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03 जुलाई 2024 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन 2024:
  2. जीपीएआई मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक नई दिल्ली में आयोजित:
  3. शिक्षा मंत्रालय समस्‍त कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और छात्रावासों में आईसीटी लैब एवं स्मार्ट कक्षाएं उपलब्ध कराएगा:
  4. नीति आयोग ‘संपूर्णता अभियान’ आरंभ करेगा:
  5. प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को प्रोत्साहन
  6. संयुक्त सैन्य अभ्यास नोमैडिक एलीफेंट मेघालय में आरंभ:
  7. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामलों को देखते हुए राज्यों को परामर्श जारी किया:
  8. कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग:

03 July 2024 Hindi PIB
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1. ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन 2024:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: ग्लोबल इंडियाएआई शिखर सम्मेलन 2024, इंडियाएआई मिशन।

मुख्य परीक्षा: ग्लोबल इंडियाएआई शिखर सम्मेलन 2024 का महत्व।

प्रसंग:

  • ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन 2024 का आयोजन 3 और 4 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में किया जा रहा है, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, इस शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों, एआई विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं की एक प्रतिष्ठित सभा की मेज़बानी कर रहा है।

उद्देश्य:

  • जिम्मेदार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के विकास को बढ़ावा देने की इसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करने के कारण यह शिखर सम्मेलन भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर वैश्विक भागीदारी (जीपीएआई) में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका की पृष्ठभूमि में आयोजित इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य एआई द्वारा प्रस्तुत बहुमुखी चुनौतियों और अवसरों का सामना करने में नए मानक स्थापित करना है।
  • कंप्यूट क्षमता, आधारभूत मॉडल, डेटासेट, एप्लिकेशन डेवलपमेंट, भविष्य के कौशल, स्टार्टअप फाइनेंसिंग और सुरक्षित और विश्वसनीय एआई पर विषयगत ध्यान देने के साथ, यह कार्यक्रम संपूर्ण एआई स्पेक्ट्रम को कवर करने वाली विषयों पर व्यापक चर्चा भी करेगा।

विवरण:

  • ग्लोबल इंडिया एआई शिखर सम्मेलन 2024, वैश्विक हितधारकों के लिए सहयोग करने, अन्वेषण करने और एआई के भविष्य को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है।
  • जैसे-जैसे शिखर सम्मेलन आगे बढ़ेगा, यह वैश्विक एआई परिदृश्य में भारत के नेतृत्व को मजबूत करेगा, जिससे भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा जहां एआई के लाभ सभी के लिए सुलभ होंगे और दुनिया भर में सामाजिक-आर्थिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।

उद्घाटन समारोह के बाद एआई पर छह सत्र आयोजित किए गए। सत्रों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:

उप-सत्र 1: इंडियाएआई: लार्ज लैंग्वेज मॉडल

  • चर्चा बिंदु:
    • उच्च गुणवत्ता वाले एलएलएम की आवश्यकता
    • मल्टी-मॉडल, संवादात्मक एआई से कार्रवाई योग्य एआई में अपग्रेड
    • सिंथेटिक डेटा, मिनिएचराइजेशन और क्रांति की गहन समझ

उप-सत्र 2: वैश्विक स्वास्थ्य और एआई पर जीपीएआई का आयोजन

  • चर्चा बिंदु:
    • नियामक और नीतिगत मुद्दे
    • स्वास्थ्य देखभाल डेटासेट, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता
    • सामुदायिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य में एआई का उपयोग

उप-सत्र 3: इंडियाएआई: असल जीवन में एआई समाधान

  • चर्चा बिंदु:
    • एआई को जल्दी से अपनाना
    • एआई समाधान को बढ़ाना और सुरक्षा संबंधी चिंताएं

उप-सत्र 4: एआई के लिए भारत की बुनियादी संरचना की तैयारी

  • चर्चा बिंदु:
    • संप्रभुता, अनुपालन, डिजिटल स्वायत्तता
    • अधिक कम्प्यूटेशनल संसाधन, लागत प्रभावी जीपीयू सेवाएं, निवेश

उप-सत्र 5: इंडियाएआई: एआई युग में सुरक्षा, विश्वास और शासन सुनिश्चित करना

  • चर्चा बिंदु:
    • विधि व सुरक्षा मुद्दे, एआई के जिम्मेदार उपयोग
    • ओपन-सोर्स प्रौद्योगिकियां, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटासेट

उप-सत्र 6: वैश्विक भागीदारी पर सहयोगात्मक एआई (सीएआईजीपी)

  • चर्चा बिंदु:
    • वैश्विक उत्तर और दक्षिण के बीच असमानताएं
    • वैश्विक शासन तंत्र, डीपीआई के माध्यम से एआई का लोकतंत्रीकरण, एआई मानक

