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05 अप्रैल 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. सरकार ने अगले 5 वर्षों में सालाना 50 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की योजना की घोषणा की:  
  2. भूस्खलन की घटनाओं का संबंध कार्यरत/निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं से नहीं है:इसरो  अध्ययन 
  3. औचित्य के प्रश्न के निर्धारण के संबंध में संविधान के अनुच्छेद:
  4. राष्ट्रीय समुद्री दिवस की हीरक जयंती:
  5. स्टैंड अप इंडिया:
  6. मिशन अमृत सरोवर:
  7. लद्दाख की लकड़ी पर नक्काशी कला को GI टैग प्राप्त:
  8. वर्ष 2021-22 के दौरान परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों ने देश में उत्पन्न कुल बिजली का 3.15% उत्पादन किया: 

1.सरकार ने अगले 5 वर्षों में सालाना 50 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की योजना की घोषणा की:

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढांचा:

विषय: ऊर्जा

प्रारंभिक परीक्षा: गैर-जीवाश्म ईंधन।  

प्रसंग: 

  • सरकार ने 2030 तक 500 गीगावॉट के लक्ष्य को हासिल करने के लिए, अगले 5 वर्षों में यानि वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक सालाना 50 गीगावॉट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता जोड़ने की योजना की घोषणा की। 

उद्देश्य:

  • सरकार द्वारा अल्पकालिक और दीर्घकालिक आरई क्षमता वृद्धि की घोषणा, 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा ऊर्जा स्रोतों में तेजी से बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।   

विवरण:  

  • सरकार ने अगले पांच वर्षों यानि, वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2027-28 तक, सालाना 50 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां आमंत्रित करने का फैसला किया है। 
    • आईएसटीएस (अंतर-राज्य पारेषण ट्रांसमिशन) से जुड़ी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता की इन वार्षिक बोलियों में प्रति वर्ष कम से कम 10 गीगावॉट की पवन ऊर्जा क्षमता की स्थापना भी शामिल होगी।
    • केंद्रीय बिजली और एनआरई मंत्री श्री आर.के. सिंह की अध्यक्षता में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) की पिछले सप्ताह हुई बैठक में इस योजना को अंतिम रूप दिया गया, जो कॉप26 में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन (नवीकरणीय ऊर्जा + परमाणु) स्रोतों से 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने की बात कही थी।
  • वर्तमान में, भारत की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 168.96 गीगावॉट (28 फरवरी 2023 तक) है, जिसमें लगभग 82 गीगावॉट कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं, जबकि लगभग 41 गीगावॉट निविदा चरण के तहत है। 
  • इसमें 64.38 गीगावॉट सौर ऊर्जा, 51.79 गीगावॉट पन-बिजली ऊर्जा, 42.02 गीगावॉट पवन ऊर्जा और 10.77 गीगावॉट जैविक-ऊर्जा शामिल हैं।
  • इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं को चालू होने में लगभग 18-24 महीने लगते हैं, बोली योजना से 250 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा की वृद्धि होगी और 2030 तक 500 गीगावॉट की स्थापित क्षमता सुनिश्चित होगी। 
  • विद्युत मंत्रालय गैर-जीवाश्म ईंधन से 500 गीगावॉट बिजली के लिए पारेषण प्रणाली की क्षमता के उन्नयन और जोड़ने पर पहले से ही काम कर रहा है। 
  • इसके अलावा, मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बोलियों की तिमाही योजना की घोषणा की है, जिसमें वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही (क्रमशः, अप्रैल-जून 2023 और जुलाई-सितंबर 2023) में से प्रत्येक में कम से कम 15 गीगावॉट और वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही (क्रमशः अक्टूबर-दिसंबर 2023 और जनवरी-मार्च 2024) में कम से कम 10 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए बोलियां शामिल हैं।
  • यह क्षमता वृद्धि, उन आरई क्षमताओं के अतिरिक्त है, जो मंत्रालय की रूफटॉप सोलर और पीएम-कुसुम जैसी योजनाओं के तहत आएगी, जिसके अंतर्गत बोलियां विभिन्न राज्यों द्वारा सीधे जारी की जातीं हैं और इनमें वे क्षमताएं भी शामिल हैं जो खुली पहुँच (ओपन एक्सेस) नियमों के तहत आ सकती हैं।
  • वर्तमान में, सरकार ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसईसीआई), एनटीपीसी लिमिटेड और एनएचपीसी लिमिटेड को ऐसी बोलियों को आमंत्रित करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा कार्यान्वयन एजेंसियों (आरईआईए) के रूप में अधिसूचित किया है। 
  • यह निर्णय लिया गया है कि एसजेवीएन लिमिटेड, जो भारत सरकार के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, को आरईआईए के रूप में अधिसूचित किया जाएगा।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के लिए लक्षित बोली क्षमता चार आरईआईए के बीच आवंटित की जाएगी।
  • आरईआईए को सौर, पवन, सौर-पवन हाइब्रिड, आरटीसी आरई पावर, आदि – सभी भंडारण के साथ या बिना – के लिए बोलियां जारी करने की अनुमति होगी, जो आरई बाजार के उनके आकलन के अनुसार या सरकार के निर्देशों के अनुसार होंगी।

