों ने ऑस्ट्रेलिया के पास काले मूंगे (प्रवाल) की नई प्रजाति की खोज की:
  • वाशिंगटन स्थित स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूशन के शोधकर्ताओं ने रिमोट से नियंत्रित पनडुब्बी के माध्यम से काले मूंगा की 5 नई प्रजातियों की खोज की है।
  • ये मूंगे आस्ट्रेलिया तट के पास ग्रेट बैरियर रीफ और कोरल सागर में सतह से लगभग 2,500 फीट (760 मीटर) की गहराई पर पाए गए हैं।
  • गौरतलब है कि काले मूंगे उथले पानी से लेकर लगभग 26,000 फीट (8,000 मीटर) की गहराई वाले पानी में विकसित हो सकते हैं। इसके अलावा, कुछ मूंगे का जीवन काल 4,000 वर्षों से अधिक तक होता है।
  • काले मूंगे निस्यंदक भोजी (फिल्टर फीडर) हैं और इनके आहार छोटे ज़ूप्लैंक्टन (zooplankton) हैं। ये शाखित होते हैं और पंख या झाड़ियों की तरह दिखते हैं।
  • ये मछली और अकशेरूकीय जीवों के लिए महत्वपूर्ण निवास स्थान के रूप में कार्य करते हैं और उन्हें शिकारियों से छिपने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, कैलिफोर्निया के तट पर 2005 में देखी गई एक एकल काली मूंगा कॉलोनी लगभग 2,554 अकशेरूकीय जीवों का निवास स्थान थी।

प्रवाल भित्ति के बारे में अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: Types of Coral Reefs, Coral Bleaching & Snowflake Corals

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

1. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. जन्म और मृत्यु पंजीकरण (RBD) अधिनियम, 1969 के तहत जन्म और मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य है।
  2. इस अधिनियम का उल्लंघन एक दंडनीय अपराध है।
  3. गृह मंत्रालय न्यूनतम मानव इंटरफेस के साथ वास्तविक समय में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को सक्षम करने हेतु नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) का उन्नयन कर रहा है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 1 और 2
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: विकल्प d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: जन्म और मृत्यु पंजीकरण (RBD), अधिनियम 1969 के तहत भारत में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण अनिवार्य है। यह संबंधित स्थान के आधार पर किया जाता है।
  • कथन 2 सही है: इस अधिनियम का उल्लंघन दंडनीय अपराध है। जन्म और मृत्यु पंजीकरण (RBD), अधिनियम में विभिन्न प्रकार के दंड का प्रावधान है।
  • कथन 3 सही है: गृह मंत्रालय ने मौजूदा अधिनियम में कुछ संशोधनों का सुझाव दिया है। प्रस्तावित संशोधनों में से एक नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) को अपग्रेड करना है ताकि न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ वास्तविक समय में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण को सक्षम बनाया जा सके।

2. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं? (स्तर- कठिन)

  1. वृक्षवाटिकाएं (Sacred Groves) सामुदायिक तौर पर संरक्षित वन हैं जिनका आमतौर पर संरक्षण करने वाले समुदाय के लिए महत्वपूर्ण धार्मिक अर्थ होता है।
  2. आमतौर पर इन वृक्षवाटिकाओं में शिकार और लकड़ियां काटना पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं और कभी-कभी धारणीय आधार पर वनोत्पाद के संग्रह की अनुमति दी जाती है।
  3. वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2002 में ‘सामुदायिक रिज़र्व’ के तहत वृक्षवाटिकाओं को कानूनी रूप से संरक्षित किया गया है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. केवल 3
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: विकल्प d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: वृक्षवाटिकाएं जिन्हें पवित्र वन भी कहा जाता है, सामुदायिक रूप से संरक्षित क्षेत्र हैं जिनका एक विशेष संस्कृति के भीतर विशेष धार्मिक महत्व होता है।
  • कथन 2 सही है: इन क्षेत्रों में शिकार और लकड़ी काटने जैसी गतिविधियाँ आमतौर पर सख्त वर्जित होती हैं। हालांकि, कभी-कभी धारणीय आधार पर वनोत्पाद के संग्रह की अनुमति दी जाती है।
  • कथन 3 सही है: वन्यजीव (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2002 में ‘सामुदायिक रिज़र्व’ के तहत वृक्षवाटिकाओं को संरक्षित किया गया है।