पृष्ठ्भूमि:

  • भारत सरकार 3-4 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में ‘ग्लोबल इंडियाएआई समिट’ का आयोजन कर रही है।
  • शिखर सम्मेलन में कम्प्यूट क्षमता, आधारभूत मॉडल, डेटासेट, अनुप्रयोग विकास, भविष्य के कौशल, स्टार्टअप वित्तपोषण और सुरक्षित एआई जैसे क्षेत्रों में एआई विकास को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जो इंडियाएआई मिशन के सात प्रमुख स्तंभ हैं।
  • इंडियाएआई मिशन को मार्च 2024 में 1.25 बिलियन डॉलर के परिव्यय के साथ केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया है।
  • जीपीएआई 29 सदस्य देशों के साथ एक बहु-हितधारक पहल है, जिसका उद्देश्य एआई से संबंधित प्राथमिकताओं पर अत्याधुनिक अनुसंधान और प्रयुक्त गतिविधियों का समर्थन करके एआई पर सिद्धांत और व्यवहार के बीच की खाई को पाटना है।
  • भारत 2024 में जीपीएआई का अध्यक्ष (लीड चेयर) है। जीपीएआई के अध्यक्ष के रूप में, भारत प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करने और भरोसेमंद एआई को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक एआई विशेषज्ञों की मेजबानी कर रहा है।
  • इस आयोजन में ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जीपीएआई) के विशेषज्ञों, प्रतिनिधियों, उद्योग और स्टार्टअप दिग्गजों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े पेशेवरों, शिक्षाविदों, छात्रों और केंद्र एवं राज्य सरकारों के अधिकारियों की भागीदारी देखी गई।

2. जीपीएआई मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक 3 जुलाई 2024 को नई दिल्ली में आयोजित:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: GPAI शिखर सम्मेलन, AI

मुख्य परीक्षा: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस – पक्ष और विपक्ष।

प्रसंग:

  • जीपीएआई मंत्रिस्तरीय परिषद की छठी बैठक 3 जुलाई 2024 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में हाइब्रिड मोड में आयोजित की गई।

उद्देश्य:

  • जीपीएआई के भविष्य के दृष्टिकोण के बारे में आम सहमति पर पहुंचे जीपीएआई के सदस्य, ‘सभी की भलाई और सभी के लिए एआई’ की क्षमता का दोहन करने के लिए नए सिरे से एकीकृत साझेदारी का मार्ग प्रशस्त होगा।
  • यह बैठक एआई के नैतिक एवं समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है और ‘सभी की भलाई और सभी के लिए एआई’ की क्षमता का दोहन करने के लिए एकीकृत साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगी।

विवरण:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक साझेदारी – जीपीएआई ( Global Partnership on Artificial Intelligence is an international initiative)।
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर ग्लोबल पार्टनरशिप एक अंतरराष्ट्रीय पहल है जो मानव अधिकारों और अपने सदस्यों के साझा लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करने वाले तरीके से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदार विकास और उपयोग को निर्देशित करने के लिए स्थापित की गई है।
  • व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श के बाद सभी सदस्यों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) पर वैश्विक साझेदारी (जीपीएआई) के भविष्य के दृष्टिकोण पर आम सहमति जताई।