2. भूस्खलन की घटनाओं का संबंध कार्यरत/निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं से नहीं है:इसरो अध्ययन

सामान्य अध्ययन: 1

भूगोल:

विषय: महत्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएं । 

प्रारंभिक परीक्षा: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस)। 

मुख्य परीक्षा: भारत में हो रही भूस्खलन की घटनाओं का संबंध कार्यरत/निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं से नहीं है ? कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए ?

प्रसंग: 

  • इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग (आईआईआरएस), देहरादून ने जलविद्युत परियोजनाओं के आसपास के इलाकों में भूस्खलन की घटनाओं पर एक अध्ययन किया है और “रिमोट सेंसिंग एवं जीआईएस प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली कार्यरत/निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं में भूस्खलन के अध्ययन पर रिपोर्ट” तैयार की है।

विवरण:  

  • आईआईआरएस ने एनएचपीसी के नौ (09) बिजली उत्पादन केन्द्रों/परियोजनाओं में यह अध्ययन किया।
  • इन परियोजनाओं में अरुणाचल प्रदेश की सुबनसिरी लोअर, सिक्किम की तीस्ता-V एवं रंगित, जम्मू-कश्मीर की सलल, दुलहस्ती एवं उरी-II, हिमाचल प्रदेश की चमेरा-I एवं परबत-II और उत्तराखंड में धौलीगंगा शामिल हैं। 
  • इस अध्ययन में इन परियोजनाओं के निर्माण की शुरुआत से 10 साल पहले की अवधि से लेकर इन परियोजनाओं/बिजली उत्पादन केन्द्रों की वर्तमान स्थिति तक भूस्खलनों की सूची मानचित्र तैयार करने का काम किया गया। 
  • अध्ययन की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ज्यादातर मामलों में इन परियोजनाओं के निर्माण से पहले पाए गए भूस्खलन वाले क्षेत्र की तुलना में अब भूस्खलन वाले क्षेत्र में काफी कमी आई है। 
  • इस अध्ययन से यह पता चला है कि इन जलविद्युत परियोजनाओं के आसपास होने वाली भूस्खलन संबंधी गतिविधियों का संबंध इन परियोजनाओं के निर्माण की गतिविधियों से नहीं है। 
  • स्थलाकृति, भूवैज्ञानिक स्थितियां और वर्षा इन भूस्खलन संबंधी गतिविधियों के प्रमुख कारक/ प्रेरक कारक रहे हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, कालगत आंकड़ों से ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांश मामलों में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण एवं उससे संबंधित गतिविधियां और इन परियोजनाओं के शुरू हो जाने के बाद की हाइड्रोलॉजिकल स्थितियों ने इस क्षेत्र को स्थिर करने में मदद की होगी। 
  • इसके अलावा, जलविद्युत परियोजनाओं का आकार, जलाशय का आकार, स्थानीय भूविज्ञान, मिट्टी और भूमि आच्छादन की स्थिति (विशेष रूप से वनस्पति आच्छादन) ने इन परियोजनाओं से जुड़े क्षेत्रों में भूस्खलन को कम करने में कुछ ढलान स्थिरीकरण संबंधी भूमिका निभाई होगी।
  • यह रिपोर्ट उपग्रह छवि पर आधारित व्याख्या की मदद से तैयार की गई है, जो उपग्रह छवि के रिजोल्यूशन और उनकी उपलब्धता पर निर्भर है।