3. गुट्टी कोया जनजाति मुख्यतः निम्नलिखित में से किस/किन राज्यों में पाई जाती है? (स्तर-मध्यम)

  1. झारखंड
  2. तेलंगाना
  3. आंध्र प्रदेश
  4. b और c दोनों

उत्तर: विकल्प d

व्याख्या:

  • गुट्टी कोया जनजाति तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों में गोदावरी और सबरी नदियों के पास निवास करती है। उन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  • ये ‘स्थायी तौर पर बसे हुए किसान’ हैं और ज्वार, बाजरा और अन्य मोटे अनाजों की खेती करते हैं।
  • ये पोडू कृषि करते हैं जो सरल शब्दों में झूम (slash-and-burn) खेती है।
  • भाषा: उनमें से केवल कुछ ही अपनी कोया बोली बोलते हैं क्योंकि यह भाषा लगभग विलुप्त हो चुकी है और वर्तमान में, ये तेलुगु भाषा बोलते हैं और इसे ही अपनी मातृभाषा मानते हैं।

4. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. हिमालयी याक भारत में पाया जाता है।
  2. ये पालतू नहीं हैं और केवल जंगलों में पाए जाते हैं।
  3. याक चलवासी पशुचारकों के लिए एक बहुआयामी सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक भूमिका निभाता है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 1 और 2
  3. केवल 1 और 3
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: विकल्प c

व्याख्या:

  1. कथन 1 सही है: हिमालयी याक केंद्र शासित प्रदेशों लद्दाख और जम्मू और कश्मीर, तथा अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड में पाए जाते हैं। भारत में याक की कुल आबादी लगभग 58,000 है।
  2. कथन 2 गलत है: हिमालयी याक पालतू जानवर हैं।
  3. कथन 3 सही है: ये हिमालय के ऊंचे क्षेत्रों में रहने वाले चलवासी पशुचारकों के लिए जीवन रेखा हैं क्योंकि इनसे उन्हें दूध, फाइबर और मांस प्राप्त होता करता है।

5. भारतीय इतिहास के संदर्भ में 1884 का रखमाबाई मुकदमा किस पर केंद्रित था? (स्तर-मध्यम)

  1. महिलाओं का शिक्षा पाने का अधिकार
  2. सहमति की आयु
  3. दांपत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए-

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: विकल्प b

व्याख्या:

  • 1891 में सम्मति आयु अधिनियम के प्रारूपण में रुखमाबाई मामले की काफी महत्वपूर्ण भूमिका थी।
  • डॉ. रुखमाबाई (1864-1955) एक भारतीय चिकित्सक और स्त्री अधिकारवादी थीं। वह औपनिवेशिक भारत में प्रैक्टिस करने वाली पहली महिला डॉक्टरों में से एक के रूप में विख्यात हैं। वह 1884 और 1888 के बीच बाल वधु के रूप में अपनी शादी से जुड़े ऐतिहासिक मामले से भी जुड़ी हैं।
  • उनकी शादी 11 वर्ष की अल्प आयु में दादाजी भीकाजी (19) के साथ कर दी गई थी। 1885 में, शादी के 12 साल बाद भीकाजी ने अदालत में एक याचिका दायर की और “वैवाहिक अधिकारों की बहाली” की मांग की।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. दुर्लभ मृदा धातुओं पर चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए भारत को एक सक्रिय दृष्टिकोण की आवश्यकता है। विस्तार से चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [GS 3- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी]
  2. दार्जिलिंग के चाय उत्पादकों द्वारा सामना की जाने वाली कुछ समस्याओं की चर्चा कीजिए। सरकार इन समस्याओं को कैसे सुलझा सकती है? (250 शब्द; 15 अंक) [GS 3- कृषि]