भविष्य के दृष्टिकोण में शामिल मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • एआई (Artificial Intelligence) की बदलावकारी क्षमता: समाज और अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार देने में एआई की भूमिका को पहचानना।
  • चुनौतियां और जोखिम: एआई से जुड़े सुरक्षा, गोपनीयता, भेदभाव, और पारदर्शिता के मुद्दे स्वीकार करना।
  • समावेशी और मानव-केंद्रित एआई: एक मजबूत वैज्ञानिक आधार पर एआई को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता।
  • ओईसीडी और यूनेस्को की सिफारिशें: एआई पर ओईसीडी और यूनेस्को की नैतिकता सिफारिशों के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता।
  • जीपीएआई की पहचान: एआई पर वैश्विक बहु-हितधारक सहयोग के लिए जीपीएआई की अनूठी पहल को मान्यता देना।
  • नवीन सदस्यता: जीपीएआई की सदस्यता में विविधता लाने की प्रतिबद्धता।
  • भविष्य की अवधारणा: जीपीएआई के भविष्य और इसके प्रशासन एवं परिचालन के तौर-तरीकों की अवधारणा निर्धारित करना।
  • ओईसीडी समर्थन: ओईसीडी के साथ तालमेल बढ़ाने के लिए साझा प्रतिबद्धता।
  • नया दृष्टिकोण: ओईसीडी के साथ एकीकृत साझेदारी की घोषणा।
  • सभी की भलाई के लिए एआई: सुरक्षित, सुदृढ़ एवं भरोसेमंद एआई की क्षमता का दोहन करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ समावेशी वार्ता को बढ़ावा देना।
  • समान भागीदारी: जीपीएआई के सभी सदस्य बिना भेदभाव के समान रूप से भाग लेंगे।
  • समावेशी प्रशासन: काउंसिल, प्लेनरी और स्टीयरिंग ग्रुप के जरिये समावेशी प्रशासन सुनिश्चित करना।
  • मल्टी-स्टेकहोल्डर स्वभाव: जीपीएआई के बहु हितधारक स्वभाव को बनाए रखने और उसे मजबूती देने के लिए प्रतिबद्धता।
  • समान स्थिति: ओईसीडी सदस्यता के इतर समान स्थिति के आधार पर कार्य पद्धतियों का विकास।
  • डिजिटल विभाजन: देशों के भीतर और बीच डिजिटल विभाजन को पाटने में भागीदारी की महत्वपूर्ण भूमिका।
  • अन्य मंचों के साथ तालमेल: जी20, जी7, और अन्य मंचों के एआई संबंधी पहलों के साथ तालमेल बढ़ाना।
  • रचनात्मक वार्ता: सभी की भलाई के लिए एआई का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए रचनात्मक वार्ता को बनाए रखना।
  • सर्बिया की अध्यक्षता: 2024-25 के लिए जीपीएआई के अध्यक्ष के रूप में सर्बिया का चुनाव।

पृष्ठ्भूमि:

  • यह बैठक एआई के नैतिक एवं समावेशी विकास को आगे बढ़ाने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है और ‘सभी की भलाई और सभी के लिए एआई’ की क्षमता का दोहन करने के लिए एकीकृत साझेदारी का मार्ग प्रशस्त करेगी।

3. शिक्षा मंत्रालय समस्‍त कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों और छात्रावासों में आईसीटी लैब एवं स्मार्ट कक्षाएं उपलब्ध कराएगा:

सामान्य अध्ययन: 2

शिक्षा:

विषय: शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी)।

मुख्य परीक्षा: वंचित वर्गों के लिए शैक्षिक सुधार, योजनाएं और पहल।

प्रसंग:

  • भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने समस्‍त कार्यात्‍मक कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) और छात्रावासों में ‘समग्र शिक्षा’ (Samagra Shiksha) मानदंडों के अनुसार आईसीटी (सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी) लैब एवं स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।

उद्देश्य:

  • ताकि बालिकाओं को सशक्त बनाया जा सके, उन्हें डिजिटल रूप से दक्ष बनाया जा सके, और उनके ज्ञान एवं कौशल को बढ़ाया जा सके।
  • इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई को पाटना भी संभव हो जाएगा। लगभग 290 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस पहल से केजीबीवी की 7 लाख बालिकाएं लाभान्वित होंगी ।

विवरण:

  • केजीबीवी दरअसल वंचित समूहों जैसे कि एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवनयापन करने वाली बालिकाओं के लिए कक्षा VI से लेकर कक्षा XII तक के आवासीय विद्यालय हैं।
  • केजीबीवी शैक्षणिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों में खोले जाते हैं, जिसका उद्देश्य इन बालिकाओं तक पहुंच एवं गुणवत्तापूर्ण या बेहतरीन शिक्षा सुनिश्चित करना है और इसके साथ ही स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर बालकों एवं बालिकाओं के ज्ञान में अंतर को कम करना है।
  • वर्तमान में देश के 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 5116 केजीबीवी कार्यरत हैं।
  • केजीबीवी में बालिकाओं को आईसीटी लैब और स्मार्ट क्लासरूम उपलब्ध कराना अत्‍यंत आवश्‍यक है क्योंकि केजीबीवी की बालिकाएं वंचित पृष्ठभूमि से आती हैं और उन्‍हें शिक्षा की प्राप्ति में विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है जिनमें घर से स्‍कूलों का काफी दूर होना, सांस्कृतिक मानदंड और सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी शामिल हैं।
  • डिजिटल साक्षरता सुलभ कराना उनके व्यक्तिगत और प्रोफेशनल या व्यावसायिक विकास के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है। इससे डिजिटल ज्ञान में मौजूदा खाई (digital divide) को पाटने में भी काफी मदद मिलेगी।
  • तेजी से विकास और हमारे जीवन एवं आजीविका के साथ आईसीटी के एकीकरण के मौजूदा युग में यह अत्‍यंत आवश्‍यक है कि जीवन के सभी क्षेत्रों से वास्‍ता रखने वाले बालकों- बालिकाओं को खुद को आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस करने का अवसर मिले।
  • आईसीटी को स्कूली पाठ्यक्रम में एकीकृत किया गया है ताकि विद्यार्थियों, विशेषकर वंचित समूहों के विद्यार्थियों को पर्याप्त अनुभवात्मक जानकारियां मिल सकें।
  • आईसीटी सुविधाएं उपलब्‍ध कराने से यह सुनिश्चित होगा कि केजीबीवी की बालिकाओं को स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के विभिन्‍न डिजिटल प्लेटफॉर्मों/संसाधनों जैसे कि ‘स्वयं’, ‘स्वयं प्रभा’, राष्ट्रीय डिजिटल लाइब्रेरी, ई-पाठशाला, राष्ट्रीय मुक्त शैक्षणिक संसाधन भंडार, दीक्षा, इत्‍यादि तक बेहतर पहुंच सुलभ होगी। इससे इन बालिकाओं का ज्ञान एवं कौशल बढ़ेगा।