3. औचित्य के प्रश्न के निर्धारण के संबंध में संविधान के अनुच्छेद:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन प्रणाली: 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान। 

प्रारंभिक परीक्षा: संविधान के अनुच्छेद 79, अनुच्छेद 105, अनुच्छेद 121, अनुच्छेद 118 

मुख्य परीक्षा: औचित्य के प्रश्न के निर्धारण के संबंध में संविधान के अनुच्छेदों पर चर्चा कीजिए।   

प्रसंग: 

  • 13 मार्च, 2023 को विपक्ष के नेता श्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने, सभा के नेता द्वारा “विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता द्वारा विदेश में जिस असभ्य तरीके से भारत के लोकतंत्र पर हमला किया गया और भारत की संसद का अपमान किया गया” के लिए माफी मांगने के अभिकथन का उत्तर देते हुए एक औचित्य का प्रश्न उठाया कि राज्यसभा में किसी लोकसभा सदस्य या ऐसे किसी व्यक्ति जो राज्यसभा का सदस्य न हो के संबंध में कोई चर्चा/विचार-विमर्श नहीं हो सकता।

विवरण:  

  • संसद, जो हमारी लोकतांत्रिक राजव्यवस्था का सबसे प्रामाणिक प्रतिनिधि और पवित्र मंच है, के सामर्थ्य पर  वाद-विवाद/चर्चा से संबंधित औचित्य के प्रश्न से महत्वपूर्ण कुछ नहीं हो सकता। 
  • इस पर विचार करने में मुझे संज्ञात है कि हम सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं जो सब लोकतंत्रों की जननी है तथा संपूर्ण मानव समाज के लगभग छठे भाग का घर है। हमारी संसद लोकतंत्र का गर्भगृह है।     
  • संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार संसद ‘राष्ट्रपति और दो सदनों से मिलकर बनेगी जिनके नाम राज्यसभा और लोकसभा होंगे’। 
  • ‘संसद’ के संबंध में विचार-विमर्श अथवा अभिकथनों पर भी इस तथ्यात्मक स्थिति को ध्यान में रखते हुए विचार करना होगा।
  • संविधान का अनुच्छेद 105 जो ‘संसद के सदनों की तथा उनके सदस्यों और समितियों की शक्तियां, विशेषाधिकार आदि’ का भंडार है, में संसद के सदस्यों को छूट देने के साथ ‘संसद में वाक-स्वातंत्र्य ‘ की सुविधा प्रदान की गई है और कहा गया है कि “संसद् मे या उसकी किसी समिति में  संसद् के किसी सदस्य द्वारा कही गई किसी बात या दिए गए किसी मत के संबंध में उसके विरुद्ध किसी न्यायालय में कोई कायर्वाही नहीं की जाएगी।”
  • संविधान के अनुच्छेद 121 में उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के, अपने कर्तव्य के निर्वहन में किए गए आचरण के विषय में संसद में किसी चर्चा के विनियमन के संबंध में कहा गया है कि ऐसी चर्चा उस न्यायाधीश को हटाने की प्रार्थना करने वाले समावेदन को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रस्ताव पर ही होगी ।
  • इस प्रकार संवैधानिक व्यवस्था में संसद में संसद सदस्य की वाक्-स्वातंत्र्य पर कोई रोक या नियंत्रण नहीं है। 
  • संविधान के अनुच्छेद 118(1) में ‘राज्यसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन के विनियमन’ के लिए बनाए गए नियम 238 और 238क भी इस संदर्भ में संगत हैं।  