4. नीति आयोग ‘संपूर्णता अभियान’ आरंभ करेगा:

सामान्य अध्ययन: 2

सामाजिक न्याय:

विषय: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं एवं इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन ,इन अति संवेदन शील वर्गों की रक्षा एवं बहतरी के लिए गठित तंत्र,विधि ,संस्थान एवं निकाय।

प्रारंभिक परीक्षा: आकांक्षी जिला कार्यक्रम,आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम।

मुख्य परीक्षा: ‘संपूर्णता अभियान’ का महत्व।

प्रसंग:

  • नीति आयोग 4 जुलाई से 30 सितंबर 2024 तक 3 महीने का ‘संपूर्णता अभियान’ आरंभ कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश भर के आकांक्षी जिलों में 6 प्रमुख संकेतकों और आकांक्षी ब्लॉकों में 6 प्रमुख संकेतकों की परिपूर्णता अर्जित करने के लिए निरंतर प्रयास करना है।

उद्देश्य:

  • ‘संपूर्णता अभियान’ का उद्देश्य आकांक्षी जिला कार्यक्रम और आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम के तहत 112 आकांक्षी जिलों और 500 आकांक्षी ब्लॉकों में चिन्हित 6 संकेतकों में से प्रत्येक में परिपूर्णता हासिल करना है।

विवरण:

  • ‘सम्पूर्णता अभियान’ सभी आकांक्षी ब्लॉकों में निम्नलिखित 6 चिन्हित केपीआई पर ध्यान केंद्रित करेगा:
    • पहली त्रैमासिक अवधि के दौरान प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) के लिए पंजीकृत गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत
    • ब्लॉक में लक्षित जनसंख्या के मुकाबले मधुमेह की जांच कराने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत
    • ब्लॉक में लक्षित जनसंख्या के मुकाबले उच्च रक्तचाप के लिए जांचे गए व्यक्तियों का प्रतिशत
    • आईसीडीएस (ICDS) कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित रूप से पूरक पोषण लेने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत
    • मृदा नमूना संग्रहण लक्ष्य के मुकाबले सृजित मृदा स्वास्थ्य कार्डों का प्रतिशत
    • ब्लॉक में कुल स्वयं सहायता समूहों के मुकाबले रिवाल्विंग फंड प्राप्त करने वाले स्वयं सहायता समूहों का प्रतिशत
  • ‘सम्पूर्णता अभियान’ के अंतर्गत आकांक्षी जिलों (Aspirational Districts) में चिन्हित 6 केपीआई इस प्रकार हैं:
    • पहली त्रैमासिक अवधि के दौरान प्रसवपूर्व देखभाल (एएनसी) के लिए पंजीकृत गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत
    • आईसीडीएस कार्यक्रम के अंतर्गत नियमित रूप से पूरक पोषण लेने वाली गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत
    • पूर्णतः प्रतिरक्षित बच्चों का प्रतिशत (9-11 माह) (बीसीजी+डीपीटी3+ओपीवी3+खसरा 1)
    • वितरित मृदा स्वास्थ्य कार्डों की संख्या
    • माध्यमिक स्तर पर कार्यात्मक विद्युत सुविधा वाले विद्यालयों का प्रतिशत
    • शैक्षणिक सत्र शुरू होने के एक महीने के भीतर बच्चों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराने वाले स्कूलों का प्रतिशत
  • नीति आयोग उन कार्यकलापों की सूची उपलब्ध करा रहा है जिन्हें जिले और ब्लॉक ‘संपूर्णता अभियान’ के शुभारंभ के हिस्से के रूप में आयोजित कर सकते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, ब्लॉक और जिलों को अभियान की गति बनाए रखने और निरंतर भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से लोक संपर्क गतिविधियाँ आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • इस प्रयास को सफल बनाने तथा जमीनी स्तर पर ठोस प्रभाव डालने के लिए:
    • जिले/ब्लॉक छह संकेतकों को पूर्ण करने के लिए 3 महीने की कार्य योजना विकसित करेंगे
    • जिले/ब्लॉक प्रत्येक माह परिपूर्णता पर हुई प्रगति को ट्रैक करेंगे
    • जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन अभियान लागू करना
    • जिला अधिकारी समवर्ती निगरानी प्रक्षेत्र का दौरा करेंगे
  • नीति आयोग, संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के साथ-साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ मिलकर इन जिलों और ब्लॉकों के प्रभावी और तेज़ विकास को सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करेगा।
  • यह सहयोग बेहतर नियोजन और कार्यान्वयन, क्षमता निर्माण और बेहतर तथा सतत सेवा वितरण के लिए प्रणालियां स्थापित करने पर केंद्रित होगा।

पृष्ठ्भूमि:

आकांक्षी जिले और ब्लॉक कार्यक्रम के बारे में:

  • देश के अपेक्षाकृत पिछड़े और दूरदराज के क्षेत्रों के तेजी से विकास को सुनिश्चित करने के लिए 112 जिलों को कवर करने वाले आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) को वर्ष 2018 में लॉन्च किया गया था।
    • एडीपी ने अपने नागरिकों के जीवन को उन्नत बनाने वाले प्रमुख संकेतकों को बेहतर बनाने पर एक मापनीय और ठोस प्रभाव डाला है।
    • आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) की सफलता के आधार पर, आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम (एबीपी) को 2023 में प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया और इसका उद्देश्य देश भर के 500 ब्लॉकों में स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा, पेयजल और स्वच्छता, कृषि, जल संसाधन, वित्तीय समावेशन और अवसंरचना जैसे कई क्षेत्रों में आवश्यक सरकारी सेवाओं की परिपूर्णता अर्जित करना है।

आकांक्षी जिला कार्यक्रम

आकांक्षी ब्लॉक कार्यक्रम

जनवरी 2018 में प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया

जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च किया गया

पांच विषय वस्तुओं पर केंद्रित:

स्वास्थ्य एवं पोषण

शिक्षा

कृषि एवं जल संसाधन

वित्तीय समावेशन और कौशल विकास

अवसंरचना

पांच विषय वस्तुओं पर केंद्रित:

स्वास्थ्य एवं पोषण

शिक्षा

कृषि एवं संबद्ध सेवाएँ

अवसंरचना

सामाजिक विकास

विकास के 81 संकेतकों पर प्रगति मापी गई

प्रगति को विकास के 40 संकेतकों पर मापा जाता है

चित्र स्रोत: PIB

5. प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्ट-अप्स और एमएसएमई को प्रोत्साहन

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना।

मुख्य परीक्षा:प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता टिपण्णी कीजिए।

प्रसंग:

  • प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना सार्वजनिक/निजी उद्योगों, विशेष रूप से स्टार्ट-अप और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम की भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है।

उद्देश्य:

  • इसका उद्देश्य अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में क्षमताओं को बढ़ाने और रक्षा क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भरता’ को विस्तार देने के लक्ष्य के साथ एक इकोसिस्टम तैयार करना है।
  • प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत निष्पादित रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है।
  • अब तक, 300 करोड़ रुपये से अधिक के आर्थिक लाभ की प्रतिबद्धता के साथ कुल 77 परियोजनाएं विभिन्न उद्योगों को स्वीकृत की गई हैं।
  • इस योजना के माध्यम से कुल 27 रक्षा प्रौद्योगिकियों को सफलतापूर्वक संपादित किया गया है।

विवरण:

इस महत्वपूर्ण योजना के अंतर्गत कुछ स्टार्ट-अप्स की सफलता की गाथाएं निम्नलिखित हैं:

  • कॉम्बैट रोबोटिक्स, पुणे:
    • पुणे स्थित स्टार्ट-अप कॉम्बैट रोबोटिक्स ने मानव रहित वाहनों के लिए एक नवीनतम सिम्युलेटर सफलतापूर्वक विकसित किया है। यह एक बहु-उद्देश्यीय सिम्युलेटर है, जो मानव रहित स्थलीय वाहन (यूजीवी), मानव रहित जलीय वाहन (यूयूवी), मानव रहित सतही वाहन (यूएसवी) और मानव रहित हवाई यान (यूएवी) की सहायता का कार्य करता है।
    • यह सिम्युलेटर डेवलपर डॉक्यूमेंटेशन के साथ व्यापक पर्यावरण मॉडलिंग, परिदृश्य एवं वाहन मॉडलिंग तथा सहज नियंत्रण प्रणाली उपलब्ध कराता है।
    • इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की बेंगलुरु स्थित प्रयोगशाला सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (सीएआईआर) के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है।
  • ची स्टैट्स लैब्स प्राइवेट लिमिटेड, पुणे
    • एयरो गैस टर्बाइन इंजन की संपूर्ण निगरानी के लिए वर्चुअल सेंसर: इस परियोजना में एयरो गैस टर्बाइन इंजन (एजीटीई) के विभिन्न भागों की एक व्यापक डायग्नोस्टिक प्रणाली का विकास शामिल है, जिससे इंजन की परिचालन क्षमता में विश्वसनीयता और दीर्घायु में बढ़ोतरी होगी।
    • यह प्रणाली आधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस/मशीन लर्निंग (एआई/एमएल) तकनीकों के सशक्त आधार पर बनाई गई है। इसमें वर्चुअल सेंसर फ्रेमवर्क को स्वदेशी रूप से विकसित किया जा रहा है।
  • डेटा मूल्यांकन, सक्रिय अधिगम और विजुअल डेटा के लिए विश्वसनीयता का उपकरण: इस अभूतपूर्व परियोजना का उद्देश्य रक्षा अनुप्रयोगों हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल सत्यापन तथा अनुकूलन को बढ़ाना है। यह साझा और पुनरुत्पादनीय प्रयोगों के माध्यम से वैज्ञानिकों के बीच सहयोग की सुविधा प्रदान करेगा। सभी उपकरण उपयोगकर्ता के अनुकूल वेब इंटरफेस के माध्यम से उपलब्ध हैं।
  • यह परियोजना रक्षा परिदृश्यों हेतु विशाल मात्रा में एकत्र डेटा द्वारा उत्पन्न अद्वितीय चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से एक व्यापक रूपरेखा विकसित करने पर केंद्रित है।
    • इसमें चार प्रमुख मॉड्यूल शामिल हैं: डेटा/फीचर असेसमेंट, एक्टिव लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विश्वसनीयता और वेब एप्लीकेशन।
    • यह रक्षा संगठनों को अधिक सटीक, विश्वसनीय व कुशल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मॉडल बनाने में सक्षम करेगा, जिससे विभिन्न महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों में बेहतर निर्णय लेने तथा क्षमताओं को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
    • सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स, बेंगलुरु ने परियोजना के मार्गदर्शन और निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • न्यू स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, बेंगलुरु
    • बेंगलुरु स्थित न्यू स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड स्टार्ट-अप ने ‘ऑटोनॉमस ड्रोन एज फर्स्ट रिस्पॉन्डर फॉर सर्च एंड रिपोर्ट ऑपरेशन्स इन इंक्लोज्ड /इंडोर एनवायरनमेंट’ नामक परियोजना के तहत एक अत्याधुनिक यूएवी बनाया है, जो शून्य प्रकाश होने सहित विभिन्न परिस्थितियों में आंतरिक आवरण की तलाशी लेने में सक्षम है।
  • यह परियोजना स्वायत्त नेविगेशन स्टैक, ऑनबोर्ड ऑब्जेक्ट डिटेक्शन मॉड्यूल और फ्लाइट कंट्रोल फर्मवेयर के साथ एकीकृत स्थानीयकृत फॉल बैक मैकेनिज्म के साथ एकीकृत इनडोर यूएवी के विकास पर केंद्रित है। स्वायत्त नेविगेशन स्टैक के साथ एकीकरण में 3डी मैपिंग, एक्सप्लॉरेशन एल्गोरिदम और एआई/एमएल इंजन शामिल हैं।

पृष्ठ्भूमि:

प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और स्टार्ट-अप सहित तमाम भारतीय रक्षा उद्योगों को अनुदान सहायता प्रदान करना, साथ ही अकादमिक व वैज्ञानिक संस्थानों को रक्षा तथा दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए मदद उपलब्ध कराना, जो वर्तमान में भारतीय रक्षा उद्योग के पास उपलब्ध नहीं हैं।
  • इसका लक्ष्य निजी उद्योगों, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और स्टार्ट-अप के साथ जुड़ना, सैन्य प्रौद्योगिकी के डिजाइन एवं विकास की संस्कृति लाना तथा उन्हें अनुदान सहायता के साथ सहयोग देना भी है।
  • देश में पहली बार विकसित की जा रही विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान, डिजाइन और विकास पर ध्यान केंद्रित करना।
  • सशस्त्र बलों, अनुसंधान करने वाले संगठनों, शिक्षाविदों और अर्हता/प्रमाणन एजेंसियों तथा निजी क्षेत्र की संस्थाओं के बीच सेतु का निर्माण करना।