    • वस्तुतः, नियम 238क में राज्यसभा में किसी लोकसभा सदस्य के विरुद्ध चर्चा का उपबंध किया गया है जोकि किसी सदस्य द्वारा किसी अन्य सदस्य या किसी लोकसभा सदस्य के विरुद्ध ‘मानहानिकारक या अपराध में फंसाने वाले स्वरूप के आरोप’ लगाने के विषय में सभापति को इसकी पूर्व सूचना दिए जाने की अपेक्षा के अध्यधीन है। 
    • इसी प्रकार नियम 238(v) कोई सदस्य किसी ‘उच्च प्राधिकार वाले व्यक्ति’ के आचरण पर तब तक आक्षेप नहीं करेगा जब तक कि चर्चा उचित शब्दों में रखे गए मूल प्रस्ताव पर आधारित न हो।
  • इस प्रकार इन नियमों में किए गए प्रावधान सभापति को पूर्वसूचना दिया जाना तभी अपेक्षित करते हैं जब किसी सदस्य द्वारा किसी अन्य सदस्य अथवा किसी लोकसभा सदस्य के विरुद्ध ‘मानहानिकारक या अपराध में फंसाने वाले स्वरूप के आरोप’ लगाए जाते हों अन्यथा नहीं।      
  • संसद के सदस्यों को प्राप्त ‘वाक्-स्वातंत्र्य’ और किसी सिविल या आपराधिक कार्रवाई से ‘छूट देने’ के संवैधानिक ‘विशेषाधिकार’ के मद्देनज़र अत्यन्त ध्यान, सावधानी और जवाबदेही की आवश्यकता होती है। यह विशिष्ट स्वतंत्रता का विशेषाधिकार बहुत ज्यादा दायित्वों के साथ प्राप्त होता है। 
    • इस विशेषाधिकार का हनन करते हुए लापरवाहीपूर्वक आरोप-प्रत्यारोप में संलिप्त होने या अप्रामाणिक सूचना, अपशब्दों तथा व्यंग्योक्तियों की भरमार करने या हानिकारक कहानियां गढ़ने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
  • लोकतंत्र के मंदिर की पवित्रता को भंग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि यह विशेषाधिकार संसद का अपमान करने, संवैधानिक संस्थानों की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाली अपमानजनक समुक्तियां करने या अपुष्ट तथ्यों के आधार पर लापरवाहीपूर्वक लगाए गए आरोपों के आधार पर कहानी गढ़ने के लिए नहीं है।
  • राज्यसभा में संसद सदस्य के वाक् स्वातंत्र्य के संवैधानिक विशेषाधिकार को कम करने या परिवर्तित करने के किसी भी प्रयास से लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रस्फुटन गंभीर रुप से प्रभावित और बाधित होगा।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.राष्ट्रीय समुद्री दिवस की हीरक जयंती:

  • राष्ट्रीय समुद्री दिवस की हीरक जयंती/डायमंड जुबली (60वें राष्ट्रीय समुद्री दिवस) समारोह मुंबई में आयोजित किया गया, जिसकी थीम ‘शिपिंग में अमृत काल’ थी।
  • पहली बार, 5 अप्रैल 1919 में भारतीय कंपनी सिंधिया स्टीम नैवीगेशन कंपनी लिमिटेड का एस एस लॉयल्टी नामक जहाज व्यापार करने के लिए भारत से लंदन गया। 
    • उसके स्मरण में बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय प्रत्येक वर्ष पांच अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस के रूप में मनाता है। 
  • राष्ट्रीय समुद्री दिवस भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में समुद्री व्यापार और वैश्विक व्यापार में अपने रणनीतिक स्थान की महत्वपूर्ण भूमिका को समर्पित है।
  • प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय समुद्री दिवस पर समुद्री दुनिया में भारत की प्रगति में योगदान देने वाले सभी लोगों को याद करते हुए राष्ट्रीय समुद्री दिवस पर बंदरगाह आधारित विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।

2. स्टैंड अप इंडिया:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों को सशक्त बनाने और महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में स्टैंड अप इंडिया पहल की भूमिका को स्वीकार किया है।
  • स्टैंड अप इंडिया को 05 अप्रैल 2023 को 7 साल पूरे हो गए हैं।
  • इस पहल ने SC/ST समुदायों को सशक्त बनाने और महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में भूमिका निभाई है। 

3. मिशन अमृत सरोवर:

  • प्रधानमंत्री ने मिशन अमृत सरोवर की सराहना की है। 
    • उन्होंने कहा है कि जिस गति से देशभर में अमृत सरोवरों का निर्माण हो रहा है, वह अमृत काल के संकल्पों में नई ऊर्जा भरने वाली है।
  • केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने जानकारी दी है कि 40 हजार से अधिक अमृत सरोवर राष्ट्र को समर्पित किए जा चुके हैं। 
    • अभी तक 15 अगस्त 2023 तक 50 हजार अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

4. लद्दाख की लकड़ी पर नक्काशी कला को GI टैग प्राप्त:

  • प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लद्दाख की लकड़ी पर नक्काशी कला को अपनी तरह के पहले GI टैग प्राप्त होने के लिए प्रसन्नता व्यक्त की है। 
  • इस उपलब्धि से लद्दाख की सांस्कृतिक परंपराएं और भी लोकप्रिय होंगी तथा इससे कारीगरों को काफी लाभ होगा।

व्यापार पर क्षेत्र के लोगों का अधिकार:

  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) के समझौते के तहत भौगोलिक क्षेत्र विशेष के अनूठे उत्पादों के व्यापार पर क्षेत्र के लोगों का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए उत्पादों को विशिष्ट भौगोलिक पहचान (GI टैग) प्रदान करने की व्यवस्था है। 
  • इससे किसी अन्य क्षेत्र में उसी तरह के उत्पाद को क्षेत्र विशेष की GI टैग प्राप्त वस्तु के नाम पर नहीं बेचा जा सकता है।

5. वर्ष 2021-22 के दौरान परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों ने देश में उत्पन्न कुल बिजली का 3.15% उत्पादन किया:

  • केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि वर्ष 2021-22 के दौरान परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों ने 47112 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया, जो देश में उत्पन्न कुल बिजली का लगभग 3.15% है।
  • लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि निर्माणाधीन परियोजनाओं के उत्तरोत्तर पूरा होने और मंजूरी मिलने पर वर्तमान स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031 तक 6780 मेगावाट से बढ़कर 22480 मेगावाट हो जाएगी। 
  • सरकार ने भविष्‍य में परमाणु रिएक्‍टर स्‍थापित करने के लिए नए स्‍थलों के लिए ‘सैद्धांतिक’ अनुमोदन भी दे दिया है।
  • डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने संयुक्त रूप से NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) नामक पृथ्वी विज्ञान उपग्रह का निर्माण किया है।
  • इसके आलावा सरकार ने दस परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए वृहद स्तर पर मंजूरी दी है।
  • सरकार ने परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए सार्वजनिक उपक्रमों को शामिल किया है। 
  • सरकार ने फ्लीट मोड में 700 मेगावाट प्रत्येक के 10 स्वदेशी दाबित भारी जल रिएक्टरों के लिए प्रशासनिक स्वीकृति और वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है।
राज्य स्थान  परियोजना क्षमता (मेगावाट)
कर्नाटक कैगा कैगा-5 और 6 2 x 700
हरियाणा                                 गोरखपुर जीएवीपी- 3 और 4 2 x 700
मध्य प्रदेश चुटका चुटका-1 और 2 2 x 700
राजस्थान माही बांसवाड़ा  माही बांसवाड़ा-1 एवं 2 2 x 700
माही बांसवाड़ा-3 व 4 2 x 700

 

05 April PIB :- Download PDF Here

लिंक किए गए लेख में 04 अप्रैल 2023 का पीआईबी सारांश और विश्लेषण पढ़ें।

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