6. संयुक्त सैन्य अभ्यास नोमैडिक एलीफेंट मेघालय में आरंभ:

सामान्य अध्ययन: 3

रक्षा एवं सुरक्षा:

विषय: सुरक्षा चुनौतियां एवं उनका प्रबंधन।

प्रारंभिक परीक्षा: नोमैडिक एलीफेंट अभ्यास।

मुख्य परीक्षा: भारत-मंगोलिया संबंध।

प्रसंग:

  • भारत-मंगोलिया संयुक्त सैन्य अभ्यास नोमैडिक एलीफेंट का 16वां संस्करण 03 जुलाई 2024 को उमरोई (मेघालय) के विदेशी प्रशिक्षण नोड में आरंभ हुआ। यह अभ्यास 03 से 16 जुलाई 2024 तक आयोजित किया जाना है।

उद्देश्य:

  • इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र अधिदेश के अध्याय VII के तहत उप-पारंपरिक परिदृश्य में आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने के लिए दोनों पक्षों की संयुक्त सैन्य क्षमता को बढ़ाना है।
  • यह अभ्यास अर्ध-शहरी और पर्वतीय क्षेत्रों में किये जाने वाले प्रचालनों पर केंद्रित होगा।

विवरण:

  • नोमैडिक एलीफेंट अभ्यास: 45 कर्मियों वाला भारतीय दल, जिसमें सिक्किम स्काउट्स और अन्य शाखाओं के सैन्य कर्मी शामिल हैं, मंगोलियाई सेना की 150 त्वरित प्रतिक्रिया बल बटालियन के साथ भाग ले रहा है।
  • यह वार्षिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भारत और मंगोलिया में बारी-बारी से आयोजित होता है। पिछला संस्करण जुलाई 2023 में मंगोलिया में हुआ था।
  • अभ्यास के दौरान सामरिक अभ्यासों में आतंकवादी कार्रवाई का प्रत्युत्तर देना, एक संयुक्त कमान पोस्ट की स्थापना, एक खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, हेलीपैड/लैंडिंग साइट की सुरक्षा, छोटी टीमों का समावेश और निकासी, विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन, घेराबंदी और तलाशी अभियान के अतिरिक्त ड्रोन और काउंटर ड्रोन सिस्टम का उपयोग आदि शामिल हैं।
  • मंगोलिया के सशस्त्र बलों के जनरल स्टाफ के प्रमुख मेजर जनरल ज्ञानब्याम्बा सुनरेव 16 जुलाई 2024 को भारतीय सेना की 33 कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए. मिनवाला के साथ समापन समारोह में भाग लेंगे।
  • नोमैडिक एलीफेंट अभ्यास से दोनों देश संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम होंगे।
  • यह अभ्यास दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन, सौहार्द और सहयोग विकसित करने में भी सहायक होगा।
  • इससे रक्षा सहयोग का स्तर भी बढ़ेगा, जिससे दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में और वृद्धि होगी।
  • भारत-मंगोलिया संबंध से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: India – Mongolia relations

7. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में जीका वायरस के मामलों को देखते हुए राज्यों को परामर्श जारी किया:

सामान्य अध्ययन: 2

स्वास्थ्य:

विषय: स्वास्थ्य,शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: जीका वायरस।

प्रसंग:

  • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) ने महाराष्ट्र में जीका वायरस (Zika virus) के कुछ दर्ज किए गए मामलों को देखते हुए राज्यों को एक परामर्श जारी किया है। इसमें देश में जीका वायरस की स्थिति पर निरंतर सतर्कता बनाए रखने की जरूरत पर प्रकाश डाला गया है।

उद्देश्य:

  • चूंकि जीका संक्रमित गर्भवती महिला के भ्रूण में माइक्रोसेफली और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव आ जाता है।
  • राज्यों से आग्रह किया गया है कि वे संक्रमित क्षेत्रों में वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस संक्रमण के लिए जांच करें, जीका से संक्रमित पाई गईं गर्भवती माताओं के भ्रूण के विकास की निगरानी करें और केंद्र सरकार के दिए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करें।
  • राज्यों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्वास्थ्य सुविधाओं/अस्पतालों को एक नोडल अधिकारी की पहचान करने की सलाह दें जो अस्पताल परिसर को एडीज मच्छर से मुक्त रखने के लिए निगरानी और कार्य करें।

विवरण:

  • राज्यों को कीट विज्ञान निगरानी और वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों को मजबूत करने का निर्देश दिया गया है। समुदाय में घबराहट कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर एहतियाती संदेशों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का आग्रह किया गया है, क्योंकि जीका अधिकांश मामलों में लक्षणहीन और हल्का होता है। 2016 के बाद से जीका से जुड़ा माइक्रोसेफली का कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है।
  • राज्य अधिकारियों को आसन्न उछाल/प्रकोप का समय पर पता लगाने और नियंत्रण के लिए सतर्क और तैयार रहने की सलाह दी गई है। सभी स्तरों पर उचित रसद सुनिश्चित करने और जीका के किसी भी मामले की तुरंत रिपोर्ट आईडीएसपी और एनसीवीबीडीसी को देने का आग्रह किया गया है।
  • जीका परीक्षण सुविधा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे; राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), दिल्ली और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की कुछ चुनिंदा वायरस अनुसंधान और नैदानिक ​​प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है। जीका संक्रमण के बारे में उच्च स्तर पर समीक्षा की जा रही है।
  • डीजीएचएस ने इस साल की शुरुआत में 26 अप्रैल को एक एडवाइजरी भी जारी की थी।
  • एनसीवीबीडीसी के निदेशक ने भी फरवरी और अप्रैल, 2024 में दो एडवाइजरी जारी की हैं ताकि राज्यों को एक ही वेक्टर मच्छर से फैलने वाली जीका, डेंगू और चिकनगुनिया बीमारी के बारे में पहले से चेतावनी दी जा सके।

पृष्ठ्भूमि:

  • डेंगू और चिकनगुनिया की तरह जीका भी एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका संक्रमित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) से जुड़ा है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है।
  • भारत में 2016 में गुजरात राज्य में जीका का पहला मामला सामने आया था। तब से, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे कई अन्य राज्यों में भी बाद में जीका मामले दर्ज किए हैं।
  • वर्ष 2024 में (2 जुलाई तक), महाराष्ट्र के पुणे में 6, कोल्हापुर में 1 और संगमनेर 1 यानी पूरे आठ मामले दर्ज किए गए हैं।

8. कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग।

मुख्य परीक्षा: कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग में भारत की भूमिका।

प्रसंग:

  • भौगोलिक आधार (एशिया) पर चुने गए एक सदस्य के रूप में भारत कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग (Codex Alimentarius Commission) की कार्यकारी समिति (सीसीईएक्सईसी) के 86वें सत्र में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।

उद्देश्य:

  • खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित इस अंतरराष्ट्रीय निकाय कोडेक्स एलीमेंटेरियस आयोग का उद्देश्य उपभोक्ता स्वास्थ्य की रक्षा करना और खाद्य व्यापार में न्‍याय संगत प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
  • सीसीईएक्सईसी इस नए कार्य के प्रस्तावों की समीक्षा करने और मानकों के विकास की प्रगति की निगरानी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विवरण:

  • भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India (FSSAI)) के सीईओ ने 1 से 5 जुलाई, 2024 तक रोम स्थित खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) मुख्यालय में आयोजित होने वाले सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
  • सत्र के दौरान, भारत ने छोटी इलायची, हल्दी और वेनिला सहित विभिन्न मसालों के लिए मानकों के विकास की प्रगति का मजबूती से समर्थन किया।
  • यह पहल भारत के लिए विशेष रूप से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह इन मसालों का एक प्रमुख उत्पादक और निर्यातक देश है।
  • इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में सुगमता भी आएगी। इसके अलावा भारत ने नामित वनस्पति तेलों के लिए मानकों की प्रगति, शिगा टॉक्सिन-उत्पादक एस्चेरिचिया कोली के नियंत्रण के लिए दिशा-निर्देश और खाद्य उत्पादन और प्रसंस्करण में पानी के सुरक्षित उपयोग और पुन: उपयोग का समर्थन किया है।
  • खाद्य पैकेजिंग में रीसाइकल सामग्रियों के उपयोग से संबंधित खाद्य सुरक्षा कारणों पर कोडेक्स मार्गदर्शन विकसित करने का महत्‍वपूर्ण प्रस्ताव का भी समर्थन किया गया है।
    • यह पहल जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण संरक्षण और स्थिरता जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में महत्वपूर्ण है।
    • इन दिशा-निर्देशों को सीसीईएक्सईसी सदस्यों द्वारा काफी सराहना की गई।
  • उच्च स्तरीय कार्यकारी समिति (सीसीईएक्सईसी) में एक सदस्य के रूप में भारत की भागीदारी मजबूत खाद्य सुरक्षा मानकों की स्थापना और वैश्विक खाद्य व्यापार में न्‍याय संगत प्रथाओं को बढ़ावा देने के प्रति अपने समर्पण पर जोर देती है और अंतरराष्ट्रीय खाद्य उद्योग में देश की महत्वपूर्ण भूमिका को भी दर्शाती है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे सम्बंधित कुछ नहीं हैं।

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